Chronological
अय्यूब एलिपाज क जवाब देत ह
6 फुन अय्यूब जवाब दिहेस,
2 “मोरे पीरा अउ दुःख क
तराजु मँ तउलइ दया।
3 मोर व्यथा समुद्दर क समूची रेत स भी जियादा भारी होइ।
एह बरे मइँ गँवार जइसा बात किहेउँ ह।
4 सर्वसक्तीमान परमेस्सर क बाण मोह माँ घुसा अहइँ
अउर मोर प्राण ओन बाणन क विख क पिअत रहत ह।
परमेस्सर क उ सबइ भयानक सस्त्र मोरे खिलाफ एक संग रखा भवा अहइँ।
5 तोहार सब्दन कहइ बरे सहज अहइ जब कछू भी बुरा नाहीं भएन ह।
हिआँ तलक कि जंगली गदहा भी नाहीं रेकंत अगर ओकरे लगे खाइ क रहइ।
इहइ तरह कउनो भी गइया तब तलक नाहीं रँभात जब तलक ओकरे लगे चइर क चारा अहइ।
6 बे नमक क भोजन बिना स्वाद क होत ह।
अउर अण्डा क सफेदी मँ भी स्वाद नाहीं होत ह।
7 मोरे बरे तोहार सब्द ठीक उहइ तरह अहइ।
इ भोजन क छुअइ स मइँ इन्कार करत हउँ।
इ तरह क भोजन मोका सड़ा भवा लागत ह।
8 “परमेस्सर क मोर माँग क अनुमोदन करइ दया
अउर मोका उ देइ दया जे मँ चाहत हउँ।
9 परमेस्सर क मोका सराप
अउर मार डावइ दया!
10 अगर उ मोका मारत ह तउ एक ठु बात क चैन मोका रहीं,
आपन अनन्त पीरा मँ भी मोका एक ठु बाते क खुसी रही,
कि मइँ कबहुँ भी आपन पवित्र क हुकुमन पइ चलइ स इन्कार नाहीं किहउँ।
11 “मोर सक्ती छीण होइ चुकी बाटइ एह बरे मोका जिअत रहइ क आसा नाहीं अहइ।
मोका पता नाहीं कि आखीर मँ मोरे संग का होइ?
एह बरे धीरज धइर क मोरे लगे कउनो कारण नाहीं अहइ।
12 मइँ चट्टान क नाई मजबूत नाहीं अहउँ।
न ही मोर देह काँसे स रची गइ अहइ।
13 अब तउ मोहमाँ एँतनी भी सक्ती नाहीं कि मइँ खुद क बचाइ लेउँ।
काहेकि मोहसे कामयाबी छीन लीन्ह गइ अहइ।
14 “काहेकि उ जउन आपन दोस्तन खातिर निस्ठा देखावइ स इन्कार करत ह।
उ सर्वसक्तीमान परमेस्सर क भी अपमान करत ह।
15 मुला मोरे बन्धु लोगो, तू बिस्सास क जोग्ग नाहीं रहया।
तू पचे नदी-तल क नाईँ अबिस्सासी ह
जेहमाँ बरिस क कछू भाग मँ ही जल रहत ह।
16 उ सबहिं अँन्धियारा नदी-तल, बरफ स उमड़ि जात ह जब बरफ टेघरत ही।
17 मुला जब मौसम गरम अउ सूखा होत ह,
तब पानी बहब बंद होइ जात ह,
अउर जल क धारा झुराइ जात हीं।
18 बइपारी लोगन क दल आपन रास्ता क तजि देत ही
अउर रेगिस्ताने मँ प्रवेस कइ जात ही अउर उ पचे लुप्त होइ जात हीं।
19 तेमा क बइपारी दल जल क हेरत रहेन
अउर सबा क राही आसा क संग लखत रहेन।
20 उ पचन्क विस्सास रहा कि पानी मिली
मुला ओनका निरासा मिली।
21 अब तू पचे ओन जल धारन क समान अहा।
तू पचे मोर सबइ यातना क लखत अहा अउ डेरान अहा।
22 का मइँ कहेउँ कि ‘मोका उपहार द्या?’
का मइँ कहेउँ कि ‘मोर बरे रिस्वत क रूप मँ एक भेंट द्या?’
23 का मइँ तू पचन्स कहेउँ, ‘मोर दुस्मनन स मोका बचाइ ल्या?’
का मइँ तोहका कहेउँ कि ‘ओका मुक्ती-धन द्या जउन मोका पकरेस ह!’
24 “एह बरे अब मोका सिच्छा दया अउर मइँ सान्त होइ जाब।
मोका देखाँइ दया कि मइँ का बूरा किहेउँ ह।
25 सच्चा सब्द ताकतवर होत हीं,
मुला तू पचे का आलोचना करत ह
26 का तू आलोचना क अविस्कार करत ह
का तू एहसे भी जिआदा निरासाजनक सब्द बोलब्या?
27 हिआँ तलक कि जुआ मँ अनाथ क भी वस्तुअन क लेइ चाहत ह।
हिआँ तलक कि तू आपन निज मीत क भी बेचइ चाहत ह।
28 मुला अब, मोरे मुख क परखा।
मइँ तोहसे झूठ नाहीं बोलब।
29 एह बरे, आपन मने क बदल डावा।
एक भी अनियाय जिन होइ दया,
फुन स जरा सोचा काहेकि मइँ कउनो बुरा काम नाहीं किहेउँ ह।
30 मइँ झूठ नाहीं कहत हउँ।
मोका भला अउ बुरे लोगन क पहिचान अहइ।
7 “अय्यूब कहेस, “मनई क धरती पइ कड़ा सघर्ष करइ क पड़त ह।
ओकर जिन्नगी भाड़े क मजदूर क जिन्नगी जइसी होत ह।
2 मनई उ भाड़ा क मजदूर जइसा अहइ, जउन दिन क अन्त मँ ठंडी छाँह चाहत ह,
अउ मजदूरी क इन्तज़ार करत ह।
3 महीना दर महीना बेचइनी क बीत गवा अहइँ
अउर पीरा भइ राति दर रात मोका दइ दीन्ह गइ अहइ।
4 जब मइँ ओलरत हउँ, मइँ सोचत रहत हउँ,
‘मोरे उठइ क कबहुँ अउर कितनी देर अहइ?’
मुला इ रात तउ घसेटत चला जात ह।
मइँ तउ पीरा झेल रहत हउँ अउ करवट बदलत हउँ जब तलक सूरज नाहीं निकरि आवत।
5 मोर तन कीरन अउ धूरि स ढाक लीन्ह अहइ।
मोर चमड़ी चटक गइ अहइ अउर एहमाँ रिसत भए फोड़ा भरि गवा अहइँ।
6 “मोर दिन जुलाहा क फिरकी स भी जियादा तेज चाल स बीतत अहइँ।
मोर जिन्नगी क आखीर बिना कउनो आसा क होत अहइ।
7 हे परमेस्सर, याद राखा मोर जिन्नगी सिरिफ एक ठु साँस अहइ।
अब मोर आँखी कछू भी नाहीं लखिहीं।
8 अबहिं तू मोका लखत अहा मुला फुन तू मोका नाहीं लख पउब्या।
तू मोका हेरब्या मुला तब तलक मइँ जाइ चुका होब।
9 एक बादर छोटा होइ जात ह अउर आखर मँ लुप्त होइ जात ह।
इ तरह एक मनई जउन मर जात ह अउर कब्र मँ गाड़ दीन्ह जात ह, उ फुन वापिस नाहीं आवत ह।
10 उ आपन पुराना घरे क वापिस कबहुँ नाहीं लउटी।
ओकर घर ओका फुन कबहुँ भी नाहीं जानी।
11 “एह बरे मइँ चुप नाहीं रहब।
मइँ सब कहि डाउब।
मोर आतिमा दुखी अहइ अउर मोर मन कडुआहट स भरा अहइ,
एह बरे मइँ उ सब बातन क बारे मँ सिकायत करब जउन मोर संग घटेस ह।
12 हे परमेस्सर, तू मोर पइ पहरेदार काहे राखेस ह? का मइँ समुद्दर हउँ,
या समुददर क कउनो दैत्य?
13-14 हे परमेस्सर, जब मोका लगत ह कि खाट मोका सान्ति देइ
अउर मोर पलंग मोका चइन अउ बिस्राम देइ,
तब मोका सपना मँ डरावत ह।
15 मइँ आपन गला घोंटि जाइ पसन्द करब्या।
मउत इ देह मँ रहइ स बेहतर अहइ।
16 मइँ आपन जिन्नगी स घिना करत हउँ।
मइँ हमेसा अइसा जिअत रहब नाहीं चाहत हउँ।
मोका अकेला रहइ दया।
मोर जिन्नगी बेकार अहइ।
17 हे परमेस्सर, मनई तोहरे बरे काहे एँतना महत्वपूर्ण अहइ?
काहे मनई पइ तोहका एँतना धियान देइ चाहीं?
18 हर भिन्सारे काहे तू मनई क लगे आवत ह
अउर हर छिन तू काहे ओका परखा करत अहा?
19 हे परमेस्सर, तू कबहुँ भी मोका नज़र अन्दाज़ नाही करत ह
अउर मोका एक छन अकेल्ला नाहीं छोड़त ह।
20 हे परमेस्सर, तू हरेक चिजियन पइ जउन हम पचे करत हीं निगाह रखत ह!
जदि मइँ पाप किहा तउ मइँ का किहा?
तू मोका काहे निसाना बनाया ह?
मइँ तोहार बरे काहे बोझ बन गवा हउँ?
21 का तू मोर सबइ गलती क छिमा नाहीं करत्या
अउर मोरे पापन क तू काहे छिमा नाहीं करत्या?
मइँ हाली ही मरि जाब अउर कब्र मँ चला जाब।
जब तू मोका हेरब्या मुला तब तलक मइँ जाइ चुका होब।”
बिलदद अय्यूब स बोलत ह
8 एकरे पाछे सूह प्रदेस क बिलदद जवाब देत भए कहेस
2 “तू कब तलक अइसी बातन करत रहब्या?
तोहार सब्द तेज आँधी क तरह बहत अहइँ।
3 परमेस्सर सदा स्वच्छ रहत ह।
निआउवाली बातन क सर्वसक्तीवाला परमेस्सर कबहुँ नाहीं बदलत ह।
4 एह बरे अगर तोहार सन्तानन परमेस्सर क खिलाफ पाप किहन ह तउ ओनका राजा दिहस ह।
आपन पापन खातिर ओनका भोगइ क पड़ा ह।
5 मुला अब अय्यूब, परमेस्सर कइँती निगाह करा,
अउर सर्वसक्तीमान परमेस्सर स ओकर दाया पावइ खातिर बिनती करा।
6 अगर तू पवित्तर अउर ईमानदार अहा,
तउ उ हाली तोहार मदद बरे आइ।
उ तोहार नीक घरे क रच्छा करब।
7 जउन कछू भी खोया उ तोहका नान्ह स बात लगी।
काहेकि तोहार भविस्स बड़ा सुफल होइ।
8 “ओन बुढ़वा लोगन स पूछा
अउर पता करा कि ओनकर पुरखन क सीखे रहेन।
9 काहेकि अइसा लागत ह जइसा कि हम तउ बस काल्ह ही पइदा भएन ह,
हम कछू नाहीं जानित।
परछाई क तरह हमार उमर भुइँया पइ बहोत छोट क अहइ।
10 होइ सकत ह कि बूढ़वा लोग तोहका कूछ सिखाइ सकइँ।
होइ सकत ह जउन उ पचे सीखेन ह उ पचे मोका सिखाइ सकइँ।”
11 बिलदद कहेस, “का भोजपत्र क बृच्छ दलदल भुइँया क इलावा कहुँ बढ़ सकत ह
का नरकट बे पानी क बाढ़ि सकत ह?
12 नाहीं, अगर पानी झुराइ जात ह तउ उ पचे भी मुरझाइ जइहीं।
ओनका काटा जाइ जोग्ग काटिके काम मँ लिआवइ क उ पचे बहोत छोट रहि जइहीं।
13 उ मनई जउन परमेस्सर क बिसारि जात ह, नरकट क तरह होत ह।
उ मनई जउन परमेस्सर क बिसारि जात ह ओकरे बरे कउनो आसा नाहीं अहइ।
14 उ मनई क बिस्सास बहोत दुर्बल होत ह।
उ मनई मकड़ी क जाला क सहारे रहत ह।
15 अगर कउनो मनई मकड़ी क जाले क सहारा लेत ह,
इ टुटि जाइ।
अगर उ मकड़ी क जाल क पकरत ह,
इ नस्ट होइ जाइ।
16 उ मनई उ पौधे क नाई अहइ जेकरे लगे पानी अउ सूरज क रोसनी बहोतइ अहइ।
ओकर डारियन बगिया मँ हर कइँती सँचरत हीं।
17 उ पाथर क टीला क चारिहुँ कइँती आपन जड़न क फइलावत ह
अउ चटटान मँ जमइ बरे कउनो ठउर हेरत ह।
18 जब पौधा आपन जगह स उखाड़ दीन्ह जात ह,
तउ कउनो भि नाहीं जान पात ह कि हुआँ कबहुँ कउनो पौधा रहा।
19 मुला उ पौधा हुआँ खुस रहा,
अब दूसर पउधन हुआँ जमिहीं, जहाँ कबहुँ उ पउधा रहा।
20 मुला परमेस्सर कबहुँ भी निर्दोख मनई का नाहीं तजी
अउर उ बुरे मनई क सहारा नाहीं देइ।
21 अबहुँ भी परमेस्सर तोहरे मुँह क हँसी स भरि देइ।
तोहरे ओंठन क खुसी स चहकाइ देइ।
22 परमेस्सर तोहरे दुट्ठ दुस्मनन क लज्जा स झुकाइ देइ।
अउर ओनकर घरन क नास कइ देइ।”
अय्यूब बिलदद क जवाब देत ह
9 फुन अय्यूब जवाब दिहस।
2 “हाँ, मइँ जानत हउँ कि तू फुरइ कहत ह
मुला मनई परमेस्सर क समन्वा निर्दोख कइसे होइ सकत ह?
3 मनई परमेस्सर स बहस नाहीं कइ सकत।
परमेस्सर मनई स हजारन सवाल कइ सकत ह
अउर कउनो ओनमाँ स एक ठु क भी जवाब नाहीं दइ सकत ह।
4 परमेस्सर बुद्धिमान अउर सक्तीसाली बाटइ।
अइसा कउनो मनई नाहीं जउन पारमेस्सर क कामयाबी क खिलाफ करी।
5 जब परमेस्सर कोहाइ जात ह, उ पहाड़न क हटाइ देत ह, अउर उ सबइ समुझ तलक नाहीं पउतेन।
6 परमेस्सर भुइँया क कँपावइ बरे भुइँडोल पठवत ह।
परमेस्सर भुइँया क खम्भन क हिलाइ देत ह।
7 परमेस्सर सूरज क आग्या दइ सकत ह अउर ओका उगइ स रोक सकत ह।
उ तारन क बंद कइ सकत ह ताकि उ सबइ न चमकइँ।
8 सिरिफ परमेस्सर अकासन क रचेत ह।
उ सागरे क लहरन पर बिचरि सकत ह।
9 “परमेस्सर सप्तर्सि, मृगसिरा अउर कचपचिया तारन क बनाएस ह।
उ ओन ग्रहन क बनाएस जउन दक्खिन क अकास पार करत हीं।
10 परमेस्सर अइसेन अदभुत करम करत ह जेनका मनई नाहीं समुझ सकत।
परमेस्सर क महान अचरज भरे करमन क कउनो अन्त नाहीं अहइ।
11 परमेस्सर जब मोरे लगे स निकरत ह तउ मइँ ओका लख नाहीं पावत हउँ।
परमेस्सर जब मोरी बगल स निकरि जात ह तउ भी मइँ जान नाहीं पावत हउँ।
12 अगर परमेस्सर छोरइ लागत ह तउ कउनो भी ओका रोक नाहीं सकत।
कउनो भी ओहसे कह नाहीं सकत कि ‘तू का करत अहा?’
13 परमेस्सर आपन किरोध क रोकी नाहीं।
हिआँ तलक कि राहाब[a] क सहायक भी परमेस्सर क सक्ती क आगे झुकत ही।
14 एह बरे परमेस्सर स मइँ बहस नाहीं कइ सकत।
मइँ नाही जानत कि ओहसे का कहा जाइ।
15 यद्दपि मइँ तउ निर्दोख अहउँ, मोरे लगे कउनो विकल्प नाहीं अहइ
किन्तु ओहसे जउनो कि मोका निआव करत ह दाया क आग्रह कइ सकत हउँ।
मइँ सिरिफ ओसे जउन मोर निआउ करत ह, दाया क भीख माँग सकत हउँ।
16 अगर मइँ ओका गोहरावउँ अउर उ जवाब देइ,
तबहुँ मोका बिस्सास नाहीं होइ कि उ सच ही ओह पइ धियान देत ह, ‘जउन मइँ कहत हउँ।’
17 परमेस्सर मोका कुचरइ बरे तूफान पठइ
अउर उ मोका अकारण ही जियादा घाव देइ।
18 परमेस्सर मोका फुन साँस नाहीं लेइ देइ।
उ मोका अउर जियादा दुख देइ।
19 कउनो मनई परमेस्सर क सक्ती क मुकाबला मँ
हराइ नाहीं सकत ह।
कउनो मनई परमेस्सर क अदालत मँ लइ बरे
मजबूर नाहीं कइ सकत ह।
20 चाहे मइँ निर्दोख अहउँ, जउन कछू भी मइँ कहत हउँ उ मोका दोखी ठहराउब।
चाहे मइँ कउनो बुरा काम नाहीं किहा, उ मोका भ्रस्ट क जइसा बनाउब्या।
21 मइँ पाप रहित हउँ।
मुला मोका आपन ही परवाह नाहीं अहइ
मइँ खुद आपन ही जिन्नगी स घिना करत हउँ।
22 मइँ खुद स कहत हउँ, ‘हर कउनो क संग एक समान ही घटित होइ।
निरपराध लोग वइसेन ही मरत हीं जइसे अपराधी मरत हीं।
परमेस्सर ओन सबक जिन्नगी क अन्त करत ह।’
23 का परमेस्सर मज़ाक करत ह जब अचानक विपत्ति आवत अउर कउनो निर्दोख मनई मारा जात ह
24 अगर निआधीस क आँखिन क ढाँपि दीन्ह जाइ तउ धरती पइ दुट्ठन क राज होइ जाब्या।
अगर इ परमेस्सर नाहीं किहस, तउ फुन कउन किहस ह?
25 “कउनो तेज धावक स तेज मोर दिन परात अहइँ।
मोर दिन उड़िके बीतत अहइँ अउर ओनमाँ कउनो खुसी नाहीं अहइँ।
26 तेजी स मोर दिन बीतत अहइँ जइसे भोजपत्र क नाब बहत चली जात ह।
मोर दिन अइसे हीं बीतत अहइँ जइसे उकाब आपन सिकारे पइ टूट पड़त होइ!
27 “जदि मइँ कह सकब, ‘मइ सिकाइत नाहीं करब।
मइँ आपन दर्द भुल जाब।
अउर खुस होइ जाब्या।’
28 किन्तु मइँ अबहुँ तलक पीरा स डेरात हउँ
काहेकि मइँ जानत हउँ कि अबहुँ भी तू (परमेस्सर) मोका निर्दोख नाहीं बनाउब्या।
29 मइँ परमेस्सर क संग आपन दलील क खोइ देब।
तउ कोसिस करइ मँ मोका आपन समइ काहे बरबाद करइ चाही।
30 चाहे मइँ आपन हाथ धोइ बरे सबन त सुद्ध पानी
अउर बड़िया साबुन क प्रयोग करा।
31 फुन भी परमेस्सर मोका घिनौना गड़हा मँ ढकेल देइ
जहाँ मोर ओढ़ना तलक मोहसे घिना करिहीं।
32 परमेस्सर, मोर जइसा मनई नाहीं अहइ।
एह बरे ओका मइँ जवाब नाहीं दइ सकत।
हम दुइनउँ अदालत मँ एक दूसरे स मिल सकित नाहीं।
33 हुवाँ कउनो एक बिचौलिया नाहीं जउन हमार बीच क बातन सुन सकत।
हुवाँ कउनो एक नाहीं जउन हम दुइनउँ क ऊपर अधिकार रखइ सकत।
34 अगर परमेस्सर मोका सज़ा देइ बन्द कइ देइ,
अउर उ मोका बहोत जियादा नाहीं डेरावइ।
35 तब मइँ बगैर डरे परमेस्सर स उ सब कहि सकत हउँ,
काहेकि मइँ जानत हउँ कि मइँ अइसा दोखी नाहीं हउँ जइसा मोह क दोखी ठहराइ गवा ह।
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