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Chronological

Read the Bible in the chronological order in which its stories and events occurred.
Duration: 365 days
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)
Version
अय्यूब 14-16

14 “उहइ दिना स जब हमार मताहरी हम पचन क जन्मेस ह,
    हमार जिन्नगी छोट अउ दुःख स भरी अहइ।
मनई क जिन्नगी फूल क नाई अहइ जउन हाली जमत ह अउर फुन खतम होइ जात ह।
    मनई क जिन्नगी अहइ जइसे कउनो छाया तनिक देर टोकत ह अउर बनी नाहीं रहत।
हे परमेस्सर, का तू उ मनई पइ धियान देब्या जउन मरा भवा लागत ह
    का तू मोर निआउ करइ मोका समन्वा लिअउब्या?

“कउनो अइसी चीज स जउन खुद स्वच्छ नाहीं अहइ स्वच्छ चीज कउन पाइ सकत ह? कउनो नाहीं।
मनई क जिन्नगी सीमित अहइ।
    तू ओकर जीवन काल क सीमित कइ दिहेस ह।
    तू मनई बरे जउन सीमा बाँध्या ह, ओका कउनो भी नाहीं बदल सकत।
तउ परमेस्सर, तू हम पइ आँखी रखब तजि दया।
    हम लोगन क अकेल्ला तजि दया।
    हम पचन्क क आपन जिन्नगी क उहइ तरह समाप्त करइ दया जे तरह मजदूरन आपन काम क समाप्त करत ह।

“मुला अगर बृच्छ क काटिके गिराइ दीन्ह जाइ
    तउ भी आसा ओका रहत ह कि उ फुन स पनप सकत ह,
    काहेकि ओहमा नई-नई डारन फूटत रइहीं।
चाहे ओकर जड़न धरती मँ पुरान काहे न होइ जाँइ
    अउर ओकार तना चाहे माटी मँ गल जाइ।
मुला पानी क सिरिफ गंध स उ नई बढ़त देत ह
    अउर एक पउध क तरह ओहसे डारन फूटत हीं।
10 मुला एक मनई कमज़ोर होइ जात ह अउ मरि जात ह,
    अउर तब उ चला जात ह।
11 समुद्दर स पानी गाएब होइ सकत ह
    अउर नदियन सूख कइ फट सकत ह,
12 अउर तउ भी जउन कउनो आपन कब्र मँ मरा भवा अहइ
    कबहुँ भी नाहीं जी उठब!
ओकर नींद स जगाइ स पहिले ही
    आकास लुप्त होइ जाइ।

13 “मोर इच्छा अहइ कि तू मोरी कब्र मँ तक तलक छुपाइ लेइ चाही
    जब तलक तोहार किरोध कम नाहीं होइ जाइ।
    अउर तोहका आदेस दीन्ह जाइतेन अउर मोका जगावा जातेन।
14 अगर कउनो मनई मरि जाइ तउ का जिन्न कबहुँ पउब्या?
    मइँ तब तलक बाट जोहब, जब तलक मोर कर्तव्य पूरा नाहीं होइ जात अउर जब तलक मइँ अजाद न होइ जाऊँ।
15 हे परमेस्सर, तू मोका बोलउब्या
    अउर मइँ तोहका जवाब देब।
उ तू ही अहइ जउन मोका बनाया ह
    यह बरे तोहका मोह पइ धियान देइ चाही।
16 तब मोरी इच्छा अहइ कि तू मोर हर कदम क जाँच करा,
    मुला तोहका मोहमाँ कउनो गल्ती खोजइ क कोसिस नाहीं करइ चाही।
17 तउ इ अइसा होइतेन कि मोर पापन क एक थइला मँ बन्दा कीन्ह जातेन।
    अउर तू मोरे पापन क हटाइ देतेन।

18 “एक नस्ट भवा पहाड़ क जइसा जेकर टूका ले लइ जात ह
    अउर एक चट्टान जउन आपन जगह स हटाइ लेइ जात ह।
19 जइसे पानी पाथर क घाँसि डावत ह
    अउ माटी क पानी बहाइके तल मँ लइ जात ह।
    हे परमेस्सर, उहइ तरह मनई क आसा क तू नस्ट करत अहा।
20 तू एक दाँइ मनई क हरावत अहा
    अउर उ खतम होइ जात ह।
तू ओकरे मुँह बिगाड़त ह
    अउर ओका पठइ देत ह।
21 अगर ओकर पूत कबहुँ सन्मान पावत हीं तउ ओका कबहुँ ओकर पता नाहीं चल पावत।
    अगर ओकर पूत कबहुँ अपमान भोगत हीं, तउ उ कबहुँ ओका लखि नाहीं पावत ह।
22 तउ मनई क देह क कारण ही ओका पीड़ा होत ह
    अउर ओकर आतिमा ओकरे बरे सोक मनावत ह।”

एलीपज अय्यूब क जवाब देत ह

15 एह पइ तेमान नगर क बसइया एलीपज अय्यूब क जवाब दिहेस।

“का तू सोचत अहा
    कि कउनो बुद्धिमान मनई बे अरथ सब्द स जवाब देत ह
    अउ आपन आप क गर्म हवा स भरि देत ह?
का तू सोचक ह कि कउनो बुद्धिमान मनई व्यर्थ क सब्दन स
    अउर ओन भासणन स बहस करी जेनकर कउनो लाभ नाहीं अहइ?
अय्यूब, तोहर जवाब लोगन क परमेस्सर क आदर
    अउर ओकर उपासना करइ स रोकइ क कारण होइ।
तू जउने बातन क कहत ह उ तोहार पाप साफ साफ देखावत ह।
    अय्यूब, तू चतूराई स भरे भए सब्दन क प्रयोग कइके आपन पापन क छुपावइ क प्रयत्न करत अहा।
मोका जरुरी नाहीं कि तोहका गलत सिद्ध करउँ।
    काहे? तू खुद आपन मुहँ स जउन बातन कहत ह,
    उ देखाँवत हीं कि तू बुरा अहा अउर तोहर ओठं खुद तोहरे खिलाफ बोलत हीं।

“अय्यूब, का तू सोचत ह कि जन्म लेइवाला पहिला मनई तू ही अहा
    अउर पहाड़न क रचना स पहिले तोहार जन्म भवा रहा।
का तू परमेस्सर क रहस्य स भरी सबइ जोजना क सुने रहया?
    का तू सोचत ह कि तू बुद्धिमान अहा?
अय्यूब, तू हम पचन स जियादा कछू नाहीं जानत अहा।
    उ सबइ बातन हम पचन समझत अही, जेनकर तोहका समुझ अहइ।
10 उ सबइ लोग जेनकर बार उज्जर अहइँ अउर बुढ़वा मनई अहइ उ पचे हम स सहमत रहत हीं।
    हाँ, तोहरे बाप स भी बुढ़वा लोग हमरे समर्थन मँ अहइँ।
11 परमेस्सर तोहका सुख देइ क जतन करत ह।
    अउर तोहमा नर्मी स बात करत ह।
    का इ तोहरे बरे काफी नाहीं अहइ? मुला तू सोचत अहा कि तोहर बरे काफी नाहीं अहइ।
12 अय्यूब, तू काहे नाहीं समुझब्या?
    तू सच्चाइ क काहे नाहीं लखइ सकब्या?
13 जब कभी तू इ तरह बोलत ह
    तू परमेस्सर क खिलाफ होत ह।

14 “फुरइ कउनो मनई सुद्ध नाहीं होइ सकत।
    मरनसील मनई नीक नाहीं होइ सकत ह।
15 हिआँ तलक कि परमेस्सर आपन दूतन तलक पइ भी निभर नाही रहत ह।
    हिआँ तलक कि सरग भी परमेस्सर क अपेच्छा सुद्ध नाही अहइ।
16 मानव जाति बहोत जियादा पापी
    अउर भ्रस्ट अहइँ।
    उ बुराई क पानी क तरह गटक जात ह।

17 “अय्यूब, मोरी बात सुना अउर मइँ ओकर व्याख्या तोहसे करब।
    मइँ तोहका बताउब, जउन मइँ जानत हउँ।
18 मइँ तोहका उ सहइ बतउब्या जउन बुद्धिमान मनई बतउब्या।
    उ पचे एन बातन क आपन पूरखन स सुनेस ह
    अउर ओनका छिपाइ बिना बताएस।
19 सिरिफ ओनकर पूरखन क ही भुइँया दीन्ह गवा रहा।
    ओनकर देस मँ कउनो परदेसी नाहीं रहा।
20 दुट्ठ मनई जिन्नगी भइ पीरा झेली।
    एक क्रूर मनई ओन सबहिं बरिसन मँ जउन ओकरे बरे निहचित कीन्ह ग अहइँ, दुःख भोगत रही।
21 ओकरे कानन मँ भयंकर ध्वनियन होत रइहीं।
    जब उ सोची उ सुरच्छित अहइ तबहीं ओकर दुस्मन ओह पइ हमला करिहीं।
22 दुट्ठ मनई कउनो आसा नाहीं अहइ कि उ आँधियारा बचिके निकरि पावइ।
    कहुँ एक अइसी तरवार अहइ जउन ओका मार डावइ क इन्तज़ार करत अहइ।
23 उ एँह कइँती ओह कइँती भटकत भवा फिरत ह मुला ओकर देह गीधन क चारा बनि जाइ।
    ओका इ पता अहइ कि ओकर मउत बहोत निचके अहइ।
24 चिन्ता अउ यातना ओका डरपोक बनावत हीं।
    इ सबइ बातन ओह पइ अइसे वार करत हीं जइसे कउनो राजा जुद्ध करइ बरे तइयार होत ही।
25 काहेकि दुट्ठ मनई परमेस्सर क हुकुम मनइ स इन्कार करत ह
    अउर सर्वसक्तीमान क नज़र-अन्दाज़ करत ह।
26 उ दुट्ठ मनई बहोत हठी अहइ।
    उ परमेस्सर क खिलाफ लड़इ चाहत ह, सोचत अहा कि उ मजबूत ढाल स ओका हराइ सकत ह।
27 दुट्ठ मनई बहोत क मुँहे पइ चर्बी चढ़ी रहत ह।
ओकर कमर माँस भर जाइ स मोटवार होइ जात ह।
28     मुला उ उजाड़ सहरन मँ रही।
उ अइसे घरन मँ रही जहाँ कउनो नाहीं रहत ह।
    ओकर घरन हाली ही रौंदा जइहीं।
29 दुट्ठ मनई जियादा समइ तलक धनी नाहीं रही।
    ओनकर भाग्य क धरती पइ
    स्थित रुप मँ ठहरवा नाहीं जाब्य़ा।
30 दुट्ठ मनई अँधियारा स न बच पाई।
    उ उ बृच्छ क नाई होइ जेकर सबइ डारन आगी स झउँस गइ अहइँ।
    परमेस्सर क साँस दुट्ठन क उड़ाइ देइ।
31 दुट्ठ लोग बेकार क चिजियन क भरोसे रहिके आपन क मुरख न बनावइँ
    काहेकि ओका कछू प्राप्त न होइ पाई।
32 दुट्ठ मनई समइ स पहिले ही मरि जाब।
    उ पचे उ बृच्छ क नाई होइ जाइ जेकर चोटी क डारन मरि गवा ह।
33 दुट्ठ मनई उ अंगूरे क बेल क नाई होत ह जेकर फल पाकइ स पहिले ही झरि जात हीं।
    अइसा मनई जइतून क बृच्छ क नाई होत ह, जेकर फूल सारि जात हीं।
34 काहेकि परमेस्सर क बगइर लोग खाली हाथ रहहीं।
    अइसे लोग जेनका पइसन स पियार अहइ, घूस लेत हीं।
    ओनकर घर आगी स नस्ट होइ जइहीं।
35 उ पचे मूसिबत क कुचक्र रचत हीं अउर बुरे करम करत हीं।
    उ पचे लोगन क छलइ क तरकीब क जोजना बनावत हीं।”

अय्यूब एलीपज क जावाब देत ह

16 एह पइ अय्यूब जावाब देत भए कहेस:

“मइँ पहिले ही इ सबइ बातन क बहोत बार सुनेउँ ह।
    तू ‘आरामदेइवाला लोग’ सचमुच सिरिफ मोका तंग करत ह!
तोहार बेकार क लम्बी बातन कबहुँ खतम नाहीं होतिन।
    तू काहे तर्क करत ही रहत ह?
जइसे तू कहत अहा वइसे बातन तउ मइँ भी कहइ सकत्या।
    अगर तू पचन्क मोर दुःख झेलइ क पड़त,
मइँ भी तोहार खिलाफ तर्क देइ सकत हउँ
    अउर तोहार अपमान कइ सकत्या।
मुला मइँ आपन बचनन स तोहार हिम्मत बढ़ाइ सकत्या
    अउर तोहरे बरे आसा बँधाइ सकत्या।

“मुला जउन कछू मइँ कहत हउँ ओहसे मोर दुःख दूर नाहीं होइ सकत।
    मुला अगर मइँ कछू भी न कहउँ तउ भी मोका चइन नाहीं पड़त।
फुरइ हे परमेस्सर तू मोर सक्ती क हर लिहा ह।
    तू मोर सारा घराने क बर्बाद कइ दिहा ह।
तू मोर सरीर क झूर्रीदार बनाइ दिहेस ह, अउर इ मोर खिलाफ गवाही दिहेस ह।
    मइँ खउफनाक देखाँत हउँ अउर लोग अइसा सोचत हीं कि मइँ बुराइ करइ क कारण अपराधी हउँ।

“परमेस्सर मोह पइ प्रहार करत ह।
    उ मोह पइ कोहान अहइ।
उ मोरी देह क फारिके अलगाइ दिहस ह।
    परमेस्सर मोरे ऊपर दाँत पीसत ह।
    मोर दुस्मन घिना स भरी निगाह स घूरत हीं।
10 लोग मोर हँसीं करत हीं।
    उ पचे सबहीं मोर खिलाफ इकट्ठा होत ह अउर मोरे मुँह क थपड़ावत ह।
11 परमेस्सर मोका दुट्ठ लोगन क हाथे मँ अर्पण कइ दिहे अहइ।
    उ दुट्ठ मनई मोहे पइ सक्ती दिहस ह।
12 मोरे संग सब कछू भला चंगा रहा।
    तबहीं परमेस्सर मोका कुचर दिहस।
हाँ, उ मोका गटई स धइ लिहेस
    अउर मोर चिथरा चिथरा कइ डाएस।
परमेस्सर मोका निसाना बनाइ लिहस।
13     परमेस्सर क तीरंदाज मोरे चारिहुँ कइँती अहइँ।
उ मोरे गुर्दन क बाणन स बेधत ह।
    उ मोहे पइ दाया नाहीं देखावत ह।
    उ मोरे पित्त क धरती पइ बहाइ देत ह।
14 परमेस्सर मोह पइ बार बार वार करत ह।
    उ मोह पइ अइसे झपटत ह जइसे कउनो फउजी जुद्ध मँ नाहीं झपटत ह।

15 “मइँ बहोत ही दुःखी हउँ।
    एह बरे मइँ विलाप क ओढ़ना पहिरत हउँ।
    मइँ हिआँ धूलि मँ बइठा भवा हउँ अउर हरा भवा अनुभव करत हउँ।
16 मोरे मुँह रोवत बिलखत भए लाल भवा।
    मोरि आँखिन क खाले करिया घेरा अहइँ।
17 मइँ कउनो क संग कबहुँ भी क्रूर नाहीं भएउँ।
    मुला इ सबइ बुरी बातन मोरे संग घटित भएन।
    मोरे पराथनन सही अहइँ।

18 “हे भुइयाँ, तू कबहुँ ओन अत्याचारन क जिन छिपाया जउन मोरे संग कीन्ह गवा अहइँ।
    मोर निआउ क बिनती क तू कबहुँ रुकइ जिन दया।
19 अब तलक भी होइ सकत ह कि हुआँ आकास मँ कउनो तउ मोरे पच्छ मँ होइ।
    कउनो ऊपर अहइ जउन मोका दोख स रहित सिद्ध करी।
20 मोर मीत मोर बारे मँ बोलत अहइँ,
    जब मइँ आसा स रोवत रही कि परमेस्सर मोर मदद करब।
21 मोर इच्छा अहइ कि कउनो एक मोर अउर परमेस्सर क बिचउली करी
    जइसे कउनो एक मनई अउर परोसी क बीच बिचउली करत ही।

22 “कछू ही बरिस बाद
    मइँ हुआँ चला जाब जहाँ स फुन मइँ कबहुँ वापस न आउब।

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