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Chronological

Read the Bible in the chronological order in which its stories and events occurred.
Duration: 365 days
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)
Version
यहेजकेल 42-43

याजकन क कमरन

42 तब उ मनई मोका बाहरी आँगन मँ लइ गवा जेकर सामना उत्तर क रहा। उ ओन कमरन मँ लइ गवा जउन मन्दिर स आँगन क आर-पार अउर उत्तर क भवनन क आर-पार रहेन। उत्तर कइँती क भवन सौ हाथ लम्बा अउ पचास हाथ चउड़ा रहा। हुआँ भीतरी आँगन क आगे बीस हाथ लम्बा खुला छेत्र अउर बाहरी आँगन क आगे पक्का गल्यारा रहेन। ओन भवनन पइ तीन तीन छज्जन रहेन। उ सबइ एक दूसर क आमने-समने रहेन। कमरन क समन्वा एक बिसाल कच्छ रहा। उ भीतर पहोंचत रहा। इ दस हाथ चउड़ा, सउ हाथ लम्बा रहा। ओकर दरवाजन उत्तर कइँती रहेन। ऊपर क कमरन जियादा पातर रहेन काहेकि छज्जत बीच अउ निजली मंजिल स जियादा जगह घेरे रही। कमरन तीन मंजिलन पइ रहेन। बाहरी आँगन खम्भन क तरह ओनकर खम्भन नाहीं रहेन। एह बरे ऊपर क कमरन बीच अउ खाले क मंजिल क कमरन स जियादा पाछे रहेन। बाहेर एक देवार रही। इ कमरन क समानान्तर रही। इ कमरन क समन्वा बाहरी आँगन तलक रहेन। इ पचास हाथ लम्बा रहा। कमरन क कतार जउन कि बाहेरी आँगन कइँती गएन रहा पचास हाथ लम्बी रही। मन्दिर क समन्वा क कमरन क कुल लम्बाई सौ हाथ रहेन। एन कमरन क निचे एक प्रवेसपथ रहा जउन बाहरी आँगन स होत भवा पूरब क लइ जात रहा। 10 पूरब क कइँती क आँगन क देवारन मँ,

सटा भवा आँगन अउर भवन क आपने-सामेन कमरन रहेन। 11 हुआँ एक बिसाल कच्छ रहा। उ सबइ उत्तर क कमरन क नाईं रहेन। ओन सबइ क लम्बाइ अउ चउड़ाइ समान रहेन अउर उहइ तरह दरवाजन रहेन। 12 दक्खिन क कमरन क खाले एक दुआर रहा जउन पूरब कइँती जात रहा। इ बिसाल कच्छ मँ पहोंचावत रहा। दक्खिन क कमरन क आर-पार एक विभाजक देवार रही।

13 उ मनई मोहसे कहेस, “आँगन क आर-पार वाले दक्खिन क कमरन अउ उत्तर क कमरन पवित्तर कमरन अहइँ। इ सबइ ओन याजकन क कमरन अहइँ जउन यहोवा क बलि-भेंट चढ़ावत हीं। उ सबइ याजक एन कमरन मँ सबनत पवित्तर भेंट क खइहीं। उ पचे सब स जियादा पवित्तर भेंट क हुवाँ रखिहीं। काहेकि इ जगह पवित्तर अहइ। सब स जियादा पवित्तर भेंटन इ सबइ अहइँ: अन्न भेंट, पाप बरे भेंट अउर अपराध भेंट। 14 याजक पवित्तर छेत्र मँ प्रवेस करिहीं। किन्तु बाहरी आँगन मँ जाइ क पहिले उ पचे आपन सेवा-वस्त्र पवित्तर ठउर मँ रख देइहीं। काहेकि इ समइ वस्त्र पवित्तर अहइँ। जदि याजक चाहत ह कि उ मन्दिर क उ भाग मँ जाइ जहाँ दूसर लोग अहइँ तउ ओका ओन कमरन मँ जाइ चाही अउर दूसर वस्त्र पहिर लेइ चाही।”

मन्दिर क बाहरी हींसा

15 उ मनई जब मन्दिर क बाहारी आगँन क नाप लेइ खतम कइ चुका, तउ उ मोका उ फाटक स बाहेर लिआवा जउन पूरब क रहा। उ मन्दिर क बाहेर चारिहुँ कइँती नापेस। 16 उ मनई नापदण्ड स, पूरब क सिरा क नापेस। इ पाँच सौ छड़ लम्बा रहा। 17 उ उत्तर क सिरे क नापेस। इ पाँच सौ छड़ लम्बा रहा। 18 उ दक्खिन क सिरे क नापेस। इ पाँच सौ छड़ लम्बा रहा। 19 उ पच्छिम क तरफ चारिहुँ कइँती गवा अउर एका नापेस। इ पाँच सौ छड़ लम्बा रहा। 20 उ मन्दिर क चारिहुँ ओस स नापेस। देवार मन्दिर क चारिहुँ ओर गइ रही। देवार पाँच सौ छड़ लम्बी अउर पाँच सौ छड़ चउड़ी रही। इ पवित्तर स्थान क साधारण स्थान अलागावइ बरे हुवाँ रही।

यहोवा आपन लोगन क बीच रही

43 उ मनई मोका फाटक तलक लइ गवा, उ फाटक जउन पूरब क खुलत रहा। हुवाँ पूरब स इस्राएल क परमेस्सर क महिमा उतरी। परमेस्सर क अवाज क सोरमचावत भवा अधिक पानी आवाज़ क समान तेज रही। परमेस्सर क महिमा स भुइँया प्रकास स चमक उठी। उ दर्सन वइसा ही रहा जउन मइँ उ समइ लखेउँ जब उ नगर विनास करइ बरे आवा रहा वइसा ही रहा। जइसा दर्सन मइँ कबार नदी क किनारे लखे रहेउँ। अउर मइँ मुहँ क बल धरती पइ गिर पड़इ गवा। यहोवा क महिमा, मन्दिर मँ उ फाटक स आइ जउन पूरब क खुलत ह।

तब आतिमा मोका ऊपर उठाएस अउर भीतरी आँगन मँ लइ गइ। यहोवा क महिमा मन्दिर क भर दिहस। मइँ मन्दिर क भीतर स कउनो क मोरे संग बातन करत सुनेउँ। मनई मोर बगल मँ खड़ा रहा। मन्दिर मँ एक अवाज मोका कहेस, “मनई क पूत, इहइ ठउर मोरे सिंहासन अउ पदपीठ अहइ। मइँ इ ठउर पइ इस्राएल क लोगन मँ सदा रहब। इस्राएल क परिवार मोरे पवित्तर नाउँ क फिन अपमान नाहीं करी। राजा अउर ओनकर लोग मोरे पवित्तर नाउँ क बिभिचारी स अउर आपन-आपन उच्च ठउरे पइ राजा लोगन क ल्हासन दफनाइके लज्जित नाहीं करिहीं। उ पचे मोरे नाउँ क, आपन डवेढ़ी क मोर डवेढ़ी क संग बनाइके अउर दुआर खम्भा क मोरे दुआर खम्भा क संग बनाइके लज्जित नाहीं करिहीं। पुराने जमाने मँ सिरिफ एक देवार मोरे घरे क ओनॅस अलग करत रही। एह बरे उ पचे हर समइ जब कबहुँ भी पाप अउर भयंकर कामन क किहेन तब मोरे पवित्तर नाउँ क लज्जित किहन। इहइ कारण रहा कि मइँ कोहाइ गएउँ अउर ओनका नस्ट किहेउँ। अब ओनका बिभिचार क दूर करइ द्या अउर अपने राजा लोगन क ल्हासन क मोका बहोत दूर लइ जाइ द्या। तब मइँ ओनके बीच सदा रहब।

10 “अब मनई क पूत, इस्राएल क परिवार स मन्दिर क बारे मँ कहा। तब उ पचे आपन पापन पइ लज्जित होइहीं। उ पचे मन्दिर क जोजना क बारे मँ सिखिहीं। 11 उ पचे ओन बुरे कामन बरे लज्जित होइहीं जउन उ पचे किहेन ह। ओनका मन्दिर क आकृति समुझइ द्या। ओनका इ सीखइ द्या कि उ कइसे बनी, ओकर प्रवेस दुआर, निकास दुआर अउर एह पइ क सारी रूपकृतियन कहाँ होइहीं। ओनका एकर सबहिं नेमन अउर विधियन क बारे मँ सिखावा अउर एनका लिखा जेहसे उ पचे सबहिं एनका लखि सकइँ। तब उ पचे मन्दिर क सबहिं नेमन अउर विधियन क पालन करिहीं। तब उ पचे इ सब कछू कइ सकत हीं। 12 मन्दिर क नेम इ अहइ: पर्वत क चोटी पइ सारा छेत्र सब स जियादा पवित्तर अहइ। इ मन्दिर क नेम अहइ।

वेदी

13 “वेदी क नाप, लम्बा हाथ क नाप क अनुसार इ अहइ: हाथ का नाप साधारण हाथ स चार अंगुल बड़ा राह। वेदी क नेंव क चारिहुँ कइँती एक गन्दा नाला रहा। इ एक हाथ गहिर अउर एक हाथ चउड़ा रहा। किनारा क चारिहुँ कइँती एक बीत्ता ऊँचा पट्टी रहा। वेदी केतनी ऊँची रही, उ इ रही। 14 भुइँया स निचली किनारी तलक, नेवं क नाप दुइ हाथ अहइ। इ एक हाथ चउड़ी रही। छोटी किनारी स बड़ी किनारी तलक एकर नाप चार हाथ रही। इ दुइ हाथ चउड़ी रही। 15 वेदी पइ आगी क जगह चार हाथ ऊँच रही। वेदी क चारिहुँ कोने सीगंन क आकार क रहेन। 16 वेदी पइ आगी क जगह बारह हाथ लम्बी अउर बारह हाथ चउड़ी रही। इ पूरी तरह वर्गाकार रहा। 17 किनारा भी वर्गाकार रही अउर चौदह हाथ लम्बी अउर चउदह हाथ चउड़ी रही। एकरे चारिहुँ ओर आधा हाथ चउड़ी एक पट्टी रही। (नेंव क चारिहुँ कइँती गन्दी नाली एक हाथ चउड़ी रही।) वेदी तलक जाइवाली सीढ़ियन पूरब दिसा मँ रहिन।”

18 तब उ मनई मोहसे कहेस, “मनई क पूत, सुआमी यहोवा इ कहत ह: ‘वेदी बरे इ सबइ नेम अहइँ। जउने दिन इ होमबलि चढ़ावइ बरे अउर एह पइ खून बहावइ बरे तइयार होइ जाइ तउ, 19 तोहका लेवी कबीला क याजकन क जउन कि सदोक क सन्तानन अहइ एक ठु जवान साँड़ देइ चाही। उ पचे ओन लोग अहइ जउन कि मोर बरे भेंट क जराइके मोर सेवा किहेस।’” मोर सुआमी यहोवा इ कहेस। 20 “तू बैल क कछू खून लेब्या अउर वेदी क चारिहुँ सींगन पइ, किनारे क चारिहुँ कोनन पइ अउर पट्टी क चारिहुँ ओर डउब्या। इ तरह तू वेदी क पवित्तर करब्या अउर एकरे बरे प्रायस्चित अदा करब्या। 21 तू बैल क पाप बलि क रूप मँ लेब्या। बैल, पवित्तर छेत्र क बाहेर, मन्दिर क खास जगह पइ जरावा जाइ।

22 “दूसर दिन तू बोकरा भेंट करब्या जेहमाँ कउनो दोख नाहीं होइ। इ पाप बलि होइ। याजक वेदी क उहइ तरह पवित्तर करी जउने तरह उ बैल स ओका पवित्तर किहस। 23 जब तू वेदी क पवित्तर करब समाप्त कइ चुका तब तोहका चाही कि तू एक दोख रहित जवान बैल अउर एक दोख रहित भेड़ा बलि चड़ावा। 24 तब याजक ओन पइ नून छिछकारिहीं। तब याजक बैल अउर भेड़ा क यहोवा क होमबलि क रूप मँ बलि चढ़इहीं। 25 तू एक बोकरा हर रोज सात दिन तलक, पाप बलि क बरे तइयार करब्या। तू एक नवा बैल अउ झुण्ड स एक भेड़ा भी तइयार करब्या। बैल अउ भेड़न मँ कउनो दोख नाहीं होइ चाही। 26 सात दिन तलक याजक वेदी क पवित्तर करत रहिहीं। तब याजक वेदी क समर्पित करिहीं। 27 उ सबइ सात दिन पूरा होइ जइहीं। अठएँ दिन अउर ओकरे आगे याजक क तोहार होमबलि अउ मेलबलि वेदी पइ चढ़ाइ चाही। तब मइँ तोहका अंगीकार करब।” मोर सुआमी यहोवा इ कहेस।

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