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Chronological

Read the Bible in the chronological order in which its stories and events occurred.
Duration: 365 days
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)
Version
उत्पत्ति 41-42

फिरौन क सपना

41 दुइ बरिस बाद फिरौन सपना लखेस। फिरौन सपने मँ लखेस कि उ नील नदी क किनारे खड़ा अहइ। तब फिरौन सपने मँ नदी स सात गइयन क बाहेर आवत लखेस। गइयन मोटी अउ सुन्नर रहिन। गइयन हुआँ खड़ी रहिन अउ घासे प चरत रहिन। तब सात दूसर गइयन नदी स बाहेर आइन, अउर नदी क किनारे मोटी गइयन क निचके ठाड़ होइ गइन। मुला इ गइयन दूबर अउ देखन मँ बीमार लगत रहिन। इ सातउ दूबर अउर बीमार गइयन, सुन्नर मोटी सात गइयन क खाइ गइन। तब फिरौन जाग उठा।

फिरौन फुन सोवा अउ दूसर दाईं सपना लखेस। उ सपने मँ अनाज क सात बाल एक ही पउधा प लखेस। अनाजे क बालन मोटी अउ अच्छी रहिन। तब उ उहइ अनाज क पाछे सात अनाजे क बालन क जमी लखेस। अनाजे क इ बालन पातर अउ गरम हवा स नस्ट होइ गइ रहिन। तब्बइ सात पातर बालन सात ठु मोटवार अउ बढ़िया बालन क खइ लिहन। फिरौन पुन जागि उठा अउ उ समझेस कि इ सिरिफ सपना ही बाटइ। दूसर भिन्सारे फिरौन इ सपनन क बारे मँ परेसान रहा। ऍह बरे उ मिस्र क सबहि जादूगर लोग अउ सबहि गुनी लोगन क बोलाएस। फिरौन ओनका सपना बताएस। मुला ओन लोगन मँ स कउनो भी सपना क साफ या ओकर अरथ न बताइ सका।

नउकर फिरौन क यूसुफ क बारे मँ बतावत ह

तब दाखरस देइवाला नउकर क यूसुफ याद आवा। नउकर फिरौन स कहेस, “मोरे संग जउन कछू भवा रहा उ मोका याद आवत अहइ। 10 आप मोह प अउ रोटी पोवइया प कोहान रहेन अउ आप हम दुइनउँ क जेलि मँ धाँध दिहे रहेन। 11 जेल मँ एक ही रात हम दुइनउँ सपना देखेन। हर एक सपना अलग अरथ रखत रहा। 12 एक ठु हिब्रू नउजवान हम पचन क संग जेल मँ रहा। उ अंगरच्छकन क नायक क नउकर रहा। हम पचन आपन आपन सपना ओका बतावा, अउ उ सपना क अरथ हम लोगन क बुझाएस। उ हर सपना क अऱथ हम पचन क समझाएस। 13 जउन अरथ उ बताएस उ सबइ ठीक निकरेन। उ बताएस कि मइँ अजाद होब अउ आपन काम मँ वापस लउट आउब। अउर इहइ भवा उ कहेस कि रोटी पोवइया क मार कइ टाँग दीन्हा जाइही। अउ उहइ भवा।”

यूसुफ सपन क अरथ बतावइ बरे बोलावा गवा

14 ऍह बरे फिरौन यूसुफ क जेल स बोलाएस। रच्छक हाली स यूसुफ क जेल स बाहेर लिआएन। यूसुफ हजामत बनावइके अउर कपड़े बदल के फिरौन क समन्वा खड़ा भवा। 15 तब फिरौन यूसुफ स कहेस, “मइँ एक सपना लखेउँ ह। मुला कउनो अइसा नाहीं अहइ जउन सपना क अऱथ मोका समझाइ सकइ। मइँ सुनेउँ ह कि जब कउनो सपना क बारे मँ तोहसे कहत ह कि तब तू सपन क अरथ अउ ओनका फरियाइ सकत ह।”

16 यूसुफ जवाब दिहस, “मोर आपन बुद्धि नाही अहइ कि मइँ सपनन क बूझ सकउँ। सिरिफ परमेस्सर ही अहइ जउन अइसी सकती राखत ह अउर फिरौन बरे परमेस्सर ही इ करी।”

17 तब फिरौन कहेस, “अपने आप क, मइँ नील नदी क किनारे ठाड़ लखेउँ। 18 मइँ सात गइयन क नदी स बाहर आवत लखेउँ अउ घास चरत देखेउँ। इ गइयन मोटी अउ सुन्नर रहिन। 19 तब मइँ दूसर सात गइयन क नदी स बाहेर आवत देखेउँ। इ सबइ गइयन पातर अउ भद्दी रहिन। मइँ मिस्र देस मँ जेतनी गइयन देखेउँ ह ओनमाँ स उ सबइ सब स जियादा बुरी रहिन। 20 अउ ऍन भद्दी अउर पातर गइयन पहिली सुन्नर सात गइयन क खाइ डाएन। 21 मुला सातउ गइयन क खाए क पाछे भी उ पचे पातर अउ भद्दी रहिन। तू ओनका लखा तउ नाहीं जान सक्‌त्या कि उ पचे दूसर सात गइयन क खाया ह। उ पचे ओतनी ही भद्दी अउ पातर देखाइ पड़त रहिन जेतना सुरु मँ रहिन। तब मइँ जाग गवा।

22 “तब मइँ आपन दूसर सपना मँ अनाज क सात बालन एक ही पउधा प उगी भइ देखेउँ। इ सबइ अनाज क बालन अच्छी अउ दानन स भरी भइ रहिन। 23 तब ओनके पाछे सात दूसर बालन उगिन। मुला इ सबइ सात बालन पातर, भद्दी अउ गरम हवा स नस्ट भइ रहिन। 24 तब सात पातर बालन सात अच्छी बालन क खाइ डाएन।

“मइँ इ सपना क आपन जादूगर लोगन क बताएउँ मुला कउनो सपने क अरथ मोका नाही समझाएस। एकर अरथ का अहइ?”

यूसुफ सपना क अरथ बतावत ह

25 तब यूसुफ फिरौन स कहेस, “इ दुइनउँ सपना एक ही अरथ रखत हीं। परमेस्सर बतावत ह कि उ हाली का करइ क जात अहइ। 26 सात अच्छी गइयन अउ सात अच्छी अनाजे क बालन सात बरिस अहइँ-दुइनउँ सपना एक ही अहइँ। 27 सात दूबर अउ भद्दी गइयन अउ सात बुरी अनाजे क बालन देस मँ भुखमरी क सात बरिस अहइँ। इ सबइ सात बरिस, बढ़िया, सात बरिस क पाछे अइही। 28 पमरेस्सर आप क इ देखाइ दिहस ह कि हाली ही का होइवाला अहइ। इ वइसा ही होइ जइसा मइँ कहेउँ ह। 29 आप क सात बरिस मिस्र मँ अच्छी पइदावार अउ भोजन इफरात होइही। 30 मुला इ सात बरिस क पाछे पूरे देस मँ भुखमरी क सात बरिस अइही। जउन समूचइ मिस्र मँ पइदा भ अहइ ओका लोग बिसरि जइही। इ अकाल देस क बर्बाद कइ देइ। 31 काहेकि अकाल ऍतना भयानक होइ कि लोग प्रयाप्त खइया खाइ का होत ह इ बिसरि जाइही।

32 “हे फिरौन, आपन एक ही बारे मँ दुइ सपना लखे रहेन। इ इ बात क देखावइ बरे भवा कि परमेस्सर फुरइ ही अइसा होइ देइ अउर इ बताएस ह कि परमेस्सर ऍका हाली ही होइ देइ। 33 ऍह बरे हे फिरौन आप एक अइसा मनई चुनइँ जउन बहोत चुस्त अउ बुध्दिमान होइ। आप ओका मिस्र देस क निगराँकार बनावइँ। 34 तब आपन दूसर मनई क जनता स भोजन बटोरइ बरे चुनइँ। लोगन क सात अच्छे बरिस मँ जेतॅना अनाज पइदा करइँ, ओकर पाँचवाँ हीसा ओनका देइ चाही। 35 ओनका हुकुम देइँ कि जउन अच्छे बरिस आवइँ ओहमाँ भोजन बटोरइँ। उ सहरन मँ भोजन क जमा करइँ। तब उ पचे भोजन क रच्छा उ टेम तलक करिही जब ओनकइ जरुरत होइ। 36 उ भोजन मिस्र देस मँ आवइवाली भुखमरी क सात बरिस मँ मदद करी। तब मिस्त्र मँ सात बरिस मँ लोग भोजन क कमी स मरिही नाहीं।”

37 फिरौन क इ नीक बिचार मालुम भवा। एहसे सबहि अफसर राजी रहेन। 38 फिरौन आपन अफसरन स पूछेस, “का तू लोगन मँ स कउनो इ काम क करइ बरे यूसुफ स अच्छा मनई हेरि सकत ह? परमेस्सर क आतिमा इ मनई क फुरइ बुध्दिमान बनाइ दिहस ह।”

39 फिरौन यूसुफ स कहेस, “परमेस्सर इ सबहि चीजन क तोहका देखॅाएस ह। ऍह बरे तू ही सबन त जियादा बुध्दिमान अहा। 40 ऍह बरे मइँ तोहका आपन महल क निगराँ आधिकारी बनउब। जनता तोहरे हुकुम क मानी। सिरिफ मइँ राजा ही तोहसे बड़वार रहब।”

41 एक खास जलसा अउ नुमाइस रही जेहमाँ फिरौन यूसुफ क नवाब बनाएस। तब फिरौन यूसुफ स कहेस, “मइँ अब तोहका पूरे देस क राजा बनावत अहउँ।” 42 तब फिरौन आपन सरकारी मोहरवाली अंगूठी यूसुफ क दिहस अउ यूसुफ क एक सुन्नर रेसमी ओढ़ना पहिरइ क दिहस। फिरौन यूसुफ क गले मँ एक ठु सोना क हार डाएस। 43 फिरौन दूसर रथे प यूसुफ क सवार होइ क कहेस। ओकरे रथे क अगवा खास रच्छक चलत रहेन। उ पचे लोगन स कहत रहेन, “हे मनइयो, यूसुफ क निहुरिके पैलगी करा।” इ तरह यूसुफ पूरे मिस्र क राज्जपाल बना।

44 फिरौन ओसे कहेस, “मइँ सम्राट फिरौन अहउँ। ऍह बरे मइँ जउन करइ चाहब, करब। मुला मिस्र मँ कउनो दूसर मनई हाथ गोड़ नाही हिलाइ सकत ह जब तलक तू ओसे न कहा।” 45 फिरौन ओका दूसर नाउँ सपन तपानेह दिहस। फिरौन आसनत नाउँ क मेहरारु जउन ओन क पुजारी पोतीपेर क बिटिया रही, यूसुफ क मेहरारु क रुप मँ दिहस। इ तरह यूसुफ समूचइ मिस्र देस क राज्जपल होइ गवा।

46 यूसुफ उ टेम तीस बरिस क रहा जब उ मिस्र क सम्राट क सेवा करइ लाग। यूसुफ पूरा मिस्र देस मँ जात्रा किह। 47 अच्छे सात बरिसन मँ देसे मँ पइदावार बहोतइ ढेर क भइ 48 अउर यूसुफ मिस्र मँ सात बरिस खइया क चीजन क बचाएस। यूसुफ खइया क सहरन मँ बटोरेस। यूसुफ सहर क चारिहु कइँती क खेतन मँ पइदा भवा अनाजे क हर सहर मँ बटोरेस। 49 यूसुफ बहोत अनाज बटोरेस। इ समुद्दर क बालू क नाईं रहा। उ ऍतना अनाज बटोरेस कि ओकर वजन क भी न कूत कीन्ह जाइ सकइ।

50 यूसुफ क मेहरारु आसनत ओन क याजक पोतीपेरा क बिटिया रही। भुखमरी क पहिले बरिस क आवइ पहिले युसूफ अउ आसनत क दुइ पूत भएन। 51 पहिले पूत क नाउँ मनस्से धरा गवा। यूसुफ ओकर इ नाउँ राखेस काहेकि उ बताएस, “मोका जेतना सारे कस्ट भएन अउ घरे क हर बात परमेस्सर मोसे बिसराइ दिहस।” 52 यूसुफ दूसर पूत क नाउँ एप्रैम रखेस। यूसुफ ओकर नाउँ इ राखेस काहेकि उ बताएस, “मोका बहोतइ दुःख मिला, मुला परमेस्सर मोका हर एक चीज मँ सफलता दिहस।”

भुखमरी क समइ सुरु होत ह

53 सात बरिस तलक लोगन क लगे खाइ बरे उ सब कछू भोजन रहा जेनकइ ओनका जरुरत रही अउर जउन चिजियन ओनका जरुरी रहिन उ सबइ सबहि जमत रहिन। 54 मुला सात बरिस बाद भुखमरी क दिन सुरु भएन। इ ठीक वइसा ही भवा जइसा यूसुफ कहे रहा। उ पहाँटा क कउनो भी देस मँ अन्न पइदा न भवा। मनइयन क लगे खाइ क कछू न रहा। मुला मिस्र मँ खाइ बरे इफरात रहा, काहेकि यूसुफ अनाज बटोरे रहा। 55 भुखमरी क टेम सुरु भवा अउ मनइयन भोजन बरे फिरौन क समन्वा रोवइ लागेन। फिरौन मिस्र क मनइयन स कहेस, “यूसुफ स पूछा। उहइ करा जउन उ कहइ क कहत ह।”

56 ऍह बरे जब देस मँ सब ठउरे प भुखमरी रही, यूसुफ अनाजे क गोदाम स मनइयन क अन्न बाँटेस। यूसुफ बटोरा भवा अन्न क मिस्र क लोगन क बेचेस। मिस्र मँ बहोत भयंकर अकाल रहा। 57 मिस्र क चारिहु कइँती क देसन क लोग अनाज बेसहइ मिस्र आएन। उ पचे यूसुफ क लगे आएन काहेकि हुआँ संसार क उ हींसा मँ सब ठउरे प भुखमरी रही।

सपना फुरइ भवा

42 इ समइ याकूब क प्रदेस मँ भुखमरी रही। मुला याकूब क इ पता लाग कि मिस्र मँ अनाज अहइ। ऍह बरे याकूब आपन बेटवन स कहेस, “हम लोग हिआँ हाथ प हाथ धरे काहे बइठा अहइ? मइँ सुनेउँ ह कि मिस्र मँ खरीदइ क अनाज बाटइ। ऍह बरे हम पचे हुआँ चली अउ हुआँ स आपन खाइ क बरे अनाज बेसही, तब हम लोग जिअत रहब, मरब नाहीं।”

ऍह बरे यूसुफ क भाइयन मँ स दस अन्न खरीदइ बरे मिस्र गएन। याकूब बिन्यामीन क नाही पठएस। (बिन्यामीन यूसुफ क एक ही सगा भाई रहा।) याकूब एह बरे डरा भवा रहा कि बिन्यामीन पइ कउनो तरह क खतरा आवइ सकत ह।

कनान मँ भुखमरी क समइ बहोत खौफनाक रहा। ऍह बरे कनान क बहोत स लोग अन्न बेसहइ मिस्र गएन। ओनही लोगन क संग मँ इस्राएल क पूतन भी रहेन।

इ टेम यूसुफ मिस्र क राज्जपाल रहा। सिरिफ यूसुफ ही रहा जउन मिस्र आवइ वालन लोगन क अन्न बेचइ क हुकुम देत रहा। यूसुफ क भाई ओकरे लगे आएन अउ उ पचे ओकर निहुरिके पैलगी किहेन। यूसुफ आपन भाइयन क लखेस अउ उ ओनका पहिचान लिहेस कि उ पचे कौन अहइँ। मुला यूसुफ ओनसे इ तरह बात करत रहा जइसे उ ओनका पहिचानत नाही उ ओनके संग कड़ाई स बात किहस। उ कहेस, “तू लोग कहा स आया ह?”

भाइयन जवाब दिहन, “हम कनान देस स आए अहइँ। हम पचे अनाज बेसहइ आवा अही।”

यूसुफ ने पहिचान लिहेस कि उ पचे ओकर भाई अहइँ। मुला उ पचे नाहीं जानत रहेन कि उ कउन अहइ? यूसुफ ओन सपनन क याद किहेस जेनका उ आपन भाइयन क बारे मँ लखे रहा। यूसुफ आपन भाइयन क जासूस कहत ह।

यूसुफ आपन भाइयन स कहेस, “तू पचे अनाज बेसहइ नाहीं आया ह। तू लोग जासूस अहा। तू लोग इ पता लगावइ आया ह कि हम कहा कमजोर अही?”

10 मुला भाइयन ओसे कहेन, “नाही। महोदय! हम तउ आपक सेवक क रुप मँ आइ अही। हम पचे सिरिफ अनाज बेसहइ आइ अही। 11 हम सबहि लोग भाई अही, हम पचन क एक ही पिता अहइ। हम लोग ईमानदार अही। हम लोग सिरिफ अनाज बेसहइ आइ अही।”

12 तब यूसुफ ओनसे कहेस, “नाही! तू लोग इ पता लगावइ आया ह कि हम पचे कहाँ कमजोर अही?”

13 भाइयन कहेन, “नाही! हम सबहिं भाई भाई अही। हमरे परिवारे मँ बारह भाई अहइँ। हम सब क एक ही पिता अहइ। हम लोगन क सब स लहुरा भाई अबहु भी हमरे पिता क संग घरे प बाटइ अउ दूसर भाई बहोत समइ पहिले मरि गवा। हम लोग आप क समन्वा सेवक क नाईं अही। हम लोग कनान देस क अही।”

14 मुला यूसुफ कहेस, “नाही! मोका पता अहइ कि मइँ ठीक अहउँ। तू भेदिया अहा। 15 मुला मइँ तू लोगन क इ साबित करइ क मौका देब कि तू लोग फुरइ कहत बाट्या। तू लोग इ जगह तब तलक नाहीं तजि सकत्या जब तलक तू पचन क लहुरा भाई हिआँ नाही आवत। 16 ऍह बरे तू लोगन मँ स एक ठु लउटइ अउ आपन लहुरे भाई क हिआँ लइ आवइ। उ समइ तलक दूसर हिआँ कैद मँ रइही। हम देखब कि का तू लोग फुरइ बोलत अहा। मुला मोका बिस्सास अहइ कि तू पचे जासूस अहा।” 17 तब यूसुफ ओन सब क तीन दिना बरे जेल मँ नाईं दिहस।

सिमोन बन्धक क रुप मँ रखा गवा

18 तीन दिन बाद यूसुफ ओनसे कहेस, “मइँ परमेस्सर क भय मानत हउँ। ऍह बरे मइँ तू लोगन क इ सिद्ध करइ क एक मौका देब कि तू लोग फुरइ बोलत अहा। तू लोग इ काम करा अउर मइँ तू लोगन क जिअइ देब। 19 अगर तू लोग ईमानदार मनई अहा तउ आपन भाइयन मँ स एक क जेल मँ रहइ द्या। दूसर भाइयन जाइ सकत ही अउ आपन लोगन बरे अनाज लइ जाइ सकत ही। 20 तब यदि तू आपन सब स लहुरा भाई क लइके हिआँ मोरे लगे आवा। इ तरह मइँ पतियाब कि तू लोग फुरइ बोलत अहा।”

भाइयन इ बात क मान लिहन। 21 उ पचे आपुस मँ बतियानेन “हम पचन क सजा दीन्ह गइ ह। काहेकि हम पचे आपन सब स लहुरा भाई क संग बुरा किहे अही। हम पचे ओकरे मुसीबत क निहारा जेहमाँ उ रहा। उ आपन रच्छा बरे हम पचन स बिनती किहस। मुला हम सबइ ओकर एकहु न सुना। ऍह बरे हम पचे दुःखन मँ अही।”

22 तब रूबेन ओनसे कहेस, “मइँ तोहसे कहेउँ रहा कि उ लरिका क कछू भी बुरा जिन करा। मुला तू पचे मोरउ एक न सुन्या। ऍह बरे अब हम ओकरी मउत बरे सजा पावत अही।”

23-24 यूसुफ आपन भाइयन स बात करइ एक ठु दु भासिया काम लेत रहा। ऍह बरे भाइयन नही जान पाया कि यूसुफ ओनकइ भाखा जानत बाटइ। मुला उ पचे जउन कछू कहत रहेन ओका यूसुफ सुनत अउ समझत रहा। ओनकइ बातन स यूसुफ बहोत दुःखी भवा। ऍह बरे यूसुफ ओनसे अलग हटि गवा अउ रोइ पड़ा। तनिक देर मँ यूसुफ ओनके लगे लउटा। यूसुफ उ भाइयन मँ स सिमौन क धरेस अउ ओका बाँधेस जब कि दूसर भाई लखत रहेन। 25 यूसुफ कछू सेवकन क ओनकइ बोरा मँ अनाज भरइ क कहेस। भाइयन इ अनाजे क दाम यूसुफ क दिहन। मुला यूसुफ उ धने क नाही लेइ क फइसला किहस। उ उ धने क ओनकई अनाज क बोरन मँ धरइ बरे सेवकन क हुकम दिहस। तब यूसुफ ओनका उ सबइ चीजन क दिहस, जेनकइ जरुरन ओनकइ घरे तलक लउटइ वाली जात्रा मँ होइ सकत रही।

26 ऍह बरे भाइयन अनाजे क आपन गदहन प लादेन अउ हुआँ स निकरि पड़ेन। 27 उ सबइ सबहि भाइयन राति क ठहरेन अउ भाइयन मँ स एक कछू अनाजे बरे आपन बोरा खोलेस अउ उ आपन धन बोरा मँ पाएस। 28 उ दूसर भाइयन स कहेस, “लखा, जउन दाम मइँ अनाजे बरे चुकाएउँ ह, उ हिआँ अहइ। कउनो मोरे बोरा मँ इ धन लौटाइ दिहे अहइ!” उ सबइ सबहि भाई बहोत जियादा डेराइ गएन। उ पचे आपुस मँ बतियानेन, “परमेस्सर हम पचन क संग का करत अहइ?”

भाइयन याकूब क सूचना दिहेन

29 उ सबइ भाई कनान देस मँ आपन पिता याकूब क लगे गएन। उ पचे जउन कछू भवा आपन पिता क बताएन। 30 उ पचे कहेन, “उ देस क राज्जपाल हम लोगन स बहोत रुखा होइके बोला। उ सोचेस कि हम पचे जासूस अही। 31 मुला हम लोग कहेन कि ‘हम पचे ईमानदार अही। अउर हम पचे जासूस नाहीं अही।’ 32 हम पचे ओका बतावा कि हम लोग बारह भाई अही। अउर हम लोगन क सब स लहुरा भाई अब भी कनान देस मँ हमार बाप क संग बाटइ। अउर हमार दूसर भाई मरि गवा ह।”

33 “तब देस क राज्जपाल हम लोगन स इ कहेस, ‘इहइ सिद्ध करइ बरे कि तू ईमानदार अहा इ रस्ता अहइ: आपन भाइयन मँ स एक क हमरे लगे हिआँ छोड़ि द्या। आपन अनाज लइके आपन आपन परिवारन क लगे लउटि जा। 34 आपन सब स लहुरा भाइ क हमरे लगे लिआवा। तब मइँ समझब कि तू लोग ईमानदार अहा या तू लोग जासूस अहा। जदि तू पचे फुरइ बोलत अहा तउ मइँ तोहरे भाई क तोहका दइ देब। अउर तू लोग हमार देस स अनाज खरीदइ बरे आजाद होइ जाब्या।’”

35 तब सब भाई आपन बोरन स अनाज लेइ गएन अउ हर एक भाई आपन धने क थइली आपन अनाजे क बोरा मँ पाएस। भाइयन अउर ओनकइ पिता धन क लखेन, अउर उ सबइ बहोत डरि गएन।

36 याकूब ओनसे कहेस, “का तू लोग चाहत ह कि मइँ आपन सबहि पूतन स हथवा धोइ बइठउँ। यूसुफ मरि गवा, सिमोन भी चलि गवा अउ तू लोग बिन्यामीन क भी मोसे दूरि लइ जावा चाहत ह!”

37 तब रूबेन आपन पिता स कहेस, “पिता जी आप मोरे दुइनउँ पूतन क मारि डाया जदि मइँ बिन्यामीन क आप क लगे न लउटावउँ। मोहे प बिस्सास करा। मइँ आप क लगे बिन्यामीन क लउटाइ लिआउब।”

38 मुला याकूब कहेस, “मइँ बिन्यामीन क तू लोगन क संग नाही जाइ देब। ओकर भाई अउर महतारी मरि गवा अहइँ अउर मोर मेहरारु राहेल क उहइ अकेल्ला पूत बचा बाटइ। मिस्र तक क जात्रा मँ जदि ओकरे संग कछू भवा तउ उ होनी मोका मारि डाइ। तू लोग मोका एक दुःख स भवा अउ बूढ़ा मनई क कब्र मँ पठउब्या।”

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