Old/New Testament
एक मनई क जरिये आपन सबइ यातना पइ विचार
3 मइँ एक अइसा मनई हउँ जउन बहोतेरी यातना भोगी हउँ,
यहोवा क किरोध क तले मइँ बहोतेरी दण्ड यातना भोगी हउँ।
2 यहोवा मोका लइके चला
अउर उ मोका अँधियारा क भीतर लावा न कि प्रकासे मँ।
3 यहोवा आपन हाथ मोरे बिरोध मँ कइ दिहस।
अइसा उ बारम्बार सारे दिन किहस।
4 उ मोर आस, मोर चाम नस्ट कइ दिहस।
उ मोर हाड़न क तोड़ दिहस।
5 यहोवा मोरे विरोध मँ, कडुआहट अउ आपदा फइलाएस ह।
उ मोरे चारिहुँ कइँती कड़ुआहट अउ बिपत्ति फइलाइ दिहस।
6 उ मोका अधियारा मँ बइठाइ दिहे रहा।
उ मोका उ उ मनई सा बनाइ दिहे रहा जउन कउनो बहोत दिनन पहिले मरि चुका होइ।
7 यहोवा मोका भितरे बंद किहेस, एहसे मइँ बाहेर आइ न सकेउँ।
उ मोह पइ भारी जंजीरन घेर रहा।
8 हिआँ तलक कि जब मइँ चिल्लाइके दोहाइ देत हउँ,
यहोवा मोर विनती क नाहीं अनकत ह।
9 उ पथरे स मोरी राह क मुँद दिहस ह।
उ मोर राह क टेढ़ा कइ दिहेस ह।
10 यहोवा उ भालू सा भवा जउन मोह पइ आक्रमण करइ क तत्पर अहइ।
उ उ सिंहसा भवा ह जउन कउनो ओटे मँ छिपा भवा अहइ।
11 यहोवा मोका मोरी राहे स हटाइ दिहस।
उ मोर धज्जियन उड़ाइ दिहस।
उ मोका बर्बाद कइ दिहस ह।
12 उ आपन धनुस तैयार किहस।
उ मोका आपन बाणन क निसाना बनाइ दिहे रहा।
13 मोरे पेट मँ बाण मार दिहस।
मोह पइ आपन बाणन स प्रहार किहे रहा।
14 मइँ आपन लोगन क बीच हँसी क यात्र बन गएउँ।
उ पचे दिन भइ मोर गीत गाइ-गाइके मोर मजाक बनावत हीं।
15 यहोवा मोका करवाहट स भर दिहेस ह।
उ मोका जहर पिलवाएस ह।
16 उ मोर दाँत पाथरे क भुइँया मँ गडाइ दिहेस।
उ मोका माटी मँ मिलाइ दिहस।
17 मइँ अब अउर सान्ति योग्य नाहीं अहउँ।
अच्छी भली बातन क मइँ बिसरि गवा रहेउँ।
18 खुद अपने आप स मइँ कहइ लागे रहेउँ, “मोका तउ बस अब अउर आस नाहीं अहइ
कि यहोवा कबहुँ मोका सहारा देइ।”
19 मइँ आपन दुखिया पन क,
मोर घर नहीं अहइ
एका कड़वे जहर क,
20 अउर मोर सारी यातना क याद कइ क
मइँ बहोत ही दुःखी हउँ।
21 किन्तु उहइ समइ जब मइँ सोचत हउँ,
तउ मोका आसा होइ लागत ह।
मइँ अइसा सोचा करत हउँ।
22 यहोवा क पिरेम अउ करूणा क अंत कबहूँ नाहीं होत।
यहोवा क सबइ कृपा कबहुँ खतम नाहीं होत।
23 हर भिन्सारे उ सबइ नवा होइ जात हीं।
हे यहोवा, तोर सच्चाई महान अहइ।
24 मइँ आपन स कहा करत हउँ, “यहोवा मोरे हीसां मँ अहइ।
इहइ कारण स मइँ आसा रखब।”
25 यहोवा ओनके बरे उत्तिम अहइ जउन ओकर बाट जोहत हीं।
यहोवा ओनके बरे उत्तिम अहइ जउन ओकर खोज मँ रहा करत हीं।
26 इ उत्तिम अहइ कि कउनो मनई चुपचाप यहोवा क प्रतीच्छा करइ
कि उ ओकर रच्छा करी।
27 इ उत्तिम अहइ कि कउनो मनई यहोवा क जुए क धारण करइ,
उ समइ स ही जब उ युवक होइ।
28 मनई क चाही कि उ अकेल्ला चुप बइठे ही रहइ
जब यहोवा आपन जुए क ओह पइ धरत ह।
29 उ मनई क चाही कि यहोवा क समन्वा उ दण्डवत प्रणाम करइ।
होइ सकत ह कि कउनो आस बची होइ।
30 उ मनई क चाही कि उ आपन गाल कइ देइ, उ मनई क समन्वा जउन ओह पइ प्रहार करत होइ।
उ मनई क चाही कि उ अपमान झेलइ क तत्पर रहइ।
31 उ मनई क चाही उ याद राखइ
कि यहोवा कउनो क भी सदा-सदा बरे नाहीं बिसरावत।
32 यहोवा दण्ड दण्ड देत भए भी आपन कृपा बनाए राखत ह।
उ आपन पिरेम अउ दया क कारण आपन कृपा राखत ह।
33 यहोवा कबहुँ भी नाहीं चाहत कि लोगन क दण्ड देइ।
ओका नाहीं भावत कि लोगन क दुःखी करइ।
34 यहोवा क इ सबइ बातन नाहीं भावत हीं: ओका नाहीं भावत कि
कउनो मनई आपन गोड़न क तले धरती क सबहिं बंदियन क कुचरी डावइ।
35 ओका नाहीं भावत ह कि कउनो मनई कउनो मनई क छलइ।
कछु लोग ओकरे मुकदमे मँ परम प्रधान परमेस्सर क समन्वा ही अइसा किया करत हीं।
36 ओका नाहीं भावत कि कउनो मनई अदालत मँ कउनो स छल भरइ।
यहोवा क एनमाँ स कउनो भी बात नाहीं भावत ह।
37 जब तलक खुद यहोवा ही कउनो बात क होइ क आग्या नाहीं देत,
तब तलक अइसा कउनो भी मनई नाहीं अहइ कि कउनो बात कहइ अउर ओका पूरा करवाइ लेइ।
38 बुरी-भली बातन सबहिं
सर्वोच्च परमेस्सर क मुँहे स ही आवत हीं।
39 कउनो जिअत मनई सिकाइत कइ नाहीं सकत
जब यहोवा उहइ क पापन क दण्ड ओका देत ह।
40 आवा, हम आपन करमन क परखइँ अउर लखइँ,
फुन यहोवा क सरन मँ लौट आवइँ।
41 आवा, अपना पराथना करइ बरे
सरग क परमेस्सर क समन्वा हम आपना हाथ उठाइ।
42 आवा, हम ओहसे कही, “हम पाप कीन्ह ह अउर हम जिद्दी बना रही
अउर एह बरे तू छमा नाहीं किहा।
43 तू किरोध स अपने क ढाँप लिहा,
हमार पीछा तू करत रहा ह,
तू हम पचन्क बेरहमी स मार दिहा।
44 तू आपन क बदरे स ढाँप लिहा।
तू अइसा एह बरे किहे रहया कि कउनो भी विनती तोह तलक पहोंचे ही नाहीं।
45 तू हम पचन्क दूसर देसन क तुलना मँ
कुड़ा करकट क नाईं बना दिहेस।
46 हम पचन्क सबहिं दुस्मन
हम पचन स घमण्ड मँ बोलत ही।
47 हम डेरान भए अही,
हम गर्त मँ गिर गवा ही।
हम बुरी तरह नोस्कान पावा ह।
हम पचे टूटि चुका ही।”
48 मोर नैन स आसूँअन क नदी बही ही।
मइँ विलाप करत हउँ काहेकि मोर लोग तबाह होइ गवा ह।
49 मोर नैन बिना रुके बहत रहिहीं।
मइँ हमेसा विलाप करत रहब।
50 हे यहोवा, मइँ तब तलक विलाप करत रहब
जब तलक तू दृस्टि न करा अउ हमका लखा।
मइँ तब तलक विलाप हो करत रहब
जब तलक तू सरग स हम पइ दृस्टि न करा।
51 जब मइँ लखा करत हउँ जउन कछू मोर नगरी क जुवतियन क संग घटा
तब मोर नैन मोका दुखी करत हीं।
52 जउन लोग बियर्थ मँ ही मोर दुस्मन बना हीं,
उ पचे घूमत हीं मोरे सिकारे क फिराक मँ, माना मइँ कउनो चिड़िया हउँ।
53 जिअत जी उ पचे मोका गढ़ा मँ लोकाएन
अउर मोह पइ पाथर लुढ़काए रहेन।
54 मोरे मूँड़े पइ पानी गुजर गवा।
मइँ आपन आप मँ कहाँ, “मोर नास भवा।”
55 हे यहोवा, मइँ तोहार नाउँ गोहराएउँ।
उ गड़हा क तल स मइँ तोहार नाउँ गोहराएउँ।
56 तू मोर अवाज क सुन्या।
तू कान नाहीं मूँद लिहा।
तू बचावइ स अउर मोर रच्छा करइ स नकार्या नाहीं।
57 जब मइँ तोहार दोहाइ दिहेउँ, उहइ दिन तू मोरे लगे आइ गवा रह्या।
तू मोहसे कहे रह्या, “भयभीत जिन ह्वा।”
58 हे यहोवा, मोरे अभियोग मँ तू मोर पच्छ लिहा।
मोरे बरे तू मोर प्राण वापस लइ आया।
59 हे यहोवा, तु मोर विपत्तियन लख्या ह,
अब मोरे बरे तू मोर नियाव करा
60 तू खुद लख्या ह कि दुस्मनन मोरे संग केतन अनियाव किहन।
तू खुद लख्या ह ओन समूचइ सड्यंत्रन क जउन उ पचे मोहसे बदला लेइ क मोरे खिलाफ रचे रहेन।
61 हे यहोवा, तु सुन्या ह कि मोर अपमान कइसे करत हीं
तू सुन्या ह ओन सड्यंत्रन क जउन उ पचे मोरे खिलाफ रचाएन।
62 मोरे दुस्मनन क बचन अउ बिचार
सारे दिन ही मोरे खिलाफ रहेन।
63 लखा यहोवा, चाहे उ पचे बइठे होइँ, चाहे उ पचे खड़ा होइँ,
कइसे उ पचे हँसी उड़ावत हीं।
64 हे यहोवा, ओनके संग वइसा ही करा जइसा ओनके संग करइ चाही।
ओनके करमन क फल ओनका दइ द्या।
65 ओनकर मन हठीला कइ द्या।
फिन आपन अभिसाप ओन पइ डाइ द्या।
66 किरोध मँ भरिके तू ओनकर पाछा करा।
ओनका बर्बाद कइ द्या।
हे यहोवा, तू ओनका इ धरती स खतम कइ द्या।
यरूसलेम पइ हमले क आतंक
4 लखा, कउने तरह सोना चमक रहित होइ गवा।
लखा, सारा सोना कइसे खोट होइ गवा।
चारिहुँ कइँती हीरा-जवाहरात बिखड़ा पड़ा अहइँ।
हर गली क सिर पइ इ सबइ रतन पसरा अहइँ।
2 सिय्योन क लोग अइसे ही मुल्यवान रहेन,
जइसे ओनका वजन सोना क बराबर रहा।
किन्तु अब ओनके संग दुस्मन अइसे बर्ताव करत हीं
जइसे उ पचे कोमहार क बनाए माटी क पात्र होइँ।
3 हिआँ तलक कि सियार भी आपन बच्चन क थन देत ह,
उ आपन बच्चन क दूध पिअइ देत ह।
किन्तु मोर लोग निर्दय होइ ग अहइँ।
उ पचे अइसे होइ गएन जइसे मरुभूमि मँ निवासी-सुतुर्मुग।
4 पिआस क मारे
आबोध गदेलन क जीभ तालु स चिपकति अहइ।
इ सबइ नान्ह लरिकन रोटी क तरिसत हीं।
किन्तु कउनो भी ओनका कछू भी खाई क बरे देत नाहीं।
5 अइसे लोग जउन सुआदिस्ट भोजन खावा करत रहेन,
आजु भूख स गलियन मँ मरत अहइँ।
अइसे लोग जउन उत्तिम ओढ़ना पहिरत भए पले बढ़े रहेन,
अब कुड़न क ढेरन पइ बिनत फिरत अहइँ।
6 मोरे लोगन क पाप
सदोम अउ अमोरा क पापन स बड़ा रहा।
सदोम अउ अमोरा क एकाएक नस्ट कीन्ह गवा।
ओनके बिनासे मँ कउनो भी मानव क हाथ नाहीं रहा।
7 यहूदा क लोग
परमेस्सर क समर्पित रहेन,
उ पचे बरफ स उज्जर रहेन,
दूधे स धोवा रहेन।
ओनकर तन मूँगा स जियादा लात रहिन।
ओनकर डाढ़ी नीलम स करिया रहिन।
8 किन्तु ओनकर मुहँ अब धुआँ स करिआ होइ गवा अहइँ।
हिआँ तलक कि गलियन मँ ओनका कउनो भी नाहीं पहिचान सकत ह।
ओनकर ठठरी पइ अब झुर्रियन पड़ि गइ अहइँ।
ओनकर चाम अब लकड़ी जइसा होइ गवा अहइ।
9 अइसे लोग जेनका तरवारे क घाट उतावा गवा ओनसे जियादा भाग्गवान रहेन
जउन लोग भूख-मरी क मउत मरेन।
खइया क कमी स मरिइ स
खून क कमी स मरि जान बहतर अहइ
10 ओन दिन अइसी मेहररुअन भी जउन बहोत अच्छी हुवा करत रहिन,
आपन ही बच्चन क माँस पकाए रहिन।
उ सबइ गदेलन आपन महतारी क आहार बनेन।
अइसा तब भवत रहा जब मोरे प्रिय लोगन क बिनास भवा रहा।
11 यहोवा आपन सब किरोध क प्रयोग किहेस;
आपन समूचा किरोध उ उड़ेर दिहस।
सिय्योन मँ जउन आग भड़काएस,
सिय्योन क नेवन क खाले तलक बार दिहे रहेन।
12 जउन कछू घटा रहा, धरती क कउनो भी राजा क ओकर बिस्सास नाहीं रहा।
जउन कछु घटा रहा, धरती क कउनो भी लोगन क ओकर बिस्सास नाहीं रहा।
यरूसलेम क दुआरन स होइके कउनो भी दुस्मन भीतर आइ सकत ह,
एकर कउनो क भी बिस्सास नाहीं रहा।
13 किन्तु अइसा ही भवा,
काहेकि यरूसलेम क नबी लोग पाप किहे रहेन।
अइसा भवा काहेकि यरूसलेम क याजक
बुरे काम किया करत रहेन।
यरूसलेम क नगर मँ
उ पचे नीक लोगन क खून बहावा करत रहेन।
14 याजक अउ नबी गलियन मँ
आँधे लोगन जइसे घुमत रहेन।
उ पचे रकत स रिती क अनुसार गंदे होइ ग रहेन।
यह बरे कउनो भी ओनकर ओढ़ना तलक नाहीं छुअत रहा।
15 लोग ओन लोगन पइ चिचिआइके कहत रहेन, “दूर हटा!
तू पचे अपवित्तर अहा, दूर हटा, दूर हटा! हमका जिन छुआ!”
उ सबइ लोग बिना घर-बार क भटकत रहेन।
दूसर देसन क लोग कहा करत रहेन,
“हम नाहीं चाहि कि उ पचे हमरे लगे रहेन।”
16 उ सबइ लोग खुद यहोवा क जरिये ही बिखेर दीन्ह गए रहेन।
उ ओनकी कइँती फुन कबहुँ नाहीं लखेन।
उ याजकन क आदर नाहीं दिहन।
यहूदा क मुखिया लोगन क संग उ दोस्ती स नाहीं रहा।
17 मदद पावइ क बाट जोहत-जोहत आपन आँखिन काम करब बंद किहन, अउर अब हमार आँखिन थक गइन ह।
किन्तु कउनो भी सहायता नाहीं आई।
हम प्रतीच्छा करत रहे कि कउनो अइसी जाति आवइ तउ हमका बचाइ लेइ।
हम आपन निगरानी बुर्जा स लखत रहि गए।
किन्तु कउनो भी हमका बचाएस नाहीं।
18 हर समइ दुस्मन हमरे पाछे पड़े रहेन हिआँ तलक कि हम बाहेर गली मँ भी निकर नाहीं पाए।
हमार अंत निअरे आवा।
हमार समय पुरा होइ चुका रहा।
हमार अंत आइ गवा।
19 हम लोगन क पाछा करइवालन क गति
उकाब क गति स तेज रही।
ओ लोग पहाड़न क भीतर हम पचन्क पाछा किहना।
उ पचे हमका धरइ क रेगिस्तान मँ लुका-छिपा रहेन।
20 उ राजा जउन हमरी नाकन क भीतर हमार प्राण रहा,
गडढा मँ फँसाइ लीन्ह गवा रहा,
उ राजा अइसा मनई रहा
जेका यहोवा खुद चुने रहा।
राजा क बारे मँ हम कहे रहे,
“ओकरी छत्र-छाया मँ हम जिअत रहब,
ओकरी छाया मँ हम जातियन क बीच जिअत रहब।”
21 एदोम क लोगो, खुस रहा अउर आनन्द मँ रहा।
हे ऊज क निवासी लोगो, खुस रहा।
किन्तु सदा याद रखा, तोहरे पास भी यहोवा क किरोध क पियाला आइ।
जब तू ओका पीब्या,
धुत होइ जाब्या अउर खुद क नंगा कइ डउब्या।
22 सिय्योन, तोहार दण्ड पुरा भावा।
अब फुन स तू कबहुँ बंधन मँ नाहीं पड़बिउ।
किन्तु हे एदोम क लोगो, यहोवा तोहरे पापन क दण्ड देइ।
तोहरे पापन क उ उघाड़ देइ।
यहोवा स विनती
5 हे यहोवा, हमरे संग जउन घटा ह ओका याद राखा।
हे यहोवा, हमरे तिरस्कार क लखा।
2 हमार धरती परायन क हाथन मँ दइ दीन्ह गइ।
हमार घर परदेसियन क हाथन मँ दीन्ह गएन।
3 हम अनाथ होइ गएन।
हमार कउनो पिता नाहीं।
हमार महतरियन विधवा स होइ गइन ह।
4 पानी पिअइ तलक हमका मोल देब पड़त ह,
ईधन क लकड़ी तलक बेसहब पड़त ह।
5 आपन काँधन पइ हमका जुए क बोझा उठाउब पड़त ह।
हम थकिके चूर होत ह किन्तु अराम तनिकउ हमका नाहीं मिलत।
6 हम पचन्क मिस्र अउर अस्सुर स खइया लेइ होब्या
काहेकि हम पचन्क लगे खइया नाहीं अहइ।
7 हमार पुरखन तोहरे खिलाफ मँ पाप किहे रहेन। आजु उ पचे मर चुका अहइँ।
किन्तु ओनका बदले मँ हम पचन विपत्तयन भोगत अहइँ।
8 हमार दास हो सुआमी बना अहइँ।
हिआँ कउनो अइसा मनई नाहीं जउन हमका ओनसे बचाइ लेइ।
9 बस भोजन पावइ क हमका आपन जिन्नगी दाँव पइ लगावइ पड़त ह।
रेगिस्तान मँ अइसे लोगन क कारण, जेनके लगे तरवार अहइ हमका आपन जिन्नगी दाँव पइ लगाउब पड़त ह।
10 हमार खाल तन्दूर सी तपत अहइ,
हमार खाल तपत रही उ भूख क कारण जउन हमका लगी ह।
11 सिय्योन क मेहररुअन क संग कुकर्म कीन्ह गवा ह।
यहुदा क नगरियन क कुँवरियन क संग कुकर्म कीन्ह गवा अहइँ।
12 हमार राज कुमार फाँसी पइ चढ़ावा गएन,
उ पचे हमरे अग्रजन क आदर नाहीं किहन।
13 हमार दुस्मनन हमरे नउजवान मनसेधुअन स चक्की मँ आटा पिसवाएन।
हमार नउजवान मनसेधुअन काठे क बोझ तरे ठोकर खाएन।
14 हमार बुजुर्गन अब नगर क दुआरन पइ बइठा नाहीं करतेन।
हमार युवक अब संगीत मँ हींसा नाहीं लेतेन।
15 हमरे मने मँ अब कउनो खुसी नाहीं अहइ।
हमार खुसी मरे भए लोगन क विलाप मँ बदल गवा अहइ।
16 हमार महिमा अउर हमरार मान संमान खतम होइ गवा अहइ।
हम पचन्क सज़ा दीन्ह गएन ह।
17 एह बरे हमार मन रोगी भए हँ,
एन ही बातन स हमार आँखिन मधिम भई हँ।
18 सिय्योन क पहाड़ वीरान होइ गवा ह।
सिय्योन क पहाड़े पइ अब सियार घूमत हीं।
19 किन्तु हे यहोवा, तोहार राज्ज तउ अमर अहइ।
तोहार महिमा स पूर सिंहासन सदा-सदा बना रहत ह।
20 हे यहोवा, तू हम पचन्क क सदा बरे काहे भूला देब्या?
तू हम पचन्क क अकेल्ला लम्बे समइ बरे काहे तजि देब्या?
21 हे यहोवा, हम लोगन क तू अपनी कइँती वापिस ल्या,
अउर हम लोग लउटि आउब।
हमार दिन फेर द्या जइसे उ पहिले रहेन।
22 का तू हम लोगन क पूरी तरह नकार दिहा ह?
तू हम लोगन स बहोत कोहान रहा ह।
परमेस्सर क लगे आवअ
19 इही बरे भाइयो तथा बहिनियो, काहेकि ईसू क लहूक द्वारा हमका ओह परम पवित्तर स्थान मँ प्रवेस करइ क निडर भरोसा बा। 20 जेका उ परदा क द्वारा, मतलब जउन ओकर सरीरइ, अहइ, एक नवा अउर सजीव रस्ता क माध्यम स हमरे बरे खोलि दिहे अहइ। 21 अउर काहेकि हमरे लगे एक अइसेन महान याजक अहइ जउन परमेस्सर क घराना क अधिकारी अहइ। 22 तउ फिन आवा, हम सच्चे हिरदइ, निस्चितपूर्ण बिसवास आपन अपराधपूर्ण चेतना स हमका सुद्ध करइ क बरे कीन्ह गए छिड़क भी स युक्त अपने हिरदइ क लइके सुद्ध जल स धोवा भए अपने सरीरन क साथे परमेस्सर क लगे पहुँचाय अही। 23 तउ आवअ जेह आसा क हम अंगीकार किहे हई, हम अडिग भाउ स ओह पर डटा रही काहेकि जे हमका बचन दिहे अहइ, उ बिसवासपूर्ण बा।
एक दुसरे क बलवान करइ
24 अउर आवा हम धियान रखी कि हम पिरेम अउर अच्छा करमन क बरे एक दुसरे क कइसेन बढ़ावा दइ सकित ह। 25 हमरे सबइ सभा मँ आउब जिन छोड़ा। जइसेन कि कछून क तउ उहाँ न आवइ क आदत ही पड़ि गइ बा। बल्कि हमका तउ एक दूसरे क बलवान करइ चाही। अउर जइसेन कि तू देखत अहा कि उ दिन लगे आवत बा-तउन तोहे इ अउर जियादा करइ चाही।
मसीह स मुँह न फेरा
26 सत्य क गियान पाइ लेइके बाद उ अगर हम जानबूझ क पाप करित ही रहित ह फिन तउ पापन क बरे कउनउ बलिदान बचा नाहीं रहत। 27 बल्कि फिन त निआव क भयानक प्रतीच्छा अउर भीसण आगी बाकी रहि जात ह जउन परमेस्सर क बिरोधियन क चट कइ जाई। 28 जउन कउनउ मूसा क व्यवस्था क पालन करइ स मना करत ह, ओका बिना दया देखाए दुइ या तीन साच्छियन क साच्छी प मारि डावा जात ह। 29 सोचा, उ मनइयन केतना जियादा कड़ा दंड क पात्र अहइँ, जे अपने गोड़न तले परमेस्सर क पूत क कुचलेन, जे करार क उ लहू के, जे ओनका पवित्तर किहे रहा, एक अपवित्तर चीज मानेन अउर अनुग्रह क आतिमा क अपमान किहेन। 30 काहेकि हम ओनका जानित ह जे कहे रहेने, “बदला लेब काम बा मोर, मइँ हीं बदला लेब।”(A) अउर फिन, “पर्भू अपने लोगन क निआव करी।”(B) 31 कउनो पापी क सजीव परमेस्सर क हाथन मँ पड़ि जाब एक भयानक बात अहइ।
बिसवास बनाये रखा
32 आरम्भ क उ दिनन क याद करा जब तू प्रकास पाए रह्या, अउर ओकरे बाद जब तू कस्टन क सामना करत भए कठोर संघर्स मँ मजबूती क साथे डटा रह्या। 33 तब कबहुँ तउ सब लोगन क सामने तोहे अपमानित कीन्ह गवा अउर सताया गवा अउर कबहुँ जेनके साथे अइसेन बर्ताव कीन्ह जात रहा, तू ओनकर साथ दिह्या। 34 तू, जउन बन्दीघरे मँ पड़ा रह्या, ओनसे सहानुभूति क अउर अपने सम्पत्ति क जब्त कीन्ह जाब सहर्स स्वीकार किह्या काहेकि तू इ जानत रह्या कि खुद तोहरे अपने लगे अच्छी अउर टिकाऊ सम्पत्तियन बाटिन।
35 तउन अपने साहस बिसवास क जिन तियागा काहेकि एकइ भरपूर प्रतिफल दीन्ह जाई। 36 तोहे धीरज क जरुरत बा ताकि तू जब परमेस्सर क इच्छा पूरी कइ चुका तउ जेकर बचन उ दिहे अहइ, ओका तू पाइ सका। 37 काहेकि,
“बहुत जल्दी ही, जेका आवइ क बा,
उ जल्दी ही आई, अउर देर नाहीं करी।
38 मोर धर्मी जन
जउने बिसवास स
अउर अगर उ पीछे हटी तउ मइँ
ओनसे खुस न रहबइ।” (C)
39 मुला हम ओनसे नाहीं हई जउन पीछे हटत हीं अउर खतम होइ जात हीं बल्कि ओनमाँ स अही जउन बिसवास करत हीं अउर उद्धार पावत हीं।
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