Daily Reading for Personal Growth, 40 Days with God
2 हे मोर मयारू लइकामन हो, मेंह ए बात तुमन ला एकरसेति लिखत हंव, ताकि तुमन पाप झन करव। पर कहूं कोनो पाप करथे, त हमर करा एक झन हवय, जऊन ह हमर बचाव म परमेसर ददा ले गोठियाथे, अऊ ओ धरमी जन ह यीसू मसीह अय। 2 अऊ ओहीच ह हमर पाप खातिर पछतावा के बलिदान ए, अऊ सिरिप हमर पाप ही नइं, पर जम्मो संसार के पाप बर घलो।
3 कहूं हमन ओकर हुकूममन ला मानथन, त एकर दुवारा हमन ला भरोसा हो जाही कि हमन ह ओला जानथन। 4 जऊन मनखे ह ए कहिथे, “मेंह ओला जानथंव।” पर ओकर हुकूममन ला नइं मानय, त ओह लबरा अय, अऊ ओम सत नइं ए। 5 पर जऊन ह ओकर बचन ला मानथे, त सही म परमेसर के मया ह ओम पूरा होथे। ए किसम ले, हमन जानथन कि हमन परमेसर म हवन। 6 जऊन मनखे ह ए कहिथे कि ओह परमेसर म होके जिनगी बिताथे, त ओला अइसने जिनगी जीना चाही, जइसने यीसू ह ए संसार म रहत, जिनगी बिताईस।
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