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Old/New Testament

Each day includes a passage from both the Old Testament and New Testament.
Duration: 365 days
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)
Version
अय्यूब 30-31

30 “अब, उमर मँ छोटा लोग मोर मसखरी करत हीं।
    ओन जवान मनसेधुअन क बाप बिल्कुल ही निकम्मा रहेन।
    ओन कूकुरन जउन मोर भेड़िन क रखवारा करत ह ओन लोगन स बेहतर अहइँ।
ओन जवान मनसेधुअन क बाप मोका मदद देइ क कउनो सक्ती नाहीं राखत हीं,
    उ पचे बुढ़वा होइ चुका अहइँ अउ थका भवा अहइँ।
उ सबइ मनई भूख स मरत अहइँ
    यह बरे उ पचे झुरान अउर उजाड़ धरती खावत ह।
उ सबइ मनई रेगिस्तान मँ खारे पउधन क उखाड़त हीं
    अउर उ पचे झाड़ीदार बृच्छन क जड़न क खात हीं
उ पचन्क दूसर लोगन स भगाइ दइ गएन।
    उ पचे ओन लोगन पइ अइसे गोहरावत हीं जइसे लोग चोर पइ गोहरावत हीं।
अइसे उ सबई बुढ़वा लोग झुरान भइ नदी क तलन मँ चट्टानन क सहारे
    अउ धरती बिलन मँ रहइ क मजबूर अहइँ।
उ पचे झाड़ियन क बीच गुर्रात हीं।
    कँटहरी बृच्छन क नीचे उ पचे आपुस मँ बटुर जात हीं।
ओन पचन्क फसादी लोगन क दल अहइ, जेनकर नाउँ तलक नाहीं अहइ।
    ओनका आपन भुइँया तजि देह क मजबूर कीन्ह गवा अहइ।

“अब अइसे ओन लोगन क पूत मोर हँसी उड़ावइ क मोरे बारे मँ गीत गावत हीं।
    मोर नाउँ ओनके बरे अपसब्द जइसा बन गवा अहइ।
10 उ सबइ नउजवान मोहसे घिना करत हीं।
    उ पचे मोसे दूर खड़ा रहत हीं।
    हिआँ तलक कि उ पचे मोरे मुँहे पइ थूकत हीं।
11 परमेस्सर मोरे धनुष स ओकर डोर छोर लिहस ह अउर मोका दुर्बल किहस ह।
    उ पचे मोह पइ कोहान होत भए मोरे खिलाफ होइ जात ह।
12 उ सबइ जवान मोर दाहिनी कइँती स मोह पइ प्रहार करत हीं।
    उ पचे मोर गोड़न पइ हमला कइके मोका गिरावत ह
    अउर मोका चारिहुँ कइँती स घेर लेत ह।
13 उ पचे नव जवान मोरी राह पइ निगरानी रखत हीं कि मइँ बचिके निकरिके पराइ न सकउँ।
    उ पचे मोका नस्ट करइ मँ सफल होइ जात हीं।
    ओनके खिलाफत मँ मोर मदद करइ क मोरे संग कउनो नाहीं अहइ।
14 उ पचे मोह पइ अइसे वार करत हीं जइसे कि सहर क दिवार क दरार स होत ह।
    उ पचे टुटे हुए हिस्से स अन्दर आवत हीं।
15 मोका भय जकड़ लेत ह।
    जइसे हवा चिजियन क उड़ाइ लइ जात ह, वइसेन ही उ पचे जवान मोरे इज्जत धुवस्त करइ देत हीं।
    जइसे बादर अदृस्य हेइ जात ह, वइसे ही मोर सुरच्छा अदृस्य होइ जात ह।

16 “जब मोर जिन्नगी बीतइ क अहइ अउर मइँ हाली ही मर जाब।
    मोका, संकट क दिन दहबोच लिहे अहइँ।
17 मोर सबइ हाड़न राति क दुख देत हीं,
    पीरा मोका चबाव नाही छोड़त ह।
18 मोरे कोट क गिरेबान क परमेस्सर बड़ी ताकत स धरत ह,
    उ मोरे लिबास क ताकत स पकड़ लेत ह।
19 परमेस्सर मोका कीचं मँ बहाइ दिहस
    अउर मइँ माटी व राखी स बनत हउँ।

20 “हे परमेस्सर, मइँ सहारा पावइ क तोहका गोहरावत हउँ, मुला तू उत्तर नाहीं देत ह।
    मइँ खड़ा होत हउँ अउ पराथना करत हउँ, मुला तू मोह पइ धियान नाहीं देत्या।
21 हे परमेस्सर, तू मोर बरे निर्दयी होइ गवा अहा
    तू मोका नोस्कान पहोंचावइ क आपन सक्ती क प्रयोग करत अहा।
22 हे परमेस्सर, तू मोका तेज आँधि स उड़ाइ देत ह।
    तू मोका तूफाने क बीच मँ डाल देत ह।
23 मइँ जानत हउँ तू मोका मोर मउत कइँती लइ जात अहा
    आखीर माँ हर कउनो क जाब अहइ।

24 “मुला इ निहचय ह कि तू कउनो मनई जउन मदद बरे गोहरावत ह,
    ओन स नाहीं मुड़त ह।
25 हे परमेस्सर, तू तउ जानत ह कि मइँ ओनके खातिर रोएउँ जउन संकट मँ पड़ा अहइँ।
    तू तउ इ जानत ह कि मोर मन गरीब लोगन बरे बहोत दुखी रहत रहा।
26 मुला जब मइँ भला चाहत रहा, तउ बुरा होइ जात रहा।
    मइँ प्रकास हेरत रहेउँ अउर अँधियारा छाइ जात रहा।
27 मइँ भितरे स फट गवा हउँ अउर इ अइसा अहइ कि संकट कबहुँ नाहीं थम जात।
    अउर जियादा संकट आवइ क अहइ।
28 मइँ सोक क ओढ़ना पहिनके माना बगइर सूरज की गर्मी स करिया होइ गना हूँ।
    मइँ सभा क बीच मँ खड़ा होत हउँ, अउर मदद क गोहरावत हउँ।
29 मइँ जंगली कूकुरन क भइया
    अउर सुतुरमुर्ग क मीत होइ गवा हउँ।
30 मोर चमड़ी करिया पड़ि गइ बाटइ।
    मोर तन बुखारे स तपत बाटइ।
31 मोर वीणा करुण गीत गावइ क सधी बाटइ
    अउर मोर बाँसुरी स दुःख क रोवइ जइसे स्वर निकरत हीं।

31 “मइँ आपन अँखिन क संग एक समझौता किहेउ ह
    कि उ सबइ कउनो लड़िकी क वासना क निगाह स न लखहीं।
सर्वसक्तीमान परमेस्सर लोगन क संग कइसा करत ह
    उ कइसे आपन ऊँच सरगे क घरे से ओनकर करमन क प्रतिफल देत ह
परमेस्सर दुस्ट लोगन बरे संकट अउ विनास पठवत ह,
    अउर जउन बुरा करम करत हीं ओनके बरे बर्बादी पठवत ह।
मइँ जउन भी करत हउँ परमेस्सर जानत ह।
    अउर मोरे हर कदम क उ लखत ह।

“अउर मइँ झूठी जिन्नगी जिया हउँ
    या झूठ बोलिके लोगन क मुरख बनाए हउँ।
तउ उ मोका खरी तरजू स तौलेइ,
    तब परमेस्सर जान लेइ कि मइँ निरपराध हउँ।
अगर मइँ खरा रास्ता स हटा होउँ,
    अगर मइँ आपन आप क बुरे लालसा मँ लइ गइ होइ
    या अगर मइँ आपन हाथ क पवित्तर नाहीं राखत हइँ।
तउ मोर उपजाई भइ फसल दूसर लोग खाइ जाइँ
    अउर मोर फसलन क उजारिके लइ जाइँ।

“अगर मइँ मेहररुअन बरे कामुक रहा होउँ,
    या अगर मइँ आपन पड़ोसी क दुआरे क ओकरी पत्नी क संग व्याभिचार करइ क बरे ताकत रहा होउँ,
10 तउ मोर पत्नी दूसर लोगन क भोजन बनावइ
    अउर ओकरे संग दूसर लोग सोवइँ।
11 काहेकि यौन पाप लज्जा स भरा होत ह?
    इ अइसा पाप अहइ जेका निहचय ही सजा पावइ चाही।
12 व्याभिचार उ पाप क समान अहइ, जउन बारत अउ बर्बाद कइ डावत ह।
    मोरे लगे जउन कछू भी अहइ बिभिचार क पाप ओका बारि डाइ।

13 “अगर मइँ आपन दास-दासियन क समन्वा उ समइ निस्पच्छ नाहीं रहेउँ
    जब ओनका मोसे कउनो सिकाइत रही।
14 तउ जब मोका परमेस्सर क समन्वा जाइ क होइ, तउ मइँ का करब?
    जब उ मोका मोरे करमन क सफाई माँगइ बोलइ तउ मइँ परमेस्सर क का जावाब देब?
15 परमेस्सर मोका अउर मोरे सेवकन क
    हमरी आपन-आपन महतारी क गर्भ मँ बनाएस ह।

16 “मइँ कबहुँ भी दीन जन क मदद क मना नाहीं किहेउँ।
    मइँ राँड़ मेहररुअन क सहारे क बिना नाहीं रहइ दिहेउँ।
17 मइँ स्वार्थी नाहीं रहेउँ।
    मइँ आपन भोजन क संग अनाथ बच्चन क भूखा नाहीं रहइ दिहेउँ।
18 मइँ अइसे गदेलन क जेनके बाप नाहीं अहइँ, मइँ बाप जइसा रहेउँ ह।
    मइँ जिन्नगी भइ राँड़ मेहररुअन क धियान रखेउँ ह।
19 जब मइँ कउनो क एह बरे कस्ट भोगत भए पाएउँ ह कि ओकरे लगे ओढ़ना नाहीं अहइ,
    या मइँ कउनो दीन क बगैर कोट क पाएउँ।
20     तउ मइँ सदा ओन लोगन क ओढ़ना देत रहेउँ,
मइँ ओनका गरम राखइ क मइँ खुद आपन भेड़िन क ऊन बइपरेउँ,
    तउ उ पचे मोका समूचइ मने स असीसत रहेन।
21 मइँ कउनो अनाथे क खिलाफ कबहुँ आपन हाथ नाहीं उठाएस
    जब कबहुँ मइँ ओका सहर क फाटके पइ मदद माँगत भए निहारेउँ।
22 अगर मइ अइसा किहेउँ तउ मोर काँधा आपन जगह स छूट कइ गिर जाइ
    अउर मोर बाजू आपन जोड़ स अलग होइ जाइ।
23 मुला मइँ तउ ओनमाँ स कउनो बुरा करम नाहीं किहेउँ।
    मइँ परमेस्सर क दण्ड स डेरात हउँ।
    ओकरी तेजस्विता स डेरात हउँ।

24 “मइँ कबहुँ आपन धन दौलत क भरोसा नाहीं किहेउँ,
    अउर मइँ कबहुँ नाहीं चोखा सोने स कहेउँ कि ‘तू मोर आसा अहा।
25 मइँ धने स सम्पन्न रहेउँ।’
    मुला मइँ ओसे घमण्डी नाहीं भएउँ।
मइँ खूवइ धन कमाएउँ।
    मुला उहइ नाहीं जेहसे आनन्दित भएउँ।
26 मइँ कबहुँ भी नाहीं चमकत सूरज क पूजा किहेउँ
    या मइँ सुन्नर चाँद क पूजा नाहीं किहेउँ।
27 मइँ कबहुँ भी आपन हाथ क चूम कइ सूकज
    अउर चाँद क पूजा करइ क मूरखता नाहीं किहा रहा।
28 अगर मइँ एनमाँ स कछू किहेउँ तउ उ मोर पाप होइ अउ मोका सजा मिलइ।
    अगर मइँ ओन बातन क पूजा किहे होतेउँ तउ सर्वसक्तीसाली परमेस्सर क अबिस्सासी होइ जातेउँ।

29 “जब मोर दुस्मन बर्बाद भएन
    तउ मइँ खुस नाहीं भएउँ।
जब मोरे दुस्मनन क दुख-मुसीबत डाली गवा,
    तउ मइँ ओकर बरे खूस नाहीं भवा।
30 मइँ आपन मुहँ खोलिके आपन दुस्मनन क सरापत भए पाप नाहीं किहेउँ
    अउ मइँ ओकरे मोत क इच्छा नाहीं कहेस।
31 मोरे घरे क सबहिं लोग जानत हीं
    कि मइँ सदा अजनबी लोगन क खइया क दिहेउँ।
32 मइँ सदा अजनबी लोगन क घरे मँ बोलाएउँ,
    ताकि ओनका राति मँ गलियन मँ सोवइ क न पड़इ।
33 दूसर लोग आपन पापे क छूपावइ क जतन करत हीं,
    मुला मइँ आपन दोख कबहुँ नाहीं छुपाएउँ।
34 मइँ कबहुँ नाहीं डेराउँ कि लोग का कहत रहत हीं।
    मइँ कबहुँ चुप नाहीं रहेउँ अउ मइँ आपन घर बाहेर जाइ बरे कबहुँ नाहीं डेराउँ।

35 “कास! कउनो होत जउन मोर सुनत।
    मोका आपन बात अपनी कइँती स समझावइ द्या।
कास! सक्तीसाली परमेस्सर मोका अउर कास उ ओनँ बातन क लिखत
    जउन मइँ ओकरी निगाहे मँ गलत किहे रहेउँ।
36 काहेकि फुरइ ही मइँ उ लिकावट आपन खुद क काँधे पइ धइ लेब
    अउर मइँ ओका मुकुट क तरह मूँड़े पइ धइ लेब।
37 “अगर परमेस्सर किहेस तउ जउन कछू मइँ किहेउँ ह, मइँ ओका परमेस्सर क समुझाउब।
    मइँ परमेस्सर क लगे आपन मूँड़ि उठाइके जाब, जइसे मइँ कउनो मुखिया होउँ।

38 “मइँ आपन भुइँया पइ कबहुँ बेगुनाह क खुन नाहीं बहाया हउँ
    एँह बरे मोर मिट्टी या मोर धरती क खिलाफ कबहुँ आवाज़ नाहीं उठाएस।
39 मइँ हमेसा मजदूरन क फसल काटइ बरे ओनकर मजूरी दिहेउँ।
    मइँ कबहुँ भी ओकर मालिक स जबरदस्ती अनाज़ नाहीं लिहेउँ।
40 हाँ! एनमाँ स अगर कउनो भी बुरा काम मइँ किहे होउ,
    तउ गोहूँ क जगह पइ काँटा अउर जौ क बजाय खर-पतवर खेतन मँ उग जाइँ।”

अय्यूब क सब्द खतम भएन।

प्रेरितन क काम 13:26-52

26 “भाइयो, इब्राहीम क सन्तानो अउर सच्चे परमेस्सर क आराधक गैर यहूदियो, उद्धार क इ सुसमाचार हमरे बरे ही पठवा ग अहइ। 27 यरुसलेम मँ बसइयन अउर ओनकइ राजा लोगन ईसू क नाहीं पहिचानेन। अउर ओका दोखा ठहराइ दिहेन। इ तरह उ पचे नबी लोगन क उ बचन क पूरा किहन जेनकइ सबित क दिन पाठ कीन्ह जात ह। 28 अउर जदि अपि ओनका ओकरे मउत क राजा क कउनो सबूत नाहीं मिला, तउ भी उ पचे पलातुस स ओका मरवाइ डावइ क माँग किहेन।

29 “ओकरे बारे मँ जउन कछू लिखा रहा, जब उ पचे सब कछू क पूरा कइ चुकेन ओका क्रूस प स खाले उतारेन अउर एक कब्र मँ धइ दिहन। 30 मुला परमेस्सर ओका मरइ क पाछे फिन जीवित कइ दिहस। 31 अउर फिन जउन लोग गलील स यरूसलेम तलक ओकरे संग गएन, उ ओनकइ अगवा कइउ दिना ताईं परगट होत रहा। इ सबइ अब मनइयन बरे ओकर साच्छी अहइँ।

32 “हम तोहका उ प्रण क बारे मँ सुसमाचार सुनावत अही जउन हमरे पूर्वजन क संग कीन्ह गइ रही। 33 ईसू क, मरि जाए क पाछे फिन जीवित कइके, ओनकइ संताने क बरे परमेस्सर उहइ सपथ क हमरे बरे पूरा किहेस ह। जइसा कि दूसर भजन संहिता मँ लिखा भी अहइ:

‘तु मोर पूत अहा,
    मइँ तोहका आजु ही जनम दिहेउँ ह।’ (A)

34 अउर उ ओका मरे भएऩ मँ जिआइ के उठाएस जेहॅसे नास होइ स पहिले ओका फिन स लौटब न होइ। उ इ तरह कहे रहा:

‘मइँ तोहका उ सबइ पवित्तर अउर न टरइ क असीस देब
    जेनका देइ क बचन मइँ दाऊद क दिहेउँ।’ (B)

35 इ तरह एक दूसर भजन मँ उ कहत ह:

‘तू आपन पवित्तर जने क नास क अनुभव नाहीं होइ दिहा।’ (C)

36 “फिन दाऊद आपन जुग मँ परमेस्सर क प्रयोजन क मुताबिक आपन सेवा-काम पूरा कइके मर गवा, ओका ओकरे पूर्वजन क संग दफनाइ दीन्ह गवा अउर ओकर छय भवा। 37 मुला जेका परमेस्सर मरे भएऩ क बीच क जीवित कइके उठाएस, ओकर छय नाहीं भवा। 38-39 तउ भाइयो, तू सबन्क जान जाइ चाही कि ईसू क जरिए ही पाप क छमा क उपदेस तोहका दीन्ह गवा ह। अउर इहइ क जरिए हर कउनो जउन बिसवासी अहइ, ओन पापन्स छुटकारा पाइ सकत ह, जेनसे मूसा क व्यवस्था छुटकारा नाहीं दियाइ सकत रही। 40 तउ होसियार रहा, कहूँ नबियन जउन कछू कहे बाटेन, तू सबन प न घटइ:

41 ‘निन्दा करइया लोगो,
    लखा, होइके भउचक्का मरि जाब्या,
काहेकि तोहरे जुग मँ
    एक कारज अइसा करत हउँ,
जेकर चर्चा तलक प तोहका कबहुँ ह
    बिसवास होई।’” (D)

42 पौलुस अउर बरनावास जब हुवाँ स जात रहेन मनइयन ओनसे अगले सबित क दिन अइसी ही अउर बातन बतावइ बरे पराथना किहेन। 43 जब सभा खतम भइ तउ बहोत स यहूदियन अउर बहुत गैर यहूदी भक्तन पौलुस अउर बरनाबास क पाछा किहेन। पौलुस अउर बरनाबास ओनसे बातचीत करत भए बिनती किहेन कि उ सबइ परमेस्सर क अनुग्रह मँ बन रहइँ।

44 अगले सबित क दिन तउ लगभग समूचा सहर ही पर्भू क बचन सुनइ बरे उमड़ि आवा। 45 इ बड़का मनइयन क मजमा क जब यहूदियन लखेन तउ उ पचे बहोत जरि भुनि गएन अउर भद्दा सब्द क बइपरत भए पौलुस जउन कछु कहे रहा, ओकर खिलाफत करइ लागेन। 46 मुला पौलुस अउर बरनाबास निडर होइके, “इ जरुरी रहा कि परमेस्सर क बचन पहिले तोका पढ़ावा जात मुला काहेकि तू पचे ओका नकारत अहा अउर तू सबइ आपन खुद क अनन्त जिन्नगी क जोग्ग नाहीं ठहरउत्या, तउ हम पचे अब गैर यहूदी लोग कइँती मुड़ि जात अही। 47 काहेकि पर्भू हमका अइसि ही आग्या दिहे अहइ:

‘मइँ जोति बनाएउँ तोहका, ओनकइ बरे जउऩ नाहीं यहूदी,
    ताकि संसार के सब लोगन का उद्धार करइँ।’” (E)

48 गैर यहूदियन जब इ सुनेन तउ उ पचे बहोत खुस भएऩ अउर उ पचे पर्भू क बचन क सम्मान किहेन। फिन उ सबइ, जेनका अनन्त जिन्नगी पावइ बरे ठहरावा ग रहा, बिसवास धारण कइ लिहेन।

49 इ रतह समूचइ पहँटा मँ पर्भू क बचन क प्रचार होत रहा। 50 ओहर यहूदी लोग ऊँच कुले क धार्मिक स्त्रियन अउर सहर क मुड्ढ मनइयन क उसकाएन अउर पौलुस अउर बरनाबास क खिलाफ अत्याचार करब सुरू कइ दिहेन अउर दबाव डाइके ओनका आपन पहँटा स बाहेर निकरिवाइ दिहेन। 51 फिन पौलुस अउर बरनाबास ओनकइ खिलाफ आपन गोड़े क धूरि झारिके इकुनियुम क चला गएऩ। 52 मुला अतीक मँ ओनकइ चेलन आनंद अउर पवित्तर आतिमा स भरपूर होत रहेन।

Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)

Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.