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The Daily Audio Bible

This reading plan is provided by Brian Hardin from Daily Audio Bible.
Duration: 731 days

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Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
1 इतिहास 11:1-12:18

दाऊद इस्राएल का राजा होता है

11 इस्राएल के सभी लोग हेब्रोन नगर में दाऊद के पास आए। उन्होंने दाऊद से कहा, “हम तुम्हारे ही रक्त माँस हैं। अतीत में, तुमने युद्ध में हमारा संचालन किया। तुमने हमारा तब भी संचालन किया जब शाऊल राजा था। हे दाऊद, यहोवा ने तुझ से कहा, तुम मेरे लोगों अर्थात् इस्राएल के लोगों के गड़रिया हो। तूम मेरे लोगों के ऊपर शासक होगे।”

इस्राएल के सभी प्रमुख दाऊद के पास हेब्रोन नगर में आए। दाऊद ने हेब्रोन में उन प्रमुखों के साथ यहोवा के सामने एक वाचा की। प्रमुखों ने दाऊद का अभिषेक किया। इस प्रकार उसे इस्राएल का राजा बनाया गया। यहोवा ने वचन दिया था कि यह होगा। यहोवा ने शमूएल का उपयोग यह वचन देने के लिये किया था।

दाऊद यरूशलेम पर अधिकार करता है

दाऊद और इस्राएल के सभी लोग यरूशलेम नगर को गए। यरूशलेम उन दिनों यबूस कहा जाता था। उस नगर में रहने वाले लोग यबूसी कहे जाते थे। उस नगर के निवासियों ने दाऊद से कहा, “तुम हमारे नगर के भीतर प्रवेश नहीं कर सकते।” किन्तु दाऊद ने उन लोगों को पराजित कर दिया। दाऊद ने सिय्योन के किले पर अधिकार कर लिया। यह स्थान “दाऊद नगर” बना।

दाऊद ने कहा, “वह व्यक्ति जो यबूसी लोगों पर आक्रमण का संचालन करेगा, मेरी पूरी सेना का सेनापति होगा।” अतः योआब ने आक्रमण का संचालन किया। योआब सरूयाह का पुत्र था। योआब सेना का सेनापति हो गया।

तब दाऊद ने किले में अपना महल बनाया। यही कारण है उसका नाम दाऊद नगर पड़ा। दाऊद ने किले के चारों ओर नगर बसाया। उसने इसे मिल्लो से नगर के चारों ओर की दीवार तक बसाया। योआब ने नगर के अन्य भागों की मरम्मत की। दाऊद महान बनता गया। सर्वशक्तिमान यहोवा उसके साथ था।

दाऊद के विशिष्ठ वीर

10 दाऊद के विशिष्ठ वीरों के ऊपर के प्रमुखों की यह सूची हैः ये वीर दाऊद के साथ उसके राज्य में बहुत शक्तिशाली बन गये। उन्होंने और इस्राएल के सभी लोगों ने दाऊद की सहायाता की और उसे राजा बनाया। यह ठीक वैसा ही हुआ जैसा परमेश्वर ने वचन दिया था।

11 यह दाऊद के विशिष्ठ वीरों की सूची हैः

यशोबाम हक्मोनी लोगों में से था। यशोबाम रथ अधिकारियों[a] का प्रमुख था। यशोबाम ने अपने भाले का उपयोग तीन सौ व्यक्तियों से युद्ध करने के लिये किया। उसने एक ही बार में उन तीन सौ व्यक्तियों को मार डाला।

12 एलीआजार दाऊद के विशिष्ठ वीरों में दूसरा था। एलीआजार दोदो का पुत्र था। दोदो अहोही से था। एलीआजार तीन वीरों में से एक था। 13 एलीआजर पसदम्मीम में दाऊद के साथ था। पलिश्ती लोग उस स्थान पर युद्ध करने आये। उस स्थान पर एक जौ से भरा खेत था। वही स्थान, जहाँ इस्राएली लोग पलिश्ती लोगों से भागे थे। 14 किन्तु वे तीन वीर उस खेत के बीच रुक गए थे और पलिश्तियों से लड़े तथा उन्हें हरा डाला था और इस प्रकार यहोवा ने इस्राएलियों को बड़ी विजय दी थी।

15 एक बार, दाऊद अदुल्लाम गुफा के पास था और पलिश्ती सेना नीचे रपाईम की घाटी में थी। तीस वीरों में से तीन वीर उस गुफा तक, लगातार रेंगते हुए दाऊद के पास पहुँचे।

16 अन्य अवसर पर, दाऊद किले में था, और पलिश्ती सेना का एक समूह बेतलेहेम में था। 17 दाऊद प्यासा था। अतः उसने कहा, “मैं चाहता हूँ कि मुझे कोई थोड़ा पानी बेतलेहेम में नगर द्वार के पास के कुएँ से दे।”[b] दाऊद सचमुच यह नहीं चाहता था। वह केवल बात कर रहा था। 18 तब तीन वीरों ने पलिश्ती सेना के बीच से युद्ध करते हुए अपना रास्ता बनाया और नगर—द्वार के निकट बेतलेहेम के कुएँ से पानी लिया। तीनों वीर दाऊद के पास पानी ले गए। किन्तु दाऊद ने पानी पीने से इन्कार कर दिया। उसने पानी को यहोवा के नाम पर अर्पण कर, उण्डेल दिया। 19 दाऊद ने कहा, “परमेश्वर, मैं इस पानी को नहीं पी सकता। इन व्यक्तियों ने मेरे लिये इस पानी को लाने में अपने जीवन को खतरे में डाला। अतः यदि मैं इस पानी को पीता हूँ तो यह उनका खून पीने के समान होगा।” इसलिये दाऊद ने उस जल को पीने से इन्कार किया। तीनों वीरों ने उस तरह के बहुत से वीरता के काम किये।

अन्य वीर योद्धा

20 योआब का भाई, अबीशै, तीन वीरों का प्रमुख था। वह अपने भाले से तीन सौ व्यक्तियों से लड़ा और उन्हें मार डाला। अबीशै तीन वीरों की तरह प्रसिद्ध हो गाया। 21 अबीशै तीस विरों से अधिक प्रसिद्ध था। वह उनका प्रमुख हो गया, यद्यपि वह तीन प्रमुख वीरों में से नहीं था।

22 यहोयादा का पुत्र बनायाह, कबजेल का एक वीर योद्धा था। बनायाह ने बड़े पराक्रम किये। उसने मोआब देश के दो सर्वोत्तम व्यक्तियों को मार डाला। वह जमीन के अन्दर एक माँद में घुसा और वहाँ एक शेर को भी मार डाला। वह उस दिन हुआ जब बर्फ गिर रही थी। 23 बनायाह ने मिस्र के एक व्यक्ति को मार डाला। वह व्यक्ति लगभग पाँच हाथ ऊँचा था। उस मिस्र के पुरुष के पास एक बहुत बड़ा और भारी भाला था। यह बुनकर के करघे के विशाल डण्डे के समान था और बनायाह के पास केवल एक लाठी थी। किन्तु बनायाह ने मिस्री से भाला छीन लिया। बनायाह ने मिस्री के अपने भाले का उपयोग किया और उसे मार डाला। 24 ये कार्य थे जिन्हें योहयादा के पुत्र बनायह ने किये। बनायाह तीन वीरों की तरह प्रसिद्ध हुआ। 25 बनायाह तीस वीरों में सबसे अधिक प्रसिद्ध था, किन्तु वह तीन प्रमुख वीरों में सम्मिलित नहीं किया गया। दाऊद ने बनायाह को अपने अंगरक्षकों का प्रमुख चुना।

तीस वीर

26 बलिष्ठ वीर (तीस वीर) ये थेः

असाहेल, योआब का भाई,

एल्हानान, दोदो का पुत्र एल्हानान बेतलेहेम नगर का थाः

27 हरोरी लोगों में से शम्मोत,

पलोनी लोगों में से हेलेस;

28 इक्केश का पुत्र, ईरा, ईरा तकोई नगर का था,

अनातोत नगर का अबीएजेर;

29 होसाती लोगों में से सिब्बके,

अहोही से ईलै,

30 नतोपाई लोगों में से महरै;

बाना का पुत्र हेलेद नतोपाई लोगों में से था;

31 रीबै का पुत्र इतै, इतै बिन्यामीन के गिबा नगर से था,

पिरातोनी लोगों में से बनायाह;

32 गाश घाटीयों से हूरै;

अराबा लोगों में से अबीएल,

33 बहूरीमी लोगों में से अजमावेत;

शल्बोनी लोगों में से एल्याबा;

34 हाशेम के पुत्र गीजोई हाशेम लोगों में से था;

शागे का पुत्र योनातान, योनातान हरारी लोगों मे से था;

35 सकार का पुत्र अहीआम, अहीआम हरारी लोगों में से था;

ऊर का पुत्र एलीपाल;

36 मेकराई लोगों में से हेपेर;

पलोनी लोगों में से अहिय्याह;

37 कर्मेली लोगों में से हेस्रो,

एज्बै का पुत्र नारै;

38 नातान का भाई योएल;

हग्री का पुत्र मिभार;

39 अम्मोनी लोगों में से सेलेक,

बेरोती नहरै (नहरै योआब का कवचवाहक था। योआब सरूयाह का पुत्र था)

40 येतेरी लोगों में से ईरा;

इथ्री लोगों में से गारेब;

41 हित्ती लोगों में से ऊरिय्याह;

अहलै का पुत्र जाबाद;

42 शीजा का पुत्र अदीना, शीजा रूबेन के परिवार समूह से था (अदीना रूबेन के परिवार समूह का प्रमुख था। परन्तु वह भी अपने साथ के तीस वीरों में से एक था।)

43 माका का पुत्र हानान;

मेतेनी लोगों में से योशापात;

44 अशतारोती लोगों में से उज्जिय्याह;

होताम के पुत्र शामा और यीएल, होताम अरोएरी लोगों में से था;

45 शिम्री का पुत्र यदीएल;

तीसी लोगों से योहा, योहा यदीएल का भाई था;

46 महवीमी लोगों में से एलीएल;

एलनाम के पुत्र यरीबै और योशव्याह;

मोआबी लोगों में से यित्मा;

47 मसोबाई लोगों में से एलीएल; ओबेद; और यासीएल।

वे वीर पुरुष जो दाऊद के साथ हुए

12 यह उन पुरुषों की सूची है जो दाऊद के पास आए। जब दाऊद सिकलग नगर में था। दाऊद तब भी कीश के पुत्र शाऊल से अपने को छिपा रहा था। इन पुरुषों ने दाऊद को युद्ध में सहायता दी थी। ये व्यक्ति अपने दायें या बायें हाथ से धनुष से बाण द्वारा बेध सकते थे। अपनी गुलेल से दायें या बांये हाथ से पत्थर फेंक सकते थे। वे बिन्यामीन परिवार समूह के शाऊल के सम्बन्धी थे। उनके नाम ये थेः

उनका प्रमुख अहीएजेर और योआज (अहीएजेर और योआज शमाआ के पुत्र थे।) शमाआ गिबावासी लोगों में से था। यजीएल और पेलेत (यजीएल और पेलेत अजमावेत के पुत्र थे।), अनातोती नगर के बराका और येहू। गिबोनी नगर का यिशमायाह; (यिशमायाह तीनों वीरों के साथ एक वीर था और वह तीन वीरों का प्रमुख भी था।); गदेरा लोगों में से यिर्मयाह, यहजीएल, योहानान और योजाबाद; एलूजै, यरीमोत बाल्याह, और शमर्याह; हारुपी से शपत्याह; कोरह परिवार समूह से एल्काना, यिशिय्याह; अजरेल, योएजेर और याशोबाम सभी; गदोर नगर से यरोहाम के पुत्र योएला और जबद्याह।

गादी लोग

गाद के परिवार समूह का एक भाग मरुभूमि में दाऊद से उसके किले में आ मिला। वे युद्ध के लिये प्रशिक्षित सैनिक थे। वे भाले और ढाल के उपयोग में कुशल थे। वे सिंह की तरह भयानक दिखते थे और वे हिरन की तरह पहाड़ों में दौड़ सकते थे।

गाद के परिवार समूह की सेना का प्रमुख एजेर था। ओबद्याह अधिकार में दूसरा था। एलीआब अधिकार में तीसरा था। 10 मिश्मन्ना अधिकार में चौथा था। यिर्मयाह अधिकार में पाँचवाँ था। 11 अत्तै अधिकार में छठा था। एलीएल अधिकार में सातवाँ था। 12 योहानान अधिकार में आठवाँ था। एलजाबाद अधिकार में नवाँ था। 13 यिर्मयाह अधिकार में दसवाँ था। मकबन्नै अधिकार में ग्यारहवाँ था।

14 वे लोग गादी सेना के प्रमुख थे। उस समूह का सबसे कमजोर सैनिक भी शत्रु के सौ सेनिकों से युद्ध कर सकता था। उस समूह का सर्वाधिक बलिष्ठ सैनिक शत्रु के एक हजार सैनिकों से युद्ध कर सकता था। 15 गाद के परिवार समूह के वे सैनिक थे जो वर्ष पहले महीने में यरदन के उस पार गए। यह वर्ष का वह समय था, जब यरदान नदी में बाढ़ आयी थी। उन्होंने घाटियों में रहने वाले सभी लोगों का पीछा करके भगाया। उन्होंने उन लोगों को पूर्व और पश्चिम में पीछा करके भगाया।

अन्य योद्धा दाऊद के साथ आते हैं

16 बिन्यामीन और यहूदा के परिवार समूह के अन्य लोग भी दाऊद के पास किले में आए। 17 दाऊद उनसे मिलने बाहर निकला। दाऊद ने उनसे कहा, “यदि तुम् लोग शान्ति के साथ मेरी सहायता करने आए हो तो, मैं तुम लोगों का स्वागत करता हूँ। मेरे साथ रहो। किन्तु यदि तुम मेरे विरुद्ध जासूसी करने आए हो, जबकि मैंने तुम्हारा कुछ भी बुरा नहीं किया, तो हमारे पूर्वजों का परमेश्वर देखेगा कि तुमने क्या किया और दण्ड देगा।”

18 अमासै तीस वीरों का प्रमुख था। अमासै पर आत्मा उतरी। अमासै ने कहा,

“दाऊद हम तुम्हारे हैं।
    यिशै—पुत्र, हम तुम्हारे साथ हैं!
शान्ति, शान्ति हो तम्हारे साथ!
    शान्ति उन लोगों को जो तुम्हारी सहायता करें।
    क्यों? क्योंकि तुम्हारी परमेश्वर, तुम्हारा सहायता करता है!”

तब दाऊद ने इन लोगों का स्वागत किया। उसने अपनी सेना में उन्हें प्रमुख बनाया।

प्रेरितों के काम 28

माल्टा द्वीप पर पौलुस

28 इस सब कुछ से सुरक्षापुर्वक बच निकलने के बाद हमें पता चला कि उस द्वीप का नाम माल्टा था। वहाँ के मूल निवासियों ने हमारे साथ असाधारण रूप से अच्छा व्यवहार किया। क्योंकि सर्दी थी और वर्षा होने लगी थी, इसलिए उन्होंने आग जलाई और हम सब का स्वागत किया। पौलुस ने लकड़ियों का एक गट्ठर बनाया और वह जब लकड़ियों को आग पर रख रहा था तभी गर्मी खा कर एक विषैला नाग बाहर निकला और उसने उसके हाथ को डस लिया। वहाँ के निवासियों ने जब उस जंतु को उसके हाथ से लटकते देखा तो वे आपस में कहने लगे, “निश्चय ही यह व्यक्ति एक हत्यारा है। यद्यपि यह सागर से बच निकला है किन्तु न्याय इसे जीने नहीं दे रहा है।”

किन्तु पौलुस ने उस नाग को आग में ही झटक दिया। पौलुस को किसी प्रकार की हानि नहीं हुई। लोग सोच रहे थे कि वह या तो सूज जायेगा या फिर बरबस धरती पर गिर कर मर जायेगा। किन्तु बहुत देर तक प्रतीक्षा करने के बाद और यह देख कर कि उसे असाधारण रूप से कुछ भी नहीं हुआ है, उन्होंने अपनी धारणा बदल दी और बोले, “यह तो कोई देवता है।”

उस स्थान के पास ही उस द्वीप के प्रधान अधिकारी पबलियुस के खेत थे। उसने अपने घर ले जा कर हमारा स्वागत-सत्कार किया। बड़े मुक्त भाव से तीन दिन तक वह हमारी आवभगत करता रहा। पबलियुस का पिता बिस्तर में था। उसे बुखार और पेचिश हो रही थी। पौलुस उससे मिलने भीतर गया। फिर प्रार्थना करने के बाद उसने उस पर अपने हाथ रखे और वह अच्छा हो गया। इस घटना के बाद तो उस द्वीप के शेष सभी रोगी भी वहाँ आये और वे ठीक हो गये।

10-11 अनेक उपहारों द्वारा उन्होंने हमारा मान बढ़ाया और जब हम वहाँ से नाव पर आगे को चले तो उन्होंने सभी आवश्यक वस्तुएँ ला कर हमें दीं।

पौलुस का रोम जाना

फिर सिकंदरिया के एक जहाज़ पर हम वही चल पड़े। इस द्वीप पर ही जहाज़ जाड़े में रुका हुआ था। जहाज़ के अगले भाग पर जुड़वाँ भाईयों का चिन्ह अंकित था। 12 फिर हम सरकुस जा पहुँचे जहाँ हम तीन दिन ठहरे। 13 वहाँ से जहाज़ द्वारा हम रेगियुम पहुँचे और फिर अगले ही दिन दक्षिणी हवा चल पड़ी। सो अगले दिन हम पुतियुली आ गये। 14 वहाँ हमें कुछ बंधु मिले और उन्होंने हमें वहाँ सात दिन ठहरने को कहा और इस तरह हम रोम आ पहुँचे। 15 जब वहाँ के बंधुओं को हमारी सूचना मिली तो वे अप्पियुस का बाज़ार और तीन सराय तक हमसे मिलने आये। पौलुस ने जब उन्हें देखा तो परमेश्वर को धन्यवाद देकर वह बहुत उत्साहित हुआ।

पौलुस का रोम आना

16 जब हम रोम पहुँचे तो एक सिपाही की देखरेख में पौलुस को अपने आप अलग से रहने की अनुमति दे दी गयी।

17 तीन दिन बाद पौलुस ने यहूदी नेताओं को बुलाया और उनके एकत्र हो जाने पर वह उनसे बोला, “हे भाईयों, चाहे मैंने अपनी जाति या अपने पूर्वजों के विधि-विधानके प्रतिकूल कुछ भी नहीं किया है, तो भी यरूशलेम में मुझे बंदी के रूप में रोमियों को सौंप दिया गया था। 18 उन्होंने मेरी जाँच पड़ताल की और मुझे छोड़ना चाहा क्योंकि ऐसाकुछ मैंने किया ही नहीं था जो मृत्युदण्ड के लायक होता 19 किन्तु जब यहूदियों नेआपत्ति की तो मैं कैसर से पुनर्विचार की प्रार्थना करने को विवश हो गया। इसलिये नहींकि मैं अपने ही लोगों पर कोई आरोप लगाना चाहता था। 20 यही कारण है जिससे मैं तुमसे मिलना और बातचीत करना चाहता था क्योंकि यह इस्राएल का वह भरोसा ही है जिसके कारण मैं ज़ंजीर में बँधा हूँ।”

21 यहूदी नेताओं ने पौलुस से कहा, “तुम्हारे बारे में यहूदिया से न तो कोई पत्र ही मिला है, और न ही वहाँ सेआने वाले किसी भी भाई ने तेरा कोई समाचार दिया और न तेरे बारे में कोई बुरी बात कही। 22 किन्तु तेरे विचार क्या हैं, यह हम तुझसे सुनना चाहते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि लोग सब कहीं इस पंथ के विरोध में बोलते हैं।”

23 सो उन्होंने उसके साथ एक दिन निश्चित किया। और फिर जहाँ वह ठहरा था, बड़ी संख्या में आकार वे लोग एकत्र हो गये। मूसा की व्यवस्था और नबियों के ग्रंथों से यीशु के विषय में उन्हें समझाने का जतन करते हुए उसने परमेश्वर के राज्य के बारे में अपनी साक्षी दी और समझाया। वह सुबह से शाम तक इसी में लगा रहा। 24 उसने जो कुछ कहा था, उससे कुछ तो सहमत होगये किन्तु कुछ ने विश्वास नहीं किया। 25 फिर आपस में एक दूसरे से असहमत होते हुए वे वहाँ से जाने लगे। तब पौलुस ने एक यह बात और कही, “यशायाह भविष्यवक्ता के द्वारा पवित्र आत्मा ने तुम्हारे पूर्वजों से कितना ठीक कहा था,

26 ‘जाकर इन लोगों से कह दे:
तुम सुनोगे,
    पर न समझोगे कदाचित्!
तुम बस देखते ही देखते रहोगे
    पर न बूझोगे कभी भी!
27 क्योंकि इनका ह्रदय जड़ता से भर गया
    कान इनके कठिनता से श्रवण करते
    और इन्होंने अपनी आँखे बंद कर ली
क्योंकि कभी ऐसा न हो जाए कि
    ये अपनी आँख से देखें,
    और कान से सुनें
    और ह्रदय से समझे,
और कदाचित् लौटें मुझको स्वस्थ करना पड़े उनको।’(A)

28 “इसलिये तुम्हें जान लेना चाहिये कि परमेश्वर का यह उद्धार विधर्मियों के पास भेज दिया गया है। वे इसे सुनेंगे।” 29 [a]

30 वहाँ किराये के अपने मकान में पौलुस पूरे दो साल तक ठहरा। जो कोई भी उससे मिलने आता, वह उसका स्वागत करता। 31 वह परमेश्वर के राज्य का प्रचार करता और प्रभु यीशु मसीह के विषय में उपदेश देता। वह इस कार्य को पूरी निर्भयता और बिना कोई बाधा माने किया करता था।

भजन संहिता 9:1-12

अलामौथ बैन राग पर आधारित दाऊद का पद: संगीत निर्देशक के लिये।

मैं अपने सम्पूर्ण मन से यहोवा की स्तुति करता हूँ।
    हे यहोवा, तूने जो अद्भुत कर्म किये हैं, मैं उन सब का वर्णन करुँगा।
तूने ही मुझे इतना आनन्दित बनाया है।
    हे परम परमेश्वर, मैं तेरे नाम के प्रशंसा गीत गाता हूँ।
जब मेरे शत्रु मुझसे पलट कर मेरे विमुख होते हैं,
    तब परमेश्वर उनका पतन करता और वे नष्ट हो जाते हैं।

तू सच्चा न्यायकर्ता है। तू अपने सिंहासन पर न्यायकर्ता के रुप में विराजा।
    तूने मेरे अभियोग की सुनवाई की और मेरा न्याय किया।
हे यहोवा, तूने उन शत्रुओं को कठोर झिड़की दी
    और हे यहोवा, तूने उन दुष्टों को नष्ट किया।
    उनके नाम तूने जीवितों की सूची से सदा सर्वदा के लिये मिटा दिये।
शत्रु नष्ट हो गया है!
    हे यहोवा, तूने उनके नगर मिटा दिये हैं! उनके भवन अब खण्डहर मात्र रह गये हैं।
    उन बुरे व्यक्तियों की हमें याद तक दिलाने को कुछ भी नहीं बचा है।

किन्तु यहोवा, तेरा शासन अविनाशी है।
    यहोवा ने अपने राज्य को शक्तिशाली बनाया। उसने जग में न्याय लाने के लिये यह किया।
यहोवा धरती के सब मनुष्यों का निष्पक्ष होकर न्याय करता है।
    यहोवा सभी जातियों का पक्षपात रहित न्याय करता है।
यहोवा दलितों और शोषितों का शरणस्थल है।
    विपदा के समय वह एक सुदृढ़ गढ़ है।

10 जो तुझ पर भरोसा रखते,
    तेरा नाम जानते हैं।
हे यहोवा, यदि कोई जन तेरे द्वार पर आ जाये
    तो बिना सहायता पाये कोई नहीं लौटता।

11 अरे ओ सिय्योन के निवासियों, यहोवा के गीत गाओ जो सिय्योन में विराजता है।
    सभी जातियों को उन बातों के विषय में बताओ जो बड़ी बातें यहोवा ने की हैं।
12 जो लोग यहोवा से न्याय माँगने गये,
    उसने उनकी सुधि ली।
जिन दीनों ने उसे सहायता के लिये पुकारा,
    उनको यहोवा ने कभी भी नहीं बिसारा।

नीतिवचन 19:1-3

19 वह गरीब श्रेष्ठ है, जो निष्कलंक रहता; न कि वह मूर्ख जिसकी कुटिलतापूर्ण वाणी है।

ज्ञान रहित उत्साह रखना अच्छा नहीं है इससे उतावली में गलती हो जाती है।

मनुष्य अपनी ही मूर्खता से अपनी जीवन बिगाड़ लेता है, किन्तु वह यहोवा को दोषी ठहराता है।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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