M’Cheyne Bible Reading Plan
सबित क नेम
35 मूसा इस्राएल क सबहिं मनइयन क बटोरेस। मूसा ओनसे कहेस, “मइँ उ सब आदेसन क बताउब जउन यहोवा तू पचन्क करइ क आदेस दिहस ह।
2 “काम करइ क छ: दिन अहइँ। मुला सातवाँ दिन तू पचन्क अराम क दिन खास दिन होइ। उ खास दिन अराम कइके तू पचे यहोवा क स्रद्धा देब्या। जदि कउनो सातवाँ दिन काम करी तउ ओका जरूर मारि डावा जाइ। 3 सबित क दिना तू सबन्क कउने ठउर प आगी तलक नाहीं बारइ चाही जहाँ कहूँ तू पचे रहत बाट्या।”
पवित्तर तम्बू क सामान
4 मूसा इस्राएल क सबहिं मनइयन स कहेस, “इहइ बा जउन यहोवा हुकुम दिहे अहइ। 5 यहोवा बरे खास भेंट बटोरा। तोहका आपन मन मँ ठान लेइ चाही कि तू पचे का भेंट मँ देब्या। अउर तब तू उ भेंट यहोवा क लगे लइ आवा। सोना, चाँदी, काँसा, 6 नीला बैगनी अउ लाल कपड़ा, उत्तिम सन अउ बोकरी क बार, 7 भेड़ी क लाल रंगी खाल, उत्तिम चाम, बबुरे क लकड़ी, 8 दिया बरे जइतूने क तेल, अभिसेक क तेल बरे मसाले सुगन्धि धूप बरे मसाला, 9 गोमेद रतन अउ दूसर रतन एपोद अउर निआव क थइला प लगावा जइहीं।
10 “आप सबहिं कुसल कारीगर क चाही कि यहोवा जउन चीजन्क हुकुम दिहे अहइँ ओनका बनावा। इ सबइ उ चीज अहइँ जेनके बरे यहोवा हुकुम दिहे अहइँ। 11 पवित्तर तम्बू, ऍकरे बाहेर क तम्बू, अउ एकर ढकना, हुक, तखता, पाटी, खम्भा अउ आधार। 12 पवित्तर संदूख, अउ एकर खम्भन अउ संदूखे क ढकना, अउ दरवाजे क रास्ता क ढाँपइ बरे पर्दा। 13 मेज अउ एकर खम्भन, मेजे प धरी जाइवाली सब चीज, अउ मेजे प धरी जाइवाली खास रोटी, 14 रोसनी क बइपरइ बरे डीबट, अउर ऍकर सबइ बासन, ऍकर दिया, अउ रोसनी बरे तेल, 15 धूप बारइ बरे वेदी अउ ऍकर खम्भन, अभिसेक क तेल अउ महकउआ धूप, बइठकावाला तम्बू क प्रवेस दुआर क ढाकइ वाली कनात, 16 होमबलि क बारइ बरे वेदी, एकर काँसा क झंझरी, खम्भन अउ वेदी प बइपरइ बरे सबहिं चिजियन, काँसा क खोरा अउ आधार, 17 आँगन क चारिहुँ कइँती पर्दा, अउर खम्भा अउ एकर आधार, अउर आँगन क प्रवेस दुआर क ढकइवाला कनात, 18 तम्बू क थामइ बरे बइपरइ खातिर खूँटी अउर आँगन क घेरइवाला पर्दा क दिवार, खूँटी स बाँधइवाली लसुरी। 19 अउ खास बुना भवा ओढ़ना जेका याजक पवित्तर ठउरे प पहिरहीं। इ खास ओढ़ना हारून अउ ओकरे बेटवन क पहिरइ बरे अहइँ। उ पचे इ ओढ़ना क तब पहिरहीं जब उ पचे याजक क रूप मँ सेवा करिहीं।”
लोगन क बड़का भेंट
20 तब इस्राएल क सबहिं मनई मूसा क लगे स चलेन। 21 सबहिं मनइयन जउन भेंट चढ़ावइ चाहत रहेन आएन अउर यहोवा बरे भेंट लिआएन। इ भेंट बइठकावाला तम्बू क बनावइ, तम्बू क सब चीजन अउ खास ओढ़ना बनावइ क काम मँ लाइ गइन। 22 सबहिं मेहरारू-मनसेधू, जउन चढ़ावा देइ चाहत रहेन, किसिम किसिम क आपन-आपन सोना क गहना लइ आएन। उ सबइ पिन, कान क बाली, मुंदरी, दूसर गहना लइ आएन। उ पचे आपन सबहिं गहना क चढ़ाएन। इ यहोवा क खास भेंट रही।
23 हर मनई जेकरे लगे नीला, बैगंनी अउ लाल कपड़ा अउर सन क उत्तिम रेसा रहा, उ इ सबन्क यहोवा क लगे लइ आवा। उ मनई जेकरे लगे बोकरी क बार, लाल रंग क भेड़ी क खाल, उत्तिम चमड़ा रहा, ओका उ यहोवा क लगे लइ आवा। 24 हर मनई जउन चाँदी, काँसा चढ़ावइ चाहत रहा यहोवा क भेंट क रूप मँ ओका लियाएस। हर मनई जेकरे लगे बबुरे क लकड़ी रही, आवा अउ ओका यहोवा क चढ़ाएस। 25 हर माहिर मेहरारू सन क उत्तिम रेसावाला नीला, बैगनी अउ लाल ओढ़ना बनाएस। 26 उ सबहिं मेहरारू जउन माहिर रहीं अउ इ काम बरे ओकर मदद करइ सकत हीं उ पचे बोकरी क बारे स ओढ़ना बनाएन।
27 नेतन सुलेमानी पाथर तथा दूसर रतन लइ आएन। इ सब नग अउ रतन याजक क एपोद अउ निआउ क थइली मँ लगाए रहेन। 28 लोग मसाला अउ जइतून क तेल भी लइ आएन। इ चीजन महकउआ धूप, अभिसेक क तेल अउ दिया क तेल बरे बइपरी गइन।
29 इस्राएल क सबहिं मनइयन जउन मदद करइ चाहत रहेन यहोवा बरे भेंट लइ आएन। मनइयन इ सबहीं भेंट दिल खोलिके जेतन उ पचे चाहेस दिहेन। इ भेंट उ सबइ चीजन्क बनवइ बरे काम मँ आइन जेका यहोवा मूसा अउ लोगन क बनाइ क हुकुम दिहे रहेन।
बसलेल अउ ओहोलीअब
30 तब मूसा इस्राएल क मनइयन स कहेस, “लखा यहोवा बसलेल, उरि क बेटवा (उरि हूर क बेटवा रहा) जउन यहूदा क परिवार गोत्र स रहा क चुनेस। 31 अउर उ बसलेल क परमेस्सर क आतिमा स भरि दिहस। इसलिए उ बुद्धि स परिपूर्ण अहइ अउर उ हर प्रकार क सिल्पकारी कार्य क करइ मँ होसियार अउ माहिर अहइ। 32 उ सोना, चाँदी अउ काँसा क चीजन्क नमूना बनाइ सकत ह। 33 उ नग अउर रतन क काट अउ जड़ सकत ह। बसलेल लकड़ी क काम कइ सकत ह अउर सबहिं तरह की चीजन क बनइ सकत ह। 34 यहोवा बसलेल अउ ओहोलीआब क दूसर लोगन क सिखवइ क जोग्यता दइ दिहस ह। (ओहोलीआब दन क परिवार गोत्र स अहीसामाक क पूत रहा।) 35 यहोवा इ दुइनउँ मनइयन क सब तरह क काम कइ क कुसलता दइ दिहस। ह। उ पचे बढ़ई अउ लोहार क काम करइ क जोग्यता रखत हीं। उ सबइ नीला, बैगनी अउ लाल ओढ़ना अउ सन क उत्तिम रेसा वाला कपड़ा स तस्बीर क काढ़िके ओनका बुन सकत हीं। अउर उ पचे ऊन स भी चीजन्क बुन सकत हीं। उ सबइ प्रकार क काम करइ सकत ह अउर सबइ प्रकार क कलाकारी बनाइ सकत ह।
ईसू क चेलन क समझाऊब
14 ईसू कहेस, “तू सबन्क परेसान न होइ चाही। परमेस्सर मँ बिसवास करा अउर मोरे मँ बिसवास बनाए रखा। 2 मोरे पिता क घरे मँ तमाम कमरा अहइँ। जदि अइसा न होत तउ मइँ तोहसे कहि देइत मइँ तोहरे सबेन्ह क बरे जगह बनावइ जात अहउँ। 3 अउर जदि मइँ हुवाँ जाई अउर तोहरे बरे जगह बनाईं तउ मइ फिन हिआँ आउब अउर अपने साथ तोहका सबेन्ह क हुवाँ लइ चलब जइसे कि तू पचे हुवाँ रहा, जहाँ मइँ रहब। 4 अउर जहाँ मइँ जात अहउँ हुवाँ क रास्ता तोहका पता अहइ।”
5 थोमा ओसे कहेस, “पर्भू, हम नाहीं जानत अही कि तू कहाँ जात अहा। फिन हुवाँ क रास्ता कइसे जान सकित ह?”
6 ईसू ओसे कहेस, “मइँ रस्ता अहउँ, सच्चाई अहउँ अउर जीवन अहउँ। मोरे बगैर कउनो परमपिता क लगे नाहीं आइ सकत। 7 जदि तू मोका जान लेत्या तउ तू परमपिता क जान लेत्या। अउर तू ओका जानत अहा अउर ओका देखि चुका अहा।”
8 फिलिप्पुस ओसे कहेस, “पर्भू हमका परमपिता क दर्सन कराइ द्या। हमका संतोस होइ जाई।”
9 ईसू ओसे केहस, “फिलिप्पुस मइँ ऍतने जियादा समइ स तोहरे साथ अहउँ अउर तू तबहूँ मोका नाहीं जानत अहा? जे मोका देख लिहेस, उ परमपिता क देख लिहेस। फिन तू कइसे कहत अहा, ‘हमका परमपिता क दर्सन कराइ द्या’ 10 का तोहका इ बिसवास नाहीं अहइ कि मइँ परमपिता मँ अहउँ अउर परमपिता मोरे मँ अहइ? जउऩ बात मइँ तोहसे कहत अहउँ, अपनी तरफ स नाहीं कहत अहउँ। परमपिता जउऩ मोरे मँ रहत ह, आपन काम करत ह। 11 जदि मइँ कहत अहउँ कि मइँ परमपिता मँ अहउँ अउर परमपिता मोरे मँ अहइ, तउ मोर बिसवास करा अउर जदि नाहीं तउ उ अद्भुत कारजन क कारण बिसवास करा जउऩ मइँ किहेउँ ह।
12 “मइँ तोहसे सच्ची बात कहत अही, जउन मोरे मँ बिसवास करत ह, उहइ वइसे काम करत ह जइसे मइँ करित ह। उ तउ इ सब कामन स बड़ा काम करी। काहेकि मइँ परमपिता क पास जात अहउँ। 13 अउर मइँ उ सब कारज करबइ जउऩ तू पचे मोरे नाउँ स मँगब्या, जइसे कि पूत परमपिता क महिमा करइ। 14 जब तू हमसे मोरे नाउँ स कछू मँगब्या, ओका मइँ करबइ।
पवित्तर आतिमा क कसम
15 “जउ तू मोसे पिरेम करत होब्या, तउ हमरी आग्या क पालन करब्या। 16 मइँ परमपिता क पराथना करबइ अउर उ तोहका सबेन्ह का एक दूसर सहायक देइ जउन तोहरे साथे हमेसा रही। 17 एकर मतलब अहइ ‘सच्चाई क आतिमा’[a] जेहका दुनिया लेइ नाहीं पावत, काहेकि उ न तउ देखत ह अउर न तउ जानत ह। तू सबेन्ह ओका जानत ह, काहेकि उ आज तोहरे साथ रहत ह। अउर आगे तोहरेन मँ साथे रही।
18 “मइँ तोहका सबेन्ह क अनाथ न छोड़ब। मइँ तोहरे पास आवत अहउँ। 19 कछू देर क बाद दुनिया मोका अउर न देखी मुला तू पचे मोका देखब्या काहेकि मइँ जिअत अही अउर तू सबेन्ह जिअत रहब्या। 20 उहइ दिन तू सबेन्ह जानि पउब्या कि मइँ परमपिता मँ अहउँ, तू मोरे अन्दर अहा अउर मइँ तोहरे अन्दर। 21 जउन मनई मोर आदेसन क जानत हइ अउर ओनकइ पालन करत ह, मोसे पिरेम करत ह। जे मोका पिरेम करत ह ओका परमपिता पिरेम करी। मइँ भी उहइ क पिरेम करब अउर खुदइ क ओकरे ऊपर परगट करबइ।”
22 यहूदा (यहूदा इस्करियोती नाहीं) ओसे कहेस, “पर्भू, काहे बरे तू खुदइ क हमरे ऊपर परगट करा चाहत ह अउर दुनिया प नाहीं?”
23 ऍकरे जवाब मँ ईसू ओसे कहेस, “जउन मनई मोरे मँ पिरेम करत ह, उ मोरी बातन क मानत ह, अउर ओसे परमपिता पिरेम करी। मइँ अउर मोर परमपिता ओकरे पास आउब अउर उहइ क साथ रहबइ। 24 जउन मनई मोसे पिरेम नाहीं करत, उ मोर उपदेस क नाहीं मानत। मइँ जउन उपदेस तोहका देत अही, उ मोर न अहइ उ पिता क उपदेस अहइ, जउन मोका भेजेस।”
25 “इ सब बात मइँ तोहसे सबेन्ह स तबहीं बताए रहेउँ जब मइँ तोहरे साथ रहेउँ। 26 मुला उ सहायक (अर्थात पवित्तर आतिमा) जेहिका परमपिता मोरे नाउँ स भेजी, तोहका पचन्क सब कछू बताई। अउर जउन कछू मइँ तोहका पचन्क बताए अहउँ, ओका तोह पचे का याद कराई।”
27 “मइँ तोहरे बरे आपन सांति छोड़त अहउँ। मइँ तोहका पचन्क खुदइ आपन सांति देत अही। मुला मइँ ऍका वइसे नाहीं देत अहउँ, जइसे दुनिया देत ह। तोहरे मन क घबराइ क जरूरत नाहीं अहइ अउर न तउ ओका डेराइ चाही। 28 तू मोका कहत सुने अहा, ‘मइँ जात अहउँ अउर तोहरे लगे फिन आउब।’ जदि तू मोसे पिरेम करे होत्या तउ तू खुस होई जात्या, काहेकि मइँ परमपिता क लगे जात अहउँ। काहेकि परमपिता मोसे बड़ा अहइ। 29 अउर अबहीं इ सब घटित होइ क पहिले मइँ तोहका बताइ दिहे अही, जइसे कि जउ इ घटित होइ जाइ तउ तू पचे बिसवास कइ सका।
30 “अउर जियादा समइ अब मइँ तोहरे साथ बात न करिब इ बरे कि जगत क सासक आवत अहइ। मोरे ऊपर ओकर बस नाहीं चलत। 31 मुला इ सब बात इ बरे होत अहइँ जइसे कि दुनिया जान जाइ कि मइँ परमपिता स पिरेम करित ह। अउर परमपिता जइसी आग्या हमका दिहे अहइ, मइँ बइसे करत अही।
“अबहीं उठा हम सबेन्ह हिआँ स चल देइ।”
11 यहोवा छले क तराजू स घिना करत ह, मुला ओकर आंनद सही नाप-तौल पइ अहइ।
2 अभिमान क संग अपमान आवत ह, मुला नम्रता क संग विवेक आवत ह।
3 इमानदार लोगन क नेकी ओनकर अगुवाई करत ह, मुला बिस्सासघाती क कपट ओनका विनास करत ह।
4 जब परमेस्सर लोगन क परखत ह तउ धन बियर्थ रहत ह। इ काम नाहीं आवत ह। मुला तब नेकी लोगन क मउत स बचावत ह।
5 नेकी निर्दोख जन बरे मारग सरल सोझ बनावत ह, मुला दुट्ठ जन क ओकर आपन ही दुट्ठई धूरि चटाइ देत ह।
6 नेकी सज्जन लोगन क छोड़ावत ह। मुला धोकाबाज आपन ही बुरे जोजना जालि क मँ फँस जात ह।
7 जब दुट्ठ मरत ह तउ ओकर बरे कउनो आसा नाही रहत ह। बुरे मनइ क आसा बियर्थ होइ जाइ।
8 धर्मी जन तउ बिपत्ति स छुटकारा पाइ लेत ह, जबकि ओकरे बदले उ दुट्ठ पइ आइ पड़त ह।
9 बुरे लोगन क वाणी आपन पड़ोसी क लइ बूड़त ह। मुला गियान क जरिये धर्मी जन तउ बचि निकरत ह।
10 धर्मी क विकास सहर क आनन्द स भरि देत ह। जबकि दुट्ठ क नास हर्सनाद उपजावत।
11 सच्चे जने क आसीस तउ सहर क ऊँच उठाइ देत ह मुला दुट्ठ क बातन खाले गिराइ देत हीं।
12 अइसा मनई जेकरे लगे विवेक नाहीं होत, उ आपन पड़ोसी क अपमान करत ह, मुला समुझदार मनई चुपचाप रहत ह।
13 जउन अफवाह फैलावत ह उ भेद परगट करत ह, किन्तु बिस्सासी जन भेद क छुपावत ह।
14 जहाँ मारग दर्सन नाहीं, हुआँ रास्ट्र पतित होत ह, मुला बहुत सलाहकार जीत क सुनिस्चित करत हीं।
15 जउन अनजाने मनइयन क जामिन बनत ह, उ निहचइ ही पीड़ा उठाइ। मुला जउन जामिन बनावइ स बचत ह उ आपन आप क सुरच्छा करत ह।
16 दयालु मेहरारू तउ आदर पावत ह जबकि क्रूर मनई क लाभ सिरिफ धन अहइ।
17 दयालु मनई खुद आपन भला करत ह, जबकि निर्दयी मनई खुद पइ विपत्ति लिआवत ह।
18 दुट्ठ जन कपट भरी कमाई कमाता ह, मुला जउन नेकी क बोवत ह, ओका तउ सच्चा प्रतिफले क पाउब अहइ।
19 उ जउन धार्मिकता मँ मजबूत अहइ लम्बी उमिर पावत ह। किन्तु जउन बुराई क अनुसरण करत ह कुसमइ मरि जात ह।
20 कुटिल जनन स, यहोवा घिना करत ह मुला उ ओनसे खुस होत ह जेनका जिन्नगी स्वच्छ होत हीं।
21 इ जाना निहचित अहइ कि दुट्ठ जन कबहुँ सजा स नाहीं बचिहीं। किन्तु धर्मी जन अउर ओनकर गदेलन सजा स बचिहीं।
22 जउन नीक बुरा मँ फरक नाहीं करत, उ मेहरारू क सुन्नरता अइसी अहइ जइसे कउनो सुअरे क थूथुन मँ सोना क नथुनी।
23 धर्मी मनई क अभिलासा क भलाई मँ अंत होत ह। मुला दुट्ठ क आसा सिरिफ किरोध मँ अंत होत ह।
24 जउन उदार अजाद भाव स दान देत ह, उन्नती करिहीं। मुल उ जउन ओन चिजियन क आपन लगे रखत ह जेका देइ चाही, ओकर लगे उ नाही होइ जेन्का जरुरत ओका अहइ।
25 उदार जन तउ हमेसा, फूली फली अउर जउन दूसरन क पिआस बुझाइ, ओकर तउ पिआस अपने आप ही बुझी।
26 अन्न क जमाखोर लोगन क गारी खात हीं, मुला जउन ओका बेचइ क राजी होत ह ओकरे मूँड़ बरदान क मकुट स सजत ह।
27 जउन भलाई पावइ क जतन करत ह उहइ जस पावत ह; मुला जउन बुराई क पाछे पड़ा रहत ओकरे तउ हथवा बुराई ही लागत ह।
28 जउन कउनो आपन धने क भरोसा करत ह, झरि जाइ उ बेजीव झुरान पाते जइसा; मुला धर्मी जन नवी हरियर कोंपर स हरा-भरा ही रही।
29 जउने आपन घराने पइ अपमान लिआइ ओका कछू भी नाही मिली। एक मूरख, बुद्धिमान क दास बनिके रही।
30 धर्मी मनई क करम-फल “जिन्नगी क बृच्छ” अहइ, अउर जउन जन आतिमान क जीत लेत ह, उहइ बुद्धिमान अहइ।
31 अगर इ धरती पइ धर्मी जन आपन उचित प्रतिफल पावत हीं, तउ फुन पापी अउ दुट्ठ जन आपन कुकरमन क केँतना फल हिआँ पइहीं।
एक देह
4 तउन मइँ, जउन पर्भू क होई कारण बन्दी बना भवा हउँ। तू लोगन स पराथना करत हउँ कि तू सबन क आपन जीवन वइसे ही जिअइ चाही जइसे न कि सन्तन क अनुकूल होत ह। 2 हमेसा नम्रता अउर कोमलता क साथे, धीरज क साथ आचरण। अउर एक दूसरे क पिरेम स कहत रहा। 3 उ सान्ति, जउन तू पचन क आपस मँ बाँधत ह, ओसे उत्पन्न आतिमा क एकता क बनाए रखइ क बरे हर तरह क यत्न करत रहा। 4 देह एक बा अउर पवित्तर आतिमा भी एक्कइ बा। अइसेन ही जब तोहे बोलॉवा गवा त एक्कई आसा मँ भगीदार होइ क बरे ही बोलावा गवा। 5 एक्कइ परमेस्सर बा, एक्कइ बिसवास बा अउर बा एक्कइ बपतिस्मा। 6 परमेस्सर जउन सबका परमपिता अहइ एक्कइ बा। उहइ सब कछू क स्वामी बा, हर कउनो क द्वारा उहइ क्रियासील बा, अउर हर मँ उहइ समावा बाटई।
7 ईसू हममें स हर कउनो क एक विशेष उपहार दिहे अहइ। हर मनई उहइ पाएस जेका ईसू ओका देइ चाहत रहा। 8 इही बरे सास्त्रन कहत हीं:
“ऊँचा चढ़ा उ अकासे मँ
आपन संग बन्दी क लिहेस
अउर दिहेस लोगन क आपन आनन्द।” (A)
9 अब देखा। जब उ कहत ह “ऊँचे चढ़ा” तउ एकर अर्थ एकरे अलावा का बा? कि उ धरती क नीचे हींसा पर उतरा रहा। 10 जउन नीचे उतरा रहा, उ उहइ अहइ जउन ऊँचे पइ चढ़ा रह ऍतना ऊँचा कि सभन अकासन स उप्पर ताकि उ सब कउनो क आपन संग सम्मूर्ण कइ देइ। 11 उ लोगन क कछू प्रेरितन होइ क वरदान दिहेस तउ कछू क नबियन होई क तउ कछू क सुसमाचार क प्रचारक होइके तउ कछू क परमेस्सर क जनन क रच्छक गड़ेरिया अउर सिच्छा क। 12 मसीह तउ ओन्हे इ बरदान परमेस्सर क पवित्तर लोगन क सेवा काम क बरे तइयार करइ दिहेस ताकि हम जउन मसीह क देह अही, आतिमा मँ अउर दृढ़ होइ। 13 जब तलक कि हम सभन मँ बिसवास मँ अउर परमेस्सर क बेटवा क गियान मँ एकाकार होई क परिपक्क मनई बनई क बरे विकास करत-करत मसीह क पूरा गौरव क ऊँचाई अउर परिपक्कता क न छुइ लेई।
14 ताकि हम अइसेन गदेलन न बना रहीं जउन हर कउनो क अइसेन नई सिच्छा क हवा स उछली जाई। हम पचे उ जहाजे क तरह मनइयन न बना रही जउन लहर स एक कइँती स दूसरी कइँती चला जात हीं। जउन हमरे रस्ता मँ बहत ह, लोगन क दल स भरा व्यवहार स, अइसेन धूर्तता स, जउन ठगन स भरी सब योजना क प्रेरित करत रही, एहर-ओहर भटकाई दीन्ह जात हीं। 15 बल्कि हम पिरेम क साथे सच बोलत हर तरह स मसीह क जइसेन बनई क बरे विकास करत जाई। मसीह मस्तक बा अउर हम पचे ओकर देह अही। 16 जेह पर सबहिं देह निर्भर करत ह। इ देह[a] सबहिं का ओसे जोड़त ह। हर एक सहायक नस स संयुक्त होत ह अउर जब एकर हर अंग जउन काम ओका करई चाहइ, ओका पूरा करत ह। तउ पिरेम क साथे समूची देह क विकास होत ह अउर इ देह खुद मजबूत होत ह।
अइसन जिआ
17 मइँ इही बरे इ कहत हउँ अउर पर्भू क साच्छी कइके तोहे चेतावनी देत हउँ कि ओन व्यर्थ क विचारन क साथे अधर्मियन क जइसेन जीवन जीअत रहा। 18 ओनकर बुद्धि अंधकार स भरी बा। उ परमेस्सर स मिलइ वाले जीवन स पूर अहई। काहेकि उ अबोध बा अउर ओनकर मन जड़ होइ गवा बा। 19 सरम क भावना ओनमें स जात रही। अउर ओ आपन क इन्द्रियन क बुरे काम मँ लगाई दिहेन। बिना कउनउ बन्धन माने ओ सब तरह क अपवित्रता मँ जुटा हयेन। 20 परन्तु मसीह क बारे मँ तू जउन कछू जाने अहा, उ त अइसेन नाहीं बा। 21 (मोका कउनउ सन्देह नाहीं बा कि तू ओकरे बारे मँ सुने अहा, अउर उ सच जउन ईसू मँ निवास करत ह, ओकरे अनुसार तोहे ओकर चेलन क रुप मँ सिच्छित कीन्ह गवा बा।) 22 जहाँ तलक तोहरे पुराने जीवन प्रकार क सम्बन्ध बा, तोहे सिच्छा दीन्ह गइ रही कि तू आपन पुराना व्यत्तित्व जउन जर्जर होइ रहा बाटइ ओका उतारके फेंका जउन ओकर भटकावइवाली इच्छान क कारण भ्रस्ट बना भआ बा। 23 जेहसे बुद्धि अउर आतिमा मँ तोहे नवा कीन्ह जाइ सकई। 24 अउर तू उ नवा सरूप क धारण कइ सका जउन परमेस्सर क अनुरूप सचमुस नेक अउर पवित्तर बनवइ बरे रचा गवा बा।
25 तउन तू पचे झूठ बोलइ क तियाग कइ द्या। आपस मँ सब कउनो क सच बोलई चाही काहेकि हम सब एक सरीर क अंग अही। 26 जब तू त्रोध करा, तब पाप करइ स बचा। तोर किरोध सूरज अस्त होय तक बना न रहइ। 27 सइतान क आपन पर हावी न होइ द्या। 28 जे चोरी करत आवत, उ आगे चोरी न करइ। बल्कि ओका काम करइ चाही, खुद आपन हाथे स उपयोगी काम। ताकि ओकर पास जेकर आवस्यकता बा ओकर साथे बाटइ क कछू होइ सकइ।
29 तोहरे मुँहे स कउनउ अनुचित शब्द न निकलइ चाही, बल्कि लोगन क विकास क बरे जेकर अपेच्छा बा, अइसेन उतम बातई निकलई चाही, ताकि जे सुनई ओकर ओसे भला होइ। 30 परमेस्सर क पवित्तर आतिमा क दुःखी न करत रहा काहेकि परमेस्सर क सम्पत्ति क रूप मँ तोह पर छुटकारा क दिना क बरे आतिमा क साथे मोहर लगाई दीन्ह गइ बा। 31 पूरी कड़वाहट, झुँझलाहट, क्रोध, चीख-चिल्लाहट अउर निन्दा क तू आपन भीतर स सब तरह क बुराई क साथे निकारिके बाहर फेंका। 32 परस्पर एक दूसरे क बरे दयालु अउर करुनावन बना। अउर आपस मँ एक दूसरे क अपराधन क वइसेन ही छमा करा जइसे मसीह क द्वारा तोहका परमेस्सर छमा किहे अहइ।
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.