M’Cheyne Bible Reading Plan
अन्यों को भटकाने पर
17 इसके बाद अपने शिष्यों से मसीह येशु ने कहा, “यह असम्भव है कि ठोकरें न लगें किन्तु धिक्कार है उस व्यक्ति पर, जो ठोकर का कारण है. 2 इसके बजाय कि वह निर्बलों के लिए ठोकर का कारण बने, उत्तम यह होता कि उसके गले में चक्की का पाट बान्ध कर उसे गहरे समुद्र में फेंक दिया जाता. 3 इसलिए तुम स्वयं के प्रति सावधान रहो.
“यदि तुम्हारा भाई अपराध करे तो उसे डाँटो और यदि वह मन फिराए तो उसे क्षमा कर दो. 4 यदि वह एक दिन में तुम्हारे विरुद्ध सात बार भी अपराध करे और सातों बार तुमसे आ कर कहे, ‘मुझे इसका पछतावा है,’ तो उसे क्षमा कर दो.”
5 प्रेरितों ने उनसे विनती की, “प्रभु, हमारे विश्वास को बढ़ा दीजिए.”
6 मसीह येशु ने उत्तर दिया, “यदि तुम्हारा विश्वास राई के बीज के बराबर भी हो, तो तुम इस शहतूत के पेड़ को यह आज्ञा देते, ‘उखड़ जा और जा कर समुद्र में लग जा!’ तो यह तुम्हारी आज्ञा का पालन करता.
विनम्र सेवा
7 “क्या तुममें से कोई ऐसा है, जिसके खेत में काम करने या भेड़ों की रखवाली के लिए एक दास हो और जब वह दास खेत से लौटे तो वह दास से कहे, ‘आओ, मेरे साथ भोजन करो’? 8 क्या वह अपने दास को यह आज्ञा न देगा, ‘मेरे लिए भोजन तैयार करो और मुझे भोजन परोसने के लिए तैयार हो जाओ. मैं भोजन के लिए बैठ रहा हूँ. तुम मेरे भोजन समाप्त करने के बाद भोजन कर लेना?’ 9 क्या वह अपने दास का आभार इसलिए मानेगा कि उसने उसे दिए गए आदेशों का पालन किया है? नहीं! 10 यही तुम सबके लिए भी सही है: जब तुम वह सब कर लो, जिसकी तुम्हें आज्ञा दी गई थी, यह कहो: ‘हम अयोग्य सेवक हैं. हमने केवल अपना कर्तव्य पूरा किया है.’”
एक अकेला आभारी कोढ़ रोगी
11 येरूशालेम नगर की ओर बढ़ते हुए मसीह येशु शोमरोन और गलील प्रदेश के बीच से होते हुए जा रहे थे. 12 जब वह गाँव में प्रवेश कर ही रहे थे, उनकी भेंट दस कोढ़ रोगियों से हुई, जो दूर ही खड़े रहे. 13 उन्होंने दूर ही से पुकारते हुए मसीह येशु से कहा, “स्वामी! मसीह येशु! हम पर कृपा कीजिए!” 14 उन्हें देख मसीह येशु ने उन्हें आज्ञा दी, “जा कर पुरोहितों द्वारा स्वयं का निरीक्षण करवाओ.” जब वे जा ही रहे थे, वे शुद्ध हो गए. 15 उनमें से एक, यह अहसास होते ही कि वह शुद्ध हो गया है, मसीह येशु के पास लौट आया और ऊँचे शब्द में परमेश्वर की वंदना करने लगा. 16 मसीह येशु के चरणों पर गिर कर उसने उनके प्रति धन्यवाद प्रकट किया—वह शोमरोनवासी था. 17 मसीह येशु ने उससे प्रश्न किया, “क्या सभी दस शुद्ध नहीं हुए? कहाँ हैं वे अन्य नौ? 18 क्या इस परदेशी के अतिरिक्त किसी अन्य ने परमेश्वर के प्रति धन्यवाद प्रकट करना सही न समझा?” 19 तब मसीह येशु ने उससे कहा, “उठो और जाओ. तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें हर तरह से स्वस्थ किया है.”
परमेश्वर के राज्य के दिन का प्रश्न
20 एक अवसर पर, जब फ़रीसियों ने उनसे यह जानना चाहा कि परमेश्वर के राज्य का आगमन कब होगा, तो मसीह येशु ने उत्तर दिया, “परमेश्वर के राज्य का आगमन दिखनेवाले संकेतों के साथ नहीं होगा 21 और न ही इसके विषय में कोई यह कह सकता है, ‘देखो-देखो! यह है परमेश्वर का राज्य!’ क्योंकि परमेश्वर का राज्य तुम्हारे ही बीच में है.”
22 तब अपने शिष्यों से उन्मुख हो मसीह येशु ने कहा, “वह समय आ रहा है जब तुम मनुष्य के पुत्र के राज्य का एक दिन देखने के लिए तरस जाओगे और देख न पाओगे. 23 लोग आ कर तुम्हें सूचना देंगे, ‘देखो, वह वहाँ है!’ या, ‘देखो, वह यहाँ है!’ यह सुन कर तुम चले न जाना और न ही उनके पीछे भागना 24 क्योंकि मनुष्य के पुत्र का दोबारा आना बिजली कौन्धने के समान होगा—आकाश में एक छोर से दूसरे छोर तक; 25 किन्तु उसके पूर्व उसका अनेक यातनाएँ सहना और इस पीढ़ी द्वारा तिरस्कार किया जाना अवश्य है. 26 ठीक जिस प्रकार नोहा के युग में हुआ था, मनुष्य के पुत्र के समय में भी होगा, 27 तब भी लोगों में उस समय तक खाना-पीना, विवाह उत्सव होते रहे जब तक नूह ने जलयान में प्रवेश न किया, तब पानी की बाढ़ आई और सब कुछ नाश हो गया. 28 ठीक यही स्थिति थी लोत के समय में—लोग उत्सव, लेन देन, खेती और निर्माण का काम करते रहे 29 किन्तु जैसे ही लोत ने सोदोम नगर से प्रस्थान किया, आकाश से आग और गंधक की बारिश हुई और सब कुछ नाश हो गया. 30 यही सब होगा उस दिन, जब मनुष्य का पुत्र प्रकट होगा.
31 “उस समय सही यह होगा कि वह, जो छत पर हो और उसकी वस्तुएं घर में हों, वह उन्हें लेने नीचे न उतरे. इसी प्रकार वह, जो खेत में काम कर रहा है, वह भी लौट कर न आए. 32 याद है लोत की पत्नी! 33 वह, जो अपने प्राणों को बचाना चाहता है, उन्हें खो देता है और वह, जो अपने जीवन से मोह नहीं रखता, उसे बचा पाता है. 34 उस रात एक बिछौने पर सोए हुए दो व्यक्तियों में से एक उठा लिया जाएगा, दूसरा छोड़ दिया जाएगा. 35 दो स्त्रियाँ एक साथ अनाज पीस रही होंगी, एक उठा ली जाएगी, दूसरी छोड़ दी जाएगी. 36 खेत में दो व्यक्ति काम कर रहे होंगे एक उठा लिया जाएगा, दूसरा छोड़ दिया जाएगा.”
37 उन्होंने मसीह येशु से प्रश्न किया, “कब प्रभु?”
मसीह येशु ने उत्तर दिया, “गिद्ध वहीं इकट्ठा होंगे, जहाँ शव होता है.”
2 अपनी ओर से मैं यह निश्चय कर चुका था कि मैं एक बार फिर वहाँ आकर तुम्हें दुःख न दूँ, 2 क्योंकि वहाँ आकर यदि मैं ही तुम्हें दुःखी करूँ तो मुझे वहाँ आनन्द किनसे प्राप्त होगा, केवल उनसे, जिन्हें मेरे द्वारा दुःख पहुँचा है? 3 मैंने तुम्हें इसी उद्धेश्य से पत्र लिखा था कि जब मैं वहाँ आऊँ तो वे ही लोग मेरे दुःख का कारण न हो जाएँ, जिनसे मुझे आनन्द की आशा है. मुझे निश्चय है कि मेरा आनन्द तुम सभी का आनन्द है. 4 हृदय के कष्ट और क्लेश के कारण आँसू बहा-बहा कर मैंने तुम्हें यह पत्र लिखा है, इसलिए नहीं कि तुम्हें दुःखी करूँ परन्तु इसलिए कि तुम तुम्हारे प्रति मेरे अत्याधिक प्रेम को समझ सको.
पापी को क्षमा दी जाए
5 यदि कोई दुःख का कारण है तो वह मात्र मेरे लिए नहीं परन्तु किसी सीमा तक तुम सभी के लिए दुःख का कारण बना है. मैं इसके विषय में इससे अधिक कुछ और नहीं कहना चाहता. 6 काफी है ऐसे व्यक्ति के लिए बहुमत द्वारा तय किया गया दण्ड. 7 इसकी बजाय भला यह होगा कि तुम उसे क्षमा कर धीरज दो. कहीं ऐसा न हो कि कष्ट की अधिकाई उसे निराशा में डुबो दे. 8 इसलिए तुमसे मेरी विनती है कि तुम दोबारा उसके प्रति अपने प्रेम की पुष्टि करो. 9 यह पत्र मैंने यह जानने के उद्धेश्य से भी लिखा है कि तुम सब विषयों में आज्ञाकारी हो या नहीं. 10 जिसे तुम किसी विषय में क्षमा करते हो, उसे मैं भी क्षमा करता हूँ. जिस विषय में मैंने क्षमा किया है—यदि वह वास्तव में क्षमा-योग्य था—उसे मैंने मसीह को उपस्थित जानकर तुम्हारे लिए क्षमा किया है 11 कि शैतान हमारी स्थिति का कोई भी लाभ न उठाने पाए—हम उसकी चालों से अनजान नहीं हैं.
नए नियम के देनेवाले
12 मैं मसीह के ईश्वरीय सुसमाचार के लिए त्रोआस आया और वहाँ प्रभु के द्वारा मेरे लिए द्वार खोला गया. 13 वहाँ अपने भाई तीतॉस को न पाकर मेरा मन व्याकुल हो उठा. इसलिए उनसे विदा लेकर मैं मकेदोनिया प्रदेश चला गया.
14 धन्यवाद हो परमेश्वर का! जो मसीह के जय के उत्सव की शोभायात्रा में हमारे आगे चलते हैं और हमारे द्वारा अपने ज्ञान की सुमधुर सुगंध हर जगह फैलाते जाते हैं. 15 हम ही परमेश्वर के लिए मसीह की सुगंध हैं—उन सब के लिए, जो उद्धार प्राप्त करते जा रहे हैं तथा उन सब के लिए भी, जो नाश होते जा रहे हैं. 16 जो नाश हो रहे हैं, उनके लिए हम मृत्यु की घातक गन्ध तथा उद्धार प्राप्त करते जा रहे व्यक्तियों के लिए जीवन की प्राणदायी सुगंध. किसमें है इस प्रकार के काम करने की योग्यता? 17 हम उनके समान नहीं, जिनके लिए परमेश्वर का वचन खरीदने-बेचने द्वारा लाभ कमाने की वस्तु है. इसके विपरीत हम सच्चाई में परमेश्वर की ओर से, परमेश्वर के सामने मसीह में ईश्वरीय सुसमाचार को दूसरों तक पहुंचाते हैं.
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