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M’Cheyne Bible Reading Plan

The classic M'Cheyne plan--read the Old Testament, New Testament, and Psalms or Gospels every day.
Duration: 365 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
गिनती 15

बलि के नियम

15 यहोवा ने मूसा से कहा, “इस्राएल के लोगों से बातें करो और उनसे कहोः तुम लोग ऐसे प्रदेश में प्रवेश करोगे जिसे मैं तुम लोगों को तुम्हारे घर के रूप में दे रहा हूँ। जब तुम उस प्रदेश में पहुँचोगे तब तुम्हें यहोवा को आग द्वारा विशेष भेंट देनी चाहिए। इसकी सुगन्ध यहोवा को प्रसन्न करेगी। तुम अपनी गायें, भेड़ें और बकरियों का इस्तेमाल होमबलि, बलिदानों, विशेष मनौतियों, मेलबलि, शान्ति भेंट या विशेष पर्वों में करोगे।

“और उस समय जो अपनी भेंट लाएगा उसे यहोवा को अन्नबलि भी देनी होगी। यह अन्नबलि एक क्वार्ट जैतून के तेल में मिली हुई दो क्वार्ट[a] अच्छे आटे की होगी। हर एक बार जब तुम एक मेमना होमबलि के रूप में दो तो तुम्हें एक क्वार्ट दाखमधु पेय भेंट के रूप में तैयार करनी चाहिए।

“यदि तुम एक मेढ़ा दे रहे हो तो तुम्हें अन्नबलि भी तैयार करनी चाहिए। यह अन्नबलि एक चौथाई क्वार्ट जैतून के तेल में मिली हुई चार क्वार्ट अच्छे आटे की होनी चाहीए और तुम्हें एक चौथाई क्वार्ट दाखमधु पेय भेंट के रूप में तैयार करनी चाहिए। इसे यहोवा को भेंट करो। इसकी सुगन्ध यहोवा को प्रसन्न करेगी।

“होमबलि, शान्ति भेंट अथवा किसी मन्नौती के लिए यहोवा को भेंट के रूप में तुम एक बछड़े को तैयार कर सकते हो। इसलिए तुम्हें बैल के साथ अन्नबलि भी लानी चाहिए। अन्नबलि दो क्वार्ट जैतून के तेल में मिली हुई छः क्वार्ट अच्छे आटे की होनी चाहिए। 10 दो क्वार्ट दाखमधु भी पेय भेंट के रूप में लाओ। आग में जलाई गई यह भेंट यहोवा के लिए मधुर गन्ध होगी। 11 प्रत्येक बैल या मेढ़ा या मेमना या बकरी का बच्चा, जिसे तुम यहोवा को भेंट करो, उसी प्रकार तैयार होना चाहिए। 12 जो जानवर तुम भेंट करो उनमें से हर एक के लिए यह करो।

13 “इसलिए जब लोग यह होमबलि देंगे तो यहोवा को यह सुगन्ध प्रसन्न करेगी। किन्तु इस्राएल के हर एक नागरिक को इसे वैसे ही करना चाहिए जिस प्रकार मैंने बताया है। 14 और भविष्य के सभी दिनों में, यदि कोई व्यक्ति जो इस्राएल के परिवार में उत्पन्न नहीं है और तुम्हारे बीच रह रहा है तो उसे भी इन सब चीजों का पालन करना चाहिए। उसे ये वैसे ही करना होगा जैसा मैंने तुमको बताया है। 15 इस्राएल के परिवार में उत्पन्न लोगों के लिये जो नियम होगें वही नियम उन अन्य लोगों के लिये भी होंगे जो तुम्हारे बीच रहते हैं। यह नियम अब से भविष्य में लागू रहेगा। तुम और तुम्हारे बीच रहने वाले लोग यहोवा के सामने समान होंगे। 16 इसका यह तात्पर्य है कि तुम्हें एक ही विधि और नियम का पालन करना चाहिए। वे नियम इस्राएल के परिवार में उत्पन्न तुम्हारे लिए और अन्य लोगों के लिए भी हैं जो तुम्हारे बीच रहते हैं।”

17 यहोवा ने मूसा से कहा, 18 “इस्राएल के लोगों से यह कहोः मैं तुम्हें दूसरे देश में ले जा रहा हुँ। 19 जब तुम भोजन करो जो उस प्रदेश में उत्पन्न हो तो भोजन का कुछ अंश यहोवा को भेंट के रूप में दो। 20 तुम अन्न इकट्ठा करोगे और इसे आटे के रूप में पीसोगे और उसे रोटी बनाने के लिए गूँदोगे। फिर उस आटे की पहली रोटी को यहोवा को अर्पित करोगे। वह ऐसी अन्नबलि होगी जो खलिहान से आती है। 21 यह नियम सदा सर्वदा के लिए है। इसका तात्पर्य है कि जिस अन्न को तुम आटे के रूप में माढ़ते हो, उसकी पहली रोटी यहोवा को अर्पित की जानी चाहिए।

22 “यदि तुम यहोवा द्वारा मूसा को दिये गए आदेशों में से किसी का पालन करना भूल जाओ तो तुम क्या करोगे 23 ये आदेश उसी दिन से आरम्भ हो गए थे जिस दिन यहोवा ने इन्हें तुमको दिया था और ये आदेश भविष्य में भी लागू रहेंगे। 24 इसलिये यदि तुम कोई गलती करते हो और इन सभी आज्ञाओं का पालन करना भूल जाते हो तो तुम क्या करोगे यदि इस्राएल के सभी लोग गलती करते हैं, तो सभी लोगों को मिलकर एक बछड़ा यहोवा को भेंट चढ़ाना चाहिए। यह होमबलि होगी और इसकी यह सुगन्ध यहोवा को प्रसन्न करेगी। बैल के साथ अन्नबलि और पेय भेंट भी याद रखो और तुम्हें एक बकरा भी पापबलि के रूप में देना चाहिए।

25 “याजक लोगों को पापों से शुद्ध करने के लिये ऐसा करेगा। वह इस्राएल के सभी लोगों के लिए ऐसा करेगा। लोगों ने नहीं जाना था कि वे पाप कर रहे हैं। किन्तु जब उन्होंने यह जाना तब वे यहोवा के पास भेंट लाए। वे एक भेंट अपने पाप के लिए देने आए और एक होमबलि के लिये जिसे आग में जलाया जाना था। इस प्रकार लोग क्षमा किये जाएंगे। 26 इस्राएल के सभी लोग और उनके बीच रहने वाले सभी अन्य लोग क्षमा कर दिये जाएंगे। वे इसलिए क्षमा किये जाएंगे क्योंकि वे नहीं जानते थे कि वे बुरा कर रहे हैं।

27 “किन्तु यदि एक व्यक्ति आदेश का पालन करना भूल जाता है तो उसे एक वर्ष की बकरी पापबलि के रूप में लानी चाहिए। 28 याजक इसे उस व्यक्ति के पापों के लिए यहोवा को अर्पित करेगा और उस व्यक्ति को क्षमा कर दिया जाएगा क्योंकि याजक ने उसके लिए भुगतान कर दिया है। 29 यही हर उस व्यक्ति के लिए नियम है जो पाप करता है, किन्तु जानता नहीं कि बुरा किया है। यही नियम इस्राएल के परिवार में उत्पन्न लोगों के लिए है या अन्य लोगों के लिए भी जो तुम्हारे बीच में रहते हैं।

30 “किन्तु कोई व्यक्ति जो पाप करता है और जानता है कि वह बुरा कर रहा है, वह यहोवा का अपमान करता है। उस व्यक्ति को अपने लोगों से अलग भेज देना चाहिए। यह इस्राएल के परिवार में उत्पन्न व्यक्ति तथा किसी भी अन्य व्यक्ति के लिए, जो तुम्हारे बीच रहता है, समान है। 31 वह व्यक्ति यहोवा के आदेश के विरुद्ध गया है। उसने यहोवा के आदेश का पालन नहीं किया है। उस व्यक्ति को तुम्हारे समूह से अलग कर दिया जाना चाहिए। वह व्यक्ति अपराधी ही रहेगा और दण्ड का भागी होगा!”

एक व्यक्ति विश्राम के दिन काम करता है

32 इस समय, इस्राएल के लोग अभी तक मरुभूमि में ही थे। ऐसा हुआ कि एक व्यक्ति को जलाने के लिए कुछ लकड़ी मिलीं। इसलिए वह व्यक्ति लकड़ियाँ इकट्ठी करता रहा। किन्तु वह सब्त (विश्राम) का दिन था। कुछ अन्य लोगों ने उसे यह करते देखा। 33 जिन लोगों ने उसे लकड़ी इकट्ठी करते देखा, वे उसे मूसा और हारून के पास लाए और सभी लोग चारों ओर इकट्ठे हो गए। 34 उन्होंने उस व्यक्ति को वहाँ रखा क्योंकि वे नहीं जानते थे कि उसे कैसे दण्ड दें।

35 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “इस व्यक्ति को मरना चाहिए। सभी लोग डेरे से बाहर इसे पत्थर से मारेंगे।” 36 इसलिए लोग उसे डेरे से बाहर ले गए और उसे पत्थरों से मार डाला। उन्होंने यह वैसे ही किया जैसा मूसा को यहोवा ने आदेश दिया था।

परमेश्वर नियमों को याद रखने में लोगों की सहायता करता है

37 यहोवा ने मूसा से कहा, 38 “इस्राएल के लोगों से बातें करो और उनसे यह कहोः मैं तुम लोगों को कुछ अपने आदेशों को याद रखने के लिए दूँगा। धागे के कई टुकड़ों को एक साथ बांधकर उन्हें अपने वस्त्रों के कोने पर बांधो। एक नीले रंग का धागा हर एक ऐसी गुच्छियों में डालो। तुम इन्हें अब से हमेशा के लिये पहनोगे। 39 तुम लोग इन गुच्छियों को देखते रहोगे और यहोवा ने जो आदेश तुम्हें दिये हैं, उन्हें याद रखोगे। तब तुम आदेशों का पालन करोगे। तुम लोग आदेशों को नहीं भूलोगे और आँखों तथा शरीर की आवश्यकताओं से प्रेरित होकर कोई पाप नहीं करोगे। 40 तुम हमारे सभी आदेशों के पालन की बात याद रखोगे। तब तुम यहोवा के विशेष लोग बनोगे। 41 मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ। वह मैं हूँ जो तुम्हें मिस्र से बाहर लाया। मैंने यह किया अतः मैं तुम्हारा परमेश्वर रहूँगा। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।”

भजन संहिता 51

संगीत निर्देशक के लिए दाऊद का एक पद: यह पद उस समय का है जब बतशेबा के साथ दाऊद द्वारा पाप करने के बाद नातान नबी दाऊद के पास गया था।

हे परमेश्वर, अपनी विशाल प्रेमपूर्ण
    अपनी करूण से
मुझ पर दया कर।
    मेरे सभी पापों को तू मिटा दे।
हे परमेश्वर, मेरे अपराध मुझसे दूर कर।
    मेरे पाप धो डाल, और फिर से तू मुझको स्वच्छ बना दे।
मैं जानता हूँ, जो पाप मैंने किया है।
    मैं अपने पापों को सदा अपने सामने देखता हूँ।
है परमेश्वर, मैंने वही काम किये जिनको तूने बुरा कहा।
    तू वही है, जिसके विरूद्ध मैंने पाप किये।
मैं स्वीकार करता हूँ इन बातों को,
    ताकि लोग जान जाये कि मैं पापी हूँ और तू न्यायपूर्ण है,
    तथा तेरे निर्णय निष्पक्ष होते हैं।
मैं पाप से जन्मा,
    मेरी माता ने मुझको पाप से गर्भ में धारण किया।
हे परमेश्वर, तू चाहता है, हम विश्वासी बनें। और मैं निर्भय हो जाऊँ।
    इसलिए तू मुझको सच्चे विवेक से रहस्यों की शिक्षा दे।
तू मुझे विधि विधान के साथ, जूफा के पौधे का प्रयोग कर के पवित्र कर।
    तब तक मुझे तू धो, जब तक मैं हिम से अधिक उज्जवल न हो जाऊँ।
मुझे प्रसन्न बना दे। बता दे मुझे कि कैसे प्रसन्न बनूँ? मेरी वे हडिडयाँ जो तूने तोड़ी,
    फिर आनन्द से भर जायें।
मेरे पापों को मत देख।
    उन सबको धो डाल।
10 परमेश्वर, तू मेरा मन पवित्र कर दे।
    मेरी आत्मा को फिर सुदृढ कर दे।
11 अपनी पवित्र आत्मा को मुझसे मत दूर हटा,
    और मुझसे मत छीन।
12 वह उल्लास जो तुझसे आता है, मुझमें भर जायें।
    मेरा चित अडिग और तत्पर कर सुरक्षित होने को
    और तेरा आदेश मानने को।
13 मैं पापियों को तेरी जीवन विधि सिखाऊँगा,
    जिससे वे लौट कर तेरे पास आयेंगे।
14 हे परमेश्वर, तू मुझे हत्या का दोषी कभी मत बनने दें।
    मेरे परमेश्वर, मेरे उद्धारकर्ता,
मुझे गाने दे कि तू कितना उत्तम है
15     हे मेरे स्वामी, मुझे मेरा मुँह खोलने दे कि मैं तेरे प्रसंसा का गीत गाऊँ।
16 जो बलियाँ तुझे नहीं भाती सो मुझे चढ़ानी नहीं है।
    वे बलियाँ तुझे वाँछित तक नहीं हैं।
17 हे परमेश्वर, मेरी टूटी आत्मा ही तेरे लिए मेरी बलि हैं।
    हे परमेश्वर, तू एक कुचले और टूटे हृदय से कभी मुख नहीं मोड़ेगा।

18 हे परमेश्वर, सिय्योन के प्रति दयालु होकर, उत्तम बन।
    तू यरूशलेम के नगर के परकोटे का निर्माण कर।
19 तू उत्तम बलियों का
    और सम्पूर्ण होमबलियों का आनन्द लेगा।
    लोग फिर से तेरी वेदी पर बैलों की बलियाँ चढ़ायेंगे।

यशायाह 5

इस्राएल परमेश्वर का विशेष उपवन

अब मैं अपने मित्र (परमेश्वर) के लिए गीत गाऊँगा। अपने अंगूर के बगीचे (इस्राएल के लोग) के विषय में यह मेरे मित्र का गीत है।

मेरे मित्र का बहुत उपजाऊ पहाड़ी पर
    एक अंगूर का बगीचा है।
मेरे मित्र ने धरती खोदी और कंकड़ पत्थर हटा कर उसे साफ किया
    और वहाँ पर अंगूर की उत्तम बेलें रोप दीं।
फिर खेत के बीच में
    उसने अंगूर के रस निकालने को कुंड बनाये।
मित्र को आशा थी कि वहाँ उत्तम अंगूर होंगे
    किन्तु वहाँ जो अंगूर लगे थे वे बुरे थे।

सो परमेश्वर ने कहा: “हे यरूशलेम के लोगों, और ओ यहूदा के वासियों,
    मेरे और मेरे अंगूर के बाग के बारे में निर्णय करो।
मैं और क्या अपने अंगूर के बाग के लिये कर सकता था
    मैंने वह सब किया जो कुछ भी मैं कर सकता था।
मुझे उत्तम अंगूरों के लगने की आशा थी
    किन्तु वहाँ अंगूर बुरे ही लगे।
    यह ऐसा क्यों हुआ

“अब मैं तुझको बताऊँगा कि अपने अंगूर के बगीचे के लिये मैं क्या कुछ करुँगा:
वह कंटीली झाड़ी जो खेत की रक्षा करती है मैं उखाड़ दूँगा,
    और उन झाड़ियों को आग में जला दूँगा।
पत्थर का परकोटा तोड़ कर गिरा दूँगा।
    बगीचे को रौंद दिया जायेगा।
अंगूर के बगीचे को मैं खाली खेत में बदल दूँगा।
    कोई भी पौधे की रखवाली नहीं करेगा।
    उस खेत में कोई भी व्यक्ति काम नहीं करेगा।
वहाँ केवल काँटे और खरपतवार उगा करेंगे।
    मैं बादलों को आदेश दूँगा कि वे वहाँ न बरसें।”

सर्वशक्तिशाली यहोवा का अँगूर का बगीचा इस्राएल का राष्ट्र है और अंगूर की बेलें जिन्हें यहोवा प्रेम करता है, यहूदा के लोग हैं।

यहोवा ने न्याय की आशा की थी,
    किन्तु वहाँ हत्या बस रही।
यहोवा ने निष्पक्षता की आशा की,
    किन्तु वहाँ बस सहायता माँगने वालों का रोना रहा जिनके साथ बुरा किया गया था।

बुरा हो उनका जो मकान दर मकान लेते ही चले जाते हैं और एक खेत के बाद दूसरा और दूसरे के बाद तीसरा खेत तब तक घेरते ही चले जाते हैं जब तक किसी और के लिए कुछ भी जगह नहीं बच रहती। ऐसे लोगों को इस प्रदेश में अकेले ही रहना पड़ेगा। सर्वशक्तिशाली यहोवा को मैंने मुझसे यह कहते हुए सुना है, “अब देखो वहाँ बहुत सारे भवन हैं किन्तु मैं तुमसे शपथपूर्वक कहता हूँ कि वे सभी भवन नष्ट कर दिये जायेंगे। अभी वहाँ बड़े—बड़े भव्य भवन हैं किन्तु वे भवन उजड़ जायेंगे। 10 उस समय, दस एकड़ की अँगूरों की उपज से थोड़ी सी दाखमधु तैयार होगी। और कई बोरी बीजों से थोड़ा सा अनाज पैदा हो पायेगा।”

11 तुम्हें धिक्कार है, तुम लोग अलख सुबह उठते हो और अब सुरा पीने की ताक में रहते हो। रात को देर तक जागते हुए दाखमधु पी कर धुत होते हो। 12 तुम लोग दाखमधु, वीणा, ढोल, बाँसुरी और ऐसे ही दूसरे बाजों के साथ दावतें उड़ाते रहते हो और तुम उन बातों पर दृष्टि नहीं डालते जिन्हें यहोवा ने किया है। यहोवा के हाथों ने अनेकानेक वस्तुएँ बनायी है किन्तु तुम उन वस्तुओं पर ध्यान ही नहीं देते। सो यह तुम्हारे लिये बहुत बुरा होगा।

13 यहोवा कहता है, “मेरे लोगों को बंदी बना कर कहीं दूर ले जाया जायेगा। क्योंकि सचमुच वे मुझे नहीं जानते। इस्राएल के कुछ निवासी, आज बहुत महत्वपूर्ण है और अपने आराम भरे जीवन से प्रसन्न हैं, किन्तु वे सभी बड़े लोग बहुत मूर्ख हो जाएँगे और इस्राएल के आम लोग बहुत प्यासे हो जायेंगे। 14 फिर उनकी मृत्यु हो जायेगी और शियोल, (मृत्यु का प्रदेश), अधिक से अधिक लोगों को निगल जाएगा। मृत्यु का वह प्रदेश अपना असीम मुख पसारेगा और वे सभी महत्वपूर्ण और साधारण लोग और हुल्लड़ मचाते वे सभी खुशियाँ मनाते लोग शियोल में धस जायेंगे।”

15 उन लोगों को नीचा दिखाया जायेगा। वे बड़े लोग अपना सिर नीचे लटकाये धरती की और देखेंगे। 16 सर्वशक्तिशाली यहोवा न्याय के साथ निर्णय देगा, और लोग जान लेंगे कि वह महान है। पवित्र परमेश्वर उन बातों को करेगा जो उचित हैं, और लोग उसे आदर देंगे। 17 इस्राएल के लोगों से परमेश्वर उनका अपना देश छुड़वा देगा। धरती वीरान हो जायेगी। भेड़ें जहाँ चाहेगी, चली जायेंगी। वह धरती जो कभी धनवान लोगों की थी, उस पर भेड़ें घूमा करेंगी।

18 उन लोगों का बुरा हो, वे अपने अपराध और अपने पापों को अपने पीछे ऐसे ढो रहे हैं जैसे लोग रस्सों से छकड़े खींचते हैं। 19 वे लोग कहा करते हैं, “काश! परमेश्वर जो उसकी योजना है, उसे जल्दी ही पूरा कर दे। ताकि हम जान जायें कि क्या घटने वाला है। हम तो यह चाहते हैं कि परमेश्वर की योजनाएँ जल्दी ही घटित हो जायें ताकि हम यह जान लें कि उसकी योजना क्या है।”

20 उन लोगों का बुरा हो जो कहा करते कि अच्छी बातें बुरी हैं, और बुरी बातें अच्छी हैं। वे लोग सोचा करते हैं कि प्रकाश अन्धेरा है, और अन्धेरा प्रकाश हैं। उन लोगों का विचार हैं कि कड़वा, मीठा है और मीठा, कड़वा है। 21 बुरा हो उन अभिमानियों का जो स्वयं को बहुत चतुर मानते हैं। वे सोचा करते हैं कि वे बहुत बुद्धिमान हैं। 22 बुरा हो उनका जो दाखमधु पीने के लिए जाने माने जाते हैं। दाखमधु के मिश्रण में जिन्हें कुशलता हासिल है। 23 और यदि तुम उन लोगों को रिश्वत दे दो तो वे एक अपराधी को भी छोड़ देंगे। किन्तु वे अच्छे व्यक्ति का भी निष्पक्षता से न्याय नहीं होने देते। 24 ऐसे लोगों के साथ बुरी बातें घटेंगी। उनके वंशज पूरी तरह बैसे ही नष्ट हो जायेंगे जैसे घास फूस आग में जला दिये जाते हैं। उनके वंशज उस कंद मूल की तरह नष्ट हो जायेंगे जो मर कर धूल बन जाता है। उनके वंशज ऐसे नष्ट कर दिये जायेंगे जैसे आग फूलों को जला डालती है और उसकी राख हवा में उड़ जाती है।

ऐसे लोगों ने सर्वशक्तिशाली यहोवा के उपदेशों का पालन करने से इन्कार कर दिया है। उन लोगों ने इस्राएल के पवित्र (परमेश्वर) के कथन से बैर किया है। 25 इसलिए यहोवा अपने लोगों से बहुत अधिक कुपित हुआ है। यहोवा ने अपना हाथ उठाया और उन्हें दण्ड दिया। यहाँ तक कि पर्वत भी भयभीत हो उठे थे। गलियों में कूड़े की तरह लाशें बिछी पड़ी थी। किन्तु यहोवा अभी भी कुपित है। उसका हाथ लोगों को दण्ड देने के लिए अभी भी उठा हुआ है।

इस्राएल को दण्ड देने के लिए परमेश्वर सेनाएँ लायेगा

26 देखो! परमेश्वर दूर देश के लोगों को संकेत दे रहा है। परमेश्वर एक झण्डा उठा रहा है, और उन लोगों को बुलाने के लिये सीटी बजा रहा है।

किसी दूर देश से शत्रु आ रहा है। वह शत्रु शीघ्र ही देश में घुस आयेगा। वे बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। 27 शत्रु कभी थका नहीं करता अथवा कभी नीचे नहीं गिरता। शत्रु कभी न तो ऊँघता है और न ही सोता है। उनके हथियारों के कमर बंद सदा कसे रहते हँ। उनके जूतों के तस्में कभी टूटते नहीं हैं। 28 शत्रु के बाण पैने हैं। उनके सभी धनुष बाण छोड़ने के लिये तैयार हैं। उनके घोड़ों के खुर चट्टानों जैसे कठोर हैं। उनके रथों के पीछे धूल के बादल उठा करते हैं।

29 शत्रु गरजता है, और उनका गर्जन सिंह की दहाड़ के जैसा है। वह इतना तीव्र है जितना जवान सिंह का गर्जन। शत्रु जिनके विरुद्ध युद्ध कर रहा है उनके ऊपर गुरर्ा़ता है और उन पर झपट पड़ता है। वह उन्हें वहाँ से घसीट ले जाता है और वहाँ उन्हें बचाने वाला कोई नहीं होता। किन्तु उनके बच पाने की कोई वजह नहीं। 30 सो, उस दिन वह “सिंह” समुद्र की तरंगों के समान दहाड़े मारेगा और बंदी बनाये गये लोग धरती ताकते रह जायेंगे, और फिर वहाँ बस अन्धेरा और दुःख ही रह जाएगा। इस घने बादल में समूचा प्रकाश अंधेरे में बदल जाएगा।

इब्रानियों 12

परमेश्वर अपने पुत्रों को सिधाता है

12 क्योंकि हम साक्षियों की ऐसी इतनी बड़ी भीड़ से घिरे हुए हैं, जो हमें विश्वास का अर्थ क्या है इस की साक्षी देती है। इसलिए आओ बाधा पहुँचाने वाली प्रत्येक वस्तु को और उस पाप को जो सहज में ही हमें उलझा लेता है झटक फेंके और वह दौड़ जो हमें दौड़नी है, आओ धीरज के साथ उसे दौड़ें। हमारे विश्वास के अगुआ और उसे सम्पूर्ण सिद्ध करने वाले यीशु पर आओ हम दृष्टि लगायें। जिसने अपने सामने उपस्थित आनन्द के लिए क्रूस की यातना झेली, उसकी लज्जा की कोई चिंता नहीं की और परमेश्वर के सिंहासन के दाहिने हाथ विराजमान हो गया। उसका ध्यान करो जिसने पापियों का ऐसा विरोध इसलिए सहन किया ताकि थक कर तुम्हारा मन हार न मान बैठे।

परमेश्वर, पिता के समान है

पाप के विरुद्ध अपने संघर्ष में तुम्हें इतना नहीं लड़ना पड़ा है कि अपना लहू ही बहाना पड़ा हो। तुम उस साहसपूर्ण वचन को भूल गये हो। जो तुम्हेंपुत्र के नाते सम्बोधित है:

“हे मेरे पुत्र, प्रभु के अनुशासन का तिरस्कार मत कर,
    उसकी फटकार का बुरा कभी मत मान,
क्योंकि प्रभु उनको डाँटता है जिनसे वह प्रेम करता है।
    वैसे ही जैसे पिता उस पुत्र को दण्ड देता, जो उसको अति प्रिय है।”(A)

कठिनाई को अनुशासन के रूप में सहन करो। परमेश्वर तुम्हारे साथ अपने पुत्र के समान व्यवहार करता है। ऐसा पुत्र कौन होगा जिसे अपने पिता के द्वारा ताड़ना न दी गई हो? यदि तुम्हें वैसे ही ताड़ना नहीं दी गयी है जैसे सबको ताड़ना दी जाती है तो तुम अपने पिता से पैदा हुए पुत्र नहीं हो और सच्ची संतान नहीं हो। और फिर यह भी कि इन सब को वे पिता भी जिन्होंने हमारे शरीर को जन्म दिया है, हमें ताड़ना देते हैं। और इसके लिए हम उन्हें मान देते हैं तो फिर हमें अपनी आत्माओं के पिता के अनुशासन के तो कितना अधिक अधीन रहते हुए जीना चाहिए। 10 हमारे पिताओं ने थोड़े से समय के लिए जैसा उन्होंने उत्तम समझा, हमें ताड़ना दी, किन्तु परमेश्वर हमें हमारी भलाई के लिये ताड़ना दी है, जिससे हम उसकी पवित्रता के सहभागी हो सकें। 11 जिस समय ताड़ना दी जा रही होती है, उस समय ताड़ना अच्छी नहीं लगती, बल्कि वह दुखद लगती है किन्तु कुछ भी हो, वे जो ताड़ना का अनुभव करते हैं, उनके लिए यह आगे चलकर नेकी और शांति का सुफल प्रदान करता है।

चेतावनी: परमेश्वर को नकारो मत

12 इसलिए अपनी दुर्बल बाहों और निर्बल घुटनों को सबल बनाओ। 13 अपने पैरों के लिए मार्ग बना ताकि जो लँगड़ा है, वह अपंग नहीं, वरन चंगा हो जाए।

14 सभी के साथ शांति के साथ रहने और पवित्र होने के लिए हर प्रकार से प्रयत्नशील रहो; बिना पवित्रता के कोई भी प्रभु का दर्शन नहीं कर पायेगा। 15 इस बात का ध्यान रखो कि परमेश्वर के अनुग्रह से कोई भी विमुख न हो जाए और तुम्हें कष्ट पहुँचाने तथा बहुत लोगों को विकृत करने के लिए कोई झगड़े की जड़ न फूट पड़े। 16 देखो कि कोई भी व्यभिचार न करे अथवा उस एसाव के समान परमेश्वर विहीन न हो जाये जिसे सबसे बड़ा पुत्र होने के नाते उत्तराधिकार पाने का अधिकार था किन्तु जिसने उसे बस एक निवाला भर खाना के लिए बेच दिया। 17 जैसा कि तुम जानते ही हो बाद में जब उसने इस वरदान को प्राप्त करना चाहा तो उसे अयोग्य ठहराया गया। यद्यपि उसने रो-रो कर वरदान पाना चाहा किन्तु वह अपने किये का पश्चाताप नहीं कर पाया।

18 तुम अग्नि से जलते हुए इस पर्वत के पास नहीं आये जिसे छुआ जा सकता था और न ही अंधकार, विषाद और बवंडर के निकट आये हो। 19 और न ही तुरही की तीव्र ध्वनि अथवा किसी ऐसे स्वर के सम्पर्क में आये जो वचनों का उच्चारण कर रही हो, जिससे जिन्होंने उसे सुना, प्रार्थना की कि उनके लिए किसी और वचन का उच्चारण न किया जाये। 20 क्योंकि जो आदेश दिया गया था, वे उसे झेल नहीं पाये: “यदि कोई पशु तक उस पर्वत को छुए तो उस पर पथराव किया जाये।”(B) 21 वह दृश्य इतना भयभीत कर डालने वाला था कि मूसा ने कहा, “मैं भय से थरथर काँप रहा हूँ।”(C)[a]

22 किन्तु तुम तो सिओन पर्वत, सजीव परमेश्वर की नगरी, स्वर्ग के यरूशलेम के निकट आ पहुँचे हो। तुम तो हज़ारों-हज़ार स्वर्गदूतों की आनन्दपूर्ण सभा, 23 परमेश्वर की पहली संतानों, जिनके नाम स्वर्ग में लिखे हैं, उनकी सभा के निकट पहुँच चुके हो। तुम सबके न्यायकर्ता परमेश्वर और उन धर्मात्मा, सिद्ध पुरुषों की आत्माओं, 24 तथा एक नये करार के मध्यस्थ यीशु और छिड़के हुए उस लहू से निकट आ चुके हो जो हाबिल के लहू की अपेक्षा उत्तम वचन बोलता है।

25 ध्यान रहे! कि तुम उस बोलने वाले को मत नकारो। यदि वे उसको नकार कर नहीं बच पाये जिसने उन्हें धरती पर चेतावनी दी थी तो यदि हम उससे मुँह मोड़ेंगे जो हमें स्वर्ग से चेतावनी दे रहा है, तो हम तो दण्ड से बिल्कुल भी नहीं बच पायेंगे। 26 उसकी वाणी ने उस समय धरती को झकझोर दिया था किन्तु अब उसने प्रतिज्ञा की है, “एक बार फिर न केवल धरती को ही बल्कि आकाशों को भी मैं झकझोर दूँगा।” 27 “एक बार फिर” ये शब्द उस हर वस्तु की ओर इंगित करते हैं जिसे रचा गया है (यानी वे वस्तुएँ जो अस्थिर हैं) वे नष्ट हो जायेंगी। केवल वे वस्तुएँ ही बचेंगी जो स्थिर हैं।

28 अतः क्योंकि जब हमें एक ऐसा राज्य मिल रहा है, जिसे झकझोरा नहीं जा सकता, तो आओ हम धन्यवादी बनें और आदर मिश्रित भय के साथ परमेश्वर की उपासना करें। 29 क्योंकि हमारा परमेश्वर भस्म कर डालने वाली एक आग है।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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