Old/New Testament
अय्यूब क उ दिना क कोसब जब उ जन्मा रहा
3 तब अय्यूब आपन मुँह खोलेस अउर उ दिन क कोसइ लग जब उ पइदा भवा रहा। 2 उ कहेस:
3 “जउने दिन मइँ पइदा भवा रहेउँ, बर्बाद होइ चाही रहा।
उ राति कबहुँ न आइ होइ चाही जब उ पचे कहे रहेन कि ‘एक ठु लरिका’ पइदा भवा अहइ।
4 उ दिन अँधियारा स भरा जाइ चाही रहा।
परमेस्सर उ दिन क बिसारि जात चाही रहा।
उ दिन प्रकास न चमका चाही रहा।
5 उ दिन अँधियारा स पूर्ण बना होत चाही रहा जेतना कि मउत अहई।
बादर उ दिन क घेरे रहतेन चाही रहा।
जउनो दिन मइँ पइदा भवा करिया बादर प्रकास क डेरवाइ क खदेर देतेन चाही रहा।
6 उ राति क गहिर अँधियारा जकरि लेइ,
उ राति क गनती न होइ।
उ राति क कउनो महीना मँ सामिल जिन करा।
7 उ राति कछू भी पइदा न करइ।
कउनो भी आनन्द क ध्वनि उ राति क सुनाइ न देइ।
8 सराप देइ मँ माहिर मनइयन क उ मनइयन क साथ जउन लिब्यातान[a] क जगवाइ मँ सामर्थ अहइ,
क उ दिना क सराप देइ दया जउन दिना मइँ पइदा भएउँ।
9 उ दिन क साँझ तारा करिया पड़ जाइ दया।
उ रात भिन्सारे क रोसनी बरे तरसइ अउर उ प्रकास कबहुँ न आवइ दया।
उ सूरज क पहिली किरन न लखि सकइ।
10 काहेकि उ रात मोका पइदा होइ स नाहीं रोकस।
उ रात मोका इ सबइ कस्ट झेलइ स नाहीं रोकेस।
11 मइँ काहे नाहीं मरि गएउँ जब मइँ पइदा भवा रहेउँ?
जन्म क समइ ही मइँ काहे नाहीं मरि के बाहर आए रहेउँ?
12 काहे मोर महतारी गोदी मँ मोका राखेस?
काहे मोर महतारी क छतियन मोका दूध पियाएन।
13 अगर मइँ तबहिं मरि गवा होतेउँ जब मइँ पइदा भवा रहेउँ
तउ अब मइँ सान्ति स होतउँ।
अगर अइसा होतेन मइँ सोवत रहतेउँ अउर आराम पउतेउँ।
14 राजा लोगन अउ बुद्धिमान मनइयन क संग जउन पृथ्वी पइ पहिले रहेन।
ओन लोग आपन बरे ठउर जगह बनाएन, जउन अब नस्ट होइक मिट चुका अहइँ।
15 मोका ओन सासक लोगन क संग दफनावा जात रहतेउँ
जउन सोना-चादी स आपन घर भरे होतेन।
16 मइँ गर्भपात मँ ही मरि जात रहतेउँ।
मइँ दिन क प्रकास नाहीं देखि रहतेउँ।
17 दुट्ठ जन दुःख देब तब तजि देत ही जब उ पचे कब्र मँ होत ही
अउर थके लोग कब्र मँ आराम पावत हीं।
18 हिआँ तलक कि बंदी भी सुख स कब्र मँ रहत हीं।
हुआँ उ पचे आपन अत्याचारियन क आवाज नाहीं सुनत हीं।
19 हर तरह क लोग कब्र मँ रहत हीं चाहे उ पचे महत्व नामा होइँ या साधारण।
हुआँ दास आपन सुआमी स छुटकारा पावत ह।
20 “अइसे मनई क प्रकास काहे देत रहा जउन दुःख झेल रहा ह?
अइसे मनई क काहे जिन्नगी देत रहा ह जेकर जिन्नगी कडुवापन स भरा रहत ह?
21 अइसा मनई मनइ चाहत ह मुला ओकर मउत नाहीं आवत।
अइसा दुःखी मरई मउत पावइ क उहइ तरह तरसत ह जइसे कउनो छुपे खजाना बरे।
22 अइसे मनइयन कब्र पाइके खुस होत हीं
अउर आनन्द मनावत हीं।
23 परमेस्सर ओनसे ओनकर भविस्स छिपाए राखत ह
अउर ओनकर चारिहुँ कइँती सुरच्छा बरे देवार खड़ी करत ह।
24 मोर गहरी उदासी मोर बरे रोटी बन गवा ह।
मोर विलाप जल धारा क तरह बाहेर फूट पड़त ह।
25 मइँ जउने डेराउनी बात स डेरात रहेउँ कि कहुँ उहइ मोरे संग न घटि जाइ अहइ मोरे संग घटि गइ।
अउर जउने बाते स मइँ सबन त जियादा डरेउँ, उहइ मोरे संग होइ गइ।
26 नही मइँ सान्त होइ सकत हउँ, न ही मइँ आराम कइ सकत हउँ।
मइँ बहोत ही विपत्ति मँ हउँ।”
एलीपज क कथन
4 तब तेमान क एलीपज जवाब दिहेस:
2 “अगर मइँ तोहका कउनो राय देउँ
तउ का तू नाराज़ होब्या? अगर अइसा अहइ तउ भी मोका बोलइ चाही।
3 हे अय्यूब, तू बहोत स लोगन क सिच्छा दिहा
अउर दुर्बल हाथन क तू सक्ती दिहा।
4 जउन लोग लड़खड़ात रहत रहेन तोहार सब्दन ओनका हिम्मत बँधाए रहेन
तू निर्बल गोड़न क आपन उत्साह स सबल किहा।
5 मुला अब तोह पइ विपत्ति क पहाड़ टूट पड़ा बाटइ
अउर तोहार हिम्मत टूट गइ अहइ।
विपदा क मार तोह पइ पड़ी
अउर तू ब्याकुल होइ उठ्या।
6 तोहका उ परमेस्सर पइ बिस्सास करइ चाही
जेका तू उपासना करत ह।
आपन ईमानदारी क
आपन आसा बनने दया।
7 अय्यूब, इ बात क याद राखा कि कउनो भी निर्दोख कबहुँ नाही नस्ट कीन्ह गएन।
नीक मनई कबहुँ नाहीं तबाह कीन्ह गवा अहइ।
8 मइँ अहसे लोगन क लखेउँ ह जउन कस्टन क बढ़ावत हीं
अउर जउन जिन्नगी क कठिन करत हीं।
मुला उ पचे सदा ही दण्ड भोगत हीं।
9 परमेस्सर क दण्ड ओन लोगन क मारि डावत ह,
अउर ओकर किरोध ओनका नस्ट करत ह।
10 दुर्जन सेर क तरह गुर्रात अउ दहाड़त हीं।
मुला परमस्सर ओन दुर्जनन क चुप करावत ह।
11 बुरे लोग ओन सेरन क तरह होत हीं जेनके लगे सिकार बरे कछू नाहीं होत।
उ पचे मरि जात हीं अउर ओनकर गदेलन एहर-ओहर बिखराइ जात हीं।
12 “मोरे लगे एक सँदेसा चुपचाप पहुँचावा गवा,
अउर मोरे काने मँ ओकर भनक पड़ी।
13 जउने तरह राति क बुरा सपना
नींद क उड़ाइ देत ह,
14 मइँ डेराइ गएउँ अउ काँपते लगेउँ।
मोर सबइ हडिडयन हिल गइन।
15 मोरे समन्वा स एक आतिमा जइसी गुजरी
जेहसे मोरे बदन मँ रोंगटा खड़ा होइ गएन।
16 उ आतिमा मोर समन्वा उठेस,
मुला मइँ एका नाहीं पहिचान सकउँ।
मोरी आँखिन क समन्वा एक सरुप खड़ा रहा।
हुवाँ सन्नाटा स छावा रहा।
फुन मइँ एक बहोत स सान्त आवाज सुनेउँ।
उ पचे कहेस,
17 ‘का एक मनई परमेस्सर क समन्वा दोखरहित होइ सकत ह?
का एक मनई आपन सृजनहार स जियादा सुद्ध होइ सकत ह?
18 परमेस्सर आपन सरग क सेवकन तक पइ भरोसा नाहीं कइ सकत।
परमेस्सर क आपन दूतन तलक मँ दोख मिलि जात हीं।
19 तउ मनई तउ अउर भी जियादा गवा गुजरा बा।
मनई तउ कच्ची माटा क घरौंदा मँ रहत हीं।
एँन माटी क घरौंदन क नींव धूरि मँ रखी गइ अहइ।
इ सबइ लोगन क ओहसे भी जियादा आसानी स मसलिके मार दीन्ह जात ह,
जउने तरह भुनगन मसलिके मार दीन्ह जात ह।
20 लोग भोर स साँझ क बीच मँ मर जात हीं
मुला ओन पइ कउनो धियान तलक नाहीं देत ह।
उ पचे मरि जात हीं अउर सदा बरे चला जात हीं।
21 ओनके तम्बूअन क खूंटी उखाड़ दीन्ह जात हीं
अउर इ सबइ लोग बिना बुद्धि क मरि जात हीं।’
44 “पवित्तर क तम्बू भी उ वीरान मँ हमरे पूर्वजन क संग रहा। इ तम्बू उहइ नमूने प भी बनवा ग रहा जइसा कि मूसा लखे रहा अउर जइसा कि मूसा स बात करवइया बनावइ बरे ओसे कहे रहा। 45 हमार पूर्वजन ओका पाइके तबहिं हुवाँ स आए रहेन जब यहोसू क अगुअइ मँ उ पचे उ राष्ट्रन स धरती लइ लिहे रहेन जेनका हमरे पूर्वजन क समन्वा परमेस्सर निकारिके खदेरे रहा। दाऊद क समइ तलक हुवाँ उ रहा। 46 दाऊद परमेस्सर क अहुग्रह क आनन्द उठाएस। उ चाहत रहा कि उ याकूब क परमेस्सर बरे एक ठु मंदिर बनवाइ सकइ। 47 मुला उ सुलेमान ही रहा जउन ओकरे बरे मंदिर बनवाएस।
48 “कछू भी होइ परम परमेस्सर हथवा स बना भवन मँ निवास नाहीं करत। जइसा कि नबी कहे अहइ:
49 ‘प्रभू कहेस, सरग मोर सिंहासन अहइ
धरती गोड़वा क चौकी बनी अहइ।
कउने तरह क तू बनउब्या मोर घर?
अहइ कहूँ अइसी जगह, जहाँ अराम पावउँ?
50 का सबहिं कछू इ, मोर बनवा नाहीं रहा हाथे का?’” (A)
51 “अरे हठीले लोग बिना खतना क मन अउर कान वाले जिद्दी मनइयन, तू पचे सदा पवित्तर आतिमा क खिलाफत किहे ह। तू सबइ आपन पूर्वजन जइसा ही अहा! 52 का कउनो भी अइसा नबी रहा, जेका तोहार पूर्वजन नाहीं सताएन? उ पचे तउ ओनका मारि डाए रह्या। जउन बहोत पहिले स ही उ धर्मी (मसीह) क अवाई क एलान कइ दिहे रहेन, जेका अब तू धोखा दइके पकड़वाइ दिहा अउर मरवाइ डाया। 53 तू सबइ उहइ अहा जउन सरगदूतन क जरिये दीन्ह गवा व्यवस्था क तउ पाइ लिहा मुला ओह पइ चल्या नाहीं!”
स्तिफनुस क कतल
54 जब उ सबइ इ सुनेन तउ उ पचे किरोध स पगलाइ गएन अउर स्तिफनुस पर दाँत पीसइ लागेन। 55 मुला पवित्तर आतिमा स भरा स्तिफनुस सरगे कइँती लखत रहा। उ निहारेस परमेस्सर क महिमा क अउर परमेस्सर क दाहिन कइँती खड़ा भवा ईसू क। 56 तउ उ कहेस, “लखा! मइँ लखत हउँ कि सरग खुला भवा अहइ अउर मनई क पूत परमेस्सर क दाहिन कइँती खड़ा बा!”
57 एह पइ उ पचे चिचिआत भवा आपन कान ढाँपि लिहेन अउर फिन उ सबइ एक संग टूट पड़ेन। 58 उ सबइ ओका घेरर्वत भए सहर स बाहेर लइ गएन अउर ओहॅ पइ पाथर बरसावइ लागेन। तबहिं गवाह लोग आपन ओढ़ना उतारि के साऊल नाउँ क एक ठु जवान क गोड़े प धइ दिहेन। 59 स्तिफनुस प जब स उ पचे पाथर बरसाउब सुरू किहेन, उ इ कहत भवा पराथना करत रहा, “पर्भू ईसू, मोर आतिमा क ग्रहण करा।” 60 फिन उ घुटना क बल भइराइ गवाँ अउर ऊँचि अवाजे मँ चिल्लान, “पर्भू, इ पाप क ओनकइ खिलाफ जिन ल्या!” ऍतना कहिके उ हमेसा क नींद मँ सोइ गवा।
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.