Chronological
10 “मुला हाथ, अब मइँ वइसा नाहीं कइ सकत।
मोका खुद आपन जिन्नगी स घिना अहइ एह बरे मइँ अजाद भाव स आपन दुखड़ा रोउब।
मोरे मने मँ कडुआहट भरी अहइ एह बरे अब मइँ बोलब।
2 मइँ परमेस्सर स कहब ‘मोह पइ दोख जिन लगावा।
मोरे खिलाफ तोहरे लगे लगावइ बरे का अहइ?
3 हे परमेस्सर, का तू मोका चोट पहोंचाइके खुस होत ह
अइसा लगत ह जइसे तोहका आपन सृस्टि बरे कउनो चिंता नाहीं अहइ।
अउर सायद, तू दुस्टन क कुचालन क पच्छ लेत अहा।
4 हे परमेस्सर, का तोहर आँखिन मनई क समान अहइँ?
का तू चिजियन क अइसे ही लखत ह, जइसे मनइयन लखा करत हीं।
5 का तोहार आयु हम जइसे मनइयन क तरह अल्प अहइ?
का तोहार जिन्नगी हम मनइयन क जइसे अल्प अहइ?
6 तू मोर गलतियन खोजत ह
अउर मोरे पापन क हेरत ह।
7 तू जानत ह कि मइँ निरपराध हउँ
मुला मोका कउनो भी तोहर सक्ती स बचाइ नाहीं सकत।
8 परमेस्सर, तू मोका रच्या अउर तोहर हाथन मोरे तन क सँवारेन,
मुला अब ही मोरे खिलाफ होइ गया अउर मोका नस्ट करत अहा।
9 हे परमेस्सर, याद करा कि तू मोका चिकनी माटी स मढ़या,
मुला अब तू ही मोका फुन स धूलि मँ बदलब्या।
10 तू मोका दुधे क नाई उड़ेरत ह,
तब तू मोका दही बनावत ह अउर निचोड़त ह अउर फुन तू मोका दुधे स पनीर बनावत ह।
11 तू मोका हाड़न अउ माँस पेसियन स बनाएस ह।
तू मोका चमड़ी अउ माँस स ढँकेस ह।
12 तू मोका जिन्नगी क दान दिहा अउर मोरे बरे दयालु रहया।
तू मोरे धियान राख्या अउर तू मोरे प्राणन क रखवारी किहा।
13 मुला इ उ अहइ जेका तू आपन मने मँ छुपाए राख्या।
मइँ जानत हउँ कि इ उ अहइ जेकर तू आपन मने मँ गुप्त रुप स जोजना बनाया ह।
14 अगर मइँ पाप किहेउँ तउ तू मोका लखत रहया।
यह बरे तू मोका निर्दोख घोसित नाहीं कर सकत्या ह काहेकि मइँ बुरा काम किहेउँ ह।
15 अगर मइँ दुस्ट जइसा बेउहार किहेउँ ह
तउ तू मोका इ सब झेलइ चाही।
अगर मइँ निरपराध भी हउँ
तउ भी आपन मूँड़ नाहीं उठाइ पउतेउ
काहेकि मइँ लज्जा
अउ पीरा स भरा भवा हउँ।
16 इ अइसा ही लागत ह
कि तोहका सिंह क तरह मोर सिकार करइ पसन्द ह।
तू आपन सक्ती मोर खिलाफ बार-बार देखावत ह।
17 तू मोरे खिलाफ सदा ही कउनो न कउनो क नवा गवाह बनावत ह।
तोहर किरोध मोरे खिलाफ
अउर जियादा भड़क उठी
अउर मोरे खिलाफ तू नई नई दुस्मन क सेना लिअउब्या।
18 हे परमेस्सर, तू मोका काहे जन्म दिहा?
एहसे पहिले कि मोका कउनो लख सकत कास!
मइँ मरि जातेउँ!
19 कास! मइँ जिउत न रहतेउँ।
कास! मोका माता क गर्भ स सोझइ ही कब्रा मँ उतार दीन्ह जातेउँ!
20 मोर जिन्नगी करोब करीब खतम होइ चुकी अहइ।
कृपा कइके मोका अकेल्ले रही दया।
ताकि मइँ इ अल्प समइ क अनन्द लेइ सकब।
21 एहसे पहिले कि मइँ हुआँ चला जाउँ स कबहुँ मइँ वापस नाहीं आइ सकउँ,
जउन जगह पइ अँधियारा अउर घोर अन्धाकर बाटइ,
22 जउन तनिक समइ बचा अहइ मोका जिअइ लेइ दया।
एहसे पहिले कि मइँ हुआँ चला जाउँ जउने जगह क कउनो लखि नाहीं पावत,
अँधियारा क जगह, छाया अउर गड़वड़ क जगह,
उ जगह पइ जहाँ रोसनी भी अँधियारा स भरी होत ह।’”
सोपर क अय्यूब स कहब
11 एह पइ नामात नाउँ क पहँटा क सोपर अय्यूब क जवाब देत भए कहेस,
2 “इ सब्दन क प्रवाह क जवाब मिलइ चाही!
का कउनो मनई आपन क सिरिफ जियाद बोलइ के निर्दोख बनावइ सकत ह।
3 का तू सोचत ह कि तोहार सेखी
हम लोगन क सांत कइ सकत?
का तू सोचत ह कि बिना हमार स
डांट खाए मज़ाक उड़ा सकत ह।
4 अय्यूब, तू परमेस्सर स कहत रह्या,
‘मोर सिद्धान्त सुद्ध अहइ।
तू लख सकत ह कि मइँ निर्दोख अहउँ।’
5 सचमुच मँ मोर इ इच्छा अहइ कि परमेस्सर बोलइ
अउर तोहसे बात करिहीं।
6 तउ उ तोहका बुद्धि क रहस्य बताइ।
बुद्धि अनेक सच्चाइ राखत ह।
अय्यूब, मोर सुना।
परमेस्सर सचमुच ही तोहार कछू पापन क नज़र अन्दाज करत ह।
7 “अय्यूब का तू परमेस्सर क रहस्य समुझ सकत ह?
का तू सर्वसाक्तीमान परमेस्सर क बुद्धि क सीमा समुझ सकत ह?
8 ओकर बूद्धि अकासे स ऊँच अहइँ,
तू का कइ सकत्या?
ओकर बुद्धि मृत्युलोक स गहिर अहइँ,
का तू एका समुझ सकत्या?
9 उ सबइ सीमा धरती स बड़ा
अउर सागर स बिसाल अहइँ।
10 “अगर परमेस्सर तोहका बन्दी बनावइ अउर तोहका अदालत मँ लइ जाइ,
तउ कउन ओका रोक सकत्या?
11 परमेस्सर सचमुच जानत ह कि कउन धोखेबाज़ अहइ।
परमेस्सर जब बुरी काम क लखत ह, तउ उ ओकर नज़र अन्दाज़ नाही करब्या।
12 मुला कउनो मूरख मनई कबहुँ बुद्धिमान नाहीं होइ सकत ह।
जइसे एक जंगली गदहा एक मनई क जन्म नाहीं देइ सकत ह।
13 तउ अय्यूब, तोहका आपन सोच-बिचार पइ जरुर रोक लगावइ चाही,
अउर आपन हाथन पराथना मँ फइलावइ चाहीं।
14 कउनो दुट्ठता जउन तोहरे हाथन मँ बसा अहइ, ओका तू दूर करा।
अउर आपन घरे मँ कउनो बुराइ क जिन रहइ दया।
15 तबहिं सिरिफ तोहर दोख क छिमा कीन्ह जाब्या।
तू मजबूती स खड़ा रहब्या अउर नाहीं डेराब्या।
16 अय्यूब, तब तू आपन विपत्ति क बिसरि जाब्या।
तू आपन दुखड़ा क बस उ पानी जइसा सुमिरन करब्या जउन तोहरे लगे स बहिके चला गवा।
17 तोहर जिन्नगी दुपहर क सूरज स भी जियादा उज्जर होइ।
जिन्नगी क अंधियर घड़ियन अइसेन चमकिहीं जइसे भिन्सारे क सूरज।
18 अय्यूब, तू सुरच्छित अनुभव करब्या काहेकि हुआँ आसा होइ।
परमेस्सर तोहार रखवारी करी अउर तोहका आराम देइ।
19 चइन स तू सोउब्या, कउनो तोहका नाहीं डेराई
अउर बहोत स लोग तोहसे मदद मंगिहीं।
20 मुला जब बुरे लोग आसरा हेरिहीं, तब ओनका नाहीं मिली।
ओनके लगे कउनो आस नाहीं होइ।
मउत ही ओनकर सिरिफ आसा होइ।”
सोपर क अय्यूब क जवाब
12 फुन अय्यूब सोपर क जवाब दिहस।
2 “बिना संदेह क तू सोचत अहा
कि सिरिफ तू ही लोग बुद्धिमान अहा,
तू सोचत अहा कि जब तू मरब्या
तउ विवेक मर जाइ तोहरे संग।
3 मुला तोहार जेतँनी बुद्धि भी उत्तिम बाटइ,
मइँ तोहसे कछू घटिके नाहीं अहउँ।
अइसी बातन क जइसी तू कहत ह,
हर कउनो जानत ह।
4 “अब मोरे मीत मोरे मसखरी उड़ावत हीं।
‘मइँ प्रतिदिन पराथना किहा करत रहा अउर उ मोर पराथना क जवाब देत रहा।’
किन्तु अब भी मइँ बेगुनाह अउर निर्दोख अहउँ,
मोर परोसी मोर खिल्ली उड़ावत हीं।
5 अइसे लोग जेह पइ कबहुँ विपत्ति नाहीं पड़ी,
विपदा स घिरा लागेन क हँसी किया करत हीं।
मगर विपदा हमेसा उ लोगन पइ आइ बरे तइयार रहत ही
जेकर गोड़ दृढ़ नाहीं अहइँ।
6 डाकुअन आपन डेरन मँ बगैर चिन्ता क रहत हीं।
अइसे लोग जउन परमेस्सर क क्रोधित करत हीं, सान्ति स रहत हीं।
परमेस्सर ओनका धियान रखत हीं।
7 “चाहे तू पसु स पूछिके लखा, उ पचे तोहका सिखाइ देइहीं,
या हवा क पंछियन स पूछा उ पचे तोहका बताइ देइहीं।
8 या तू धरती स पूछि ल्या उ तोहका सिखाइ देइ
या सागरे क मछरियन क आपन गियान तोहका बतावइ दया।
9 हर कउनो जानत ह
कि यहोवा एँन सबइ चिजियन क रचेस ह।
10 हर जिअत पसु अउर हर एक प्राणी जउन साँस लेत ह,
परमेस्सर क आधीन अहइ।
11 जइसे जीभ भोजन क सुआद चखत ह
वइसे ही कानन क सब्दन क परखत ह।
12 लोग कहित ह, ‘अइसा ही बूढ़न क लगे विवेक रहत ह।
अउर लम्बी उमर समुझ बुझ देत हीं?’
13 किन्तु उ परमेस्सर अहइ जेकर लगे बुद्धि अउर सक्ती अहइ।
उ अच्छा सलाह अउर सूझबूझ रखत हीं।
14 अगर परमेस्सर कउनो चिज क ढहाइ क गिराइ देइ तउ, फुन लोग ओका नाहीं बनाइ सकतेन।
अगर परमेस्सर कउनो मनई क बन्दी बनावइ,
तउ लोग ओका अजाद नाहीं कइ सकतेन।
15 अगर परमेस्सर बर्खा क रोकइ तउ धरती झुराइ जाइ।
अगर परमेस्सर बर्खा क छूट दइ देइ, तउ उ धरती पइ बाढ़ लइ आई।
16 परमेस्सर सक्तीसाली अहइ।
उ सदा विजयी होत ह।
उ मनई जउन छलत ह अउर उ मनई जउन छला जात ह दुउनउँ परमेस्सर क अहइँ।
17 परमेस्सर सलाहकारन स ओनकर बूद्धि लेइ लेत ह।
उ प्रमुखन क अइसा बनाइ देत ह कि उ पचे मूर्ख मनइयन जइसा बेउहार करइ लागत हीं।
18 परमेस्सर राजा लोगन क अधिकार हटाइ लेत ह
अउर ओनका दास बना देत ह[a]।
19 परमेस्सर याजक लोगन ओनकर सक्ती स वंचित कर देत ह
अउर ओनकर दर्जा क सुरच्छा क छीन लेत ह।
20 परमेस्सर बिस्सासनीय सलाहकार क चुप कराइ देत ह।
उ बूढ़े लोगन क बूद्धि लइ लेत ह।
21 परमेस्सर महत्वपूर्ण अधिकारियन क साथ अइसा बेउहार करत ह जइसा उ कछू नाहीं अहइ।
उ सासकन क सक्ती लेइ लेत हीं।
22 परमेस्सर अँधियारा स रहस्य स भरी सच्चाई क परगट करत ह।
उ घना अँधियारा स घिरा जगहियन पइ, रोसनी पठवत ह।
23 परमेस्सर रास्ट्रन क विसाल अउ सक्तीसाली होइ देत ह,
अउर फुन ओनका उ नस्ट कइ डावत ह।
उ रास्ट्रन क विकसित कइके विसाल बनइ देत ह,
फुन ओनकर लोगन क उ तितर बितर कइ देत ह।
24 परमेस्सर धरती क रास्ट्रन क प्रमुखन क मूरख अउर नासमुझ बनाइ देत ह।
उ ओनका मरुभूमि मँ जहाँ कउन राह नाहीं भटक बरे पठवत ह।
25 उ पचे प्रमुख लोग अँधियारा मँ आपन राह टटरोत रहत हीं।
कउनो भी प्रकास ओनके लगे नाहीं होत ह।
परमेस्सर ओनका अइसे चलावत ह, जइसे पीके धुत भए लोग चलत हीं।
13 “मोर आँखिन पहिले स ही उ सब चिजियन क गवाही अहा जउन तू कहया ह।
मोर कानन पहिले ही सुन अउर समुझ चुका ह
जउन कछू तू करत अहा।
2 मइँ भी ओतना ही जानत हउँ जेतना तू जानत अहा,
मइँ तोहसे कम नाहीं हउँ।
3 किन्तु मइँ सर्वसक्तीमान परमेस्सर स बोलइ चाहत हउँ,
अउर मइँ ओकर समन्वा
आपन मुकद्दमा क सफ़ाइ देउँ।
4 मुला तू तीनउँ लोग आपन छूठ बातन स फुरई क ढाँपइ चाहत अहा।
तू उ बेकार क चिकित्सक नाई अहा जउन कउनो क नीक नाहीं कइ सकत।
5 मोर इ कामना अहइ कि तू पूरी तरह चुप होइ जा।
इ तोहरे बरे बूद्धिमानी क बात होइ जउन तू कइ सकत ह।
6 “अब मोर तर्क सुना।
सुना जब मइँ आपन सफाई देउँ।
7 का तू परमेस्सर बरे झूठ बोलब्या?
का तू सचमुच परमेस्सर क बारे मँ झूठ बोलब्या?
8 का तू मोरे खिलाफ परमेस्सर क पच्छ लेब्या?
का तू अदालत मँ
परमेस्सर क बचावइ जात अहा?
9 अगर परमेस्सर तोहका बहोत करीब स जाँच लिहस
तउ का उ कछू भी नीक बात पाई?
का तू सोचत अहा कि तू परमेस्सर क छल पउब्या,
ठीक उहइ तरह जइसे तू लोगन क छलत अहा?
10 अगर तू अदालत मँ छुपा छुपा कउनो तरफ़दारी करब्या,
तउ परमेस्सर निहचय ही तोहका लताड़ी।
11 ओकर तेज तोहका डरावत ह
अउर तू डर जात ह।
12 तोहार कहब धूलि जइसे बेकार अहइँ।
तोहार तर्कन माटी जइसी दुर्बल अहइँ।
13 “चुप रहा अउ मोका कहि लेइ दया।
मोरे संग कछू बात होइ जाइ दया।
14 मइँ खुद क संकट मँ डावत हउँ
अउर मइँ खुद आपन जिन्नगी आपन हाथन मँ लेत हउँ।
15 होइ सकत ह परमेस्सर मोका मारि देइ।
यद्यापि मोका जीत क कछू आसा नाहीं अहइ,
तउ भी मइँ आपन मुकदमा क तर्क ओकरे समन्वा देब।
16 परमेस्सर मोर मुक्ति अहइ,
काहेकि कउनो दुट्ठ मनई ओकर आपने-सामने नाहीं आइ सकत।
17 ओका धियान स सुना जेका मइँ कहत हउँ,
ओह पइ कान दया जेकर व्याख्या मइँ करइ चाहत हउँ।
18 अब मइँ आपन बचाव करइ क तैयार हउँ।
इ मोका पता अहइ कि मोका निर्दोख सिद्ध कीन्ह जाइ।
19 कउनो भी मनई इ प्रमाणित नाहीं कइ सकत कि मइँ गलत हउँ।
अगर कउनो मनई इ सिद्ध कइ देइ तउ मइँ चुप होइ जाब अउर मरि जाब।
20 “हे परमेस्सर, तू मोका दुइ बातन दइ दया,
फिन मइँ तोहसे नाहीं छुपब।
21 मोका दण्ड देइ रोकि दया,
अउर मोसा जियादा लड़इ छोड़ द्या।
22 फिन तू मोका पुकारा अउर मइ तोहका जवाब देब,
या मोका बोलइ दया अउर तू मोका जावब दया।
23 केतँना पाप मइँ किए हउँ?
कउन सा अपराध मोहसे होइ गवा?
मोका मोर पाप अउर अपराध देखाँवा।
24 हे परमेस्सर, तू मोहसे काहे बचत अहा?
तू मोर संग दुस्मन जइसा बेउहार काहे करत अहा?
25 का तू मोका डेरउब्या?
मइँ एक पत्ता जइसा हउँ जेका पवन उड़ावत ह।
एक झुरान तिनका क तू खदेड़त अहा।
26 हे परमेस्सर, तू मोरे विरोध मँ गंभीर दोसपूर्ण बात लिखत अहा।
का तू मोका अइसे पापन बरे दुःख देत ह जउन मइँ आपन जवानी मँ किहे रहेउँ?
27 मोरे गोड़न मँ तू काठ डाइ दिहया ह।
तू मोर हर कदम पइ आँखी गड़ए रखत ह।
मोरे कदमन क तू सीमा बाँध दिहा ह।
28 मइँ सड़ी चीज जइसा छीन होत जात हउँ
कीरन स खाए भए ओढ़नन क टुका जइसा।
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.