Old/New Testament
मोआब के बारे में सन्देश
48 यह सन्देश मोआब देश के बारे में है। इस्राएल के लोगों के परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा ने जो कहा, वह यह है:
“नबो पर्वत का बुरा होगा, नबो पर्वत नष्ट होगा।
किर्यातैम नगर लज्जित होगा।
इस पर अधिकार होगा।
शक्तिशाली स्थान लज्जित होगा।
यह बिखर जायेगा।
2 मोआब की पुन: प्रशंसा नहीं होगी।
हेशबोन नगर के लोग मोआब के पराजय की योजना बनाएंगे।
वे कहेंगे, ‘आओ, हम उस राष्ट्र का अन्त कर दें।’
मदमेन तुम भी चुप किये जाओगे,
तलवार तुम्हारा पीछा करेगी।
3 होरोनैम नगर से रूदन सुनो,
वे बहुत घबराहट और विनाश की चीखे हैं।
4 मोआब नष्ट किया जाएगा।
उसके छोटे बच्चे सहायता की पुकार करेंगे।
5 मोआब के लोगों लूहीत के मार्ग तक जाओ।
वे जाते हुए फूट फूट कर रो रहे हैं।
होरोनैम के नगर तक जाने वाली सड़क से पीड़ा
और कष्ट का रूदन सुना जा सकता है!
6 भाग चलो, जीवन के लिए भागो!
झाड़ी सी उड़ो जो मरुभूमि में उड़ती है।
7 “तुम अपनी बनाई चीज़ों और अपने धन पर विश्वास करते हो।
अत: तुम बन्दी बना लिये जाओगे।
कमोश देवता बन्दी बनाया जायेगा और उसके याजक
और पदाधिकारी उसके साथ जाएंगे।
8 विध्वंसक हर एक नगर के विरुद्ध आएगा,
कोई नगर नहीं बचेगा।
घाटी बरबाद होगी।
उच्च मैदान नष्ट होगा।
यहोवा कहता है:
यह होगा अत: ऐसा ही होगा।
9 मोआब के खेतों में नमक फैलाओ।
देश सूनी मरुभूमि बनेगा।
मोआब के नगर खाली होंगे।
उनमें कोई व्यक्ति भी न रहेगा।
10 यदि व्यक्ति वह नहीं करता जिसे यहोवा कहता है
यदि वह अपनी तलवार का उपयोग उन लोगों को मारने के लिये नहीं करता, तो उस व्यक्ति का बुरा होगा।
11 “मोआब का कभी विपत्ति से पाला नहीं पड़ा।
मोआब शान्त होने के लिये छोड़ी गई दाखमधु सा है।
मोआब एक घड़े से कभी दूसरे घड़े में ढाला नहीं गया।
वह कभी बन्दी नहीं बनाया गया।
अत: उसका स्वाद पहले की तरह है
और उसकी गन्ध बदली नहीं है।”
12 यहोवा यह सब कहता है,
“किन्तु मैं लोगों को शीघ्र ही
तुम्हें तुम्हारे घड़े से ढालने भेजूँगा।
वे लोग मोआब के घड़े को खाली कर देंगे
और तब वे उन घड़ों को चकनाचूर कर देंगे।”
13 तब मोआब के लोग अपने असत्य देवता कमोश के लिए लज्जित होंगे। इस्राएल के लोगों ने बेतेल में झूठे देवता पर विश्वास किया था और इस्राएल के लोगों को उस समय ग्लानि हुई थी जब उस असत्य देवता ने उनकी सहायता नहीं की थी।
14 “तुम यह नहीं कह सकते ‘हम अच्छे सैनिक हैं।
हम युद्ध में वीर पुरुष हैं।’
15 शत्रु मोआब पर आक्रमण करेगा।
शत्रु उन नगरों में आएगा और उन्हें नष्ट करेगा।
नरसंहार में उसके श्रेष्ठ युवक मारे जाएँगे।”
यह सन्देश राजा का है।
उस राजा का नाम सर्वशक्तिमान यहोवा है।
16 “मोआब का अन्त निकट है।
मोआब शीघ्र ही नष्ट कर दिया जाएगा।
17 मोआब के चारों ओर रहने वाले लोगों, तुम सभी उस देश के लिये रोओगे।
तुम लोग जानते हो कि मोआब कितना प्रसिद्ध है।
अत: इसके लिए रोओ।
कहो, ‘शासक की शक्ति भंग हो गई।
मोआब की शक्ति और प्रतिष्ठा चली गई।’
18 “दीबोन में रहने वाले लोगों अपने प्रतिष्ठा के स्थान से बाहर निकलो।
धूलि में जमीन पर बैठो क्यों क्योंकि मोआब का विध्वंसक आ रहा है और वह तुम्हारे दृढ़ नगरों को नष्ट कर देगा।
19 “अरोएर में रहने वाले लोगों, सड़क के सहारे खड़े होओ और सावधानी से देखो।
पुरुष को भागते देखो, स्त्री को भागते देखो, उनसे पूछो, क्या हुआ है?
20 “मोआब बरबाद होगा और लज्जा से गड़ जाएगा।
मोआब रोएगा और रोएगा।
अर्नोन नदी पर घोषित करो कि मोआब नष्ट हो गया।
21 उच्च मैदान के लोग दण्ड पा चुके होलोन, यहसा
और मेपात नगरों का न्याय हो चुका।
22 दीबोन, नबो
और बेतदिबलातैम,
23 किर्य्यातैम, बेतगामूल
और बेतमोन।
24 करिय्योत बोस्रा तथा मोआब के निकट
और दूर के सभी नगरों के साथ न्याय हो चुका।
25 मोआब की शक्ति काट दी गई,
मोआब की भुजायें टूट गई।”
यहोवा ने यह सब कहा।
26 “मोआब ने समझा था वह यहोवा से भी अधिक महत्वपूर्ण है।
अत: मोआब को दण्डित करो कि वह पागल सा हो जाये।
मोआब गिरेगा और अपनी उलटी में चारों ओर लौटेगा।
लोग मोआब का मजाक उड़ाएंगे।
27 “मोआब तुमने इस्राएल का मजाक उड़ाया था।
इस्राएल चोरों के गिरोह द्वारा पकड़ा गया था।
हर बार तुम इस्राएल के बारे में कहते थे।
तुम अपना सिर हिलाते थे ऐसा अभिनय करते थे मानो तुम इस्राएल से श्रेष्ठ हो
28 मोआब के लोगों, अपने नगरों को छोड़ो।
जाओ और पहाड़ियों पर रहो,
उस कबूतर की तरह रहो
जो अपने घोंसले गुफा के मुख पर बनाता है।”
29 “हम मोआब के गर्व को सुन चुके हैं,
वह बहुत घमण्डी था।
उसने समझा था कि वह बहुत बड़ा है।
वह सदा अपने मुँह मियाँ मिटठू बनता रहा।
वह अत्याधिक घमण्डी था।”
30 यहोवा कहता है, “मैं जानता हूँ कि मोआब शीघ्र ही क्रोधित हो जाता है और अपनी प्रशंसा के गीत गाता है।
किन्तु उसकी शेखियाँ झूठ है।
वह जो करने को कहता है, कर नहीं सकता।
31 अत: मैं मोआब के लिये रोता हूँ।
मैं मोआब में हर एक के लिये रोता हूँ।
मैं कीर्हेरेस के लोगों के लिये रोता हूँ।
32 मैं याजेर के लोग के साथ याजेर के लिये रोता हूँ।
सिबमा अतीत में तुम्हारी अंगूर की बेले सागर तक फैली थीं।
वे याजेर नगर तक पहुँच गई थीं।
किन्तु विध्वंसक ने तुम्हारे फल और अंगूर ले लिये।
33 मोआब के विशाल अंगूर के बागों से सुख और आनन्द विदा हो गये।
मैंने दाखमधु निष्कासकों से दाखमधु का बहना रोक दिया है।
अब दाखमधु बनाने के लिये अंगूरों पर चलने वालों के नृत्य गीत नहीं रह गए हैं।
खुशी का शोर गुल सभी समाप्त हो गया है।
34 “हेशबोन और एलाले नगरों के लोग रो रहे हैं। उनका रूदन दूर यहस के नगर में भी सुनाई पड़ रहा है। उनका रूदन सोआर नगर से सुनाई पड़ रहा है और होरोनैम एवं एग्लथ शेलिशिया के दूर नगरों तक पहुँच रहा है। यहाँ तक कि निम्रीम का भी पानी सुखे गया है। 35 मैं मोआब को उच्च स्थानों पर होमबलि चढ़ाने से रोक दूँगा। मैं उन्हें अपने देवताओं को बलि चढ़ाने से रोकूँगा। यहोवा ने यह सब कहा।
36 “मुझे मोआब के लिये बहुत दु:ख है। शोक गीत छेड़ने वाली बाँसुरी की धुन की तरह मेरा हृदय रूदन कर रहा है। मैं कीर्हेरेस के लोगों के लिये दु:खी हूँ। उनके धन और सम्पत्ति सभी ले लिये गए हैं। 37 हर एक अपना सिर मुड़ाये है। हर एक की दाढ़ी साफ हो गई हे। हर एक के हाथ कटे हैं और उनसे खून निकल रहा है। हर एक अपनी कमर में शोक के वस्त्र लपेटे हैं। 38 मोआब में लोग घरों की छतों और हर एक सार्वजनिक चौराहों में सर्वत्र मरे हुओं के लिये रो रहे हैं। वहाँ शोक है क्योंकि मैंने मोआब को खाली घड़े की तरह फोड़ डाला है।” यहोवा ने यह सब कहा।
39 “मोआब बिखर गया है। लोग रो रहे हैं। मोआब ने आत्म समर्पण किया है। अब मोआब लज्जित है। लोग मोआब का मजाक उड़ाते हैं, किन्तु जो कुछ हुआ है वह उन्हें भयभीत कर देता है।”
40 यहोवा कहता है, “देखो, एक उकाब आकाश से नीचे को टूट पड़ रहा है।
यह अपने परों को मोआब पर फैला रहा है।
41 मोआब के नगरों पर अधिकार होगा।
छिपने के सुरक्षित स्थान पराजित होंगे।
उस समय मोआब के सैनिक वैसे ही आतंकित होंगे
जैसे प्रसव करती स्त्री।
42 मोआब का राष्ट्र नष्ट कर दिया जायेगा।
क्यों क्योंकि वे समझते थे कि वे यहोवा से भी अधिक महत्वपूर्ण हैं।”
43 यहोवा यह सब कहता है:
“मोआब के लोगों, भय गहरे गके और जाल तुम्हारी प्रतीक्षा में हैं।
44 लोग डरेंगे और भाग खड़े होंगे,
और वे गहने गकों में गिरेंगे।
यदि कोई गहरे गके से निकलेगा तो
वह जाल में फँसेगा।
मैं मोआब पर दण्ड का वर्ष लाऊँगा।”
यहोवा ने यह सब कहा।
45 “शक्तिशाली शत्रु से लोग भाग चले हैं।
वे सुरक्षा के लिये हेशबोन नगर में भागे।
किन्तु वहाँ सुरक्षा नहीं थी।
हेशबोन में आग लगी।
वह आग सीहोन के नगर से शुद्ध हुई और यह मोआब के प्रमुखों को नष्ट करने लगी।
यह उन घमण्डी लोगों को नष्ट करने लगी।
46 मोआब यह तुम्हारे लिये, बहुत बुरा होगा।
कमोश के लोग नष्ट किये जा रहे हैं।
तुम्हारे पुत्र और पुत्रियाँ बन्दी
और कैदी के रुप में ले जाए जा रहे हैं।
47 मोआब के लोग बन्दी के रूप में दूर पहुँचाए जाएंगे।
किन्तु आने वाले दिनों में मैं मोआब के लोगों को वापस लाऊँगा।”
यह सन्देश यहोवा का है।
यहाँ मोआब के साथ न्याय समाप्त होता है।
अम्मोन के बारे में सन्देश
49 यह सन्देश अम्मोनी लोगों के बारे में है। यहोवा कहता है,
“अम्मोनी लोगों, क्या तुम सोचते हो कि
इस्राएली लोगों के बच्चे नहीं है?
क्या तुम समझते हो कि वहाँ माता—पिता के मरने के बाद
उनकी भूमि लेने वाले कोई नहीं?
शायद ऐसा ही है और इसलिए मल्काम ने गाद की भूमि ले ली है।”
2 यहोवा कहता है, “वह समय आएगा जब रब्बा अम्मोन के लोग युद्ध का घोष सुनेंगे।
रब्बा अम्मोन नष्ट किया जाएगा।
यह नष्ट इमारतों से ढकी पहाड़ी बनेगा और इसको चारों ओर के नगर जला दिये जाएंगे।
उन लोगों ने इस्राएल के लोगों को वह भूमि छोड़ने को विवश किया।
किन्तु इस्राएल के लोग उन्हें हटने के लिये विवश करेंगे।”
यहोवा ने यह सब कहा।
3 “हेशबोन के लोगों, रोओ।
क्योंकि ऐ नगर नष्ट कर दिया गया है।
रब्बा अम्मोन की स्त्रियों, रोओ।
अपने शोक वस्त्र पहनो और रोओ।
सुरक्षा के लिये नगर को भागो। क्यो क्योंकि शत्रु आ रहा है।
वे मल्कान देवता को ले जाएंगे और वे मल्कान के याजकों और अधिकारियों को ले जाएंगे।
4 तुम अपनी शक्ति की डींग मारते हो।
किन्तु अपना बल खो रहे हो।
तुम्हें विश्वास है कि तुम्हारा धन तुम्हें बचाएगा।
तुम समझते हो कि तुम पर कोई आक्रमण करने की सोच भी नहीं सकता।”
5 किन्तु सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है,
“मैं हर ओर से तुम पर विपत्ति ढाऊँगा।
तुम सब भाग खड़े होगे,
फिर कोई भी तुम्हें एक साथ लाने में समर्थ न होगा।”
6 “अम्मोनी लोग बन्दी बनाकर दूर पहुँचाए जायेंगे। किन्तु समय आएगा जब मैं अम्मोनी लोगों को वापस लाऊँगा।” यह सन्देश यहोवा का है।
एदोम के बारे में सन्देश
7 यह सन्देश एदोम के बारे में है: सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है,
“क्या तेमान नगर में बुद्धि बची नहीं रह गई है?
क्या एदोम के बुद्धिमान लोग अच्छी सलाह देने योग्य नहीं रहे?
क्या वे अपनी बुद्धिमत्ता खो चुके हैं?
8 ददान के निवासियों भागो, छिपो।
क्यों क्योंकि मैं एसाव को उसके कामों के लिये दण्ड दूँगा।
9 “यदि अंगूर तोड़ने वाले आते हैं
और अपने अंगूर के बागों से अंगूर तोड़ते हैं
और बेलों पर कुछ अंगूर छोड़ ही देते हैं।
यदि चोर रात को आते हैं तो वे उतना ही ले जाते हैं जितना उन्हें चाहिये सब नहीं।
10 किन्तु मैं एसाव से हर चीज़ ले लूँगा।
मैं उसके सभी छिपने के स्थान ढूँढ डालूँगा।
वह मुझसे छिपा नहीं रह सकेगा।
उसके बच्चे, सम्बन्धी और पड़ोसी मरेंगे।
11 कोई भी व्यक्ति उनके बच्चों की देख—रेख के लिये नहीं बचेगा।
उसकी पत्नियाँ किसी भी विश्वासपात्र को नहीं पाएंगी।”
12 यह वह है, जो यहोवा कहता है, “कुछ व्यक्ति दण्ड के पात्र नहीं होते, किन्तु उन्हें कष्ट होता है। किन्तु एदोम तुम दण्ड पाने योग्य हो, अत: सचमुच तुमको दण्ड मिलेगा। जो दण्ड तुम्हें मिलना चाहिये, उससे तुम बचकर नहीं निकल सकते। तुम्हें दण्ड मिलेगा।” 13 यहोवा कहता है, “मैं अपनी शक्ति से यह प्रतिज्ञा करता हूँ, मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि बोस्रा नगर नष्ट कर दिया जाएगा। वह नगर बरबाद चट्टानों का ढेर बनेगा। जब लोग अन्य नगरों का बुरा होना चाहेंगे तो वे इस नगर को उदाहरण के रूप में याद करेंगे। लोग उस नगर का अपमान करेंगे और बोस्रा के चारों ओर के नगर सदैव के लिये बरबाद हो जाएंगे।”
14 मैंने एक सन्देश यहोवा से सुना।
यहोवा ने राष्ट्रों को सन्देश भेजा।
सन्देश यह है:
“अपनी सेनाओं को एक साथ एकत्रित करो!
युद्ध के लिये तैयार हो जाओ।
एदोम राष्ट्र के विरुद्ध कुच करो।
15 एदोम, मैं तुम्हें महत्वहीन बनाऊँगा।
हर एक व्यक्ति तुमसे घृणा करेगा।
16 एदोम, तुमने अन्य राष्ट्रों को आतंकित किया है।
अत: तुमने समझा कि तुम महत्वपूर्ण हो।
किन्तु तुम मूर्ख बनाए गए थे।
तुम्हारे घमण्ड ने तुझे धोखा दिया है।
एदोम, तुम ऊँचे पहाड़ियों पर बसे हो, तुम बड़ी चट्टानों और पहाड़ियों के स्थानों पर सुरक्षित हो।
किन्तु यदि तुम अपना निवास उकाब के घोंसले की ऊँचाई पर ही क्यों न बनाओ, तो भी मैं तुझे पा लूँगा
और मैं वहाँ से नीचे ले आऊँगा।”
यहोवा ने यह सब कहा।
17 “एदोम नष्ट किया जाएगा।
लोगों को नष्ट नगरों को देखकर दु:ख होगा।
लोग नष्ट नगरों पर आश्चर्य से सीटी बजाएंगे।
18 एदोम, सदोम, अमोरा और उनके चारों ओर के नगरों जैसा नष्ट किया जाएगा।
कोई व्यक्ति वहाँ नहीं रहेगा।”
यह सब यहोवा ने कहा।
19 “कभी यरदन नदी के समीप की घनी झाड़ियों से एक सिंह निकलेगा और वह सिंह उन खेतों में जाएगा जहाँ लोग अपनी भेड़ें और अपने पशु रखते हैं। मैं उस सिंह के समान हूँ। मैं एदोम जाऊँगा और मैं उन लोगों को आतंकित करूँगा। मैं उन्हें भगाऊँगा। उनका कोई युवक मुझको नहीं रोकेगा। कोई भी मेरे समान नहीं है। कोई भी मुझको चुनौती नहीं देगा। उनके गडेरियों (प्रमुखों) में से कोई भी हमारे विरुद्ध खड़ा नहीं होगा।”
20 अत: यहोवा ने एदोम के विरुद्ध जो योजना बनाई है उसे सुनो।
तेमान में लोगों के साथ जो करने का निश्चय यहोवा ने किया है उसे सुनो।
शत्रु एदोम की रेवड़ (लोग) के बच्चों को घसीट ले जाएगा।
उन्होंने जो कुछ किया उससे एदोम के चरागाह खाली हो जायेगें।
21 एदोम के पतन के धमाके से पृथ्वी काँप उठेगी।
उनका रूदन लगातार लाल सागर तक सुनाई पड़ेगा।
22 यहोवा उस उकाब की तरह मंडरायेगा जो अपने शिकार पर टूटता है।
यहोवा बोस्रा नगर पर अपने पंख उकाब के समान फैलाया है।
उस समय एदोम के सैनिक बहुत आतंकित होंगे।
वे प्रसव करती स्त्री की तरह भय से रोएंगे।
दमिश्क के बारे में सन्देश
23 यह सन्देश दमिश्क नगर के लिये है:
“हमात और अर्पद नगर भयभीत हैं।
वे डरे हैं क्योंकि उन्होंने बुरी खबर सुनी है।
वे साहसहीन हो गए हैं।
वे परेशान और आतंकित हैं।
24 दमिश्क नगर दुर्बल हो गया है।
लोग भाग जाना चाहते हैं।
लोग भय से घबराने को तैयार बैठे हैं।
प्रसव करती स्त्री की तरह लोग पीड़ा और कष्ट का अनुभव कर रहे हैं।
25 “दमिश्क प्रसन्न नगर है।
लोगों ने अभी उस तमाशे के नगर को नहीं छोड़ा है।
26 अत: युवक इस नगर के सार्वजनिक चौराहे में मरेंगे।
उस समय उसके सभी सैनिक मार डाले जाएंगे।”
सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कुछ कहा है।
27 “मैं दमिश्क की दीवारों में आग लगा दूँगा।
वह आग बेन्नहदद के दृढ़ दुर्गो को पूरी तरह जलाकर राख कर देगी।”
केदार और हासोर के बारे में सन्देश
28 यह सन्देश केदार के परिवार समूह और हासोर के शासकों के बारे में है। बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने उन्हें पराजित किया था। यहोवा कहता है,
“जाओ और केदार के परिवार समूह पर आक्रमण करो।
पूर्व के लोगों को नष्ट कर दो।
29 उनके डेरे और रेवड़ ले लिये जाएंगे।
उनके डेरे और सभी चीज़ें ले जायी जायेंगी।
उनका शत्रु ऊँटों को ले लेगा।
लोग उनके सामने चिल्लाएंगे:
‘हमारे चारों ओर भयंकर घटनायें घट रही है।’
30 शीघ्र ही भाग निकलो!
हासोर के लोगों, छिपने का ठीक स्थान ढूँढो।”
यह सन्देश यहोवा का है।
“नबूकदनेस्सर ने तुम्हारे विरुद्ध योजना बनाई है।
उसने तुम्हें पराजित करने की चुस्त योजना बनाई है।
31 “एक राष्ट्र है, जो खुशहाल है।
उस राष्ट्र को विश्वास है कि उसे कोई नहीं हरायेगा।
उस राष्ट्र के पास सुरक्षा के लिये द्वार और रक्षा प्राचीर नहीं है।
वे लोग अकेले रहते हैं।”
यहोवा कहता है, “उस राष्ट्र पर आक्रमण करो।”
32 “शत्रु उनके ऊँटों और पशुओं के बड़े झुण्डों को चुरा लेगा।
शत्रु उनके विशाल जानवरों के समूह को चुरा लेगा।
मैं उन लोगों को पृथ्वी के हर भाग में भाग जाने पर विवश करूँगा जिन्होंने अपने बालों के कोनों को कटा रखा है।
और मैं उनके लिये चारों ओर से भयंकर विपत्तियाँ लाऊँगा।”
यह सन्देश यहोवा का है।
33 “हासोर का प्रदेश जंगली कुत्तों के रहने का स्थान बनेगा।
यह सदैव के लिये सूनी मरुभूमि बनेगा।
कोई व्यक्ति वहाँ नहीं रहेगा कोई व्यक्ति उस स्थान पर नहीं रहेगा।”
एलाम के बारे में सन्देश
34 जब सिदकिय्याह यहूदा का राजा था तब उसके राज्यकाल के आरम्भ में यिर्मयाह नबी ने यहोवा का एक सन्देश प्राप्त किया। यह सन्देश एलाम राष्ट्र के बारे में है।
35 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है,
“मैं एलाम का धनुष बहुत शीघ्र तोड़ दूँगा।
धनुष एलाम का सबसे शक्तिशाली अस्त्र है।
36 मैं एलाम पर चतुर्दिक तूफान लाऊँगा।
मैं उन्हें आकाश के चारों दिशाओं से लाऊँगा।
मैं एलाम के लोगों को पृथ्वी पर सर्वत्र भेजूँगा जहाँ चतुर्दिक आँधिया चलती हैं
और एलाम के बन्दी हर राष्ट्र में जाएंगे।
37 मैं एलाम को, उनके शत्रुओं के देखते, टुकड़ों में बाँट दूँगा।
मैं एलाम को उनके सामने तोड़ूँगा जो उसे मार डालना चाहते हैं।
मैं उन पर भयंकर विपत्तियाँ लाऊँगा।
मैं उन्हें दिखाऊँगा कि मैं उन पर कितना क्रोधित हूँ।”
यह सन्देश यहोवा का है।
“मैं एलाम का पीछा करने को तलवार भेजूँगा।
तलवार उनका पीछा तब तक करेगी जब तक मैं उन सबको मार नहीं डालूँगा।
38 मैं एलाम को दिखाऊँगा कि मैं व्यवस्थापक हूँ
और मैं उसके राजाओं तथा पदाधिकारियों को नष्ट कर दूँगा।”
यह सन्देश यहोवा का है।
39 “किन्तु भविष्य में मैं एलाम के लिये सब अच्छा घटित होने दूँगा।”
यह सन्देश यहोवा का है।
याजक मिलिकिसिदक
7 यह मिलिकिसिदक सालेम का राजा था और सर्वोच्च परमेश्वर का याजक था। जब इब्राहीम राजाओं को पराजित करके लौट रहा था तो वह इब्राहीम से मिला और उसे आशीर्वाद दिया। 2 और इब्राहीम ने उसे उस सब कुछ में से जो उसने युद्ध में जीता था उसका दसवाँ भाग प्रदान किया।
उसके नाम का पहला अर्थ है, “धार्मिकता का राजा” और फिर उसका यह अर्थ भी है, “सालेम का राजा” अर्थात् “शांति का राजा।” 3 उसके पिता अथवा उसकी माँ अथवा उसके पूर्वजों का कोई इतिहास नहीं मिलता है। उसके जन्म अथवा मृत्यु का भी कहीं कोई उल्लेख नहीं है। परमेश्वर के पुत्र के समान ही वह सदा-सदा के लिए याजक बना रहता है।
4 तनिक सोचो, वह कितना महान था। जिसे कुल प्रमुख इब्राहीम तक ने अपनी प्राप्ति का दसवाँ भाग दिया था। 5 अब देखो व्यवस्था के अनुसार लेवी वंशज जो याजक बनते हैं, लोगों से अर्थात् अपने ही बंधुओं से दसवाँ भाग लें। यद्यपि उनके वे बंधु इब्राहीम के वंशज हैं। 6 फिर भी मिलिकिसिदक ने, जो लेवी वंशी भी नहीं था, इब्राहीम से दसवाँ भाग लिया। और उस इब्राहीम को आशीर्वाद दिया जिसके पास परमेश्वर की प्रतिज्ञाएँ थीं। 7 इसमें कोई सन्देह नहीं है कि जो आशीर्वाद देता है वह आशीर्वाद लेने वाले से बड़ा होता है।
8 जहाँ तक लेवियों का प्रश्न है, उनमें दसवाँ भाग उन व्यक्तियों द्वारा इकट्ठा किया जाता है, जो मरणशील हैं किन्तु मिलिकिसिदक का जहाँ तक प्रश्न है दसवाँ भाग उसके द्वारा एकत्र किया जाता है जो शास्त्र के अनुसार अभी भी जीवित है। 9 तो फिर कोई यहाँ तक कह सकता है कि वह लेवी जो दसवाँ भाग एकत्र करता है, उसने इब्राहीम के द्वारा दसवाँ भाग प्रदान कर दिया। 10 क्योंकि जब मिलिकिसिदक इब्राहीम से मिला था, तब भी लेवी अपने पूर्वजों के शरीर में वर्तमान था।
11 यदि लेवी सम्बन्धी याजकता के द्वारा सम्पूर्णता प्राप्त की जा सकती क्योंकि इसी के आधार पर लोगों को व्यवस्था का विधान दिया गया था। तो किसी दूसरे याजक के आने की आवश्यकता ही क्या थी? एक ऐसे याजक की जो मिलिकिसिदक की परम्परा का हो, न कि औरों की परम्परा का। 12 क्योंकि जब याजकता बदलती है, तो व्यवस्था में भी परिवर्तन होना चाहिए। 13 जिसके विषय में ये बातें कही गयी हैं, वह किसी दूसरे गोत्र का है, और उस गोत्र का कोई भी व्यक्ति कभी वेदी का सेवक नहीं रहा। 14 क्योंकि यह तो स्पष्ट ही है कि हमारा प्रभु यहूदा का वंशज था और मूसा ने उस गोत्र के लिए याजकों के विषय में कुछ नहीं कहा था।
यीशु मिलिकिसिदक के समान है
15 और जो कुछ हमने कहा है, वह और भी स्पष्ट है कि मिलिकिसिदक के जैसा एक दूसरा याजक प्रकट होता है। 16 वह अपनी वंशावली के नियम के आधार पर नहीं, बल्कि एक अमर जीवन की शक्ति के आधार पर याजक बना है। 17 क्योंकि घोषित किया गया था: “तू है एक याजक शाश्वत मिलिकिसिदक के जैसा।”(A)
18 पहला नियम इसलिए रद्द कर दिया गया क्योंकि वह निर्बल और व्यर्थ था। 19 क्योंकि व्यवस्था के विधान ने किसी को सम्पूर्ण सिद्ध नहीं किया। और एक उत्तम आशा का सूत्रपात किया गया जिसके द्वारा हम परमेश्वर के निकट खिंचते हैं।
20 यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि परमेश्वर ने यीशु को शपथ के द्वारा प्रमुख याजक बनाया था। जबकि औरों को बिना शपथ के ही प्रमुख याजक बनाया गया था। 21 किन्तु यीशु तब एक शपथ से याजक बना था, जब परमेश्वर ने उससे कहा था,
“प्रभु ने शपथ ली है,
और वह अपना मन कभी नहीं बदलेगा:
‘तू एक शाश्वत याजक है।’”(B)
22 इस शपथ के कारण यीशु एक और अच्छे वाचा की ज़मानत बन गया है।
23 अब देखो, ऐसे बहुत से याजक हुआ करते थे जिन्हें मृत्यु ने अपने पदों पर नहीं बने रहने दिया। 24 किन्तु क्योंकि यीशु अमर है, इसलिए उसका याजकपन भी सदा-सदा बना रहने वाला है। 25 अतः जो उसके द्वारा परमेश्वर तक पहुँचते हैं, वह उनका सर्वदा के लिए उद्धार करने में समर्थ है क्योंकि वह उनकी मध्यस्थता के लिए ही सदा जीता है।
26 ऐसा ही महायाजक हमारी आवश्यकता को पूरा कर सकता है, जो पवित्र हो, दोषरहित हो, शुद्ध हो, पापियों के प्रभाव से दूर रहता हो, स्वर्गों से भी जिसे ऊँचा उठाया गया हो। 27 जिसके लिए दूसरे महायाजकों के समान यह आवश्यक न हो कि वह दिन प्रतिदिन पहले अपने पापों के लिए और फिर लोगों के पापों के लिए बलियाँ चढ़ाए। उसने तो सदा-सदा के लिए उनके पापों के हेतु स्वयं अपने आपको बलिदान कर दिया। 28 किन्तु परमेश्वर ने शपथ के साथ एक वाचा दिया। यह वाचा व्यवस्था के विधान के बाद आया और इस वाचा ने प्रमुख याजक के रूप में पुत्र को नियुक्त किया जो सदा-सदा के लिए सम्पूर्ण बन गया।
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