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दाऊद शाऊल को लज्जित करता है
24 जब शाऊल ने पलिश्तियों को पीछा करके भगा दिया तब लोगों ने शाऊल से कहा, “दाऊद एनगदी के पास के मरुभूमि क्षेत्र में है।”
2 इसलिये शाऊल ने पूरे इस्राएल में से तीन हजार लोगों को चुना। शाऊल ने इन व्यक्तियों को साथ लिया और दाऊद तथा उसके लोगों की खोज आरम्भ की। उन्होंने “जंगली बकरियों की चट्टान” के समीप खोजा। 3 शाऊल सड़क के किनारे भेड़ों के बाड़े के समीप आया। वहाँ समीप ही एक गुफा थी। शाऊल स्वयं गुफा में शौच करने गया। दाऊद और उसके लोग बहुत पीछे उस गुफा में छिपे थे। 4 लोगों ने दाऊद से कहा, “आज वह दिन है जिसके विषय में यहोवा ने बातें की थीं। यहोवा ने तुमसे कहा था, ‘मैं तुम्हारे शत्रु को तुम्हें दूँगा, तब तुम जो चाहो अपने शत्रु के साथ कर सकोगे।’”
तब दाऊद रेंगकर शाऊल के पास आया। दाऊद ने शाऊल के लबादे का एक कोना काट लिया। शाऊल ने दाऊद को नहीं देखा। 5 बाद में, दाऊद को शाऊल के लबादे के एक कोने के काटने का अफसोस हुआ। 6 दाऊद ने अपने लोगों से कहा, “यहोवा मुझे अपने स्वामी के साथ कुछ भी ऐसा करने से रोके। शाऊल यहोवा का चुना हुआ राजा है। मुझे शाऊल के विरुद्ध कुछ नहीं करना चाहिए वह यहोवा का चुना हुआ राजा है।” 7 दाऊद ने ये बातें अपने लोगों को रोकने के लिये कहीं। दाऊद ने अपने लोगों को शाऊल पर आक्रमण करने नहीं दिया।
शाऊल ने गुफा छोड़ी और अपने मार्ग पर चल पड़ा। 8 दाऊद गुफा से निकला। दाऊद ने शाऊल को जोर से पुकारा, “मेरे प्रभु महाराज!”
शाऊल ने पीछे मुड़ कर देखा। दाऊद ने अपना सिर भूमि पर रखकर प्रणाम किया। 9 दाऊद ने शाऊल से कहा, “आप क्यों सुनते हैं जब लोग यह कहते हैं, ‘दाऊद आप पर चोट करने की योजना बना रहा है?’ 10 मैं आपको चोट पहुँचाना नहीं चाहता! आप इसे अपनी आँखों से देख सकते हैं! यहोवा ने आज आपको गुफा में मेरे हाथों में दे दिया था। किन्तु मैंने आपको मार डालने से इन्कार किया। मैंने आप पर दया की। मैंने कहा, ‘मैं अपने स्वामी को चोट नहीं पहुँचाऊँगा। शाऊल यहोवा का चुना हुआ राजा है!’ 11 मेरे हाथ में इस कपड़े के टुकड़े को देखें। मैंने आपके लबादे का टुकड़ा काट लिया। मैं आपको मार सकता था, किन्तु मैंने यह नहीं किया। अब मैं चाहता हूँ कि आप इसे समझें। मैं चाहता हूँ कि आप यह समझें कि मैं आपके विरुद्ध कोई योजना नहीं बना रहा हूँ। मैंने आपका कोई बुरा नहीं किया। किन्तु आप मेरा पीछा कर रहे हैं और मुझे मार डालना चाहते हैं। 12 यहोवा को न्याय करने दो। यहोवा आपको उस अन्याय के लिये दण्ड देगा जो आपने मेरे साथ किया। किन्तु मैं अपने आप आपसे युद्ध नहीं करूँगा। 13 पुरानी कहावत है:
‘बुरी चीजें बुरे लोगों से आती हैं।’
“मैंने कुछ भी बुरा नहीं किया है! मैं बुरा व्यक्ति नहीं हूँ! अत: मैं आप पर चोट नहीं करुँगा। 14 आप किसका पीछा कर रहे हैं? इस्राएल का राजा किसके विरुद्ध लड़ने आ रहा है? आप ऐसे किसी का पीछा नहीं कर रहे हैं जो आपको चोट पहुँचाएगा। यह ऐसा ही है जैसे आप एक मृत कुत्ते या मच्छर का पीछा कर रहे हैं। 15 यहोवा को न्याय करने दो। उसको मेरे और अपने बीच निर्णय देने दो। यहोवा मेरा समर्थन करेगा और दिखायेगा कि मैं सच्चाई पर हूँ। यहोवा आपसे मेरी रक्षा करेगा।”
16 दाऊद ने अपना यह कथन समाप्त किया और शाऊल ने पूछा, “मेरे पुत्र दाऊद, क्या यह तुम्हारी आवाज है?” तब शाऊल रोने लगा। शाऊल बहुत रोया। 17 शाऊल ने कहा, “तुम सही हो और मैं गलती पर हूँ। तुम हमारे प्रति अच्छे रहे। किन्तु मैं तुम्हारे प्रति बुरा रहा। 18 तुमने उन अच्छी बातों को बताया जिन्हें तुमने मेरे प्रति किया। यहोवा मुझे तुम्हारे पास लाया, किन्तु तुम ने मुझे नहीं मार डाला। 19 यदि कोई अपने शत्रु को पकड़ता है तो वह उसे बच निकलने नहीं देता। वह अपने शत्रु के लिये अच्छे काम नहीं करता। यहोवा तुमको इसका पुरस्कार दे क्योंकि तुम आज मेरे प्रति अच्छे रहे। 20 मैं जानता हूँ कि तुम नये राजा होगे। तुम इस्राएल के राज्य पर शासन करोगे। 21 अब मुझसे एक प्रतिज्ञा करो। यहोवा का नाम लेकर यह प्रतिज्ञा करो कि तुम मेरे वंशजों को मारोगे नहीं। प्रतिज्ञा करो कि तुम मेरे पिता के परिवार से मेरा नाम मिटाओगे नहीं।”
22 इसलिये दाऊद ने शाऊल से प्रतिज्ञा की। दाऊद ने प्रतिज्ञा की कि वह शाऊल के परिवार को नहीं मारेगा। तब शाऊल लौट गया। दाऊद और उसके लोग किले में चले गये।
दाऊद और नाबाल
25 शमूएल मर गया। इस्राएल के सभी लोग इकट्ठे हुए और उन्होंने शमूएल की मृत्यु पर शोक प्रकट किया। उन्होंने शमूएल को उसके घर रामा में दफनाया।
तब दाऊद पारान की मरुभूमि में चला गया। 2 एक व्यक्ति था जो माओन में रहता था। वह व्यक्ति बहुत सम्पन्न था। उसके पास तीन हजार भेड़ें और एक हजार बकरियाँ थीं। वह कर्मेल में अपने धंधे की देखभाल करता था। वह कर्मेल में अपनी भेड़ों की ऊन काटता था। 3 उस व्यक्ति का नाम नाबाल था। उसकी पत्नी का नाम अबीगैल था। अबीगैल बुद्धिमती और सुन्दर स्त्री थी। किन्तु नाबल क्रूर और नीच था। नाबाल कालेब के परिवार से था।
4 दाऊद मरुभूमि में था और उसने सुना कि नाबाल अपनी भेड़ों की ऊन काट रहा है। 5 इसलिये दाऊद ने दस युवकों को नाबाल से बातें करने के लिये भेजा। दाऊद ने कहा, “कर्मेल जाओ। नाबाल से मिलो और उसको मेरी ओर से ‘नमस्ते’ कहो।” 6 दाऊद ने उन्हें नाबाल के लिये यह सन्देश दिया, “मुझे आशा है कि तुम और तुम्हारा परिवार सुखी है। मैं आशा करता हूँ कि जो कुछ तुम्हारा है, ठीक—ठाक है। 7 मैंने सुना है कि तुम अपनी भेड़ों से ऊन काट रहे हो। तुम्हारे गड़रिये कुछ समय तक हम लोगों के साथ रहे थे और हम लोगों ने उन्हें कोई कष्ट नहीं दिया। जब तक तुम्हारे गड़रिये कर्मेल में रहे हमने उनसे कुछ भी नहीं लिया। 8 अपने सेवकों से पूछो और वे बता देंगे कि यह सब सच है। कृपया मेरे युवकों पर दया करो। इस प्रसन्नता के अवसर पर हम तुम्हारे पास पहुँच रहे हैं। कृपया इन युवकों को तुम जो कुछ चाहो, दो। कृपया यह मेरे लिये, अपने मित्र[a] दाऊद के लिये करो।”
9 दाऊद के व्यक्ति नाबाल के पास गए। उन्होंने दाऊद का सन्देश नाबाल को दिया। 10 किन्तु नाबाल उनके प्रति नीचता से पेश आया। नाबाल ने कहा, “दाऊद है कौन? यह यिशै का पुत्र कौन होता है? इन दिनों बहुत से दास हैं जो अपने स्वामियों के यहाँ से भाग गये हैं! 11 मेरे पास रोटी और पानी है और मेरे पास वह माँस भी है जिसे मैंने भेड़ों से ऊन काटने वाले सेवकों के लिये मारा है। किन्तु मैं उसे उन व्यक्तियों को नहीं दे सकता जिन्हें मैं जानता भी नहीं!”
12 दाऊद के व्यक्ति लौट गये और नाबाल ने जो कुछ कहा था दाऊद को बता दिया। 13 तब दाऊद ने अपने लोगों से कहा, “अपनी तलवार उठाओ!” अत: दाऊद और उसके लोगों ने तलवारें कस लीं। लगभग चार सौ व्यक्ति दाऊद के साथ गये और दो सौ व्यक्ति साज़ो सामान के साथ रुके रहे।
अबीगैल आपत्ति को टालती है
14 नाबाल के सेवकों में से एक ने नाबाल की पत्नी अबीगैल से बातें कीं। सेवक ने कहा, “दाऊद ने मरुभूमि से अपने दूतों को हमारे स्वामी (नाबाल) के पास भेजा। किन्तु नाबाल दाऊद के दूतों के साथ नीचता से पेश आया। 15 ये लोग हम लोगों के प्रति बहुत अच्छे थे। हम लोग भेड़ों के साथ मैदानों में जाते थे। दाऊद के लोग हमारे साथ लगातार रहे और उन्होंने हमारे साथ कुछ भी बुरा नहीं किया। उन्होंने पूरे समय हमारा कुछ भी नहीं चुराया। 16 दाऊद के लोगों ने दिन रात हमारी रक्षा की। वे हम लोगों के लिये रक्षक चहारदीवारी की तरह थे, उन्होंने हमारी रक्षा तब की जब हम भेड़ों की रखवाली करते हुए उनके साथ थे। 17 अब इस विषय में सोचो और निर्णय करो कि तुम क्या कर सकती हो। नाबाल ने जो कुछ कहा वह मूर्खतापूर्ण था। हमारे स्वामी (नाबाल) और उनके सारे परिवार के लिये भयंकर आपत्ति आ रही है।”
18 अबीगैल ने शीघ्रता की और दो सौ रोटियाँ, दाखमधु की दो भरी मशकें, पाँच पकी भेड़ें, लगभग एक बुशल पका अन्न, दो र्क्वाट मुनक्के और दो सौ सूखे अंजीर की टिकियाँ लीं। उसने उन्हें गधों पर लादा। 19 तब अबीगैल ने अपने सेवकों से कहा, “आगे चलते रहो मैं तुम्हारे पीछे आ रही हूँ।” किन्तु उसने अपने पति से कुछ न कहा।
20 अबीगैल अपने गधे पर बैठी और पर्वत की दूसरी ओर पहुँची। वह दूसरी ओर से आते हुए दाऊद और उसके आदमियों से मिली।
21 अबीगैल से मिलने के पहले दाऊद कह रहा था, “मैंने नाबाल की सम्पत्ति की रक्षा मरुभूमि में की। मैंने यह व्यवस्था की कि उसकी कोई भेड़ खोए नहीं। मैंने यह सब कुछ बिना लिये किया। मैंने उसके लिये अच्छा किया। किन्तु मेरे प्रति वह बुरा रहा। 22 परमेश्वर मुझे दण्डित करे यदि मैं नाबाल के परिवार के किसी व्यक्ति को कल सवेरे तक जीवित रहने दूँ।”
23 किन्तु जब अबीगैल ने दाऊद को देखा वह शीघ्रता से अपने गधे पर से उतर पड़ी। वह दाऊद के सामने प्रणाम करने को झुकी। उसने अपना माथा धरती पर टिकाया। 24 अबीगैल दाऊद के चरणों पर पड़ गई। उसने कहा, “मान्यवर, कृपा कर मुझे कुछ कहने दें। जो मैं कहूँ उसे सुनें। जो कुछ हुआ उसके लिये मुझे दोष दें। 25 मैंने उन व्यक्तियों को नहीं देखा जिन्हें आपने भेजा। मान्यवर, उस नालायक आदमी (नाबाल) पर ध्यान न दें। वह ठीक वही है जैसा उसका नाम है। उसके नाम का अर्थ ‘मूर्ख’ है और वह सचमुच मूर्ख ही है। 26 यहोवा ने आपको निरपराध व्यक्तियों को मारने से रोका है। यहोवा शाश्वत है और आप जीवित हैं, इसकी शपथ खाकर मैं आशा करती हूँ कि आपके शत्रु और जो आपको हानि पहुँचाना चाहते हैं, वे नाबाल की स्थिति में होंगे। 27 अब, मैं आपको यह भेंट लाई हूँ। कृपया इन चीज़ों को उन लोगों को दें जो आपका अनुसरण करते हैं। 28 अपराध करने के लिये मुझे क्षमा करें। मैं जानती हूँ कि यहोवा आपके परिवार को शक्तिशाली बनायेगा, आपके परिवार से अनेक राजा होंगे। यहोवा यह करेगा क्योंकि आप उसके लिये युद्ध लड़ते हैं। लोग तब आप में कभी बुराई नहीं पाएंगे जब तक आप जीवित रहेंगे। 29 यदि कोई व्यक्ति आपको मार डालने के लिये आपका पीछा करता है तो यहोवा आपका परमेश्वर आपके जीवन की रक्षा करेगा। किन्तु यहोवा आपके शत्रुओं के जीवन को ऐसे दूर फेंकेगा जैसे गुलेल से पत्थर फेंका जाता है। 30 यहोवा ने आपके लिये बहुत सी अच्छी चीजों को करने का वचन दिया है और यहोवा अपने सभी वचनों को पूरा करेगा। परमेश्वर आपको इस्राएल का शासक बनाएगा। 31 और आप इस जाल में नहीं फँसेंगे। आप बुरा काम करने के अपराधी नहीं होंगे। आप निरपराध लोगों को मारने का अपराध नहीं करेंगे। कृपया मुझे उस समय याद रखें जब यहोवा आपको सफलता प्रदान करे।”
32 दाऊद ने अबीगैल को उत्तर दिया, “इस्राएल के परमेश्वर, यहोवा की स्तुति करो। परमेश्वर ने तुम्हें मुझसे मिलने भेजा है। 33 तुम्हारे अच्छे निर्णय के लिये परमेश्वर तुम्हें आशीर्वाद दे। तुमने आज मुझे निरपराध लोगों को मारने से बचाया। 34 निश्चय ही, जैसे ईस्राएल का परमेश्वर, यहोवा शाश्वत है, यदि तुम शीघ्रता से मुझसे मिलने न आई होती तो कल सवेरे तक नाबाल के परिवार का कोई भी पुरूष जीवित नहीं बच पाता।”
35 तब दाऊद ने अबीगैल की भेंट को स्वीकार किया। दाऊद ने उससे कहा, “शान्ति से घर जाओ। मैंने तुम्हारी बातें सुनी हैं और मैं वही करूँगा जो तुमने करने को कहा है।”
नाबाल की मृत्यु
36 अबीगैल नाबाल के पास लौटी। नाबाल घर में था। नाबाल एक राजा की तरह खा रहा था। नाबाल ने छक कर दाखमधु पी रखी थी और वह प्रसन्न था। इसलिये अबीगैल ने नाबाल को अगले सवेरे तक कुछ भी नहीं बताया। 37 अगली सुबह नाबाल का नशा उतरा। अतः उसकी पत्नी ने हर बात बता दी और नाबाल को दिल का दौरा पड़ गया। वह चट्टान की तरह कड़ा हो गया। 38 करीब दस दिन बाद यहोवा ने नाबाल को मर जाने दिया।
39 दाऊद ने सुना कि नाबाल मर गया है। दाऊद ने कहा, “यहोवा की स्तुति करो! नाबाल ने मेरे विरुद्ध बुरी बातें कीं, किन्तु यहोवा ने मेरा समर्थन किया। यहोवा ने मुझे पाप करने से बचाया और यहोवा ने नाबाल को मर जाने दिया क्योंकि उसने अपराध किया था।”
तब दाऊद ने अबीगैल को एक सन्देश भेजा। दाऊद ने उसे अपनी पत्नी होने के लिये कहा। 40 दाऊद के सेवक कर्मेल गए और अबीगैल से कहा, “दाऊद ने हम लोगों को तुम्हें लाने के लिये भेजा है। दाऊद चाहता है कि तुम उसकी पत्नी बनो।”
41 अबीगैल ने धरती तक अपना माथा झुकाया। उसने कहा, “मैं आपकी दासी हूँ। मैं आपकी सेवा करने के लिये तैयार हूँ। मैं अपने स्वामी (दाऊद) के सेवकों के पैरों को धोने को तैयार हूँ।”[b]
42 अबीगेल शीघ्रता से गधे पर बैठी और दाऊद के दूतों के साथ चल दी। अबीगैल अपने साथ पाँच दासियाँ ले गई। वह दाऊद की पत्नी बनी। 43 दाऊद ने यिज्रेल की अहिनोअम से भी विवाह किया था। अहिनोअम और अबीगैल दोनों दाऊद की पत्नियाँ थीं। 44 शाऊल की पुत्री मीकल भी दाऊद की पत्नी थी। किन्तु शाऊल ने उसे गल्लीम के निवासी लैश के पुत्र पलती को दे दिया था।
यहूदी यीशु के विरोध में
22 फिर यरूशलेम में समर्पण का उत्सव[a] आया। सर्दी के दिन थे। 23 यीशु मन्दिर में सुलैमान के दालान में टहल रहा था। 24 तभी यहूदी नेताओं ने उसे घेर लिया और बोले, “तू हमें कब तक तंग करता रहेगा? यदि तू मसीह है, तो साफ-साफ बता।”
25 यीशु ने उत्तर दिया, “मैं तुम्हें बता चुका हूँ और तुम विश्वास नहीं करते। वे काम जिन्हें मैं परम पिता के नाम पर कर रहा हूँ, स्वयं मेरी साक्षी हैं। 26 किन्तु तुम लोग विश्वास नहीं करते। क्योंकि तुम मेरी भेड़ों में से नहीं हो। 27 मेरी भेड़ें मेरी आवाज को जानती हैं, और मैं उन्हें जानता हूँ। वे मेरे पीछे चलती हैं और 28 मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूँ। उनका कभी नाश नहीं होगा। और न कोई उन्हें मुझसे छीन पायेगा। 29 मुझे उन्हें सौंपने वाला मेरा परम पिता सबसे महान है। मेरे पिता से उन्हें कोई नहीं छीन सकता।[b] 30 मेरा पिता और मैं एक हैं।”
31 फिर यहूदी नेताओं ने यीशु पर मारने के लिये पत्थर उठा लिये। 32 यीशु ने उनसे कहा, “पिता की ओर से मैंने तुम्हें अनेक अच्छे कार्य दिखाये हैं। उनमें से किस काम के लिए तुम मुझ पर पथराव करना चाहते हो?”
33 यहूदी नेताओं ने उसे उत्तर दिया, “हम तुझ पर किसी अच्छे काम के लिए पथराव नहीं कर रहे हैं बल्कि इसलिए कर रहें है कि तूने परमेश्वर का अपमान किया है और तू, जो केवल एक मनुष्य है, अपने को परमेश्वर घोषित कर रहा है।”
34 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “क्या यह तुम्हारे विधान में नहीं लिखा है, ‘मैंने कहा तुम सभी ईश्वर हो?’(A) 35 क्या यहाँ ईश्वर उन्हीं लोगों के लिये नहीं कहा गया जिन्हें परम पिता का संदेश मिल चुका है? और धर्मशास्त्र का खंडन नहीं किया जा सकता। 36 क्या तुम ‘तू परमेश्वर का अपमान कर रहा है’ यह उसके लिये कह रहे हो, जिसे परम पिता ने समर्पित कर इस जगत को भेजा है, केवल इसलिये कि मैंने कहा, ‘मैं परमेश्वर का पुत्र हूँ’? 37 यदि मैं अपने परम पिता के ही कार्य नहीं कर रहा हूँ तो मेरा विश्वास मत करो 38 किन्तु यदि मैं अपने परम पिता के ही कार्य कर रहा हूँ, तो, यदि तुम मुझ में विश्वास नहीं करते तो उन कार्यों में ही विश्वास करो जिससे तुम यह अनुभव कर सको और जान सको कि परम पिता मुझ में है और मैं परम पिता में।”
39 इस पर यहूदियों ने उसे बंदी बनाने का प्रयत्न एक बार फिर किया। पर यीशु उनके हाथों से बच निकला।
40 यीशु फिर यर्दन नदी के पार उस स्थान पर चला गया जहाँ पहले यूहन्ना बपतिस्मा दिया करता था। यीशु वहाँ ठहरा, 41 बहुत से लोग उसके पास आये और कहने लगे, “यूहन्ना ने कोई आश्चर्यकर्म नहीं किये पर इस व्यक्ति के बारे में यूहन्ना ने जो कुछ कहा था सब सच निकला।” 42 फिर वहाँ बहुत से लोग यीशु में विश्वासी हो गये।
1 जब यहोवा मेरी प्रार्थनाएँ सुनता है
यह मुझे भाता है।
2 जब मै सहायता पाने उसको पुकारता हूँ वह मेरी सुनता है:
यह मुझे भाता है।
3 मैं लगभग मर चुका था।
मेरे चारों तरफ मौत के रस्से बंध चुके थे। कब्र मुझको निगल रही थी।
मैं भयभीत था और मैं चिंतित था।
4 तब मैंने यहोवा के नाम को पुकारा,
मैंने कहा, “यहोवा, मुझको बचा ले।”
5 यहोवा खरा है और दयापूर्ण है।
परमेश्वर करूणापूर्ण है।
6 यहोवा असहाय लोगों की सुध लेता है।
मैं असहाय था और यहोवा ने मुझे बचाया।
7 हे मेरे प्राण, शांत रह।
यहोवा तेरी सुधि रखता है।
8 हे परमेश्वर, तूने मेरे प्राण मृत्यु से बचाये।
मेरे आँसुओं को तूने रोका और गिरने से मुझको तूने थाम लिया।
9 जीवितों की धरती में मैं यहोवा की सेवा करता रहूँगा।
10 यहाँ तक मैंने विश्वास बनाये रखा जब मैंने कह दिया था,
“मैं बर्बाद हो गया!”
11 मैंने यहाँ तक विश्वास सम्भाले रखा जब कि मैं भयभीत था
और मैंने कहा, “सभी लोग झूठे हैं!”
12 मैं भला यहोवा को क्या अर्पित कर सकता हूँ
मेरे पास जो कुछ है वह सब यहोवा का दिया है!
13 मैं उसे पेय भेंट दूँगा
क्योंकि उसने मुझे बचाया है।
मैं यहोवा के नाम को पुकारूँगा।
14 जो कुछ मन्नतें मैंने मागी हैं वे सभी मैं यहोवा को अर्पित करूँगा,
और उसके सभी भक्तों के सामने अब जाऊँगा।
15 किसी एक की भी मृत्यु जो यहोवा का अनुयायी है, यहोवा के लिये अति महत्वपूर्ण है।
हे यहोवा, मैं तो तेरा एक सेवक हूँ!
16 मैं तेरा सेवक हूँ।
मैं तेरी किसी एक दासी का सन्तान हूँ।
यहोवा, तूने ही मुझको मेरे बंधनों से मुक्त किया!
17 मैं तुझको धन्यवाद बलि अर्पित करूँगा।
मैं यहोवा के नाम को पुकारूँगा।
18 मैं यहोवा को जो कुछ भी मन्नतें मानी है वे सभी अर्पित करूँगा,
और उसके सभी भक्तों के सामने अब जाऊँगा।
19 मैं मन्दिर में जाऊँगा
जो यरूशलेम में है।
यहोवा के गुण गाओ!
20 विवेकी पुत्र निज पिता को आनन्दित करता है, किन्तु मूर्ख व्यक्ति निज माता से घृणा करता।
21 भले—बुरे का ज्ञान जिसको नहीं होता है ऐसे मनुष्य को तो मूढ़ता सुख देती है, किन्तु समझदार व्यक्ति सीधी राह चलता है।
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