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The Daily Audio Bible

This reading plan is provided by Brian Hardin from Daily Audio Bible.
Duration: 731 days

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Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
1 इतिहास 7-8

इस्साकार के वंशज

इस्साकार के चार पुत्र थे। उनके नाम तोला, पूआ, याशूब, और शिम्रोन था।

तोला के पुत्र उज्जी, रपायाह, यरीएल, यहमै, यिबसाम और शमूएल थे। वे सभी अपने परिवारों के प्रमुख थे। वे व्यक्ति और उनके वंशज बलवान योद्धा थे। उनके परिवार बढ़ते रहे और जब दाऊद राजा हूआ, तब वहाँ बाईस हजार छः सौ व्यक्ति युद्ध के लिये तैयार थे।

उज्जी का पुत्र यिज्रह्याह था। यिज्रह्याह के पुत्र मीकाएल, ओबद्याह, योएल, यिश्शिय्याह थे। वे सभी पाँचों अपने परिवारों के प्रमुख थे। उनके परिवार का इतिहास यह बाताता है कि उनके पास छत्तीस हजार योद्धा युद्ध के लिये तैयार थे। उनका बड़ा परिवार था क्योंकि उनकी बहुत सी स्त्रियाँ और बच्चे थे।

परिवार इतिहास यह बताता है कि इस्साकार के सभी परिवार समूहों में सत्तासी हजार शक्तिशाली सैनिक थे।

बिन्यामीन के वंशज

बिन्यामीन के तीन पुत्र थे। उनके नाम बेला, बेकेर, और यदीएल थे।

बेला के पाँच पुत्र थे। उनके नाम एसबोन, उज्जी, उज्जीएल, यरीमोत, और ईरी थे। वे अपने परिवारों के प्रमुख थे। उनका परिवार इतिहास बताता है कि उनके पास बाईस हजार चौंतीस सैनिक थे।

बेकेर के पुत्र जमीरा, योआश, एलीएजेर, एल्योएनै, ओम्री, यरेमोत, अबिय्याह, अनातोत और आलेमेत थे। वे सभी बेकेर के बच्चे थे। उनका परिवार इतिहास बताता है कि परिवार प्रमुख कौन थे और उनका परिवार इतिहास यह भी बताता है कि उनके बीस हजार दो सौ सैनिक थे।

10 यदीएल का पुत्र बिल्हान था। बिल्हान के पुत्र यूश, बिन्यामीन, एहूद कनाना, जेतान, तर्शीश और अहीशहर थे। 11 यदीएल के सभी पुत्र अपने परिवार के प्रमुख थे। उनके सत्तर हजार दो सौ सैनिक युद्ध के लिये तैयार थे।

12 शुप्पीम और हुप्पीम ईर के वंशज थे। हूशी अहेर का पुत्र था।

नप्ताली के वंशज

13 नप्ताली के पुत्र एहसीएल, गूनी, येसेर और शल्लूम थे और ये बिल्हा के वंशज हैं।

मनश्शे के वंशज

14 ये मनश्शे के वंशज हैं। मनश्शे का अस्रीएल नामक पुत्र था जो उसकी अरामी रखैल (दासी) से था। उनका माकीर भी था। माकीर गीलाद का पिता था।[a] 15 माकीर ने हुप्पीम और शुप्पीम लोगों की एक स्त्री से विवाह किया। माका की दूसरी पत्नी का नाम सलोफाद था। सलोफाद की केवल पुत्रियाँ थीं। माकीर की बहन का नाम भी माका था। 16 माकीर की पत्नी माका को एक पुत्र हुआ। माका ने अपने पुत्र का नाम पेरेश रखा। पेरेश के भाई का नाम शेरेश था। शेरेश के पुत्र ऊलाम और राकेम थे।

17 ऊलाम का पुत्र बदान था।

ये गिलाद के वंशज थे। गिलाद माकीर का पुत्र था। माकीर मनश्शे का पुत्र था। 18 माकीर की बहन हम्मोलेकेत के पुत्र ईशहोद, अबीएजेर, और महला थे।

19 शमीदा के पुत्र अह्यान, शेकेम, लिखी और अनीआम थे।

एप्रैम के वंशज

20 एप्रैम के वंशजों के ये नाम थे। एप्रैम का पुत्र शूतेलह था। शूतेलह का पुत्र बेरेद था। बेरेद का पुत्र तहत था। तहत का पुत्र एलादा था। 21 एलादा का पुत्र तहत था। तहत का पुत्र जाबाद था। जाबाद का पुत्र शूतेलह था।

कुछ व्यक्तियों ने जो गत नगर में बड़े हुए थे, येजेर और एलाद को मार डाला। यह इसलिये हुआ कि येजेर और एलाद उन लोगों की गायें और भेड़ें चुराने गत गए थे। 22 एप्रैम येजेर और एलाद का पिता था। वह कई दिनों तक रोता रहा क्योंकि येजर और एलाद मर गए थे। एप्रैम का परिवार उसे संत्वना देने आया। 23 तब एप्रैम ने अपनी पत्नी के साथ शारीरिक सम्बन्ध किया। एप्रैम की पत्नी गर्भवती हुई और उसने एक पुत्र को जन्म दिया। एप्रैम ने अपने नये पुत्र का नाम बरीआ रखा क्योंकि उसके परिवार के साथ कुछ बुरा हुआ था। 24 एप्रैम की पुत्री शेरा थी। शेरा ने निम्न बेथोरान तथा उच्च बेथोरान और निम्न ऊज्जेनशेरा एवं उच्च उज्जेनशेरा बसाया।

25 रेपा एप्रैम का पुत्र था। रेसेप रेपा का पुत्र था। तेलह रेशेप का पुत्र था। तहन तेलह का पुत्र था। 26 लादान तहन का पुत्र अम्मीहूद लादान का पुत्र था। एलीशामा अम्मीहूद का पुत्र था। 27 नून एलीशामा का पुत्र था। यहोशू नून का पुत्र था।

28 ये वे नगर और प्रदेश हैं जहाँ एप्रैम के वंशज रहते थे। बेतेल और इसके पास के गाँव पूर्व में नारान, गेजेर और पश्चिम में इसके निकट के गाँव, तथा सेकेम तथा अज्जा के रास्ते तक के निकटवर्ती गाँव। 29 मनश्शे की भूमि से लगी सीमा पर बेतशान, तानाक, मगिदो नगर तथा दोर और उनके पास पास के छोटे नगर थे। यूसुफ के वंशज इन नगरों में रहते थे। यूसुफ इस्राएल का पुत्र था।

आशेर के वंशज

30 आशेर के पुत्र यिम्ना, यिश्वा, यिश्वी, और बरीआ थे। उनकी बहन का नाम सेरह था।

31 बरीआ के हेबेर और मल्कीएल थे। मल्कीएल बिर्जोत का पिता था।

32 हेबेर यपलेत, शोमेर, होताम, और उनकी बहन शूआ का पिता था।

33 यपलेत के पुत्र पासक, बिम्हाल और अश्वात थे। ये यपलेत के बच्चे थे।

34 शेमेर के पुत्र अही, रोहगा, यहुब्बा और अराम थे।

35 शेमेर के भाई का नाम हेलेम था। हेलेम के पुत्र सोपह, यिम्ना, शेलेश और आमाल थे।

36 सोपह के पुत्र सूह, हर्नेपेर, शूआल, वेरी, इम्रा, 37 बेसेर, होद, शम्मा, शिलसा, यित्रान और बेरा थे।

38 येतरेर के पुत्र यपुन्ने, पिस्पा और अरा थे।

39 उल्ला के पुत्र आरह, हन्नीएल, और रिस्या थे।

40 ये सभी व्यक्ति आशेर के वंशज थे। वे अपने परिवारों के प्रमुख थे। वे उत्तम पुरुष थे। वे योद्धा और महान प्रमुख थे। उनका पारिवारिक इतिहास बताता है कि छब्बीस हजार सैनिक युद्ध के लिये तैयार थे।

राजा शाऊल का परिवार इतिहास

बिन्यामीन बेला का पिता था। बेला बिन्यामीन का प्रथम पुत्र था। अशबेल बिन्यामीन का दूसरा पुत्र था। अहरह बिन्यामीन का तीसरा पुत्र था। नोहा बिन्यामीन का चौथा पुत्र था और रापा बिन्यामीन का पाँचवाँ पुत्र था।

3-5 बेला के पुत्र अद्दार, गेरा, अबीहूद, अबीशू, नामान, अहोह, गेरा, शपूपान और हूराम थे।

6-7 एहूद के वंशज ये थे। ये गेबा में अपने परिवारों के प्रमुख थे। वे अपना घर छोड़ने और मानहत में रहने को विवश किये गए थे। एहूद के वंशज नामान, अहिय्याह, और गेरा थे। गेरा ने उन्हें घर छोड़ने को विवश किया। गेरा उज्जा और अहीलूद का पिता था।

शहरैम ने अपनी पत्नियों हशीम और बारा को मोआब में तलाक दिया। जब उसने यह किया, उसके कुछ बच्चे अन्य पत्नी से उत्पन्न हुए। 9-10 शाहरैम के योआब, मेशा, मल्काम, यूस, सोक्या, और मिर्मा उसकी पत्नी होदेश से हुए। वे अपने परिवारों के प्रमुख थे। 11 शहरैम और हशीम के दो पुत्र अबीतूब और एल्पाल थे।

12-13 एल्पाल के पुत्र एबेर, मिशाम, शेमेर, बरीआ ओर शेमा थे। शेमेर ने ओनो और लोद नगर तथा लोद के चारों ओर छोटे नगरों को बनाया। बरीआ ओर शेमा अय्यालोन में रहने वाले परिवारों के प्रमुख थे। उन पुत्रों ने गत में रहने वालों को उसे छोड़ने को विवश किया।

14 बरीआ के पुत्र शासक और यरमोत, 15 जबद्याह, अराद, एदेर, 16 मीकाएल, यिस्पा और योहा थे। 17 एल्पाल के पुत्र जबद्याह, मशुल्लाम, हिजकी, हेबर, 18 यिशमरै, यिजलीआ और योबाब थे।

19 शिमी के पुत्र याकीम, जिक्री, ज़ब्दी, 20 एलीएनै, सिल्लतै, एलीएल, 21 अदायाह, बरायाह और शिम्रात थे।

22 शाशक के पुत्र यिशपान, येबेर, एलीएल, 23 अब्दोन, जिक्री, हानान, 24 हनन्याह, एलाम, अन्तोतिय्याह, 25 यिपदयाह और पनूएल थे।

26 यरोहाम के पुत्र शमशरै, शहर्याह, अतल्याह, 27 योरेश्याह, एलीय्याह और जिक्री थे।

28 ये सभी व्यक्ति अपने परिवारों के प्रमुख थे। वे अपने परिवार के इतिहास में प्रमुख के रुप में अंकित थे। वे यरूशलेम में रहते थे।

29 येयील गीबोन का पिता था। वह गिबोन नगर में रहता था। येयील की पत्नी का नाम माका था। 30 येयील का सबसे बड़ा पुत्र अब्दोन था। अन्य पुत्र शूर, कीश, बाल, नेर, नादाब 31 गदोर, अह्यो, जेकेर, और मिकोत थे। 32 मिकोत शिमा का पिता था। ये पुत्र भी यरूशलेम में अपने सम्बन्धियों के निकट रहते थे।

33 नेर, कीश का पिता था। कीश शाऊल का पिता था और शाऊल योनातान, मलकीश, अबीनादब और एशबाल का पिता था।

34 योनातान का पुत्र मरीब्बाल था। मरीब्बाल मीका का पिता था।

35 मीका के पुत्र पीतोम, मेलेक, तारे और आहाज थे।

36 आहाज यहोअद्दा का पिता था। यहोअद्दा आलेमेत, अजमावेत और जिम्री का पिता था। जिम्री मोसा का पिता था। 37 मोसा बिना का पिता था। रापा बिना का पुत्र था। एलासा रापा का पुत्र था और आसेल एलासा का पुत्र था।

38 आसेल के छः पुत्र थे। उनके नाम अज्रीकाम, बोकरू, यिशमाएल, शार्यह, ओबद्याह और हनान थे। ये सभी पुत्र आसेल की संतान थे।

39 आसेल का भाई एशेक था। एशेक के कुछ पुत्र थे। एशेक के ये पुत्र थेः ऊलाम एशेक का सबसे पड़ा पुत्र था। यूशा एशेक का दूसरा पुत्र था। एलीपेलेत एशेक का तीसरा पुत्र था। 40 ऊलाम के पुत्र बलवान योद्धा और धनुष बाण के प्रयोग में कुशल थे। उनके बहुत से पुत्र और पौत्र थे। सब मिलाकर डेढ़ सौ पुत्र और पौत्र थे। ये सभी व्यक्ति बिन्यामीन के वंशज थे।

प्रेरितों के काम 27:1-20

पौलुस को रोम भेजा जाना

27 जब यह निश्चय हो गया कि हमें जहाज़ से इटली जाना है तो पौलुस तथा कुछ दूसरे बंदियों को सम्राट की सेना के यूलियस नाम के एक सेनानायक को सौंप दिया गया। अद्रमुत्तियुम से हम एक जहाज़ पर चढ़े जो एशिया के तटीय क्षेत्रों से हो कर जाने वाला था और समुद्र यात्रा पर निकल पड़े। थिस्सलुनीके निवासी एक मकदूनी, जिसका नाम अरिस्तर्खुस था, भी हमारे साथ था।

अगले दिन हम सैदा में उतरे। वहाँ यूलियस ने पौलुस के साथ अच्छा व्यवहार किया और उसे उसके मित्रों का स्वागत सत्कार ग्रहण करने के लिए उनके यहाँ जाने की अनुमति दे दी। वहाँ से हम समुद्र-मार्ग से फिर चल पड़े। हम साइप्रस की आड़ लेकर चल रहे थे क्योंकि हवाएँ हमारे प्रतिकूल थीं। फिर हम किलिकिया और पंफूलिया के सागर को पार करते हुए लुकिया और मीरा पहुँचे। वहाँ सेनानायक को सिकन्दरिया का इटली जाने वाला एक जहाज़ मिला। उसने हमें उस पर चढ़ा दिया।

कई दिन तक हम धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए बड़ी कठिनाई के साथ कनिदुस के सामने पहुँचे क्योंकि हवा हमें अपने मार्ग पर नहीं बने रहने दे रही थी, सो हम सलभौने के सामने से क्रीत की ओट में अपनी नाव बढ़ाने लगे। क्रीत के किनारे-किनारे बड़ी कठिनाई से नाव को आगे बढ़ाते हुए हम एक ऐसे स्थान पर पहुँचे जिसका नाम था सुरक्षित बंदरगाह। यहाँ से लसेआ नगर पास ही था।

समय बहुत बीत चुका था और नाव को आगे बढ़ाना भी संकटपूर्ण था क्योंकि तब तक उपवास का दिन समाप्त हो चुका था इसलिए पौलुस ने चेतावनी देते हुए उनसे कहा, 10 “हे पुरुषो, मुझे लगता है कि हमारी यह सागर-यात्रा विनाशकारी होगी, न केवल माल असबाब और जहाज़ के लिए बल्कि हमारे प्राणों के लिये भी।” 11 किन्तु पौलुस ने जो कहा था, उस पर कान देने के बजाय उस सेनानायक ने जहाज़ के मालिक और कप्तान की बातों का अधिक विश्वास किया। 12 और वह बन्दरगाह शीत ऋतु के अनुकूल नहीं था, इसलिए अधिकतर लोगों ने, यदि हो सके तो फिनिक्स पहुँचने का प्रयत्न करने की ही ठानी। और सर्दी वहीं बिताने का निश्चय किया। फिनिक्स क्रीत का एक ऐसा बन्दरगाह है जिसका मुख दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पश्चिम दोनों के ही सामने पड़ता है।

तूफ़ान

13 जब दक्षिणी पवन हौले-हौले बहने लगा तो उन्होंने सोचा कि जैसा उन्होंने चाहा था, वैसा उन्हें मिल गया है। सो उन्होंने लंगर उठा लिया और क्रीत के किनारे-किनारे जहाज़ बढ़ाने लगे। 14 किन्तु अभी कोई अधिक समय नहीं बीता था कि द्वीप की ओर से एक भीषण आँधी उठी और आरपार लपेटती चली गयी। यह “उत्तर पूर्वी” आँधी कहलाती थी। 15 जहाज़ तूफान में घिर गया। वह आँधी को चीर कर आगे नहीं बढ़ पा रहा था सो हमने उसे यों ही छोड़ कर हवा के रूख बहने दिया।

16 हम क्लोदा नाम के एक छोटे से द्वीप की ओट में बहते हुए बड़ी कठिनाई से रक्षा नौकाओं को पा सके। 17 फिर रक्षा-नौकाओं को उठाने के बाद जहाज़ को रस्सों से लपेट कर बाँध दिया गया और कहीं सुरतिस के उथले पानी में फँस न जायें, इस डर से उन्होंने पालें उतार दीं और जहाज़ को बहने दिया।

18 दूसरे दिन तूफान के घातक थपेड़े खाते हुए वे जहाज़ से माल-असबाब बाहर फेंकने लगे। 19 और तीसरे दिन उन्होंने अपने ही हाथों से जहाज़ पर रखे उपकरण फेंक दिये। 20 फिर बहुत दिनों तक जब न सूरज दिखाई दिया, न तारे और तूफान अपने घातक थपेड़े मारता ही रहा तो हमारे बच पाने की आशा पूरी तरह जाती रही।

भजन संहिता 7

दाऊद का एक भाव गीत: जिसे उसने यहोवा के लिये गाया। यह भाव गीत बिन्यामीन परिवार समूह के कीश के पुत्र शाऊल के विषय मे है।

हे मेरे यहोवा परमेश्वर, मुझे तुझ पर भरोसा है।
    उन व्यक्तियों से तू मेरी रक्षा कर, जो मेरे पीछे पड़े हैं। मुझको तू बचा ले।
यदि तू मुझे नहीं बचाता तो मेरी दशा उस निरीह पशु की सी होगी, जिसे किसी सिंह ने पकड़ लिया है।
    वह मुझे घसीट कर दूर ले जायेगा, कोई भी व्यक्ति मुझे नहीं बचा पायेगा।

हे मेरे यहोवा परमेश्वर, कोई पाप करने का मैं दोषी नहीं हूँ। मैंने तो कोई भी पाप नहीं किया।
मैंने अपने मित्रों के साथ बुरा नहीं किया
    और अपने मित्र के शत्रुओं की भी मैंने सहायता नहीं किया।
किन्तु एक शत्रु मेरे पीछे पड़ा हुआ है।
    वह मेरी हत्या करना चाहता है।
    वह शत्रु चाहता है कि मेरे जीवन को धरती पर रौंद डाले और मेरी आत्मा को धूल में मिला दे।
यहोवा उठ, तू अपना क्रोध प्रकट कर।
    मेरा शत्रु क्रोधित है, सो खड़ा हो जा और उसके विरुद्ध युद्ध कर।
    खड़ा हो जा और निष्यक्षता की माँग कर।
हे यहोवा, लोगों का न्याय कर।
    अपने चारों ओर राष्ट्रों को एकत्र कर और लोगों का न्याय कर।
हे यहोवा, न्याय कर मेरा,
    और सिद्ध कर कि मैं न्याय संगत हूँ।
    ये प्रमाणित कर दे कि मैं निर्दोष हूँ।
दुर्जन को दण्ड दे
    और सज्जन की सहायता कर।
हे परमेश्वर, तू उत्तम है।
    तू अन्तर्यामी है। तू तो लोगों के ह्रदय में झाँक सकता है।

10 जिन के मन सच्चे हैं, परमेश्वर उन व्यक्तियों की सहायता करता है।
    इसलिए वह मेरी भी सहायता करेगा।
11 परमेश्वर उत्तम न्यायकर्ता है।
    वह कभी भी अपना क्रोध प्रकट कर देगा।
12-13 परमेश्वर जब कोई निर्णय ले लेता है,
    तो फिर वह अपना मन नहीं बदलता है।
उसमें लोगों को दण्डित करने की क्षमता है।
    उसने मृत्यु के सब सामान साथ रखे हैं।

14 कुछ ऐसे लोग होते हैं जो सदा कुकर्मों की योजना बनाते रहते हैं।
    ऐसे ही लोग गुप्त षड़यन्त्र रचते हैं,
    और मिथ्या बोलते हैं।
15 वे दूसरे लोगों को जाल में फँसाने और हानि पहुँचाने का यत्न करते हैं।
    किन्तु अपने ही जाल में फँस कर वे हानि उठायेंगे।
16 वे अपने कर्मों का उचित दण्ड पायेंगे।
    वे अन्य लोगों के साथ क्रूर रहे।
    किन्तु जैसा उन्हें चाहिए वैसा ही फल पायेंगे।

17 मैं यहोवा का यश गाता हूँ, क्योंकि वह उत्तम है।
    मैं यहोवा के सर्वोच्च नाम की स्तुति करता हूँ।

नीतिवचन 18:22

22 जिसको पत्नी मिली है, वह उत्तम पदार्थ पाया है। उसको यहोवा का अनुग्रह मिलता है।

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