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Read the New Testament in 24 Weeks

A reading plan that walks through the entire New Testament in 24 weeks of daily readings.
Duration: 168 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
कुलुस्सियों 3-4

मसीह में नया जीवन

क्योंकि यदि तुम्हें मसीह के साथ मरे हुओं में से जिला कर उठाया गया है तो उन वस्तुओं के लिये प्रयत्नशील रहो जो स्वर्ग में हैं जहाँ परमेश्वर की दाहिनी ओर मसीह विराजित है। स्वर्ग की वस्तुओं के सम्बन्ध में ही सोचते रहो। भौतिक वस्तुओं के सम्बन्ध में मत सोचो। क्योंकि तुम लोगों का पुराना व्यक्तित्व मर चुका है और तुम्हारा नया जीवन मसीह के साथ साथ परमेश्वर में छिपा है। जब मसीह, जो हमारा जीवन है, फिर से प्रकट होगा तो तुम भी उसके साथ उसकी महिमा में प्रकट होओगे।

इसलिए तुममें जो कुछ सांसारिक बातें है, उसका अंत कर दो। व्यभिचार, अपवित्रता, वासना, बुरी इच्छाएँ और लालच जो मूर्ति उपासना का ही एक रूप है, इन ही बातों के कारण परमेश्वर का क्रोध प्रकट होने जा रहा है।[a] एक समय था जब तुम भी ऐसे कर्म करते हुए इसी प्रकार का जीवन जीया करते थे।

किन्तु अब तुम्हें इन सब बातों के साथ साथ क्रोध, झुँझलाहट, शत्रुता, निन्दा-भाव और अपशब्द बोलने से छुटकारा पा लेना चाहिए। आपस में झूठ मत बोलो क्योंकि तुमने अपने पुराने व्यक्तित्व को उसके कर्मो सहित उतार फेंका है। 10 और नये व्यक्तित्व को धारण कर लिया है जो अपने रचयिता के स्वरूप में स्थित होकर परमेश्वर के सम्पूर्ण ज्ञान के निमित्त निरन्तर नया होता जा रहा है। 11 परिणामस्वरूप वहाँ यहूदी और ग़ैर यहूदी में कोई अन्तर नहीं रह गया है, न किसी ख़तना युक्त और ख़तना रहित में, न किसी असभ्य और बर्बर[b] में, न दास और एक स्वतन्त्र व्यक्ति में कोई अन्तर है। मसीह सर्वेसर्वा है और सब विश्वासियों में उसी का निवास है।

तुम्हारा नया जीवन एक दूसरे के लिये

12 क्योंकि तुम परमेश्वर के चुने हुए पवित्र और प्रियजन हो इसलिए सहानुभूति, दया, नम्रता, कोमलता और धीरज को धारण करो। 13 तुम्हें आपस में जब कभी किसी से कोई कष्ट हो तो एक दूसरे की सह लो और परस्पर एक दूसरे को मुक्त भाव से क्षमा कर दो। तुम्हें आपस में एक दूसरे को ऐसे ही क्षमा कर देना चाहिए जैसे परमेश्वर ने तुम्हें मुक्त भाव से क्षमा कर दिया। 14 इन बातों के अतिरिक्त प्रेम को धारण करो। प्रेम ही सब को आपस में बाँधता और परिपूर्ण करता है। 15 तुम्हारे मन पर मसीह से प्राप्त होने वाली शांति का शासन हो। इसी के लिये तुम्हें उसी एक देह[c] में बुलाया गया है। सदा धन्यवाद करते रहो।

16 अपनी सम्पन्नता के साथ मसीह का संदेश तुम में वास करे। भजनों, स्तुतियों और आत्मा के गीतों को गाते हुए बड़े विवेक के साथ एक दूसरे को शिक्षा और निर्देश देते रहो। परमेश्वर को मन ही मन धन्यवाद देते हुए गाते रहो। 17 और तुम जो कुछ भी करो या कहो, वह सब प्रभु यीशु के नाम पर हो। उसी के द्वारा तुम हर समय परम पिता परमेश्वर को धन्यवाद देते रहो।

नये जीवन के नियम

18 हे पत्नियों, अपने पतियों के प्रति उस प्रकार समर्पित रहो जैसे प्रभु के अनुयायियों को शोभा देता है।

19 हे पतियों, अपनी पत्नियों से प्रेम करो, उनके प्रति कठोर मत बनो।

20 हे बालकों, सब बातों में अपने माता पिता की आज्ञा का पालन करो। क्योंकि प्रभु के अनुयायियों के इस व्यवहार से परमेश्वर प्रसन्न होता है।

21 हे पिताओं, अपने बालकों को कड़ुवाहट से मत भरो। कहीं ऐसा न हो कि वे जतन करना ही छोड़ दें।

22 हे सेवकों, अपने सांसारिक स्वामियों की सब बातों का पालन करो। केवल लोगों को प्रसन्न करने के लिये उसी समय नहीं जब वे देख रहे हों, बल्कि सच्चे मन से उनकी मानो। क्योंकि तुम प्रभु का आदर करते हो। 23 तुम जो कुछ करो अपने समूचे मन से करो। मानों तुम उसे लोगों के लिये नहीं बल्कि प्रभु के लिये कर रहे हो। 24 याद रखो कि तुम्हें प्रभु से उत्तराधिकार का प्रतिफल प्राप्त होगा। अपने स्वामी मसीह की सेवा करते रहो 25 क्योंकि जो बुरा कर्म करेगा, उसे उसका फल मिलेगा और वहाँ कोई पक्षपात नहीं है।

हे स्वामियों, तुम अपने सेवकों को जो उनका बनता है और उचित है, दो। याद रखो स्वर्ग में तुम्हारा भी कोई स्वामी है।

पौलुस की मसीहियों के लिये सलाह

प्रार्थना में सदा लगे रहो। और जब तुम प्रार्थना करो तो सदा परमेश्वर का धन्यवाद करते रहो। साथ ही साथ हमारे लिये भी प्रार्थना करो कि परमेश्वर हमें अपने संदेश के प्रचार का तथा मसीह से सम्बन्धित रहस्यपूर्ण सत्य के प्रवचन का अवसर प्रदान करे क्योंकि इसके कारण ही मैं बन्दीगृह में हूँ। प्रार्थना करो कि मैं इसे ऐसे स्पष्टता के साथ बता सकूँ जैसे मुझे बताना चाहिए।

बाहर के लोगों के साथ विवेकपूर्ण व्यवहार करो। हर अवसर का पूरा-पूरा उपयोग करो। तुम्हारी बोली सदा मीठी रहे और उससे बुद्धि की छटा बिखरे ताकि तुम जान लो कि किस व्यक्ति को कैसे उत्तर देना है।

पौलुस के साथियों के समाचार

हमारा प्रिय बन्धु तुखिकुस जो एक विश्वासी सेवक और प्रभु में स्थित साथी दास है, तुम्हें मेरे सभी समाचार बता देगा। मैं उसे तुम्हारे पास इसलिए भेज रहा हूँ कि तुम्हें उससे हमारे हालचाल का पता चल जाये वह तुम्हारे हृदयों को प्रोत्साहित करेगा। मैं अपने विश्वासी तथा प्रिय बन्धु उनेसिमुस को भी उसके साथ भेज रहा हूँ जो तुम्हीं में से एक है। वे, यहाँ जो कुछ घट रहा है, उसे तुम्हें बतायेंगे।

10 अरिस्तरखुस का जो बन्दीगृह में मेरे साथ रहा है तथा बरनाबास के बन्धु मरकुस का तुम्हें नमस्कार, (उसके विषय में तुम निर्देश पा ही चुके हो कि यदि वह तुम्हारे पास आये तो उसका स्वागत करना), 11 यूसतुस कहलाने वाले यीशु का भी तुम्हें नमस्कार पहुँचे। यहूदी विश्वासियों में बस ये ही परमेश्वर के राज्य के लिये मेरे साथ काम कर रहे हैं। ये मेरे लिये आनन्द का कारण रहे हैं।

12 इपफ्रास का भी तुम्हें नमस्कार पहुँचे। वह तुम्हीं में से एक है और मसीह यीशु का सेवक है। वह सदा बड़ी वेदना के साथ तुम्हारे लिये लगनपूर्वक प्रार्थना करता रहता है कि तुम आध्यात्मिक रूप से सम्पूर्ण बनने के लिये विकास करते रहो। तथा विश्वासपूर्वक परमेश्वर की इच्छा के अनुकूल बने रहो। 13 मैं इसका साक्षी हूँ कि वह तुम्हारे लिये और लौदीकिया तथा हियरापुलिस के रहने वालों के लिये सदा कड़ा परिश्रम करता रहा है। 14 प्रिय चिकित्सक लूका तथा देमास तुम्हें नमस्कार भेजते हैं।

15 लौदीकिया में रहने वाले भाइयों को तथा नमुफास और उस कलीसिया को जो उसके घर में जुड़ती है, नमस्कार पहुँचे। 16 और देखो, पत्र जब तुम्हारे सम्मुख पढ़ा जा चुके, तब इस बात का निश्चय कर लेना कि इसे लौदीकिया की कलीसिया में भी पढ़वा दिया जाये। और लौदीकिया से मेरा जो पत्र तुम्हें मिले, उसे तुम भी पढ़ लेना। 17 अखिप्पुस से कहना कि वह इस बात का ध्यान रखे कि प्रभु में जो सेवा उसे सौंपी गयी है, वह उसे निश्चय के साथ पूरा करे।

18 मैं पौलुस स्वयं अपनी लेखनी से यह नमस्कार लिख रहा हूँ। याद रखना मैं कारागार में हूँ, परमेश्वर का अनुग्रह तुम्हारे साथ रहे।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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