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The Daily Audio Bible

This reading plan is provided by Brian Hardin from Daily Audio Bible.
Duration: 731 days

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Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
एज्रा 10

लोग अपना पाप स्वीकार करते हैं

10 एज्रा प्रार्थना कर रहा था और पापों को स्वीकार कर रहा था। वह परमेश्वर के मन्दिर के सामने रो रहा था और झुक कर प्रणाम कर रहा था। जिस समय एज्रा यह कर रहा था उस समय इस्राएल के लोगों का एक बड़ा समूह स्त्री, पुरूष और बच्चे उसके चारों ओर इकट्ठे हो गए। वे लोग भी जोर—जोर से रो रहे थे। तब यहीएल के पुत्र शकन्याह ने जो एलाम के वंशजों में से था, एज्रा से बातें कीं। शकन्याह ने कहा, “हम लोग अपने परमेश्वर के भक्त नहीं रहे। हम लोगों ने अपने चारों ओर रहने वाले दूसरी जाति के लोगों के साथ विवाह किया। किन्तु यद्यपि हम यह कर चुके हैं तो भी इस्राएल के लिये आशा है। अब हम अपने परमेश्वर के सामने उन सभी स्त्रियों और उनके बच्चों को वापस भेजने की वाचा करें। हम लोग यह एज्रा की सलाह मानने के लिये और उन लोगों की सलाह मानने के लिये करेंगे जो परमेश्वर के नियमों का सम्मान करते हैं। हम परमेश्वर के नियमों का पालन करेंगें। एज्रा खड़े होओ, यह तुम्हारा उत्तरदायित्व है, किन्तु हम तुम्हारा समर्थन करेंगे। अत: साहसी बनो और इसे करो।”

अत: एज्रा उठ खड़ा हुआ। उसने प्रमुख याजक, लेवीवंशियों और इस्राएल के सभी लोगों से जो कुछ उसने कहा, उसे करने की, प्रतिज्ञा कराई। तब एज्रा परमेश्वर के भवन के सामने से दूर हट गया। एज्रा एल्याशीब के पुत्र योहानान के कमरे में गया। जब तक एज्रा वहाँ रहा उसने भोजन नहीं किया और न ही पानी पिया। उसने यह किया क्योंकि वह तब भी बहुत दु:खी था। वह इस्राएल के उन लोगों के लिये दु:खी था जो यरूशलेम को वापस आए थे। तब उसने एक सन्देश यहूदा और यरूशलेम में हर एक स्थान पर भेजा। सन्देश में बन्धुवाई से वापस लौटे सभी यहूदी लोगों को यरूशलेम में एक साथ इकट्ठा होने को कहा। कोई भी व्यक्ति जो तीन दिन के भीतर यरूशलेम नहीं आएगा, उसे अपनी सारी धन सम्पत्ति दे देनी होगी। बड़े अधिकारियों और अग्रजों (प्रामुखों) ने यह निर्णय लिया और वह व्यक्ति उस व्यक्ति समूह का सदस्य नहीं रह जायेगा जिनके मध्य वह रहता होगा।

अत: तीन दिन के भीतर यहूदा और बिन्यामीन के परिवार के सभी पुरूष यरूशलेम में इकट्ठे हुए और नवें महीने के बीसवें दिन सभी लोग मन्दिर के आँगन में आ गये। वे सभी इस सभा के विचारणीय विषय के कारण तथा भारी वर्षा से बहुत परेशान थे। 10 तब याजक एज्रा खड़ा हुआ और उसने उन लोगों से कहा, “तुम लोग परमेश्वर के प्रति विश्वासी नहीं रहे। तुमने विदेशी स्त्रियों के साथ विवाह किया है। तुमने वैसा करके इस्राएल को और अधिक अपराधी बनाया है। 11 अब तुम लोगों के यहोवा को सामने स्वीकार करना होगा कि तुमने पाप किया है। यहोवा तुम लोगों के पूर्वजों का परमेश्वर है। तुम्हें यहोवा के आदेश का पालन करना चाहिए। अपने चारों ओर रहने वाले लोगों तथा अपनी विदेशी पत्नियों से अपने को अलग करो।”

12 तब पूरे समूह ने जो एक साथ इकट्ठा था, एज़्रा को उत्तर दिया। उन्होंने ऊँची आवाज़ में कहा: “एज्रा तुम बिल्कुल ठीक कहते हो! हमें वह करना चाहिये जो तुम कहते हो। 13 किन्तु यहाँ बहुत से लोग हैं और यह वर्षा का समय है सो हम लोग बाहर खड़े नहीं रह सकते। यह समस्या एक या दो दिन में हल नहीं होगी क्योंकि हम लोगों ने बुरी तरह पाप किये हैं। 14 पूरे समूह के सभा की ओर से हमारे प्रमुखों को निर्णय करने दो। तब निश्चित समय पर हमारे नगरों का हर एक व्यक्ति जिसने किसी विदेशी स्त्री से विवाह किया है, यरूशलेम आए। उन्हें अपने अग्रजों (प्रमुखों) और नगरों के न्यायाधीशों के साथ यहाँ आने दिया जाये। तब हमारा परमेश्वर हम पर क्रोधित होना छोड़ देगा।”

15 केवल थोड़े से व्यक्ति इस योजना के विरूद्ध थे। ये व्यक्ति थे असाहेल का पुत्र योनातान और तिकवा का पुत्र यहजयाह थे। लेवीवंशी मशुल्लाम और शब्बतै भी इस योजना के विरूद्ध थे।

16 अत: इस्राएल के वे लोग, जो यरूशलेम में वापस आए थे, उस योजना को स्वीकार करने को सहमत हो गए। याजक एज्रा ने परिवार के प्रमुख पुरूषों को चुना। उसने हर एक परिवार समूह से एक व्यक्ति को चुना। हर एक व्यक्ति नाम लेकर चुना गया। दसवें महीने के प्रथम दिन जो लोग चुने गए थे हर एक मामले की जाँच के लिये बैठे। 17 पहले महीने के पहले दिन तक उन्होंने उन सभी व्यक्तियों पर विचार करना पूरा कर लिया जिन्होंने विदेशी स्त्रियों से विवाह किया था।

विदेशी स्त्रियों से विवाह करने वालों की सूची

18 याजकों के वंशजों में ये नाम हैं जिन्होंने विदेशी स्त्रियों से विवाह किया: योसादाक के पुत्र येशू के वंशजों, और येशू के भाईयों में से ये व्यक्ति:

मासेयाह, एलीआज़र, यारीब और गदल्याह। 19 इन सभी ने अपनी—अपनी पत्नियों से सम्बन्ध—विच्छेद करना स्वीकार किया और तब हर एक ने अपने रेवड़ से एक—एक मेढ़ा अपराध भेंट के रूप में चढ़ाया। उन्होंने ऐसे अपने—अपने अपराधों के कारण किया।

20 इम्मेर के वंशजों में से ये व्यक्ति: हनानी और जबद्याह।

21 हारीम के वंशजों में से ये व्यक्ति थे: मासेयाह, एलियाह, शमायाह, यहीएल और उज्जियाह।

22 पशहूर के वंशजों में से ये व्यक्ति थे: एल्योएनै, मासेयाह, इशमाएल, नतनेल, योजाबाद और एलासा।

23 लेवीवंशियों में से इन व्यक्तियों ने विदेशी स्त्रियों से विवाह किया:

योजाबाद, शिमी, केलायाह (इसे कलीता भी कहा जाता है) पतह्याह, यहूदा और एलीआज़र।

24 गायकों में केवल यह व्यक्ति है, जिसने विदेशी स्त्री से विवाह किया: एल्याशीब।

द्वारपालों में से ये लोग हैं जिन्होंने विदेशी स्त्रियों से विवाह किया: शल्लूम, तेलेम और ऊरी।

25 इस्राएल के लोगों में से ये लोग हैं जिन्होंने विदेशी स्त्रियों से विवाह किया:

परोश के वंशजों से ये व्यक्ति: रम्याह, यिज्जियाह, मलिकयाह, मियामीन, एलीआज़र, मल्कियाह और बनायाह।

26 एलाम के वंशजों में से ये व्यक्ति: मत्तन्याह, जकर्याह, यहीएल, अब्दी, यरेमोत और एलियाह।

27 जत्तू के वंशजों में से ये व्यक्ति: एल्योएनै, एल्याशीब, मत्तन्याह, यरेमोत, जाबाद और अजीज़ा।

28 बेबै के वंशजों में से ये व्यक्ति: यहोहानान, हनन्याह जब्बै, और अतलै।

29 बानी के वंशजों में से ये व्यक्ति: मशुल्लाम, मल्लूक, अदायाह, याशूब, शाल और यरामोत।

30 पहतमोआब के वंशजों में से ये व्यक्ति: अदना, कलाल, बनायाह, मासेयाह, मत्तन्याह, बसलेल, बिन्नूई और मनश्शे।

31 हारीम के वंशजों में से ये व्यक्ति: एलिआज़र, यिश्शियाह, मल्कियाह, शमायाह, शिमोन, 32 बिन्यामीन, मल्लूक और शमर्याह।

33 हाशूम के वंशजों में से ये व्यक्ति: मत्तनै, मत्तत्ता, जाबाद, एलीपेलेत, यरेमै, मनश्शे और शिमी।

34 बानी के वंशजों में से ये व्यक्ति: मादै, अम्राम, ऊएल; 35 बनायाह, बेदयाह, कलूही; 36 बन्याह, मरेमोत, एल्याशीब; 37 मत्तन्याह, मतनै, यासू;

38 बिन्नूई के वंशजों में से ये व्यक्ति: शिमी, 39 शेलेम्याह, नातान, अदायाह; 40 मक्नदबै, शाशै, शारै; 41 अजरेल, शेलेम्याह, शेमर्याह; 42 शल्लूम, अमर्याह, और योसेफ।

43 नबो के वंशजों में से ये व्यक्ति: यीएल, मत्तित्याह, जाबाद, जबीना, यद्दो, योएल, और बनायाह।

44 इन सभी लोगों ने विदेशी स्त्रियों से विवाह किया था और इनमें से कुछ के इन पत्नियों से बच्चे भी थे।

1 कुरिन्थियों 6

आपसी विवादों का निबटारा

क्या तुममें से कोई ऐसा है जो अपने साथी के साथ कोई झगड़ा होने पर परमेश्वर के पवित्र पुरुषों के पास न जा कर अधर्मी लोगों की अदालत में जाने का साहस करता हो? अथवा क्या तुम नहीं जानते कि परमेश्वर के पवित्र पुरुष ही जगत का न्याय करेंगे? और जब तुम्हारे द्वारा सारे संसार का न्याय किया जाना है तो क्या अपनी इन छोटी-छोटी बातों का न्याय करने योग्य तुम नहीं हो? क्या तुम नहीं जानते कि हम स्वर्गदूतों का भी न्याय करेंगे? फिर इस जीवन की इन रोज़मर्राह की छोटी मोटी बातो का तो कहना ही क्या। यदि हर दिन तुम्हारे बीच कोई न कोई विवाद रहता ही है तो क्या न्यायाधीश के रूप में तुम ऐसे व्यक्तियों की नियुक्ति करोगे जिनका कलीसिया में कोई स्थान नहीं है। यह मैं तुमसे इसलिए कह रहा हूँ कि तुम्हें कुछ लाज आये। क्या स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि तुम्हारे बीच कोई ऐसा बुद्धिमान पुरुष है ही नहीं जो अपने मसीही भाइयों के आपसी झगड़े सुलझा सके? क्या एक भाई कभी अपने दूसरे भाई से मुकदमा लड़ता है! और तुम तो अविश्वासियों के सामने ऐसा कर रहे हो।

वास्तव में तुम्हारी पराजय तो इसी में हो चुकी कि तुम्हारे बीच आपस में कानूनी मुकदमे हैं। इसके स्थान पर तुम आपस में अन्याय ही क्यों नहीं सह लेते? अपने आपको क्यों नहीं लुट जाने देते। तुम तो स्वयं अन्याय करते हो और अपने ही मसीही भाइयों को लूटते हो!

अथवा क्या तुम नहीं जानते कि बुरे लोग परमेश्वर के राज्य का उत्तराधिकार नहीं पायेंगे? अपने आप को मूर्ख मत बनाओ। यौनाचार करने वाले, मूर्ति पूजक, व्यभिचारी, गुदा-भंजन कराने वाले, लौंडेबाज़, 10 लुटेरे, लालची, पियक्कड़, चुगलखोर और ठग परमेश्वर के राज्य के उत्तराधिकारी नहीं होंगे। 11 तुममें से कुछ ऐसे ही थे। किन्तु अब तुम्हें धोया गया और पवित्र कर दिया है। तुम्हें परमेश्वर की सेवा में अर्पित कर दिया गया है। प्रभु यीशु मसीह के नाम और हमारे परमेश्वर के आत्मा के द्वारा उन्हें धर्मी करार दिया जा चुका है।

अपने शरीर को परमेश्वर की महिमा में लगाओ

12 “मैं कुछ भी करने को स्वतन्त्र हूँ।” किन्तु हर कोई बात हितकर नहीं होती। हाँ! “मैं सब कुछ करने को स्वतन्त्र हूँ।” किन्तु मैं अपने पर किसी को भी हावी नहीं होने दूँगा। 13 कहा जाता है, “भोजन पेट के लिये और पेट भोजन के लिये है।” किन्तु परमेश्वर इन दोनों को ही समाप्त कर देगा। और हमारे शरीर भी तो यौन-अनाचार के लिये नहीं हैं बल्कि प्रभु की सेवा के लिये हैं। और प्रभु हमारी देह के कल्याण के लिये है। 14 परमेश्वर ने केवल प्रभु को ही पुनर्जीवित नहीं किया बल्कि अपनी शक्ति से वह मृत्यु से हम सब को भी जिला उठायेगा। 15 क्या तुम नहीं जानते कि तुम्हारे शरीर स्वयं यीशु मसीह से जुड़े हैं? तो क्या मुझे उन्हें, जो मसीह के अंग हैं, किसी वेश्या के अंग बना देना चाहिये? 16 निश्चय ही नहीं। अथवा क्या तुम यह नहीं जानते, कि जो अपने आपको वेश्या से जोड़ता है, वह उसके साथ एक देह हो जाता है। शास्त्र में कहा गया है: “क्योंकि वे दोनों एक देह हो जायेंगे।”(A) 17 किन्तु वह जो अपनी लौ प्रभु से लगाता है, उसकी आत्मा में एकाकार हो जाता है।

18 यौनाचार से दूर रहो। दूसरे सभी पाप जिन्हें एक व्यक्ति करता है, उसके शरीर से बाहर होते हैं किन्तु ऐसा व्यक्ति जो व्यभिचार करता है वह तो अपने शरीर के ही विरुद्ध पाप करता है। 19 अथवा क्या तुम नहीं जानते कि तुम्हारे शरीर उस पवित्र आत्मा के मन्दिर हैं जिसे तुमने परमेश्वर से पाया है और जो तुम्हारे भीतर निवास करता है। और वह आत्मा तुम्हारा अपना नहीं है, 20 क्योंकि परमेश्वर ने तुम्हें कीमत चुका कर खरीदा है। इसलिए अपने शरीरों के द्वारा परमेश्वर को महिमा प्रदान करो।

भजन संहिता 31:9-18

हे यहोवा, मुझ पर अनेक संकट हैं। सो मुझ पर कृपा कर।
    मैं इतना व्याकुल हूँ कि मेरी आँखें दु:ख रही हैं।
    मेरे गला और पेट पीड़ित हो रहे हैं।
10 मेरा जीवन का अंत दु:ख में हो रहा है।
    मेरे वर्ष आहों में बीतते जाते हैं।
मेरी वेदनाएँ मेरी शक्ति को निचोड़ रही हैं।
    मेरा बल मेरा साथ छोड़ता जा रहा है।
11 मेरे शत्रु मुझसे घृणा रखते हैं।
    मेरे पड़ोसी मेरे बैरी बने हैं।
मेरे सभी सम्बन्धी मुझे राह में देख कर
    मुझसे डर जाते हैं
    और मुझसे वे सब कतराते हैं।
12 मुझको लोग पूरी तरह से भूल चुके हैं।
    मैं तो किसी खोये औजार सा हो गया हूँ।
13 मैं उन भयंकर बातों को सुनता हूँ जो लोग मेरे विषय में करते हैं।
    वे सभी लोग मेरे विरुद्ध हो गए हैं। वे मुझे मार डालने की योजनाएँ रचते हैं।

14 हे यहोवा, मेरा भरोसा तुझ पर है।
    तू मेरा परमेश्वर है।
15 मेरा जीवन तेरे हाथों में है। मेरे शत्रुओं से मुझको बचा ले।
    उन लोगों से मेरी रक्षा कर, जो मेरे पीछे पड़े हैं।
16 कृपा करके अपने दास को अपना ले।
    मुझ पर दया कर और मेरी रक्षा कर!
17 हे यहोवा, मैंने तेरी विनती की।
    इसलिए मैं निराश नहीं होऊँगा।
बुरे मनुष्य तो निराश हो जाएँगे।
    और वे कब्र में नीरव चले जाएँगे।
18 दुर्जन डींग हाँकते हैं
    और सज्जनों के विषय में झूठ बोलते हैं।
वे दुर्जन बहुत ही अभिमानी होते हैं।
    किन्तु उनके होंठ जो झूठ बोलते रहते हैं, शब्द हीन होंगे।

नीतिवचन 21:3

तेरा उस कर्म का करना जो उचित और नेक है यहोवा को अधिक चढ़ावा चढ़ाने से ग्राह्य है।

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