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Old/New Testament

Each day includes a passage from both the Old Testament and New Testament.
Duration: 365 days
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)
Version
अय्यूब 38-40

परमेस्सर अय्यूब स बोलत ह

38 फिन यहोवा बौडंर मँ स अय्यूब क जवाब दिहस। परमेस्सर कहेस।

“इ कउन मनई अहइ
    जउन मूर्खता स भरी भइ बातन करत अहइ?”
अय्यूब, तू मनई क तरह सुदृढ़ बना।
    जउन सवाल मइँ पूछउँ ओकर जवाब देइ क तइयार होइ जा।

“अय्यूब, बतावा तू कहाँ रह्या, जब मइँ भुइँया क रचना किहे रहेउँ?
    अगर तू एँतना समुझदार अहा तउ मोका जवाब दया।
अय्यूब, अगर तू एँतना हाज़िर जवाब अहा तउ मोका बता कि इ संसारे क विस्तार कउन तय किहेस?
    कउन इ संसार क नापइ वाला सूत स नापेस?
इ धरती क नींव काहे पइ धरी गइ अहइ?
    कउन धरती क नींव क रुप मँ सवन त जियादा महत्व क पाथर क धरेस ह
जब परमेस्सर अइसा करत रहेन तउ भोर क तारन एक संग खुस होइके गाना गाएन।
    अउर सरगदूतन खुस होअके चिल्ला उठेन।

“अय्यूब, जब सागर धरती क गरम स फूट बहत निकरा,
    तउ कउन ओका रोकइ बरे दुआर क बँद किहे रहा।
उ समइ मइँ बादरन स समुददर क ढाँपि दिहेउँ
    अउ अंधियारा मँ सागर क लपेट दिहे रहेउँ (जइसे गदेला क चादर मँ लपेटा जात ह।)
10 सागर क चउहद्दी मइँ निहचित किहे रहेउँ
    अउर ओहमाँ ताला डाइके दुआरन क पाछे रख दिहे रहेउँ।
11 मइँ समुददरे स कहेउँ, ‘तू हिआँ तलक आइ सकत ह मुला अउर जियादा आगो नाहीं।
    तोहार घमण्डी लहरन हिआँ पइ रुकि जइहीं।’

12 “अय्यूब, का तू कबहुँ आपन जिन्नगी मँ भोर क हुकुम दिहा ह निकरि आवइ
    अउर दिन क सुरु करइ क?
13 अय्यूब, का तू कबहुँ भिन्सारे क प्रकास क धरती पइ छाइ जाइ क कह्या ह
    अउर का कबहुँ ओहसे दुस्टन क लुकाइ क जगहिया क तजि देइ क मजबूर करइ क कह्या ह?
14 जब भिंसारे क प्रकास धरती पइ पड़त ह
    तउ धरती क रूप व आकृति अइसा प्रगट होत ह
जइसे नरम मिट्टी क मुहर स दबाइ स होत ह।
    एकर रूप रेखा ओढ़नन क सलवटन क नाईं उभरत ह।
15 दुस्ठ लोगन स प्रकास लइ लीन्ह गवा ह।
    नीक अउर ओन बाजूअन क जउन कि उ पचे बुरा करम करइ बरे उठाएस तोड़ दीन्ह ग रहेन।

16 “अय्यूब, बतावा का तू कबहुँ सागर क गहिर तहे मँ गवा अहा
    जहाँ स सुरु होत हका तू कबहुँ सागर क स्त्रितों पइ चला अहा?
17 अय्यूब, का तू कबहुँ उ फाटकन क लख्या ह, जउन मउते क लोक लइ जात हीं?
    का तू कबहुँ ओन फाटकन क लख्या जउन मउत क अँधियार जगह क लइ जात हीं?
18 अय्यूब, तू जानत अही कि इ धरती केतँनी बड़ी अहइ?
    तू मोका बतावा अउर तू इ सब कछु जानत अहा।

19 “अय्यूब, प्रकास कहाँ स आवत अहइ?
    अउर अँधियारा कहा स आवत ह?
20 अय्यूब, का तू प्रकास अउ अँधियारा क अइसी जगह लइ जाइ सकत ह जहाँ स उ सबइ आए होइँ?
    जहाँ उ सबइ रहत हीं हुआँ पइ जाइ क मारग का तू जानत अहा?
21 अय्यूब, मोका निहचय अहइ कि तोहका सारी बातन मालूम अइँ काहेकि तू बहोत ही बूढ़ा अहा।
    जब वस्तुअन क रचना भइ रही तब तू हुआँ रह्या।

22 “अय्यूब, का तू कबहुँ ओन भण्डार क कोठरियन मँ गना अहा
    जहाँ मइँ बरफ अउ ओलन क धरा करत हउँ?
23 मइँ बरफ अउ ओलन क विपत्ति क समइ मँ अउ जुद्ध
    अउर लड़ाई क समइ मँ उपयोग करइ बरे बचाए राखत हउँ।
24 अय्यूब, का तू कबहुँ अइसी जगह गवा अहा, जहाँ स सूरज उगत ह
    अउ जहाँ स पुरवइया सारी धरती पइ छाइ जाइ बरे आवत ह
25 अय्यूब, भारी बर्खा बरे अकास मँ कउन नहर खोदेस ह,
    अउर कउन गरजनवाले बिजली क रस्ता बनाएस ह
26 अय्यूब, कउन हुआँ भी पानी बरसाएस,
    जहाँ कउनो भी नाहीं रहत ह
27 उ बर्खा उ खानी भुइँया क खूब देर क पानी देत ह
    अउ घास जामब सुरु होइ जात ह।
28 अय्यूब, का बर्खा क कउनो बाप अहइ?
    ओस क बूँदन क कउन बनावत अहइ?
29 अय्यूब, बरफ क महतारी कउन अहइ?
    आकास क पाला क कउन पइदा करत ह?
30 पानी जमिके चट्टान जइसा कठोर बन जात ह,
    अउर सागर क ऊपर क सतह जम जावा करत ह।

31 “अय्यूब, सप्तर्षि तारन क का तू बाँध सकत ह?
    का तू मिरगसरा का बन्धन खोल सकत ह?
32 अय्यूब, का तू तारा समूहन (कहकसाँ) क ठीक वेला पइ निकार सकत ह?
    का तू भालू क ओकरे बच्चन क संग अगुअइ कइ सकत ह?
33 का तू ओन नेमन क जानत ह, जउन नभ पइ सासन करत हीं?
    का तू ओन नेमन क धरती पइ लागू कइ सकत ह?

34 “अय्यूब, का तू गोहराइके बादरन क आदेस दइ सकत ह,
    कि उ पचे भारी बर्खा क साथ घेरि लेइँ।
35 अय्यूब बतावा, का तू बिजुरी क जहाँ चाहत्या पठइ सकत अहा?
    अउर का तोहरे निअरे आइके बिजुरी कही अय्यूब,
    ‘हम हिआँ अही बतावा तू का चाहत ह?’

36 “मनई क मन मँ विवेक क कउन राखत ह?
    लोगन क चिजियन क समझइ बरे छमता कउन देत ह?
37 अय्यूब कउन आपन बुद्धि स बादरन क गनेस ह?
    कउन आकास क पानी क चाम थेले क उंडेल सकत ह?
38 बर्खा धूरि क कीचंड़ बनाइ देत ह
    अउर माटी क लौदा आपुस मँ चिपक जात हीं।

39 “अय्यूब, का तू सिंह क आहार पाइ सकत ह?
    का तू मुखान सेरनी क बच्चन क पेट भरि सकत ह?
40 उ सबइ सेर आपन खोहन मँ पड़ा रहत हीं
    अउर सिकार बरे झाड़ी मँ दुबक क घात लगनवइ बरे बइठा रहत हीं।
41 अय्यूब, कउआ क कबेला चारा पाए बगइर एहर ओहर भटकत भए परमेस्सर क दुहाइ देत हीं।
    कउन ओनका चारा देत ह?

39 “अय्यूब का तू जानत अहा कि कब पहाड़ी बोकरियन बियात हीं?
    का तू कबहुँ लख्या जब हिरणी बियात ह
अय्यूब, का तू जानत ह पहाड़ी बोकरियन अउ महतारी हरिणियन केतँने महीने आपन बच्चन क गर्भ मँ राखत हीं?
    का तोहका पता अहइ कि ओनकर बियाइ क उचित समइ का अहइ?
का तू जानत ह क उ पचे बच्चा क जनम दइ बरे कब झुकत ह।
    का तू जानत ह कि उ पचे आपन बच्चन क कब जनम देत ह।
पहाड़ी बोकरियन अउर हरिणि महतारी क बच्चन खेतन मँ हट्टा कट्टा होइ जात हीं।
    फुन उ पचे आपन महतारी क तजि देत हीं, अउर फुन लउटिके वापस नाहीं अउतेन।

“अय्यूब, जंगली गदहन क कउन अजाद छोड़ देत ह?
    कउन ओनकर रस्सन क खोलेस अउर ओनका बन्धन स अजाद किहेस?
इ मइँ परमेस्सर हउँ जउन बनेर गदहा क घर क रुप मँ रेगिस्तान दिहेउँ।
    मइँ ओनका रहइ बरे उजाड़ धरती दिहेउँ।
बनेर गदहा सोर स भरा भवा सहरन क लगे नाहीं जात ह
    अउर कउनो भी मनई ओका काम करवावइ बरे नाहीं साधत ह।
बनेर गदहन पहाड़न मँ घूमत हीं
    अउर उ पचे हुअँइ घास चरत रहत हीं।
    उ पचे हुअँइ पर हरिअर घास चरइ क हेरत रहत हीं।

“अय्यूब, बतावा, का कउनो जंगली साँड़ तोहरी सेवा बरे राजी होइ?
    का उ तोहरे चरही मँ राति क रुकी?
10 अय्यूब, का तू जंगली बर्धा पइ जुआ रख पइ आपन खेत जोतँवाइ सकत ह?
    का घाटी क तोहरे वास्ते जोतँइ बरे उ पचन पइ जुआ रखइ जाब्या?
11 जंगली साँड़ बहोत मजबूत होत ह।
    मुला का तू आपन काम करइ बरे ओन पइ भरोसा कइ सकत ह?
12 का तू ओह पइ भरोसा कइ सकत ह कि उ तोहार अनाज बटोरइ
अउर ओका दाँवइ मँड़ाइ[a] क खरिहाने मँ लिआवइ।

13 “सुतुरमुर्ग जब खुस होत ह उ आपन पंख फड़फड़ावत ह।
    मुला ओकर पंख सारस क पंख जइसे नाहीं होतेन।
14 मादा सुतुरमुर्ग धरती पइ अण्डा देत ह।
    सबइ अण्डा रेत मँ गरम होइ जात ह।
15 मुला सुतुरमुर्ग बिसरि जात ह कि कउनो ओकरे अण्डन पइ चलिके कुचर सकत ह,
    या कउनो बनेर पसु ओनका तोड़ सकत ह।
16 मादा सुतुरमुर्ग आपन नान्ह बच्चन पइ कठोर होइ जात ह
    जइसे उ पचे ओकर बच्चन नाहीं अहइँ।
    अगर ओकर बच्चन मरि भी जाइँ तउ भी ओका चिन्ता नाहीं होतह, अउर ओकर सब काम अकारथ होत ह।
17 परमेस्सर सुतुरमुर्ग क विवेक नाहिं दिहेस,
    अउर उ ओका कउनो समझदारी नाहीं दिहस ह।
18 मुला जब सुतुरमुर्ग दउड़इ क उठत ह
    तब ध्धोड़न अउ ओकरे सवार पइ हँसत ह।

19 “अय्यूब, बतावा का तू ध्धोड़न क बल दिहा
    अउर का तू ही ओकर गटई पइ फहरती अयाल जमाया ह?
20 अय्यूब, बतावा जइसे टिड्डी कूद जात ह तू वइसे धोड़ा क कुदाया ह
    घोड़ा ऊँची अवाजे मँ हिनहिनात ह अउर लोग डेराइ जात हीं।
21 घोड़ा घुस अहइ कि उ बहोत बलवान बाटइ अउर आपन खुरे स धरती क खतन रहत ह।
    जुदध मँ जात भवा घोड़ा तेज दौड़ जात ह।
22 घोडा डरे क हँसी उड़ावत ह काहेकि उ कबहुँ नाहीं डेरात।
    घोड़ा कबहुँ भी जुदध स मुँह नाही मोड़त ह।
23 घोड़ा क बगल मँ तरकस थिरकत रहत हीं।
    घोड़सवारन क भलन अउ हथियार धूपे मँ चमचामत रहत हीं।
24 घोड़ा बहोत उत्तेजित अहइ, मैदान पइ उ तेज चाल स दउड़त ह।
    घोड़ा जब बिगुल क आवाज सुनत ह तब उ सान्त खड़ा नाहीं रहि सकत।
25 बिगुल क ध्वनी पइ घोड़ा हिन ‘हिनावत’ ह।
    उ बहोत ही दूर स जुद्ध क सूँघ लेत ह।
    उ सेना क सनापती क आदेस अउर जुध्या क हाहाकार अउ जयजयकार क सुन लेत ह।

26 “अय्यूब, का तू बाज क सिखाया आपन पखनन क फइलाउब अउर दक्खिन कइँती उड़ि जाब।
27 अय्यूब का तू उकाब क उड़इ क
    अउर ऊँच पहाड़न मँ आपन झोंझ बनावइ क आग्या देत ह।
28 उकाब चट्टाने पइ रहा करत ह।
    ओकर किला चट्टान होत ह।
29 उकाब किला स आपन सिकार पइ निगाह राखत ह।
    उ बहोत दूर स आपन सिकार क लखि लेत ह।
30 गिद्ध क बच्चन लहु चाटा करत हीं।
    जहाँ भी ल्हासन पड़ा होत हीं हुवाँ गिद्ध बटुर जात हीं।”

40 यहोवा अय्यूब स कहत ह:

“अय्यूब तू सर्वसक्तीमान परमेस्सर स तर्क किहा।
    तू मोर निन्दा किहस।
    अब तोहका जवाब दइ चाही।”

एह पइ अय्यूब कहइ बरे देत भए परमेस्सर स कहेस:

“मइँ तउ कछू कहइ बरे बहोत ही तुच्छ हुउँ।
    मइँ तोहसे का कहि सकत हउँ?
मइँ आपन हाथ
    आपन मुँहे पइ रख लेब।
मइँ एक दाई कहेउँ मुला अब मइँ जवाब नाहीं देबउँ।
    फुन मइँ दुबारा कहेउँ मुला अब अउर कछू नाहीं बोलब।”

एकरे पाछे यहोवा आँधी मँ बोलत भए अय्यूब स कहेस।

“अय्यूब, तू मनई क तरह तइयार होइ ज।
    मइँ तोहसे कछू सवाल पूँछब अउर तू ओन सवालन क जवाब मोका देब्य़ा।

“अय्यूब का तू सोचत अहा कि मइँ निआउ स पूरा नाहीं हउँ।
    का तू मोका बुरा काम करइ क दोखी मानत अहा ताकि तू इ देखाँइ सका कि तू उचित अहा?
अय्यूब, बतावा का मोर सस्त्र एँतना सक्तीसाली अहइँ जेतँना कि मोर (परमेस्सर) सस्त्र अहइ!?
    का तू आपन वाणी क ओतँना ऊँच गरजिके बोल सकत ह जेतँना मोर वाणी अहइ!?
10 अगर तू वइसा कइ सकत ह तउ तू खुद क आदर अउर महिमा द्या
    अउ ओढ़ना क तरह वफादारी क सान क ओढ़ ल्या।
11 अय्यूब, अगर तू मोरे समान अहा, तउ अभिमानी लोगन स घिना करा।
    अय्यूब तू ओन अंहकारी लोगन पइ आपन किरोध बरसावा अउ तू ओनका विनम्र बनाइ दया।
12 हाँ, अय्यूब, ओन अंहकारी लोगन क लखा अउर तू ओनका विनम्र बनाइ दया।
    ओन दुस्टन क तू कुचर दया जहाँ भी उ पचे खड़ा होइँ।
13 तू सबहिं घमण्डियन क माटी मँ गाड़ दया
    अउर ओनकइ देहन पइ कफन लपेटिके तू कब्रन मँ धइ दया।
14 अय्यूब, अगर तू एँन सबइ बातन क कइ सकत ह तउ मइँ तहार परसंसा करब
    काहेकि तू खुद क बचाइ सकत ह।

15 “अय्यूब, लखा मइँ उ बहमोथ (जलगजे)[b] क पैदा किहेउँ।
    अउर उ मइँ ही ह जउऩ तोहका बनाएउँ ह।
    उ बहमोथ उहइ तरह घास खात ह, जइसे गइया घास खात ह।
16 बहमोथ क बदन मँ बहोत ताकत होत ह।
    ओकरे पेटे क माँसपेसियन बहोत ताकतवर होत हीं।
17 बहमोथ क पूँछ मजबूत अइसी होत ह जइसे देवदार क बृच्छ खड़ा रहत ह।
    ओकरे गोड़े क माँसपेसियन बहोत मजबूत होत हीं।
18 बहमोथ क हाड़न काँसा क तरह मजबूत होत हीं,
    अउर गोड़ ओकरे लोहे क ढूड़न जइसे।
19 बहमोथ महानतम पसु अहइ जेका मइँ बनाएउँ ह।
    हिआँ तलक कि ओकर सिरजनहार भी ओका लगे तरवार लइ क जात ह।
20 बहमोथ ओन घासे क खात ह जउन पहाड़े पइ उपजात ह
    जहाँ बनेर पसु खेलत हीं।
21 बहमोथ कमल क पउधन क नीचे सोवत रहत ह
    अउ कीचंड़ मँ सरकणडन क आड़ मँ छूपा रहत ह।
22 कमल क पउधन बहमोथ क आपन छाया मँ छिपावत हीं।
    उ बेंत क पेड़न क खाले रहत ह, जउन नदी क निचके उगत हीं।
23 अगर नदी मँ बाढ़ आइ जाइ तउ भी जलगज परात नाहीं ह।
    अगइ यरदन नदी भी ओकरे मुँहे पइ थपड़ियावइ तउ भी उ डेरात नाहीं ह।
24 बहमोथ क कउनो भी हुक लगाइ क नाहीं पकड़ सकत ह।
    कउनो भी ओका जाली मँ नाहीं फँसाइ सकत।

प्रेरितन क काम 16:1-21

तीमुथियुस क पौलुस अउर सीलास क संग जाब

16 पौलुस दिरबे अउर लुस्त्रा मँ भी आवा। हुवँइ तीमुथियुस नाउँ क एक चेला रहा। उ कउनो बिसवासी यहूदी स्त्री क बेटवा रहा मुला ओकर बाप यूनानी रहा। लुस्त्रा अउर इकुनियुम क सहर क भाइयन क संग ओकर अच्छा उठब बैठब रहा। पौलुस तीमुथियुस क जात्रा प लइ जावा चाहत रहा। तउ उ ओका आपन संग लइ लिहेस अउर स्थानन प बसइया यहूदियन क कारण ओकर खतना किहेस; काहेकि उ पचे सबहिं जानत रहेन कि ओकर बाप एक यूनानी रहा।

सहरन स जात्रा करत भवा उ पचे हुवाँ क मनइयन क ओन नियम क बारे मँ बताएन जेनका यरुसलेम मँ प्रेरितन अउर बुजुर्गन तय कइ दिहे रहेन। इ तरह हुवाँ क कलीसिया क बिसवास अउर मजबूत होत गोवा अउर रोज हर ओनकइ गनती बाढ़त गइ।

पौलुस क एसिया स बाहेर बोलावा जाब

तउ उ पचे फ्रूगिया अउर गलातिया क पहँटा स होइके निकरेन काहेकि पवित्तर आतिमा ओनका एसिया मँ पवित्तर बचन क प्रचार क मना कइ दिहे रही। फिन उ पचे जब मूसिया क सरहदे प पहोंचन तउ उ पचे बितूनिया मँ प्रवेस किहेन। मुला ईसू क आतिमा ओनका हुवाँ भी जाइ नाहीं दिहेस। तउ उ पचे मूसिया होत भए त्रोआस पहोंचेन।

राति क समइ पौलुस दिब्य दर्सन मँ निहारेस कि मैसीडोनिया क मनई ओसे पराथना करत भवा कहत अहइ, “मैसीडोनिया मँ आवा अउर हमार मदद करा!” 10 इ दिब्य दर्सन क लखे क पाछे तुरंतहि इ नतीजा निकारत भए कि परमेस्सर ओन मनइयन क बीच सुसमाचार क प्रचार करइ हमका बोलाए अहइ हम पचे मैसीडोनिया जाइ बरे ठान लीन्ह।

लुदिया क हिरदय बदलाव

11 इ तरह हम त्रोआस स जल मार्ग क जरिए जाइ बरे आपन नाउ खोलि दीन्ह अउर सोझइ समोथ्राके जाइ पहोंचेन। फिन अगले दिन नियापुलिस चला गएन। 12 हुवाँ स हम पचे एक रोमी उपनिवेस फिलिप्पी पहुँचेन जउ मैसीडोनिया क उ पहँटा क एक प्रमुख सहर रहा। इ सहर मँ हम कछू दिन बितावा।

13 फिन सबित क दिन इ बिचारत भए कि पराथना करइ बरे हुवाँ कउनो स्थान होइ हम सहर-दुआरे नदि क तीरे गए। हम पचे हुवाँ बइठे अउर बटुरी भइ स्त्रियन स बातचीत करइ लागे। 14 हुवँई लुदिया नाउँ क एक स्त्री रही। उ बैगनी रंग क ओढ़ना क बिक्री करत रही। उ परमेस्सर क आराधिका रही। उ बड़ा धियान स हमार बातन क सुनत रही। पर्भू ओकरे हिरदय क दुआर खोल दिहस ताकि, जउन कछू पौलुस कहत रहा, उ ओन बातन प धियान देइ सकइ। 15 आपन समूचइ परिवार क संग बपतिस्मा लेए क पाछे उ हम सबन स इ कहत भए बिनती किहेस, “जदि तू पचे मोका पर्भू ईसू क सच्चा भगत मानत ह तउ मोरे घरे आवा।” तउ उ हम पचन क जाइ बरे तइयार किहेस।

पौलुस अउर सीलास क बंदी बनावा जाब

16 फिन अइसा भवा कि जब हम पचे पराथना ठउर कइँति जात रहे, हम पचन क एक दासी मिली जेहमाँ एक सगुन बतावइ वाली आतिमा क सवारी रहीं। उ मनइयन क भाग्ग बताइके आपन मालिकन क ढेर धन कमाइके देत रही। 17 उ हमरे पौलुस क पाछे इ चिचियात भइ होइ गइ “इ पचे परम परमेस्सर क सेवक अहइँ। इ पचे तोहका मुक्ति क रस्ता क संदेसा सुनावत अहइँ।” 18 उ बहोत दिनाँ तलक अइसा ही करत रहाइ तउ पौलुस परेसान होइ गवा। उ मुड़िके उ आतिमा स कहेस, “मइँ ईसू मसीह क नाउँ प तोहका आदेस देत हउँ, ‘इ बिटिया मँ स बाहेर निकरि आवा!’” तउ उ फउरन ओहमाँ स बाहेर निकरि गइ।

19 फिन ओकर स्वामी लोगन जब लखेन कि ओनकइ कमाई क आसा स मन टूटि गवा अहइ तउ उ पचे पौलुस अउर सिलास क धइ दहबोचेन अउर ओऩका घेर्रावत भए बजार क बीच नगर क अधिकारियन क समन्वा लइ गएन। 20 फिन न्यायकर्ता क लगे ओनका लइ जाइके बोलेन, “इ सबइ यहूदियन अहइँ अउर हमरे सहर मँ गड़बड़ी फइलावत बाटेन। 21 इ पचे अइसी रीति रिवाज क दोहाई देत हीं जेनका अपनाउब या जेन पइ चलब हम रोमी मनइयन बरे निआव क मुताबिक नाहीं बा।”

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