Old/New Testament
मन्दिर मँ करार क सन्दूख
8 तब राजा सुलैमान इस्राएल क सबहिं बुर्जुगन, परिवार समूहन क प्रमुखन अउ इस्राएल क परिवारन क प्रमुखन क एक संग यरूसलेम मँ बोलाएस। सुलैमान ओनका सामिल करइ चाहत रहा कि उ पचे करार क सन्दूख क दाऊद नगर स मन्दिर मँ लिआवइँ। 2 एह बरे इस्राएल क सबहिं लोग इकट्ठा होइके राजा सुलैमान क लगे आएन। इ एतानीम महीना मँ कुटीर क त्यौहार क मौका रहा, इ बरिस क सतवाँ महीना रहा।
3-4 इस्राएल क सबहिं बुर्जुगन उ ठउरे पइ आएन। तब याजक लोग पवित्तर सन्दूख उठाएन। उ पचे पवित्तर तम्बू अउ तम्बू मँ क सबहिं चिजियन सहित यहोवा क पवित्तर सन्दूख क लइ आएन। लेवी वंसियन याजक लोगन क मदद एन चिजियन क लइ जाइ मँ किहेन। 5 राजा सुलैमान अउर इस्राएल क सबहिं लोग करार क सन्दूख क समन्वा इकट्ठे भएन। उ पचे अनेक बलि भेंट किहन। उ पचे ऍतना जियादा भेंड़िन अउ गोरुअन मारेन कि ओन सबहिं क कउनो मनई गनइ या दर्ज करइ मँ सार्मथ नाहीं रहा। 6 तब याजक लोग यहोवा क करार क सन्दूखे क ओकरे उचित ठउरे पइ धरेन। इ मन्दिर क भीतर सब स जियादा पवित्तर ठउरे मँ रहा। करार क सन्दूख करूब सरगदूतन क पखनन क खाले धरा गवा। 7 करूब सरगदूतन क पखना करार क सन्दूख क अउर ओका लइ चलइ मँ सहायक बल्लियन क ढाँपे रहेन। 8 इ सबइ सहायक बल्लिायन बहोत बड़ी रहिन। जदि कउनो मनई पवित्तर ठउर मँ सब स जियादा पवित्तर ठउर क समन्वा खड़ा होइ, तउ उ बल्लियन क सिरन क लख सकत ह। किन्तु बाहेर क कउनो भी ओनका नाहीं लख सकत। उ सबइ बल्लियन आजु भी हुँवा अहइँ। 9 हिआँ पवित्तर सन्दूख क भीतर सिरिफ दुइ सिलन रहिन। उ सबइ दुइ सिलन उहइ रहिन जेनका मूसा होरेब नाउँ क ठउरे पइ पवित्तर सन्दूख मँ धरे रहेन। होरेब उ ठउर रहा जहाँ यहोवा इस्राएल क लोगन क संग ओनके मिस्र स बाहेर आवइ क पाछे करार किहस।
10 याजक सन्दूखे क सब स जियादा पवित्तर ठउर मँ धरेस। जब याजक पवित्तर ठउर स बाहेर आएन तउ बादल यहोवा क मन्दिर मँ भर गवा। 11 याजक आपन सेवा करत नाहीं रहि सकेन काहेकि बादर क कारण मन्दिर यहोवा क प्रताप स भर गवा रहा। 12 तब सुलैमान कहेस:
“यहोवा अकासे मँ सूरज चमकाएस,
मुला उ करिआ बादर मँ रहब पसन्द किहेस।
13 मइँ तोहरे बरे एक सानदार मन्दिर बनाएउँ,
एक निवास जेहमाँ तू सदा ही रहब्या।”
14 इस्राएल क सबहिं लोग हुँवा खड़े रहेन। एह बरे सुलैमान ओनकी ओर मुड़ा अउर परमेस्सर ओनका आसीर्बाद देइ क कहेस। 15 तब राजा सुलैमान यहोवा स एक लम्बी पराथना किहस। उ जउन पराथना किहस उ इ अहइ:
“इस्राएल क यहोवा परमेस्सर क प्रसंसा करा। यहोवा मोर पिता दाऊद स जउन कछु प्रतिग्या किहेस ओनका उ खुद पूरा किहस ह। यहवा मोरे बाप स कहेस, 16 ‘मइँ अपने लोगन, इस्राएल क मिस्र स बाहेर लिआएउँ। लेकिन मइँ अबहिँ तलक इस्राएल परिवार समूह स कउनो नगर क नाहीं चुनेउँ ह, कि मोका सम्मान देइ बरे मन्दिर-निर्माण करइ। अउर मइँ इस्राएलियन क नेता कउनो मनई क नाहीं चुनेस ह। किन्तु अब मइँ यरूसलेम क चुनेउँ ह जहाँ मइँ सम्मानित होत रहब अउर मइँ दाऊद क इस्राएली लोगन पइ हुकूमत करइ बरे चुनेउँ ह।’
17 “मोर बाप दाऊद जियादा चाहत रहेन कि उ पचे यहोवा, इस्राएल क परमेस्सर क सम्मान बरे मन्दिर बनावइँ। 18 किन्तु यहोवा मोर बाप दाऊद स कहेस, ‘मइँ जानत हउँ कि तू मोरे सम्मान बरे मन्दिर बनावइ क प्रबल इच्छा रखत अहा अउर इ नीक अहइ कि तू मोर मन्दिर बनावइ चाहत अहा। 19 किन्तु तू उ मनई नाहीं अहा जेका मइँ मन्दिर बनावइ बरे चुनेउँ ह। तोहार पूत मोर मन्दिर बनाई।’
20 “इ तरह यहोवा जउन प्रतिग्या किहे रहा ओका पूरी कइ दिहेउँ ह। अब मइँ अपने बाप दाऊद क ठउरे पइ राजा अहउँ। अब मइँ यहोवा क प्रतिग्या क अनुसार इस्राएल क लोगन पइ सासन करत हउँ अउर मइँ यहोवा इस्राएल क परमेस्सर बरे मन्दिर बनाएउँ ह। 21 मइँ मन्दिर मँ एक ठउर पवित्तर सन्दूखे बरे बनाएउँ ह। उ पवित्तर सन्दूखे मँ उ करार अहइ जउन वाचा यहोवा हमरे पुरखन क संग किहे रहा। यहोवा उ वाचा तब किहेस जब उ हमरे पुरखन क मिस्र स बाहेर लइ आवा रहा।”
22 तब सुलैमान यहोवा क वेदी क समन्वा खड़ा भवा। सबहिं लोग ओकरे समन्वा खड़े भएन। राजा सुलैमान अपने हाथन क अकासे कइँती फइलाएस। 23 उ कहेस,
“हे यहोवा इस्राएल क परमेस्सर तोहरे समान धरती पइ या अकास मँ कउनो दूसर परमेस्सर नाहीं अहइ। तू अपने लोगन क संग करार किहा अउर ओहमाँ कायम रह्या। तू ओन लोगन क बरे दयालु अउर स्नेहपूर्ण रहा जउन तोहार अनुसरण आपन पूरा हिरदइ स करत हीं। 24 तू अपने सेवक मोरे बाप दाऊद स, एक प्रतिग्या किहे रह्या अउर तू उ पूरी किहा ह। तू उ प्रतिग्या खुद अपने मुँह स किहे रह्या अउर तू अपनी महान सक्ती स उ प्रतिग्या क आज फुरइ घटित होइ दिहा ह। 25 अब, यहोवा इस्राएल क परमेस्सर, ओन दूसर प्रतिग्यन क पूरा करा जउन तू अपने सेवक, मोर बाप दाऊद स किहे रह्या। तू कहे रह्या, ‘दाऊद जइसा तू किहा वइसे ही तोहार सन्तानन क मोर हुकुम क पालन होसियारी स करइ चाही। जदि उ पचे अइसा करिहीं तउ तोहरे परिवार क कउनो न कउनो मनई सदा इस्राएल क लोगन पइ सासन करी।’ 26 अउर हे यहोवा, इस्राएल क परमेस्सर, मइँ फुन तोहसे माँगत हउँ कि तू कृपा कइके मोरे बाप क संग कीन्ह गइ प्रतिग्या क पूरी करत रहा।
27 “मुला परमेस्सर, का तू फुरइ इ धरती पइ हम लोगन क संग रहब्या? तोहका सारा आकास अउ सरग क उच्चतम ठउर भी धारण नाहीं कइ सकत्या? निहचइ ही इ मन्दिर भी, जेका मइँ बनाएउँ ह, तोहका धारण नाहीं कइ सकत। 28 मुला तू मोर पराथना अउ मोरे निवेदन पइ धियान द्या। मइँ तोहार सेवक हउँ अउर तू मोर यहोवा परमेस्सर अहा। इ पराथना क तू स्वीकार करा जेका आज मइँ तोहसे करत हुउँ। 29 बीते समइ मँ तू कहया रहा, ‘मोर हुवाँ सम्मान कीन्ह जाइ।’ एह बरे इ मन्दिर क देख-रेख दिन-रात करा। कृप्या कइके तू मोर, आपन सेवक क पराथना क सुन्या, जेका मइँ तोहसे इ मन्दिर मँ कहत हउँ। 30 यहोवा, मइँ अउर तोहरे इस्राएल क लोग इ मन्दिर की ओर पराथना करिहीं। कृपा कइके एन पराथनन पइ धियान द्या। हम जानित ह कि तू सरग मँ रहत ह। कृप्या कइके हुँवा स आपन सेवक क पराथना सुन्या अउर हम क छिमा कर्या।
31 “जदि कउने मनई कउनो दूसर मनई क खिलाफ कउनो अपराध करी तउ उ हिआँ तोहरी वेदी क लगे लिआवा जाइ। जदि उ मनई दोखी नाहीं अहइ तउ उ एक किरिया लेइ। उ किरिया लेइ कि उ निदोर्ख अहइ। 32 उ समइ तू सरग मँ सुना अउर उ मनई क संग निआव करा। जदि उ मनई अपराधी अहइ तउ कृपा कइके हम क दिखावा कि उ अपराधी अहइ। जदि उ मनई निरपराध अहइ तउ हमक दिखावा कि उ अपराधी नाहीं अहइ।
33 “कबहुँ-कबहुँ तोहरे इस्राएल क लोग तोहरे खिलाफ पाप करिहीं अउर ओनकर दुस्मन ओनका हराइ देइहीं। तब लोग तोहरे लगे लउटिहीं अउर उ सबइ लोग इ मन्दिर मँ तोहार नाउँ क स्तुति करिहीं अउ तोहसे पराथना अउर निवेदन करइहीं। 34 तउ मेहरबानी कइके सरग स ओनकर पराथना सुना। तब अपने इस्राएली लोगन क पापन क छिमा करा अउर ओनकर भुइँया ओनका फुन स प्राप्त करइ द्या। तू इ भुइँया ओनके पुरखन क दइ दिहे रह्या।
35 “कबहुँ-कबहुँ उ पचे तोहरे खिलाफ पाप करिहिं, अउर तू ओनकर भुइँया पर बर्खा होब बन्द कइ देब्या। तब उ पचे इ ठउरे की ओर मुँह कइके पराथना करिहीं। अउर तोहरे नाउँ क स्मुर्ति करहीं। तू ओनका कस्ट सहइ देब्या अउर उ पचे अपने पापन वापिस घूमि जाइहीं। 36 एह बरे मेहरबानी स सरग मँ ओनकर पराथना सुना। तब हम पचन्क हमरे पापन बरे छिमा करा। लोगन क सच्ची जिन्नगी जिअई क सिच्छा द्या। हे यहोवा तब कृपा कइके तू उ भुइँया पई बर्खा करा जेका तू ओनका दिहा ह।
37 “भुइँया बहोत जियादा झुराइ सकत ह अउर ओह पइ कउनो अन्न उग नाहीं सकी। संभव अहइ लोगन मँ महामारी फइलइ। संभव अहइ सारा पइदा भवा अन्न कीड़न मकोड़न क जरिये बर्बाद कइ दीन्ह जाइ या तोहार लोग अपने कछू नगरन मँ अपने दुस्मनन क हमला क सिकार बनइँ या तोहार अनेक लोग बीमार पड़ि जाइँ। 38 जब एनमाँ स कछू भी घटित होइ, अउर एक भी मनइ अपने पापन बरे पछतावा करइ, अउर अपने हाथन क इ मन्दिर कइँती पराथना मँ फइलावइ तउ 39 मेहरबानी कइके ओकर पराथना सुना। ओकर पराथना क सुना, जब तू अपने निवास स्थान सरग मँ अहा। तब लोगन क छिमा करा अउर ओनकर मदद करा। सिरिफ तू इ जानत अहा कि मनई क हिरदय मँ का बाटइ? एह बरे हर एक क संग ओकर काम अउर उद्देस क अनुसार निआव करा। 40 इ एह बरे करा ताकि तोहार लोग तोहसे डेराइँ अउर तोहार सम्मान उ समइ तलक करइँ जब तलक उ पचे इ भुइँया पइ रहइँ जेहका तू हमरे पुरखन क दिहे रह्या।
41-42 “दूसर जगहन क लोग तोहार महानता अउ तोहरी सक्ती क बारे मँ सुनिहीं। उ पचे बहोत दूर स इ मन्दिर मँ पराथना करइ अइहीं। 43 मेहरबानी कइके आपन निवास स्थान, सरग स ओनकर पराथना सुना। मेहरबानी कइके तू उ सब कछू करा जेका दूसर जगहन क लोग तोहसे माँगत हीं। तब उ सबइ लोग भी इस्राएली लोगन क तरह ही तोहसे डेरइहीं अउर तोहार सम्मान करिहीं। तब सबहिं जगहन क लोगन इ जानिहीं कि मइँ इ मन्दिर क तोहका सम्मान देइ बरे बनाएउँ ह।
44 “कबहुँ-कबहुँ तू अपने लोगन क अपने दुस्मनन क खिलाफ जाइ अउर ओनसे जुद्ध करइ क आदेस देब्या। तब तोहार लोग तोहार चुने भए इ नगर अउर मोर बनाए भए मन्दिर की ओर अभिमुख होइहीं। जेका मइँ तोहरे सम्मान मँ बनाएउँ ह अउर उ पचे तोहार पराथना करिहीं। 45 उ समइ तू अपने निवास स्थान सरग स ओनकर पराथना क सुना अउर ओनकर मदद करा।
46 “तोहार लोग तोहरे खिलाफ पाप करिहीं। मइँ एका एह बरे जानत हउँ काहेकि हर एक मनई पाप करत ह अउर तू अपने लोगन पइ कोहाब्या। तू ओनके दुस्मनन क ओनका हरावइ देब्या। ओनकर दुस्मन ओनका बंदी बनइहीं। अउर ओनका कउनो बहोत दूर क देस मँ लइ जइहीं। 47 उ दूर क देस मँ तोहार लोग समुझिहीं कि का होइ गवा ह। उ पचे अपने पापन बरे पछतावा करिहीं अउर तोहसे पराथना करिहीं। उ पचे आप क समन्वा पराथना करिहीं अउर कहिहीं, ‘हम पाप अउ अपराध किहा ह।’ 48 उ पचे उ दूर क देस मँ रहिहीं। किन्तु जदि उ पचे इ देस जेका तू ओनके पुरखन क दिहा अउर तोहार चुने नगर अउर इ मन्दिर जेका मइँ तोहरे सम्मान मँ बनाएउँ ह। अउर अगर उ तोहरे पास पूरा हिरदय स लउटत ह, 49 तउ तू मेहरबानी कइके ओकर पराथना अउर माँग क अपने निवास स्थान सरग स सुना अउर ओकरे उद्देस क सहारा द्या। 50 अपने लोगन क सबहिं पापन बरे छिमा कइ द्या अउर तू ओनका तोहार विरोध होइ बरे छिमा करा अउर कइके ओनके दुस्मनन क ओनके बरे दयालु बनावा। 51 याद राखा कि उ पचे तोहरे लोग अहइँ, याद राखा कि तू ओनका मिस्र स बाहेर लिआया। इ वइसा ही रहा जइसा तू बरत भट्ठी स ओनका धइके हींच लिहे ह्वा।
52 “यहोवा परमेस्सर, कृपा कइके मोर पराथना अउ अपने इस्राएली लोगन क पराथना सुना। ओनकर पराथना, जब कबहुँ उ पचे तोहार मदद करइ, सुना। 53 तू ओनका पृथ्वी क सारे मनइयन मँ स अपन खास लोग होइ बरे चुन्या ह। यहोवा तू ओका हमरे बरे करइ क प्रतिग्या किहा ह। तू हमरे पुरखन क मिस्र स बाहेर लिआवत समइ इ प्रतिग्या अपने सेवक मूसा क माध्यम स किहे रह्या।”
54 सुलैमान परमेस्सर स इ पराथना किहेस। उ वेदी क समन्वा अपने घुटनन क बल रहा। सुलैमान सरग कइँती भुजन उठाइके पराथना किहेस। तब सुलैमान पराथना पूरी किहेस अउर उ उठ खड़ा भवा। 55 तब उ ऊँच आवाज मँ इस्राएल क सबहिं लोगन क आसीर्वाद देइ बरे परमेस्सर स याचना किहस। सुलैमान कहेस:
56 “यहोवा क स्तुति करा। उ प्रतिग्या किहेस, कि उ अपने इस्राएल क लोगन क आराम देइ अउर उ हम क आराम दिहेस। यहोवा अपने सेवक मूसा क उपयोग किहस अउर इस्राएल क लोगन क बरे बहोत स नीक प्रतिग्या किहस अउर यहोवा ओन हर एक प्रतिग्यन क पूरा किहेस ह। 57 मइँ पराथना करत हउँ कि यहोवा, हमार परमेस्सर हम लोगन क संग उहइ तरह होइ जइसे उ हमरे पुरखन क संग रहा। मइँ पराथना करत हउँ कि यहोवा हम क कबहुँ न तजी। 58 मइँ पराथना करत हउँ कि हम ओकरी कइँती अभिमुख होब अउर ओकर अनुसरण करब। तब हम लोग ओकरे सबहिं नेमन, निर्णयन अउ आदेसन क पालन करब जेनका उ हमरे पुरखन क दिहस। 59 मइँ आसा करत हउँ कि यहोवा हमार परमेस्सर सदा ही इ पराथना क अउर जउने चिजियन क मइँ याचना किहेउँ ह, याद राखी। मइँ पराथना करत हउँ कि यहोवा अपने सेवक राजा अउर अपने लोग इस्राएल क बरे इ सबइ सब कछू करी। मइँ पराथना करत हउँ कि उ हर रोज इ करी। 60 जदि यहोवा एन कामन क करी तउ संसार क सबहिं मनई इ जनिहीं कि मात्र यहोवा ही फुरइ परमेस्सर अहइ। 61 ऐ लोगो, तू पचन्क यहोवा हमरे परमेस्सर क वफ़दार अउर ओकरे बरे सच्चा होइ चाही। तू पचन्क ओकरे सबहिं नेमन अउ आदेसन क हमेसा अनुसरण अउ पालन करइ चाही। जइसा कि अबहुँ करत ह।”
62 तब राजा सुलैमान अउ ओकरे संग क इस्राएल क लोग यहोवा क बलि भेंट किहन। 63 सुमैलान बाईस हजार गोरुअन अउ एक लाख बीस हजार भेड़िन क मारेस। इ सबइ मेलबलि बरे रहिन। इहइ मारग रही जेहसे राजा अउ इस्राएल क लोग यहोवा क मन्दिर क समर्पण किहन।
64 उहइ दिन राजा सुलैमान मन्दिर क समन्वा क आँगन समर्पित किहस। उ पचे होमबलि, अन्नबलि अउ मेलबलि क चर्बी क भेंट चढ़ाएस। उ इ एह बरे किहस कि एन सारी भेंटन क धारण करइ बरे यहोवा क समन्वा क काँसा क वेदी बहोत जियादा नान्ह रही।
65 इ तरह मन्दिर मँ राजा सुलैमान अउ इस्राएल क सारे लोग छुट्टी क पर्व मनाएन। सारा इस्राएल, उत्तर मँ हमात दर्रे स लइके दक्खिन मँ मिस्र क सीमा तलक हुवाँ मोजूद रहा। हुवाँ असंख्य लोग मोजूद रहेन। उ पचे सात दिना तलक यहोवा क संग मिलिके उत्सव मनाएन। तब उ पचे अगले सात दिनन तलक हुवाँ ठहरेन। उ पचे सब मिलिके चौदह दिनन तलक उत्सव मनाएन। 66 अगले दिन सुलैमान लोगन स घरे जाइ क कहेस। सबहिं लोग राजा क धन्यवाद दिहन, बिदा लिहन अउर उ पचे घरे चले गएन। उ पचे खुस रहेन काहेकि यहोवा अपने सेवक दाऊद क बरे अउर इस्राएल क लोगन क बरे बहोत सारी नीक चिजियन किहे रहेन।
परमेस्सर सुलैमान क लगे फुन आवत ह
9 इ तरह सुलैमान यहोवा क मन्दिर अउर अपने महल क बनाउब पूरा किहस। सुलैमान ओन सबहिं क बनाएस जेनकर निर्माण उ करइ चाहत रहा। 2 तब यहोवा सुलैमान क समन्वा फुन वइसे ही परगट भवा जइसे उ एकरे पहिले गिबोन मँ भवा रहा। 3 यहोवा ओहसे कहेस:
“मइँ तोहार पराथना सुनेउँ। मइँ तोहरे निवेदन भी सुनेउँ, जउन तू मोहसे करवावइ चाहत रह्या। तू इ मन्दिर क बनाया अउर मइँ ऍका एक पवित्तर ठउर बनाएँउ ह। एह बरे हिआँ मोर सदा ही सम्मान होइ। मइँ एह पइ अपनी निगाह रखब अउर एकरे बारे मँ सदा ही सोचत रहब। 4 तोहका मोर सेवा वइसे ही करइ चाही जइसी तोहरे बाप दाऊद किहेस। उ एका मन क खराई अउ ईमानदारी स किहेस अउर तोहका मोरे नेमन अउर ओन आदेसन क पालन करइ चाही जेनका मइँ तोहका दिहेउँ ह। 5 जदि तू इ सब कछू करत रहब्या तउ मइँ इ निहचित लखब कि इस्राएल क राजा सदा ही तोहरे परिवार मँ स ही कउनो होइ। इहइ प्रतिग्या अहइ जेका मइँ तोहरे बाप दाऊद स कहे रहेउँ। मइँ ओहसे कहे रहेउँ कि इस्राएल पइ सदा ही ओकरे सन्तानन मँ स एक क सासन होइ।
6-7 “मुला जदि तू या तोहार सन्तानन मोर अनुसरण करब तजत हीं, मोर दिए गए नेमन अउ आदेसन क पालन नाहीं करत हीं अउर दूसर देवता क सेवा करत अहीं तउ मइँ इस्राएल क उ देस तजइ क मजबूर करब जेका मइँ ओनका दिहेउँ ह। इस्राएल दूसर लोगन क बरे उदाहरण होइ अउर इस्राएल दूसर लोगन क मजाक क बिसय होइ। मइँ मन्दिर क पवित्तर किहेउँ ह। इ उ जगह अहइँ जहाँ लोग मोर सम्मान करत हीं। किन्तु जदि तू मोर आग्या क पालन नाहीं करत्या तउ एका मइँ बर्बाद कइ देब। 8 इ मन्दिर बर्बाद कइ दीन्ह जाइ। हर एक मनई जउन एका लखी अचम्भ अउ हैरान होइ। उ पचे पूछिहीं, ‘यहोवा इ देस क बरे अउर इ मन्दिर क बरे ऍतना भंयकर बात काहे किहेस?’ 9 दूसर लोग जवाब देइहीं, ‘इ एह बरे भवा कि उ पचे यहोवा अपने परमेस्सर क तजि दिहस। उ ओनके पुरखन क मिस्र स बाहेर लिआए रहा। मुला उ पचे दूसर देवतन क अनुसरण करइ क निहचइ किहेन। उ पचे ओन देवतन क सेवा अउ पूजा करब सरु किहन। इहइ कारण अहइ कि यहोवा ओनके बरे ऍतना खौफनाक कार्य किहस।’”
10 यहोवा क मन्दिर अउ अपना महल बनावइ मँ सुलैमान क बीस बरिस लगेन। 11 बीस बरिस क पाछे, राजा सुलैमान सोर क राजा हीराम क गलील मँ बीस नगर दिहस। सुलैमान राजा हीराम क उ सबइ नगर दिहस काहेकि हीराम मन्दिर अउ महल बनावइ मँ सुलैमान क मदद किहेस। हीराम सुलैमान क ओतने सारे देवदारु अउर चीर बृच्छ तथा सोना दिहस जेतना उ चाहेस। 12 एह बरे हीराम सोर स एन नगरन क लखइ बरे जात्रा किहस, जेनका सुलैमान ओका दिहस। जब हीराम ओन नगरन क लखेस तउ उ खुस नाहीं भवा। 13 राजा हीराम कहेस, “जउन नगरन तू मोका दिहा ह उ सबइ का अहइँ?” राजा हीराम उ पहँटा क नाउँ काबूल प्रदेस धरेस अउर उ छेत्र आजु भी काबूल कहा जात ह। 14 हीराम सुलैमान क लगे लगभग नौ हजार पौंड सोना मन्दिर क बनावइ मँ उपयोग करइ बरे पठए रहा।
15 राजा सुलैमान दासन क अपने मन्दिर अउ महल बनावइ क बरे काम करइ क नाते मजबूर किहस। तब राजा सुलैमान एन दासन क उपयोग बहोत स चिजियन क बनावइ मँ किहस। उ मिल्लो बनाएस। उ यरूसलेम नगर क चारिहुँ कइँती देवार भी बनाएस। तब उ हासोर, मगिद्दो अउर गेजेर नगरन क फुन बनाएस।
16 बीते समइ मँ मिस्र क राजा गेजेर नगर क बिरूद्ध लड़ा रहा अउर ओका जराइ दीन्ह ग रहा। उ ओन कनानी लोगन क मार डाएस जउन हुवाँ रहत रहेन। सुलैमान फिरौन क बिटिया स बियाह किहेस। एह बरे फिरौन उ नगर क सुलैमान क बरे बियाह क भेंट क रुप मँ दिहस। 17 सुलैमान उ नगर क फुन बनाएस। सुलैमान खाले बथोरेन नगर क भी बनाएस। 18 राजा सुलैमान जुदैन रेगिस्तान मँ बालात अउ तामार नगरन क भी बनाएस। 19 राजा सुलैमान उ सबइ नगर भी बनाएस जहाँ उ अन्न अउर दूसर चिजियन क भण्डार करत रहत रहेन। उ अपने रथन अउ घोड़न क बरे जगह बनाएस। सुलैमान दूसर बहोत स चिजियन बनाएस जेनका उ यरूसलेम, लबानोन अउ अपने सासित दूसर सबहिं जगहन मँ चाहत रहा।
20 देस मँ अइसे लोग भी रहेन जउन इस्राएली नाहीं रहेन। उ सबइ लोग एमोरी, हित्ती, परिज्जी, हिब्बी अउर यबूसी रहेन। 21 किन्तु इस्राएली ओन लोगन क बर्बाद नाहीं कइ सके रहेन। किन्तु सुलैमान ओनका दास क रुप मँ अपने बरे काम करइ क मजबूर किहस। उ पचे अबहिं तलक दास अहइँ। 22 सुलैमान कउनो इस्राएली क अपना दास होइ बरे मजबूर नाहीं किहस। इस्राएल क लोग फउजी, राज्ज कर्मचारी, अधिकारी, नायक अउर रथचालक रहेन। 23 सुलैमान क परिजोजनन क साढ़े पाँच सौ पर्यवेच्छक रहेन। उ पचे मजदूरन क अधिकारी रहेन।
24 फिरौन क बिटिया दाऊद क नगर स हुवाँ गइ जहाँ सुलैमान ओकेर बरे बिसाल महल बनाएस। तब सुलैमान मिल्लों बनाएस।
25 हर बरिस तीन दाईं सुलैमान होमबलि अउ मेलबलि वेदी पइ चढ़ावत रहा। इ उहइ वेदी रही जेका सुलैमान यहोवा बरे बनाए रहा। राजा सुलैमान यहोवा क समन्वा सुगन्धि भी बारत रहा। एह बरे मन्दिर क बरे जरूरी चिजियन दिया करत रहा।
26 राजा सुलैमान एस्योन गेबेर मँ जहाज भी बनाएस। इ नगर एदोम पहँटा मँ लाल सागर क किनारे एलोत क लगे रहा। 27 राजा हीराम क लगे नाविक रहेन जउन समुदद्र क बारे मँ बढ़िया गियान रखत रहेन। राजा हीराम ओन मनइयन क सुलैमान क नाविक बेड़ा मँ सुलैमान क मनइयन क संग सेवा करइ बरे पठएस। 28 सुलैमान क जहाज ओपोर क गएन। उ सबइ जहाज एकतीस हजार पाँच सौ पौण्ड सोना आपोर स सुलैमान क बरे लइके लउटेन।
सच्चा दान
(मत्ती 12:41-44)
21 ईसू आपन अँखिया उठाइके देखेस कि धनी लोग दान पात्र मँ आपन आपन भेंट चढ़ावत अहइँ। 2 तबहीं उ एक गरीब विधवा क ओहमाँ, ताँबे क दुइ नान्ह सिक्का नावत भइ लखेस। 3 उ कहेस, “मइँ तोहसे सच कहत हूँ कि दूसर सबहीं मनइयन स इ विधवा जिआदा दान दिहेस ह। 4 इ मइँ इ बरे कहत हउँ काहेकि इ सबहीं मनइयन आपन उ धने मँ स जेकर ओनका जरूरत नाहीं रही, दान दिहे रहेन मुला इ विधवा गरीब होत भइ जिन्ना रहइ बरे जउन कछू ओकर लगे रहा, सब कछू दइ डाएस।”
मन्दिर क बिनास
(मत्ती 24:1-14; मरकुस 13:1-13)
5 कछू चेलन मन्दिर क बारे मँ बतियात रहेन कि उ मंदिर सुन्नर पथरन अउर परमेस्सर की दीन्ह गइ मनौती क भेंट स कइसे सजाना ग बा!
6 तबहिं ईसू कहेस, “अइसा समइ आइ जब, इ जउन कछू तू देखत अहा, ओहमाँ एक पाथर दूसर पाथर टिक न रह पाइ। उ सबइ ढहाइ दीन्ह जइहीं!”
7 उ पचे ओसे पूछत भए बोलेन, “गुरु, इ बातन कब होइहीं? अउर इ बातन जउन होइवाली अहइँ, ओकर कउन चीन्हा होइहीं?”
8 ईसू कहेस, “होसियार रहा, कहूँ कउनो तोहका छल न लेइ। काहेकि मोरे नाउँ स बहोत मनइयन अइहीं अउर कइहीं, ‘मइँ मसीह अहउँ’ अउर ‘समइ आइ पहुँचा अहइ।’ ओनके पाछे जिन जा। 9 परन्तु जब तू जुद्ध अउर दंगा क बात सुना तउ जिन डेराअ काहेकि इ बातन तउ पहिले घटि जइहीं। अउर ओनकइ अंत फउरन न होइ।”
10 उ ओनसे फिन कहेस, “एक जाति दूसर जाति क खिलाफ खड़ी होइ अउर एक राज्य दूसर राज्य क खिलाफ। 11 बड़ा बड़ा भुइँडोल अइहीं अउर अनेक जगहन प अकाल पड़िहीं अउर महामारी आइ। अकासे मँ खौफनाक घटना घटिहीं अउर भारी चीन्हा परगट होइहीं।
12 “मुला इ सबन घटना स पहिले तोहका बंदी बनइ डइहीं अउर तोहका दारुण दुःख देइहीं। उ सबइ तोह प जुर्म लगावइ बरे तोहका आराधनालय क सौंपिहीं अउर फिन तोहका जेल पठइ दीन्ह जाइ। अउर फिन मोरे नाउँ क कारण उ पचे तोहका राजा लोग अउर राज्यपाल क समन्वा लइ जइहीं। 13 ऍसे तोहका मोरे बारे मँ साच्छी देइ क अउसर मिली। 14 एह बरे पहिले स ही ऍकर फिकिर न करइ क निहचइ कइ ल्या कि आपन बचाव कइसे करब्या। 15 काहेकि अइसी बुद्धि अउर सब्द तोहका मइँ देब कि तोहार कउनो भी बैरी तोहार सामना अउर तोहार खण्डन नाहीं कइ सकी। 16 मुला तोहार महतारी बाप, भाई, बन्धु, नातेदार अउर मीत भी तोहका धोखा स पकड़वइहीं अउर तोहमाँ स कछू क तउ मरवाइ ही डइहीं। 17 मोरे कारण सब तोसे बैर रखिहीं। 18 मुला तोहरे मूँड़े क एक बार बाँका नाहीं होइ। 19 तोहार सहइ क सक्ती, तोहरे प्रान क रच्छा करी।
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.