Chronological
32 “हे गगन, सुन ल्या मइँ बोलिहउँ,
पृथ्वी मोरे मुँहना स बात सुनी।
2 मोरे उपदेस बरसिहइँ बर्खा क नाई,
ओस समान बही पृथ्वी पइ मोरी वाणी,
नरम घासन पइ बर्खा क मन्द झरी सी,
हरिअर पौधन पइ बर्खा सी।
3 मोर वाणी परमेस्सर क नाउँ सुनाई महँ कहब,
स्तुति कर, परमेस्सर महान अहइ।
4 “उ (यहोवा) हमार चट्टान अहइ
ओकर सबहिं काम पूर्ण अहइँ!
काहेकी ओकर सबहिं राह उचित अहइँ!
उ विस्सास अउ निस्पाप परमेस्सर अहइ
करत जउन उचित अउ सही अहइ।
5 तू लोगन ओकर संग दुर्वउहार किह्या तू ओकर संग भ्रस्ट तौर पइ बरताव किहेस।
तोहार दोस एह बरे नाहीं कि तू पचे ओकर गदेलन अहइ।
तू एक दुट्ठ अउ पतित पीढ़ी अहा।
6 का इही बेउहार अहइ जेका तू यहोवा स करइ चाही? नाहीं!
तू मूरख अउ जड़बुद्धि जन अहा।
यहोवा परम पिता तोहार अहइ,
उ तू पचन्क बनाएस, उ आपन जन क मजबूत बनाएस तू पचन्क।
7 “याद करा बीता भवा दिन क
सोचा बीती भइ पीढ़ियन क बरिसन क,
बुढ़वा पिता स पूछा, उहइ कइहीं आपन प्रमुखन स पूछा;
उहइ कइहीं।
8 सवोर्च्च परमेस्सर आपन रास्ट्रन क
आपन देसन क दिहस,
उ मानव जाति उ विभाजित किहेस
उ रास्ट्रन मँ इस्राएली क सम्बंध क बीच सरहद बनाएस।
9 यहोवा क विरासत अहइ ओकर लोग;
याकूब यहोवा क आपन अहइ।
10 “यहोवा याकूब क रेगिस्तान मँ पाएस,
सुनसान अउ साँय-साँय करइवाली मरु भुइँया मँ।
यहोवा याकूब क रच्छा बरे ओका चारिहुँ कइँती घेर लिहस
उ ओका आँखिन क पुतरी क नाइँ रच्छा किहेस।
11 यहोवा उकाब क नाई इस्राएल क रच्छा किहस,
जइसे उकाब घोंसला स उठावत ह बच्चन क ओनका उड़इ बरे सिखावत ह।
उ बच्चन क लइके रच्छा करत उड़ति ह उ आपन पखना फइलावत ह जब उ पचे ओका पकड़त हीं।
उ ओनका पखना पइ लइके उड़ति ह अउ सुरच्छित जहग पइ।
परमेस्सर वइसेन अहइ।
12 अकेल्ले यहोवा याकूब क मारग दरसन किहस,
कउनो देवता विदेसी ओकरे लगे न रहेन।
13 यहोवा याकूब क पृथ्वी क ऊँच जगहन पइ चढ़ाएस,
याकूब खेतन क फसल खाएस,
यहोवा याकूब क पुट्ठ चट्टानन क सहद स किहस;
जइतून-तेल ओका वज्र-चट्टाने स दिहस,
14 माखन खरका स दिहस, दूध झुण्ड स दिहस,
गोस भेड़ी अउ बोकरन क,
भेड़ा अउ बासान जाति क बोकरन स दिहस-बढ़िया स बढ़िया गोहूँ,
लाल अंगूरे क दाखरस दिहस।
15 “मुला यसूरुन मोटा भवा, साँड़े क नाई लात मारत,
उ बाढ़ा अउ उ भारी भी रहा।
उ ऊँच जाति अउ खूब पाला पोसा गवा उ आपन कर्ता क नकारेस अउर चट्टान बरे
ओका अपमान किहेस, जउन उद्धारकर्त्ता रहा।
16 जलोटा यहोवा क, दूसर देवन क पूजिके बनाएस! ओकर जन;
कोहाइ दिहन परमेस्सर क आपन मुरतियन स जउन घिनौनी परमेस्सर क रहिन,
17 उ पचे दानवन क बलि दिहन जउन फुरइ देवतन नाहीं रहेन ओन देवतन क बलि दिहन जेकर ओनका गियान नाहीं रहा।
देवतन उ सबइ जेनका न पूजेन कबहुँ तोहार पुरखन नए रहेन।
18 तू पचे चट्टान क तजि दिहा, तू पचे आपन परमेस्सर क बिसराया
जउन जिन्नगी दिहस।
19 “यहोवा लखेस इ जन क आपन कहइ स इन्कार किहस,
ओका ओकर बेटवन अउ बिटियन कोहाइ दिहन।
20 तब यहोवा कहेस, ‘मइँ ऍनसे मुँह मोड़बउँ!
मइँ लखि सकउँ – ओनका अन्त होइ।
काहेकि भ्रस्ट सबहिं ओनकी पीढ़ियन अहइँ।
उ सबइ अहइँ अइसा सन्तान जेनका विस्सास नाहीं अहइ!
21 उ पचे मोका मूरतियन स ईर्स्यालु बनएन जउन परमेस्सर नाहीं अहइ।
उ पचे मोका आपन निरर्थक मूरतियन स नाराज किहेन।
एह बरे मइँ ओन लोगन स जउन इस्राएलियन नाहीं अहइ ईर्स्यालु बनाइ देब।
मइँ ओन लोगन क मूरख रास्ट्र स नाराज करइ देब।
22 मोर किरोध आगी क नाईं सुलगत अहइ।
मोर किरोध मोत क ठउर क नाईं गहिर तलक,
मोरे किरोध भुइँया नस्ट करत ह।
अउ फसल क, अउ पहाड़े क नेंव मँ आगी लगावत ह।
23 “‘मइँ इस्राएलियन प विपत्ति ढाउब,
मइँ आपन बाण ओन पइ चलाउब।
24 उ पचे भूखन क मारे दूबर स दूबर होइहीं।
भयंकर महारोग ओनकर विनास करिहीं।
मइँ जंगली जनावर क ओनके खिलाफ पठउब जहरीला साँपन
अउ रेगंइ वाला जहरीला जंतुअन क ओनका डसइ पठउब।
25 बाहेर सड़कन पइ तरवारे स मारा जइहीं,
अउ घरे क भीतर भय अउ डर स।
सिपाही मारि डइहीं जवान मनसेधू अउ मेहररुअन।
उ पचे मारि डइहीं नान्ह गदेलन अउ बुढ़वन क।
26 “‘मइँ कहत हउँ, मइँ ओका तितर-बितर कइ देब।
इस्राएलियन क लोगन स बिसरि जाइ द्या।
27 मुला मइँ दुस्मन क कोहाइ क आसंका दूर करब,
जउन होइ सकत ह दुस्मन गलत समुझत हीं।
उ पचे सेखी बघरिहीं अउर कइहीं,
“हम पचे जीत लीन्ह ह आपन ताकत स,
यहोवा नाहीं किहस इ काम क।’”
28 “उ मूरख रास्ट्र अहइँ उ पचे
कछू भी समुझ नाहीं पातन अहइँ।
29 अगर उ समझदार होतेन
तउ ऍका समुझ पउतेन
अउर लख लेतेन आपन भविस्स।
30 कइसे एक ठु हजारन क पीछा करत?
कइसे दस हजार क दुइ ठु भगाइ देतेन?
इ तबइ होत जब सैल
यहोवा देत ओनका,
अउर ओनका गुलाम बनाइ देत।
31 तोहार ‘चट्टान’ हमार चट्टान क नाइँ नाहीं।
हमार दुस्मन इ सच्चाई क खुद लखि सकत हीं।
32 ओनकर अंगूरे क लता सदोम क लता स अउ अमोर क खेत स अहइ।
ओनकर अंगूर बिखैला होत हीं ओनकर अंगूरन क गुच्छन करुआन।
33 ओनकर दाखरस साँपन क बिख जइसी अहइँ अउ नागिन क जहर क नाइँ।
34 “पर्भू कहत बा ‘मइँ उ सजा क सुरच्छित रखेउँ ह।
मइँ ऍका आपन बस्तू-भण्डारे मँ बन्द किहेउँ ह।
35 सिरिफ मइँ ही देइवाला दण्ड अहउँ मइँ ही लोगन क अपराधन क बदला देत हउँ,
जब अपराधन मँ ओनकइ गोड़वा फिसल जाइ,
काहेकि विपत्तिकाल ओनके निअरे अहइ
अउर दण्ड समइ ओनका दौड़ि आइ।’
36 “यहोवा आपन जन क निआव करि।
उ पचे ओकर सेवक अहइँ, उ दयालु होइ।
उ ओकरे बल क मिटाइ लखिहीं
तउ उ ओन सबहिं अजाद
अउ दासन क होत लखी असहाय।
37 उ तब पूछी, ‘लोगन क लबार देवतन कहाँ अहइँ?
उ “चट्टान” कहाँ अहइ, उ पचे जेकर सरण गएन?
38 मनइयन क इ सबइ देव, बलि क चर्बी खात रहेन,
अउर दारु, दारु क भेंट की पिअत रहेन।
एह बरे उठइँ इ सबइ देव, मदद तोहार करइँ
तोहरी इ सबइ रच्छा करइँ!
39 “‘लखा अब मइँ तोहार परमेस्सर अहउँ!
नाहीं दूसर कउनो भी परमेस्सर
मइँ ही निहचय करब लोगन क
जिअत राखउँ या मारउँ।
मइँ लोगन क दइ सकत हउ चोट
अउर ठीक भी रख सकत हउँ।
अउर न बचाइ सकत केउ कउनो क मोरी सक्ति क बाहेर।
40 आकास कइँती हाथ उठाइके मइँ वचन देत हउँ।
अगर इ फुरइ अहइ कि मइँ सास्वत हउँ।
41 मइँ आपन बिजरी क तरवार क उपयोग करब।
मइँ निआव पइ रहब।
मइँ एका आपन दुस्मन पइ प्रयोग करब।
मइ ओका जवाब देब जउन मोहस घिना करत ह।
42 मोर दुस्मनन मारा जइहीं अउर बन्दी होइहीं।
हमार बाण ओनके रकत स रंग जइहीं।
मोर तरवार दुस्मन क मूँड़ क काटि देइ।’
43 “सब संसार परमेस्सर क मनइयन स खुस होइ।
काहेकि उ ओनकी मदद करत ह आपन सेवकन क हत्तियारन क उ सजा देत रहत ह।
उ आपन दुस्मनन स बदला लेत ह
अउर आपन देस अउर आपन लोगन बरे प्रायस्चित करत ह।”
मूसा लोगन क आपन गीत सिखावत ह
44 मूसा आवा अउ इस्राएल क सबहिं लोगन क सुनइ बरे उ गीत पूरा सुनाएस। नून क पूत यहोसू मूसा क संग रहा। 45 जब मूसा लोगन क इ उपदेस देब खतम किहस 46 तब उ ओनसे कहेस, “तू पचन्क निहचय करइ चाही कि तू ओन सबहिं आदेसन क सुमिरिब्या जेका मइँ आजु तू पचन्क बतावत जरूर हउँ अउर तू पचन्क आपन गदेलन क इ जरूर बतावइ चाही कि ऍन व्यवस्था क सबइ नेमन क होसियारी स उ पचे पूरी तरह मानइँ। 47 इ जिन समुझा कि इ सबइ उपदेस महत्व क नाहीं अहइँ। इ सबइ तोहार जिन्नगी अहइँ। ऍन उपदेसन क जरिया तू पचे उ यरदन नदी क पार क देस मँ लम्बे समइ तक रहब्या जेका लेइ बरे तू पचे तइयार अहा।”
मूसा नबो पहाड़े पइ
48 यहोवा उहइ दिन मूसा स बतियान। यहोवा कहेस, 49 “अबारीम पहाड़े पइ जा। यरीहो सहर स पार होइके मोआब पहँटा मँ नबो पहाड़े पइ जा। तब तू उ कनान प्रदेस क लखि सकत ह जेका मइँ इस्राएल क लोगन क रहइ बरे दइ देत हउँ। 50 तू उ पर्वते पइ मरब्या। तू वइसेन ही ओन लोगन स मिलब्या जउन मरि गए अहइँ जइसे तोहार भाई हारुन होर पहाड़े पइ मरा अउ आपन लोगन स मिला। 51 काहेकि जब तू सीन क रेगिस्तान मँ कादेस क निअरे मरीबा क जलासयन क लगे रह्या तब मोरे खिलाफ पाप किहे रह्या अउ इस्राएल क लोग ओका हुआँ लखे रहेन। तू मोर सम्मान नाहीं किह्या अउर तू इ लोगन क नाहीं देखाया कि मइँ पवित्तर अहउँ। 52 एह बरे अब तू आपन समन्वा उ देस क लखि सकत ह किन्तु तू उ देस मँ जाइ नाहीं सकत्या जेका मइँ इस्राएल क लोगन क देत अहँउ।”
मूसा इस्राएल क लोगन क आसीर्बाद देत ह
33 मरइ क पहिले परमेस्सर क मनई मूसा इस्राएल क लोगन क इ वरदान दिहस: 2 मूसा कहेस,
“यहोवा सिनाइ स आवा।
यहोवा सेईर क भिन्सारे क रोसनी क नाई चमका।
उ पारान पहाड़े स फूटइ वाला प्रकास क नाई रहा।
यहोवा दस हजार पवित्तर लोगन क संग आवा।
ओकरी दाहिन कइँती बलवान सिपाही रहेन।
3 हाँ, यहोवा पिरेम करत ह मनइयन स
सबहिं पवित्तर मनइयन ओकरे हथवन मँ अहइँ अउर चलत हीं
उ ओकरे पद चीन्हन पइ हर एक मनई अंगीकार करता ओकर उपदेस।
4 मूसा दिहस नेमन हम पचन्क उ सबइ-जउन अहइँ
याकूब क सबहिं लोगन क।
5 उहइ समइया, इस्राएल क लोग अउ नेता लोग मिलेन
अउ यहोवा भवा यसूरुन क राजा।
रूबेन क आसीर्बाद
6 “रूबेन जिअत रहइ, उ न मरइ होइ सकत ह रूबेन जिअत रहा उ न मरइ,
मुला ओकर बंस मँ मनइयन अधिक न होब।”
यहूदा क आसीर्बाद
7 मूसा यहूदा क परिवार समूह बरे इ सबइ बातन कहेस:
“यहोवा, सुन लेइ यहूदा क प्रमुख क जब उ माँगइ मदद लिआवइ ओका
आपन लोगन मँ सक्तीसाली बनावइ ओका,
करइ मदद ओकर
दुस्मन क हरावइ मँ!”
लेवी क आसीर्बाद
8 मूसा लेवी क बारे मँ कहेस:
“तोहार मनवइयन सच्चा लेवी धारण करत ऊरीम-तुम्मीम,
मस्सा पइ तू लेवी क परीच्छा लिहा,
तोहार विसेख मनई राखत रहा ओनका।
लड़ा तू रह्या ओकरे बरे मरीबा क जलासयन पइ।
9 लेवी बताएस आपन महतारी-बाप क बारे मँ:
मइँ न करब ओनकइ परवाइ,
मानेस नाहीं उ आपन भाई क,
या जानेस आपन गदेलन क;
लेवीबंसियन पालेन आदेस तोहार,
अउर निभाएन वाचा तोहसे जउन।
10 उ पचे सिखइहीं याकूब क नेम तोहार
अउर इस्राएल क व्यवस्था जउन तोहार।
उ पचे सुलगइहीं सुगन्धि तोहार आगे अउ तोहार सारी होमबलि वेदी क जगह पइ।
11 “यहोवा, ओकर धन क आसीर्बाद द्या
अउर ओकर काम क अंगीकार किहेस।
उ ओका नास कइ द्या जउन उ पइ हमला किहेस अउ ओका हराइ द्या जउन
ओहस घृना किहेस इस प्रकार उ फुन हमला नाहीं कइ सकत।”
बिन्यामीन क आसीर्बाद
12 बिन्यामीन क बारे मँ मूसा कहेस:
“यहोवा क पिआरा ओकरे संग
सुरच्छित होइ।
यहोवा आपन पिआरा क रच्छा करत सारा दिन,
अउर बिन्यामीन क भुइँया पइ रहत यहोवा।”
यूसुफ क आसीर्बाद
13 मूसा युसुफ क बारे मँ कहेस:
“यहोवा द्या आसीर्बाद ओकरे देस क सरग क
उन्तिम बर्खा जहाँ होइँ;
अउ धरती क तले स पानी अउ ओस मिलइ।
14 सूरज क दीन्ह उत्तिम फल होइँ ओकर
अउर हर महीना मँ सब स बढ़िया फल होइँ।
15 पहाड़ियन अउ पुरान पहाड़न
सब स बढ़िया फल उपजावइँ।
16 धरती देइ सब स बढ़िया फल यूसुफ बरे
उ जउन भाइयन स अलगाइ दीन्ह ग रहा।
तउ परमेस्सर जउन बरत भइ झाड़ी मँ रहत ह
स सब स बढ़िया बरदान देइ यूसुफ क।
17 यूसुफ आपन गोरु क पहिला पइदा भवा क गौरव पाइ।
ओकर दुइनउँ बेटवन बर्धा क सींगे क तरह अहइँ।
उ पचे रास्ट्रन क धरती क आखिरी छोर तलक छेद देब।
ओन मँ स हजारन क हजार मनस्सप स अहइ
अउर ओन मँ स दसन हजार एप्रैम स ह।”
जबूलून क आसीर्बाद
18 जबूलून क बारे मँ मूसा कहेस:
“जबूलून, खुस रहा जा जब बाहेर
अउर इस्साकार, खुस रहइ आपन सिबिर पइ।
19 उ पचे लोगन क न्यौतिहीं आपन पहाड़े पइ
हुआँ करिहीं भेंट सबहिं सच्ची बलि
काहेकि उ पचे लोग सागर स निकारत हीं धन
अउर पइहीं बालू मँ छिपा भवा जउन धन अहइ।”
गाद क आसीर्बाद
20 मूसा गाद क बारे मँ कहेस:
“स्तुति करा परमेस्सर क जउन गाद क बढ़ावत ह।
गाद ओलरा रहत अउ जोहत सिंह क नाई,
उ फड़ि देत ह बाजु अउ मूँड़े क टूकन मँ।
21 आपन खातिर चुनत ह उ,
सब स खास हींसा राजा बरे सुरच्छित रहब।
मनइयन क नेतन आवत हीं ओकरे लगे।
उ करत ह उहइ जउन परमेस्सर क इच्छा बा।
अउर यहोवा बरे इस्राएलियन क संग निआव करत ह।”
दान क आसीर्बाद
22 दान क बारे मँ मूसा कहेस:
“दान सेरे क बच्चा अहइ
जउन बासान स उछरा करत ह।”
नप्ताली क आसीर्बाद
23 नप्ताली क बारे मँ मूसा कहेस:
“नप्ताली, तू बहोतइ बढ़िया चीजन क रखब्या।
यहोवा क आसीर्बाद तोहरे बारे भरपूर अहइ,
लइ ल्या पच्छिम अउ दक्खिन क प्रदेस।”
आसेर क आसीर्बाद
24 मूसा आसेर क बारे मँ कहेस:
“आसेर क पूतन मँ सब स जियादा अहइ आसीर्बाद,
ओका आपन भाई लोगन मँ सब स पियारा होइ द्या
अउ ओका आपन गोड़ तेल स धोवइ द्या।
25 तोहरे फाटकन क ताला होइहीं लोहा अउ काँसा क
तू जिन्नगी भइ सक्ती स भरपूर रहब्या।”
मूसा परमेस्सर क स्तुति करत ह
26 “यसूरुन, परमेस्सर क नाई नाहीं अहइ
अउर कउनो परमेस्सर आपन महिमा मँ चलत ह चढ़िके बदरा पइ,
अकासे स होइके आवत ह मदद करइ तू पचन्क।
27 परमेस्सर सास्वत अहइ तोहार सरण सुरच्छित अहइ।
परमेस्सर क सक्ती सास्वत अहइ उ तोहार सुरच्छा करत ह
अउर बल स हटावत ह दुस्मनन क,
कहत ह उ ‘नास करा दुस्मनन क।’
28 तउ इस्राएल सुरच्छित रही सदा
याकूब क जलस्रोत सुरच्छित अहइ धरती मँ।
अन्न अउ नइ दाखरस क पइहीं सुन्नर धरती मँ
अउ उ भुइँया सूबइ पाइ।
29 इस्राएलियो, तू पचे आसीस पाए अहा तोहार जइसा कउनो रास्ट्र नाहीं।
तू यहोवा क दुआरा सुरच्छा पाउब्या।
उ तोहार सुरच्छा ढाल अहइ।
यहोवा अहइ विजय तरवार तोहार करइ वाली।
तोहार दुस्मनन तोहसे डेरइहीं,
अउर तू रउँद देब्या ओनकइ लबार देवतन क ठउरन क।”
मूसा क मउत
34 मूसा मोआब क समतल पहँटा स नबो पहाड़े पइ गवा जउन यरीहो क पार पिसगा क चोटी पइ रहा। यहोवा ओका गिलाद स दान तलक सारा प्रदेस देखाएस। 2 यहोवा ओका सारा नप्ताली, जउन एप्रैम अउ मनस्से क रहा, देखाएस। उ पस्चिमी सागर तलक यहूदा क प्रदेस देखाएस। 3 यहोवा मूसा क खजूरे क बृच्छन क सहर सोअर स यरीहो तलक फइली घाटी अउर नेगेव देखाएस। 4 यहोवा मूसा स कहेस, “इ उ देस अहइ जेका मइँ इब्राहीम, इसहाक, अउर याकूब क बचन दिहे रहेउँ कि, ‘मइँ इ देस क तोहरे सन्तानन क देब। मइँ तू पचन्क इ देस देखाउब। मुला तू पचे हुआँ जाइ नाहीं सकत्या।’”
5 तब यहोवा क सेवक मूसा मोआब देस मँ उहइँ मरा। यहोवा मूसा स कहे रहा कि अइसा होइ। 6 यहोवा बेतपोर क पार मोआब प्रदेस क घाटी मँ मूसा क दफनाएस। मुला आजु भी कउनो नाहीं जानत कि मूसा क कब्र कहाँ बाटइ। 7 मूसा जब मरा उ एक सौ बीस बरिस क रहा। ओकर आँखिन कमजोर नाहीं रहिन। उ तब भी बलवान रहा। 8 इस्राएल क लोग मूसा बरे मोआब क खाले प्रदेस मँ तीस दिना तलक रोवत पीटत रहेन। इ सोक मनावइ क पूरा समइ रहा।
यहोसू मूसा क जगह लेत ह
9 तब नून क पूत यहोसू बुध्दिमत्ता क आतिमा स भरपूर रहा काहेकि मूसा ओह पइ आपन हाथ धइ दिहे रहा। इस्राएल क मनइयन यहोसू क बातन मानेन। उ पचे वइसा ही किहन जइसा यहोवा मूसा आदेस दिहे रहा।
10 मुला उ समइ क पाछे, मूसा क नाईं कउनो नबी नाहीं भवा। यहोवा परमेस्सर मूसा क प्रत्यक्ष जानत रहा। 11 कउनो दूसर नबी उ सारे चमत्कार अउ अचरज भरा काम नाहीं देखाएन जेनका करइ बरे यहोवा मूसा क मिस्र क भुइँया मँ पठए रहा। उ पचे चमत्कार अउ अचरज, फिरौन, ओकर सबइ सेवकन अउ मिस्र क सबहिं वस्तुअन बरे करइ ग रहेन। 12 कउनो दूसर नबी कबहुँ ओतना सक्तीसाली अउ अचरज भरा चमत्कार नाहीं किहस जउन मूसा किहस अउर जेनका इस्राएल क सबहिं लोग लखेन।
1 उ जउन कउनो सर्वोच्च परमेस्सर क सरण मँ रहत ह,
तउ उ सर्वसक्तिमान परमेस्सर क सुरच्छा मँ रहत ह।
2 मइँ यहोवा स कहत हउँ, “तू मोर सुरच्छा स्थल अहा मोर गढ़।
हे परमेस्सर, मइँ तोहरे भरोसे हउँ।”
3 यहोवा तोहका सबहिं छिपे भए खतरा स बचाइ।
उ तोहका सब खउफनाक विपत्तियन स बचाइ।
4 तू परमेस्सर क सरण मँ संरच्छण पावइ बरे जाइ सकत ह।
उ तोहार अइसे रच्छा करी जइसे एक ठु पंछी आपन पखना फइलाइके आपन बच्चन क रच्छा करत ह।
परमेस्सर क बिस्सास एक बिसाल ढाल क नाईं अहइ जउन चारिहुँ कइँती स रच्छा करत ह।
5 राति मँ तोहका कउनो क भय नाहीं होइ,
अउ दुस्मन क बाणन स तू दिन मँ डेराब्या नाहीं।
6 तोहका अँधियारे मँ आवइवालन रोगन
अउ उ खउफनाक रोग स जउन दुपहर मँ आवत हीं डर नाहीं होइ।
7 तू हजार दुस्मनन क हराइ देब्या।
तोहार खुद दाहिना हाथ दस हजार दुस्मनन क हराइ।
अउर तोहार दुस्मन तोहका छुइ तलक नाहीं पइहीं।
8 जरा लखा, अउर तोहका देखाँइ देइ कि
उ पचे कुटिल मनई सजा पाइ चुका अहइँ।
9 काहेकि तू यहोवा क भरोसे अहा।
तू परम परमेस्सर क आपन सरणस्थल बनाया ह।
10 तोहरे संग कउनो भी बुरी बात नाहीं घटी।
कउनो भी रोग तोहरे घर क नजदीक नाहीं आइ।
11 काहेकि परमेस्सर आपन सरगदूतन क तू जहाँ भी जाब्या हुआँ तोहार रच्छा करइ बरे नियुक्त करी।
12 ओकर सरगदूतन तोहका आपन हाथन पइ ऊपर उठइहीं,
ताकि तोहार गोड़ चट्टान स न टकराइ।
13 तू कोबरा अउर नाग पइ बगैर कउनो नोस्कान क चलब्या;
तू सेर अउर अजगर क कुचरब्या।
14 यहोवा कहत ह, “मइँ आपन सेवकन क रच्छा करब जउन मोहसे पिरेम करत ह।
मइँ ओनॅ व्यक्ति क पालन-पोसन करब जउन मोर उपासना करत ह।”
15 उ सहारा पावइ बरे मोका गोहरइहीं, मइँ ओनकर जवाब देब।
उ पचे जब कस्ट मँ होइहीं मइँ ओनके संग रहब।
मइँ ओनकर बचाव करब अउर ओनका आदर देब।
16 मइँ आपन व्यक्तियन क एक लम्बी उमिर क आसीस देब।
अउर मइँ ओका ओकर आपन बचान क सक्ति दिखाउब।
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.