M’Cheyne Bible Reading Plan
रूत क बोअज़ स मिलन
2 बेतलेहेम मँ एक ठु धनी मनई रहत रहा। ओकर नाउँ बोअज़ रहा। बोअज़ एलीमेलेक परिवार स नाओमी क निअरे रिस्तेदारन मँ स एक रहा।
2 एक दिना रूत (मोआबी मेहरारू) नाओमी स कहेस, “मइँ सोचत हउँ कल्ह मइँ खेतन मँ जाउँ। होइ सकत ह कि कउनो अइसा मनई मोसे मिलइ जउन मोह पइ दाया कइके, मोरे बरे उ अन्न क बटोरइ देइ जेका उ आपन खेत मँ तजत होइ।”
नाओमी कहेस, “बिटिया, ठीक अहइ जा।” 3 एह बरे रूत खेतन मँ गइ। उ फसल काटइ वाले मजदूरन क पाछे चलत रही अउर उ अन्न बटोरेस जउन तज दीन्ह गवा रहा। अइसा भवा की उ खेते क एक हींसा एलीमेलेक परिवार क एक मनई बोअज क रहा।
4 पाछे, बेतलेहेम स बोअज़ खेत मँ आवा। उ आपन मजदूरन क हालचाल पूछेस। उ कहेस, “यहोवा तोहरे संग होइ।”
मजदूरन जबाब दिहन, “यहोवा आप क आसीर्बाद देइ।”
5 तब बोअज़ आपन उ सेवक स बातन किहेस, जउन मजदूरन क निरीच्छक रहा। उ पूछेस, “बिटिया केकर अहइ?”
6 सेवक जबाब दिहस, “इ उहइ मोआबी मेहरारू अहइ जउन मोआब क पहाड़ी पहँटा स नओमी क संग आई अहइ। 7 उ बहोत भिन्सारे आइ अउ मोहसे उ पूछेस कि का मइँ मजदूरन क पाछे चल सकत हउँ अउ भुइयाँ पइ छिटके अन्न क बटोरा सकत हउँ। उ तउ तलक स काम करत रहत हीं, किन्तु उ तनिक देरी बरे आस्रय स्थान मँ रही।”
8 तब बोअज़ रूत स कहेस, “हे मोर बिटिया, सुना! तू अपने बरे अन्न बटोरइ बरे मोरे खेते मँ रहा। तोहका कउनो दूसर मनई क खेत मँ जाइ क जरूरत नाहीं अहइ। मोर मेहररू नउकरन क पाछे चलत रहा। 9 इ धियान मँ रखा की उ पचे कउने खेते मँ जात अहइँ अउर ओनकर अनुसरण करा। मइँ नउजवानन क चितउनी दइ दिहे अहउँ कि उ पचे तोहका परेसान न करइँ। जब तोहका पियास लगइ, तउ उहइ गगरी स पानी पिआ जेहसे मोर मनई पानी पिअत हीं।”
10 तब रूत प्रणाम करइ आने धरती तलक निहुरी। उ बोअज़ स कहेस, “मोका अचरज अहइ कि आप मोह पइ धियान दिहेन। मइँ एक अजनबी अहउँ, किन्तु आप मोह पइ बड़ी दाया किहेन ह।”
11 बोअज़ ओका जबाब दिहेस, “मइँ ओन सारी मदद क जानत हउँ जउन तू आपन सास नाओमी क दिहे ह। मइँ जानत हउँ कि तू ओकर मदद तब भी किहे रह्या जब तोहार भतार मर गवा रहा अउर मइँ जानत हउँ कि तू आपन महतारी-बाप अउ आपन देस तजिके इदेस मँ हिआँ आइ अहा। तू इ देस क कउनो भी मनई क नाहीं जानतिउ, फिन भी तू हिआँ नाओमी क संग आइउ। 12 यहोवा तोहका ओन सबहि नीक कामे बरे इनाम देई जउन तू किहा ह। यहोवा इस्राएल क परमेस्सर तोहका भरपूर इनाम देइ। तू ओकरे सुरच्छा क ओढ़ना मँ आसरा बरे आइ अहा।”
13 तब रूत कहेस, “आप मोह पइ बड़े दयालु अहइँ, महोदय। मइँ तउ सिरिफ एक दासी अहउँ। मइँ आप क सेवकन मँ स भी कउनो क बराबर नाहीं अहउँ। किन्तु आप मोका दाया स भरी बातन किहा ह। अउर मोका सान्त्वना दिहा ह।”
14 दुपहरिया क भोजन क समइ, बोअज़ रूत स कहेस, “हिआँ आया। हमरी रोटियन मँ स कछू खा। एह कइँती हमरे सिरकें मँ आपन रोटी बोड़ा।”
तब रूत मजदूरन क संग बठइ गइ। बोअज़ ओनका कछू भूँजा भवा अनाज दिहन। रूत जेतना चाहत रहा ओतना खाएस अउर कछू भोजन बचि गवा। 15 तब रूत उठी अउर काम करइ लउटी।
तब बोअज़ आपन सेवकन स कहेस, “रूत क आन्त क ढेरी क लगे भी अन्न बटोरइ द्या। ओका जिन रोका। 16 ओकरे काम क, ओकरे बरे कछू दाना स भरी बालन गिराइके, हलका करा। ओका उ अन्न क बटोरइ द्या। ओका रोकइ बरे जिन कहा।”
नाओमी बोअज़ क बारे मँ सुनत ह
17 रूत साँझ तलक खेत मँ अनाज एकट्ठा किहस। तब उ भूसा स अन्न क अलग किहस। उ लगभग आधा बुसल जौ जमा किहेस। 18 रूत उ अन्न क आपन सास क इ देखावइ बरे लइ गइ कि उ केतना अन्न बटोरेस ह। उ ओका उ भोजन भी दिहस जउन दुपहर क भोजन मँ स बन गवा रहा। रूत उ अन्न क अपनी सास क देखावइ बरे लइ गइ कि उ केतना अन्न बटोरेस ह। उ मोका भोजन भी दिहेस जउन दुपहरिया क भोजन मँ स बच गवा रहा।
19 ओकर सास ओहसे पूछेस, “इ अन्न तू कहाँ स बटोर्या ह? तू कहाँ काम किहा? जउन मनई तोहका सूचना दिहेस आसीर्बाद पाइ।”
तब रूत ओका बताएन कि उ केकरे संग काम किहे रही। उ कहेस, “जउने मनई क संग मइँ आजु काम किहे रहेउँ, ओकर नाउँ बोअज़ अहइ।”
20 नाओमी अपनी पतोहू स कहेस, “यहोवा ओका आसीर्बाद देइ। यहोवा सबहि पइ निरन्तर दाया करत रहत ह चाहे उ पचे जिअत होइँ या मरा होउँ।” तब नाओमी आपन पतोहू स कहेस, “बोअज़ हमारे संबन्धियन मँ स एक अहइ। बोअज़ हमार संरच्छक[a] मँ स एक अहइ।”
21 तब रूत कहेस, “बोअज़ मोका वापस आवइ अउर काम करइ क भी कहेस ह। बोअज़ कहेस ह कि मइँ सेवकन क संग तब तलक काम करत रहउँ जब तलक फसल क कटाई पूरी नाहीं होइ जात।”
22 तब नाओमी अपनी पतोहू रूत स कहेस, “इ नीक अहइ कि तू ओकरी दासियन क संग काम करत रहा। जदि तू कउनो दूसर क खेत मँ काम करबिउ तउ कउनो मनई तोहका कउनो नोस्कान पहोंचाइ सकत ह।” 23 एह बरे रूत बोअज़ क मेहररू नउकरन क संग काम करत रही। उ तब तलक अन्न बटोरेस जब तलक फसल क कटाई पूरी नाहीं भई। उ हुवाँ गोहूँ क कटनी क आखिर तलक भी काम किहस। रूत आपन सास क संग रहत रही।
पौलुस क रोम पठउब
27 जब इ तय होइ गवा कि हमका जहाज स इटली जाइ क अहइ तउ पौलुस अउर कछु दूसर बंदी मनइयन क सम्राट क फउज क यूलियुस नाउँ क एक फऊजीनायक क सौंपि दीन्ह गवा। 2 अद्रमुत्तियुम स हम पचे एक जहाजे प सवार भए जउन एसिया क तट क पहँटा स होइके जाइवाला रहा अउर समुद्दर क जात्रा प निकरेन। थिस्सलुनीके बसइया एक मैसीडोनि, जेकर नाउँ अरिस्तर्खुस रहा, भी हमरे संग रहा।
3 अगले दिन हम सैदा मँ उतरे। हुवाँ यूलियुस पौलुस क संग नीक विउहार किहेस अउर मोका ओकरे मीतन स मिलन बरे क अनुमति दइ दीन्ह गइ जेहसे उ ओकर देखभाल कर सकइ। 4 हुवाँ स हम समुद्दर-रस्ता स फिन चल पड़ेन। हम पचे साइप्रास क ओटे ओटे चलत रहे काहेकि हवा हमरे खिलाफ बहत रही। 5 फिन हम पचे किलिकिया अउर पंफूलिया क समुद्दर क पार करत भए लूसिया क मूरा पहोंचेन 6 हुवाँ फऊजीनायक क सिकन्दरिया क इटली जाइवाला एक ठु जहाज मिला। हम पचे ओह पइ सवार भएऩ।
7 कइउ दिन तलक हम पचे धीमे धीमे आगे बढ़त भए बड़ी तकलीफे स कनिदुस क समन्वा पहोंचेन मुला काहेकि हवा आपन राहे प नहीं रहइ देइ चाहत रही, तउ ह सबइ सलभौने क समन्वा क्रीत क ओट मँ आपन नाउ बढ़ावइ लागे। 8 क्रीत क किनारे-किनारे बड़ी तकलीफ स नाउ क अगवा अगवा खेवत भए एक अइसे ठउर प पहोंचेन जेकर नाउ रहा सुरच्छित बंदरगाह। हिआँ स लसया नगर लगे ही रहा।
9 समइ बहोत बीति चुका रहा अउर नाउ क आगे बढ़ाउब भी संकट स भरा रहा काहेकि तब तलक उपवास क दिन[a] बीत चुका रहा। यह बरे पौलुस चिताउनी देत भए ओनसे कहेस, 10 “अरे मनइयो, मोका लगत ह कि हमार इ सागर जात्रा नास कइ देइ, न सिरिफ माल असबाब अउर जहाजे बरे बल्कि हमरे परान बरे भी।”
11 मुला पौलुस जउन कहे रहा ओका सुनइ क सिवाय उ फऊजीनायक, जहाज क मालिक अउर कप्तान क बातन प जिआदा बिसवास करत रहा। 12 अउर काहेकि उ बन्दरगाह सीत रितु बरे चउचक नाहीं रहा, यह बरे जिआदातर मनइयन, जदि होइ सकइ तउ फीनिक्स पहोंचइ क जतन करने क ही ठान लिहेन। अउर जाड़ा हुवँइ काटइ क निस्चय किहेन। फीनिक्स पहोंचाइ क्रीत क अइसा बन्दरगाह अहइ जेकर मुँह दक्खिन पच्छिम अउर उतर पच्छिम दुइनउँ क समन्वा पड़त ह।
तूफान
13 जब तनिक तनिक दक्खिन हवा बहइ लाग तउ उ पचे सोचेन कि जइसा उ पचे चाहे रहेन, वइसा ही ओनका मिलि गवा अहइ। तउ उ पचे लंगर उठाइ लिहन अउर क्रीत क किनारे किनारे जहाज अगवा खेवइ लागेन। 14 मुला अबहिं कउनो जिआदा अहइ नाहीं बीता रहा कि द्वीप क एक कइँती स एक भयानक आँधी उठी अउर आरपार लपेटत चली गइ। इ “उत्तर पूरब” क आँधी कही जात रही। 15 जहाह तूफान मँ घिरि गवा। उ आँधी क फाड़िके अगवा नाहीं बढ़ सकत रहा तउ हम पचे ओका यों ही छोड़िके हवा क रूख चलइ दीन्ह।
16 हम क्लोदा नाउँ क एक छोटा स द्वीप क ओटे मँ बहत भए बड़ी तकलीफे स रच्छा नाउ क पाइ सकेन। 17 फिन जीवन रच्छा-नाउ क उठाए क पाछे जहाज क रस्सा क लपेटि के बाँध दिन्ह गवा अउर कहीं सुरतिस क ऊथल पानी मँ धँस न जाइ, इ डर स उ पचे जहाज क पाल उतारेन अउर जहाज क बहइ दिहेन।
18 दूसरे दिन तूफान क घातक थपेड़ा खात भए उ पचे जहाज स माल-असबाब लोकावइ लागेन। 19 अउर तीसर दिन उ पचे आपन ही हाथन स जहाजे प धरा औजार फेंक दिहेन। 20 फिन बहोत दिना तलक जब न सूरज देखान, न तारा अउर तूफान आपन घातक थपेड़ा मारत ही रहा तउ हमरे बच पावइ क आसा पूरी तरह खतम होइ गइ।
21 बहोत दिना स कउनो कछू खाएउ नाहीं रहा। तब पौलुस ओनकइ बीच खड़ा होइके कहेस, “अरे अमइयो, अगर क्रीत स रवाना न होइके मोर सलाह मान लिहे होत्या तउ तू पचे इ बिनास अउर हानि स बच जात्या। 22 मुला मइँ तोहसे अबहुँ तोहसे हठ करत हउँ कि आपन हिम्मत बाँधे रहा। काहेकि तू सबन मँ स कउनो क प्राण नाहीं खोवइ क अहइ। हाँ, बस इ जहाज क नास होइ जाइ 23 काहेकि पछली रात उ परमेस्सर क एक सरगदूत, जेकर मइँ अहउँ अउर जेकर सेवा करत हउँ, मोरे लगे आइके खड़ा भवा। 24 अउर बोला, ‘पौलुस, जिन डेराअ। मोका निहचय ही कैसर क समन्वा खड़ा होइ क बाटइ अउर ओऩ सबन क अउर तोहरे संग जात्रा करत अहइँ, परमेस्सर तोहका दइ दिहे अहइ।’ 25 तउ मनइयन, आपन हिम्मत बनाइ राखा काहेकि परमेस्सर मँ मोर बिसवास अहइ, यह बरे जइसा मोका बतावा ग अहइ ठीक वइसेन घटी। 26 किन्तु हम कउनो टापू क ऊथल पानी मँ जरूर जाइ धँसब।”
27 फिन जब चउदहवीं रात आइ हम अद्रिया क समुद्दर मँ थपेड़ा खात रहे रहेन तबहिं आधी रातिक लगे जहाज क चालकन क लाग जइसे कउनो किनारा नगिचे अहइ। 28 उ पचे समुद्दर क गहिराइ नंपेन तउ पाएन कि हुवाँ कउनो अस्सी हाथ गहिराई रही। तनिक बेर क पाछे उ पचे गहराई क फिन टोहेन अउर पा पाएन कि अब गहिराई साठ हाथ रहि गइ रही। 29 इ डर स कि उ पचे कतहुँ कउनो चट्टानी ऊथल किनारा मँ न फँसि जाइँ, उ सबइ जहाज क पिछले हींसा स चार ठु लंगर बहाएन अउर पराथना करइ लागेन कि कउनो तहर दिन निकरि आवइ। 30 ओहर जहाज क चलावइ वाला जहाज स पराइ क जतन करत रहेन। उ पचे इ हीला बनावत भए कि उ पचे जहाज क अगले हींसा स कछू लंगर बहावइ जात अहइँ, जीवन रच्छा नाउ क समुद्दर मँ उतारि दिहेन। 31 तबहिं फऊजीनायक स पौलुस कहेस, “जदि इ सबइ जहाज प नाहीं थामेन तउ तू पचे भी नाहीं बच पउब्या।” 32 तउ सिपाहियन रस्सा क काटिके जीवन रच्छा नाउ तरखाले गिराइ दिहेन।
33 भोर होइ स तनिक पहिले पौलुस इ कहत भए सब मनइयन स तनिक खइया खाइके हठ किहेस, “चौदह दिन बीति चुका अहइँ अउर तू पचे लगातर फिकिर क कारण भूखा बाट्या। तू पचे कछू भी नाहीं खाए बाट्या। 34 मइँ तोहसे कछू खाइके यह बरे हठ करत अही कि तोहरे जिअइ बरे इ जरुरी अहइ। काहेकि तू पचन मँ स कउनो क मूँड़े क एक बार तलक बाँका नाहीं होइ क बा।” 35 ऍतना कहि चुके क पाछे उ तनिक रोटी लिहेस अउर सबन क समन्वा परमेस्सर क धन्यवाद दिहेस। फिर रोटी क तोरेस अउर खाइ लाग। 36 ऍहसे ओन सबन क हिम्मत बाढ़ी अउर उ सबइ भी थोड़ा स खाना क खाएन। 37 (जहाज प कुल बटोरिके हम सबइ दुइ सौ छिहत्तर मनई रहेन।) 38 पूरा खाना खाइ चुकइ क पाछे उ पचे समुद्दर मँ अनाज बहाइके जहाज क हल्का कइ दिहेन।
जहाज क टूटब
39 जबहिं दिन क प्रकास भवा तउ उ पचे धरती क पहिचान नाहीं पाएन मुला ओनका लाग कि जइसे हुवाँ कउनो किनारा बाली खाड़ी बाटइ। उ पचे तय किहेन कि अगर होइ सकइ तउ जहाज क ठहराइ देइँ। 40 तउ उ पचे लंगर काटिके ढील दइ दिहेन अउर ओ सबन क समुद्दर मँ तरखले भहराइ दिहेन। उहइ समइ उ पचे पतवारे स बाँधा रस्सा क ढीला कइ दिहेन, फिन जहाज क अगला पतवार चढ़ाइके किनारे कइँती बढ़इ लागेन। 41 अउर ओऩकइ जहाज रेत मँ टकराइ गवा। जहाज क अगला हींसा ओहमाँ फँसिके जाम होइ गवा। अउर सक्तीवाली लहरन क थपेड़न स जहाज क पछिला हींसा टूटइ फाटइ लाग।
42 तब्बहिं सिपाही लोग कैदियन क मारि डावइ क कुचाल रचेन ताकि ओहमाँ स कउनो भी तैरके बच न पावइ। 43 मुला फऊजीनायक पौलुस क बचावा चाहत रहा, यह बरे उ ओनका ओनकइ कुचाल क पूर होइ स रोक दिहेस। उ हुकुम दिहेस कि जउन भी तैर सकत हीं, उ पचे पहिले ही किनारे पहोंच जाइँ 44 अउर बाकी मनई तख्तम या जहाजे क दूसर टुकड़न क सहारे चला जाइँ। इ तरह हर एक सुरच्छा स किनारे आइ पहोंचा।
यिर्मयाह जेलि मँ डावा गवा
37 नबूकदनेस्सर बाबुल क राजा रहा। नबूकदनेस्सर यहोयाकीम क पूत यकोन्याह क ठउरे पइ सिदकिय्याह क यहूदा क राजा तैनात किहस। सिदकिय्याह राजा योसिय्याह क पूत रहा। 2 किन्तु सिदकिय्याह यहोवा क ओन सँदेसन पइ धियान नाहीं दिहस जेनका यहोवा यिर्मयाह नबी क उपदेस देइ बरे दिहे रहा अउर सिदकिय्याह क सेवकन तथा यहूदा क लोग यहोवा क सँदेसा पइ धियान नाहीं दिहन।
3 राजा सिदकिय्याह यहूकल नाउँ क एक मनई अउर याजक सपन्याह क यिर्मयाह नबी क लगे एक ठु सँदेसा लइके पठएस। यहूकल सेलेम्याह क पूत रहा। याजक सपन्याह मासेयाह क पूत रहा। जउन सँदेसा उ पचे यिर्मयाह क बरे लिआए रहेन उ इ अहइ: “यिर्मयाह, हमार परमेस्सर यहोवा स हम लोगन बरे पराथना करा।”
4 (उ समइ तलक, यिर्मयाह जेल मँ नाहीं डावा गवा रहा, एह बरे जहाँ कहूँ उ जाइ चाहत रहा, जाइ सकत रहा। 5 उ समइ ही फिरौन क फउज मिस्र स यहूदा क प्रस्थान कइ चुकी रही। बाबुल फउज पराजित करइ बरे, यरूसलेम सहर क चारिहुँ कइँती घेरा डाइ रखे रहा। तब उ पचे मिस्र स ओनकी कइँती कूच कइ चुकी भई फउज क बारे मँ उ सुन चुका रहा। एह बरे बाबुल क फउज मिस्र स आवइवाली फउज स लड़इ बरे, यरूसलेम स हट गइ रही।)
6 यहोवा क सँदेसा यिर्मयाह नबी क मिला: 7 “इस्राएल क लोगन क परमेस्सर यहोवा जउन कहत ह, उ इ अहइ: ‘मइँ जानत हउँ कि यहूदा क राजा सिदकिय्याह तोहका मोरे लगे यहोवा स सलाह पूछइ बरे पठएस ह। राजा सिदकिय्याह क इ जवाब द्या, फिरौन क फउज हिआँ तोहार मदद बरे आवत ह, किन्तु उ फउज मिस्र क वापिस लौट जाइ। 8 ओकरे पाछे बाबुल क फउज हिआँ लउटी। इ यरूसलेम पइ हमला करी। तब बाबुल क उ फउज यरूसलेम पइ अधिकार करी अउर ओका बारि डाइ।’ 9 यहोवा जउन कहत ह, उ इ अहइ: ‘यरूसलेम क लोगो, आपन क मूर्ख जिन बनावा। तू पचे आपुस मँ जिन कहा, “बाबुल क फउज निहचइ ही, हम लोगन क सान्त छोड़ देइ।” उ नाहीं छोड़ी। 10 यरूसलेम क लोगो, जदि तू पचे बाबुल क उ सारी फउज क ह काहे न हराइ द्या जउन तू पचन पइ हमला करत अहइ, तउ भी ओनके डेरन मँ कछू घायल मनई बच जइहीं। उ पचे थोड़े घायल मनई भी आपन डेरन स बाहेर निकरिहीं अउर यरूसलेम क जराइके राख कइ देइहीं।’”
11 जब बाबुल फउज मिस्र क फिरौन क सेना क संग जुद्ध करइ बरे यरूसलेम क छोड़ेस, 12 तब यिर्मयाह यरूसलेम स बिन्यामीन प्रदेस क जात्रा करइ चाहत रहा। हुआँ उ आपन परिवार क कछू सम्पत्ति क बटवारे मँ भाग लेइ जात रहा। 13 मुला जब यिर्मयाह यरूसलेम क बिन्यामीन क दुआर पइ पहोंचा तब रच्छन क अधिकारी कप्तान ओका बन्दी बनाइ लिहन। कप्तान क नाउँ यिरिय्याह रहा। यिरिय्याह सेलेम्याह क पूत रहा। सेलेम्याह हनन्याह क पूत रहा। इ तरह कप्तान यिरिम्याह यिर्मयाह क बन्दी बनाएस अउर कहेस, “यिर्मयाह, तू हम लोगन क बाबुल पच्छ मँ मिलइ बरे, छोड़त अहा।”
14 यिर्मयाह यिरिय्याह स कहेस, “इ फुरइ नाहीं अहइ। मइँ कसदियन क संग मिलइ बरे नाहीं जात हउँ।” मुला यिरिय्याह यिर्मयाह क एक न सुनेस। यिरिय्याह यिर्मयाह क बन्दी बनाएस अउर ओका यरूसलेम क राजकीय अधिकारियन क लगे लइ गवा। 15 उ सबइ अधिकारी यिर्मयाह पइ बहोत कोहान रहेन। उ पचे यिर्मयाह क पीटइ क आदेस दिहन। तब उ पचे यिर्मयाह क जेल मँ डाइ दिहन। जेल योनातान नाउँ क मनई क घर मँ रहा। योनातान यहूदा क राजा क सास्त्री रहा। योनातान क घर जेल बनाइ दीन्ह गवा रहा। 16 ओन लोग यिर्मयाह क योनातान क घर क एक कोठरी मँ रखेन। उ कोठरी जमीन क खाले कूप-गृह रही। यिर्मयाह ओहमाँ लम्बे समइ तलक रहा।
17 तब राजा सिदकिय्याह यिर्मयाह क बोलवाएस अउर ओका राजमहल मँ लावा गवा। सिदकिय्याह यिर्मयाह स एकान्त मँ बातन किहस। उ यिर्मयाह स पूछेस, “का यहोवा क कउनो सँदेसा अहइ?”
यिर्मयाह जवाब दिहस, “हाँ, यहोवा क सँदेसा अहइ। सिदकिय्याह, तू बाबुल क राजा क हाथ मँ दइ दीन्ह जाब्या।” 18 तब यिर्मयाह राजा सिदकिय्याह स कहेस, “मइँ कउन सा अपराध किहे हउँ? मइँ कउन सा अपराध तोहरे, तोहरे अधिकारियन या यरूसलेम क खिलाफ किहे हउँ? तू मोका जेल मँ काहे बाँध्या? 19 राजा सिदकिय्याह, तोहार नबी अब कहाँ अहइँ? ओन नबियन तोहका झूठा सँदेसा दिहन। उ पचे कहेन, ‘बाबुल क राजा तोह पइ या यहूदा देस पइ हमला नाहीं करी।’ 20 मुला अब मोर यहोवा, यहूदा क राजा, कृपा कइके मोर सुना। कृपा कइके मोर निवेदन अपने तलक पहोंचइ द्या। मइँ आप स एतना माँगत हउँ। सास्त्री योनातन क घर मोका वापस जिन पठवा। जदि आप मोका हुआँ पठउब्या मइँ हुअँइ मरि जाब।”
21 एह बरे राजा सिदकिय्याह यिर्मयाह बरे आँगन मँ रच्छकन क संरच्छन मँ रहइ क आदेस दिहस कि यिर्मयाह क सड़क पइ रोटी बनावइवालन स रोटियन दीन्ह जाइ चाही। यिर्मयाह क तब तक रोटी दीन्ह जात रही जब तलक नगर मँ अउर रोटी नाहीं रहे। इ तरह यिर्मयाह आँगन मँ रच्छक क संरच्छन मँ रहा।
1 हे यहोवा, तू ऍतना दूर काहे खड़ा रहत ह?
कि संकट मँ पड़ा लोग तोहका निहारि नाहीं पउतेन।
2 अहंकारी दुट्ठ जन दुर्बल क दुःख देत हीं।
उ पचे आपन सड़यन्त्र क रचत रहत हीं।
3 दुट्ठ जन ओन चिजियन पइ घमण्ड करत हीं, जेनकर ओनका गहरी इच्छा अहइ
अउ लालची मनई परमेस्सर क कोसत रहत हीं।
इ तरह दुट्ठ देखाँवत हीं कि उ पचे यहोवा स घिना करत रहत हीं।
4 दुट्ठ लोग ऍतना घमण्डी होत हीं कि उ पचे परमेस्सर क पाछे नाहीं चल सकतेन।
उ पचे खराब खराब जोजना रचत हीं।
उ पचे अइसा करम करत हीं, जइसे परमेस्सर क कउनो अस्तित्व ही न बाटइ।
5 दुट्ठ जन सदा कुटिल करम करत हीं।
उ पचे परमेस्सर क विवेक स पूरी व्यवस्था अउ सिच्छन पइ धियान नाहीं देतेन।
हे परमेस्सर, तोहार सबहिं दुस्मन तोहरे उपदेसन क उपेच्छा करत हीं।
6 उ पचे सोचत हीं, जइसेन कउनो बुरी बात ओनके संग नाहीं घटि जाइ।
उ पचे कहत रहत हीं, “हम पचे मउज मँ रहब अउ कबहुँ भी दण्डित नाहीं होब।”
7 अइसेन दुट्ठ क मुँह सदा साप देत रहत ह।
उ पचे दूसर जन क निन्दा करत हीं अउर काम मँ लिआवइ क सदा ही बुरी बुरी जोजना रचत रहत हीं।
8 अइसे लोग गुप्त ठउरन मँ लुकान रहत हीं,
अउर लोगन क फँसावइ क प्रतीच्छा करत हीं।
उ पचे लोगन क नस्कान पहुँचावइ खातिर लुकान रहत हीं अउ निरपराधी लोगन क हत्या करत हीं।
9 दुट्ठ जन सिंह क नाई होत हीं जउन ओन गोरूअन क धरइ क घात मँ रहत हीं।
जेनका उ पचे खाइ जइहीं।
दुट्ठ जन दीन लोगन पइ मार करत हीं
ओनकर बनाए भए जालि मँ बेसहारा दीन फँसि जात हीं।
10 दुट्ठ जन बार-बार दीनन पइ घात करत
अउ ओनका दुःख देत ह।
11 एह बरे दीन जन सोचइ लागत हीं, “परमेस्सर हमका बिसराइ ही दिहस।
हमसे तउ परमेस्सर सदा-सदा बरे दूर होइ गवा बाटइ।
उन कछू भी मोरे संग घटत अहइ, ओहसे परमेस्सर दृस्टि फेरि लिहस ह!”
12 हे यहोवा, उठा अउर कछू तउ करा!
हे परमेस्सर, ओन दुट्ठ जनन क आपन हाथ उठाइके सजा द्या!
अउर ऍन दीन दुःखियन क जिन बिसरा।
13 दुट्ठ जन काहे परमेस्सर क खिलाफ होत हीं?
काहेकि उ पचे सोचत हीं कि परमेस्सर ओनका कबहुँ नाहीं दण्डित करी।
14 हे यहोवा, तू ही अहइ जउन बुरे लोगन दुआरा कीन्ह भावा अत्याचार अउर बुरे कामन क कउनो स भी जियादा लखत ह।
तू एकर बारे मँ कछू कदम उठा।
दुःखन स घिरा लोग मदद माँगइ तोहरे लगे आवत हीं।
हे यहोवा, सिरिफ तू ही अनाथ लोगन क सहायक अहा, एह बरे ओनकर रच्छा करा।
15 हे यहोवा, दुट्ठ जनन क तू नस्ट कइ द्या।
16 तू ओनका आपन धरती स
ढकेलिके बाहेर करा!
17 हे यहोवा, दीन दुःखी लोग जउन चाहत हीं उ तू सुनि लिहा।
ओनकर पराथना सुना अउर ओनका पूरा करा जेनका उ पचे माँगत हीं।
18 हे यहोवा, अनाथ गदेलन क तू रच्छा करा।
दुःखी लोगन क अउर जियादा दुःख जिन पावइ द्या।
दुट्ठ लोगन क तू ऍतना भयभीत कइ द्या कि उ पचे हिआँ न टिक पावइँ।
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.