Print Page Options
Previous Prev Day Next DayNext

M’Cheyne Bible Reading Plan

The classic M'Cheyne plan--read the Old Testament, New Testament, and Psalms or Gospels every day.
Duration: 365 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
Error: 'उत्पत्ति 1 ' not found for the version: Saral Hindi Bible
मत्तियाह 1

येशु का जन्म और बचपन

येशु की वंशावली

(लूकॉ 3:23-38)

अब्राहाम की सन्तान, दाविद के वंशज येशु की वंशावली:

अब्राहाम से इसहाक,

इसहाक से याक़ोब,

याक़ोब से यहूदाह तथा उनके भाई उत्पन्न हुए.

तामार द्वारा यहूदाह से फ़ारेस तथा ज़ारा उत्पन्न हुए.

फ़ारेस से एस्रोन,

एस्रोन से हाराम,

हाराम से अम्मीनादाब,

अम्मीनादाब से नास्सोन,

नास्सोन से सलमोन,

सलमोन और राख़ाब से बोएज़,

बोएज़ और रूथ से ओबेद,

ओबेद से यिश्शै तथा

यिश्शै से राजा दाविद उत्पन्न हुए.

दाविद और उरियाह की निवर्तमान पत्नी से शलोमोन उत्पन्न हुए.

शलोमोन से रोबोहाम,

रोबोहाम से हबीया,

हबीया से आसाफ़,

आसाफ़ से यहोशाफ़ात,

यहोशाफ़ात से योराम,

योराम से उज्जियाह,

उज्जियाह से योथाम,

योथाम से आख़ाज़,

आख़ाज़ से हेज़ेकिया,

10 हेज़ेकिया से मनश्शेह,

मनश्शेह से आमोस,

आमोस से योशियाह,

11 योशियाह से बाबेल पहुँचने के समय यख़ोनिया तथा उसके भाई उत्पन्न हुए.

12 बाबेल पहुँचने के बाद

यख़ोनिया से सलाथिएल उत्पन्न हुए.

सलाथिएल से ज़ेरोबाबेल,

13 ज़ेरोबाबेल से अबिहूद,

अबिहूद से एलियाकिम,

एलियाकिम से आज़ोर,

14 आज़ोर से सादोक,

सादोक से आख़िम,

आख़िम से एलिहूद,

15 एलिहूद से एलियाज़र,

एलियाज़र से मत्थान,

16 मत्थान से याक़ोब और याक़ोब से योसेफ़ उत्पन्न हुए, जिन्होंने मरियम से विवाह किया, जिनके द्वारा येशु, जिन्हें मसीह कहा जाता है उत्पन्न हुए.

17 अब्राहाम से लेकर दाविद तक कुल चौदह पीढ़ियाँ, दाविद से बाबेल पहुँचने तक चौदह तथा बाबेल पहुँचने से मसीह[a] तक चौदह पीढ़ियाँ हुईं.

मसीह येशु का जन्म

18 मसीह येशु का जन्म इस प्रकार हुआ: उनकी माता मरियम का विवाह योसेफ़ से तय हो चुका था किन्तु इससे पहले कि उनमें सहवास होता, यह मालूम हुआ कि मरियम गर्भवती हैं—यह गर्भ पवित्रात्मा द्वारा था. 19 उनके पति योसेफ़ एक धर्मी पुरुष थे. वे नहीं चाहते थे कि मरियम को किसी प्रकार से लज्जित होना पड़े. इसलिए उन्होंने किसी पर प्रकट किए बिना मरियम को त्याग देने का निर्णय किया.

20 किन्तु जब उन्होंने यह निश्चय कर लिया, प्रभु के एक स्वर्गदूत ने स्वप्न में प्रकट हो उनसे कहा, “योसेफ़, दाविद के वंशज! मरियम को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकारने में डरो मत; क्योंकि, जो उनके गर्भ में हैं, वह पवित्रात्मा से हैं. 21 वह एक पुत्र को जन्म देंगी. तुम उनका नाम येशु[b] रखना क्योंकि वह अपने लोगों को उनके पापों से उद्धार देंगे.”

22 यह सब इसलिए घटित हुआ कि भविष्यद्वक्ता के माध्यम से कहा गया प्रभु का यह वचन पूरा हो जाए: 23 एक कुँवारी कन्या गर्भधारण करेगी, पुत्र को जन्म देगी और उसे इम्मानुएल नाम से पुकारेगी. इम्मानुएल का अर्थ है परमेश्वर हमारे साथ.

24 जागने पर योसेफ़ ने वैसा ही किया जैसा स्वर्गदूत ने उन्हें आज्ञा दी थी—उन्होंने मरियम को पत्नी के रूप में स्वीकार किया, 25 किन्तु पुत्र-जन्म तक उनका कौमार्य[c] सुरक्षित रखा और उन्होंने पुत्र का नाम येशु रखा.

Error: 'एज्रा 1 ' not found for the version: Saral Hindi Bible
प्रेरित 1

परिचय

थियोफिलॉस महोदय, मेरे पहले अभिलेख का विषय था मसीह येशु की शिक्षाएं और उनके द्वारा शुरु किए गए वे काम, जो उन्होंने अपने चुने हुए प्रेरितों को पवित्रात्मा के निर्देश में दिए गए आदेशों के बाद स्वर्ग में स्वीकार कर लिए जाने तक किए. मसीह येशु इन प्रेरितों के सामने अपने प्राणों के अंत तक की यातना के बाद अनेक अटल सबूतों के साथ चालीस दिन स्वयं को जीवित प्रकट करते रहे तथा परमेश्वर के राज्य सम्बन्धी विषयों का वर्णन करते रहे. एक दिन मसीह येशु ने उन्हें इकट्ठा कर आज्ञा दी, “येरूशालेम उस समय तक न छोड़ना, जब तक परमेश्वर द्वारा की गई प्रतिज्ञा, जिसका वर्णन मैं कर चुका हूँ, पूरी न हो जाए. योहन तो जल में बपतिस्मा देते थे किन्तु शीघ्र ही तुम को पवित्रात्मा में बपतिस्मा दिया जाएगा.”

स्वर्ग में स्वीकार किया जाना

इसलिए जब वे सब वहाँ उपस्थित थे, उन्होंने प्रभु से प्रश्न किया, “प्रभु, क्या आप अब इस समय इस्राएल राज्य की दोबारा स्थापना करेंगे?”

“पिता के अधिकार में तय तिथियों या युगों के पूरे ज्ञान की खोज करना तुम्हारा काम नहीं है,” मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “पवित्रात्मा के तुम पर उतरने पर तुम्हें सामर्थ्य प्राप्त होगा और तुम येरूशालेम, सारे यहूदिया, शोमरोन तथा पृथ्वी के दूर-दूर तक के क्षेत्रों में मेरे गवाह होगे.”

इस वक्तव्य के पूरा होते ही प्रेरितों के देखते-देखते मसीह येशु स्वर्ग में स्वीकार कर लिए गए तथा एक बादल ने उन्हें उनकी दृष्टि से ओझल कर दिया.

10 जब वे आकाश में दृष्टि गड़ाए हुए मसीह येशु को स्वर्ग में जाते हुए देख रहे थे, एकाएक सफ़ेद वस्त्रों में दो व्यक्ति उनके पास प्रकट हो 11 कहने लगे, “गलीली पुरुषों, आकाश की ओर ऐसे क्यों ताक रहे हो? यह येशु, जो देखते-देखते तुम्हारे मध्य से स्वर्ग में स्वीकार कर लिए गए हैं, ठीक इसी प्रकार दोबारा आएंगे, जिस प्रकार तुमने उन्हें स्वर्ग में स्वीकार होते हुए देखा है.”

येरूशालेम कलीसिया

12 तब वे उस पहाड़ी से, जिसे ज़ैतून पर्वत भी कहा जाता है, येरूशालेम लौट गए. यह स्थान येरूशालेम से शब्बाथ के लिए ठहराई हुई दूरी पर है. 13 नगर में पहुँच कर वे ऊपर के कमरे में इकट्ठा हो गए, जहाँ वे रह रहे थे. वहाँ पेतरॉस, योहन, याक़ोब, आन्द्रेयास, फ़िलिप्पॉस, थोमॉस, बारथोलोमेयॉस, मत्तियाह, हलफ़ेयॉस के पुत्र याक़ोब, शिमोन ज़ेलोतेस तथा याक़ोब के पुत्र यहूदाह उपस्थित थे. 14 ये सभी वहाँ नियमित रूप से सच्चाई के साथ एक मन होकर, मसीह येशु की माता मरियम, उनके भाइयों तथा अन्य स्त्रियों के साथ प्रार्थना के लिए इकट्ठा होने लगे.

यहूदाह के स्थान पर मत्तियाह की नियुक्ति

15 तब एक दिन, जब लगभग एक सौ बीस विश्वासी इकट्ठा थे, पेतरॉस उनके बीच खड़े होकर कहने लगे, 16 “प्रियजन, मसीह येशु को पकड़वाने के लिए अगुवा यहूदाह, के विषय में दाविद के माध्यम से पवित्रात्मा के द्वारा कहा गया पवित्रशास्त्र का वचन पूरा होना ज़रूरी था. 17 वह हम में से एक तथा सेवा के कार्य में सहभागी था.” 18 अधर्म की कमाई से उसने भूमि मोल ली. वहाँ वह सिर के बल ऐसा गिरा कि उसका पेट फट गया तथा उसकी सारी आंतें बाहर बिखर गईं. 19 सारे येरूशालेम में यह समाचार फैल गया. यही कारण है कि वह भूमि अब उन्हीं की भाषा में हकलदमा अर्थात् लहू-भूमि के नाम से बदनाम हो गई है.

20 “भजन में वर्णन है:

“‘उसकी भूमि उजाड़ हो जाए;
    तथा उसमें कोई बसने न पाए,’

तथा यह भी,

“‘कोई अन्य उसका पद ले ले.’

21 इसलिए यह ज़रूरी है कि एक ऐसे व्यक्ति को चुना जाए, जो प्रभु मसीह येशु के कार्यों के सारे समय का गवाह है. 22 मसीह येशु को योहन द्वारा बपतिस्मा दिए जाने से लेकर उनके स्वर्ग में स्वीकार किए जाने तक—यह व्यक्ति हमारे साथ मसीह येशु के पुनरुत्थान का गवाह बने.”

23 इसलिए दो नाम सुझाए गए: योसेफ़ जिसे बारसब्बास के नाम से जाना जाता है, जिसका उपनाम था जस्तुस तथा दूसरा व्यक्ति मत्तियाह. 24 तब उन्होंने यह प्रार्थना की, “हे मनों को जाँचने वाले प्रभु, हम पर यह साफ़ कीजिए कि इन दोनों में से आपने किसे चुना है 25 कि वह इस सेवा के कार्य और प्रेरितों की वह खाली जगह ले, जिससे मुक्त होकर यहूदाह अपने ठहराए हुए स्थान पर चला गया.” 26 तब उन्होंने चिट डालें और मत मत्तियाह के पक्ष में पड़े, इसलिए वह ग्यारह प्रेरितों में सम्मिलित कर लिया गया.

Saral Hindi Bible (SHB)

New Testament, Saral Hindi Bible (नए करार, सरल हिन्दी बाइबल) Copyright © 1978, 2009, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.