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The Daily Audio Bible

This reading plan is provided by Brian Hardin from Daily Audio Bible.
Duration: 731 days

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Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
2 इतिहास 26-28

यहूदा का राजा उज्जिय्याह

26 तब यहूदा के लोगों ने अमस्याह के स्थान पर नया राजा होने के लिये उज्जिय्याह को चुना। अमस्याह उज्जिय्याह का पिता था। जब यह हुआ तो उज्जिय्याह सोलह वर्ष का था। उज्जिय्याह ने एलोत नगर को दुबारा बनाया और इसे यहूदा को लौटा दिया। उज्जिय्याह ने यह अमस्याह के मर जाने और पूर्वजों के साथ उसके दफनाए जाने के बाद किया।

उज्जिय्याह जब राजा हुआ तो वह सोलह वर्ष का था। उसने यरूशलेम में बावन वर्ष तक राज्य किया। उसकी माँ का नाम यकील्याह था। यकील्याह यरूशलेम की थी। उज्जिय्याह ने वह किया जो यहोवा उससे करवाना चाहता था। उसने यहोवा का अनुसरण वैसे ही किया जैसे उसके पिता अमस्याह ने किया था। उज्जिय्याह ने परमेश्वर का अनुसरण जकर्याह के जीवन—काल में किया। जकर्याह ने उज्जिय्याह को शिक्षा दी कि परमेश्वर का सम्मान और उसकी आज्ञा का पालन कैसे किया जाता है। जब उज्जिय्याह यहोवा की आज्ञा का पालन कर रहा था तब परमेश्वर ने उसे सफलता दिलाई।

उज्जिय्याह ने पलिश्ती लोगों के विरुद्ध एक युद्ध किया। उसने गत, यब्ने, और अशदोद नगर की दीवारों को गिरा दिया। उज्जिय्याह ने अशदोद नगर के पास और पलिश्ती लोगों के बीच अन्य स्थानों में नगर बसाये। परमेश्वर ने उज्जिय्याह की सहायता पलिशितयों के गूर्बाल नगर में रहने वाले अरबों और मुनियों के साथ युद्ध करने में की। अम्मोनी उज्जिय्याह को राज्य कर देते थे। उज्जिय्याह का नाम मिस्र की सीमा तक प्रसिद्ध हो गया। वह प्रसिद्ध था क्योंकि वह बहुत शक्तिशाली था।

उज्जिय्याह ने यरूशलेम में कोने के फाटक, घाटी के फाटक और दीवार के मुड़ने के स्थानों पर मीनारें बनवाईं। उज्जिय्याह ने उन मीनारों को दृढ़ बनाया। 10 उज्जिय्याह ने मीनारों को मरुभूमि में बनाया। उसने बहुत से कुँए भी खुदवाए। उसके पास पहाड़ी और मैदानी प्रदेशों में बहुत से पशु थे। उज्जिय्याह के पास पर्वतों में और जहाँ अच्छी उपज होती थी, उस भूमि में किसान थे। वह ऐसे व्यक्तियों को भी रखे हुए था जो उन खेतों की रखवाली करते थे जिनमें अँगूर होते थे। उसे कृषि से प्रेम था।

11 उज्जिय्याह के पास प्रशिक्षित सैनिकों की एक सेना थी। वे सैनिक सचिव यीएल और अधिकारी मासेयाह द्वारा वर्गों में बँटे थे। हनन्याह उनका प्रमुख था। यीएल और मासेयाह ने उन सैनिकों को गिना और उन्हें वर्गों में रखा। हनन्याय राजा के अधिकारियों में से एक था। 12 सैनिकों के ऊपर दो हज़ार छ: सौ प्रमुख थे। 13 वे परिवार प्रमुख तीन लाख सात हज़ार पाँच सौ पुरुषों की उस सेना के अधिपति थे जो बड़ी शक्ति से लड़ती थी। वे सैनिक राजा को शत्रुओं के विरुद्ध सहायता करते थे। 14 उज्जिय्याह ने सेना को ढाल, भाले, टोप, कवच, धनुष और गुलेलों के लिये पत्थर दिये थे। 15 यरूशलेम में उज्जिय्याह ने जो यन्त्र बनाए वह बुद्धिमानों के अविष्कार थे। वे यन्त्र मीनारों तथा कोने की दीवारों पर रखे गए थे। ये यन्त्र बाण और बड़े पत्थर फेंकते थे। उज्जिय्याह प्रसिद्ध हो गया। लोग उसका नाम दूर—दूर के देशों में जानते थे। उसके पास बड़ी सहायता थी और वह शक्तिशाली राजा हो गया।

16 किन्तु जब उजिय्याह शक्तिशाली हो गया, उसके घमण्ड ने उसे नष्ट किया। वह यहोवा परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य नहीं रहा। वह यहोवा के मन्दिर में सुगन्धि जलाने की वेदी पर गया। 17 याजक अजर्याह और यहोवा के अस्सी साहसी याजक सेवक उजिय्याह के पीछे मन्दिर में गए। 18 उन्होंने उजिय्याह से कहा कि तुम गलती कर रहे हो। उन्होंने उससे कहा, “उजिय्याह, यहोवा के लिये सुगन्धि जलाना तुम्हारा काम नहीं है। यह करना तुम्हारे लिये ठीक नहीं है। याजक और हारून के वंशज ही केवल यहोवा के लिये सुगन्धि जलाते हैं। इन याजकों को सुगन्धि जलाने की पवित्र सेवा के लिये प्रशिक्षण दिया गया है। सर्वाधिक पवित्र स्थान से बाहर निकल जाओ। तुम विश्वासयोग्य नहीं रहे हो। यहोवा परमेश्वर तुमको इसके लिये सम्मान नहीं देगा!”

19 किन्तु उज्जिय्याह क्रोधित हुआ। उसके हाथ में सुगन्धि जलाने के लिये एक कटोरा था। जिस समय उज्जिय्याह याजकों पर बहुत क्रोधित था, उसी समय उसके माथे पर कुष्ठ हो गया। यह याजकों के सामने यहोवा के मन्दिर में सुगन्धि जलाने के वेदी के पास हुआ। 20 प्रमुख याजक अजर्याह औऱ सभी याजकों ने उज्जिय्याह को देखा। वे उसके ललाट पर कुष्ठ देख सकते थे। याजकों ने शीघ्रता से उज्जिय्याह को मन्दिर से बाहर जाने को विवश किया। उज्जिय्याह ने स्वयं शीघ्रता की, क्योंकि यहोवा ने उसे दण्ड दे दिया था। 21 राजा उज्जिय्याह मृत्यु पर्यन्त कोढ़ी था। वह यहोवा के मन्दिर में प्रवेश नहीं कर सकता था। उज्जिय्याह के पुत्र योताम ने राजमहल को व्यवस्थित रखा औऱ लोगों का प्रशासक बना।

22 उज्जिय्याह ने आरम्भ से लेकर अन्त तक जो कुछ किया वह यशायाह नबी द्वारा लिखा गया। यशायाह का पिता आमोस था। 23 उज्जिय्याह मरा और अपने पूर्वजों के पास दफनाया गया। उज्जिय्याह को राजाओं के कब्रिस्तान के पास मैदान में दफनाया गया। क्यों? क्योंकि लोगों ने कहा, “उज्जिय्याह को कोढ़ है।” योताम उज्जिय्याह के स्थान पर नया राजा हुआ। योताम उज्जिय्याह का पुत्र था।

यहूदा का राजा योताम

27 योताम पच्चीस वर्ष का था जब वह राजा हुआ। उसने सोलह वर्ष तक यरूशलेम में शासन किया। उसकी माँ का नाम यरूशा था। यरूशा सादोक की पुत्री थी। योताम ने वह किया, जो यहोवा उससे करवाना चाहता था। उसने परमेश्वर की आज्ञा का पालन वैसे ही किया जैसे उसके पिता उज्जिय्याह ने किया था। किन्तु योताम यहोवा के मन्दिर में सुगन्धि जलाने के लिये उसी प्रकार नहीं घुसा जैसे उसका पिता घुसा था। किन्तु लोगों ने पाप करना जारी रखा। योताम ने यहोवा के मन्दिर के ऊपरी द्वार को दुबारा बनाया। उसने ओपेल नामक स्थान में दीवार पर बहुत से निर्माण कार्य किये। योताम ने यहूदा के पहाड़ी प्रदेश में भी नगर बनाए। योताम ने मीनार और किले जंगलों में बनाए। योताम अम्मोनी लोगों के राजा और उसके सेना के विरुद्ध लड़ा और उन्हें हराया। इसलिये हर वर्ष तीन वर्ष तक अम्मोनी लोग योताम को पौने चार टन चाँदी, बासठ हज़ार बुशल गेहूँ और बासठ बुशल जौ देते रहे।

योताम शक्तिशाली हो गया क्योंकि उसने विश्वासपूर्वक यहोवा, अपने परमेश्वर की आज्ञा का पालन किया। योताम ने अन्य जो कुछ भी किया तथा उसके सभी युद्ध यहूदा और इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखे गए हैं। योताम जब राजा हुआ था, पच्चीस वर्ष का था। उसने यरूशलेम पर सोलह वर्ष शासन किया। तब योताम मरा और अपने पूर्वजों के साथ दफनाया गया। लोगों ने उसे दाऊद के नगर में दफनाया। योताम के स्थान पर आहाज राजा हुआ। आहाज योताम का पुत्र था।

यहूदा का राजा आहाज

28 आहाज बीस वर्ष का था, जब वह राजा हुआ। उसने यरूशलेम में सोलह वर्ष तक राज्य किया। आहाज अपने पूर्वज दाऊद की तरह सच्चाई से नहीं रहा। आहाज ने वह नहीं किया जो कुछ यहोवा चाहता था कि वह करे। आहाज ने इस्राएली राजाओं के बुरे उदाहरणों का अनुसरण किया। उसने बाल—देवता की पूजा के लिये मूर्तियों को बनाने के लिये साँचे का उपयोग किया। आहाज ने हिन्नोम की घाटी में सुगन्धि जलाई। उसने अपने पुत्रों को आग में जलाकर बलि भेंट की। उसने वे सब भयंकर पाप किये जिसे उस प्रदेश में रहने वाले व्यक्तियों ने किया था। यहोवा ने उन व्यक्तियों को बाहर जाने को विवश किया था जब इस्राएल के लोग उस भूमि में आए थे। आहाज ने बलि भेंट की और सुगन्धि को उच्चस्थानों अर्थात् पहाड़ियों और हर एक हरे पेड़ के नीचे जलाया।

5-6 आहाज ने पाप किया, इसलिये यहोवा, उसके परमेश्वर ने अराम के राजा को उसे पराजित करने दिया। अराम के राजा और उसकी सेना ने आहाज को हराया और यहूदा के अनेक लोगों को बन्दी बनाया। अराम का राजा उन बन्दियों को दमिश्क नगर को ले गया। यहोवा ने इस्राएल के राजा पेकह को भी आहाज को पराजित करने दिया। पेकह के पिता का नाम रमल्याह था। पेकह और उसकी सेना ने एक दिन में यहूदा के एक लाख बीस हज़ार वीर सैनिकों को मार डाला। पेकह ने यहूदा के उन लोगों को इसलिये हराया कि उन्होंने उस यहोवा, परमेश्वर की आज्ञा मानना अस्वीकार कर दिया जिसकी आज्ञा उनके पूर्वज मानते थे। जिक्री एप्रैमी का एक वीर सैनिक था। जिक्री ने राजा आहाज के पुत्र मासेयाह और राजमहल के संरक्षक अधिकारी अज्रीकाम और एलकाना को मार डाला। एलकाना राजा के ठीक बाद दि्तीय शक्ति था।

इस्राएल की सेना ने यहूदा में रहने वाले दो लाख अपने निकट सम्बन्धियों को पकड़ा। उन्होंने स्त्री, बच्चे और यहूदा से बहुत कीमती चीज़े लीं। इस्राएली उन बन्दियों और उन चीज़ों को शोमरोन नगर को ले आए। किन्तु वहाँ यहोवा का एक नबी था। इस नबी का नाम ओदेद था। ओदेद इस्राएल की इस सेना से मिला जो शोमरोन लौट आई। ओदेद ने इस्राएल की सेना से कहा, “यहोवा, परमेश्वर ने जिसकी आज्ञा तुम्हारे पूर्वजों ने मानी, तुम्हें यहूदा के लोगों को हराने दिया क्योंकि वह उन पर क्रोधित था। तुम लोगों ने यहूदा के लोगों को बहुत नीच ढंग से मारा और दण्डित किया। अब परमेश्वर तुम पर क्रोधित है। 10 तुम यहूदा और यरूशलेम के लोगों को दास की तरह रखने की योजना बना रहे हो। तुम लोगों ने भी यहोवा, अपने परमेश्वर के विरूद्ध पाप किया है। 11 अब मेरी सुनो। अपने जिन भाई बहनों को तुम लोगों ने बन्दी बनाया है उन्हें वापस कर दो। यह करो क्योंकि यहोवा का भयंकर क्रोध तुम्हारे विरुद्ध है।”

12 तब एप्रैम के कुछ प्रमुखों ने इस्राएल के सैनिकों को युद्ध से लौटकर घर आते देखा। वे प्रमुख इस्राएल के सैनिकों से मिले और उन्हें चेतावनी दी। वे प्रमुख योहानान का पुत्र अजर्याह, मशिल्लेमोत का पुत्र बेरेक्याह, शल्लूम का पुत्र यहिजकिय्याह और हदलै का पुत्र अमासा थे। 13 उन प्रमुखों ने इस्राएली सैनिकों से कहा, “यहूदा के बन्दियों को यहाँ मत लाओ। यदि तुम यह करते हो तो यह हम लोगों को यहोवा के विरुद्ध बुरा पाप करायेगा। वह हमारे पाप और अपराध को और अधिक बुरा करेगा तथा यहोवा हम लोगों के विरुद्ध बहुत क्रोधित होगा!”

14 इसलिए सैनिकों ने बन्दियों और कीमती चीज़ों को उन प्रमुखों और इस्राएल के लोगों को दे दिया। 15 पहले गिनाए गए प्रमुख (अजर्याह, बेरेक्याह, यहिजकिय्याह और अमास) खड़े हुए और उन्होंने बन्दियों की सहायता की। इन चारों व्यक्तियों ने उन वस्त्रों को लिया जो इस्राएली सेना ने लिये थे और इसे उन लोगों को दिया जो नंगे थे। उन प्रमुखों ने उन लोगों को जूते भी दिये। उन्होंने यहूदा के बन्दियों को कुछ खाने और पीने को दिया। उन्होंने उन लोगों को तेल मला। तब एप्रैम के प्रमुखों ने कमजोर बन्दियों को खच्चरों पर चढ़ाया और उन्हें उनके घर यरीहो में उनके परिवारों के पास ले गये। यरीहो का नाम ताड़ के पेड़ का नगर था। तब वे चारों प्रमुख अपने घर शोमरोन को लौट गए।

16-17 उसी समय, एदोम के लोग फिर आए और उन्होंने यहूदा के लोगों को हराया। एदोमियों ने लोगों को बन्दी बनाया और उन्हें बन्दी के रूप में ले गए। इसलिये राजा आहाज ने अश्शूर के राजा से सहायता माँगी। 18 पलिश्ती लोगों ने भी पहाड़ी के नगरों और दक्षिण यहूदा पर आक्रमण किया। पलिश्ती लोगों ने बेतशेमेश, अय्यालोन, गदेरोत, सोको, तिम्ना और गिमजो नामक नगरों पर अधिकार कर लिया। उन्होंने उन नगरों के पास के गाँवों पर भी अधिकार कर लिया। तब उन नगरों में पलिशती रहने लगे। 19 यहोवा ने यहूदा को कष्ट दिया क्योंकि यहूदा के राजा आहाज ने यहूदा के लोगों को पाप करने के लिये प्रोत्साहित किया। वह यहोवा के प्रति बहुत अधिक अविश्वास योग्य था। 20 अश्शूर का राजा तिलगतपिलनेसेर आया और आहाज को सहायता देने के स्थान पर उसने कष्ट दिया। 21 आहाज ने कुछ कीमती चीज़े यहोवा के मन्दिर, राजमहल और राजकुमार भवन से इकट्टा कीं। आहाज ने वे चीज़ें अश्शूर के राजा को दीं। किन्तु उसने आहाज को सहायता नहीं दी।

22 आहाज की परेशानियों के समय में उसने और अधिक बुरे पाप किये और यहोवा का औऱ अधिक अविश्वास योग्य बन गया। 23 उसने दमिश्क के लोगों द्वारा पूजे जाने वाले देवताओं को बलिभेंट की। दमिश्क के लोगों ने आहाज को पराजित किया था। इसलिए उसने मन ही मन सोचा था, “अराम के लोगों के देवताओं की पूजा ने उन्हें सहायता दी। यदि मैं उन देवताओं को बलिभेंट करुँ तो संभव है, वे मेरी भी सहायता करें।” आहाज ने उन देवताओं की पूजा की। इस प्रकार उसने पाप किया और उसने इस्राएल के लोगों को पाप करने वाला बनाया।

24 आहाज ने यहोवा के मन्दिर से चीज़ें इकट्ठी कीं और उनके टुकड़े कर दिये। तब उसने यहोवा के मन्दिर का द्वार बन्द कर दिया। उसने वेदियाँ बनाईं और यरूशलेम में सड़क के हर मोड़ पर उन्हें रखा। 25 आहाज ने यहूदा के हर नगर में अन्य देवताओं की पूजा के लिये उच्च स्थान सुगन्धि जलाने के लिये बनाए। आहाज ने यहोवा, परमेश्वर को बहुत क्रोधित कर दिया जिसकी आज्ञा का पालन उसके पूर्वज करते थे।

26 आहाज ने आरम्भ से अन्त तक जो कुछ अन्य किया वह यहूदा औऱ इस्राएल के राजाओं के इतिहास नामक पुस्तक में लिखा है। 27 आहाज मरा और अपने पूर्वजों के साथ दफनाया गया। लोगों ने आहाज को यरूशलेम नगर में दफनाया। किन्तु उन्होंने आहाज को उसी कब्रिस्तान में नहीं दफनाया जहाँ इस्राएल के राजा दफनाये गए थे। आहाज के स्थान पर हिजकिय्याह नया राजा बना। हिजकिय्याह आहाज का पुत्र था।

रोमियों 13

शासक की आज्ञा मानो

13 हर व्यक्ति को प्रधान सत्ता की अधीनता स्वीकार करना चाहिए। क्योंकि शासन का अधिकार परमेश्वर की ओर से है। और जो अधिकार मौजूद है उन्हें परमेश्वर ने नियुक्त किया है। इसलिए जो सत्ता का विरोध करता है, वह परमेश्वर की आज्ञा का विरोध करता है। और जो परमेश्वर की आज्ञा का विरोध करते हैं, वे दण्ड पायेंगे। अब देखो कोई शासक, उस व्यक्ति को, जो नेकी करता है, नहीं डराता बल्कि उसी को डराता है, जो बुरे काम करता है। यदि तुम सत्ता से नहीं डरना चाहते हो, तो भले काम करते रहो। तुम्हें सत्ता की प्रशंसा मिलेगी।

जो सत्ता में है वह परमेश्वर का सेवक है वह तेरा भला करने के लिये है। किन्तु यदि तू बुरा करता है तो उससे डर क्योंकि उसकी तलवार बेकार नहीं है। वह परमेश्वर का सेवक है जो बुरा काम करने वालों पर परमेश्वर का क्रोध लाता है। इसलिए समर्पण आवश्यक है। न केवल डर के कारण बल्कि तुम्हारी अपनी चेतना के कारण।

इसलिए तो तुम लोग कर भी चुकाते हो क्योंकि अधिकारी परमेश्वर के सेवक हैं जो अपने कर्तव्यों को ही पूरा करने में लगे रहते हैं। जिस किसी का तुझे देना है, उसे चुका दे। जो कर तुझे देना है, उसे दे। जिसकी चूँगी तुझ पर निकलती है, उसे चूँगी दे। जिससे तुझे डरना चाहिए तू उससे डर। जिसका आदर करना चाहिए उसका आदर कर।

प्रेम ही विधान है

आपसी प्रेम के अलावा किसी का ऋण अपने ऊपर मत रख क्योंकि जो अपने साथियों से प्रेम करता है, वह इस प्रकार व्यवस्था को ही पूरा करता है। मैं यह इसलिए कह रहा हूँ, “व्यभिचार मत कर, हत्या मत कर, चोरी मत कर, लालच मत रख।”(A) और जो भी दूसरी व्यवस्थाएँ हो सकती हैं, इस वचन में समा जाती हैं, “तुझे अपने साथी को ऐसे ही प्यार करना चाहिए, जैसे तू अपने आप को करता है।”(B) 10 प्रेम अपने साथी का बुरा कभी नहीं करता। इसलिए प्रेम करना व्यवस्था के विधान को पूरा करना है।

11 यह सब कुछ तुम इसलिए करो कि जैसे समय में तुम रह रहे हो, उसे जानते हो। तुम जानते हो कि तुम्हारे लिए अपनी नींद से जागने का समय आ पहुँचा है, क्योंकि जब हमने विश्वास धारण किया था हमारा उद्धार अब उससे अधिक निकट है। 12 “रात” लगभग पूरी हो चुकी है, “दिन” पास ही है, इसलिए आओ हम उन कर्मो से छुटकारा पा लें जो अँधकार के हैं। आओ हम प्रकाश के अस्त्रों को धारण करें। 13 इसलिए हम वैसे ही उत्तम रीति से रहें जैसे दिन के समय रहते हैं। बहुत अधिक दावतों में जाते हुए खा पीकर धुत्त न हो जाओ। लुच्चेपन दुराचार व्यभिचार में न पड़ें। न झगड़ें और न ही डाह रखें। 14 बल्कि प्रभु यीशु मसीह को धारण करें। और अपनी मानव देह की इच्छाओं को पूरा करने में ही मत लगे रहो।

भजन संहिता 23

दाऊद का एक पद।

यहोवा मेरा गडेरिया है।
    जो कुछ भी मुझको अपेक्षित होगा, सदा मेरे पास रहेगा।
हरी भरी चरागाहों में मुझे सुख से वह रखता है।
    वह मुझको शांत झीलों पर ले जाता है।
वह अपने नाम के निमित्त मेरी आत्मा को नयी शक्ति देता है।
    वह मुझको अगुवाई करता है कि वह सचमुच उत्तम है।
मैं मृत्यु की अंधेरी घाटी से गुजरते भी नहीं डरुँगा,
    क्योंकि यहोवा तू मेरे साथ है।
    तेरी छड़ी, तेरा दण्ड मुझको सुख देते हैं।
हे यहोवा, तूने मेरे शत्रुओं के समक्ष मेरी खाने की मेज सजाई है।
    तूने मेरे शीश पर तेल उँडेला है।
    मेरा कटोरा भरा है और छलक रहा है।
नेकी और करुणा मेरे शेष जीवन तक मेरे साथ रहेंगी।
    मैं यहोवा के मन्दिर में बहुत बहुत समय तक बैठा रहूँगा।

नीतिवचन 20:11

11 बालक भी अपने कर्मो से जाना जाता है, कि उसका चालचलन शुद्ध है, या नहीं।

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