Chronological
17 “मोर जिउने कि इच्छा नस्ट कीन्ह ग अहइ।
मोर प्राण लगभग जाइ चुका अहइ।
कब्र मोर बाट जोहत अहइ।
2 लोग मोका घेर लेत हीं अउर मोह पइ हँसत हीं।
मइँ ओनका लखत हउँ जब लोग मोर अपमान करत हीं।
3 “परमेस्सर, मोर बेकसूर होइ क पुस्टि करा।
मोर निर्दोख होइ क गवाही देइ बरे कउनो तइयार नाहीं होइ।
4 मोरे मीतन क मन तू मूदँ ल्या ह।
एह बरे उ पचे जीत नाहीं सकब।
5 लोग जउन कहत ह उ तू जानत ह,
‘मनई आपन मीत क मदद करइ बरे
आपन गदेलन क नज़र अन्दाज़ करत ह।’
6 परमेस्सर मोर नाउँ हर कउनो बरे अपसब्द बनाएस ह
अउर लोग मोरे मुँहे पइ थूका करत हीं।
7 मोर आँखी लगभग आँधर होइ चुकी अहइ काहेकि मइँ बहोत दुःखी हउँ।
मोर देह एक छाया क तरह दुर्बल होइ चुकी अहइ।
8 नीक लोगन ब्याकुल अहइं कि इ घटि सकत ह।
निरअपराध लोग ओन क खिलाफ उत्तेजित अहइ।
जउन परमेस्सर क मज़ाक उड़ावत ह।
9 मुला सज्जन नेकी क जिन्नगी जिअत रहहीं।
निरापाराधी लोग सक्तीसाली होइ जइहीं।
10 “जदि तू लउटि आउब्या, तउ आवा।
किन्तु मइँ दिखाउब कि तू पचन मँ स कउनो बुहिदमान नाहीं अहइँ।
11 मोर जिन्नगी यो ही बीतन अहइ।
मोर सबइ जोजना टूट गइ अहइँ अउर आसा चली गइ अहइ।
12 हरेक चीज क उलझा दीन्ह ग ह,
उ पचे रात क दिन कहत ह अउर प्रकास अँधियारा लिआवत ह।
13 “मइँ आसा करउँ कि कब्र मोर घर
अउ अँधियारा मोर बिछउना होइ।
14 अगर मइँ कब्र स कहउँ, ‘तू मोरे बाप अहा,’
अउर कीरा स ‘तू मोर महतारी अहा,’ या ‘तू मोर बहिन अहा।’
15 अगर उ मोर सिरिफ एक ठु आसा अहइ तबइ तु कउनो आसा मोका नाहीं अहइ
अउर कउनो भी मनई मोरे बरे कउनो आसा नाहीं लखि सकत ह।
16 का मोर आसा भी मोरे संग मरि जाइ?
का मइँ अउर मोरे आसा एक संग कब्र मँ मिलिहीं?”
अय्यूब क बिल्दद क जवाब
18 फिन सूहू प्रदेस क बिल्दद जवाब देत भए कहेस।
2 “अय्यूब, इ तरह क बातन करब तू कब तज देब्या?
तोहका चुप रहइ चाही अउर सुनइ चाही, सिरिफ तब ही हम कहि सकित ह।
3 तू काहे इ सोचत ह कि हम ओतँना मूरख अही
जेतना मूरख एक ठु बर्धा होत ह?
4 अय्यूब, तू आपन किरोध स आपन ही नोस्कान करत अहा।
का लोग भुइँया बस तोहरे बरे तजि देइँ?
का तु इ सोचत अहा कि बस तोहका तृप्त करइ क परमेस्सर धरती क हलाइ देई?
5 “हाँ, बुरा मनई क प्रकास बुझी
अउर ओकर आगी क लौ न चमकी।
6 ओकरे घरे क प्रकास करिया पड़ि जाइ
अउर जउन दिया ओकरे लगे अहइ उ बुझ जाइ।
7 सक्तीसाली मनई क कदम धीमे स बढ़त ह।
आपन ही बुरा जोजनन स उ पतन क झेलब्या।
8 ओकर आपन ही कदम ओका एक जाल क फंदा मँ गिराए देइहीं।
उ चलिके जालि मँ जाई अउर फँस जाई।
9 कउनो जाल ओकर एड़ी क पकड़िके धइ लेइ।
एक ठु जाल ओका कसिके जकर लेइ।
10 एक रस्सा ओकरे बरे धरती मँ छुपा रही।
कछू फंदा ओकरे राहे मँ झुठ बोलब्या।
11 ओकरे चारिहुँ कइँती सबहिं आतंक होइ।
ओकर हर कदम क डर पाछा करत रही।
12 खुउफनाक मुसीबतन ओकरे बरे भुखान होइँ।
जब उ गिरी, विध्वंस ओकरे बरे तइयार रहहीं।
13 महा बियाधि ओकरे चमड़ी क हींसन क लील जाई।
उ ओकरे बाँहिन अउ ओकर हँड्डियन क सड़ाइ देइ।
14 आपन घरे सुरच्छा स दुट्ठ व्यक्ती क दूर कीन्ह जाइ।
आतंक क राजा क लगे ओका लइ जावा जाइ।
15 ओकरे घरे मँ तब तलक कछू भी न बची
जब तलक ओकरे सचमुच घरे मँ धधकत भइ गन्धक बिखेरी जाइ।
16 ओकरे खाले गइ भइ जड़न झुराइ जइहीं
अउर ओकरे ऊपर क डारन मुरझाइ जइहीं।
17 धरती क लोग ओका याद नाहीं करिहीं।
बस अब कउनो भी ओका याद नाहीं करी।
18 प्रकास स ओका हटाइ दीन्ह जाइ अउर उ अँधियारा मँ ढकेला जाइ।
उ पचे ओका दुनिया स दूर भगाए देइहीं।
19 ओकर कउनो गदेलन अउ सन्तानन नाहीं होइहीं।
ओकरे घरे मँ कउनो जिअत नाहीं बची।
20 पच्छिम क लोग सहमा रहि जइहीं जब उ पचे जानिहीं कि उ दुट्ठ मनइयन क संग का घटेस ह।
पूरब मँ लोग आतंकित होइके सन्न रहि जइहीं।
21 फुरइ दुर्जन व्यक्ति क घरे क संग अइसा ही घटी।
अइसा ही घटी उ मनई जउन परमेस्सर क नाहीं जानतेन।”
अय्यूब क जवाब
19 तब अय्यूब जवाब देत भए कहेस।
2 “कब तलक तू पचे मोका सतावत रहब्या
अउर सब्दन स मोका ताड़क रहब्या?
3 अब लखा, तू पचे दसउ दाई मोका बेज्जत किहा ह।
मोह पइ वार करत तू पचन्क सर्म नाहीं आवति ह।
4 अउर जदि मइ कउनो बुराई किहेउँ
तउ इ मोर गल्ती अहइ।
5 तू पचे इहइ चाहत अहा कि तू पचे मोहसे उत्तिम देखाँउन।
तू पचे कहत अहा कि मोर कस्ट मोका दोखी साबित करत हीं।
6 मुला उ तउ परमेस्सर अहइ जउन मोरे संग बुरा किहस ह
अउर जउन मोरे चारिहुँ कइँती आपन फदां फइलाएस ह।
7 मइँ गोहरावत हउँ ‘मोरे संग बुरा किहा ह’।
मुला मोका कउनो जवाब नाहीं मिलत ह।
चाहे मइँ निआउ क गुहार गोहरावउँ मोर कउनो नाहीं सुनत ह।
8 मोर रस्ता परमेस्सर रोकेस ह, एह बरे ओका मइँ पार नाहीं कइ सकत।
उ अँधियारा मँ मोर रस्ता छुपाइ दिहस ह।
9 मोर सम्मान परमेस्सर छोर लिहस ह।
उ मोरे मूँड़ स मुकुट छोर लिहस ह।
10 परमेस्सर मोर पूरा सरीर मँ मोर प्राण निकरि तलक मारब।
उ मोर आसन क अइसे उखाड़ देत ह
जइसे कउनो जड़ स बृच्छ क उखाड़ि देइ।
11 मोरे खिलाफ परमेस्सर क किरोध भड़कत अहइ।
उ मोका आपन दुस्मन कहत ह।
12 परमेस्सर आपन फउज मोह पइ प्रहार करइ क पठवत ह।
उ पचे मोरे चारिहुँ कइँती बुर्जियन खरा करत हीं।
उ पचे मोरे तम्बू क चारिहुँ कइँती छावनी बनावत हीं।
13 “परमेस्सर मोरे बन्धुअन क मोर दुस्मन बनाइ दिहेस।
आपन मीतन बरे मइँ पराया होइ गएउँ।
14 मोर रिस्तेदारन मोका तजि दिहन।
मोर मीतन मोका बिसराइ दिहन।
15 मोर घरे क अतिथियन स लइके मेहरारु नउकरन तलक
मोरे संग अइसा बेउहार करत ह जइसा मइँ कउनो अजनबी अहउँ।
16 मइँ आपन नउकर क बोलावत हउँ पर उ मोर नाहीं सुनत ह।
उ पचे मोका मदद बरे भीख माँगाएस ह।
17 मोर पत्नी मोरे साँस क गंध स घिना करत ह।
मोर आपन ही गदेलन मोहसे घिना करत हीं।
18 नान्ह गदेला तलक मोर हँसी उड़ावत हीं।
जब कबहुँ मइँ जागत हउँ, तउ उ पचे मोरे खिलाफ बोलत हीं।
19 मोर आपन मीत मोहसे घिना करत हीं।
हिआँ तलक कि अइसे लोग जउन प्रिय अहइँ, मोर बिरोधी होइ गवा अहइँ।
20 “मइँ एँतना दुर्बल अहउँ जइसे मइँ सिरिफ खाल अउर हाड़न होइ गवा अहउँ।
अब मइँ सिरिफ जिअत हउँ।
21 “हे मोर मीतो मोह पइ दाया करा, दाया करा मोह पइ
काहेकि परमेस्सर क हाथ मोहका छू गवा अहइ।
22 काहे मोका तू भी सतावत अहा जइसे मोका परमेस्सर सताएस ह
काहे तू मोका दुख देत भए कबहुँ अघात्या नाहीं?
23 “जउन मइँ कहत हउँ ओका कउनो क याद राखइ चाही अउ किताबे मँ लिख देइ चाही!
मोर सब्द कउनो क गोल पत्रक पइ लिख देइ चाही!
24 मइँ जउने बातन क कहत ओनका कउनो लोहा क कलम स सीसा पइ लिखा जाइ चाही
या ओनका चट्टाने पइ खोद दीन्ह जाइ चाही ताकि उ हमेसा बरे रहइ जाइ।
25 मोका इ जानत हउँ कि कउनो एक अइसा अहइ जउन मोर बरे बोलब्या अउर मोर रच्छा करब्या।
मोका बिस्सास अहइ कि आखिर मँ उ धरती पइ खड़ा होब्या अउर मोरे बचाव करब्या।
26 मोरे आपन देह छोड़इ अउर मोर चमड़ी तबाह होइक पाछे भी
मइँ जानत हउँ कि मइँ परमेस्सर क लखब।
27 मइँ परमेस्सर क खुद आपन आँखिन स लखब।
खुद स कउनो दूसर नाहीं, परमेस्सर क लखब।
मइँ बता नाहीं केतँना खुसी अनुभव करत हउँ।
28 “होइ सकत ह तू कहा, ‘हम अय्यूब क तंग करब।
मइँ मामला क जड़ तलक जाब।’
29 मुला तोहका तरवारे स डरइ चाहीं,
काहेकि परमेस्सर किरोधित होब्या अउर तोहका तरवार स सजा देब्या।
अउर तब तू पचन्क समझब्या कि हुआँ निआउ क एक निहचित समइ अहइ।”
सोपर क जवाब
20 एह पइ नामात प्रदेस क सोपर जवाब दिहस।
2 “अय्यूब, धियान दया।
मइँ परेसानी मँ हउँ।
यह बरे मइँ हाली तोहका बताएउँ क कि मइँ का सोचत हउँ।
3 तोहार आलोचना हमार अपमान करत हीं।
मुला मइँ बुद्धिमान हउँ अउर जानत हउँ कि तोहका कइसे जवाब दीन्ह जाइ चाही।
4-5 “एका तू तब स जानत ह जब बहोत पहिले लोगन क धरती पइ पठवा ग रहा,
दुट्ठ मनई क आनन्द बहोत दिन नाहीं टिकत ह।
अइसा मनई जेका परमेस्सर क चिन्ता नाहीं अहइ उ तनिक समइ बरे आनन्द मँ भरि जात ह।
6 चाहे दुट्ठ मनई क अपमान
अकासे तलक छू जाइ।
7 उ आपन तने क मल क नाई नस्ट होइ जाइ।
उ सबइ लोग जउन ओका जानत हीं कइहीं, ‘उ कहाँ अहइ?’
8 उ अइसे बिलाइ जाइ जइसे सपन हाली ही कहूँ उड़ जात ह।
फिन कबहुँ कउनो ओका लखि नाहीं सकी, उ नस्ट होइ जाइ,
ओका राति क सपना क तरह हाँक दीन्ह जाइ।
9 उ सबइ मनई जउन ओका लखे रहेन फुन कबहुँ नाहीं लखेन।
ओकर परिवार फुन कबहुँ ओका नाहीं लखि पाइ।
10 जउन कछू भी उ (दुट्ठ) गरीबन स लिहे रहा ओकार संतानन चुकइहीं।
ओनका आपन हीं हाथन स धन लौटाए होइ।
11 जब उ जवान रहा, ओकर सरीर मजबूत रही,
मुला उ हाली ही धूलि होइ जाइ।
12 “दुस्ट क मुहँ क दुस्टता बड़ी मीठी लागत ह,
उ ओका आपन जिभिया क खाले छुपाइ लेइ।
13 बुरा मनई उ बुराई क थामे रही, ओकर दूर होइ जाब ओका कबहुँ नाहीं भाई,
तउ उ ओका आपन मुँहे मँ थामे रही।
14 मुला ओकरे पेटे मँ ओकर भोजन जहर बन जाइ,
उ ओकरे भीतर अइसे बन जाइ जइसे कउनो नाग क विख सा कडुवा जहर।
15 दुस्ट धन दौलत क लील जात ह मुला उ ओन सबका बाहेर उगिली।
परमेस्सर दुस्ट क पेटे स ओन सबका उगालिवाइ।
16 दुस्ट मनई क विख चुसब साँपे क नाई होइ।
मुला साँपे क विसैला जीभ ओका मारि डइहीं।
17 मुला दुस्ट मनई लखइ क आनन्द नाहीं लेइहीं
अइसी ओन नदियन क जउन सहद अउर मलाई बरे बहा करत ह।
18 दुट्ठ क ओकर लाभ वापिस करइ क दबावा जाइ।
ओका ओन चिजियन क आनन्द नाहीं लेइ दीन्ह जाइ जेनके बरे उ मेहनत किहे अहइ।
19 कहेकि उ दुस्ट मनई दीन मनई क चिन्ता नाहीं किहस।
बलकि, उ दूसर लोगन क घरन क भी लइ लिहस जेका उ पचे आपन बरे बनाएस रहा।
20 “दुस्ट मनई कबहुँ संतुट्ठ नाहीं होत ह।
उ आपन सबहिं धन क लइ ले जात ह।
21 जब उ खात ह तउ कछू नाहीं तजत ह,
तउ ओकर कामयाबी बनी नहीं रही।
22 जब दुस्ट जन क लगे भरपूर होइ तबहिं ओन पइ विपत्ती आइहीं
अउर उ कस्ट क अनुभव करिहीं।
23 दुस्ट जन उ सब कछू खाइ चुकी जेका उ खाइ चाहत ह।
परमेस्सर आपन बरत भवा किरोध ओह पइ डाइ।
उ दुस्ट मनई पइ परमेस्सर सजा बरसाइ।
24 होइ सकत है कि उ दुस्ट लोहा क तरवार स बच निकरइ,
मुला कहुँ स काँसा क बाण ओका मार गिरावइ।
25 तीर खींचत लिहेस ह,
अउर बिजुरि क नाई ओकरे पीठ मँ घुसत ह,
अउर ओकरे करेजा बाहर आ जात ह,
अउर उ आंतकित होइके काँप उठत ह।
26 ओकर सबहिं खजाना नस्ट होइ जइहीं,
एक ठु अइसी आगी जेका कउनो नाहीं बारेस ओका नस्ट करी,
उ आगी ओनका जउन ओकरे घरे मँ बचा अहइँ नस्ट कइ डाइ।
27 सरग सिद्ध करी कि उ दुस्ट अपराधी अहइ,
इ गबाही धरती ओकरे खिलाफ देइ।
28 जउन कछू भी ओकरे घरे मँ अहइ,
उ परमेस्सर क किरोध क बाढ़ मँ बहि जाइ।
29 इ उहइ जेका परमेस्सर दुस्टन क संग करइ क जोजना रचत ह।
इ उहइ जइसा परमेस्सर ओनका देइ क जोजना बनावत ह।”
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.