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Old/New Testament

Each day includes a passage from both the Old Testament and New Testament.
Duration: 365 days
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)
Version
भजन संहिता 103-104

दाऊद क एक ठु गीत।

हे मोर आतिमा, यहोवा क स्तुति करा।
    हे मोर अंग-प्रत्यंग ओकरे पवित्तर नाउँ क बड़कई करा।
हे मोर आतिमा, यहोवा क स्तुति करा
    अउर ओकरे सबइ कृपालु कामन क जिन बिसरा।
उ तोहार पापन क छमा करत ह।
    उ तोहार सबइ बेरामियन स तोहका चंगा करत ह।
उ तोहार प्राण क कब्र स बचावत ह,
    अउर उ तोहका पिरेम अउ करुणा स सज़वत ह।
परमेस्सर हमका भरपूर उत्तिम वस्तुअन देत ह।
    उ हमका फुन उकाब क नाई
    जवान करत ह।
यहोवा खरा कामन करत ह।
    परमेस्सर ओन लोगन क निआउ देत ह, जउने पइ दूसर लोग अत्याचार किहन ह।
उ मूसा क आपन मारग सिखाएस।
    उ इस्राएलियन क आपन कार्यन बताएस।
यहोवा करुणा स भरा अउर दयालु अहइ।
    परमेस्सर सहनसील अउ पिरेम स भरा अहइ।
यहोवा सदा ही आलोचना नाहीं करत।
    अउर ठीक इहइ तहर उ सदा हम पइ कोहान नाहीं रहत ह।
10 उ हम लोगन क संग हमार कीन्ह गवा पाप क अनुसार बेउहार नाहीं करत ह,
    अउर उ हमका वइसा सजा नाहीं देत जेका हम हकदार अहइँ।
11 आपन बिस्सासी पइ परमेस्सर क पिरेम वइसे महान अहइ
    जइसे धरती पइ अहइ ऊँचा उठा भवा अकास।
12 उ हमरे पापन क हम से ऍतना ही दूर हटाएस
    जेतना पूरब क दूरी पच्छिम स अहइ।
13 उ ओहे पइ जउन ओहसे डेरात ह वइसे ही दयालु अहइ,
    जइसे बाप आपन गदेलन पइ दाया करत ह।
14 परमेस्सर हमार सब कछू जानत ह।
    परमेस्सर जानत ह कि हम माटी स बना अही।
15 परमेस्सर जानत ह कि मानव जिन्नगी नान्ह स अहइ।
    उ जानत ह हमार जिन्नगी घास जइसी अहइ।
    परमेस्सर जानत ह कि हम लोगन क जिन्नगी बनफूल जइसा अल्प अहइ।
16 उ फूल जल्दी ही उगत ह।
    फिन गरम हवा चलत ह अउर उ फूल मुरझात ह।
    अउर फुन हाली ही तू लख नाहीं पउत्या कि उ फूल कइसे ठउर पइ उगत बाटइ।
17 मुला यहोवा क पिरेम सदा बना रहत ह।
    परमेस्सर सदा सदा ही आपन भगतन स पिरेम करत ह।
    परमेस्सर क दया ओकरे गदेलन स गदेलन तलक बनी रहत ह।
18 उ अइसन पइ दयालु अहइ, जउन ओकरी करार पइ चलत हीं।
    उ अइसन पइ दयालु अहइ जउन ओकरे आदेसन क पालन करत हीं।
19 परमेस्सर क सिंहासन सरगे मँ बना अहइ।
    हर चीज पइ ओकर हुकूमत अहइ।
20 हे सरगदूतो, यहोवा क स्तुति करा।
    हे सक्तिसाली सरगदूतन जउन ओकरे वचन क सुनत ह
    अउर ओकर पालन करत, ओकर गुण गवा।
21 हे सबइ ओकर दुस्मनो, यहोवा क स्तुति करा।
    तू जउन ओकर सेवा करत ह
    अउर उहइ करत ह जउन उ चाहत ह, ओकर गुण गवा।
22 हे समूचइ जगत, यहोवा क स्तुति करा
    जउन हर जगह पइ सासन करत ह।
हे मोर आतिमा, यहोवा क बड़कई करा

हे मोर आतिमा, यहोवा क स्तुति करा।
    हे यहोवा, हे मोरे परमेस्सर, तू अति महान अहा।
तू महिमा अउ आदर क ओढ़ना पहिरे अहा।
    जइसे कउनो मनई चोगा पहिरत ही वइसा ही उ प्रकास क पहिरत हीं।
पर्दा क नाईं उ आकासे क फइलावत ह।
    उ ओनके ऊपर आपन निवास स्थान बनाएस।
उ गहिर बादर क प्रयोग आपन रथ बनावइ मँ करत ह।
    उ पवन क पखना पइ चढ़िके अकास पार करत ह।
उ निज सरगदूतन क पवन क नाईं बनावत ह।
    उ निज सेवक क पवन क नाई बनाएस।
इ उहइ अहइ जउन धरती क ओकरी नेंव पइ निर्माण किहस।
    इ कबहुँ न गिरी।
उ जल क चादर स धरती क ढकेस।
    जल पहाड़न क ढाँकि लिहस।
तू आदेस दिहा अउर जल दूरि हट गवा।
    तू जल पइ गरज्या, अउर जल दूर भागा।
पहाड़न स खाले घाटियन मँ ओन सबइ ठउरन पइ
    जेका तू ओकरे बरे तइयार किहे रहा या जल बहा।
तू समुद्दर क चउहद्दी बाँध दिहा
    अउर फुन जल कबहुँ धरती क ढाँकइ नाहीं जाई।

10 उ पानी क पठवत ह
    जउन कि झरनन स पहाड़ियन क बीच मँ घाटियन मँ बहत ह।
11 सबहिं जंगली पसुअन क सबइ धारा पानी देत हीं,
    जेनमाँ जंगली गदहा तलक आइके पिआस बुझावत हीं।
12 जंगल क परिन्दा तलाबन क किनारे रहइ बरे आवत हीं।
    अउ निचके ठाड़ भए बृच्छन क डालियन पइ गावत हीं
13 तू पहाड़न क ऊपर बर्खा पठया ह
    अउर ओन चिजियन ओनका दिहा जेका तू बनाया जउन ओनका चाही।
14 परमेस्सर, पसुअन क खाइ बरे घास उपजाया,
    हम स्रम करित ह अउर उ हमका पैाधा देत ह।
    इ सबइ पौधन उ भोजन अहइँ जेका हम धरती स पाइत ह।
15 परमेस्सर, हमका दाखरस देत ह, जउन हमका खुस करत ह।
    हमार चाम नरम रखइ क तू हमका तेल देत ह।
    हमका पुट्ठ करइ क उ हमका खइया क देत ह।

16 परमेस्सर लबानोन क जउन देवदारू क बिसाल बृच्छ लगाएस ह।
    ओन बिसाल बृच्छ खातिर ओनकर बढ़वार बरे बहोत पानी रहत ह।
17 पंछी ओन बृच्छन पइ आपन घोंसला बनावत हीं।
    देवदार क बृच्छन पइ सारस क बसेरा अहइ।
18 बनैले पहाड़ी बोकरन क घर ऊँच पहाड़ मँ बना अहइँ।
    बीछियन खुद क बड़की चट्टान क आड़ मँ छुपावत अहइँ।

19 तू मौसम क पता लगावइ बरे चाँद क रच्या ह।
    सूरज सदा जानत ह कि ओका कहाँ बूढ़ब अहइ।
20 तू अँधियारा बनाया जेहसे रात होइ
    ताकि जंगल क बनैला पसु एहर-ओहर घूमि सकिहीं।
21 उ पचे झपटत सेर जब दहाड़त हीं तब अइसा लगत ह जइसे उ पचे यहोवा क पुकारत होइँ,
    जेका माँगइ स उ ओनका अहार देत।
22 अउर पउ फाटइ पइ जीवजन्तु वापिस घरन क
    लउटत अउ आराम करत हीं।
23 फिन लोग आपन काम करइ क बाहेर निकरत हीं।
    साँझ तलक उ पचे काम मँ लगा रहत हीं।

24 हे यहोवा, तू अचरज भरा बहुतेरा काम किहा।
    धरती तोहरी वस्तुअन स भरी पड़ी अहइ।
    तू जउन कछू करत अहा, ओहमा आपन विवेक देखाँत ह।
25 इ समुद्दर क लखा, इ केतॅना बिसाल अहइ!
    हुआँ बहुतेरी जीव-जन्तु अहइ जेका गना नाहीं जाइ सकिहीं।
    ओहमाँ कछू बिसाल अहइँ अउर कछू नान्ह।
26 समुद्दर क ऊपर जलपोत तैरत हीं,
    अउर लिब्याथान[a] जेका तू बनाएस ह
    समुद्दर मँ खेल-खेलत ह।

27 यहोवा, इ सब कछू तोहरे आसरे पइ अहइ।
    हे परमेस्सर, ओन सबहीं जीवन क खाना तू ठीक समइ पइ देत अहा।
28 हे परमेस्सर, तू ही अहा जउन सबइ जीव-जन्तुअन क खाना जेका उ पचे खात हीं,
    उपलब्ध करावत अहा।
29 फुन जब तू ओनसे मुँह मोड़ लेत अहा तब उ पचे डेराइ जात हीं।
    ओनकर साँस रुकि जात हीं।
उ पचे दुर्बल होइ जात हीं अउर मर जात हीं।
    अउर ओनकर देह फुन धूरि मँ बदलि जात हीं।
30 जब तू आपन आतिमा भेज्या ह, उ ओहसे जीवित होइ जात ह अउर
    धरती पइ जिन्नगी क संग फुन नवा कइ दीन्ह जात ह।

31 यहोवा क महिमा सदा-सदा बनी रहइ।
    यहोवा आपन रचना स सदा आनन्द मँ रहइ।
32 यहोवा क दृस्टि स इ धरती काँप उठी।
    पहाड़न स धुआँ उठइ लग जाइ।

33 मइँ जिन्नगी भइ यहोवा बरे गाउब।
    मइँ जब तलक जिअत हउँ यहोवा क गुण गावत रहब।
34 मोर सोच-बिचार ओका खुस करी।
    मइँ यहोवा क संग खुस अहउँ।
35 धरती स पाप क लोप होइ जाइ।
    दुट्ठ लोग सदा बरे मिटि जाइँ।

हे मोर आतिमा,
    यहोवा क स्तुति करा।

1 कुरिन्थियन 2

क्रूस पर चढ़ा मसीह क बारे मँ संदेस

भाइयो तथा बहिनियो जब मइँ तोहरे लगे आए रहेउँ तउ परमेस्सर क रहस्यपूर्ण सच क, बानी क चतुरता अउर मानुस बुद्धि क साथे उपदेस देत हुए नाहीं आइ रहेउँ काहेकि मइँ इ निस्चय कइ लिहे रहेउँ कि तोहारे बीच रहत, मइँ ईसू मसीह अउर क्रूस पर भइ ओकर मउत क छोड़िके कउनउ अउर बात क जनबइ तलक नाहीं। तउन मइँ दीनता क साथे भय स काँपत भवा तोहरे लगे आएउँ ह। अउर मोर भासण अउर मोर घोसना मानुस बुद्धि क लुभावइवाले सब्दन स मिला नाहीं रहा, बल्कि ओहमें रहा आतिमा क सक्ति क प्रमान ताकि तोहरे बिसवास मानुस बुद्धि क बजाय परमेस्सर क सक्ति पइ टिक सकइ।

परमेस्सर क गियान

जे समझदार अहइँ, ओनके हम बुद्धि देत अही, काहेकि इ बुद्धि इ जुग क बुद्धि नाहीं बा, न ही ऍह जुगे क ओन्हन सासकन क बुद्धि अहइ जेका बिनास क कगार पर लइ आवा जात बा। एकरे स्थान पर हम तउ परमेस्सर क ओह रहस्यपूर्ण विवेक क देत हीं जउन छुपा हुआ रहा अउर अनादि काल स परमेस्सर हमार महिमा बरे निस्चित किहे रहा। अउर जेका ऍह जुगे क कउनउ सासक नाहीं समझेन काहेकि अगर उ सबइ ओका समझ पाए होतेन तउ उ पचे ओह महिमावान पर्भू क क्रूस पर न चढ़उतेन। मुला पवित्तर सास्तरन मँ लिखा बा:

“जेहे नाहीं अंखिया देखेन
    अउर नाहीं काने स सुनेन तक,
जहाँ मानुस क बुद्धि तक कभऊँ नाहीं पहुँचत
    ऎसी बानी ओनके बरे बनावाइस पर्भू जे ओनकर पिरेमी जन होइ जातेन।” (A)

10 मुला परमेस्सर इन बातन क आतिमा क जरिये हमरे बरे परगट किहे अहइ।

काहेकि आतिमा हर कीहीउ बात क ढूंढ़ निकालत इहाँ तक कि परमेस्सर क छिपी गहरायन तक क। 11 अइसेन के अहइ जउन दूसरे मनइयन क मन क बात जानि लेइ सिवाय ओह मनई के ओह आतिमा क जउन ओनके अपने भित्तरइ अहइ। एह तरह परमेस्सर क बिचारन केऊँ परमेस्सर क आतिमा क छोड़िके अउर कउन जान सकत ह। 12 मुला हम संसारिक आतिमा नाहीं बल्कि ऊ आतिमा पाए अही जउन परमेस्सर स मिलत ह ताकि हम उन बातन क जान सकी जेनका परमेस्सर हमका मुक्त रूप स दिहे बाटइ।

13 ओनही बातन क हम मनइयन बुद्धि क जरिये बिचारा गवा सब्दन मँ नाहीं बोलित बल्कि आतिमा द्वारा बिचारा गवा सब्दन स आतिमा क चीजन क बियाखिया करत बोलत अही। 14 एक प्राकृतिक मनई परमेस्सर क आतिमा द्वारा प्रकासित सच क ग्रहण नाहीं करत काहेकि ओकरे बरे उ बात खरी मूरखता होत ह, उ ओन्हे समझि नाहीं पावत काहेकि उ आतिमा क आधार पर ही परखी जाइ सकतहीं। 15 आत्मिक मनई सब बातन क निआव कइ सकत ह, मुला ओकर निआव केऊ नाहीं कइ सकत। 16 काहेकि पवित्तर सास्तरन कहत हीं:

“पर्भू क मन का कउन जान सकत हय?
    ओका कउन सलाह दइ सकत ह?” (B)

मुला हमरे लगे ईसू क मन बा।

Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)

Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.