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The Daily Audio Bible

This reading plan is provided by Brian Hardin from Daily Audio Bible.
Duration: 731 days

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Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
2 शमूएल 2:12-3:39

प्राणघातक मुकाबला

12 नेर का पुत्र अब्नेर और शाऊल के पुत्र ईशबोशेत के सेवकों ने महनैम को छोड़ा। वे गिबोन को गए। 13 सरूयाह का पुत्र योआब और दाऊद के सेवकगण भी गिबोन गए। वे अब्नेर और ईशबोशेत के सेवकों से, गिबोन के चश्मे पर मिले। अब्नेर की टोली हौज के एक ओर बैठी थी। योआब की टोली हौज के दूसरी ओर बैठी थी।

14 अब्नेर ने योआब से कहा, “हम लोग युवकों को खड़े होने दें और यहाँ एक मुकाबला हो जाने दो।”

योआब ने कहा, “हाँ, उनमें मुकाबला हो जाने दो।”

15 तब युवक उठे। दोनों टोलियों ने मुकाबले के लिए अपने युवकों को गिना। दाऊद के सैनिकों में से बारह युवक चुने गये। 16 हर एक युवक ने अपने शत्रु के सिर को पकड़ा और अपनी तलवार अन्दर भोंक दी। अत: युवक एक ही साथ गिर पड़े। यही कारण है कि वह स्थान “तेज चाकुओं का खेत” कहा जाता है। यह स्थान गिबोन में है। 17 उस दिन मुकाबला भयंकर युद्ध में बदल गया। दाऊद के सेवकों ने अब्नेर और इस्राएलियों को हरा दिया।

अब्नेर असाहेल को मार डालता है

18 सरूयाह के तीन पुत्र थे, योआब, अबीश और असाहेल। असाहेल तेज दौड़ने वाला था। वह जंगली हिरन की तरह तेज दौड़ता था। 19 असाहेल ने अब्नेर का पीछा किया। असाहेल सीधे अब्नेर की ओर दौड़ गया। 20 अब्नेर ने मुड़कर देखा और पूछा, “क्या तुम असाहेल हो?”

असाहेल ने कहा, “मैं हूँ।”

21 अब्नेर असाहेल को चोट नहीं पहुँचाना चाहता था। तब अब्नेर ने असाहेल से कहा, “मेरा पीछा करना छोड़ो अपनी दायीं या बाईं ओर मुड़ो और युवकों में से किसी एक की क्वच अपने लिये ले लो।” किन्तु असाहेल ने अब्नेर का पीछा करना छोड़ने से इन्कार कर दिया।

22 अब्नेर ने असाहेल से फिर कहा, “मेरा पीछा करना छोड़ो। यदि तुम पीछा करना नहीं छोड़ते तो मैं तुमको मार डालूँगा। यदि मैं तुम्हें मार डालूँगा तो मैं फिर तुम्हारे भाई योआब का मुख नहीं देख सकूँगा।”

23 किन्तु असाहेल ने अब्नेर का पीछा करना नहीं छोड़ा। इसलिये अब्नेर ने अपने भाले के पिछले भाग का उपयोग किया और असाहेल के पेट में उसे घुसेड़ दिया। भाला असाहेल के पेट में इतना गहरा धँसा कि वह उसकी पीठ से बाहर निकल आया। असाहेल वहीं तुरन्त मर गया।

योआब और अबीश अब्नेर का पीछा करते हैं

असाहेल का शरीर जमीन पर गिर पड़ा। लोग उस के पास दौड़कर गये, और रुक गए। 24 किन्तु योआब और अबीश ने अब्नेर का पीछा करना जारी रखा। जिस समय वे अम्मा पहाड़ी पर पहुँचे सूर्य डूब रहा था। (अम्मा पहाड़ी गीह के सामने गिबोन मरुभूमि के रास्ते पर थी।) 25 बिन्यामीन परिवार समूह के लोग अब्नेर के पास आए। वे सभी एक साथ पहाड़ी की चोटी पर खड़े हो गए।

26 अब्नेर ने चिल्लाकर योआब को पुकारा। अब्नेर ने कहा, “क्या हमें लड़ जाना चाहिये और सदा के लिये एक दूसरे को मार डालना चाहिये? निश्चय ही तुम जानते हो कि इसका अन्त केवल शोक होगा। लोगों से कहो कि अपने ही भाईयों का पीछा करना बन्द करें।”

27 तब योआब ने कहा, “यह तुमने जो कहा वह ठीक है। यहोवा शाश्वत है, यदि तुमने कुछ कहा नहीं होता तो लोग अपने भाइयों का पीछा सवेरे तक भी करते रहते।” 28 तब योआब ने एक तुरही बजाई और उसके लोगों ने इस्राएलियों का पीछा करना बन्द किया। उन्होंने और आगे इस्राएलियों से लड़ने का प्रयत्न नहीं किया।

29 अब्नेर और उसके लोग यरदन घाटी से होकर रात भर चले। उन्होंने यरदन घाटी को पार किया। वे पूरे दिन चलते रहे और महनैम पहुँचे।

30 योआब अब्नेर का पीछा करना बन्द करने के बाद अपनी सेना मे वापस लौट गया। जब योआब ने लोगों को इकट्ठा किया, दाऊद के उन्नीस सेवक लापता थे। असाहेल भी लापता था। 31 किन्तु दाऊद के सेवकों ने बिन्यामीन परिवार समूह के तीन सौ साठ सदस्यों को, जो अब्नेर का अनुसरण कर रहे थे, मार डाला था। 32 दाऊद के सेवकों ने असाहेल को लिया और उसे बेतलेहेम में उसके पिता के कब्रिस्तान में दफनाया।

योआब और उसके व्यक्ति रात भर चलते रहे। जब वे हेब्रोन पहुँचे तो सूरज निकला।

इस्राएल और यहूदा के बीच युद्ध

शाऊल के परिवार और दाऊद के परिवार में लम्बे समय तक युद्ध चलता रहा।[a] दाऊद अधिकाधिक शक्तिशाली होता गया। और शाऊल का परिवार कमजोर पर कमजोर होता गाय।

दाऊद के छ: पुत्र हेब्रोन में उत्पन्न हुए

दाऊद के ये छ: पुत्र हेब्रोन में उत्पन्न हुए थे:

प्रथम पुत्र अम्नोन था। अम्नोन की माँ यिज्रेल की अहीनोअम थी।

दूसरा पुत्र किलाब था। किलाब की माँ कर्मेल के नाबाल की विधवा अबीगैल थी।

तीसरा पुत्र अबशालोम था। अबशालोम की माँ गशूर के राजा तल्मैं की पुत्री माका थी।

चौथा पुत्र अदोनिय्याह था। अदोनिय्याह की माँ हग्गीत थी।

पाँचवा पुत्र शपत्याह था। शपत्याह की माँ अबीतल थी।

छठा पुत्र यित्राम था। यित्राम की माँ दाऊद की पत्नी एग्ला थी।

दाऊद के ये छ: पुत्र हेब्रोन में उत्पन्न हुए।

अब्नेर दाऊद से मिल जाने का निर्णय करता है

जिस समय शाऊल परिवार तथा दाऊद परिवार में युद्ध चल रहा था, अब्नेर ने अपने को शाऊल की सेना में शक्तिशाली बना लिया। शाऊल की दासी रिस्पा नाम की थी। रिस्पा अय्या की पुत्री थी। ईशबोशेत ने अब्नेर से कहा, “तुम मेरे पिता की दासी के साथ शारीरिक सम्बन्ध क्यों करते हो?”

अब्नेर, ईशबोशेत ने जो कुछ कहा, उस से बहुत क्रोधित हुआ। अब्नेर ने कहा, “मैं शाऊल और उसके परिवार का भक्त रहा हूँ। मैंने तुम को दाऊद को नहीं दिया, मैंने तुमको उसे हराने नहीं दिया। मैं यहूदा के लिये काम करने वाला देशद्रोही नहीं हूँ।[b] किन्तु अब तुम कह रहे हो कि मैंने यह बुराई की। 9-10 मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि अब परमेश्वर ने जो कहा है वही होगा। यहोवा ने कहा कि वह शाऊल के परिवार के राज्य को ले लेगा और इसे दाऊद को देगा। यहोवा दाऊद को यहूदा और इस्राएल का राजा बनायेगा। वह दान से लेकर बेर्शेबा तक शासन करेगा। परमश्वर मेरे साथ बुरा करे यदि मैं वैसा होने में सहायता नहीं करता।” 11 ईशबोशेत अब्नेर से कुछ भी नहीं कह सका। ईशबोशेत उससे बहुत अधिक भयभीत था।

12 अब्नेर ने दाऊद के पास दूत भेजे। अब्नेर ने कहा, “तुम इस देश पर शासन करो। मेरे साथ एक शन्धि करो और मैं तुमको पूरे इस्राएल के लोगों का शासक बनने में सहायता करूँगा।”

13 दाऊद ने उत्तर दिया, “ठीक है! मैं तुम्हारे साथ सन्धि करुँगा। किन्तु तुमसे मैं केवल एक बात कहता हूँ कि जब तुम मुझसे मिलने आओ तब शाऊल की पुत्री मीकल को अवश्य लाना।”

14 दाऊद ने शाऊल के पुत्र ईशबोशेत के पास दूत भेजे। दाऊद ने कहा, “मेरी पत्नी मीकल को मुझे वापस करो। मैंने उसे पाने के लिये सौ पलिश्तियों को मारा था।”[c]

15 तब ईशबोशेत ने उन लोगों से कहा कि वह लैश के पुत्र पलतीएल नामक व्यक्ति के पास से मीकल को ले आए। 16 मीकल का पति पलतीएल मीकल के साथ गया। वह बहूरीम नगर तक मीकल के पीछे—पीछे रोता हुआ गया। किन्तु अब्नेर ने पलितीएल से कहा, “घर लौट जाओ।” इसलिये पलतीएल घर लौट गया।

17 अब्नेर ने इस्राएल के प्रमुखों को यह सन्देश भेजा। उसने कहा, “आप लोग दाऊद को अपना राजा बनाने के इच्छुक थे। 18 अब इसे करें! यहोवा दाऊद के बारे में कह रहा था जब उसने कहा था, ‘मैं अपने इस्राएली लोगों को पलिश्तियों और उनके अन्य सभी शत्रुओं से बचाऊँगा। मैं यह अपने सेवक दाऊद द्वारा करूँगा।’”

19 अब्नेर ने ये बातें बिन्यामीन के परिवार समूह के लोगों से कहीं। अब्नेर ने जो कुछ कहा वह बिन्यामीन परिवार के लोगों तथा इस्राएल के सभी लोगों को अच्छा लगा। अत: अब्नेर ने हेब्रोन में दाऊद से वे सभी बातें बतायीं, जिसे करने में इस्राएल के लोग तथा बिन्यामीन परिवार के लोग सहमत थे।

20 जब अब्नेर दाऊद के पास हेब्रोन आया। वह अपने साथ बीस लोगों को लाया। दाऊद ने अब्नेर को और उसके साथ आए सभी लोगों को दावत दी।

21 अब्नेर ने दाऊद से कहा, “स्वामी, मेरे राजा, मैं जाऊँगा और सभी इस्राएलियों को आपके पास लाऊँगा। तब वे आपके साथ सन्धि करेंगे, और आप पूरे इस्राएल पर शासन करेंगे जैसा आप चाहते हैं।”

तब दाऊद ने अब्नेर को विदा किया और अब्नेर शान्तिपूर्वक गया।

अब्नेर की मृत्यु

22 योआब और दाऊद के अधिकारी युद्ध से लौटकर आए। उनके पास बहुत कीमती सामान थे जो वे शत्रु से लाए थे। दाऊद ने अब्नेर को शान्तिपूर्वक जाने दिया था। इसलिए अब्नेर दाऊद के साथ हेब्रोन में नहीं था। 23 योआब और उसकी सारी सेना हेब्रोन पहुँची। सेना ने योआब से कहा कि, “नेर का पुत्र अब्नेर राजा दाऊद के पास आया था और दाऊद ने उसे शान्तिपूर्वक जाने दिया।”

24 योआब राजा के पास आया और कहा, “यह आपने क्या किया? अब्नेर आपके पास आया और आपने उसे बिना चोट पहुँचाये जाने दिया। क्यों? 25 आप नेर के पुत्र अब्नेर को जानते हैं। वह आपके साथ चाल चलने आया। वह उन सभी बातों का पता करने आया था जो आप कर रहे हैं।”

26 योआब ने दाऊद को छोड़ा और सीरा के कुँए पर अब्नेर के पास दूत भेजे। दूत अब्नेर को वापस लाये। किन्तु दाऊद को इसका पता न चला। 27 जब अब्नेर हेब्रोन आया तो योआब, प्रवेशद्वार के एक किनारे उसे ले गया और तब योआब ने अब्नेन के पेट में प्रहार किया और अब्नेर मर गया। पिछले दिनों में अब्नेर ने योआब के भाई असाहेल को मारा था। अत: अब योआब ने अब्नेर को मार डाला।

दाऊद अब्नेर के लिये रोता है

28 बाद में दाऊद यह समाचार सुना। दाऊद ने कहा, “मैं और मेरा राज्य नेर के पुत्र अब्नेर की मृत्यु के लिये निरपराध है। यहोवा इसे जानता है। 29 योआब और उसका परिवार इसके लिये उत्तरदायी है और उसका पूरा परिवार इसके लिए दोषी है। मुझे आशंका है कि योआब के परिवार पर बहुत विपत्तियाँ आएंगी। मुझे यह आशा है कि उसके परिवार में सदा कोई न कोई जख्म से अथवा भयानक चर्मरोग से पीड़ित होगा, और कोई बैसाखी उपयोग में लाएगा, और कोई युद्ध में मारा जाएगा और कोई बिना भोजन रहेगा!”

30 योआब और उसके भाई अबीशै ने अब्नेर को मार डाला क्योंकि अब्नेर ने उसके भाई असाहेल को गिबोन की लड़ाई में मारा था।

31-32 दाऊद ने योआब के साथ के सभी व्यक्तियों से कहा, “अपने वस्त्रों को फाड़ो और शोक वस्त्रों को पहनो। अब्नेर के लिये रोओ।” उन्होंने अब्नेर को हेब्रोन में दफनाया। दाऊद अंत्येष्टि में दाऊद अर्थी के पीछे गया। राजा दाऊद और सभी लोग अब्नेर की कब्र पर रोए।

33 दाऊद ने अब्नेर के लिये अपना शोक—गीत गाया:

“क्या अब्नेर को किसी मूर्ख की तरह मरता था?
34     अब्नेर, तुम्हारे हाथ बंधे नहीं थे।
    तुम्हारे पैर जंजीरों में कसे नहीं थे।
नहीं अब्नेर, तुम्हें दुष्टों ने मारा!”

तब सभी लोग फिर अब्नेर के लिये रोये। 35 सभी लोग दाऊद को दिन रहते भोजन करने के लिये प्रेरित करने आए। किन्तु दाऊद ने विशेष प्रतिज्ञा की। उसने कहा, “परमेश्वर मुझे दण्ड दे और मेरे कष्टों को बढ़ाए यदि मैं सूरज डूबने के पहले रोटी या कोई अन्य भोजन करुँ।” 36 जो कुछ हुआ सभी लोगों ने देखा और वे उन सभी कामों से सहमत हुए जो राजा दाऊद कर रहा था। 37 उस दिन यहूदा के लोगों और सभी इस्राएलियों ने समझ लिया कि राजा दाऊद वह व्यक्ति नहीं जिसने नेर के पुत्र अब्नेर को मारा।

38 राजा दाऊद ने अपने सेवकों से कहा, “तुम लोग जानते हो की आज इस्राएल में एक बहुत महत्वपूर्ण व्यक्ति मर गया है। 39 ये उसी दिन हुआ जिस दिन मेरा अभिषेक राजा के रूप में हुआ था किन्तु सरूयाह के पुत्र मुझसे अधिक उग्र हैं। यहोवा इन व्यक्तियों को अवश्य दण्ड दे।”

यूहन्ना 13:1-30

यीशु का अपने शिष्यों के पैर धोना

13 फ़सह पर्व से पहले यीशु ने देखा कि इस जगत को छोड़ने और परम पिता के पास जाने का उसका समय आ पहुँचा है तो इस जगत में जो उसके अपने थे और जिन्हें वह प्रेम करता था, उन पर उसने चरम सीमा का प्रेम दिखाया।

शाम का खाना चल रहा था। शैतान अब तक शमौन इस्करियोती के पुत्र यहूदा के मन में यह डाल चुका था कि वह यीशु को धोखे से पकड़वाएगा। यीशु यह जानता था कि परम पिता ने सब कुछ उसके हाथों सौंप दिया है और वह परमेश्वर से आया है, और परमेश्वर के पास ही वापस जा रहा है। इसलिये वह खाना छोड़ कर खड़ा हो गया। उसने अपने बाहरी वस्त्र उतार दिये और एक अँगोछा अपने चारों ओर लपेट लिया। फिर एक घड़े में जल भरा और अपने शिष्यों के पैर धोने लगा और उस अँगोछे से जो उसने लपेटा हुआ था, उनके पाँव पोंछने लगा।

फिर जब वह शमौन पतरस के पास पहुँचा तो पतरस ने उससे कहा, “प्रभु, क्या तू मेरे पाँव धो रहा है।”

उत्तर में यीशु ने उससे कहा, “अभी तू नहीं जानता कि मैं क्या कर रहा हूँ पर बाद में जान जायेगा।”

पतरस ने उससे कहा, “तू मेरे पाँव कभी भी नहीं धोयेगा।”

यीशु ने उत्तर दिया, “यदि मैं न धोऊँ तो तू मेरे पास स्थान नहीं पा सकेगा।”

शमौन पतरस ने उससे कहा, “प्रभु, केवल मेरे पैर ही नहीं, बल्कि मेरे हाथ और मेरा सिर भी धो दे।”

10 यीशु ने उससे कहा, “जो नहा चुका है उसे अपने पैरों के सिवा कुछ भी और धोने की आवश्यकता नहीं है। बल्कि पूरी तरह शुद्ध होता है। तुम लोग शुद्ध हो पर सबके सब नहीं।” 11 वह उसे जानता था जो उसे धोखे से पकड़वाने वाला है। इसलिए उसने कहा था, “तुम में से सभी शुद्ध नहीं हैं।”

12 जब वह उनके पाँव धो चुका तो उसने अपने बाहरी वस्त्र फिर पहन लिये और वापस अपने स्थान पर आकर बैठ गया। और उनसे बोला, “क्या तुम जानते हो कि मैंने तुम्हारे लिये क्या किया है? 13 तुम लोग मुझे ‘गुरु’ और ‘प्रभु’ कहते हो। और तुम उचित हो। क्योंकि मैं वही हूँ। 14 इसलिये यदि मैंने प्रभु और गुरु होकर भी जब तुम्हारे पैर धोये हैं तो तुम्हें भी एक दूसरे के पैर धोना चाहिये। मैंने तुम्हारे सामने एक उदाहरण रखा है 15 ताकि तुम दूसरों के साथ वही कर सको जो मैंने तुम्हारे साथ किया है। 16 मैं तुम्हें सत्य कहता हूँ एक दास स्वामी से बड़ा नहीं है और न ही एक संदेशवाहक उससे बड़ा है जो उसे भेजता है। 17 यदि तुम लोग इन बातों को जानते हो और उन पर चलते हो तो तुम सुखी होगे।

18 “मैं तुम सब के बारे में नहीं कह रहा हूँ। मैं उन्हें जानता हूँ जिन्हें मैंने चुना है (और यह भी कि यहूदा विश्वासघाती है) किन्तु मैंने उसे इसलिये चुना है ताकि शास्त्र का यह वचन सत्य हो, ‘वही जिसने मेरी रोटी खायी मेरे विरोध में हो गया।’ 19 अब यह घटित होने से पहले ही मैं तुम्हें इसलिये बता रहा हूँ कि जब यह घटित हो तब तुम विश्वास करो कि वह मैं हूँ। 20 मैं तुम्हें सत्य कहता हूँ कि वह जो किसी भी मेरे भेजे हुए को ग्रहण करता है, मुझको ग्रहण करता है। और जो मुझे ग्रहण करता है, उसे ग्रहण करता है जिसने मुझे भेजा है।”

यीशु का कथन: मरवाने के लिये उसे कौन पकड़वायेगा

(मत्ती 26:20-25; मरकुस 14:17-21; लूका 22:21-23)

21 यह कहने के बाद यीशु बहुत व्याकुल हुआ और साक्षी दी, “मैं तुमसे सत्य कहता हूँ, तुम में से एक मुझे धोखा देकर पकड़वायेगा।”

22 तब उसके शिष्य एक दूसरे की तरफ़ देखने लगे। वे निश्चय ही नहीं कर पा रहे थे कि वह किसके बारे में कह रहा है। 23 उसका एक शिष्य यीशु के निकट ही बैठा हुआ था। इसे यीशु बहुत प्यार करता था। 24 तब शमौन पतरस ने उसे इशारा किया कि पूछे वह कौन हो सकता है जिस के विषय में यीशु बता रहा था।

25 यीशु के प्रिय शिष्य ने सहज में ही उसकी छाती पर झुक कर उससे पूछा, “हे प्रभु, वह कौन है?”

26 यीशु ने उत्तर दिया, “रोटी का टुकड़ा कटोरे में डुबो कर जिसे मैं दूँगा, वही वह है।” फिर यीशु ने रोटी का टुकड़ा कटोरे में डुबोया और उसे उठा कर शमौन इस्करियोती के पुत्र यहूदा को दिया। 27 जैसे ही यहूदा ने रोटी का टुकड़ा लिया उसमें शैतान समा गया। फिर यीशु ने उससे कहा, “जो तू करने जा रहा है, उसे तुरन्त कर।” 28 किन्तु वहाँ बैठे हुओं में से किसी ने भी यह नहीं समझा कि यीशु ने उससे यह बात क्यों कही। 29 कुछ ने सोचा कि रुपयों की थैली यहूदा के पास रहती है इसलिए यीशु उससे कह रहा है कि पर्व के लिये आवश्यक सामग्री मोल ले आओ या कह रहा है कि गरीबों को वह कुछ दे दे।

30 इसलिए यहूदा ने रोटी का टुकड़ा लिया। और तत्काल चला गया। यह रात का समय था।

भजन संहिता 119:1-16

आलेफ

जो लोग पवित्र जीवन जीते हैं, वे प्रसन्न रहते हैं।
    ऐसे लोग यहोवा की शिक्षाओं पर चलते हैं।
लोग जो यहोवा की विधान पर चलते हैं, वे प्रसन्न रहते हैं।
    अपने समग्र मन से वे यहोवा की मानते हैं।
वे लोग बुरे काम नहीं करते।
    वे यहोवा की आज्ञा मानते हैं।
हे यहोवा, तूने हमें अपने आदेश दिये,
    और तूने कहा कि हम उन आदेशों का पूरी तरह पालन करें।
हे यहोवा, यादि मैं सदा
    तेरे नियमों पर चलूँ,
जब मैं तेरे आदेशों को विचारूँगा
    तो मुझे कभी भी लज्जित नहीं होना होगा।
जब मैं तेरे खरेपन और तेरी नेकी को विचारता हूँ
    तब सचमुच तुझको मान दे सकता हूँ।
हे यहोवा, मैं तेरे आदेशों का पालन करूँगा।
    सो कृपा करके मुझको मत बिसरा!

वेथ्

एक युवा व्यक्ति कैसे अपना जीवन पवित्र रख पाये
    तेरे निर्देशों पर चलने से।
10 मैं अपने पूर्ण मन से परमेश्वर कि सेवा का जतन करता हूँ।
    परमेश्वर, तेरे आदेशों पर चलने में मेरी सहायता कर।
11 मैं बड़े ध्यान से तेरे आदेशों का मनन किया करता हूँ।
    क्यों ताकि मैं तेरे विरूद्ध पाप पर न चलूँ।
12 हे यहोवा, तेरा धन्यवाद!
    तू अपने विधानों की शिक्षा मुझको दे।
13 तेरे सभी निर्णय जो विवेकपूर्ण हैं। मैं उनका बखान करूँगा।
14 तेरे नियमों पर मनन करना,
    मुझको अन्य किसी भी वस्तु से अधिक भाता है।
15 मैं तेरे नियमों की चर्चा करता हूँ,
    और मैं तेरे समान जीवन जीता हूँ।
16 मैं तेरे नियमों में आनन्द लेता हूँ।
    मैं तेरे वचनों को नहीं भूलूँगा।

नीतिवचन 15:29-30

29 यहोवा दुष्टों से दूर रहता है, अति दूर; किन्तु वह धर्मी की प्रार्थना सुनता है।

30 आनन्द भरी मन को हर्षाती, अच्छा समाचार हड्डियों तक हर्ष पहुँचाता है।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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