The Daily Audio Bible
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37 तब दाऊद ने आसाप और उसके भाईयों को वहाँ यहोवा के साक्षीपत्र के सन्दूक के सामने छोड़ा। दाऊद ने उन्हें उसके सामने प्रतिदिन सेवा करने के लिये छोड़ा। 38 दाऊद ने आसाप और उसके भाईयों के साथ सेवा करने के लिये ओबेदेदोन और अन्य अड़सठ लेवीवंशियों को छोड़ा। ओबेदेदोम और यदूतून रक्षक थे। ओबेदेदोम यदूतून का पुत्र था।
39 दाऊद ने याजक सादोक और अन्य याजकों को जो गिबोन में उच्च स्थान पर यहोवा के तम्बू के सामने उसके साथ सेवा करते थे, छोड़ा। 40 हर सुबह शाम सादोक तथा अन्य याजक होमबिल की वेदी पर होमबलि चढ़ाते थे। वे यह यहोवा के व्यवस्था में लिखे गए उन नियमों का पालन करने के लिये करते थे जिन्हें यहोवा ने इस्राएल को दिया था। 41 हेमान और यदूतून तथा सभी अन्य लेवीवंशी यहोवा का स्तुतिगान करने के लिये नाम लेकर चुने गये थे क्योंकि यहोवा का प्रेम सदैव बना रहता है! 42 हेमान और यदूतून उनके साथ थे। उनका काम तुरही और मँजीरा बजाना था। वे अन्य संगीत वाद्य बजाने का काम भी करते थे, जब परमेश्वर की स्तुति के गीत गाये जाते थे। यदूतून का पुत्र द्वार की रखवाली करता था।
43 उत्सव मनाने के बाद, सभी लोग चले गए। हर एक व्यक्ति अपने अपने घर चला गया और दाऊद भी अपने परिवार को आशीर्वाद देकर अपने घर गया।
परमेश्वर ने दाऊद को वचन दिया
17 दाऊद ने अपने घर चले जाने के बाद नातान नबी से कहा, “देखो, मैं देवदारू से बने घर में रह रहा हूँ, किन्तु यहोवा का साक्षीपत्र का सन्दूक तम्बू में रखा है। मैं परमेश्वर के लिये एक मन्दिर बनाना चाहता हूँ।”
2 नातान ने दाऊद को उत्तर दिया, “तुम जो कुछ करना चाहते हो, कर सकते हो। परमेश्वर तुम्हारे साथ है।”
3 किन्तु परमेश्वर का सन्देश उस रात नातान को मिला। 4 परमेश्वर ने कहा,
“जाओ और मेरे सेवक दाऊद से यह कहोः यहोवा यह कहता है, ‘दाऊद, तुम मेरे रहने के लिये गृह नहीं बनाओगे। 5-6 जब से मैं इस्राएल को मिस्र से बाहर लाया तब से अब तक, मैं गृह में नहीं रहा हूँ। मैं एक तम्बू में चारों ओर घूमता रहा हूँ। मैंने इस्राएल के लोगों का विशेष प्रमुख बनने के लिये लोगों को चुना। वे प्रमुख मेरे लोगों के लिये गड़रिये के समान थे। जिस समय मैं इस्राएल में विभिन्न स्थानों पर चारों ओर घूम रहा था, उस समय मैंने किसी प्रमुख से यह नहीं कहाः तुमने मेरे लिये देवदारू वृक्ष का गृह क्यों नहीं बनाया है?’
7 “अब, तुम मेरे सेवक दाऊद से कहोः सर्वशक्तिमान यहोवा तुमसे कहता है, ‘मैंने तुमको मैदानों से और भेड़ों की देखभाल करने से हटाया। मैंने तुमको अपने इस्राएली लोगों का शासक बनाया। 8 तुम जहाँ गए, मैं तुम्हारे साथ रहा। मैं तुम्हारे आगे—आगे चला और मैंने तुम्हारे शत्रुओं को मारा। अब मैं तुम्हें पृथ्वी पर सर्वाधिक प्रसिद्ध व्यक्तियों में से एक बना रहा हूँ। 9 मैं यह स्थान अपने इस्राएल के लोगों को दे रहा हूँ। वे वहाँ अपने वृक्ष लगायेंगे और वे उन वृक्षों के नीचे शान्ति के साथ बैठेंगे। वे अब आगे और परेशान नहीं किये जाएंगे। बुरे लोग उन्हें वैसे चोट नहीं पहुँचाऐंगे जैसा उन्होंने पहले पुहँचाया था। 10 वे बुरी बातें हुईं, किन्तु मैंने अपने इस्राएली लोगों की रक्षा के लिये प्रमुख चुने और मैं तुम्हारे सभी शत्रओं को भी हराऊँगा।
“‘मैं तुमसे कहता हूँ कि यहोवा तुम्हारे लिये एक घराना बनाएग।[a] 11 जब तुम मरोगे और अपने पूर्वजों से जा मिलोगे, तब तुम्हारे निज पुत्र को नया राजा होने दूँगा। नया राजा तुम्हारे पुत्रों में से एक होगा और मैं राज्य को शक्तिशाली बनाऊँगा। 12 तुम्हारा पुत्र मेरे लिये एक गृह बनाएगा। मैं तुम्हारे पुत्र के परिवार को सदा के लिये शासक बनाऊँगा। 13 मैं उसका पिता बनूँगा और वह मेरा पुत्र होगा। शाऊल तुम्हारे पहले राजा था और मैंने शाऊल से अपनी सहायता हटा ली किन्तु मैं तुम्हारे पुत्र से प्रेम करना कभी कम नहीं करूँगा। 14 मैं उसे सदा के लिये अपने घर और राज्य का संरक्षक बनाऊँगा। उसका शासन सदैव चलता रहेगा!’”
15 नातान ने अपने इस दर्शन और परमेश्वर ने जो सभी बातें कही थीं उनके विषय में दाऊद से कहा।
दाऊद की प्रार्थना
16 तब दाऊद पवित्र तम्बू में गया और यहोवा के सामने बैठा। दाऊद ने कहा,
“यहोवा परमेश्वर, तूने मेरे लिये और मेरे परिवार के लिये इतना अधिक किया है और मैं नहीं समझता कि क्यों 17 उन बातों के अतिरिक्त, तू मुझे बता कि भविष्य में मेरे परिवार पर क्या घटित होगा। तूने मरे प्रति एक अत्यन्त महत्वपूर्ण व्यक्ति जैसा व्यवहार किया है। 18 मैं और अधिक क्या कह सकता हूँ? तूने मेरे लिये इतना अधिक किया है और मैं केवल तेरा सेवक हूँ। यह तू जानता है। 19 यहोवा, तूने यह अद्भुत कार्य मेरे लिए किया है और यह तूने किया क्योंकि तू करना चाहता था। 20 यहोवा, तेरे समान और कोई नहीं है। तेरे अतिरिक्त कोई परमेश्वर नहीं है। हम लोगों ने कभी किसी देवता को ऐसे अद्भूत कार्य करते नहीं सुना है! 21 क्या इस्राएल के समान अन्य कोई राष्ट्र है? नहीं! इस्राएल ही पृथ्वी पर एकमात्र राष्ट्र है जिसके लिये तूने यह अद्भूत कार्य किया। तूने हमे मिस्र से बाहर निकाला और हमें स्वतन्त्र किया। तूने अपने को प्रसिद्ध किया। तू अपने लोगों के सामने आया और अन्य लोगों को हमारे लिये भूमि छोड़ने को विवश किया। 22 तूने इस्राएली को सदा के लिये अपना बनाया और यहोवा तू उसका परमेश्वर हुआ!
23 “यहोवा, तूने यह प्रतिज्ञा मुझसे और मेरे परिवार से की है। अब से तू सदा के लिये इस प्रतिज्ञा को बनाये रख। वह कर जो तूने करने को कहा! 24 अपनी प्रतिज्ञा को पूरा कर। जिससे लोग तेरे नाम का सम्मान सदा के लिये कर सकें। लोग कहेंगे, ‘सर्वशक्तिशाली यहोवा इस्राएल का परमेश्वर है!’ मैं तेरा सेवक हूँ! कृपया मेरे परिवार को शक्तिशाली होने दे और वह तेरी सेवा सदा करता रहे।
25 “मेरे परमेश्वर, तूने मुझसे (अपने सेवक) कहा, कि तू मेरे परिवार को एक राजपरिवार बनायेगा। इसलिये मैं तेरे सामने इतना निडर हो रहा हूँ, इसीलिए मैं तुझसे ये सब चीजें करने के लिये कह रहा हूँ। 26 यहोवा, तू परमेश्वर है और परमेश्वर तूने इन अच्छी चीजों की प्रतिज्ञा मेरे लिये की है। 27 यहोवा, तू मेरे परिवार को आशीष देने में इतना अदिक दयालू रहा है। तूने प्रतिज्ञा की, कि मेरा परिवार तेरी सेवा सदैव करता रहेगा। यहोवा तूने मेरे परिवार को आशीष दी है, अतः मेरा परिवार सदा आशीष पाएगा!”
दाऊद विभिन्न राष्ट्रों को जीत लेता है
18 बाद में दाऊद ने पलिश्ती लोगों पर आक्रमण किया। उसने उन्हें हराया। उसने गत नगर और उसके चारों ओर के नगरों को पलिश्ती लोगों से जीत लिया।
2 तब दाऊद ने मोआब देश को हराया। मोआबी लोग दाऊद के सेवक बन गए। वे दाऊद के पास भेटें लाए।
3 दाऊद हदरेजेर की सेना के विरुद्ध भी लड़ा। हदरेजेर सोबा का राजा था। दाऊद उस सेना के विरुद्ध लड़ा। दाऊद लगातार हमात नगर तक उस सेना से लड़ा। दाऊद ने यह इसलिये किया कि हदरेजेर ने आपने राज्य को लगातार परात नदी तक फैलाना चाहा। 4 दाऊद ने हदरेजेर के एक हजार रथ, सात हजार सारथी और बीस हजार सैनिक लिये। दाऊद ने हदरेजेर के अधिकांश घोड़ों को अंग—भंग कर दिया जो रथ खींचते थे। किन्तु दाऊद ने सौ रथों को खींचने के लिये पर्याप्त घोड़े बचा लिये।
5 दमिश्क नगर से अरामी लोग हदरेजेर की सहायता करने के लिये आए। हदरेजेर सोबा का राजा था। किन्तु दाऊद ने बाईस हजार अरामी सैनिकों को पराजित किया और मार डाला। 6 तब दाऊद ने दमिश्क नगर में किले बनवाए। अरामी लोग दाउद के सेवक बन गए और उसके पास भेंटे लेकर आये। अतः यहोवा ने दाऊद को, जहाँ कहीं वह गया, विजय दी।
7 दाऊद ने हदरेजेर के सेनापतियों से सोने की ढालें लीं और उन्हें यरूशलेम ले आया। 8 दाऊद ने तिभत औ कून नगरों से अत्याधिक काँसा प्राप्त किया। वे नगर हदरेजेर के थे। बाद में, सुलैमान ने इस काँसे का उपयोग काँसे की होदे, काँसे के स्तम्भ और वे अन्य चीजें बनाने में किया जो मन्दिर के लिये काँसे से बनी थीं।
9 तोऊ हमात नगर का राजा था। हदरेजेर सोबा का राजा था। तोऊ ने सुना कि दाऊद ने हदरेजेर की सारी सेना को पराजित कर दिया। 10 अतः तोऊ ने अपने पुत्र हदोराम को राजा दाऊद के पास शान्ति की याचना करने और आशीर्वाद पाने के लिये भेजा। उसने यह किया क्योंकि दाऊद ने हदरेजेर के विरुद्ध युद्ध किया था और उसे हराया था। पहले हदरेजेर ने तोऊ से युद्ध किया था। हदोराम ने दाऊद को हर एक प्रकार की सोने, चाँदी और काँसे से बनी चीजें दीं। 11 राजा दाऊद ने उन चीजों को पवित्र बनाया और यहोवा को दिया। दाऊद ने ऐसा उस सारे चाँदी, सोने के साथ किया जिसे उसने एदोमी, मोआबी, अम्मोनी पलिश्ती और अमालेकी लोगों से प्राप्त किया था।
12 सरुयाह के पुत्र अबीशै ने नमक घाटी में अट्ठारह हजार एदोमी लोगों को मारा। 13 अबीशै ने एदोम में किले बनाए और सभी एदोमी लोग दाऊद के सेवक हो गए। दाऊद जहाँ कही भी गया, यहोवा ने उसे विजय दी।
दाऊद के महत्वपूर्ण अधिकारी
14 दाऊद पूरे इस्राएल का राजा था। उसने वही किया जो सबके लिये उचित और न्यायपूर्ण था। 15 सरुयाह का पुत्र योआब, दाऊद की सेना का सेनापति था। अहीलूद के पुत्र यहोशापात ने उन कामों के विषय में लिखा जो दाऊद ने किये। 16 सादोक और अबीमेलेक याजक थे। सादोक अहीतूब का पुत्र था और अबीमेलेक एब्यातार का पुत्र था। शबशा शास्त्री था। 17 बनायाह करेतियों और पलेती[b] लोगों के मार्गदर्शन का उत्तरदायी था बनायाह यहोयादा का पुत्र था और दाऊद के पुत्र विशेष अधिकारी थे। वे राजा दाऊद के साथ सेवारत थे।
तुम लोग भी पापी हो
2 सो, न्याय करने वाले मेरे मित्र तू चाहे कोई भी है, तेरे पास कोई बहाना नहीं है क्योंकि जिस बात के लिये तू किसी दूसरे को दोषी मानता है, उसी से तू अपने आपको भी अपराधी सिद्ध करता है क्योंकि तू जिन कर्मों का न्याय करता है उन्हें आप भी करता है। 2 अब हम यह जानते हैं कि जो लोग ऐसे काम करते हैं उन्हें परमेश्वर का उचित दण्ड मिलता है। 3 किन्तु हे मेरे मित्र क्या तू सोचता है कि तू जिन कामों के लिए दूसरों को अपराधी ठहराता है और अपने आप वैसे ही काम करता है तो क्या तू सोचता है कि तू परमेश्वर के न्याय से बच जायेगा। 4 या तू उसके महान अनुग्रह, सहनशक्ति और धैर्य को हीन समझता है? और इस बात की उपेक्षा करता है कि उसकी करुणा तुझे प्रायश्चित्त की तरफ़ ले जाती है।
5 किन्तु अपनी कठोरता और कभी पछतावा नहीं करने वाले मन के कारण उसके क्रोध को अपने लिए उस दिन के वास्ते इकट्ठा कर रहा है जब परमेश्वर का सच्चा न्याय प्रकट होगा। 6 परमेश्वर हर किसी को उसके कर्मों के अनुसार फल देगा। 7 जो लगातार अच्छे काम करते हुए महिमा, आदर और अमरता की खोज में हैं, उन्हें वह बदले में अनन्त जीवन देगा। 8 किन्तु जो अपने स्वार्थीपन से सत्य पर नहीं चल कर अधर्म पर चलते हैं उन्हें बदले में क्रोध और प्रकोप मिलेगा। 9 हर उस मनुष्य पर दुःख और संकट आएंगे जो बुराई पर चलता है। पहले यहूदी पर और फिर ग़ैर यहूदी पर। 10 और जो कोई अच्छाई पर चलता है उसे महिमा, आदर और शांति मिलेगी। पहले यहूदी को और फिर ग़ैर यहूदी को 11 क्योंकि परमेश्वर किसी का पक्षपात नहीं करता।
12 जिन्होंने व्यवस्था को पाये बिना पाप किये, वे व्यवस्था से बाहर रहते हुए नष्ट होंगे। और जिन्होंने व्यवस्था में रहते हुए पाप किये उन्हें व्यवस्था के अनुसार ही दण्ड मिलेगा। 13 क्योंकि वे जो केवल व्यवस्था की कथा सुनते हैं परमेश्वर की दृष्टि में धर्मी नहीं है। बल्कि जो व्यवस्था पर चलते है वे ही धर्मी ठहराये जायेंगे।
14 सो जब ग़ैर यहूदी लोग जिनके पास व्यवस्था नहीं है स्वभाव से ही व्यवस्था की बातों पर चलते हैं तो चाहे उनके पास व्यवस्था नहीं है तो भी वे अपनी व्यवस्था आप हैं। 15 वे अपने मन पर लिखे हुए, व्यवस्था के कर्मों को दिखाते हैं। उनका विवेक भी इसकी ही साक्षी देता है और उनका मानसिक संघर्ष उन्हें अपराधी बताता है या निर्दोष कहता है।
16 ये बातें उस दिन होंगी जब परमेश्वर मनुष्य की छूपी बातों का, जिसका मैं उपदेश देता हूँ उस सुसमाचार के अनुसार यीशु मसीह के द्वारा न्याय करेगा।
यहूदी और व्यवस्था
17 किन्तु यदि तू अपने आप को यहूदी कहता है और व्यवस्था में तेरा विश्वास है और अपने परमेश्वर का तुझे अभिमान है 18 और तू उसकी इच्छा को जानता है और उत्तम बातों को ग्रहण करता है, क्योंकि व्यवस्था से तुझे सिखाया गया है, 19 तू यह मानता है कि तू अंधों का अगुआ है, जो अंधेरे में भटक रहे हैं उनके लिये तू प्रकाश है, 20 अबोध लोगों को सिखाने वाला है, बच्चों का उपदेशक है क्योंकि व्यवस्था में तुझे साक्षात् ज्ञान और सत्य ठोस रूप में प्राप्त है, 21 तो तू जो औरों को सिखाता है, अपने को क्यों नहीं सिखाता। तू जो चोरी नहीं करने का उपदेश देता है, स्वयं चोरी क्यों करता है? 22 तू जो कहता है व्यभिचार नहीं करना चाहिये, स्वयं व्यभिचार क्यों करता है? तू जो मूर्तियों से घृणा करता है मन्दिरों का धन क्यों छीनता है? 23 तू जो व्यवस्था का अभिमानी है, व्यवस्था को तोड़ कर परमेश्वर का निरादर क्यों करता है? 24 “तुम्हारे कारण ही ग़ैर यहूदियों में परमेश्वर के नाम का अपमान होता है?” जैसा कि शास्त्र में लिखा है।
16 तू उन्हें अपनी धरती से ढकेल बाहर कर
17 हे यहोवा, दीन दु:खी लोग जो चाहते हैं वह तूने सुन ली।
उनकी प्रार्थनाएँ सुन और उन्हें पूरा कर जिनको वे माँगते हैं!
18 हे यहोवा, अनाथ बच्चों की तू रक्षा कर।
दु:खी जनों को और अधिक दु:ख मत पाने दे।
दुष्ट जनों को तू इतना भयभीत कर दे कि वे यहाँ न टिक पायें।
8 जो ज्ञान पाता है वह अपने ही प्राण से प्रीति रखता, वह जो समझ बूझ बढ़ाता रहता है फलता और फूलता है।
9 झूठा गवाह दण्ड पाये बिना नहीं बचेगा, और वह, जो झूठ उगलता रहता है ध्वस्त हो जायेगा।
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