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The Daily Audio Bible

This reading plan is provided by Brian Hardin from Daily Audio Bible.
Duration: 731 days

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Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
1 इतिहास 5:18-6:81

युद्ध में निपुण कुछ सैनिक

18 मनश्शे के परिवार के आधे तथा रूबेन और गाद के परिवार समूहों से चौवालीस हजार सात सौ साठ वीर योद्धा युद्ध के लिये तैयार थे। वे युद्ध में निपुण थे। वे ढाल—तलवार धारण करते थे। वे धनुष—बाण में भी कुशल थे। 19 उन्होंने हग्री और यतूर, नापीश और नोदाब लोगों के विरुद्ध युद्ध आरम्भ किया। 20 मनश्शे, रूबेन और गाद परिवार समूह के उन लोगों ने युद्ध में परमेश्वर से प्रार्थना की। उन्होंने परमेश्वर से सहायता मांगी क्योंकि वे उस पर विश्वास करते थे। अतः परमेश्वर ने उनकी सहायता की। परमेश्वर ने उन्हें हग्री लोगों को पराजित करने दिया और उन लोगों ने अन्य लोगों को हराया जो हग्री के साथ थे। 21 उन्होंने उन जानवरों को लिया जो हग्री लोगों के थे। उन्होंने पचास हजार ऊँट, ढाई लाख भेड़ें, दो हजार गधे और एक लाख लोग लिये। 22 बहुत से हग्री लोग मारे गये क्योंकि परमेश्वर ने रूबेन के लोगों को युद्ध जीतने में सहायता की। तब मनश्शे, रूबेन और गाद के परिवार समूह के लोग हग्री लोगों की भूमि पर रहने लगे। वे वहाँ तब तक रहते रहे जब तक बाबुल की सेना इस्राएल के लोगों को नहीं ले गई और जब तक बाबुल में उन्हें बन्दी नहीं बनाया गया।

23 मनश्शे के परिवार समूह के आधे लोग बाशान के क्षेत्र के लगातार बाल्हेर्मोन, सनीर और हेर्मान पर्वत तक रहते थे। वे एक विशाल जन समूह वाले लोग बन गये।

24 मनश्शे के परिवार समूह के आधे के प्रमुख ये थेः एपेर, यिशी, एलीएल, अज्रीएल, यिर्मयाह, होदब्याह और यहदीएल। वे सभी शक्तिशाली और वीर पुरुष थे। वे प्रसिद्ध पुरुष थे और वे अपने परिवार के प्रमुख थे। 25 किन्तु उन प्रमुखों ने उस परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया, जिसकी उपासना उनके पूर्वजों ने की थी। उन्होंने वहाँ रहने वाले उन व्यक्तियों के असत्य देवताओं की पूजा करनी आरम्भ की जिन्हें परमेश्वर ने नष्ट किया।

26 इस्राएल के परमेश्वर ने पूल को युद्ध में जाने का इच्छुक बनाया। पूल अश्शूर का राजा था। उसका नाम तिलगत्पिलनेसेर भी था। वह मनश्शे, रूबेन और गाद के परिवार समूहों के विरुद्ध लड़ा। उसने उनको अपना घर छोड़ने को विवश किया और उन्हें बन्दी बनाया। पूल उन्हें हलह, हाबोर, हारा और गोजान नदी के पास लाया। इस्राएल के वे परिवार समूह उन स्थानों में उस समय से अब तक रह रहे हैं।

लेवी के वंशज

लेवी के पुत्र गेर्शोन, कहात और मरारी थे।

कहात के पुत्र अम्राम, यिसहार, हेब्रोन और उज्जीएल थे।

अम्राम के बच्चे हारून, मूसा और मरियम थे।

हारून के पुत्र नादाब, अबीहू, एलीआजार और ईतामार थे। एलीआजार, पीनहास का पिता था। पीनहास, अबीशू का पिता था। अबीशू, बुक्की, का पिता था। बुक्की, उज्जी का पिता था। उज्जी, जरह्याह का पिता था। जरह्याह, मरायोत का पिता था। मरायोत, अमर्याह का पिता था। अमर्याह, अहीतूब का पिता था। अहीतूब, सादोक का पिता था। सादोक, अहीमास का पिता था। अहीमास, अजर्याह का पिता था। अजर्याह योहानान का पिता था। 10 योहानान, अजर्याह का पिता था। (अजर्याह वह व्यक्ति था जिसने यरूशलेम में सुलैमान द्वारा बनाये गेय मन्दिर में याजक के रूप में सेवा की।) 11 अजर्याह अमर्याह का पिता था। अमर्याह, अहीतूब का पिता था। 12 अहीतूब, सादोक का पिता था। सादोक, शल्लूम का पिता था। 13 शल्लूम, हिलकिय्याह का पिता था। हिलकिय्याह, अजर्याह का पिता था। 14 अजर्याह, सरायाह का पिता था। सरायाह, यहोसादाक का पिता था।

15 यहोसादाक तब अपना घर छोड़ने के लिये विवश किया गया जब यहोवा ने यहूदा और यरूशलेम को दूर भेज दिया। वे लोग दूसरे देश में बन्दी बनाए गए थे। यहोवा ने नबूकदनेस्सर को यहूदा और यरूशलेम के लोगों को बन्दी बनाने दिया।

लेवी के अन्य वंशज

16 लेवी के पुत्र गेर्शोन, कहात, और मरारी थे।

17 गर्शोन के पुत्रों के नाम लिब्नी और शिमी थे।

18 कहात के पुत्र यिसहार, हेब्रोन और उज्जीएल थे।

19 मरारी के पुत्र महली और मूशी थे।

लेवी के परिवार समूहों के परिवारों की यह सूची है। इनकी सूची उनके पिताओं के नाम को प्रथम रखकर यह है।

20 गेर्शोन के वंशज ये थेः लिब्नी, गेर्शोन का पुत्र था। यहत, लिब्नी का पुत्र था। जिम्मा, यहत का पुत्र था। 21 योआह, जिम्मा का पुत्र था। इद्दो, योआह का पुत्र था। जेरह, इद्दो का पुत्र था। यातरै जेरह का पुत्र था।

22 ये कहात के वंशज थेः अम्मीनादाब, कहात का पुत्र था। कोरह, अम्मीनादाब का पुत्र था। अस्सीर, कोरह का पुत्र था। 23 एल्काना, अस्सीर, का पुत्र था। एब्यासाप, एल्काना का पुत्र था। अस्सीर एब्यासाप का पुत्र था। 24 तहत, अस्सीर का पुत्र था। ऊरीएल, तहत का पुत्र था। उज्जिय्याह, ऊरीएल का पुत्र था। शाऊल, उज्जिय्याह का पुत्र था।

25 एल्काना के पुत्र अमासै और अहीमोत थे। 26 सोपै, एल्काना का पुत्र था। नहत, सोपै का पुत्र था। 27 एलीआब, नहत का पुत्र था। यरोहाम, एलीआब का पुत्र था। एल्काना, यरोहाम का पुत्र था। शमूएल एल्काना का पुत्र था। 28 शमूएल के पुत्रों में सबसे बड़ा योएल और दूसरा अबिय्याह था।

29 मरारी के ये पुत्र थेः महली, मरारी का पुत्र था। लिब्नी, महली का पुत्र था। शिमी, लिब्नी का पुत्र था। उज्जा, शिमी का पुत्र था। 30 शिमी, उज्जा का पुत्र था। हग्गिय्यहा, शिमा का पुत्र था। असायाह, हग्गिय्याह का पुत्र था।

मन्दिर के गायक

31 ये वे लोग हैं जिन्हें दाऊद ने यहोवा के भवन के तम्बू में साक्षीपत्र के सन्दूक रखे जाने के बाद संगीत के प्रबन्ध के लिये चुना। 32 ये व्यक्ति पवित्र तम्बू पर गाकर सेवा करते थे। पवित्र तम्बू को मिलाप वाला तम्बू भी कहते हैं और इन लोगों ने तब तक सेवा की जब तक सुलैमान ने यरूशलेम में यहोवा का मन्दिर नहीं बनाया। उन्होंने अपने काम के लिये दिये गए नियमों का अनुसरण करते हुए सेवा की।

33 ये नाम उन व्यक्तियों और उनके पुत्रों के हैं जिन्होंने संगीत के द्वारा सेवा कीः

कहाती लोगों के वंशज थेः गायक हेमान। हेमान, योएल का पुत्र था। योएल, शमूएल का पुत्र था। 34 शमूएल, एल्काना का पुत्र था। एल्काना, यरोहाम का पुत्र था। यरोहाम एलीएल का पुत्र था। एलीएल तोह का पुत्र था। 35 तोह, सूप का पुत्र था। सूप एल्काना का पुत्र था। एल्काना, महत का पुत्र था। महत अमासै का पुत्र था। 36 अमासै, एल्काना का पुत्र था। एल्काना, योएल का पुत्र था। योएल, अजर्याह का पुत्र था। अजर्याह, सपन्याह का पुत्र था। 37 सपन्याह, तहत का पुत्र था। तहत, अस्सीर का पुत्र था। अस्सीर, एब्यासाप का पुत्र था। एब्यासाप, कोरह का पुत्र था। 38 कोरह, यिसहार का पुत्र था। यिसहार, कहात का पुत्र था। कहात, लेवी का पुत्र था। लेवी, इस्राएल का पुत्र था।

39 हेमान का सम्बन्धी असाप था। असाप ने हेमान के दाहिनी ओर खड़े होकर सेवा की। असाप बेरेक्याह का पुत्र था। बेरेक्याह शिमा का पुत्र था। 40 शिमा मीकाएल का पुत्र था। मिकाएल बासेयाह का पुत्र था। बासेयाह मल्किय्याह का पुत्र था। 41 मल्किय्याह एत्नी का पुत्र था। एत्नी जेरह का पुत्र था। जेरह अदायाह का पुत्र था। 42 अदायाह एतान का पुत्र था। एतान जिम्मा का पुत्र था। जिम्मा शिमी का पुत्र था। 43 शिमी यहत का पुत्र था। यहत गेर्शोन का पुत्र था। गेर्शोन लेवी का पुत्र था।

44 मरारी के वंशज हेमान और असाप के सम्बन्घी थे। वे हेमान के बायें पक्ष के गायक समूह थे। एताव कीशी का पुत्र था। कीशी अब्दी का पुत्र था। अब्दी मल्लूक का पुत्र था। 45 मल्लूक हशब्याह का पुत्र था। हशब्याह अमस्याह का पुत्र था। अमस्याह हिलकिय्याह का पुत्र था। 46 हिलकिय्याह अमसी का पुत्र था। अमसी बानी का पुत्र था। बानी शेमेर का पुत्र था। 47 शेमारे महली का पुत्र था। महली मूशी का पुत्र था। मूशी मरारी का पुत्र था मरारी लेवी का पुत्र था।

48 हेमान और असाप के भाई लेवी के परिवार समूह से थे। लेवी के परिवार समूह के लोग लेविवंशी भी कहे जाते थे। लेवीय पवित्र तम्बू में काम करने के लिये चुने जाते थे। पवित्र तम्बू परमेश्वर का घर था। 49 किन्तु केवल हारून के वंशजों को होमबलि की वेदी और सुगन्धि की वेदी पर सुगन्धि जलाने की अनुमति थी। हारून के वंशज परमेश्वर के घर में सर्वाधिक पवित्र तम्बू में सारा काम करते थे। वे इस्राएल के लोगों को शुद्ध करने के लिये उत्सव भी मनाते थे।[a] वे उन सब नियमों और विधियों का अनुसरण करते थे जिनके लिये मूसा ने आदेश दिया था। मूसा परमेश्वर का सेवक था।

हारून के वंशज

50 हारून के पुत्र ये थेः एलीआज़र हारून का पुत्र था। पीनहास एलीआजर का पुत्र था। अबीशू पीनहास का पुत्र था। बुक्की अबीशू का पुत्र था। उज्जी बुक्की का पुत्र था। 51 बुक्की अबीशू का पुत्र था। उज्जी बुक्की का पुत्र था। जरह्याह उज्जी का पुत्र था। 52 मरायोत जरह्याह का पुत्र था। अमर्याह मरायोत का पुत्र था। अहीतूब अमर्याह का पुत्र था। 53 सादोक अहीतूब का पुत्र था। अहीमास सादोक का पुत्र था।

लेवीवंशी परिवारों के लिये घर

54 ये वे स्थान हैं जहाँ हारून के वंशज रहे। वे उस भूमि पर जो उन्हें दी गई थी, अपने डेरों में रहते थे। कहाती परिवार ने उस भूमि का पहला भाग पाया जो लेवीवंश को दी गई थी। 55 उन्हें हेब्रोन नगर और उसके चारों ओर के खेत दिये गये थे। यह यहूदा क्षेत्र में था। 56 किन्तु नगर के दूर के खेत और नगर के समीप के गाँव, यपुन्ने के पुत्र कालेब को दिये गये थे। 57 हारून के वंशजों को हेब्रोन नगर दिया गया था। हेब्रोन एक सुरक्षा नगर था। उन्हें लिब्ना, यत्तीर, एशतमो, 58 हीलेन, दबीर, 59 आशान, जुत्ता, और बेतशेमेश नगर भी दिये गए। उन्होंने उन सभी नगरों और उनके चारों ओर के खेत प्राप्त किये। 60 बिन्यामीन के परिवार समूह के लोगों को गिबोन, गेबा अल्लेमेत, और अनातोत नगर दिये गए। उन्होंने उन सभी नगरों और उनके चारों ओर के खेतों को प्राप्त किया।

कहाती परिवार को तेरह नगर दिये गए।

61 शेष कहात के वंशजों ने मनश्शे परिवार समूह के आधे से दस नगर प्राप्त किये।

62 गेर्शोन के वंशजों के परिवार समूह ने तेरह नगर प्राप्त किये। उन्होंने उन नगरों को इस्साकार, आशेर, नप्ताली और बाशान क्षेत्र में रहने वाले मनश्शे के एक भाग से प्राप्त किये।

63 मरारी के वंशजों के परिवार समूह ने बारह नगर प्राप्त किये। उन्होंने उन नगरों को रूबेन, गाद, और जबूलून के परिवार समूहों से प्राप्त किया। उन्होंने नगरों को गोटें डालकर प्राप्त किया।

64 इस प्रकार इस्राएली लोगों ने उन नगरों और खेतों को लेवीवंशी लोगों को दिया। 65 वे सभी नगर यहूदा, शिमोन और बिन्यामीन के परिवार समूहों से मिले। उन्होंने गोटें डालकर यह निश्चय किया कि कौन सा नगर लेवी का कौन सा परिवार प्राप्त करेगा।

66 एप्रैम के पिरवार समूह ने कुछ कहाती परिवारों को कुछ नगर दिये। वे नगर गोटें डालकर चुने गए। 67 उन्हें शकेम नगर दिया गया। शेकम सुरक्षा नगर है। उन्हें गेजेर 68 योकामन, बेथोरोन, 69 अय्यालोन, और गत्रिम्मोन भी प्राप्त किये। उन्हों ने उन नगरों के साथ के खेत भी पाये। वे नगर एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश में थे 70 और इस्राएली लोगों ने, मनश्शे परिवार समूह के आधे से, आनेर और बिलाम नगरों को कहाती परिवारों को दिया। उन कहाती परिवारों ने उन नगरों के साथ खेतों को भी प्राप्त किया।

अन्य लेवीवंशी परिवारों ने घर प्राप्त किये

71 गेर्शोमी परिवार ने मनश्शे परिवार समूह के आधे से, बाशान और अश्तारोत क्षेत्रों में गोलान के नगरों को प्राप्त किया। उन्होंने उन नगरों के पास के खेत भी पाए।

72-73 गेर्शोमी परिवार ने केदेश, दाबरात, रामोत और आनेम नगरों को आशेर परिवार समूह से प्राप्त किया। उन्होंने उन नगरों के पास के खेतों को भी प्राप्त किया।

74-75 गेर्शोमी परिवार ने माशाल, अब्दोन, हुकोक और रहोब के नगरों को आशेर परिवार समूह से प्राप्त किया। उन्होंने उन नगरों के पास के खेतों को भी प्राप्त किया।

76 गेर्शोमी परिवार ने गालील में केदेश, हम्मोन और किर्यातैम नगरों को भी नप्ताली के परिवार समूह से प्राप्त किया। उन्होंने उन नगरों के पास के खेतों को भी प्राप्त किया।

77 लेवीवंशी लोगों में से शेष मरारी परिवार के हैं। उन्होंने जेक्रयम, कर्ता, शिम्मोन और ताबोर नगरों को जबूलून परिवार समूह से प्राप्त किया। उन्होंने उन नगरों के पास के खेत भी प्राप्त किये।

78-79 मरारी परिवार ने मरुभूमि में बेसेर के नगरों, यहसा, कदेमोत, और मेपाता को बी रूबेन के परिवार समूह से प्राप्त किया। रूबेन का परिवार समूह यरदन नदी के पूर्व की ओर यरीहो नगर के पूर्व में रहता था। इन मरारी परिवारों ने नगर के पास के खेत भी पाये।

80-81 मरारी परिवारों ने गिलाद में रामोत, महनैम, हेशोबोन और याजेर नगरों को गाद के परिवार समूह से प्राप्त किया। उन्होंने उन नगरों के पास के खेत भी प्राप्त कियो।

प्रेरितों के काम 26

पौलुस राजा अग्रिप्पा के सामने

26 अग्रिप्पा ने पौलुस से कहा, “तुझे स्वयं अपनी ओर से बोलने की अनुमति है।” इस पर पौलुस ने अपना हाथ उठाया और अपने बचाव में बोलना आरम्भ किया, “हे राजा अग्रिप्पा! मैं अपने आप को भाग्यवान समझता हूँ कि यहूदियों ने मुझ पर जो आरोप लगाये हैं, उन सब बातों के बचाव में, मैं तेरे सामने बोलने जा रहा हूँ। विशेष रूप से यह इसलिये सत्य है कि तुझे सभी यहूदी प्रथाओं और उनके विवादों का ज्ञान है। इसलिये मैं तुझसे प्रार्थना करता हूँ कि धैर्य के साथ मेरी बात सुनी जाये।

“सभी यहूदी जानते हैं कि प्रारम्भ से ही स्वयं अपने देश में और यरूशलेम में भी बचपन से ही मैंने कैसा जीवन जिया है। वे मुझे बहुत समय से जानते हैं और यदि वे चाहें तो इस बात की गवाही दे सकते हैं कि मैंने हमारे धर्म के एक सबसे अधिक कट्टर पंथ के अनुसार एक फ़रीसी के रूप में जीवन जिया है। और अब इस विचाराधीन स्थिति में खड़े हुए मुझे उस वचन का ही भरोसा है जो परमेश्वर ने हमारे पूर्वजों को दिया था। यह वही वचन है जिसे हमारी बारहों जातियाँ दिन रात तल्लीनता से परमेश्वर की सेवा करते हुए, प्राप्त करने का भरोसा रखती हैं। हे राजन्, इसी भरोसे के कारण मुझ पर यहूदियों द्वारा आरोप लगाया जा रहा है। तुम में से किसी को भी यह बात विश्वास के योग्य क्यों नहीं लगती है कि परमेश्वर मरे हुए को जिला देता है।

“मैं भी सोचा करता था नासरी यीशु के नाम का विरोध करने के लिए जो भी बन पड़े, वह बहुत कुछ करूँ। 10 और ऐसा ही मैंने यरूशलेम में किया भी। मैंने परमेश्वर के बहुत से भक्तों को जेल में ठूँस दिया क्योंकि प्रमुख याजकों से इसके लिये मुझे अधिकार प्राप्त था। और जब उन्हें मारा गया तो मैंने अपना मत उन के विरोध में दिया। 11 यहूदी आराधनालयों में मैं उन्हें प्राय: दण्ड दिया करता और परमेश्वर के विरोध में बोलने के लिए उन पर दबाव डालने का यत्न करता रहता। उनके प्रति मेरा क्रोध इतना अधिक था कि उन्हें सताने के लिए मैं बाहर के नगरों तक गया।

पौलुस द्वारा यीशु के दर्शन के विषय में बताना

12 “ऐसी ही एक यात्रा के अवसर पर जब मैं प्रमुख याजकों से अधिकार और आज्ञा पाकर दमिश्क जा रहा था, 13 तभी दोपहर को जब मैं अभी मार्ग में ही था कि मैंने हे राजन, स्वर्ग से एक प्रकाश उतरते देखा। उसका तेज सूर्य से भी अधिक था। वह मेरे और मेरे साथ के लोगों के चारों ओर कौंध गया। 14 हम सब धरती पर लुढ़क गये। फिर मुझे एक वाणी सुनाई दी। वह इब्रानी भाषा में मुझसे कह रही थी, ‘हे शाऊल, हे शाऊल, तू मुझे क्यों सता रहा है? पैंने की नोक पर लात मारना तेरे बस की बात नहीं है।’

15 “फिर मैंने पूछा, ‘हे प्रभु, तु कौन है?’

“प्रभु ने उत्तर दिया, ‘मैं यीशु हूँ जिसे तु यातनाएँ दे रहा है। 16 किन्तु अब तू उठ और अपने पैरों पर खड़ा हो जा। मैं तेरे सामने इसीलिए प्रकट हुआ हूँ कि तुझे एक सेवक के रूप में नियुक्त करूँ और जो कुछ तूने मेरे विषय में देखा है और जो कुछ मैं तुझे दिखाऊँगा, उसका तू साक्षी रहे। 17 मैं जिन यहूदियों और विधर्मियों के पास 18 उनकी आँखें खोलने, उन्हें अंधकार से प्रकाश की ओर लाने और शैतान की ताकत से परमेश्वर की ओर मोड़ने के लिये, तुझे भेज रहा हूँ, उनसे तेरी रक्षा करता रहूँगा। इससे वे पापों की क्षमा प्राप्त करेंगे और उन लोगों के बीच स्थाऩ पायेंगे जो मुझ में विश्वास के कारण पवित्र हुए हैं।’”

पौलुस के कार्य

19 “हे राजन अग्रिप्पा, इसीलिये तभी से उस दर्शन की आज्ञा का कभी भी उल्लंघन न करते हूए 20 बल्कि उसके विपरीत मैं पहले उन्हें दमिश्क में, फिर यरूशलेम में और यहूदिया के समूचे क्षेत्र में और ग़ैर यहूदियों को भी उपदेश देता रहा कि मनफिराव के, परमेश्वर की ओर मुड़े और मनफिराव के योग्य काम करें।

21 “इसी कारण जब मैं यहाँ मन्दिर में था, यहूदियों ने मुझे पकड़ लिया और मेरी हत्या का यत्न किया। 22 किन्तु आज तक मुझे परमेश्वर की सहायता मिलती रही है और इसीलिए मैं यहाँ छोटे और बड़े सभी लोगों के सामने साक्षी देता खड़ा हूँ। मैं बस उन बातों को छोड़ कर और कुछ नहीं कहता जो नबियों और मूसा के अनुसार घटनी ही थीं 23 कि मसीह को यातनाएँ भोगनी होंगी और वही मरे हुओं में से पहला जी उठने वाला होगा और वह यहूदियों और ग़ैर यहूदियों को ज्योति का सन्देश देगा।”

पौलुस द्वारा अग्रिप्पा का भ्रम दूर करने का यत्न

24 वह अपने बचाव में जब इन बातों को कह ही रहा था कि फेस्तुस ने चिल्ला कर कहा, “पौलुस, तेरा दिमागख़राब हो गया है! तेरी अधिक पढ़ाई तुझे पागल बनाये डाल रही है!”

25 पौलुस ने कहा, “हे परमगुणी फेस्तुस, मैं पागल नहीं हूँ बल्कि जो बातें मैं कह रहा हूँ, वे सत्य हैं और संगत भी। 26 स्वयं राजा इन बातों को जानता है और मैं मुक्त भाव से उससे कह सकता हूँ। मेरा निश्चय है कि इनमें से कोई भी बात उसकी आँखों से ओझल नहीं है। मैं ऐसा इसलिये कह रहा हूँ कि यह बात किसी कोने में नहीं की गयी। 27 हे राजन अग्रिप्पा! नबियों ने जो लिखा है, क्या तू उसमें विश्वास रखता है? मैं जानता हूँ कि तेरा विश्वास है।”

28 इस पर अग्रिप्पा ने पौलुस से कहा, “क्या तू यह सोचता है कि इतनी सरलता से तू मुझे मसीही बनने को मना लेगा?”

29 पौलुस ने उत्तर दिया, “थोड़े समय में, चाहे अधिक समय में, परमेश्वर से मेरी प्रार्थना है कि न केवल तू बल्कि वे सब भी, जो आज मुझे सुन रहे हैं, वैसे ही हो जायें, जैसा मैं हूँ, सिवाय इन ज़ंजीरों के।”

30 फिर राजा खड़ा हो गया और उसके साथ ही राज्यपाल, बिरनिके और साथ में बेठे हुए लोग भी उठ खड़े हुए। 31 वहाँ से बाहर निकल कर वे आपस में बात करते हुए कहने लगे, इस व्यक्ति ने तो ऐसा कुछ नहीं किया है, जिससे इसे मृत्युदण्ड या कारावास मिल सके। 32 अग्रिप्पा ने फेस्तुस से कहा, “यदि इसने कैसर के सामने पुनर्विचार की प्रार्थना न की होती, तो इस व्यक्ति को छोड़ा जा सकता था।”

भजन संहिता 6

शौमिनिथ शैली के तारवाद्यों के निर्देशक के लिये दाऊद का एक गीत।

हे यहोवा, तू मुझ पर क्रोधित होकर मेरा सुधार मत कर।
    मुझ पर कुपित मत हो और मुझे दण्ड मत दे।
हे यहोवा, मुझ पर दया कर।
    मै रोगी और दुर्बल हूँ।
मेरे रोगों को हर ले।
    मेरी हड्डियाँ काँप—काँप उठती हैं।
    मेरी समूची देह थर—थर काँप रही है।
हे यहोवा, मेरा भारी दु:ख तू कब तक रखेगा।
हे यहोवा, मुझ को फिर से बलवान कर।
    तू महा दयावाने है मेरी रक्षा कर।
मरे हुए लोग तुझे अपनी कब्रों के बीच याद नहीं करते हैं।
    मृत्यु के देश में वे तेरी प्रशंसा नहीं करते हैं।
    अतःमुझको चँगा कर।

हे यहोवा, सारी रात मैं तुझको पुकारता रहता हूँ।
    मेरा बिछौना मेरे आँसुओं से भीग गया है।
मेरे बिछौने से आँसु टपक रहे हैं।
    तेरे लिये रोते हुए मैं क्षीण हो गया हूँ।
मेरे शत्रुओं ने मुझे बहुतेरे दु:ख दिये।
    इसने मुझे शोकाकुल और बहुत दु:खी कर डाला और अब मेरी आँखें रोने बिलखने से थकी हारी, दुर्बल हैं।

अरे ओ दुर्जनों, तुम मुझ से दूर हटो।
    क्योंकि यहोवा ने मुझे रोते हुए सुन लिया है।
मेरी विनती यहोवा के कान तक पहुँच चुकी है
और मेरी प्रार्थनाओं को यहोवा ने सुनकर उत्तर दे दिया है।

10 मेरे सभी शत्रु व्याकुल और आशाहीन होंगे।
    कुछ अचानक ही घटित होगा और वे सभी लज्जित होंगे।
    वे मुझको छोड़ कर लौट जायेंगे।

नीतिवचन 18:20-21

20 मनुष्य का पेट उसके मुख के फल से ही भरता है, उसके होठों की खेती का प्रतिफल उसे मिला है।

21 वाणी जीवन, मृत्यु की शक्ति रखती है, और जो वाणी से प्रेम रखते है, वे उसका फल खाते हैं।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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