Chronological
हिद्देकेल नदी क किनारे दानिय्येल क दर्सन
10 कुसू फारस क राजा रहा। कुसू क सासनकाल क तीसरे बरिस दानिय्येल क एन बातन क दैवी संदेस मिला। (दानिय्येल क ही दूसर नाउँ बेलतसस्सर रहा) इ सबइ बातन फुरइ रहेन किन्तु समुझइ बरे बहोत कठिन रहेन। किन्तु दानिय्येल ओन क समुझ गवा। उ सबइ बातन एक दर्सन मँ ओका समुझाई गई रहिन।
2 दानिय्येल क कहब अहइ, उ समइ, मइँ दानिय्येल, तीन हफ्तन तलक बहोत दुःखी रहा। 3 ओन तीन हफ्तन क दौरान, मइँ कउनो भी उत्तम खाना नहीं खाएउँ। मइँ दाखरस नाहीं पिएउँ। कउनो भी तरह क तेल मइँ आपन मुँड़े पइ नाहीं डाएउँ। तीन हफ्ता तलक मइँ अइसा कछू भी नाहीं किहेउँ।
4 बरिस क पहिले महीने क चउबीसवें दिन मइँ हिद्देकेल महानदी क किनारे खड़ा रहेउँ। 5 हुवाँ खड़े-खड़े जब मइँ ऊपर कइँती लखेउँ तउ हुँवा मइँ एक मनई क आपन समन्वा खड़ा पाएउँ। उ सन क कपड़ा भवा रहा। ओकर करिहाउँ मँ निखालिस सोना क बनी भइ कमर बंर रही। 6 ओकर बदन चमचमात पाथर क जइसे रही। ओकर मुँह बिजुरी क समान उज्जर रहा। ओकर बाँहन अउर ओकर गोड़ चमकदार पीतर स झिलमिलात रहेन। ओकर अवाज एतनी ऊँच रही जइसे लोगन क भीड़ क अवाज होत ह।
7 इ दर्सन बस मोका, दानिय्येल क भवा। जउन लोग मोरे संग रहेन, उ सबइ जदपि उ दर्सन क नाहीं लखि पाएन किन्तु उ सबइ फुन डर गए रहेन। उ पचे एतना डर गएन कि पराइके कहूँ जाइ छिपेन। 8 तउ मइँ अकेल्ला छूटि गएउँ। मइँ उ दर्सन क लखत रहेउँ अउर उ दृस्य मोका भयभीत कइ डाए रहा। मोर सक्ति जात रही। मोर मुहँ अइसे पिअर पड़ गवा जइसे माना उ कउनो मरे भए मनई क मुँह होइ। मइँ बेवस रहा। 9 फुन दर्सन क उ मनई क मइँ बात करत सुनेउँ। मइँ ओकर अवाज क सुनत ही रहेउँ कि मोका गहिर नींद घेरि लिहस। मइँ धरती पइ औधें मुँह पड़ा रहेउँ।
10 फिन एक हाथ मोका छुइ लिहस। अइसा होइ पइ मइँ आपन हाथन अउ आपन घुटनन क बल खड़ा होइ गवा। मइँ डर क मारे थर-थर काँपत रहेउँ। 11 दर्सन क उ मनई मोहसे कहेस, “दानिय्येल, तू परमेस्सर क बहोत पियारा अहा। जउन सब्द मइँ तोहसे कहउँ ओह पइ तू सावधानी से पियार करा। खड़ा ह्वा। मोका तोहरे लगे पठवा गवा ह।” जब उ अइसा कहेस तउ मइँ खड़ा होइ गवा। मइँ अबहुँ भी थर-थर काँपत रहेउँ काहेकि मइँ डेरान भवा रहा। 12 एकरे बाद दर्सन क उ मनई फुन बोलन सुरू किहेस। उ कहेस, “दानिय्येल, जिन डेराअ। पहिले ही दिन स तू इ निहचइ कइ लिहे रह्या कि तू परमेस्सर क समन्वा विवेक पूर्ण अउर विनम्र रहब्या। परमेस्सर तोहार पराथनन क सुनत रहत ह। तू पराथना करत रहा ह, मइँ एह बरे तोहरे लगे आवा हउँ। 13 किन्तु फारस क जुवराज (सरगदूत) इक्कीस दिन तलक मोर संग लड़त रहा अउर मोका तंग करत रहा। एकरे बाद मिकाएल जउन एक बहोतइ महत्व पूर्ण जुवराज रहा। मोर मदद बरे मोरे लगे आवा काहेकि मइँ हुवाँ फारस क राजा क संग अरइ भवा रहा। 14 हे दानिय्येल, अब मइँ तोहरे लगे तोहका उ बतावइ क आवा हउँ जउन भविस्स मँ तोहरे लोगन क संग घटइवाला अहइ। कहा सपना आवइवाले भविस्स क बारे मँ अहइ।”
15 अबहिं उ मनई मोहसे बात ही करत रहा कि मइँ धरती क तरफ़ खाले मुँह निहुराइ लिहेउँ। मइँ बोल ही नाहीं पावत रहा। 16 फुन कउनो जउन मनई क जइसा देखाइ देत रहा, मोरे होठन क छुएस। मइँ आपन मुहँ खोलेउँ, अउ बोलब सुरू किहेउँ। मोरे समन्वा जउन खड़ा रहा, ओहसे मइँ कहेउँ, “महोदय, मइँ दर्सन मँ जउन लखे रहेउँ, मइँ ओहसे बियावुल अउ भयभीत अहउँ। महँ अपने क बेसहारा समुझत हउँ। 17 मइँ तोहार दास हउँ। मइँ तोहसे कइसे बात कर सकत हउँ? मोर सक्ति जात रहत ह। मोहसे तउ साँस भी नाहीं लीन्ह जात ह।”
18 मनई जइसे देखात भए उ मोका फुन छुएस। ओकरे छुअत स मइँ मज़बूत बनि गवा। 19 फुन उ बोला, “दानिय्येल, डेराअ जिन। परमेस्सर तोहसे बहोत पिरेम करत ह। तोहका सान्ति प्राप्त होइ। अब तू सुदृढ़ होइ जा। सुदृढ़ होइ जा।”
उ मोहसे जब बात किहेस तउ मइँ अउर जियादा सक्तिसाली होइ गवा। फुन मइँ ओहसे कहेउँ, “सुआमी! आप तउ मोका सक्ति दइ दिहा ह। अब आप बोल सकत हीं।”
20 तउ उ फुन कहेस, “दानिय्येल, का तू जानत अहा, मइँ तोहरे पास काहे आवा हउँ? फारस क जुवराज स जुद्ध करइ क बरे मोका फुन वापस जाब अहइ। मोरे चले जाइ क बाद युनान क जुवराज हिआँ आइ। 21 किन्तु दानिय्येल आपन जाइ स पहिले तोहका सब स पहिले मोका इ बताउब अहइ कि सच क पुस्तक मँ का लिखा अहइ। ओन बुरे राजकुमारन क विरोध मँ मीकाएल सरगदूत क अलावा मोरे संग कउनो नाहीं खड़ा होत। मीकाएल उ राजकुमार अहइ जउन तोहरे लोगने पइ हुकूमत करत ह।
11 “मादी राजा दारा क सासनकाल के पहिले बरिस मीकाएल क फारस क जुवराज क विरुद्ध जुद्ध मँ सहारा देइ अउर ओका ससक्त बनावइ क मइँ उठ खड़ा भवा।
2 “अब लखा, दानिय्येल मइँ, तोहसे सच्ची बात बतावत हउँ। फारस मँ तीन राजा लोगन क सासन अउर होइ। इ एकरे पाछे एक चउथा राज्ज आइ। इ चउथा राज्ज अपने पहिले क फारस क दूसर राजा लोगन स कहूँ जियादा धनवान होइ। उ चउथा राजा सक्ति पावइ बरे आपन धन क प्रयोग करी। उ हर कउनो क युनान क विरोध मँ कइ देइ। 3 एकर पाछे एक बहोत जियादा सक्तिसाली राजा आइ, उ बड़की सक्ति क संग सासन करी। उ जउन चाही उहइ करी। 4 राजा क अवाई क पाछे ओकर राज्ज क टूका-टूका होइ जइहीं। ओकर राज्ज चारिहुँ कइँती तितर बितर होइ जाइ। ओकर राज्ज ओकर पूत पोतन क बीच नाहीं बँटी। जउन सक्ति ओहमा रही, उहइ सक्ति ओकरे राज्ज मँ नाहीं होइ। अइसा काहे होइ? अइसा एह बरे होइ कि ओकर राज्ज उखाड़ दीन्ह जाइ अउर ओका दूसर लोगन क दइ दीन्ह जाइ।
5 “दक्खिन क राजा सक्तिसाली होइ जाइ। किन्तु एकरे पाछे ओकर एक सेनापति ओह स भी जियादा सक्तिसाली होइ जाइ। उ सेना नायक हुकूमत करइ लागी अउर बहोत बलसाली जोइ जाइ।
6 “फुन कछू बरिसन बाद एक समझोता होइ अउर दक्खिनी राजा क बिटिया उत्तरी राजा स बियाही जाइ। उ सान्ति कायम करइ बरे अइसा करी। किन्तु उ अउर दक्खिनी राजा पर्याप्त सक्तिसाली नाहीं होइहीं। फुन लोग ओकरे अउर उ मनई क जउन ओका उ देस मँ लाए रहा, खिलाफ होइ जइहीं अउर उ सबइ लोग ओकरे बच्चे क अउर उ मेहरारू क हिमाइती मनई क भी खिलाफ होइ जइहीं।
7 “कन्तु उ मेहरारू क परिवार क एक मनई दक्खिनी राजा क ठउर क लेइ बरे आई। उ उत्तर क राजा क फउजन पइ हमला करी। उ राजा क सुदृढ़ किले मँ प्रवेस करी। उ जुद्ध करी अउर विजयी होइ। 8 उ ओनके देवतन क मूरतियन क लइ लेइ। उ ओनक धातु क बने मूरतियन अउर ओनकर चाँदी-सोने क बहुमूल्य वस्तुअन क हुवाँ स मिस्र लइ जाइ। फुन कछू बरिसन तलक उ उत्तर क राजा क तंग नाहीं करी। 9 उत्तर क राजा दक्खिन क राज्ज पइ हमला करी। किन्तु पराजित होइ अउर फुन अपने देस क लउटि जाइ।
10 “उत्तर क राजा क पूतन जुद्ध क तइयारी करिहीं। उ पचे एक बिसाल फउज जुटइहीं। उ सेना एक सक्तिसाली बाड़ क तरह बड़ी तेजी स धरती पइ अगवा बड़त चली जाइ। उ सेना दक्खिन क राजा क सुदृढ़ दुर्ग तलक सारे रास्ते जुध्द करत जाइ। 11 फिन दक्खिन क राजा किरोध स तिलमिलाइ उठी। उत्तर क राजा स जुद्ध करइ बरे उ बाहेर निकरि आइ। उत्तर क राजा जदपि एक बहोत बड़ी सेना जुटाइ किन्तु जुद्ध मँ हार जाइ। 12 “उत्तर क सेना पराजित होइ जाइ, अउर ओन फउजियन क कहूँ लइ जावा जाइ। दक्खिनी राजा क बहोत अभिमान होइ जाइ अउर उ उत्तरी सेना क हजारन-हजार फउजियन क मउत क घाट उतारि देइ। किन्तु उ जुद्ध करइ बरे लगातार नाहीं रहिहीं। 13 उत्तर क राजा एक अउर सेना जुटाइ। इ सेना पहिली सेना स जियादा बड़ी होइ। कई बरिसन पाछे उ हमला करी। उ सेना बहोत बिसाल होइ अउर ओकरे लगे बहोत स हयियार होइहीं।
14 “ओन दिनन बहोत स लोग दविखन क राजा क विरोध मँ होइ जाइहीं। कछू तोहार आपन लोग, जेनका जुद्ध प्रिय अहइ, दक्खिन क राजा क खिलाफ बगावत करिहीं। उ पचे जितिहीं तउ नाहीं किन्तु अइसा करत भए उ दर्सन क फुरइ सिध्द करिहीं। 15 फुन ओकरे बाद उत्तर क राजा आई अउर उ नगर क परकोटे पइ ढलवाँ चउतरा बनाइके उ सुदृढ़ नगर पइ कब्जा करी। दक्खिन क राजा क सेना जुद्ध क उत्तर नाहीं दइ पाई। हिआँ तलक कि दक्खिनी सेना क सर्वोत्तम सैनिक भी एतने सक्तिसाली नाहीं होइहीं कि उ पचे उत्तर क सेना क रोक पावइँ।
16 “उत्तर क राजा जइसा चाही, वइसा करी। ओका कउनो भी रोक नाहीं पाई। उ इ सुन्नर धरती पइ नियन्त्रन कइके सक्ति पाइ लेइ। ओका इ प्रदेस नस्ट करइ क सक्ति पाइ लेइ। 17 फुन उत्तर क राजा दविखन क राजा स जुद्ध करइ बरे आपन सारी सक्ति का उपयोग करइ क निहचइ करी। उ दक्खिन क राजा संग एक सन्धि करी। उत्तर क राजा दक्खिन राजा स आपन एक बिटिया क बियाह कइ देइ। उत्तर क राजा अइसा एह बरे करी कि उ दक्खिन क राजा क हराई सकइ। किन्तु ओकर उ सबइ योजना फली भूत नाहीं होइहीं। एन सबइ योजना स ओका कउनो मदद नाहीं मिली।
18 “एकरे आगे उत्तर क राजा भूमध्य-सागर क तट स लगत भए देसन पइ आपन धियान लगाई। उ ओन देसा मँ स बहोत स देसन क जीत लेइ। किन्तु फुन एक सेनापति उत्तर क राजा क उ अहंकार अउर उ बगावत क अंत कइ देइ। उ सेनापति उ उत्तर क राजा क लज्जित करी।
19 “अइसा घटइ क पाछे उत्तर क उ राजा खुद आपन देस क सुदृढ़ किलन कइँती लउटि जाइ। किन्तु उ दुर्बल होइ चुका होइ अउर ओकर पतन होइ जाइ। फुन ओकर पता भी नाहीं चली।
20 “उत्तर क उ राजा क पाछे एक नवा सासक आइ। उ सासक कउनो कर वसूलइ वालन क पठइ। उ सासक अइसा एह बरे करी कि उ सम्पन्नता क संग जिन्नगी बितावइ बरे पर्याप्त धन जुटाइ सकइ। किन्तु थोड़े ही बरिसा मँ उ सासक क अंत होइ जाइ। किन्तु उ जुद्ध मँ नाहीं मारा जाइ।
21 “उ सासक क पाछे एक बहोत क्रूर एवं घृणा जोग्ग मनई आइ। उ मनई क राज परिवार क बंसज होइ क गौरव प्राप्त नाहीं होइ। उ चालाकी स राजा बनी। जब लोग अपने क सुरच्छित समुझे हुए होइहीं, उ तबहिं राज्ज पइ आक्रमण करी अउर ओह पइ कब्जा कइ लेइ। 22 उ बिसाल सक्तिसाली फउजन क हराई देइ। उ समुझौते क मुखिया क संग सन्धि करइ पइ भी ओका पराजित करइ। 23 बहोत स रास्ट्र उ क्रूर एवं घिना जोग्ग राजा क संग सन्धि करिहीं किन्तु उ ओनसे मिथ्या स भरी चालाकी बरती। उ मज़बूत होइ जाई किन्तु बहोत थोड़े स लोग ही ओकर पच्छ मँ होइहीं।
24 “जब उ प्रदेस क सर्वाधिक धनी छेत्र आपन क सुरच्छित अनुभव करत रहे होइहीं; उ क्रूर एवं घिना स भरे सासक ओन पइ हमला कइ देइ। उ ठीक समइ पइ हमला करी अउर हुवाँ सफलता प्राप्त करी जहाँ ओकरे पुरखन क सफलता नाहीं मिली रही। उ जउन देसन क पराजित करी ओनकर सम्पत्ति छोरिके आपन पिछलगुअन क देइ। उ सुदृढ़ नगरन क पराजित करइ क सबइ योजना रची। उ कामयाबी तउ पाई किन्तु बहोत थोड़े स समइ बरे।
25 “उ क्रूर एवं घिना जोग्ग राजा क लगे एक बिसाल फउज होइ। उ उ फउज क उपयोग आपन सक्ति अउर आपन साहस क प्रदर्सन बरे करी अउर एहसे उ दक्खिन क राजा पइ हमला करी। तउ दविखन क राजा भी एक बहोत बड़की अउर सक्तिसाली फउज जुटाइ अउर जुद्ध बरे वूच करी। 26 किन्तु उ सबइ लोग जउन दक्खिन क राजा क मीत समुझा जात रहेन छुपे-छुपे सबइ योजना रचिहीं अउर ओका पराजित करइ क जतन करिहीं। ओकर फउज पराजित कइ दीन्ह जाइ। जुद्ध मँ ओकर बहोत स फउजी मारा जइहीं। 27 ओन दुइनउँ राजा लोगन क मन इहइ बात मँ लगी कि एक दूसर क नोस्कान पहोंचावा जाइ। उ पचे एक ही मेज पइ बइठिके एक दूसर स झूठ बोलिहीं किन्तु ओहसे ओन दुइनउँ मँ स कउनो क भला नाहीं होइ, काहेकि परमेस्सर ओनकर अंत आवइ क समइ निर्धारित कइ दिहेस ह।
28 “बहोत स धन दौलत क संग, उ उत्तर क राजा अपने देस लउटि जाइ। फिन उ पवित्तर वाचा क बरे उ बुरे करम करइ क निर्णय लेइ। उ आपन जोग्गता क अनुसार काम करी अउ फुन आपन देस लउटि जाइ।
29 “फुन उत्तर क राजा ठीक समइ पइ दक्खिन क राजा पर हमला कइ देइ। किन्तु इ बार उ पहिले क तरह कामयाब नाहीं होइ। 30 पच्छिम क जहाज अइहीं अउर उत्तर क राजा क विरुद्ध जुद्ध करिहीं। उ ओन जहाजन क आवत लखिने डर जाइ। फुन वापस लउटिके पवित्तर वाचा पइ आपन किरोध उतारी। उ लउटिके, जउन लोग पवित्तर वाचा पइ चलब छोड़ दिहे रहा, ओनकर मदद करी। 31 फुन उत्तर क राजा यरूसलेम क मन्दिर क असुद्ध करइ बरे आपन फउज पठइ। उ सबइ लोगन क दैनिक बलि समर्पित करइ स रोकिहीं। एकरे पाछे उ सबइ हुवाँ कछू अइसा भयानक घिनौनी वस्तु स्थापित करिहीं जउन फुरइ विनास करइवाला होइ। उ पचे अइसा खौफनाक काम करिहीं जउन विनास क जनम देत ह।
32 “उ उत्तरी राजा लबार अउ चिकनी चपड़ी बातन स ओन यहूदियन क छली जउन पवित्तर वाचा क पालन करब तजि चुका अहइँ। उ पचे यहूदी अउर बुरे पाप करइ लगिहीं किन्तु उ सबइ यहूदी, जउन परमेस्सर क जानत हीं, अउर ओकर अनुसरण करत हीं, अउर जियादा सुदृढ़ होइ जइहीं। उ सबइ पलटिके जुद्ध करिहीं।
33 “उ सबइ यहूदी जउन विवेकपूर्ण अहइँ जउन कछू घट रहा होइ, दूसर यहूदियन क ओका समुझइ मँ मदद देइहीं। किन्तु जउन विवेकपूर्ण होइहीं ओनका तउ मृत्यु दण्ड तलक झेलइ होइ। कछू समइ तलक ओनमाँ स कछू यहूदियन क तरवार क घाट उतारा जाइ अउर कछू आगी मँ झोकं दीन्ह जाइ। अथवा बन्दी गृहन मँ डाइ दीन्ह जाइ। ओनमाँ स कछू यहूदियन क घर बार अउर धन दौलत छोर लीन्ह जइहीं। 34 जब उ पचे यहूदी दण्ड भोग रहे होइहीं तउ ओन विवेकपुर्ण यहूदियन साथ देइहीं, बहोत स केवल देखावा क होइहों। 35 कछू विवेकपूर्ण यहूदी मार दीन्ह जइहीं। अइसा एह बरे होइ कि उ पचे अउर जियादा सुदृढ़ बनइँ, स्वच्छ बनइँ अउ अंत समइ क आवइ तलक निर्दोस रहइँ। फुन ठीक समइ पइ अंत होइ क समइ आइ जाइ।
आत्म प्रसंसक राजा
36 “उत्तर क राजा जउन चाही, सो करी। उ आपन बारे मँ डींग हाँकी। उ आत्म प्रसंसा करी अउ सोची कि उ कउनो देवता स भी अच्छा अहइ। उ अइसी बातन करी जउन कउनो कबहुँ सुनी तलक न होइहीं। उ देवतन क परमेस्सर क विरोध मँ अइसी बातन करी। उ उ समइ तलक कामयाब होत चला जाइ जब तलक उ पचे सबहिं बुरी बातन घट नाहीं जातिन। किन्तु परमेस्सर जउन योजना रची ह, उ तउ पूरी होइ ही।
37 “उत्तर क उ राजा ओन देवतन क उपेच्छा करी जेनका ओकर पुरखन पूजा करत रहेन। ओन देवतन क मूरतियन क उ परवाह नाहीं करी जेनकर पूजा मेहररूअन करत हीं। उ कउनो भी देवता क परवाह नाहीं करी बल्कि उ खुद आपन तारीफ करत रही अउर अपने आप क कउनो भी देवता स बड़का मानी। 38 अपने पुरखन क देवता क अपेच्छा किले क देवता क पूजा करी उ सोना, चाँदी, बहुमूल्य हीरे जवाहरात अउर दूसर उपहारन स एक अइसे देवता क पूजा करी जेका ओकर पुरखन जानत तलक नाहीं रहेन।
39 “इ विदिसी देवता क मदद स उ उत्तर क राजा सुदृढ़ गढ़ियन पइ हमला करी। उ ओन लोगन क सम्मान देइ जेनका उ बहोतइ पसन्द करी। उ बहोत स लोगन क ओनके अधीन कइ देइ। अउर उ ओनका भुइँया बाँट देइहीं जउन ओका एकर बरे पैसा भुगतान करिहीं बरे ओनसे भुगतान लिया करी।
40 “अंत आवइ क समइ उत्तर क राजा, उ दक्खिन क राजा क संग जुद्ध करी। उत्तर क राजा ओह पइ हमला करी। उ रथन, घुड़सवारन अउर बहोत स बिसाल जलयानन क लइके ओह पइ चड़ाई करी। उत्तर क राजा बाड़ क नाईं वेग स उ धरती पइ चढ़ आई। 41 उत्तर क राजा ‘सुन्नर धरती’ पइ हमला करी। उत्तरी राजा क जरिये बहोत स देस पराजित होइहीं किन्तु एदोम, मोआब अउ अम्मोनियन क मुखिया लोगन क ओहसे बचा लीन्ह जाइहीं। 42 उत्तर क राजा बहोत स देसन मँ आपन सक्ति देखाइ। मिस्र क भी ओकर सक्ति क पता चल जाइ। 43 उ मिस्र क सोने चाँदी क खजानन अउ ओकर समूची सम्पत्ति क छोरि लेइ। लूबी अउर कूसी लोग भी ओकरे अधीन होइ जइहीं। 44 किन्तु उत्तर क उ राजा क पूरब अउ उत्तर स एक समाचार मिली जेहसे उ भयभीत होइ उठी अउर ओका किरोध आइ। उ बहोत स देसन क तबाह कइ देइ क बरे उठी। 45 उ आपन राजकीय तम्बू समुद्रर अउ सुन्नर पवित्तर पर्वत क बीच लगवइ। किन्तु आखिरकार उ बुरा राजा मरि जाइ। जब ओकर अंत आइ तउ ओका सहारा देइवाला हुवाँ कउनो नाहीं होइ।”
12 दर्सनवाला मनई कहेस, “हे दानिय्येल, तउ उ समइ मीकाएल नाउँ क सरगदूत तोहार लोगन क रच्छा करइ बरे उठ खड़ा होइ। फुन एक बिपत्तिपूर्ण समइ आइ। उ समइ सबन त भयानक होइ, जेतना भयानक उ धरती पइ, जब स कउनो जाति अस्तित्व मँ आई बाटइ, कबहुँ नाहीं आइ होइ। किन्तु हे दानिय्येल, उ समइ तोहरे लोगन मँ स हर उ मनई जेकर नाउँ, पुस्तक मँ लिखा मिली, बच जाइ। 2 धरती क उ सबइ अनगिनत लोग जउन मरि चुका अहइँ अउर जेनका दफनावा जाइ चुका अहइ, उठ खड़ा होइहीं अउर ओनमाँ स कछू अनन्त जीवन जिअइ बरे उठि जइहीं। किन्तु कछू एह बरे जागिहीं कि ओनका कबहुँ नाहीं समाप्त होइवाली लज्जा अउर घिना प्राप्त होइ। 3 अकासे क भव्यता क नाई बुध्दिमान पुरुस चमक उठिहीं। अइसे बुध्दिमान पुरुस जउन दूसरन क अच्छी जिन्नगी क राह देखाए रहेन, अनन्त काल बरे तारन क समान चमकइ लगिहीं।
4 “किन्तु हे दानिय्येल! इ सन्देस क तू छिपाइके रख द्या। तोहका इ पुस्तक बन्द कइ देइ चाही। तोहका अंत समइ तलक इ रहस्स क छुपाइके रखब अहइ। सच्चा गियान पावइ बरे बहोत स लोग एहर-ओहर दउड़ करिहीं अउर इ तरह सच्चे गियान क विकास होइ।”
5 फुन मइँ, दानिय्येल निगाह उठाएउँ अउर दुइ अलग-अलग मनइयन क लखेउँ। ओनमाँ स एक मनई नदी क हरेक किनारे खड़ा भवा रहा। 6 उ मनई जउन सन क ओढ़ना पहिर रखे रहा, नदी मँ पानी क बहाव क विरुद्ध खड़ा रहा। ओन दुइनउँ मँ स कउनो एक ओहसे पूछेस, “एन अचरजे स पूर्ण बातन क खतम होइ मँ अबहुँ केतना समइ लागी?”
7 उ मनई जउन सन क ओढ़ना धारण किहे भवा रहा अउर जउन नदी क जल क बहाव क विरुद्ध खड़ा भवा रहा, उ आपन दाहिन अउ बायाँ-दुइनउँ हाथ अकासे कइँती उठाएस। मइँ उ मनई क अमर परमेस्सर क नाउँ क प्रयोग कइके एक किरिया बोलत भए सुना। उ कहेस, “इ साढ़े तीन बरिस तलक घटी। पवित्तर जन क सक्ति टूट जाइ अउर पुन इ सबइ बातन अंतिम रूप स खतम होइ जइहीं।”
8 मइँ इ उत्तर सुनेउँ तउ रहा किन्तु वास्तव मँ मइँ ओका समुझेउ नाहीं। तउ मइँ पूछेउँ, “हे महोदय, एन सबहिं बातन क फुरइ निकरइ क पाछे का होइ?”
9 उ उत्तर दिहस, “दानिय्येल, तू आपन जिन्नगी जिअइ जा। इ सँदेसा गुप्त अहइ अउर जब तलक अंत समइ नाहीं आइ, इ गुप्त ही बना रही। 10 बहोत स लोगन क सुद्ध कीन्ह जाइ। उ लोग खुद अपने आप क स्वच्छ करिहीं किन्तु दुस्ठ लोग, दुस्ठ ही बना रहिहीं उ सबइ दुस्मन लोग एका नाहीं समुझिहीं। किन्तु बुद्धिमान लोग एका समुझिहीं।
11 “उ दिना स लइके बलि रोक दीन्ह जाब्या एक हजार दुइ सौ नब्बे दिन होइ जाब्या जब तलक खउफनाक चीज़ जउन तबाह करत अहइ स्थापित कीन्ह जाब्या। 12 उ मनई जउन प्रतीच्छा करत भए एन एक हजार तीन सौ पैंतीस दिनन क समइ क अंत तलक पहोंची, उ बहोत अधिक भाग्गसाली होइ।
13 “हे दानिय्येल! जहाँ तलक तोहार बात अहइ, जा अउर अंत समइ तलक आपन जिन्नगी जिआ। तोहका तोहार बिस्राम प्राप्त होइ अउर अंत मँ तू आपन हींसा पावइ बरे मौत स फुन उठ खड़ा होब्या।”
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.