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Read the New Testament in 24 Weeks

A reading plan that walks through the entire New Testament in 24 weeks of daily readings.
Duration: 168 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
2 कुरिन्थियों 10-11

पौलुस द्वारा अपनी सेवा का समर्थन

10 मैं, पौलुस, निजी तौर पर मसीह की कोमलता और सहनशीलता को साक्षी करके तुमसे निवेदन करता हूँ। लोगों का कहना है कि मैं जो तुम्हारे बीच रहते हुए विनम्र हूँ किन्तु वही मैं जब तुम्हारे बीच नहीं हूँ, तो तुम्हारे लिये निर्भय हूँ। अब मेरी तुमसे प्रार्थना है कि जब मैं तुम्हारे बीच होऊँ तो उसी विश्वास के साथ वैसी निर्भयता दिखाने को मुझ पर दबाव मत डालना जैसी कि मेरे विचार में मुझे कुछ उन लोगों के विरुद्ध दिखानी होगी जो सोचते हैं कि हम एक संसारी जीवन जीते हैं। क्योंकि यद्यपि हम भी इस संसार में ही रहते हैं किन्तु हम संसारी लोगों की तरह नहीं लड़ते हैं। क्योंकि जिन शास्त्रों से हम युद्ध लड़ते हैं, वे सांसारिक नहीं हैं, बल्कि उनमें गढ़ों को तहस-नहस कर डालने के लिए परमेश्वर की शक्ति निहित है। और उन्हीं शस्त्रों से हम लोगों के तर्को का और उस प्रत्येक अवरोध का, जो परमेश्वर के ज्ञान के विरुद्ध खड़ा है, खण्डन करते हैं। जब तुममें पूरी आज्ञाकारिता है तो हम हर प्रकार की अनाज्ञा को दण्ड देने के लिए तैयार हैं।

तुम्हारे सामने जो तथ्य हैं उन्हें देखो। यदि कोई अपने मन में यह मानता है कि वह मसीह का है, तो वह अपने बारे में फिर से याद करे कि वह भी उतना ही मसीह का है जितना कि हम है। और यदि मैं अपने उस अधिकार के विषय में कुछ और गर्व करूँ, जिसे प्रभु ने हमें तुम्हारे विनाश के लिये नहीं बल्कि आध्यात्मिक निर्माण के लिये दिया है। तो इसके लिये मैं लज्जित नहीं हूँ। मैं अपने पर नियंत्रण रखूँगा कि अपने पत्रों के द्वारा तुम्हें भयभीत करने वाले के रूप में न दिखूँ। 10 मेरे विरोधियों का कहना है, “पौलुस के पत्र तो भारी भरकम और प्रभावपूर्ण होते हैं। किन्तु मेरा व्यक्तित्व दुर्बल और वाणी अर्थहीन है।” 11 किन्तु ऐसे कहने वाले व्यक्ति को समझ लेना चाहिए कि तुम्हारे बीच न रहते हुए जब हम अपने पत्रों में कुछ लिखते हैं तो उसमें और तुम्हारे बीच रहते हुए हम जो कर्म करते हैं उनमें कोई अन्तर नहीं है।

12 हम उन कुछ लोगों के साथ अपनी तुलना करने का साहस नहीं करते जो अपने आपको बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं। किन्तु जब वे अपने को एक दूसरे से नापते हैं और परस्पर अपनी तुलना करते हैं तो वे यह दर्शाते हैं कि वे नहीं जानते कि वे कितने मूर्ख हैं।

13 जो भी हो, हम उचित सीमाओं से बाहर बढ़ चढ़ कर बात नहीं करेंगे, बल्कि परमेश्वर ने हमारी गतिविधियों की जो सीमाएँ हमें सौंपी है, हम उन्हीं में रहते हैं और वे सीमाएँ तुम तक पहुँचती हैं। 14 हम अपनी सीमा का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं, जैसा कि यदि हम तुम तक नहीं पहुँच पाते तो हो जाता। किन्तु तुम तक यीशु मसीह का सुसमाचार लेकर हम तुम्हारे पास सबसे पहले पहुँचे हैं। 15 अपनी उचित सीमा से बाहर जाकर किसी दूसरे व्यक्ति के काम पर हम गर्व नहीं करते किन्तु हमें आशा है कि तुम्हारा विश्वास जैसे जैसे बढ़ेगा तो वैसे वैसे ही हमारी गतिविधियों के क्षेत्र के साथ तुम्हारे बीच हम भी व्यापक रूप से फैलेंगे। 16 इससे तुम्हारे क्षेत्र से आगे भी हम सुसमाचार का प्रचार कर पायेंगे। किसी अन्य को जो काम सौंपा गया था उस क्षेत्र में अब तक जो काम हो चुका है हम उसके लिये शेखी नहीं बघारते। 17 जैसा कि शास्त्र कहता है: “जिसे गर्व करना है वह, प्रभु ने जो कुछ किया है, उसी पर गर्व करें।”(A) 18 क्योंकि अच्छा वही माना जाता है जिसे प्रभु अच्छा स्वीकारता है, न कि वह जो अपने आप को स्वयं अच्छा समझता है।

बनावटी प्रेरित और पौलुस

11 काश, तुम मेरी थोड़ी सी मूर्खता सह लेते। हाँ, तुम उसे सह ही लो। क्योंकि मैं तुम्हारे लिये ऐसी सजगता के साथ, जो परमेश्वर से मिलती है, सजग हूँ। मैंने तुम्हारी मसीह से सगाई करा दी है ताकि तुम्हें एक पवित्र कन्या के समान उसे अर्पित कर सकूँ। किन्तु मैं डरता हूँ कि कहीं जैसे उस सर्प ने हव्वा को अपने कपट से भ्रष्ट कर दिया था, वैसे ही कहीं तुम्हारा मन भी उस एकनिष्ठ भक्ति और पवित्रता से, जो हमें मसीह के प्रति रखनी चाहिए, भटका न दिया जाये। क्योंकि जब कोई तुम्हारे पास आकर जिस यीशु का उपदेश हमने तुम्हें दिया है, उसे छोड़ किसी दूसरे यीशु का तुम्हें उपदेश देता है, अथवा जो आत्मा तुमने ग्रहण की है, उससे अलग किसी और आत्मा को तुम ग्रहण करते हो अथवा छुटकारे के जिस संदेश को तुमने ग्रहण किया है, उससे भिन्न किसी दूसरे संदेश को भी ग्रहण करते हो।

तो तुम बहुत प्रसन्न होते हो। पर मैं अपने आप को तुम्हारे उन “बड़े प्रेरितों” से बिल्कुल भी छोटा नहीं मानता। हो सकता है मेरी बोलने की शक्ति सीमित है किन्तु मेरा ज्ञान तो असीम है। इस बात को हमने सभी बातों में तुम्हें स्पष्ट रूप से दर्शाया है।

और फिर मैंने मुफ्त में सुसमाचार का उपदेश देकर तुम्हें ऊँचा उठाने के लिये अपने आप को झुकाते हुए, क्या कोई पाप किया है? मैंने दूसरी कलीसियाओं से अपना पारिश्रमिक लेकर उन्हें लूटा है ताकि मैं तुम्हारी सेवा कर सकूँ। और जब मैं तुम्हारे साथ था तब भी आवश्यकता पड़ने पर मैंने किसी पर बोझ नहीं डाला क्योंकि मकिदुनिया से आये भाईयों ने मेरी आवश्यकताएँ पूरी कर दी थीं। मैंने हर बात में अपने आप को तुम पर न बोझ बनने दिया है और न बनने दूँगा। 10 और क्योंकि मुझमें मसीह का सत्य निवास करता है, इसलिए अखाया के समूचे क्षेत्र में मुझे बढ़ चढ़कर बोलने से कोई नहीं रोक सकता। 11 भला क्यों? क्या इसलिए कि मैं तुम्हें प्यार नहीं करता? परमेश्वर जानता है, मैं तुमसे प्यार करता हूँ।

12 किन्तु जो मैं कर रहा हूँ उसे तो करता ही रहूँगा; ताकि उन तथाकथित प्रेरितों के गर्व को, जो गर्व करने का कोई ऐसा बहाना चाहते हैं जिससे वे भी उन कामों में हमारे बराबर समझे जा सकें जिनका उन्हें गर्व है; मैं उनके उस गर्व को समाप्त कर सकूँ। 13 ऐसे लोग नकली प्रेरित हैं। वे छली हैं, वे मसीह के प्रेरित होने का ढोंग करते हैं। 14 इसमें कोई अचरज नहीं है, क्योंकि शैतान भी तो परमेश्वर के दूत का रूप धारण कर लेता है। 15 इसलिए यदि उसके सेवक भी नेकी के सेवकों का सा रूप धर लें तो इसमें क्या बड़ी बात है? किन्तु अंत में उन्हें अपनी करनी के अनुसार फल तो मिलेगा ही।

पौलुस की यातनाएँ

16 मैं फिर दोहराता हूँ कि मुझे कोई मूर्ख न समझे। किन्तु यदि फिर भी तुम ऐसे समझते हो तो मुझे मूर्ख बनाकर ही स्वीकार करो। ताकि मैं भी कुछ गर्व कर सकूँ। 17 अब यह जो मैं कह रहा हूँ, वह प्रभु के अनुसार नहीं कर रहा हूँ बल्कि एक मूर्ख के रूप में गर्वपूर्ण विश्वास के साथ कह रहा हूँ। 18 क्योंकि बहुत से लोग अपने सांसारिक जीवन पर ही गर्व करते हैं। 19 फिर तो मैं भी गर्व करूँगा। और फिर तुम तो इतने समझदार हो कि मूर्खों की बातें प्रसन्नता के साथ सह लेते हो। 20 क्योंकि यदि कोई तुम्हें दास बनाये, तुम्हारा शोषण करे, तुम्हें किसी जाल में फँसाये, अपने को तुमसे बड़ा बनाये अथवा तुम्हारे मुँह पर थप्पड़ मारे तो तुम उसे सह लेते हो। 21 मैं लज्जा के साथ कह रहा हूँ, हम बहुत दुर्बल रहे हैं।

यदि कोई व्यक्ति किसी वस्तु पर गर्व करने का साहस करता है तो वैसा ही साहस मैं भी करूँगा। (मैं मूर्खतापूर्वक कह रहा हूँ) 22 इब्रानी वे ही तो नहीं हैं। मैं भी हूँ। इस्राएली वे ही तो नहीं हैं। मैं भी हूँ। इब्राहीम की संतान वे ही तो नहीं हैं। मैं भी हूँ। 23 क्या वे ही मसीह के सेवक हैं? (एक सनकी की तरह मैं यह कहता हूँ) कि मैं तो उससे भी बड़ा मसीह का दास हूँ। मैंने बहुत कठोर परिश्रम किया है। मैं बार बार जेल गया हूँ। मुझे बार बार पीटा गया है। अनेक अवसरों पर मेरा मौत से सामना हुआ है।

24 पाँच बार मैंने यहूदियों से एक कम चालीस चालीस कोड़े खाये हैं। 25 मैं तीन-तीन बार लाठियों से पीटा गया हूँ। एक बार तो मुझ पर पथराव भी किया गया। तीन बार मेरा जहाज़ डूबा। एक दिन और एक रात मैंने समुद्र के गहरे जल में बिताई। 26 मैंने भयानक नदियों, खूँखार डाकुओं स्वयं अपने लोगों, विधर्मियों, नगरों, ग्रामों, समुद्रों और दिखावटी बन्धुओं के संकटों के बीच अनेक यात्राएँ की हैं।

27 मैंने कड़ा परिश्रम करके थकावट से चूर हो कर जीवन जिया है। अनेक अवसरों पर मैं सो तक नहीं पाया हूँ। भूखा और प्यासा रहा हूँ। प्रायः मुझे खाने तक को नहीं मिल पाया है। बिना कपड़ों के ठण्ड में ठिठुरता रहा हूँ। 28 और अब और अधिक क्या कहूँ? मुझ पर सभी कलीसियाओं की चिंता का भार भी प्रतिदिन बना रहा है। 29 किसकी दुर्बलता मुझे शक्तिहीन नहीं कर देती है और किसके पाप में फँसने से मैं बेचैन नहीं होता हूँ?

30 यदि मुझे बढ़ चढ़कर बातें करनी ही हैं तो मैं उन बातों को करूँगा जो मेरी दुर्बलता की हैं। 31 परमेश्वर और प्रभु यीशु का परमपिता जो सदा ही धन्य है, जानता है कि मैं कोई झूठ नहीं बोल रहा हूँ। 32 जब मैं दमिश्क में था तो महाराजा अरितास के राज्यपाल ने दमिश्क पर घेरा डाल कर मुझे बंदी कर लेने का जतन किया था। 33 किन्तु मुझे नगर की चार दीवारी की खिड़की से टोकरी में बैठा कर नीचे उतार दिया गया और मैं उसके हाथों से बच निकला।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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