Print Page Options
Previous Prev Day Next DayNext

Historical

Read the books of the Bible as they were written historically, according to the estimated date of their writing.
Duration: 365 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
व्यवस्था विवरण 1-2

मूसा इस्राएल के लोगों से बातचीत करता है

मूसा द्वारा इस्राएल के लोगों को दिया गया सन्देश यह है। उसने उन्हें यह सन्देश तब दिया जब वे यरदन की घाटी में, यरदन नदी की पूर्व के मरुभूमि में थे। यह सूप के उस पार एक तरफ पारान मरुभूमि और दूसरी तरफ तोपेल, लाबान, हसेरोत और दीजाहाब नगरों के बीच में था।

होरेब (सीनै) पर्वत से सेईर पर्वत से होकर कादेशबर्ने की यात्रा केवल ग्यारह दिन की है। किन्तु जब मूसा ने इस्राएल के लोगों को इस स्थान पर सन्देश दिया तब इस्राएल के लोगों को मिस्र छोड़े चालीस वर्ष हो चुके थे। यह चालीस वर्ष के ग्यारहवें महीने का पहला दिन था, जब मूसा ने लोगों से बातें कीं तब उसने उनसे वही बातें कहीं जो यहोवा ने उसे कहने का आदेश दिया था। यह यहोवा की सहायता से उनके द्वारा एमोरी लोगों के राजा सीहोन और बाशान के राजा ओग को पराजित किए जाने के बाद हुआ। (सीहोन हेशबोन और ओग अशतारोत एवं एद्रेई में रहते थे।) उस समय वे यरदन नदी के पूर्व की ओर मोआब के प्रदेश में थे और मूसा ने परमेश्वर के आदेशों की व्याख्या की। मूसा ने कहाः

“यहोवा, हमारे परमेश्वर ने होरेब (सीनै) पर्वत पर हमसे कहा। उसने कहा, ‘तुम लोग काफी समय तक इस पर्वत पर ठहर चुके हो। यहाँ से चलने के लिए हर एक चीज तैयार कर लो। एमोरी लोगों के यरदन घाटी, पहाड़ी क्षेत्र, पश्चिमी ढाल—अराबा का पहाड़ी प्रदेश, नीची भूमी, नेगेव और समुद्र से लगे क्षेत्रों में जाओ। कनानी लोगों के देश में तथा लबानोन में परात नामक बड़ी नदी तक जाओ। देखो, मैंने यह सारा देश तुम्हें दिया है। अन्दर जाओ, और स्वयं उस पर अधिकार करो। यह वही देश है जिसे देने का वचन मैंने तुम्हारे पूर्वजों इब्राहीम, इसहाक और याकूब को दिया था। मैंने यह प्रदेश उन्हें तथा उनके वंशजों को देने का वजन दिया था।’”

मूसा प्रमुखों की नियुक्ति करता है

मूसा ने कहा, “उस समय जब मैंने तुमसे बात की थी तब कहा था, मैं अकेले तुम लोगों का नेतृत्व करने और देखभाल करने में समर्थ नहीं हूँ। 10 यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने क्रमशः लोगों को इतना बढ़ाया है कि तुम लोग अब उतने हो गए हो जितने आकाश में तारे हैं! 11 तुम्हें यहोवा, तुम्हारे पूर्वजों का परमेश्वर, आज तुम जितने हो, उससे हजार गुना अधिक करे! वह तुम्हें वह आशीर्वाद दे जो उसने तुम्हें देने का वचन दिया है! 12 किन्तु मैं अकेले तुम्हारी देखभाल नहीं कर सकता और न तो तुम्हारी सारी समस्याओं और वाद—विवाद का समाधान कर सकता हूँ। 13 ‘इसलिए हर एक परिवार समूह से कुछ व्यक्तियो को चुनो और मैं उन्हें तुम्हारा नेता बनाऊँगा। उन बुद्धिमान लोगों को चुनो जो समझदार और अनुभवी हों।’

14 “और तुम लोगों ने कहा, ‘हम लोग समझते हैं ऐसा करना अच्छा है।’

15 “इसलिए मैंने, तुम लोगों द्वारा अपने परिवार समूह से चुने गए बुद्धिमान और अनुभवी व्यक्तियों को लिया और उन्हें तुम्हार प्रमुख बनाया। मैंने उनमें से कुछ को हजार का, कुछ को सौ का, कुछ को पचास का और कुछ को दस का प्रमुख बनाया है। उनको मैंने तुम्हारे परिवार समूहों के लिए अधिकारी नियुक्त किया है।

16 “उस समय, मैंने तुम्हारे इन प्रमुखों को तुम्हारा न्यायाधीश बनाया था। मैंने उनसे कहा, ‘अपने लोगों के बीच के वाद—प्रतिवाद को सुनो। हर एक मुकदमे का फैसला सही—सही करो। इसका कोई महत्व नहीं कि मुकदमा दो इस्राएली लोगों के बीच है या इस्राएली और विदेशी के बीच। तुम्हें हर एक मुकदमे का फैसला सही करना चाहिए। 17 जब तुम फैसला करो तब यह न सोचो कि कोई व्यक्ति दूसरे की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण है। तुम्हें हर एक व्यक्ति का फैसला एक समान समझकर करना चाहिए। किसी से डरो नहीं क्योंकि तुम्हारा फैसला परमेश्वर से आया है। किन्तु यदि कोई मुकदमा इतना जटिल हो कि तुम फैसला ही न कर सको तो उसे मेरे पास लाओ और इसका फैसला मैं करूँगा।’ 18 उसी समय, मैंने वे सभी दूसरी बातें बताईं जिन्हें तुम्हें करना है।

जासूस कनान देश में गए

19 “तब हम लोगों ने वह किया जो हमारे परमेश्वर यहोवा ने हमें आदेश दिया। हम लोगों ने होरेब पर्वत को छोड़ा और एमोरी लोगों के पहाड़ी प्रदेश की यात्रा की। हम लोग उन बड़ी और सारी भयंकर मरुभूमि से होकर गुजरे जिन्हें तुमने भी देखा। हम लोग कादेशबर्ने पहुँचे। 20 तब मैंने तुमसे कहा, ‘तुम लोग एमोरी लोगों के पहाड़ी प्रदेश में आ चुके हो। यहोवा हामारा परमेश्वर यह देश हमको देगा। 21 देखो, यह देश वहाँ है! आगे बढ़ो और भूमि को अपना बना लो! तुम्हारे पूर्वजों के यहोवा परमेश्वर ने तुम लोगों को ऐसा करने को कहा है। इसलिए डरो नहीं, किसी प्रकार की चिन्ता न करो!’

22 “तब तुम सभी मेरे पास आए और बोले, ‘हम लोगों के पहले उस देश को देखने के लिए व्यक्तियों को भेजो। वे वहाँ के सभी कमजोर और शक्तिशाली स्थानों को देख सकते हैं। वे तब वापस आ सकते हैं और हम लोगों को उन रास्तों को बता सकते हैं जिनसे हमें जाना है तथा उन नगरों को बता सकते हैं जिन तक हमें पहुँचना है।’

23 “मैंने सोचा कि यह अच्छा विचार है। इसलिए मैंने तुम लोगों में से हर परिवार समूह के लिए एक व्यक्ति के हिसाब से बारह व्यक्तियों को चुना। 24 तब वे व्यक्ति हमें छोड़कर पहाड़ी प्रदेश में गए। वे एशकोल की घाटी में गए और उन्होंने उसकी छान—बीन की। 25 उन्होंने उस प्रदेश के कुछ फल लिए और उन्हें हमारे पास लाए। उन्होंने हम लोगों को विवरण दिया और कहा, ‘यह अच्छा देश है जिसे यहोवा हमारा परमेश्वर हमें दे रहा है!’

26 “किन्तु तुमने उसमें जाने से इन्कार किया। तुम लोगों ने अपने यहोवा परमेश्वर के आदेश को मानने से इन्कार किया। 27 तुम लोगों ने अपने खेमों में शिकायत की। तुम लोगों ने कहा, ‘यहोवा हमसे घृणा करता है! वह हमें मिस्र से बाहर एमोरी लोगों को देने के लिए ले आया। जिससे वे हमें नष्ट कर सकें! 28 अब हम लोग कहाँ जायें? हमारे बारह जासूस भाईयों ने अपने विवरण से हम लोगों को डराया। उन्होंने कहा: वहाँ के लोग हम लोगों से बड़े और लम्बे हैं, नगर बड़े हैं और उनकी दीवारें आकाश को छूती हैं और हम लोगों ने दानव लोगों को वहाँ देखा।’

29 “तब मैंने तुमसे कहा, ‘घबराओ नहीं! उन लोगों से डरो नहीं! 30 यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारे सामने जायेगा और तुम्हारे लिए लड़ेगा। वह यह वैसे ही करेगा जैसे उसने मिस्र में किया। तुम लोगों ने वहाँ अपने सामने उसको 31 मरुभूमि में जाते देखा। तुमने देखा कि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें वैसे ले आया जैसे कोई व्यक्ति अपने पुत्र को लाता है। यहोवा न पूरे रास्ते तुम लोगों की रक्षा करते हुए तुम्हें यहाँ पहुँचाया है।’

32 “किन्तु तब भी तुमने यहोवा अपने परमेश्वर पर विश्वास नहीं किया। 33 जब तुम यात्रा कर रहे थे तब वह तुम्हारे आगे तुम्हारे डेरे डालने के लिए जगह खोजने गया। तुम्हें यह बताने के लिए कि तुम्हें किस राह जाना है वह रात को आग में और दिन को बादल में चला।

लोगों के कनान जाने पर प्रतिबन्ध

34 “यहोवा ने तुम्हारा कहना सुना, वह क्रोधित हुआ। उसने प्रतिज्ञा की। उसने कहा, 35 ‘आज तुम जीवित बुरे लोगों में से कोई भी व्यक्ति उस अच्छे देश में नहीं जाएगा जिसे देने का वचन मैंने तुम्हारे पूर्वजों को दिया है। 36 यपुन्ने का पुत्र कालेब ही केवल उस देश को देखेगा। मैं कालेब को वह देश दूँगा जिस पर वह चला और मैं उस देश को कालेब के वंशजों को दूँगा। क्यों? क्यो कि कालेब ने वह सब किया जो मेरा आदेश था।’

37 “यहोवा तुम लोगों के कारण मुझसे भी अप्रसन्न था। उसने मुझसे कहा, ‘तुम भी उस देश में नहीं जा सकते। 38 किन्तु तुम्हारा सहायक, नून का पुत्र यहोशू उस देश में जाएगा। यहोशू को उत्साहित करो, क्योंकि वही इस्राएल के लोगों को भूमि पर अपना अधिकार जामाने के लिए ले जाएगा।’ 39 और यहोवा ने हमसे कहा, ‘तुमने कहा, कि तुम्हारे छोटे बच्चे शत्रु द्वारा ले लिए जायेंगे। किन्तु वे बच्चे उस देश में जायेंगे। मैं तुम्हारी गलतियों के लिए तुम्हारे बच्चों को दोषी नहीं मानता। क्योंकि वे अभी इतने छोटे हैं कि वे यह जान नहीं सकते कि क्या सही है और क्या गलत। इसलिए मैं उन्हें वह देश दूँगा। तुम्हारे बच्चे अपने देश के रूप में उसे प्राप्त करेंगे। 40 लेकिन तुम्हें, पीछे मुड़ना चाहिए और लाल सागर जाने वाले मार्ग से मरुभूमि को जाना चाहिए।’

41 “तब तुमने कहा, ‘मूसा, हम लोगों ने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है। किन्तु अब हम आगे बढ़ेंगे और जैसे पहले यहोवा हमारे परमेश्वर ने आदेश दिया था वैसे ही लड़ेंगे।’

“तब तुम में से हर एक ने युद्ध के लिए शस्त्र धारण किये। तुम लोगों ने सोचा कि पहाड़ में जाना सरस होगा। 42 किन्तु यहोवा ने मुझसे कहा, ‘लोगों से कहो कि वे वहाँ न जायें और न लड़ें। क्यों? क्योंकि मैं उनका साथ नहीं दूँगा और उनके शत्रु उनको हरा देंगे।’

43 “इसलिए मैंने तुम लोगों को समझाने की कोशिश की, किन्तु तुम लोगों ने मेरी एक न सुनी। तुम लोगों ने यहोवा का आदेश मानने से इन्कार कर दिया। तुम लोगों ने अपनी शक्ति का उपयोग करने की बात सोची। इसलिए तुम लोग पहाड़ी प्रदेश में गए। 44 तब एमोरी लोग तुम्हारे विरुद्ध आए। वे उस पहाड़ी प्रदेश में रहते हैं। उन्होंने तुम्हारा वैसे पीछा किया जैसे मधुमक्खियाँ लोगों का पीछा करती हैं। उन्होंने तुम्हारा सेईर से लेकर होर्मा तक पूरे रास्ते पीछा किया और तुम्हें वहाँ हराया। 45 तुम सब लौटे और यहोवा के सामने सहायता के लिए रोए चिल्लाए। किन्तु यहोवा ने तुम्हारी बात कुछ न सुनी। उसने तुम्हारी बात सुनने से इन्कार कर दिया। 46 इसलिए तुम लोग कादेश में बहुत समय तक ठहरे।

इस्राएल के लोग मरुभूमि में भटकते हैं

“तब हम लोग मुड़े और लालसागर के सड़क पर मरुभूमि की यात्रा की। यह वह काम है जिसे यहोवा ने कहा कि हमें करना चाहिए। हम लोग सेईर के पहाड़ी प्रदेश से होकर कई दिन चले। तब यहोवा ने मुझसे कहा, ‘तुम इस पहाड़ी प्रदेश से होकर काफी समय चल चुके हो। उत्तर की ओर मुड़ो। और उसने मुझे तुमसे यह कहने को कहाः तुम सेईर प्रदेश से होकर गुजरोगे। यह प्रदेश तुम लोगों के सम्बन्धी एसाव के वंशजों का है। वे तुमसे डरेंगे। बहुत सावधान रहो। उनसे लड़ो मत। मैं उनकी कोई भी भूमि एक फुट भी तुमको नहीं दूँगा। क्यों? क्योंकि मैंने एसाव को सेईर का पहाड़ी प्रदेश उसके अधिकार में दे दिया। तुम्हें एसाव के लोगों को वहाँ पर भोजन करने या पानी पीने का मूल्य चुकाना चाहिए। यह याद रखो कि यहोवा तुम्हारे परमेश्वर, ने तुमको तुमने जो कुछ भी किया उन सभी के लिए आशीर्वाद दिया। वह इस विस्तृत मरुभूमि से तुम्हारा गुजरना जानता है। यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर इन चालीस वर्षों में तुम्हारे साथ रहा है। तुम्हें वे सभी चीजें मिली हैं जिनकी तुम्हें आवश्यकता थी।’

“इसलिए हम लोग सेईर में रहने वाले अपने सम्बन्धी एसाव के लोगों के पास से आगे बढ़ गए। यरदन घाटी से एलत और एस्योनगेबेर नगरों को जाने वाली सड़क को पीछे छोड़ दिया। तब हम उस मरुभूमि की तरफ जाने वाली सड़क पर मुड़े जो मोआब में है।

आर—प्रदेश में इस्राएल

“यहोवा ने मुझसे कहा, ‘मोआब के लोगों को परेशान न करो। उनके खिलाफ लड़ाई न छेड़ो। मैं उनकी कोई भूमि तुमको नहीं दुँगा। वे लूत के वंशज हैं, और मैंने उन्हें आर प्रदेश दिया है।’”

10 (पहले, आर में एमी लोग रहते थे। वे शक्तिशाली लोग थे और वहाँ उनमें से बहुत से थे। वे अनाकी लोगों की तरह बहुत लम्बे थे। 11 अनाकी लोगो की तरह, एमी रपाई लोगों के एक भाग समझे जाते थे। किन्तु मोआबी लोग उन्हें एमी कहते थे। 12 पहले होरी लोग भी सेईर में रहते थे, किन्तु एसाव के लोगों ने उनकी भुमि ले ली। एसाव के लोगों ने होरीतों को नष्ट कर दिया। तब एसाव के लोग वहाँ रहने लगे जहाँ पहले होरीत रहते थे। यह वैसा ही काम था जैसा इस्राएल के लोगों द्वारा उन लोगों के प्रति किया गया जो यहोवा द्वारा इस्राएली अधिकार में भूमि को देने के पहले वहाँ रहते थे।)

13 “यहोवा ने मुझसे कहा, ‘अब तैयार हो जाओ और जेरेद घाटी के पार जाओ।’ इसलिए हमने जेरेद घाटी को पार किया। 14 कादेशबर्ने को छोड़ने और जेरेदे घाटी को पार करने में अड़तीस वर्ष का समय बीता था। उस पीढ़ी के सभी योद्धा मर चुके थे। यहोवा ने कहा था कि ऐसा ही होगा। 15 यहोवा उन लोगों के विरुद्ध तब तक रहा जब तक वे सभी नष्ट न हो गए।

16 “जब सभी योद्धा मर गए और लोगों के बीच से सदा के लिए समाप्त हो गए। 17 तब यहोवा ने मुझसे कहा, 18 ‘आज तुम्हें आर नगर की सीमा से होकर जाना चाहिए। 19 जब तुम अम्मोनी लोगों के पास पहुँचो तो उन्हें तंग मत करना। उनसे लड़ना नहीं क्योंकि मैं तुम्हें उनकी भूमि नहीं दूँगा। क्यों? क्योंकि मैंने वह भूमि लूत के वंशजों को अपने पास रखने के लिए दी है।’”

20 (वह प्रदेश रपाई लोगों का देश भी कहा जाता है। वे ही लोग पहले वहाँ रहते थे। अम्मोनी के लोग उन्हें जमजुम्मी लोग कहते थे। 21 जमजुम्मी लोग बहुत शक्तिशाली थे और उनमें से बहुत से वहाँ थे। वे अनाकी लोगों की तरह लम्बे थे। किन्तु यहोवा ने जमजुम्मी लोगों को अम्मोनी लोगों के लिए नष्ट किया। अम्मोनी लोगों ने जमजुम्मी लोगों का प्रदेश ले लिया और अब वे वहाँ रहते थे। 22 परमेश्वर ने यही काम एसावी लोगों के लिए किया जो सेईर में रहते थे। उन्होंने वहाँ रहने वाले होरी लोगों को नष्ट किया। अब एसाव के लोग वहाँ रहते हैं जहाँ पहले होरी लोग रहते थे। 23 और कुछ लोग कप्तोर से आए और अव्वियों को उन्होंने नष्ट किया। अव्वी लोग अज्जा तक, नगरों में रहते थे किन्तु यहोवा ने अव्वियों को कप्तोरी लोगों के लिए नष्ट किया।)

एमोरी लोगों के विरुद्ध युद्ध करने का आदेश

24 “यहोवा ने मुझसे कहा, ‘यात्रा के लिए तैयार हो जाओ। अर्नोन नदी की घाटी से होकर जाओ। मैं तुम्हें हेशबोन के राजा एमोरी सीहोन पर विजय की शक्ति दे रहा हूँ। मैं तुम्हें उसका देश जीतने की शक्ति दे रहा हूँ। इसलिए उसके विरुद्ध लड़ो और उसके देश पर अधिकार करना आरम्भ करो। 25 आज मैं तुम्हें सारे संसार के लोगों को भयभीत करने वाला बनाना आरम्भ कर रहा हूँ। वे तुम्हारे बारे में सूचनाएँ पाएंगे और वे भय से काँप उठेंगे। जब वे तुम्हारे बारे में सोचेंगे तब वे घबरा जाएंगें।’

26 “कदेमोत की मरुभूमि से मैंने हेशबोन के राजा सिहोन के पास एक दूत को भेजा। दूत ने सीहोन के सामने शान्ति सन्धि रखी। उन्होंने कहा, 27 ‘अपने देश से होकर हमें जाने दो। हम लोग सड़क पर ठहरेंगे। हम लोग सड़क से दायें। या बाएं नहीं मुड़ेंगे। 28 हम जो भोजन करेंगे या जो पानी पीएंगे उसका मूल्य चाँदी मे चुकाएंगे। हम केवल तुम्हारे देश से यात्रा करना चाहते हैं। 29 अपने देश से होकर तुम हमें तब तक जाने दो जब तक हम यरदन नदी को पार कर उस देश में न पहुँचें जिसे यहोवा, हमारा परमेशवर, हमें दे रहा है। अन्य लोगों में सेईर में रहने वाले एसाव तथा आर में रहने वाले मोआबी लोगों ने अपने देश से हमें गुजरने दिया है।’

30 “किन्तु हेशबोन के राजा सीहोन ने, अपने देश से हमें गुजरने नहीं दिया। यहोवा, तुम्हारे परमेश्वर ने, उसे बहुत हठी बना दिया था। यहोवा ने यह इसलिए किया कि वह सीहोन को तुम्हारे अधिकार में दे सके और उसने अब यह कर दिया है।

31 “यहोवा ने मुझसे कहा, ‘मैं राजा सीहोन और उसके देश को तुम्हें दे रहा हूँ। भूमि लेना आरम्भ करो। यह तब तुम्हारी होगी।’

32 “तब राजा सीहोन और उसके सब लोग हमसे यहस में युद्ध करने बाहर निकले। 33 किन्तु हमारे परमेश्वर ने उसे हमें दे दिया। हमने उसे, उसके नगरों और उसके सभी लोगों को हराया। 34 हम लोगों ने उन सभी नगरों पर अधिकार कर लिया जो सीहोन के अधिकार में उस समय थे। हम लोगों ने हर एक नगर में लोगों—पुरूष, स्त्री तथा बच्चों को पूरी तरह नष्ट कर दिया। हम लोगों ने किसी को जीवित नहीं छोड़ा। 35 हम लोगों ने जिन नगरों को जीता उनसे केवल पशु और कीमती चीजें लीं। 36 हमने अरोएर नगर को जो अर्नोन की घाटी में है तथा उस घाटी के मध्य के अन्य नगर को भी हराया। यहोवा हमारे परमेश्वर ने हमें अर्नोन की घाटी और गिलाद के बीच के सभी नगरों को पराजित करने दिया। कोई नगर हम लोगों के लिए हमारी शक्ति से बाहर दृढ़ नहीं था। 37 किन्तु उस प्रदेश के निकट नहीं गए जो अम्मोनी लोगों का था। तुम यब्बोक नदी के तटों या पहाड़ी प्रदेश के नगरों के निकट नहीं गए। तुम ऐसी किसी जगह के निकट नहीं गए जिसे यहोवा, हमारा परमेश्वर हमें लेने देना नहीं चाहता था।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International