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The Daily Audio Bible

This reading plan is provided by Brian Hardin from Daily Audio Bible.
Duration: 731 days

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Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
2 शमूएल 15:23-16

23 सभी लोग जोर से रो रहे थे। राजा दाऊद ने किद्रोन नाले को पार किया। तब सभी लोग मरुभूमि की ओर बढ़े। 24 सादोक और उसके साथ के लेवीवंशी परमेश्वर के साक्षीपत्र के सन्दूक को ले चल रहे थे। उन्होंने परमेश्वर के पवित्र सन्दूक को नीचे रखा। एब्यातार ने तब तक प्रार्थना[a] की जब तक सभी लोग यरूशलेम से बाहर नहीं निकल गए।

25 राजा दाऊद ने सादोक से कहा, “परमेश्वर के पवित्र सन्दूक को यरूशलेम लौटा ले जाओ। यदि यहोवा मुझ पर दयालु है तो वह मुझे वापस लौटाएगा, और यहोवा मुझे अपना पवित्र सन्दूक और वह स्थान जहाँ वह रखा है, देखने देगा। 26 किन्तु यदि यहोवा कहता है कि वह मुझ पर प्रसन्न नहीं है तो वह मेरे विरुद्ध, जो कुछ भी चाहता है, कर सकता है।”

27 राजा ने याजक सादोक से कहा, “तुम एक दुष्टा हो। शान्तिपूर्वक नगर को जाओ। अपने पुत्र अहीमास और एब्यातार के पुत्र योनातन को अपने साथ लो। 28 मैं उन स्थानों के निकट प्रतीक्षा करूँगा जहाँ से लोग मरुभूमि में जाते हैं। मैं वहाँ तब तक प्रतीक्षा करूँगा जब तक तुमसे कोई सूचना नहीं मिलती।”

29 इसलिये सादोक और एब्यातार परमेश्वर का पवित्र सन्दूक वापस यरूशलेम ले गए और वहीं ठहरे।

अहीतोपेल के विरुद्ध दाऊद की प्रार्थना

30 दाऊद जैतूनों के पर्वत पर चढ़ा। वह रो रहा था। उसने अपना सिर ढक लिया और वह बिना जूते के गया। दाऊद के साथ के सभी व्यक्तियों ने भी अपना सिर ढक लिया। वे दाऊद के साथ रोते हुए गए।

31 एक व्यक्ति ने दाऊद से कहा, “अहीतोपेल लोगों में से एक है जिसने अबशालोम के साथ योजना बनाई।” तब दाऊद ने प्रार्थना की, “हे यहोवा, मैं तुझसे प्रार्थना करता हूँ कि तू अहीतोपेल की सलाह को विफल कर दे।” 32 दाऊद पर्वत की चोटी पर आया। यही वह स्थान था जहाँ वह प्राय: परमेश्वर से प्रार्थना करता था। उस समय एरेकी हूशै उसके पास आया। हूशै का अंगरखा फटा था और उसके सिर पर धूलि थी।[b]

33 दाऊद ने हूशै से कहा, “यदि तुम मेरे साथ चलते हो तो तुम देख—रेख करने वाले अतिरिक्त व्यक्ति होगे। 34 किन्तु यदि तुम यरूशलेम को लौट जाते हो तो तुम अहीतोपेल की सलाह को व्यर्थ कर सकते हो। अबशालोम से कहो, ‘महाराज, मैं आपका सेवक हूँ। मैंने आपके पिता की सेवा की, किन्तु अब मैं आपकी सेवा करूँगा।’ 35 याजक सादोक और एब्यातार तुम्हारे साथ होंगे। तुम्हें वे सभी बातें उसने कहनी चाहिए जिन्हें तुम राजमहल में सुनो। 36 सादोक का पुत्र अहीमास और एब्यातार का पुत्र योनातन उनके साथ होंगे। तुम उन्हें, हर बात जो सुनो, मुझसे कहने के लिये भेजोगे।”

37 तब दाऊद का मित्र हूशै नगर में गया, और अबशालोम यरूशलेम आया।

सीबा दाऊद से मिलता है

16 दाऊद जैतून पर्वत की चोटी पर थोड़ी दूर चला। वहाँ मपीबोशेत का सेवक सीबा, दाऊद से मिला। सीबा के पास काठी सहित दो खच्चर थे। खच्चरों पर दो सौ रोटियाँ, सौ किशमिश के गुच्छे, सौ ग्रीष्मफल और दाखमधु से भरी एक मशक थी। राजा दाऊद ने सीबा से कहा, “ये चीजें किस लिये हैं?”

सीबा ने उतत्र दिया, “खच्चर राजा के परिवार की सवारी के लिये है। रोटी और ग्रीष्म फल सेवकों को खाने के लिये हैं और यदि कोई व्यक्ति मरुभूमि में कमजोरी महसूस करे तो वह दाखमधु पी सकेगा।”

राजा ने पूछा, “मपीबोशेत कहाँ है?”

सीबा ने राजा को उत्तर दिया, “मपीबोशेत यरूशलेम में ठहरा है क्योंकि वह सोचता है, ‘आज इस्राएली मेरे पितामह का राज्य मुझे वापस दे देंगे।’”

तब राजा ने सीबा से कहा, “बहुत ठीक। जो कुछ मपीबोशेत का है उसे अब मैं तुम्हें देता हूँ।”

सीबा ने कहा, “मैं आपको प्रणाम करता हूँ। मैं आशा करता हूँ कि मैं आपको सदा प्रसन्न कर सकूँगा।”

शिमी दाऊद को शाप देता है

दाऊद बहूरीम पहुँचा। शाऊल के परिवार का एक व्यक्ति बहूरीम से बाहर निकला। इस व्यक्ति का नाम शिमी था जो गेरा का पुत्र था। शिमी दाऊद को बुरा कहता हुआ बाहर आया, और वह बुरी—बुरी बातें बार—बार कहता रहा।

शिमी ने दाऊद और उसके सेवकों पर पत्थर फैंकना आरम्भ किया। किन्तु लोग और सैनिक दाऊद के चारों ओर इकट्ठे हो गए—वे उसके चारों ओर थे। शिमी ने दाऊद को शाप दिया। उसने कहा, “ओह हत्यारे! भाग जाओ, निकल जाओ, निकल जाओ। यहोवा तुम्हें दण्ड दे रहा है। क्यों? क्योंकि तुमने शाऊल के परिवार के व्यक्तियों को मार डाला। तुमने शाऊल के राजपद को चुराया। किन्तु अब यहोवा ने राज्य तुम्हारे पुत्र अबशालोम को दिया है। अब वे ही बुरी घटनायें तुम्हारे लिये घटित हो रही हैं। क्यों? क्योंकि तुम हत्यारे हो।”

सरूयाह के पुत्र अबीशै ने राजा से कहा, “मेरे प्रभु, राजा! यह मृत कुत्ता आपको शाप क्यों दे रहा है? मुझें आगे जाने दें और शिमी का सिर काट लेने दें।”

10 किन्तु राजा ने उत्तर दिया, “सरूयाह के पुत्रो। मैं क्या कर सकता हूँ? निश्चय ही शिमी मुझे शाप दे रहा है। किन्तु यहोवा ने उसे मुझे शाप देने को कहा।” 11 दाऊद ने अबीशै और अपने सभी सेवकों से यह भी कहा, “देखो मेरा अपना पुत्र ही (अबशालोम) मुझे मारने का प्रयत्न कर रहा है। यह व्यक्ति (शिमी), जो बिन्यामीन परिवार समूह का है, मुझको मार डालने का अधिक अधिकारी है। उसे अकेला छोड़ो। उसे मुझे बुरा—भला कहने दो। यहोवा ने उसे ऐसा करने को कहा हैं। 12 संभव है कि उन बुराइयों को जो मरे साथ हो रही हैं, यहोवा देखे। तब संभव है कि यहोवा मुझे आज शिमी द्वारा कही गई हर एक बात के बदले, कुछ अच्छा दे।”

13 इसलिये दाऊद और उसके अनुयायी अपने रास्ते पर नीचे सड़क से उतर गए। किन्तु शिमी दाऊद के पीछे लगा रहा। शिमी सड़क की दूसरी ओर चलने लगा। शिमी अपने रास्ते पर दाऊद को बुरा—भला कहता रहा। शिमी ने दाऊद पर पत्थर और धूलि भी फैंकी।

14 राजा दाऊद और उसके सभी लोग यरदन नदी पहुँचे। राजा और उसके लोग थक गए थे। अत: उन्होंने बहूरीम में विश्राम किया।

15 अबशालोम, अहीतोपेल और इस्राएल के सभी लोग यरूशलेम आए। 16 दाऊद का एरेकी मित्र हूशै अबशालोम के पास आया। हूशै ने अबशालोम से कहा, “राजा दीर्घायु हो। राजा दीर्घायु हो!”

17 अबशालोम ने पूछा, “तुम अपने मित्र दाऊद के विश्वासपात्र क्यों नहीं हो? तुमने अपने मित्र के साथ यरूशलेम को क्यों नहीं छोड़ा?”

18 उन्होने कहा, “मैं उस व्यक्ति का हूँ जिसे यहोवा चुनता है। इन लोगों ने और इस्राएल के लोगों ने आपको चुना। मैं आपके साथ रहूँगा। 19 बीते समय में मैंने आपके पिता की सेवा की। इसलिये, अब मैं दाऊद के पुत्र की सेवा करूँगा। मैं आपकी सेवा करुँगा।”

अबशालोम अहीतोपेल से सलाह लेता है

20 अबशालोम ने अहीतोपेल से कहा, “कृपया हमें बतायें कि क्या करना चाहिये।”

21 अहीतोपेल ने अबशालोम से कहा, “तुम्हारे पिता ने अपनी कुछ रखैल को घर की देख—भाल के लिये छोड़ा है। जाओ, और उनके साथ शारीरिक सम्बन्ध करो। तब सभी इस्राएली यह जानेंगे कि तुम्हारे पिता तुमसे घृणा करते हैं और तुम्हारे सभी लोग तुमको अधिक समर्थन देने के लिये उत्साहित होंगे।”

22 तब उन लोगों ने अबशालोम के लिये महल की छत पर एक तम्बू डाला और अबशालोम ने अपने पिता की रखैलों के साथ शारीरिक सम्बन्ध किया। सभी इस्राएलियों ने इसे देखा। 23 उस समय अहीतोपेल की सलाह दाऊद और अबशालोम दोनों के लिये बहुत महत्वपूर्ण थी। यह उतनी ही महत्वपूर्ण थी जितनी मनुष्य के लिये परमेश्वर की बात।

यूहन्ना 18:25-19:22

पतरस का यीशु को पहचानने से फिर इन्कार

(मत्ती 26:71-75; मरकुस 14:69-72; लूका 22:58-62)

25 जब शमौन पतरस खड़ा हुआ आग ताप रहा था तो उससे पूछा गया, “क्या यह सम्भव है कि तू भी उसका एक शिष्य है?” उसने इससे इन्कार किया।

वह बोला, “नहीं मैं नहीं हूँ।”

26 महायाजक के एक सेवक ने जो उस व्यक्ति का सम्बन्धी था जिसका पतरस ने कान काटा था, पूछा, “बता क्या मैंने तुझे उसके साथ बगीचे में नहीं देखा था?”

27 इस पर पतरस ने एक बार फिर इन्कार किया। और तभी मुर्गे ने बाँग दी।

यीशु का पिलातुस के सामने लाया जाना

(मत्ती 27:1-2, 11-31; मरकुस 15:1-20; लूका 23:1-25)

28 फिर वे यीशु को कैफा के घर से रोमी राजभवन में ले गये। सुबह का समय था। यहूदी लोग राजभवन में नहीं जाना चाहते थे कि कहीं अपवित्र[a] न हो जायें और फ़सह का भोजन न खा सकें। 29 तब पिलातुस उनके पास बाहर आया और बोला, “इस व्यक्ति के ऊपर तुम क्या दोष लगाते हो?”

30 उत्तर में उन्होंने उससे कहा, “यदि यह अपराधी न होता तो हम इसे तुम्हें न सौंपते।”

31 इस पर पिलातुस ने उनसे कहा, “इसे तुम ले जाओ और अपनी व्यवस्था के विधान के अनुसार इसका न्याय करो।”

यहूदियों ने उससे कहा, “हमें किसी को प्राणदण्ड देने का अधिकार नहीं है।” 32 (यह इसलिए हुआ कि यीशु ने जो बात उसे कैसी मृत्यु मिलेगी, यह बताते हुए कही थी, सत्य सिद्ध हो।)

33 तब पिलातुस महल में वापस चला गया। और यीशु को बुला कर उससे पूछा, “क्या तू यहूदियों का राजा है?”

34 यीशु ने उत्तर दिया, “यह बात क्या तू अपने आप कह रहा है या मेरे बारे में यह औरों ने तुझसे कही है?”

35 पिलातुस ने उत्तर दिया, “क्या तू सोचता है कि मैं यहूदी हूँ? तेरे लोगों और महायाजकों ने तुझे मेरे हवाले किया है। तूने क्या किया है?”

36 यीशु ने उत्तर दिया, “मेरा राज्य इस जगत का नहीं है। यदि मेरा राज्य इस जगत का होता तो मेरी प्रजा मुझे यहूदियों को सौंपे जाने से बचाने के लिए युद्ध करती। किन्तु वास्तव में मेरा राज्य यहाँ का नहीं है।”

37 इस पर पिलातुस ने उससे कहा, “तो तू राजा है?”

यीशु ने उत्तर दिया, “तू कहता है कि मैं राजा हूँ। मैं इसीलिए पैदा हुआ हूँ और इसी प्रयोजन से मैं इस संसार में आया हूँ कि सत्य की साक्षी दूँ। हर वह व्यक्ति जो सत्य के पक्ष में है, मेरा वचन सुनता है।”

38 पिलातुस ने उससे पूछा, “सत्य क्या है?” ऐसा कह कर वह फिर यहूदियों के पास बाहर गया और उनसे बोला, “मैं उसमें कोई खोट नहीं पा सका हूँ 39 और तुम्हारी यह रीति है कि फ़सह पर्व के अवसर पर मैं तुम्हारे लिए किसी एक को मुक्त कर दूँ। तो क्या तुम चाहते हो कि मैं इस ‘यहूदियों के राजा’ को तुम्हारे लिये छोड़ दूँ?”

40 एक बार वे फिर चिल्लाये, “इसे नहीं, बल्कि बरअब्बा को छोड़ दो।” (बरअब्बा एक बाग़ी था।)

19 तब पिलातुस ने यीशु को पकड़वा कर कोड़े लगवाये। फिर सैनिकों ने कँटीली टहनियों को मोड़ कर एक मुकुट बनाया और उसके सिर पर रख दिया। और उसे बैंजनी रंग के कपड़े पहनाये। और उसके पास आ-आकर कहने लगे, “यहूदियों का राजा जीता रहे” और फिर उसे थप्पड़ मारने लगे।

पिलातुस एक बार फिर बाहर आया और उनसे बोला, “देखो, मैं तुम्हारे पास उसे फिर बाहर ला रहा हूँ ताकि तुम जान सको कि मैं उसमें कोई खोट नहीं पा सका।” फिर यीशु बाहर आया। वह काँटो का मुकुट और बैंजनी रंग का चोगा पहने हुए था। तब पिलातुस ने कहा, “यह रहा वह पुरुष।”

जब उन्होंने उसे देखा तो महायाजकों और मन्दिर के पहरेदारों ने चिल्ला कर कहा, “इसे क्रूस पर चढ़ा दो। इसे क्रूस पर चढ़ा दो।”

पिलातुस ने उससे कहा, “तुम इसे ले जाओ और क्रूस पर चढ़ा दो, मैं इसमें कोई खोट नहीं पा सक रहा हूँ।”

यहूदियों ने उसे उत्तर दिया, “हमारी व्यवस्था है जो कहती है, इसे मरना होगा क्योंकि इसने परमेश्वर का पुत्र होने का दावा किया है।”

अब जब पिलातुस ने उन्हें यह कहते सुना तो वह बहुत डर गया। और फिर राजभवन के भीतर जाकर यीशु से कहा, “तू कहाँ से आया है?” किन्तु यीशु ने उसे उत्तर नहीं दिया। 10 फिर पिलातुस ने उससे कहा, “क्या तू मुझसे बात नहीं करना चाहता? क्या तू नहीं जानता कि मैं तुझे छोड़ने का अधिकार रखता हूँ और तुझे क्रूस पर चढ़ाने का भी मुझे अधिकार है।”

11 यीशु ने उसे उत्तर दिया, “तुम्हें तब तक मुझ पर कोई अधिकार नहीं हो सकता था जब तक वह तुम्हें परम पिता द्वारा नहीं दिया गया होता। इसलिये जिस व्यक्ति ने मुझे तेरे हवाले किया है, तुझसे भी बड़ा पापी है।”

12 यह सुन कर पिलातुस ने उसे छोड़ने का कोई उपाय ढूँढने का यत्न किया। किन्तु यहूदी चिल्लाये, “यदि तू इसे छोड़ता है, तो तू कैसर का मित्र नहीं है, कोई भी जो अपने आप को राजा होने का दावा करता है, वह कैसर का विरोधी है।”

13 जब पिलातुस ने ये शब्द सुने तो वह यीशु को बाहर उस स्थान पर ले गया जो “पत्थर का चबूतरा” कहलाता था। (इसे इब्रानी भाषा में गब्बता कहा गया है।) और वहाँ न्याय के आसन पर बैठा। 14 यह फ़सह सप्ताह की तैयारी का दिन था।[b] लगभग दोपहर हो रही थी। पिलातुस ने यहूदियों से कहा, “यह रहा तुम्हारा राजा!”

15 वे फिर चिल्लाये, “इसे ले जाओ! इसे ले जाओ। इसे क्रूस पर चढ़ा दो!”

पिलातुस ने उनसे कहा, “क्या तुम चाहते हो तुम्हारे राजा को मैं क्रूस पर चढ़ाऊँ?”

इस पर महायाजकों ने उत्तर दिया, “कैसर को छोड़कर हमारा कोई दूसरा राजा नहीं है।”

16 फिर पिलातुस ने उसे क्रूस पर चढ़ाने के लिए उन्हें सौंप दिया।

यीशु का क्रूस पर चढ़ाया जाना

(मत्ती 27:32-44; मरकुस 15:21-32; लूका 23:26-39)

इस तरह उन्होंने यीशु को हिरासत में ले लिया। 17 अपना क्रूस उठाये हुए वह उस स्थान पर गया जिसे, “खोपड़ी का स्थान” कहा जाता था। (इसे इब्रानी भाषा में “गुलगुता” कहते थे।) 18 वहाँ से उन्होंने उसे दो अन्य के साथ क्रूस पर चढ़ाया। एक इधर, दूसरा उधर और बीच में यीशु।

19 पिलातुस ने दोषपत्र क्रूस पर लगा दिया। इसमें लिखा था, “यीशु नासरी, यहूदियों का राजा।” 20 बहुत से यहूदियों ने उस दोषपत्र को पढ़ा क्योंकि जहाँ यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया था, वह स्थान नगर के पास ही था। और वह ऐलान इब्रानी, यूनानी और लातीनी में लिखा था।

21 तब प्रमुख यहूदी नेता पिलातुस से कहने लगे, “‘यहूदियों का राजा’ मत कहो। बल्कि कहो, ‘उसने कहा था कि मैं यहूदियों का राजा हूँ।’”

22 पिलातुस ने उत्तर दिया, “मैंने जो लिख दिया, सो लिख दिया।”

भजन संहिता 119:113-128

समेख्

113 हे यहोवा, मुझको ऐसे उन लोगों से घृणा है, जो पूरी तरह से तेरे प्रति सच्चे नहीं हैं।
    मुझको तो तेरी शिक्षाएँ भाति हैं।
114 मुझको ओट दे और मेरी रक्षा कर।
    हे यहोवा, मुझको उस बात का सहारा है जिसको तू कहता है।
115 हे यहोवा, दुष्ट मनुष्यों को मेरे पास मत आने दे।
    मैं अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन करूँगा।
116 हे यहोवा, मुझको ऐसे ही सहारा दे जैसे तूने वचन दिया, और मैं जीवित रहूँगा।
    मुझको तुझमें विश्वास है, मुझको निराश मत कर।
117 हे यहोवा, मुझको सहारा दे कि मेरा उद्धार हो।
    मैं सदा तेरी आदेशों का पाठ किया करूँगा।
118 हे यहोवा, तू हर ऐसे व्यक्ति से विमुख हो जाता है, जो तेरे नियम तोड़ता है।
    क्यों क्योंकि उन लोगों ने झूठ बोले जब वे तेरे अनुसरण करने को सहमत हुए।
119 हे यहोवा, तू इस धरती पर दुष्टों के साथ ऐसा बर्ताव करता है जैसे वे कूड़ा हो।
    सो मैं तेरी वाचा से सदा प्रेम करूँगा।
120 हे यहोवा, मैं तुझ से भयभीत हूँ, मैं डरता हूँ,
    और तेरे विधान का आदर करता हूँ।

ऐन्

121 मैंने वे बातें की हैं जो खरी और भली हैं।
    हे यहोवा, तू मुझको ऐसे उन लोगों को मत सौंप जो मुझको हानि पहुँचाना चाहते हैं।
122 मुझे वचन दे कि तू मुझे सहारा देगा। मैं तेरा दास हूँ।
    हे यहोवा, उन अहंकारी लोगों को मुझको हानि मत पहुँचाने दे।
123 हे यहोवा, तूने मेरे उद्धार का एक उत्तम वचन दिया था,
    किन्तु अपने उद्धार को मेरी आँख तेरी राह देखते हुए थक गई।
124 तू अपना सच्चा प्रेम मुझ पर प्रकट कर। मैं तेरा दास हूँ।
    तू मुझे अपने विधान की शिक्षा दे।
125 मैं तेरा दास हूँ।
    अपनी वाचा को पढ़ने समझने में तू मेरी सहायता कर।
126 हे यहोवा, यही समय है तेरे लिये कि तू कुछ कर डाले।
    लोगों ने तेरे विधान को तोड़ा है।
127 हे यहोवा, उत्तम सुवर्ण से भी अधिक
    मुझे तेरे आदेश भाते हैं।
128 तेरे सब आदेशों का बहुत सावधानी से मैं पालन करता हूँ।
    मैं झूठे उपदेशों से घृणा करता हूँ।

नीतिवचन 16:10-11

10 राजा जो बोलता नियम बन जाता है उसे चाहिए वह न्याय से नहीं चूके।

11 खरे तराजू और माप यहोवा से मिलते हैं, उसी ने ये सब थैली के बट्टे रचे हैं। ताकि कोई किसी को छले नहीं।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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