Old/New Testament
11 “मादी राजा दारा क सासनकाल के पहिले बरिस मीकाएल क फारस क जुवराज क विरुद्ध जुद्ध मँ सहारा देइ अउर ओका ससक्त बनावइ क मइँ उठ खड़ा भवा।
2 “अब लखा, दानिय्येल मइँ, तोहसे सच्ची बात बतावत हउँ। फारस मँ तीन राजा लोगन क सासन अउर होइ। इ एकरे पाछे एक चउथा राज्ज आइ। इ चउथा राज्ज अपने पहिले क फारस क दूसर राजा लोगन स कहूँ जियादा धनवान होइ। उ चउथा राजा सक्ति पावइ बरे आपन धन क प्रयोग करी। उ हर कउनो क युनान क विरोध मँ कइ देइ। 3 एकर पाछे एक बहोत जियादा सक्तिसाली राजा आइ, उ बड़की सक्ति क संग सासन करी। उ जउन चाही उहइ करी। 4 राजा क अवाई क पाछे ओकर राज्ज क टूका-टूका होइ जइहीं। ओकर राज्ज चारिहुँ कइँती तितर बितर होइ जाइ। ओकर राज्ज ओकर पूत पोतन क बीच नाहीं बँटी। जउन सक्ति ओहमा रही, उहइ सक्ति ओकरे राज्ज मँ नाहीं होइ। अइसा काहे होइ? अइसा एह बरे होइ कि ओकर राज्ज उखाड़ दीन्ह जाइ अउर ओका दूसर लोगन क दइ दीन्ह जाइ।
5 “दक्खिन क राजा सक्तिसाली होइ जाइ। किन्तु एकरे पाछे ओकर एक सेनापति ओह स भी जियादा सक्तिसाली होइ जाइ। उ सेना नायक हुकूमत करइ लागी अउर बहोत बलसाली जोइ जाइ।
6 “फुन कछू बरिसन बाद एक समझोता होइ अउर दक्खिनी राजा क बिटिया उत्तरी राजा स बियाही जाइ। उ सान्ति कायम करइ बरे अइसा करी। किन्तु उ अउर दक्खिनी राजा पर्याप्त सक्तिसाली नाहीं होइहीं। फुन लोग ओकरे अउर उ मनई क जउन ओका उ देस मँ लाए रहा, खिलाफ होइ जइहीं अउर उ सबइ लोग ओकरे बच्चे क अउर उ मेहरारू क हिमाइती मनई क भी खिलाफ होइ जइहीं।
7 “कन्तु उ मेहरारू क परिवार क एक मनई दक्खिनी राजा क ठउर क लेइ बरे आई। उ उत्तर क राजा क फउजन पइ हमला करी। उ राजा क सुदृढ़ किले मँ प्रवेस करी। उ जुद्ध करी अउर विजयी होइ। 8 उ ओनके देवतन क मूरतियन क लइ लेइ। उ ओनक धातु क बने मूरतियन अउर ओनकर चाँदी-सोने क बहुमूल्य वस्तुअन क हुवाँ स मिस्र लइ जाइ। फुन कछू बरिसन तलक उ उत्तर क राजा क तंग नाहीं करी। 9 उत्तर क राजा दक्खिन क राज्ज पइ हमला करी। किन्तु पराजित होइ अउर फुन अपने देस क लउटि जाइ।
10 “उत्तर क राजा क पूतन जुद्ध क तइयारी करिहीं। उ पचे एक बिसाल फउज जुटइहीं। उ सेना एक सक्तिसाली बाड़ क तरह बड़ी तेजी स धरती पइ अगवा बड़त चली जाइ। उ सेना दक्खिन क राजा क सुदृढ़ दुर्ग तलक सारे रास्ते जुध्द करत जाइ। 11 फिन दक्खिन क राजा किरोध स तिलमिलाइ उठी। उत्तर क राजा स जुद्ध करइ बरे उ बाहेर निकरि आइ। उत्तर क राजा जदपि एक बहोत बड़ी सेना जुटाइ किन्तु जुद्ध मँ हार जाइ। 12 “उत्तर क सेना पराजित होइ जाइ, अउर ओन फउजियन क कहूँ लइ जावा जाइ। दक्खिनी राजा क बहोत अभिमान होइ जाइ अउर उ उत्तरी सेना क हजारन-हजार फउजियन क मउत क घाट उतारि देइ। किन्तु उ जुद्ध करइ बरे लगातार नाहीं रहिहीं। 13 उत्तर क राजा एक अउर सेना जुटाइ। इ सेना पहिली सेना स जियादा बड़ी होइ। कई बरिसन पाछे उ हमला करी। उ सेना बहोत बिसाल होइ अउर ओकरे लगे बहोत स हयियार होइहीं।
14 “ओन दिनन बहोत स लोग दविखन क राजा क विरोध मँ होइ जाइहीं। कछू तोहार आपन लोग, जेनका जुद्ध प्रिय अहइ, दक्खिन क राजा क खिलाफ बगावत करिहीं। उ पचे जितिहीं तउ नाहीं किन्तु अइसा करत भए उ दर्सन क फुरइ सिध्द करिहीं। 15 फुन ओकरे बाद उत्तर क राजा आई अउर उ नगर क परकोटे पइ ढलवाँ चउतरा बनाइके उ सुदृढ़ नगर पइ कब्जा करी। दक्खिन क राजा क सेना जुद्ध क उत्तर नाहीं दइ पाई। हिआँ तलक कि दक्खिनी सेना क सर्वोत्तम सैनिक भी एतने सक्तिसाली नाहीं होइहीं कि उ पचे उत्तर क सेना क रोक पावइँ।
16 “उत्तर क राजा जइसा चाही, वइसा करी। ओका कउनो भी रोक नाहीं पाई। उ इ सुन्नर धरती पइ नियन्त्रन कइके सक्ति पाइ लेइ। ओका इ प्रदेस नस्ट करइ क सक्ति पाइ लेइ। 17 फुन उत्तर क राजा दविखन क राजा स जुद्ध करइ बरे आपन सारी सक्ति का उपयोग करइ क निहचइ करी। उ दक्खिन क राजा संग एक सन्धि करी। उत्तर क राजा दक्खिन राजा स आपन एक बिटिया क बियाह कइ देइ। उत्तर क राजा अइसा एह बरे करी कि उ दक्खिन क राजा क हराई सकइ। किन्तु ओकर उ सबइ योजना फली भूत नाहीं होइहीं। एन सबइ योजना स ओका कउनो मदद नाहीं मिली।
18 “एकरे आगे उत्तर क राजा भूमध्य-सागर क तट स लगत भए देसन पइ आपन धियान लगाई। उ ओन देसा मँ स बहोत स देसन क जीत लेइ। किन्तु फुन एक सेनापति उत्तर क राजा क उ अहंकार अउर उ बगावत क अंत कइ देइ। उ सेनापति उ उत्तर क राजा क लज्जित करी।
19 “अइसा घटइ क पाछे उत्तर क उ राजा खुद आपन देस क सुदृढ़ किलन कइँती लउटि जाइ। किन्तु उ दुर्बल होइ चुका होइ अउर ओकर पतन होइ जाइ। फुन ओकर पता भी नाहीं चली।
20 “उत्तर क उ राजा क पाछे एक नवा सासक आइ। उ सासक कउनो कर वसूलइ वालन क पठइ। उ सासक अइसा एह बरे करी कि उ सम्पन्नता क संग जिन्नगी बितावइ बरे पर्याप्त धन जुटाइ सकइ। किन्तु थोड़े ही बरिसा मँ उ सासक क अंत होइ जाइ। किन्तु उ जुद्ध मँ नाहीं मारा जाइ।
21 “उ सासक क पाछे एक बहोत क्रूर एवं घृणा जोग्ग मनई आइ। उ मनई क राज परिवार क बंसज होइ क गौरव प्राप्त नाहीं होइ। उ चालाकी स राजा बनी। जब लोग अपने क सुरच्छित समुझे हुए होइहीं, उ तबहिं राज्ज पइ आक्रमण करी अउर ओह पइ कब्जा कइ लेइ। 22 उ बिसाल सक्तिसाली फउजन क हराई देइ। उ समुझौते क मुखिया क संग सन्धि करइ पइ भी ओका पराजित करइ। 23 बहोत स रास्ट्र उ क्रूर एवं घिना जोग्ग राजा क संग सन्धि करिहीं किन्तु उ ओनसे मिथ्या स भरी चालाकी बरती। उ मज़बूत होइ जाई किन्तु बहोत थोड़े स लोग ही ओकर पच्छ मँ होइहीं।
24 “जब उ प्रदेस क सर्वाधिक धनी छेत्र आपन क सुरच्छित अनुभव करत रहे होइहीं; उ क्रूर एवं घिना स भरे सासक ओन पइ हमला कइ देइ। उ ठीक समइ पइ हमला करी अउर हुवाँ सफलता प्राप्त करी जहाँ ओकरे पुरखन क सफलता नाहीं मिली रही। उ जउन देसन क पराजित करी ओनकर सम्पत्ति छोरिके आपन पिछलगुअन क देइ। उ सुदृढ़ नगरन क पराजित करइ क सबइ योजना रची। उ कामयाबी तउ पाई किन्तु बहोत थोड़े स समइ बरे।
25 “उ क्रूर एवं घिना जोग्ग राजा क लगे एक बिसाल फउज होइ। उ उ फउज क उपयोग आपन सक्ति अउर आपन साहस क प्रदर्सन बरे करी अउर एहसे उ दक्खिन क राजा पइ हमला करी। तउ दविखन क राजा भी एक बहोत बड़की अउर सक्तिसाली फउज जुटाइ अउर जुद्ध बरे वूच करी। 26 किन्तु उ सबइ लोग जउन दक्खिन क राजा क मीत समुझा जात रहेन छुपे-छुपे सबइ योजना रचिहीं अउर ओका पराजित करइ क जतन करिहीं। ओकर फउज पराजित कइ दीन्ह जाइ। जुद्ध मँ ओकर बहोत स फउजी मारा जइहीं। 27 ओन दुइनउँ राजा लोगन क मन इहइ बात मँ लगी कि एक दूसर क नोस्कान पहोंचावा जाइ। उ पचे एक ही मेज पइ बइठिके एक दूसर स झूठ बोलिहीं किन्तु ओहसे ओन दुइनउँ मँ स कउनो क भला नाहीं होइ, काहेकि परमेस्सर ओनकर अंत आवइ क समइ निर्धारित कइ दिहेस ह।
28 “बहोत स धन दौलत क संग, उ उत्तर क राजा अपने देस लउटि जाइ। फिन उ पवित्तर वाचा क बरे उ बुरे करम करइ क निर्णय लेइ। उ आपन जोग्गता क अनुसार काम करी अउ फुन आपन देस लउटि जाइ।
29 “फुन उत्तर क राजा ठीक समइ पइ दक्खिन क राजा पर हमला कइ देइ। किन्तु इ बार उ पहिले क तरह कामयाब नाहीं होइ। 30 पच्छिम क जहाज अइहीं अउर उत्तर क राजा क विरुद्ध जुद्ध करिहीं। उ ओन जहाजन क आवत लखिने डर जाइ। फुन वापस लउटिके पवित्तर वाचा पइ आपन किरोध उतारी। उ लउटिके, जउन लोग पवित्तर वाचा पइ चलब छोड़ दिहे रहा, ओनकर मदद करी। 31 फुन उत्तर क राजा यरूसलेम क मन्दिर क असुद्ध करइ बरे आपन फउज पठइ। उ सबइ लोगन क दैनिक बलि समर्पित करइ स रोकिहीं। एकरे पाछे उ सबइ हुवाँ कछू अइसा भयानक घिनौनी वस्तु स्थापित करिहीं जउन फुरइ विनास करइवाला होइ। उ पचे अइसा खौफनाक काम करिहीं जउन विनास क जनम देत ह।
32 “उ उत्तरी राजा लबार अउ चिकनी चपड़ी बातन स ओन यहूदियन क छली जउन पवित्तर वाचा क पालन करब तजि चुका अहइँ। उ पचे यहूदी अउर बुरे पाप करइ लगिहीं किन्तु उ सबइ यहूदी, जउन परमेस्सर क जानत हीं, अउर ओकर अनुसरण करत हीं, अउर जियादा सुदृढ़ होइ जइहीं। उ सबइ पलटिके जुद्ध करिहीं।
33 “उ सबइ यहूदी जउन विवेकपूर्ण अहइँ जउन कछू घट रहा होइ, दूसर यहूदियन क ओका समुझइ मँ मदद देइहीं। किन्तु जउन विवेकपूर्ण होइहीं ओनका तउ मृत्यु दण्ड तलक झेलइ होइ। कछू समइ तलक ओनमाँ स कछू यहूदियन क तरवार क घाट उतारा जाइ अउर कछू आगी मँ झोकं दीन्ह जाइ। अथवा बन्दी गृहन मँ डाइ दीन्ह जाइ। ओनमाँ स कछू यहूदियन क घर बार अउर धन दौलत छोर लीन्ह जइहीं। 34 जब उ पचे यहूदी दण्ड भोग रहे होइहीं तउ ओन विवेकपुर्ण यहूदियन साथ देइहीं, बहोत स केवल देखावा क होइहों। 35 कछू विवेकपूर्ण यहूदी मार दीन्ह जइहीं। अइसा एह बरे होइ कि उ पचे अउर जियादा सुदृढ़ बनइँ, स्वच्छ बनइँ अउ अंत समइ क आवइ तलक निर्दोस रहइँ। फुन ठीक समइ पइ अंत होइ क समइ आइ जाइ।
आत्म प्रसंसक राजा
36 “उत्तर क राजा जउन चाही, सो करी। उ आपन बारे मँ डींग हाँकी। उ आत्म प्रसंसा करी अउ सोची कि उ कउनो देवता स भी अच्छा अहइ। उ अइसी बातन करी जउन कउनो कबहुँ सुनी तलक न होइहीं। उ देवतन क परमेस्सर क विरोध मँ अइसी बातन करी। उ उ समइ तलक कामयाब होत चला जाइ जब तलक उ पचे सबहिं बुरी बातन घट नाहीं जातिन। किन्तु परमेस्सर जउन योजना रची ह, उ तउ पूरी होइ ही।
37 “उत्तर क उ राजा ओन देवतन क उपेच्छा करी जेनका ओकर पुरखन पूजा करत रहेन। ओन देवतन क मूरतियन क उ परवाह नाहीं करी जेनकर पूजा मेहररूअन करत हीं। उ कउनो भी देवता क परवाह नाहीं करी बल्कि उ खुद आपन तारीफ करत रही अउर अपने आप क कउनो भी देवता स बड़का मानी। 38 अपने पुरखन क देवता क अपेच्छा किले क देवता क पूजा करी उ सोना, चाँदी, बहुमूल्य हीरे जवाहरात अउर दूसर उपहारन स एक अइसे देवता क पूजा करी जेका ओकर पुरखन जानत तलक नाहीं रहेन।
39 “इ विदिसी देवता क मदद स उ उत्तर क राजा सुदृढ़ गढ़ियन पइ हमला करी। उ ओन लोगन क सम्मान देइ जेनका उ बहोतइ पसन्द करी। उ बहोत स लोगन क ओनके अधीन कइ देइ। अउर उ ओनका भुइँया बाँट देइहीं जउन ओका एकर बरे पैसा भुगतान करिहीं बरे ओनसे भुगतान लिया करी।
40 “अंत आवइ क समइ उत्तर क राजा, उ दक्खिन क राजा क संग जुद्ध करी। उत्तर क राजा ओह पइ हमला करी। उ रथन, घुड़सवारन अउर बहोत स बिसाल जलयानन क लइके ओह पइ चड़ाई करी। उत्तर क राजा बाड़ क नाईं वेग स उ धरती पइ चढ़ आई। 41 उत्तर क राजा ‘सुन्नर धरती’ पइ हमला करी। उत्तरी राजा क जरिये बहोत स देस पराजित होइहीं किन्तु एदोम, मोआब अउ अम्मोनियन क मुखिया लोगन क ओहसे बचा लीन्ह जाइहीं। 42 उत्तर क राजा बहोत स देसन मँ आपन सक्ति देखाइ। मिस्र क भी ओकर सक्ति क पता चल जाइ। 43 उ मिस्र क सोने चाँदी क खजानन अउ ओकर समूची सम्पत्ति क छोरि लेइ। लूबी अउर कूसी लोग भी ओकरे अधीन होइ जइहीं। 44 किन्तु उत्तर क उ राजा क पूरब अउ उत्तर स एक समाचार मिली जेहसे उ भयभीत होइ उठी अउर ओका किरोध आइ। उ बहोत स देसन क तबाह कइ देइ क बरे उठी। 45 उ आपन राजकीय तम्बू समुद्रर अउ सुन्नर पवित्तर पर्वत क बीच लगवइ। किन्तु आखिरकार उ बुरा राजा मरि जाइ। जब ओकर अंत आइ तउ ओका सहारा देइवाला हुवाँ कउनो नाहीं होइ।”
12 दर्सनवाला मनई कहेस, “हे दानिय्येल, तउ उ समइ मीकाएल नाउँ क सरगदूत तोहार लोगन क रच्छा करइ बरे उठ खड़ा होइ। फुन एक बिपत्तिपूर्ण समइ आइ। उ समइ सबन त भयानक होइ, जेतना भयानक उ धरती पइ, जब स कउनो जाति अस्तित्व मँ आई बाटइ, कबहुँ नाहीं आइ होइ। किन्तु हे दानिय्येल, उ समइ तोहरे लोगन मँ स हर उ मनई जेकर नाउँ, पुस्तक मँ लिखा मिली, बच जाइ। 2 धरती क उ सबइ अनगिनत लोग जउन मरि चुका अहइँ अउर जेनका दफनावा जाइ चुका अहइ, उठ खड़ा होइहीं अउर ओनमाँ स कछू अनन्त जीवन जिअइ बरे उठि जइहीं। किन्तु कछू एह बरे जागिहीं कि ओनका कबहुँ नाहीं समाप्त होइवाली लज्जा अउर घिना प्राप्त होइ। 3 अकासे क भव्यता क नाई बुध्दिमान पुरुस चमक उठिहीं। अइसे बुध्दिमान पुरुस जउन दूसरन क अच्छी जिन्नगी क राह देखाए रहेन, अनन्त काल बरे तारन क समान चमकइ लगिहीं।
4 “किन्तु हे दानिय्येल! इ सन्देस क तू छिपाइके रख द्या। तोहका इ पुस्तक बन्द कइ देइ चाही। तोहका अंत समइ तलक इ रहस्स क छुपाइके रखब अहइ। सच्चा गियान पावइ बरे बहोत स लोग एहर-ओहर दउड़ करिहीं अउर इ तरह सच्चे गियान क विकास होइ।”
5 फुन मइँ, दानिय्येल निगाह उठाएउँ अउर दुइ अलग-अलग मनइयन क लखेउँ। ओनमाँ स एक मनई नदी क हरेक किनारे खड़ा भवा रहा। 6 उ मनई जउन सन क ओढ़ना पहिर रखे रहा, नदी मँ पानी क बहाव क विरुद्ध खड़ा रहा। ओन दुइनउँ मँ स कउनो एक ओहसे पूछेस, “एन अचरजे स पूर्ण बातन क खतम होइ मँ अबहुँ केतना समइ लागी?”
7 उ मनई जउन सन क ओढ़ना धारण किहे भवा रहा अउर जउन नदी क जल क बहाव क विरुद्ध खड़ा भवा रहा, उ आपन दाहिन अउ बायाँ-दुइनउँ हाथ अकासे कइँती उठाएस। मइँ उ मनई क अमर परमेस्सर क नाउँ क प्रयोग कइके एक किरिया बोलत भए सुना। उ कहेस, “इ साढ़े तीन बरिस तलक घटी। पवित्तर जन क सक्ति टूट जाइ अउर पुन इ सबइ बातन अंतिम रूप स खतम होइ जइहीं।”
8 मइँ इ उत्तर सुनेउँ तउ रहा किन्तु वास्तव मँ मइँ ओका समुझेउ नाहीं। तउ मइँ पूछेउँ, “हे महोदय, एन सबहिं बातन क फुरइ निकरइ क पाछे का होइ?”
9 उ उत्तर दिहस, “दानिय्येल, तू आपन जिन्नगी जिअइ जा। इ सँदेसा गुप्त अहइ अउर जब तलक अंत समइ नाहीं आइ, इ गुप्त ही बना रही। 10 बहोत स लोगन क सुद्ध कीन्ह जाइ। उ लोग खुद अपने आप क स्वच्छ करिहीं किन्तु दुस्ठ लोग, दुस्ठ ही बना रहिहीं उ सबइ दुस्मन लोग एका नाहीं समुझिहीं। किन्तु बुद्धिमान लोग एका समुझिहीं।
11 “उ दिना स लइके बलि रोक दीन्ह जाब्या एक हजार दुइ सौ नब्बे दिन होइ जाब्या जब तलक खउफनाक चीज़ जउन तबाह करत अहइ स्थापित कीन्ह जाब्या। 12 उ मनई जउन प्रतीच्छा करत भए एन एक हजार तीन सौ पैंतीस दिनन क समइ क अंत तलक पहोंची, उ बहोत अधिक भाग्गसाली होइ।
13 “हे दानिय्येल! जहाँ तलक तोहार बात अहइ, जा अउर अंत समइ तलक आपन जिन्नगी जिआ। तोहका तोहार बिस्राम प्राप्त होइ अउर अंत मँ तू आपन हींसा पावइ बरे मौत स फुन उठ खड़ा होब्या।”
1 ईसू मसीह क नउकर अउर याकूब क भाई यहूदा कइँती स,
तोहरे ओन बोलाए भएन क नाउँ, जे परमेस्सर क पिता मँ प्रिय अउर ईसू मसीह क बरे सुरच्छित अहइ!
2 तोहका दाया, सान्ति अउर पिरेम बहुतियात स मिलत रहइ।
पापी क दण्ड मिली
3 पिआरे दोस्तो! मइँ बहोत चाहत रहे कि तोहका उ उद्धार क बावत लिखउँ, जेकर हम सबे भागीदर अही। मइँ तोहका लिखइ क अउर प्रोत्साहित करइ क आवस्यकता क अनुभव किहेउँ जइसेन कि तू उ बिसवास बरे संघर्स करत रहा जेका परमेस्सर पवित्तर मनइयन क हमेसा हमेसा बरे दिहे अहइ। 4 काहेकि हमरे सबके बीचे मँ कछू मनई चोरी स आइ ग अहइँ। एनके अपराध क बावत सास्तर मँ पहिलेन स आगाह कइ दीन्ह गवा अहइ। इ सबइ परमेस्सर क विरोध मँ अहइँ. इ पचे परमेस्सर क अनुग्रह क लुच्चापन मँ बदल डावत हीं अहइ अउर हमार एक ही पर्भू अउर स्वामी ईसू मसीह मँ नाहीं बिसवास करतेन।
5 मइँ तोहका इ याद दियावा चाहत हउँ कि जउन पर्भू अपने लोगन क मिस्त्र क धरती स बचाइ क निकार लिहे रहा। अउर जउ उ बिसवास नाहीं करत रहेन, ओनका कउने तरह स नस्ट कइ दिहे रहा। 6 अउर याद राखा कि जउन सरगदूतन अपने पद क स्थिर नाहीं रख सकेन आपन अउर निज निवास क छोड़ दिहे रहेन, उ ओनका अनन्त बन्धनन मँ जकडिके उस भीषन दिन क निआव बरे अन्धकार मँ रखे बाटइ। 7 इही तरह स मइँ तोहका इहउ याद दिआवा चाहत अहउँ कि सदोम अउर अमोरा अउर ओनके लगे पास क नगरन ऍनही दूतन क तरह यौन अनाचार किहेन तथा अप्राकृतिक यौन सम्बन्ध क पाछे छावत रहेन। ओनका कबहूँ न बुझइवाली आगी मँ झोक देइ क दण्ड दीन्ह गवा। हम सबन क अइसे उदाहरण स सीख लेइ चाही।
8 ठीक इही तरह हमरे समहू मँ घुसइवाले इ सब मनई अपने सपना क पीछे दउड़त अपने सरीर क असुद्ध करत अहइँ। इ सबइ पर्भू क तुच्छ जानत हीं अउर महिमावान सरगदूतन क निन्दा करत हीं। 9 प्रमुख सरगदूत मीकाईल जउ सइतान क साथ विवाद करत भवा मूसा क ल्हास क बावत बहस करत रहा तउ उ ओकरे खिलाफ अपमानजनक आरोप लगावइ क हिम्मत नाहीं जुटाइ सका। उ सिरिफ एतना कहेस, “प्रर्भू तोहका डाटइ अउर फटकारइ।”
10 मुला इ लोग तउ ओन बातन क निन्दा करत हीं अउर इ पचे ओनका नाहीं समझतेन। अउर इ पचे अविवेकी जानवरन क नाई जउन जिन बातन स सहज रुप स परिचित अहइँ, इ बातन उहइ बाटिन ओनही क द्वारा नास होइ जात ह। 11 ओनके सबके बरे इ बहुत खराब अहइ, काहेकि उ पचे कैन क रास्ता चुनेन्ह। धन कमाय बरे उ पचे खुद क वइसेन गलती क हवाले कइ दिहेन जइसेन बिलाम किहे रहा। इ बरे ओनही क नास होई जइसेन कोरह क विद्रोह मँ भाग लेइवालेन मर-बिला ग रहेन।
12 इ पचे तोहरे प्रीतिभोजन मँ छिपी समुद्र तल की चट्टानन क तरह अहइँ जउन कि घातक अहइँ। इ पचे बिना डरे तोहरे साथे खात हीं, पिअत हीं मुला ओनका अपने स्वार्थ क फिकिर रहत ह। उ बिना पानी क बादर अही। उ पचे पतझड़ क अइसेन पेड़ अहिन जउने प फल नाहीं होत। उ दुइ दाई मरा अहइ। ओनका उखाड़ा जाइ चुका अहइ। 13 उ पचे समुद्दर क अइसी भयानक लहर अहइँ, जउन अपने लज्जाजनक करमन क झाग उगलत रहत हीं। उ सब इधर उधर भटकत अइसे तारा अहइँ जेनके बरे अनन्त घनघोर अंधेर सुनिस्चित कइ दीन्ह ग अहइ।
14 आदम स सातवी पीढ़ी क हनोक भी एनके बावत अइसेन सब्दन मँ भविस्सबाणी किहे रहा, “देखा, उ प्रर्भू अपने हजारन हजार पवित्तर सरगदूतन क साथ 15 प्रर्भू हर मनई क निआव करी। उ सब मनइयन क परखइ आवत अहइ अउर जउन ओकरे खिलाफ अहइँ ओन सबनक दण्ड देई। परमेस्सर एन सब मनइयन क सजा देइ जउन बरा करम किहे बाटेन। उ इ सबइ पापी लोगन क सजा देइ जउन परमेस्सर क खिलाफ रहेन। उ ओन बुरी बातन बरे सजा देई जउन परमेस्सर क खिलाफ किहे बाटेन।”
16 इ पचे चुगुलखोर अहीं अउर दोख ढूढइवाले अहीं। इ सबेन्ह अपनी इच्छा क गुलाम अही अउर अपने मुँहे स घमंडभरी बात बोलत हीं। अपने फायदे क बरे इ सबेन्ह दूसरे क चापलूसी करत हीं।
जतन करत रहइ बरे चेतावनी
17 मुला पिआरे दोस्तो, ओन सब्दन क याद करा जउन हमार प्रर्भू ईसू मसीह क प्रेरितन पहिलेन कहि चुका अहइँ। 18 उ पचे तोहसे कहत रहेन, “आखिरी समइ मँ अइसे मनई रइहीं जउन परमेस्सर स जुड़ी बातन क मजाक उडइहीं।” उ पचे गन्दी इच्छा क पाछे पाछे चलिहइँ। 19 इ पचे ओनही अहीं जउन फूट डावत ही। इ सबइ संसारिक अउर आतिमा रहित अहइँ।
20 मुला पिआरे दोस्तो, तू पचे एक दूसरे क बिसवास स आध्यात्मिक रुप स आपन क पवित्तर बिस्सास मँ मजबूत करत रहा। पवित्तर आतिमा क साथ पराथना करा। 21 अपने आप क परमेस्सर क पिरेम मँ बनाए रख्या अउर अनन्त जीवन बरे उत्सुकता स हमरे पर्भू ईसू मसीह की द्या क बाट जोहत रहा।
22 जे संदेह करत हय, ओनके ऊपर द्या करा। 23 दूसर मनइयन क आगे बढ़िके आग स निकार ल्या। अउर दूसर मनइयन क बचावा। मुला दया देखावत सावधान रह्या लेकिन ओनके कपरन तलक स नफरत कर्या जउने प ओनके सांसारिक तरह स जीवन यापन पइ पाप क धब्बा लगा अहइ।
परमेस्सर क स्तुति
24 उ (परमेस्सर) मजबूत अहइ अउर तू सबन क ठोकर खाइ स बचाइ सकत ह। अउर अपनी महिमा क उपस्थिती मँ तू पचन क निर्दोस अउर आनन्दित कइके खड़ा कइ सकत ह। 25 उ एकइ परमेस्सर बा। उ सिरिफ एक अहइ जउन उद्धार कइ सकत ह। हमरे पर्भू ईसू मसीह क द्वारा हमरे उद्धार करइवाले एकही परमेस्सर क महिमा, वैभव, पराक्रम अउर अधिकार हमेसा हमेसा स अब तलक भूतकाल मँ, अब अउर भविस्स मँ अउर जुग जुग तक बना रहइ। आमीन।
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.