New Testament in a Year
32 हे छोटे झुंड! झन डर, काबरकि तोर ददा परमेसर ह तोला राज देके खुस हवय। 33 अपन संपत्ति ला बेंच अऊ गरीबमन ला दे। अपन बर अइसने बटुवा बनावव, जऊन ह जुन्ना नइं होवय, याने स्वरग म अपन धन जमा करव, जऊन ह कभू नइं घटय; जेकर लकठा म चोर नइं आ सकय अऊ जऊन ला कीरा घलो नइं खा सकय। 34 काबरकि जिहां तोर धन हवय, उहां तोर मन घलो लगे रहिही।”
सचेत सेवक
35 “तुमन सेवा करे बर हमेसा तियार रहव अऊ अपन दीया ला बारे रखव; 36 ओ सेवकमन सहीं, जऊन मन अपन मालिक के एक बिहाव भोज ले लहुंटे के बाट जोहत हवंय, ताकि जब ओह आवय अऊ कपाट ला खटखटावय, त ओमन तुरते ओकर बर कपाट ला खोल सकंय। 37 ओ सेवकमन बर एह खुसी के बात होही, जब ओमन के मालिक लहुंटके आथे, त ओमन ला जागत पाथे। मेंह तुमन ला सच कहथंव – ओह खुदे सेवा करे बर सेवक के कपड़ा पहिरही; ओह ओमन ला खाना खवाय बर बईठाही अऊ आके ओमन के सेवा करही। 38 ओ सेवकमन बर एह बने बात होही, यदि ओमन के मालिक रतिहा के दूसर या तीसरा पहर म आवय अऊ ओमन ला सचेत पावय। 39 पर तुमन ए बात ला जान लेवव: यदि घर के मालिक ए जानतिस कि चोर ह कतेक बेरा आही, त ओह अपन घर ला चोरी होय बर नइं छोंड़ देतिस। 40 तुमन घलो हमेसा तियार रहव, काबरकि मनखे के बेटा ह अइसने बेरा म आ जाही, जब तुमन ओकर आय के आसा नइं करत होहू।”
41 पतरस ह पुछिस, “हे परभू, ए पटंतर ला का तेंह हमर बर कहत हवस या फेर जम्मो झन बर?”
42 परभू ह जबाब देके कहिस, “ओ बिसवासी अऊ बुद्धिमान सेवक कोन ए, जऊन ला ओकर मालिक ए जिम्मेदारी देथे कि ओह घर ला चलावय अऊ आने सेवकमन ला सही समय म ओमन के भाग के खाना देवय। 43 एह ओ सेवक बर खुसी के बात होही कि जब ओकर मालिक ह आथे, त ओला अइसने करत पाथे। 44 मेंह तुमन ला सच कहत हंव कि मालिक ह ओ सेवक ला अपन जम्मो संपत्ति के जिम्मेदारी दे दिही। 45 पर यदि ओ सेवक ह अपन मन म ए कहय, ‘मोर मालिक ह आय म अब्बड़ देरी करत हवय।’ अऊ अइसने सोचके ओह आने सेवक अऊ सेविका मन ला मारन-पीटन लगय, अऊ खाय अऊ पीये लगे अऊ मतवाल हो जावय, 46 तब ओ सेवक के मालिक ह एक अइसने दिन म आ जाही, जब ओह ओकर आय के आसा नइं करत होही अऊ ओकर आय के बेरा ला घलो नइं जानत होही। तब मालिक ह ओला कठोर सजा दिही अऊ ओला अबिसवासीमन के संग म रखही।
47 ओ सेवक जऊन ह अपन मालिक के ईछा ला जानथे, पर तियार नइं रहय या जऊन बात ला ओकर मालिक चाहथे ओला नइं करय, त ओ सेवक ह बहुंत मार खाही। 48 पर जऊन सेवक ह अपन मालिक के ईछा ला नइं जानत हवय, अऊ बिगर जाने ओह गलत काम करथे, त ओह कम मार खाही। जऊन ला बहुंत दिये गे हवय, ओकर ले बहुंत मांगे जाही, अऊ जऊन ला बहुंत सऊंपे गे हवय, ओकर ले बहुंत लिये जाही।”
फूट के कारन
(मत्ती 10:34-36)
49 “मेंह धरती म आगी लगाय बर आय हवंव, अऊ मेंह ए चाहत हंव कि बने होतिस कि एम पहिली ले आगी लगे होतिस। 50 मोला एक बतिसमा म ले होके जाना हवय, अऊ जब तक ओह पूरा नइं हो जावय, मेंह बहुंत बियाकुल हवंव। 51 का तुमन ए सोचत हव कि मेंह धरती म सांति लाने बर आय हवंव। नइं, मेंह तुमन ला कहत हंव कि मेंह फूट डारे बर आय हवंव। 52 अब ले जब एक परिवार म पांच झन होहीं, त ओमन म फूट पड़ही; तीन झन ह दू झन के बिरोध म अऊ दू झन ह तीन झन के बिरोध म रहिहीं। 53 ददा ह अपन बेटा के बिरोध म होही, त बेटा ह अपन ददा के बिरोध म। दाई ह अपन बेटी के बिरोध म होही, त बेटी ह अपन दाई के बिरोध म; अऊ सास ह अपन बहू के बिरोध म होही, त बहू ह अपन सास के बिरोध म।”
समय के पहिचान करई
(मत्ती 16:2-3)
54 यीसू ह मनखेमन के भीड़ ला घलो कहिस, “जब तुमन पछिम दिग म एक बादर उठत देखथव, त तुरते तुमन कहिथव कि बारिस होवइया हवय; अऊ अइसनेच होथे। 55 अऊ जब दक्खिन दिग के हवा चलथे, त तुमन कहिथव कि गरमी बढ़इया हवय, अऊ अइसनेच होथे। 56 हे ढोंगी मनखेमन! धरती अऊ अकास ला तुमन देखके जान लेथव कि एकर का मतलब होथे; तब तुमन ए समय के मतलब ला काबर नइं जानव?
57 तुमन खुदे काबर फैसला नइं कर लेवव कि का सही ए? 58 यदि कोनो मनखे तुम्हर बिरोध म नालिस करय अऊ तुमन ला कचहरी म ले जावय, त तुमन भरसक कोसिस करव कि ओकर संग डहार म ही मामला के निपटारा हो जावय; नइं तो ओह तुमन ला नियायधीस करा खींचके ले जाही, अऊ नियायधीस ह तुमन ला पुलिस ला सऊंप दिही, अऊ पुलिस ह तुमन ला जेल म डार दिही। 59 मेंह तुमन ला कहत हंव कि जब तक तुमन एक-एक पईसा नइं भर दूहू, तब तक उहां ले नइं छूट सकव।”
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