M’Cheyne Bible Reading Plan
7 यहोवा मूसा स कहेस, “मइँ तोहरे संग रहब। फिरौन बरे तू एक बड़वार राजा[a] क तरह रहब्या। अउर हारून तोहार हकदार बोलवइया[b] होइ। 2 जउन हुकुम मइँ देत हउँ उ सब हारून स कहा। तबहिं उ उ बतियन क जउन मइँ कहत हउँ, फिरौन स कही। अउर फिरौन इस्राएल क मनइयन इ देसे स जाइ देइ। 3 मुला मइँ फिरौन क जिद्दी बनउब। उ तोहार मांग क न मानी। तबहिं मइँ मिस्र मँ बहोत स चमत्कारन, चिन्ह अउर आस्चर्य जनक काम करिबेउँ। 4 मुला उ तउ भी तोहार नाहीं सुनी। ऍह बरे मइँ मिस्र क बुरी तरह स सजा देब। अउ मइँ आपन लोगन, इस्राएलियन क मिस्र देस स बाहेर लइ जाब। 5 तब मिस्र क मनइयन जनिहीं कि मइँ यहोवा अहउँ। जब मइँ ओन पचन्क खिलाफ होब अउर आपन लोग एस्राएलियन क ओनके देस स बाहेर लइ जाब।”
6 मूसा अउ हारून उन बातन क मान लिहेन जेका यहोवा कहे रहा। 7 तउ मूसा अस्सी बरिस क रहा अउ हारून तिरासी बरिस क।
मूसा क टहरइ क छड़ी साँप होइ जात ह
8 यहोवा मूसा अउ हारून स कहेस, 9 “फिरौन तोहसे तोहार सक्ती क सिद्ध करइ बरे कही। उ तोहसे चमत्कार करइ बरे कही। उ समइया तू हारून स कहया कि भुइँया प टहरइ क छड़ी बहाइ द्या। जउन समइया फिरौन देखत रहत होइ, छड़ी साँप बन जाई।”
10 तउ मूसा अउ हारून फिरौन क लगे गएन अउ यहोवा क हुकुम क मानेन। हारून आपन छड़ी खाले बहाइ दिहस। फिरौन अउ ओनके अफसरन क लखत-लखत तबहीं छड़ी साँप बनि गइ।
11 ऍह बरे फिरौन आपन बुद्धिमान अउ जादूगरन क बोलाएस। इ पचे जन्तर मन्तर किहेन अउ हारून की नाई चमत्कार किहेन। 12 उ पचे आपन टहरइवाली छड़ी क भुइँया प बहाएन अउ उ सबन साँप बनि गइन। मुला तबहिं हारून क छड़ी उ छड़िन क खाइ लिहस। 13 फिरौन तउ भी इस्राएली दास क जाइ स मना किहस। इ वइसा ही भवा जइसा यहोवा कहेस। फिरौन मूसा अउ हारून क बात सुनइ स मना कइ दिहस।
पानी क रकत बन जाब
14 तब यहोवा मूसा अउ हारून स कहेस, “फिरौन हठ धरे बा। फिरौन मनइयन क जाइ स मना करत ह। 15 भिन्सारे फिरौन नदी क किनारे जाइ। ओकरे संग भेट करइ बरे नील नदी क किनारे जा। तू अपने साथे उ छड़ी क लइ जाया जउन साँप होइ ग रही। 16 ओका इ कहया: ‘परमेस्सर, हिब्रू लोगन क यहोवा, मोका तोहरे लगे पठएस ह। यहोवा मोसे इ कहइ क बोलेस ह, “मोरे लोगन क मोर आराधना करइ बरे रेगिस्तान मँ जाइ द्या।” अबहुँ तलक तू यहोवा क कहब नाहीं मान्या। 17 ऍह बरे यहोवा कहत ह कि उ तोहका लखावइ बरे कछू करी कि उ यहोवा अहइ। मइँ आपन हाथे मँ छड़ी लइके पानी प मारब अउ नील नदी रकत मँ बदल जाइ। 18 तब नील नदी क मछरियन मरि जइहीं अउ नदी बसाइ लागी। तब मिस्री मनइयन नदी क पानी न पी पइहीं।’”
19 यहोवा मूसा क इ हुकुम दिहेस, “हारून स कहा कि उ नदियन, नहरन, झीलियन अउ उ सबहिं ठउरन प जहाँ मिस्र क मनइयन पानी भरत हीं-हुवाँ आपन छड़ी क पसारइ। जबहिं उ अइसा करी तउ सारा पानी रकत मँ बदलि जाइ। सारा क सारा पानी हिआँ तलक कि काठे अउ पाथर क बासन मँ धरा पानी रकत मँ बदलि जाई।”
20 ऍह बरे मूसा अउ हारून वइसा किहेन जइसा यहोवा कहेस। हारून छड़ी क उठाएस अउ नील नदी क पनिया प पटकेस। उ इ फिरौन अउ ओकरे अफसरन क समन्वा किहेस। फिन नदी क सारा पानी रकत मँ बदलि गवा। 21 मछरियन नील नदी मँ मरि गइन अउ नदी बसाइ लागी। ऍह बरे मिस्री मनइयन नदी क पानी नाहीं पिउ सकत रहेन। मिस्र मँ सब कइँती रकत रहा।
22 फिरौन क जादूगरन आपन जन्तर मन्तर देखाएन अउ उ पचे वइसा ही किहेन। ऍह बरे फिरौन मूसा अउ हारून क सुनइ स इन्कार कइ दिहेस। इ ठीक वइसे भवा जइसे यहोवा कहे रहा। 23 जउन मूसा अउ हारून किहे रहेन ओका फिरौन नाहीं मानेस। उ घूमा अउ घरे चला गवा।
24 मिस्री मनइयन नदी स पानी नाहीं पिउ सकत रहेन। ऍह बरे पानी पिअइ बरे नदी क चारिहुँ कइँती कुअँन क खोदेन।
मेघा
25 यहोवा क जरिए नील नदी क पानी क रकत मँ बदलइ क पाछे सात दिन बीति गएन।
ईसू बहत्तर चेलन क पठएस
10 इ सबइ घटि जाइके पाछे पर्भू बहत्तर[a] अउर मनइयन क तैनात किहस अउर फिन जउन जउन सहरन अउर ठिकानन प ओका खुद जाइके रहा, दुइ दुइ कइके उ ओनका उ आपन स अगवा पठएस। 2 उ ओनसे बोला, “फसल खूब जिआदा बा, मुला काम क करइया मजूर कम अहइँ। एह बरे फसल क पर्भू स बिनती करा कि उ आपन फसल मँ मजूर पठवइ।
3 “जा अउर सुमिरत रहा, मइँ तोहका बिगवन क बीच भेड़ क मेमनन क नाईं पठवत अहउँ। 4 कउनो बटुआ आपन संग जिन ल्या, न थैला अउर न ही पनही। राहे मँ कउनो स पैलगी तलक जिन करा। 5 जउनो घरवा मँ जा, सब ते पहिले कहा, ‘इ घरवा क सान्ति मिलइ।’ 6 जदि हुवाँ कउनो सान्ति क मनई होई तउ तोहार सान्ति ओका मिली। मुला जदि उ मनई सान्ति क न होई तउ तोहार सान्ति लौटि आई। 7 जउन कछू उ पचे तोहका देइँ। ओका खात पिअत उहइ घरवा मँ ठहरा। काहेकि मजूरी प मजूर क हक अहइ। घर घर जिन फिरा।
8 “अउर जब कबहूँ तू कउनो सहर मँ जा अउर उ सहर क मनई तोहार सुआगत करइँ तउ जउन कछू तोहका परसई, बस उहइ खा। 9 उ सहर क बेरमियन क बीमार स जरटुट करा अउर ओनसे कहा, ‘परमेस्सर क राज्य तोहरे नगिचे आइ पहुँचा बा!’
10 “अउर जब कबहूँ तू कउनो अइसे सहर मँ जा जहाँ क मनई तोहार मानसम्मान न करइँ, तउ हुवाँ क गलियन मँ जाइके कहा, 11 ‘इ सहर क उ धूरि तलक जउन हमरे गोड़े मँ चिपकी रही, हम तोहरे खिलाफ हिआँ झार देत अही। फिन भी इ धियान रहइ कि परमेस्सर क राज्य नगिचे आइ गवा बा।’ 12 मइँ तोहसे कहत हउँ कि उ दिन उ सहर क लोगन स सदोम क लोगन क दसा कहूँ नीक होइ।
बिसवास न करइवालन क चिताउनी
(मत्ती 11:20-24)
13 “अरे खुराजीन, अरे बैतसैदा, तोहका धिक्कार अहइ काहेकि जउन अद्भुत कारजन तोहमाँ कीन्ह गएन, जदि ओनका सूर अउर सैदा मँ कीन्ह जात तउ न जानी कबहूँ उ टाट क कपरा पहिरि के राखि प बइठिके मनफिराव कइ लेतेन। 14 कछू भी होइ निआव क दिन सूर अउर सैदा क हालत तोहसे कहूँ नीक होई। 15 अरे कफरनहूम का तू सर्ग क ऊँचाई क तरह ऊँचा उठब्या? तू तउ तरखाले नरक मँ जाब्या।
16 “चेलो! जउन कउनो तोहका सुनत ह, मोका सुनत ह, अउर जउन कउनो तोहका दुरियावत ह, उ मोका दुरियावत ह जउन मोका पठएस ह। अउर जउन मोका नकारत ह उ उसे नकारत ह जउन मोका पठएस ह।”
सइतान गिरत ह
17 फिन उ सबइ बहत्तर आनन्दित होइके वापस लउटेन अउर बोलेन, “हे पर्भू, दुस्ट आतिमन तलक तोहरे नाउँ मँ हमार हुकुम मानत हीं!”
18 ऍह पइ ईसू ओनसे कहेस, “मइँ सइतान क अकास स बिजरी क नाईं गिरत लखेउँ ह। 19 सुना, कीरा अउर बीछी क गोड़े तरे रौंदब अउर सइतान क समूची सक्ती प हावी होइ क सामर्थ मइँ तोहका दिहे अही। तोहका कउनो नसकान नाहीं पहुँचाइ पाई। 20 मुला इ बात प खुस जिन ह्वा कि आतिमन तोहरे बसे मँ अहइँ बल्कि एह पइ खुस होइ जा कि तोहार नाउँ सरगे मँ लिखा बाटइ।”
ईसू क परमपिता स पराथना
(मत्ती 11:25-27; 13:16-17)
21 उहइ छिन उ पवित्तर आतिमा मँ रहिके आनंद मँ रहा अउर बोला, “हे परमपिता हे सरग अउर धरती क पर्भू! मइँ तोहार स्तुति करत हउँ कि तू इ बातन क चतुर अउर बुद्धिमान मनइयन स छुपाइ के राखत भवा भी गदेलन बरे ओनका परगट कइ दिहा ह। हे परमपिता! सचमुच ही तू अइसा ही करब चाहत रह्या।
22 “मोका मोरे परमपिता क जरिये सब कछू दीन्ह ग अहइ अउर परमपिता क अलावा कउनो नाहीं जानत कि पूत कउन अहइ अउर पूत क अलावा कउनो नाहीं जानत कि परमपिता कउन अहइ या ओकरे अलावा जेका पूत ऍका परगट करइ चाहत ह।”
23 फिन चेलन कइँती मुड़िके ईसू चुप्पे स कहेस, “धन्य अहइँ उ आँखिन जउन तू देखत अहा, ओका देखत हीं। 24 काहेकि मइँ तोहका बतावत हउँ कि उन बातन क बहोत स नबी अउर राजा देखइ चाहत रहिन, जेनका तू देखत रह्या, मुला देखि नाहीं सक्या। जउन बातन क तू सुनत रहत ह, उ सबइ ओनका सुनइ चाहत रहेन, मुला उ पचे सुन नाहीं पाएन।”
नीक सामरी क कथा
25 तब एक धरम सास्तरी खड़ा भवा अउर ईसू क परीच्छा लेइ बरे ओसे पूछेस, “गुरु, अनन्त जीवन पावइ बरे मइँ का करउँ?”
26 ऍह पइ ईसू ओनसे कहेस, “व्यवस्था मँ का लिखा बाटइ? तू हुवाँ का पढ़त ह?”
27 धरम सास्तरी उत्तर दिहस, “‘तू आपन समूचा मन, सारी आतिमा, सारी सक्ती अउर सारी बुद्धि क संग आपन पर्भू स पिरेम करा।’(A) अउर ‘आपन पड़ोसी स भी वइसे ही पिआर करा, जइसे तू आपन खुद स करत ह।’”
28 तब ईसू ओसे कहेस, “तू ठीक जवाब दिहा ह। तउ तू अइसा ही करा अउर ऍहसे तू जीवित रहब्या।”
29 मुला उ आपन ताई निआव स जुरा भवा ठहरावइ क इच्छा करत भवा ईसू स कहेस, “अउर मोर परोसी कउन अहइ?”
30 ईसू जवाबे मँ कहेस, “देखा, एक मनई यरूसलेम स यरीहो जात रहा कि उ डाकुअन स घिरि गवा। उ पचे सब कछू मुच्छ कइ ओका नंगा कइ दिहन अउर मार पीटिके ओका अधमरा छोड़ि के उ पचे चल दिहन।
31 “अब संजोग स उहइ रस्ता स एक यहूदी याजक जात रहा। जब उ एका निहारेस तउ दूसर कइँती चला गवा। 32 उहइ रस्ता स गुजरत भवा, एक लेवी[b] भी हुवाँ आवा। उ ओका देखेस अउर उ भी दूसरी कइँती चला गवा।
33 “मुला एक सामरी भी जात भवा हुवँई आइ गवा जहाँ उ ओलार दीन्ह ग रहा। उ जब उ मनई क देखेस तउ ओकरे बरे ओकरे मन मँ करुना आइ। 34 तउ उ ओकरे नगिचे आवा ओकरे घाउन प तेल अउर दाखरस डाइके पट्टी बाँधेस। फिन उ ओका आपन पसु प लदिके एक ठु सराय मँ लइ गवा अउर ओका देखइ भालइ लाग। 35 दूसरे दिन उ दुइ दीनार निकारेस अउर ओनका भटियारा क देत भवा कहेस, ‘ऍकर धियान रख्या अउर ऍसे जिआदा जउन कछू खरच होइ, जब मइँ लौटिहउँ, तोहका चुकाइ देबूँ।’
36 “बतावा तोहरे बिचार स डाकुअन क बीच घिरे भए मनई क पड़ोसी इ तीनउँ मँ स कउन भवा?”
37 धरम सास्तरी कहेस, “उहइ जउन ओहॅ प दाया किहेस।”
ऍह पइ ईसू ओनसे कहेस, “जा अउर वइसा ही करा जइसा उ किहेस ह।”
मरियम अउर मार्था
38 जब ईसू अउर ओकर चेलन आपन राहे प जात रहेन तउ ईसू एक गाउँ मँ पहुँचा। एक स्त्री, जेकर नाउँ मार्था रहा, दिल खोलिके ईसू क अगवानी अउर सम्मान किहेस। 39 मार्था क बहिन मरियम नाउँ क रही जउन ईसू क गोड़वा मँ बैठि गई अउर जउन कछू उ कहत रहा, ओका सुनत रही। 40 ओहॅर तरह तरह क तइयारी मँ लाग मार्था बियाकुल होइके आइ अउर बोली, “पर्भू, का तोहका चिंता नाहीं कि मोर बहिन सारा काम बस मोहे प डाइ दिहे अहइ? एह बरे ओसे मोर मदद करइ क कहा?”
41 पर्भू ओका जवाब दिहेस, “मार्था अरी मार्था! तू बहोत स बातन क बरे चिंता मँ बूड़ी अउर बियाकुल रहत ह। 42 मुला बस एक ही बात जरूरी अहइ। मरियम आपन बरे उहइ उत्तिम हींसा क चुने बाटइ, तउ उ ओसे छीना नाहीं जाई।”
24 “सर्वसक्तीमान परमेस्सर काहे नाहीं निआउ करइ बरे समइ मुकर्रर करत ह?
लोग जउन परमेस्सर क मानत हीं ओनका काहे निआउ क समइ क बेकार बाट जोहइ क पड़त ह?
2 “लोग आपन धन दौलत क चीन्हन क, जउन ओकर चउहद्दी बतावत हीं, सरकावत रहत हीं ताकि आपन पड़ोसी क थोड़ी अउर धरती हड़प लेइँ।
लोग पसु क चोराइ लेत हीं अउर ओनका दूसर चरागाहन मँ हाँक लइ जात हीं।
3 अनाथ बच्चन क गदहन क उ पचे चोराइ लइ जात हीं।
उ पचे राँड़ मेहरारुअन क बर्धन खोल लइ जात हीं जब तलक कि उ ओनकर कर्ज नाहीं चुकावत हीं।
4 उ पचे दीन जन क मजबूर करत ही कि उ तजिके दूर हटि जाइके मजबूर होइ जात ह,
एन दुस्टन स खुद क छुपावइ क।
5 “उ सबइ दीन लोग ओन जंगली गदहन जइसे अहइँ जउन मरु भूमि मँ आपन चारा हेरा करत हीं।
गरीबन अउ ओनकर बच्चन क मरुभूमि भोजन देत रहत ह।
6 गरीब लोगन क कउनो दूसर क खेत मँ अनाज काटइ चाही।
दुस्टन क अंगूरन क बगियन स बच भवा फलन उ पचे चुना करत हीं।
7 दीन लोगन क बगइर ओढ़नन क सबइ रात बितावइ क होइ।
सर्दी मँ ओनके लगे आपन क ढाँकइ बरे कछू नाहीं होइ।
8 उ पचे बर्खा स पहाड़न मँ भिज गवा अहइँ, ओनका बड़की चट्टानन स लिपट क रहइ क होइ,
काहेकि ओनके लगे कछू नाहीं जउन ओनका मौसम स बचाइ लेइ।
9 बूरे लोग ओन गदेलन क जेकर बाप नाहीं अहइ ओनकर महतारी स छिन लेत हीं।
उ पचे गरीब लोगन क आपन दास बनावत हीं।
10 गरीब लोगन क लगे ओढ़ना नाहीं होत हीं।
यह बरे ओन लोगन क नंगा ही घूमइ क होइ।
उ पचे दुस्टन क गठरी क भार ढोवत हीं, मुला फुन भी उ पचे भुखान रहत हीं।
11 गरीब लोग जइतून क तेल पेरिके निकारत हीं।
उ पचे कुंडन मँ अगूर सूँदत हीं फुन भी उ पचे पिआसा रहत हीं।
12 मरत भए लोग जउन आहें भरत हीं उ सबइ सहर मँ सुनाइ पड़त ह।
सतावा भवा लोग सहारा क पुकारत हीं, मुला परमेस्सर नाहीं सुनत ह।
13 “कछू अइसे लोग अहइँ जउन प्रकास क खिलाफ होत हीं।
उ पचे नाहीं जानइ चाहत हीं कि परमेस्सर ओनसे का करवावइ चाहत ह।
परमेस्सर क राह पइ उ पचे नाहीं चलत हीं।
14 हत्यारा भिंसारे जाग जात ह गरीबन अउ जरुरतवाले लोगन क हत्या करत ह।
उ राति मँ चोर क नाई बन जात ह।
15 उ मनई जउन बिभिचार करत ह, रात आवइ क बाट जोहा करत ह,
उ सोचत ह, ‘ओका कउनो नाहीं लखी’ अउर उ आपन मुँह ढाँपि लेत ह।
16 दुटठ मनई जब रात मँ अँधेरा होत ह तउ सेंधे लगाइके घरे मँ घुसत हीं।
मुला दिन मँ उ पचे आपन हि घरन मँ छुपा रहत हीं।
उ पचे प्रकास स बचत हीं।
17 ओन दुट्ठ लोग्गन क आँधियारा सबुह क नाई होत ह,
उ पचे आतंक अउ आँधियारा क मीत होत हीं।
18 “‘दुट्ठ लोग अइसे बाहइ दीन्ह जात हीं जइसे झाग बाढ़ क पानी पाइ।
उ धरती अभीसाप स ढकी बा जेकर उ पचे मालिक अहइँ।
कउनो भी अंगूर क बगियन मँ अंगुर जमा करइ बरे नाहीं जात ह।
19 जइसे गरम व सूखा मौसम पिघलत बरफ क पानी क सोख लेत ह,
वइसे ही दुस्ट लोग कब्र क जरिये लील जइहीं।
20 दुस्ट मनइयन मरइ क पाछे ओकर महतारी तलक ओका बिसरि जाइ।
दुस्ट लोगन क देह क कीरा खाइ जइहीं।
कउनो भी ओन लोगन क याद नाहीं रखइहीं।
दुस्ट जन गिरे भए बृच्छ क नाई नष्ट कीन्ह जइहीं।
21 दुस्ट मनई बाँझ मेहरारुअन क सतावा करत हीं।
उ पचे उ तरह क मेहरारु क दुःख देत हीं।
उ पचे कउनो भी राँड़ अउरत बरे
दाया नाहीं देखाँवत हीं।
22 दुस्ट मनई आपन सक्ती क उपयोग बलसाली क नस्ट करइ बरे करत हीं।
बुरे लोग सक्तीसाली होइ जइहीं मुला आपन ही जन्नगी क भरोसा नाहीं होइ
कि उ पचे जियादा दिन जी पइहीं।
23 होइ सकत ह कि तनिक समइ बरे परमेस्सर सक्तीसाली क सुरच्छित रहइ देइ,
मुला परमेस्सर सदा ओन पइ आँखी रखत ह।
24 दुस्ट मनई तनिक समइ बरे कामयाबी पाइ जात हीं, मुला फुन उ पचे नस्ट होइ जात हीं।
दूसर लोगन क तरह उ पचे भी मुर्झा जात हीं अउर उदास होइ जात हीं।
अनाजे क कटी भइ बाले क नाई उ पचे गिर जात हीं।’
25 “अगर इ सबइ बातन फुरइ नाहीं अहइँ
तउ कउन सिध्द कइ सकत ह कि मइँ झूठ कहेउँ ह?
कउन देखाँइ सकत ह कि मोर सब्द सत्तय नाहीं अहइँ?”
11 तऊन तू लोग वइसेन ही मोर अनुसरण करा जइसेन मइँ मसीह का अनुसरण करित हउँ।
अधीन रहा
2 मइँ तोहार प्रसंसा करत हउँ। काहेकि तू मोका हर समइ सुमिरत करत रहत ह; अउर जउन सिच्छन मइँ तोहे दिहे हउँ, ओनका सावधानी स पालन करत रह्या। 3 पर मइँ चाहित ह कि तू इ जान ल्या कि स्त्री क सासक पुरूस अहइ, पुरूस क सासक मसीह अहइ, अउर मसीह क सासक परमेस्सर अहइ।
4 हम अइसे मनई जउन सिर ढाँकिके पराथना करत ह या परमेस्सर कइँती बोलत ह, उ आपन प्रधान क अपमान करत ह। 5 पर हर एक अइसी स्त्री जउन बिना सिर ढाँकिके पराथना करत ह या जनता मँ परमेस्सर कइँती बोलत ह, उ अपने प्रधान क अपमानित करत ह। उ ठीक ओह स्त्री क समान अहइ जे आपन सिर मुंडवाइ दिहे अहइ। 6 अगर कउनउ स्त्री आपन सिर नाहीं ढाँकत तउ उ अपने बालउ काहे नाहीं मुँड़वाइ लेत। मुला अगर स्त्री क बरे बाल मुँड़वाउब लज्जा क बात अहइ तउ ओका आपन्न मूँड़ ढकँइ चाही।
7 मुला पुरूस क बरे आपन मूँड़ ढकब अच्छा नाहीं बा काहेकि उ परमेस्सर क सरूप अउर महिमा क प्रतिबिम्ब अहइ। मुला एक स्त्री आपन पुरूस क महिमा क प्रतिबिम्ब कहत ह। 8 हम अइसेन एह बरे कहक हई काहेकि पुरूस कउनो स्त्री स नाहीं, बल्कि स्त्री पुरूस स बनी बाटइ। 9 पुरूस स्त्री क बरे नाहीं रचा गवा बल्कि स्त्री क रचना पुरूस क बरे कीन्ह गइ बा। 10 इही बरे परमेस्सर तउ ओका जउन अधिकार दिहे अहइ, ओकर प्रतीक रूप स स्त्री क चाही कि उ आपन मूँड़ ढाकइ। ओका सरगदूत क कारण अइसेन करइ चाही।
11 फिन भी उ पर्भू मँ न तउ स्त्री पुरूस स स्वतन्त्र अहइँ अउर न तउ पुरूस स्त्री स। 12 काहेकि जइसेन पुरूस स स्त्री आइ, वइसेन ही स्त्री पुरूस क जनम दिहेस। मुला सब केउॅ परमेस्सर स आवत हीं।
13 खुद निर्णय करा। का एक स्त्री क मूँड़ उघारे परमेस्सर क पारथना करब अच्छा लागत ह? 14 का खुद प्रतीक तोहे नाहीं देखॉवत कि अगर केउ पुरूस आपन बाल लम्बा बढ़इ देइ तउ इ ओकरे बरे सरम क बात अहइ, 15 अउर इ कि एक स्त्री क बरे इहइ ओकर सोभा अहइ? सहीयउ मँ ओका ओकरे लम्बा बाल एक प्राकृतिक ओढ़नी क रूप मँ दीन्ह गवा बा। 16 अब ऍह पर अगर कउनउ बिबाद करइ चाहइ तउ हमका कहइ क होइ कि न तऊ हमरे इहाँ कउनउ अइसेन प्रथा परमेस्सर क कलीसिया मँ नाहीं बा।
पर्भू क भोज
17 अब इ आदेस देत हउँ मइँ तोहार प्रसंसा नाहीं करत हउँ काहेकि तोहर आपस मँ मिलब तोहार भला करइ क बजाय तोहे हानि पहुँचावत बा। 18 सबसे पहिले इ कि मइँ सुने हउँ कि तू लोग सभा मँ जब परस्पर मिलत ह्या त तोहरे बीच मतभेद रहत ह। कछू अंस तक मइँ एह पर बिसवास करत हउँ। 19 (आखिरकार तोहरे बीच मतभेद भी होइहीं। जेहसे कि तोहरे बीच मँ जउन अच्छा ठहरावा गवा बा, उ सामने आइ जाइ।)
20 तउन जब तू आपस मँ इकट्ठा होत ह तउ सचमुच पर्भू क भोज पावइ क बरे नाहीं एकट्ठा होत्या, 21 मुला जब तू भोज ग्रहण करत ह त तोहमाँ स हर केऊॅ आगे बढ़ि क अपनेन ही खाना पर टूट पड़त ह। अउर बस केउ मनई तउ भूखइ ही चला जात ह, जब कि कउनउ मनई बहुत जियादा खाइ-पी क मस्त होइ जात ह। 22 का तोहरे लगे खाइ-पीअइ क बरे आपन घर नाहीं बा। अउर एह तरह तू परमेस्सर क कलीसिया क अनादर नाहीं करत अहा? अउर जउन दीन अहइँ ओनकर तिरस्कार करइ क चेस्टा नाहीं करतेन? मइँ तोहसे का कहीं? एकरे बरे का मइँ तोहर प्रसंसा करउँ। एह बिसय मँ तोहार प्रसंसा न करब।
23 काहेकि जउन सीख मइँ तोहे सबन क दिहे हउँ, उ हमका पर्भू स मिली रही। पर्भू ईसू त ओह रात, जब ओका मरवाइ डालइ क बरे पकड़वावा ग रहा, उ एक ठु रोटी लिहेस, 24 अउर धन्यबाद देइ क बाद, उ ओका तोड़ेस अउर कहेस, “इ मोर देह अहइ, जउन तोहरे बरे बा। मोका याद करइ क बरे तू अइसेन ही किहा करा।” 25 उ भोजन कइ चुकइ क बाद इही तरह उ कटोरा उठाएस अउर कहेस, “इ कटोरा मोरे लहू क जरिये कीन्ह गवा एक नवा करार अहइ। जब कभउँ तू एका पिआय तबहिं मोका याद करइ क बरे अइसेन करा।” 26 काहेकि जेतॅनी बार उ तू ऍह रोटी क खात ह अउर एह कटोरा क पिअत ह, ओतॅनी बार जब तलक उ आइ नाहीं जात, तू पर्भू क मउत क प्रचार करत रहा।
27 अत: जब केउ पर्भू क रोटी या पर्भू क कटोरा क अनुचित रूप स खात-पिअत ह, उ पर्भू क देह अउर ओकर लहू क बरे अपराधी होइ। 28 मनई क चाहे कि उ पहिले अपने क परखइ अउर तब इ रोटी क खाई अउर इ कटोरा क पिअइ। 29 काहेकि पर्भू क देह क मतलब समझे बिना जउन एह रोटी क खात ह अउर एह कटोरा क पिअत ह, उ एह तरह खाइ-पीके अपने उप्पर सजा क बोलावत ह। 30 इही बरे तउ तोहमाँ स बहुत लोग कमजोर अहइँ बीमार अहइँ अउर बहुत स त चिरनिद्रा मँ सोइ ग अहइँ। 31 मुला अगर हम अपने आप क अच्छे तरह स परख लिहे होइत हमका पर्भू क सजा न भोगइ पड़ी। 32 पर्भू हमका अनुसासित करइ क बरे सजा देत थ। ताकि हमका संसार क साथे दण्डित न कीन्ह जाइ।
33 एह बरे कि हे मोर भाइयो तथा बहिनियो, जब भोजन करइ त एकट्ठा होत ह तउ परस्पर एक दूसरे क इन्तजार करा। 34 अगर सहीयउ मँ कउनो क बहुत भूख लगी होइ तउ ओका घरे पर खाइ लेइ चाही ताकि तोहार एकत्र होइ तोहरे बरे दण्ड क कारण न बनइ। अउर, दूसर बातन क जब मइँ अउबइ तबइ सुलझाउब।
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.