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12 ये द्वारपालों के समूह के प्रमुख थे। द्वारपालों का यहोवा के मन्दिर में सेवा करने का विशेष ढंग था, जैसा कि उनके सम्बन्धी करते थे। 13 हर एक परिवार को एक द्वार रक्षा करने के लिये दिया गया था। एक परिवार के लिये द्वार चुनने को गोट डाली जाती थी। बुढ़े और जवानों के साथ एक समान बर्ताव किया जाता था।
14 शेलेम्याह पूर्वी द्वार की रक्षा के लिये चुना गया था। तब शेलेम्याह के पुत्र जकर्याह के लिये गोट डाली गई। जकर्याह एक बुद्धिमान सलाहकार था। जकर्याह उत्तरी द्वार के लिये चुना गया। 15 ओबेदोम दक्षिण द्वार के लिये चुना गया और ओबेदेदोम के पुत्र उस गृह की रक्षा के लिये चुने गए जिसमें कीमती चीजें रखी जाती थीं। 16 शुप्पीम और होसा पश्चिमी द्वार और ऊपरी सड़क पर शल्लेकेत द्वार के लिये चुने गए।
द्वारपाल एक दूसरे की बगल में खड़े होते थे। 17 पूर्वी द्वार पर लेवीवंशी रक्षक हर दिन खड़े होते थे। उत्तरी द्वार पर चार लेवीवंशी रक्षक खड़े होते थे। दक्षिणी द्वार पर चार लेवीवंशी रक्षक खड़े होते थे और दो लेवीवंशी रक्षक उस गृह की रक्षा करते थे जिसमें कीमती चीजें रखी जाती थीं। 18 चार रक्षक पश्चिमी न्यायगृह पर थे और दो रक्षक न्यायगृह तक की सड़क पर थे।
19 ये द्वारपालों के समूह थे। वे द्वारपाल कोरह और मरारी के परिवार में से थे।
कोषाध्याक्ष और अन्य अधिकारी
20 आहिय्याह लेवी के परिवार समूह से था। अहिय्याह परमेश्वर के मन्दिर की मूल्यावान चीजों की देखभाल का उत्तरदायी था। अहिय्याह उन स्थानों की रक्षा के लिये भी उत्तरदायी था जहाँ पवित्र वस्तुएँ रखी जाती थीं।
21 लादान गेर्शोन परिवार से था। यहोएल लादान परिवार समूह के प्रमुखों में से एक था। 22 यहोएला के पुत्र जेताम और जेताम का भाई योएल थे। वे यहोवा के मन्दिर में बहुमूल्य चीज़ों के लिये उत्तरदायी थे।
23 अन्य प्रमुख अम्राम, यिसहार, हेब्रोन और उज्जीएल के परिवार समूह से चुने गए थे।
24 शबूएल यहोवा के मन्दिर में मूल्यवान चीजों की रक्षा का उत्तरदायी प्रमुख था। शबूएल गेर्शेम का पुत्र था। गेर्शेम मूसा का पुत्र था। 25 ये शबूएल के सम्बन्धी थेः एलीआजर से उसके सम्बन्धी थेः एलीआजर का पुत्र रहब्याह, रहब्याह का पुत्र यशायाह, यशायाह का पुत्र योराम, योराम का पुत्र जिक्री और जिक्री का पुत्र शलोमोत। 26 शलोमोत और उसके सम्बन्धी उन सब चीज़ों के लिये उत्तरदायी थे जिसे दाऊद ने मन्दिर के लिये इकट्ठा किया था।
सेना के अधिकारियों ने भी मन्दिर के लिये चीजें दीं। 27 उन्होंने युद्धों में ली गयी चीजों में से कुछ चीजें दीं। उन्होंने यहोवा के मन्दिर को बनाने के लिये वे चीजें दीं। 28 शलोमोत और उसके सम्बन्धी दृष्टा शमूएल, कीश के पुत्र शाऊल, नेर के पुत्र अब्नेर सरूयाह के पुत्र योआब द्वारा दी गई पवित्र वस्तुओं की भी रक्षा करते थे। शलोमोत और उसके सम्बन्धी लोगों द्वारा, यहोवा को दी गई सभी पवित्र चीज़ों की रक्षा करते थे।
29 कनन्याह यिसहार परिवार का था। कनन्याह और उसके पुत्र मन्दिर के बाहर का काम करते थे। वे इस्राएल के विभिन्न स्थानों पर सिपाही और न्यायाधीश का कार्य करते थे। 30 हशव्याह हेब्रोन परिवार से था। हशव्याह और उसके सम्बन्धी यरदन नदी के पश्चिम में इस्राएल के राजा दाऊद के कामों और यहोवा के सभी कामों के लिये उत्तरदायी थे। हशव्याह के समूह में एक हजार सात सौ शक्तिशाली व्यक्ति थे। 31 हेब्रोन का परिवार समूह इस बात पर प्रकाश डालता है कि यरिय्याह उनका प्रमुख था। जब दाऊद चालीस वर्ष तक राजा रह चुका, तो उसने अपने लोगों को परिवार के इतिहासों से शक्तिशाली और कुशल व्यक्तियों की खोज का आदेश दिया। उनमें से कुछ हेब्रोन परिवार में मिले जो गिलाद के याजेर नगर में रहते थे। 32 यरिय्याह के पास दो हजार सात सौ सम्बन्धी थे जो शक्तिशाली लोग थे और परिवारों के प्रमुख थे। दाऊद ने उन दो हजार सात सौ सम्बन्धियों को रूबेन, गाद और आधे मनश्शे के परिवार के संचालन और यहोवा एवं राजा के कार्य का उत्तरदायित्व सौंपा।
सेना के समूह
27 यह उन इस्राएली लोगों की सूची है जो राजा की सेना में सेवा करते थे। हर एक समूह हर वर्ष एक महीने अपने काम पर रहता था। उसमें परिवारों के शासक, नायक, सेनाध्यक्ष और सिपाही लोग थे जो राजा की सेवा करते थे। हर एक सेना के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे।
2 याशोबाम पहले महीने के पहले समूह का अधीक्षक था। याशोबाम जब्दीएल का पुत्र था। याशोबाम के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे। 3 याशोबाम पेरेस के वंशजों में से एक था। याशोबाम पहले महीने के लिये सभी सैनिक अधिकारियों का प्रमुख था।
4 दोदै दूसरे महीने के लिये सेना समूह का अधीक्षक था। वह अहोही से था। दोदै के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे।
5 तीसरा सेनापति बनायाह था। बनायाह तीसरे महीने का सेनापति था। बनायाह यहोयादा का पुत्र था। यहोयादा प्रमुख याजक था। बनायाह के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे। 6 यह वही बनायाह था जो तीस वीरों में से एक वीर सैनिक था। बनायाह उन व्यक्तियों का संचालन करता था। बनायाह का पुत्र अम्मीजाबाद बनायाह के समूह का अधीक्षक था।
7 चौथा सेनापति असाहेल था। असाहेल चौथे महीने का सेनापति था। असाहेल योआब का भाई था। बाद में, असाहेल के पुत्र जबद्याह ने उसका स्थान सेनापति के रूप में लिया। आसाहेल के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे।
8 पाँचवाँ सेनापति शम्हूत था, शम्हूत पाँचवें महीने का सेनापति था। शम्हूत यिज्राही के परिवार से था। शम्हूत के समूह में चौबीस हजार व्यक्ति थे।
9 छठा सेनापति ईरा था। ईरा छठे महीने का सेनापति था। ईरा इक्केश का पुत्र था। इक्केश तकोई नगर से था। ईरा के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे।
10 सातवाँ सेनापति हेलेस था। हेलेस सातवें महीने का सेनापति था। वह पेलोनी लोगों से था और एप्रैम का वंशज था। हेलेस के समुह में चौबीस हजार पुरुष थे।
11 सिब्बकै आठवाँ सेनापति था। सिब्बकै आठवें महीने का सेनापति था। सिब्बकै हूश से था। सिब्बकै जेरह परिवार का था। सिब्बकै के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे।
12 नवाँ सेनापति अबीएजेर था। अबीएजेर नवें महीने का सेनापति था। अबीएजेर अनातोत नगर से था। अबीएजेर बिन्यामीन के परिवार समूह का था। अबीएजेर के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे। 13 दसवाँ सेनापति महरै था। महरै दसवें महीने का सेनापति था। महरै नतोप से था। वह जेरह परिवार का था। महरै के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे।
14 ग्यारहवाँ सेनापति बनायाह था। बनायाह ग्यारहवें महीने का सेनापति था। बनायाह पिरातोन से था। बनायाह एप्रैम के परिवार समूह का था। बनायाह के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे। 15 बारहवाँ सेनापति हेल्दै था। हेल्दै बारहवें महीने का सेनापति था। हेल्दै, नतोपा, नतोप से था। हेल्दै ओत्नीएल के परिवार का था। हल्दै के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे।
परिवार समूह के प्रमुख
16 इस्राएल के परिवार समूहों के प्रमुख ये थेः
रूबेनः जिक्री का पुत्र एलीआजर।
शिमोनः माका का पुत्र शपत्याह।
17 लेवीः शमूएल का पुत्र हशव्याह।
हारूनः सादोक।
18 यहूदाः एलीहू (एलीहू दाऊद के भाईयों में से एक था।)
इस्साकारः मीकाएल का पुत्र ओम्नी।
19 जबूलूनः ओबद्याह का पुत्र यिशमायाह,
नप्तालीः अज्रीएल का पुत्र यरीमोत।
20 एप्रैमः अज्जयाह का पुत्र होशे। पश्चिमी
मनश्शेः फ़ादायाह का पुत्र योएल।
21 पूर्वी मनश्शेः जकर्याह का पुत्र इद्दो।
बिन्यामीनः अब्नेर का पुत्र यासीएल।
22 दानः यारोहाम का पुत्र अजरेल।
वे इस्राएल के परिवार समूह के प्रमुख थे।
दाऊद इस्राएलियों की गणना करता है
23 दाऊद ने इस्राएल के लोगों की गणना का निश्चय किया। वहाँ बहुत अधिक लोग थे क्योंकि परमेश्वर ने इस्राएल के लोगों को आसमान के तारों के बराबर बनाने की प्रतिज्ञा की थी। अतः दाऊद ने बीस वर्ष और उससे ऊपर के पुरुषों की गणना की। 24 सरूयाह के पुत्र योआब ने लोगों को गिनना आरम्भ किया। किन्तु उसने गणना को पूरा नहीं किया। परमेश्वर इस्राएल के लोगों पर क्रोधित हो गया। यही कारण है कि लोगों की संख्या राजा दाऊद के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखी गई।
राजा के प्रशासक
25 यह उन व्यक्तियों की सूची है जो राजा की सम्पत्ति के लिये उत्तरदायी थेः
अदीएल का पुत्र अजमावेत राजा के भण्डारों का अधीक्षक था।
उज्जीय्याह का पुत्र यहोनातान छोटे नगरों के भण्डारों, गाँव, खेतों और मीनारों का अधीक्षक था।
26 कलूब का पुत्र एज्री कृषि—मजदूरों का अधीक्षक था।
27 शिमी अंगूर के खेतों का अधीक्षक था। शिमी रामा नगर का था।
जब्दी अंगूर के खेतों से आने वाली दाखमधु की देखभाल और भंडारण करने का अधीक्षक था। जब्दी शापाम का था।
28 बाल्हानान पश्चिमी पहाड़ी प्रदेश में जैदून और देवदार वृक्षों का अधीक्षक था।
बाल्हानान गदेर का था। योआश जैतून के तेल के भंडारण का अधीक्षक था।
29 शित्रै शारोन क्षेत्र में पशूओं का अधीक्षक था। शित्रै शारोन क्षेत्र का था।
अदलै का पुत्र शापात घाटियों में पशुओं का अधीक्षक था।
30 ओबील ऊँटों का अधीक्षक था। ओबील इश्माएली था।
येहदयाह गधों का अधीक्षक था। येहदयाह एक मेरोनोतवासी था।
31 याजीज भेड़ों का अधीक्षक था। याजीज हग्री लोगों में से था।
ये सभी व्यक्ति वे प्रमुख थे जो दाऊद की सम्पत्ति की देखभाल करते थे।
32 योनातान एक बुद्धिमान सलाहकार और शास्त्री था। योनातान दाऊद का चाचा था। हक्मोन का पुत्र एहीएल राजा के पुत्रों की देखभाल करता था। 33 अहीतोपेल राजा का सलाहकार था। हुशै राजा का मित्र था। हुशै एरेकी लोगों में से था। 34 बाद में यहोयादा और एब्यातार ने राजा के सलाहकार के रूप में अहीतोपेल का स्थान लिया। यहोयादा बनायाह का पुत्र था। योआब राजा की सेना का सेनापति था।
विश्वास और परमेश्वर का वचन
13 इब्राहीम या उसके वंशजों को यह वचन कि वे संसार के उत्तराधिकारी होंगे, व्यवस्था से नहीं मिला था बल्कि उस धार्मिकता से मिला था जो विश्वास के द्वारा उत्पन्न होती है। 14 यदि जो व्यवस्था को मानते है, वे जगत के उत्तराधिकारी हैं तो विश्वास का कोई अर्थ नहीं रहता और वचन भी बेकार हो जाता है। 15 लोगों द्वारा व्यवस्था का पालन नहीं किये जाने से परमेश्वर का क्रोध उपजता है किन्तु जहाँ व्यवस्था ही नहीं है वहाँ व्यवस्था का तोड़ना ही क्या?
16 इसलिए सिद्ध है कि परमेश्वर का वचन विश्वास का फल है और यह सेंतमेत में ही मिलता है। इस प्रकार उसका वचन इब्राहीम के सभी वंशजों के लिए सुनिश्चित है, न केवल उनके लिये जो व्यवस्था को मानते हैं बल्कि उन सब के लिये भी जो इब्राहीम के समान विश्वास रखते है। वह हम सब का पिता है। 17 शास्त्र बताता है, “मैंने तुझे (इब्राहीम) अनेक राष्ट्रों का पिता बनाया।”(A) उस परमेश्वर की दृष्टि में वह इब्राहीम हमारा पिता है जिस पर उसका विश्वास है। परमेश्वर जो मरे हुए को जीवन देता है और जो नहीं है, जो अस्तित्व देता है।
18 सभी मानवीय आशाओं के विरुद्ध अपने मन में आशा सँजोये हुए इब्राहीम ने उसमें विश्वास किया, इसलिए वह कहे गये के अनुसार अनेक राष्ट्रों का पिता बना। “तेरे अनगिनत वंशज होंगे।”(B) 19 अपने विश्वास को बिना डगमगाये और यह जानते हुए भी कि उसकी देह सौ साल की बूड़ी मरियल हो चुकी है और सारा बाँझ है, 20 परमेश्वर के वचन में विश्वास बनाये रखा। इतना ही नहीं, विश्वास को और मज़बूत करते हुए परमेश्वर को महिमा दी। 21 उसे पूरा भरोसा था कि परमेश्वर ने उसे जो वचन दिया है, उसे पूरा करने में वह पूरी तरह समर्थ है। 22 इसलिए, “यह विश्वास उसके लिये धार्मिकता गिना गया।”(C) 23 शास्त्र का यह वचन कि विश्वास उसके लिये धार्मिकता गिना गया, न केवल उसके लिये है, 24 बल्कि हमारे लिये भी है। परमेश्वर हमें, जो उसमें विश्वास रखते हैं, धार्मिकता स्वीकार करेगा। उसने हमारे प्रभु यीशु को फिर से जीवित किया। 25 यीशु जिसे हमारे पापों के लिए मारे जाने को सौंपा गया और हमें धर्मी बनाने के लिए मरे हुओं में से पूनःजीवित किया गया।
परमेश्वर का प्रेम
5 क्योंकि हम अपने विश्वास के कारण परमेश्वर के लिए धर्मी हो गये है, सो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमारा परमेश्वर से मेल हो गया है। 2 उसी के द्वारा विश्वास के कारण उसकी जिस अनुग्रह में हमारी स्थिति है, उस तक हमारी पहुँच हो गयी है। और हम परमेश्वर की महिमा का कोई अंश पाने की आशा का आनन्द लेते हैं। 3 इतना ही नहीं, हम अपनी विपत्तियों में भी आनन्द लेते हैं। क्योंकि हम जानते हैं कि विपत्ति धीरज को जन्म देती है। 4 और धीरज से परखा हुआ चरित्र निकलता है। परखा हुआ चरित्र आशा को जन्म देता है। 5 और आशा हमें निराश नहीं होने देती क्योंकि पवित्र आत्मा के द्वारा, जो हमें दिया गया है, परमेश्वर का प्रेम हमारे हृदय में उँडेल दिया गया है।
संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का पद।
1 मूर्ख अपने मनमें कहता है, “परमेश्वर नहीं है।”
मूर्ख जन तो ऐसे कार्य करते हैं जो भ्रष्ट और घृणित होते हैं।
उनमें से कोई भी भले काम नहीं करता है।
2 यहोवा आकाश से नीचे लोगों को देखता है,
कि कोई विवेकी जन उसे मिल जाये।
विवेकी मनुष्य परमेश्वर की ओर सहायता पाने के लिये मुड़ता है।
3 किन्तु परमेश्वर से मुड़ कर सभी दूर हो गये हैं।
आपस में मिल कर सभी लोग पापी हो गये हैं।
कोई भी जन अच्छे कर्म नहीं कर रहा है!
4 मेरे लोगों को दुष्टों ने नष्ट कर दिया है। वे दुर्जन परमेश्वर को नहीं जानते हैं।
दुष्टों के पास खाने के लिये भरपूर भोजन है।
ये जन यहोवा की उपासना नहीं करते।
5 ये दुष्ट मनुष्य निर्धन की सम्मति सुनना नहीं चाहते।
ऐसा क्यों है? क्योंकि दीन जन तो परमेश्वर पर निर्भर है।
6 किन्तु दुष्ट लोगों पर भय छा गया है।
क्यों? क्योंकि परमेश्वर खरे लोगों के साथ है।
7 सिय्योन पर कौन जो इस्राएल को बचाता है? वह तो यहोवा है,
जो इस्राएल की रक्षा करता है!
यहोवा के लोगों को दूर ले जाया गया और उन्हें बलपूर्वक बन्दी बनाया गया।
किन्तु यहोवा अपने भक्तों को वापस छुड़ा लायेगा।
तब याकूब (इस्राएल) अति प्रसन्न होगा।
17 गरीब पर कृपा दिखाना यहोवा को उधार देना है, यहोवा उसे, उसके इस कर्म का प्रतिफल देगा।
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