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Chronological

Read the Bible in the chronological order in which its stories and events occurred.
Duration: 365 days
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)
Version
अय्यूब 1-5

अय्यूब एक ईमानदार मनई

ऊज नाउँ क प्रदेस मँ एक ठु मनई रहा करत रहा। ओकर नाउँ अय्युब रहा। अय्युब एक बहोत ईमानदार अउ बिस्सासी मनई रहा। अय्यूब परमेस्सर क उपासना करत रहत रहा अउ बुराई स दूर रहा करत रहा। ओकरे सात ठु बेटहना अउ तीन ठु बिटिहनी रहिन। अय्यूब सात हजार भेड़िन, तीन हजार ऊँटन, एक हजार बर्धन अउ पाँच सौ गदहियन क सुआमी रहा। ओकरे लगे बहोत स नौकर रहेन। अय्यूब पूरब क सब स जियादा धन्नासेठ मँ स एक रहा।

अय्युब क बेटहनन बारी-बारी स आपन घरन मँ एक दूसर क खइया क खाइ बरे बोलवा करत रहेन। उ पचे आपन बहिनियन क भी हुआँ ओकरे खाइ अउ पिइ बरे बोलावत रहेन। अय्यूब क गदेलन जब भोज खाइ चुकतेन, तउ अय्यूब तड़के भिन्सारे उठत अउ आपन हर गदेला क बदले होमबलि अर्पित करत रहा। काहेकि उ सोचत, “होइ सकत ह, मोर गदेलन आपन हिरदइ मँ परमेस्सर क निन्दा कइ के पाप किहे रहेन।” एह बरे अय्यूब हमेसा अइसा करत रहत रहा।

फिन सरगदूतन बरे यहोवा क सुचना देइ क दिन्ह आवा। सइतान भी ओनकर संग आवा। यहोवा सइतान स कहेस, “तू कहाँ रह्या?”

सइतान जवाब देत भए यहोवा स कहेस, “मइँ धरती पइ एहर ओहर घूमत रहेउँ।”

एह पइ यहोवा सइतान स कहेस, “का तू मोर सेवक अय्यूब क लख्या? इ धरती पइ ओकरे तरह कउनो दूसर मनई नाहीं अहइ। अय्यूब एक ठु ईमानदार अउ बिस्सासी मनई अहइ। उ हमेसा परमेस्सर क आराधना करत ह अउर बुराई स सदा दूर रहत ह।”

सइतान जवाब दिहस, “निहचय ही! मुला अय्यूब परमेस्सर क एक खास कारण स आराधना करत ह! 10 तू सदा ओकर, ओकरे घराने क अउर जउन कछू ओकरे लगे अहइ ओकर रच्छा करत ह। जउन कछू उ करत ह तू ओका सफल बनावत ह। हाँ तू ओका बहोत सारा जनावरन झुण्ड अउर रेवड़ पूरे देस मँ फइलावइ बरे दिहेस ह। 11 मुला जउन कछू ओकरे लगे अहइ उ सब कछू क अगर तू बर्बाद कइ दया तउ मइँ तोहका बिस्सास दियावत हउँ कि उ तोहरे मुँहे पइ तोहरे बिरुद्ध बोलइ लागी।”

12 यहोवा सइतान स कहेस, “अगर अइसा अहइ, अय्यूब क लगे जउन कछू अहइ ओकरे संग जइसा तू चाहत ह, करा। मुला ओकरे देह का चोट न पहोंचावा।”

एकरे पाछे सइतान यहोवा क लगे स चला गवा।

अय्यूब क सब कछू जात रहा

13 एक दिन, अय्यूब क पूत अउ बिटियन आपन सब स बड़का भइया क घर खइया क खात रहेन अउ दाखरस पिअत रहेन। 14 ठीक तबहिं अय्यूब क लगे एक ठु संदेसवाहक आवा अउ ओका बोला, “जब बर्धा हर जोतत रहेन अउर गदहन मइदान चरत रहेन, 15 कि सबा[a] क लोग हम पचन पइ धावा बोल दिहन अउ तोहरे गोरुअन क लइ गएन। मोका तजिके तोहार सबहिं दासन क सबा क लोग मार डाएन। आप क इ खबर देइ बरे मइँ बचिके पराइ निकरि आवा हउँ।”

16 अबहिं उ सन्देसवाहक कछू कहत ही रहा कि अय्यूब क लगे दूसर संदेसवाहक आवा। दूसर संदेसवाहक कहेस, “अकासे स बिजुरी गिरी अउ आप क भेड़िन अउ दास जरिके राखी होइ गएन है। आप क खबर देइ बरे मइँ ही बचिके निकिरि पावा हउँ।”

17 अबहिं उ संदेसवाहक आपन बात कहत ही रहा कि एक ठु अउर संदेसवाहक आइ गवा। इ तीसर संदेसवाहक कहेस, “कसदी क लोग तीन टोलियन क पठए रहेन, जउन हम पइ हमला बोल दिहन अउर उ पचे सेवकन क मारि डाई क पाछे ऊँटन क छीन लइ गएन। आपक खबर देइ बरे सिरिफ मइँ ही बचिके निकरि पाएउँ ह।”

18 इ तीसर दूत अबहिं बोलत ही रहा कि एक अउर संदेसवाहक आइ गवा। इ चउथा संदेसवाहक कहेस, “आप क बेटवन अउ बिटियन सब स बड़का भाई क घर खइया क खात रहेन अउ दाखरस पिअत रहेन। 19 ठीक तबहिं रेगिस्तान स एका-एक एक ठु तेज आँधी उठी अउर उ मकान क उड़ाइके ढहाइ दिहस मकान आप क पूतन, अउ बिटियन क ऊपर आइ पड़ा अउर उ पचे मरि गएन। आप क खबर देइ बरे सिरिफ मइँ ही बचिके निकरि पावा हउँ।”

20 अय्यूब जब इ सुनेस तउ उ आपन ओढ़ना फारि डाएस अउर इ देखावइ बरे उ दुःखी अउर वियाकुल अहइ, उ आपन मूड़ँ मुड़ाइ लिहेस। अय्यूब तब धरती पइ गिरिके दण्डवत किहेस। 21 उ कहेस:

“मोर जब इ संसारे क बीच जनम भवा रहा,
    मइँ तब नंगा रहेउँ, मोरे लगे तब कछू भी नाहीं रहा।
जब मइँ मरब अउ इ संसारे क तजब,
    मइँ नंगा होब अउर मोरे लगे कछू न होइ।
यहोवा ही देत ह
    अउर यहोवा ही लेत,
यहोवा क नाउँ क बड़कई करा।”

22 जब इ सबहिं कछू घटना घटत रहा, अय्यूब न ही कउनो पाप किहस अउर न ही परमेस्सर क दोख दिहस।

सइतान फुन अय्यूब क दुःख देत ह

फुन एक दिन, यहोवा स मिलइ बरे सरगदूत आएन। सइतान भी ओनके संग रहा। सइतान यहोवा स मिलइ आवा रहा। यहोवा सइतान स पूछेस, “तू कहाँ रहया”

सइतान यहोवा क जवाब दिहेस, “मइँ धरती पइ एहर-ओहर घूमत रहेउँ।”

एह पइ यहोवा सइतान स पूछेस, “का तू मोर सेवक अय्यूब पइ धियान देत रहत अहा? ओकर जइसा धरती पइ कउनो नाहीं अहइ। अय्यूब ईमानदार अउ बिस्सासी मनई अहइ। उ हमेसा परमेस्सर क उपासना करत ह, बूराई स दूर रहत ह। उ अबहुँ भी ईमानदारी राखत ह हालाँकि तू मोका प्रेरित किहे रहया कि मइँ बिना कारण ही ओका नस्ट कइ देउँ।”

सइतान जवाब दिहस, “खाल क बदले खाल! कउनो मनई जिअत रहइ बरे, जउन कछू ओकरे लगे अहइ, सब कछू दइ डावत ह। यह बरे अगर तू आपन सक्ती क प्रयोग ओकरे देह क नोस्कान पहोंचावइ बरे करा, तउ उ सीधा ही तोहका कोसइ लागी।”

तउ यहोवा सइतान स कहेस, “अगर अइसा अहइ, तउ मइँ अय्यूब क तोहरे हवाले करत हउँ, मुला तोहका ओका मार डावइ क छूट नाही अहइ।”

एकरे पाछे सइतान यहोवा क लगे स चला गवा। उ अय्यूब क दुःख देइवाला फोड़न क दइ दिहस। इ सबइ पीरा देइवाला फोड़न ओकरे गोड़े क तलवा स लइके ओकरे मुँड़े क ऊपर तलक देह मँ फइल गएन। तउ अय्यूब कूड़ा क ढेरी क लगे बइठ गवा। ओकरे लगे एक ठु ठीकरा रहा, जेहसे उ आपन पीरा दायक फोड़न क खजुआवा करत रहा। अय्यूब क पत्नी ओसे कहेस, “का तू अबहुँ तलक ईमानदार रहइ चाहत ही? तू परमेस्सर क कोसिके मर काहे नाहीं जात्या!”

10 अय्यूब जवाब देत भए आपन पत्नी स कहेस, “तू तउ एक मूरख मेहरारु क तरह बातन करति अहा। देखा, जब परमेस्सर उत्तिम वस्तुअन क देत ह, हम ओनका अंगीकार कइ लेइत ह। तउ हमका दुःख भी अपनावइ चाही अउ सिकाइत नाही करइ चाही।” इ सचमूइ दुःखे मँ भी अय्यूब कउनो पाप नाहीं किहस। परमेस्सर क खिलाफ उ कछू नाहीं बोला।

अय्यूब क तीन मीतन क ओसे भेटंइ आउब

11 अय्यूब क तीन मित्र रहेन: तेमानी क एलीपज, सूही क बिलदद अउर नामाती क सोपर। एँन तीनहुँ मीतन अय्यूब क संग जउन बुरी घटना भइ रहिन, ओन सबन क बारे मँ सुनेन। एँन तीनहुँ मीत आपन-आपन घर तजिके आपुस मँ एक दूसर स भेंटेन। उ पचे इ निहचय किहेन कि उ पचे अय्यूब क लगे जाइके ओकरे बरे सहानुभूति परगट करइँ अउ ओकर हिम्मत बँधावइँ। 12 जब इ तीनहुँ मीत दूर स अय्यूब क लखेन, तउ उ पचे ओका बहोत मुस्किल स पहिचान पाएन। उ पचे भोंकारा मारिके रोवइ लागेन। उ पचे आपन ओढ़ना फाड़ि डाएन। आपन दुःख अउ आपन बेचैनी देखावइ बरे उ पचे आपन-आपन मूँड़न पइ माटी डाएन। 13 फुन उ सबइ तीनहुँ मीत अय्यूब क संग सात दिन अउ सात रात तलक भुइँया पइ बइठा रहेन। अय्यूब स कउनो एक सब्द तलक नाहीं कहेस काहेकि उ पचे लखत रहेन कि अय्यूब भयानक पीरा मँ रहा।

अय्यूब क उ दिना क कोसब जब उ जन्मा रहा

तब अय्यूब आपन मुँह खोलेस अउर उ दिन क कोसइ लग जब उ पइदा भवा रहा। उ कहेस:

“जउने दिन मइँ पइदा भवा रहेउँ, बर्बाद होइ चाही रहा।
    उ राति कबहुँ न आइ होइ चाही जब उ पचे कहे रहेन कि ‘एक ठु लरिका’ पइदा भवा अहइ।
उ दिन अँधियारा स भरा जाइ चाही रहा।
    परमेस्सर उ दिन क बिसारि जात चाही रहा।
    उ दिन प्रकास न चमका चाही रहा।
उ दिन अँधियारा स पूर्ण बना होत चाही रहा जेतना कि मउत अहई।
    बादर उ दिन क घेरे रहतेन चाही रहा।
    जउनो दिन मइँ पइदा भवा करिया बादर प्रकास क डेरवाइ क खदेर देतेन चाही रहा।
उ राति क गहिर अँधियारा जकरि लेइ,
    उ राति क गनती न होइ।
    उ राति क कउनो महीना मँ सामिल जिन करा।
उ राति कछू भी पइदा न करइ।
    कउनो भी आनन्द क ध्वनि उ राति क सुनाइ न देइ।
सराप देइ मँ माहिर मनइयन क उ मनइयन क साथ जउन लिब्यातान[b] क जगवाइ मँ सामर्थ अहइ,
    क उ दिना क सराप देइ दया जउन दिना मइँ पइदा भएउँ।
उ दिन क साँझ तारा करिया पड़ जाइ दया।
    उ रात भिन्सारे क रोसनी बरे तरसइ अउर उ प्रकास कबहुँ न आवइ दया।
    उ सूरज क पहिली किरन न लखि सकइ।
10 काहेकि उ रात मोका पइदा होइ स नाहीं रोकस।
    उ रात मोका इ सबइ कस्ट झेलइ स नाहीं रोकेस।
11 मइँ काहे नाहीं मरि गएउँ जब मइँ पइदा भवा रहेउँ?
    जन्म क समइ ही मइँ काहे नाहीं मरि के बाहर आए रहेउँ?
12 काहे मोर महतारी गोदी मँ मोका राखेस?
    काहे मोर महतारी क छतियन मोका दूध पियाएन।
13 अगर मइँ तबहिं मरि गवा होतेउँ जब मइँ पइदा भवा रहेउँ
    तउ अब मइँ सान्ति स होतउँ।
    अगर अइसा होतेन मइँ सोवत रहतेउँ अउर आराम पउतेउँ।
14     राजा लोगन अउ बुद्धिमान मनइयन क संग जउन पृथ्वी पइ पहिले रहेन।
    ओन लोग आपन बरे ठउर जगह बनाएन, जउन अब नस्ट होइक मिट चुका अहइँ।
15 मोका ओन सासक लोगन क संग दफनावा जात रहतेउँ
    जउन सोना-चादी स आपन घर भरे होतेन।
16 मइँ गर्भपात मँ ही मरि जात रहतेउँ।
    मइँ दिन क प्रकास नाहीं देखि रहतेउँ।
17 दुट्ठ जन दुःख देब तब तजि देत ही जब उ पचे कब्र मँ होत ही
    अउर थके लोग कब्र मँ आराम पावत हीं।
18 हिआँ तलक कि बंदी भी सुख स कब्र मँ रहत हीं।
    हुआँ उ पचे आपन अत्याचारियन क आवाज नाहीं सुनत हीं।
19 हर तरह क लोग कब्र मँ रहत हीं चाहे उ पचे महत्व नामा होइँ या साधारण।
    हुआँ दास आपन सुआमी स छुटकारा पावत ह।

20 “अइसे मनई क प्रकास काहे देत रहा जउन दुःख झेल रहा ह?
    अइसे मनई क काहे जिन्नगी देत रहा ह जेकर जिन्नगी कडुवापन स भरा रहत ह?
21 अइसा मनई मनइ चाहत ह मुला ओकर मउत नाहीं आवत।
    अइसा दुःखी मरई मउत पावइ क उहइ तरह तरसत ह जइसे कउनो छुपे खजाना बरे।
22 अइसे मनइयन कब्र पाइके खुस होत हीं
    अउर आनन्द मनावत हीं।
23 परमेस्सर ओनसे ओनकर भविस्स छिपाए राखत ह
    अउर ओनकर चारिहुँ कइँती सुरच्छा बरे देवार खड़ी करत ह।
24 मोर गहरी उदासी मोर बरे रोटी बन गवा ह।
    मोर विलाप जल धारा क तरह बाहेर फूट पड़त ह।
25 मइँ जउने डेराउनी बात स डेरात रहेउँ कि कहुँ उहइ मोरे संग न घटि जाइ अहइ मोरे संग घटि गइ।
    अउर जउने बाते स मइँ सबन त जियादा डरेउँ, उहइ मोरे संग होइ गइ।
26 नही मइँ सान्त होइ सकत हउँ, न ही मइँ आराम कइ सकत हउँ।
    मइँ बहोत ही विपत्ति मँ हउँ।”

एलीपज क कथन

तब तेमान क एलीपज जवाब दिहेस:

“अगर मइँ तोहका कउनो राय देउँ
    तउ का तू नाराज़ होब्या? अगर अइसा अहइ तउ भी मोका बोलइ चाही।
हे अय्यूब, तू बहोत स लोगन क सिच्छा दिहा
    अउर दुर्बल हाथन क तू सक्ती दिहा।
जउन लोग लड़खड़ात रहत रहेन तोहार सब्दन ओनका हिम्मत बँधाए रहेन
    तू निर्बल गोड़न क आपन उत्साह स सबल किहा।
मुला अब तोह पइ विपत्ति क पहाड़ टूट पड़ा बाटइ
    अउर तोहार हिम्मत टूट गइ अहइ।
विपदा क मार तोह पइ पड़ी
    अउर तू ब्याकुल होइ उठ्या।
तोहका उ परमेस्सर पइ बिस्सास करइ चाही
    जेका तू उपासना करत ह।
आपन ईमानदारी क
    आपन आसा बनने दया।
अय्यूब, इ बात क याद राखा कि कउनो भी निर्दोख कबहुँ नाही नस्ट कीन्ह गएन।
    नीक मनई कबहुँ नाहीं तबाह कीन्ह गवा अहइ।
मइँ अहसे लोगन क लखेउँ ह जउन कस्टन क बढ़ावत हीं
    अउर जउन जिन्नगी क कठिन करत हीं।
    मुला उ पचे सदा ही दण्ड भोगत हीं।
परमेस्सर क दण्ड ओन लोगन क मारि डावत ह,
    अउर ओकर किरोध ओनका नस्ट करत ह।
10 दुर्जन सेर क तरह गुर्रात अउ दहाड़त हीं।
    मुला परमस्सर ओन दुर्जनन क चुप करावत ह।
11 बुरे लोग ओन सेरन क तरह होत हीं जेनके लगे सिकार बरे कछू नाहीं होत।
    उ पचे मरि जात हीं अउर ओनकर गदेलन एहर-ओहर बिखराइ जात हीं।

12 “मोरे लगे एक सँदेसा चुपचाप पहुँचावा गवा,
    अउर मोरे काने मँ ओकर भनक पड़ी।
13 जउने तरह राति क बुरा सपना
    नींद क उड़ाइ देत ह,
14 मइँ डेराइ गएउँ अउ काँपते लगेउँ।
    मोर सबइ हडिडयन हिल गइन।
15 मोरे समन्वा स एक आतिमा जइसी गुजरी
    जेहसे मोरे बदन मँ रोंगटा खड़ा होइ गएन।
16 उ आतिमा मोर समन्वा उठेस,
    मुला मइँ एका नाहीं पहिचान सकउँ।
मोरी आँखिन क समन्वा एक सरुप खड़ा रहा।
    हुवाँ सन्नाटा स छावा रहा।
    फुन मइँ एक बहोत स सान्त आवाज सुनेउँ।
    उ पचे कहेस,
17 ‘का एक मनई परमेस्सर क समन्वा दोखरहित होइ सकत ह?
    का एक मनई आपन सृजनहार स जियादा सुद्ध होइ सकत ह?
18 परमेस्सर आपन सरग क सेवकन तक पइ भरोसा नाहीं कइ सकत।
    परमेस्सर क आपन दूतन तलक मँ दोख मिलि जात हीं।
19 तउ मनई तउ अउर भी जियादा गवा गुजरा बा।
    मनई तउ कच्ची माटा क घरौंदा मँ रहत हीं।
    एँन माटी क घरौंदन क नींव धूरि मँ रखी गइ अहइ।
इ सबइ लोगन क ओहसे भी जियादा आसानी स मसलिके मार दीन्ह जात ह,
    जउने तरह भुनगन मसलिके मार दीन्ह जात ह।
20 लोग भोर स साँझ क बीच मँ मर जात हीं
    मुला ओन पइ कउनो धियान तलक नाहीं देत ह।
    उ पचे मरि जात हीं अउर सदा बरे चला जात हीं।
21 ओनके तम्बूअन क खूंटी उखाड़ दीन्ह जात हीं
    अउर इ सबइ लोग बिना बुद्धि क मरि जात हीं।’

“अय्यूब अगर तू चाहा तउ पुकारिके लखि ल्या मुला तोहका कउनो भी जवाब नाही देइ।
    तू कउनो भी सरगदूत कइँती मुड़ नाहीं सकत ह।
मूरख क किरोध उहइ क नास कइ देइ।
    मूरख मनई क ईर्स्या ओका ही मरि डइहीं।
मइँ एक मूरख क लखे रहेउँ जउन सोचत रहा कि उ सुरच्छित बाटइ।
    जेकर घर एका-एक सरापित कइ दीन्ह ग रहा[c]
अइसे मूरख मनई क सन्तानन क कउनो भी मदद नाहीं कइ सका।
    कचहरी मँ ओनका बचइया कउनो नाहीं रहा।
ओकरी फसल क भूखे लोग खाइ गएन।
    हिआँ तलक कि भूखे लोग काँटन क झाड़ियन क बीच जमा भवा अन्न क उठाइ लइ गएन।
    जउन कछू भी ओन लोगन क लगे रहा उ सबइ चिजियन क लालची मनइयन उठाइके लइ गएन।
मुसीबत माटी स नाहीं निकरत ह,
    न ही विपत्ति मैदान मँ जामत ह।
मनई क जन्म दुःख भोगइ बरे भवा ह।
    इ ओतना ही फुरइ अहइ जेतना फुरइ अहइ कि आगी स चिनगारी ऊपर उठत ह।
मुला अय्यूब, अगर तोहरी जगह मइँ होतेउँ तउ मइँ परमेस्सर क लगे जाइके
    आपन दुःखड़ा कहितेउँ अउर ओकरे लगे राय माँगतेउँ।
परमेस्सर क कारनामा समुझइ मँ बहोत अदभुत अहइँ।
    परमेस्सर क अजूबा गना नाहीं जाइँ।
10 परमेस्सर धरती पइ बर्खा क पठवत ह,
    अउर उहइ खेतन मँ पानी पठवा करत ह।
11 परमेस्सर विनम्र लोगन क ऊपर उठावत ह।
    उ ओका ऊपर उठाइके दुःखी क जन क बचावत ह।
12 परमेस्सर चालाक अउ दुट्ठ लोगन क कुचाल क रोक देत ह।
    एह बरे ओनका सफलता नाहीं मिला करत।
13 परमेस्सर चतुर क उहइ क चतुराइ भरी जोजना मँ पखरि लेत ह।
    एह बरे ओनकर चतुराइ भरी सबइ जोजना असफल होतिन।
14 उ सबइ चालाक लोग दिन क प्रकास अँन्धियारा क नाई होइ गवा।
    हिआँ तलक कि दुपहर मँ भी उ पचे आधी-रात क जइसा ठोकर खात हीं।
15 परमेस्सर दीन मनई क मउत स बचावत ह
    अउर ओनका सक्तीसाली चतुर लोगन क सक्ती स बचावत ह।
16 एह बरे दीन मनई क भरोसा अहइ
    कि परमेस्सर इ होइ क निआव नाही करब।

17 “उ मनई भाग्यवान अहइ, जेकर परमेस्सर सुधार करत ह
    एह बरे जब सर्व सक्तीसाली परमेस्सर तू पचन्क सजा देत होइ तउ तू आपन दुःखड़ा जिन रोआ।
18 परमेस्सर ओन घावन पइ पट्टी बाधँत ह जेनका उ दिहस ह।
    उ चोट पहोंचावत ह मुला ओकर ही हाथ चंगा भी करत हीं।
19 उ तोहका छ: विपत्तियन स बचावा।
    हा! सात विपत्तियन मँ तोहका कउनो नोस्कान न होइ।
20 अकाल क समइ परमेस्सर तोहका मउत स बचाइ
    अउर परमेस्सर जुद्ध मँ तोहर मउत रच्छा करी।
21 जब लोग आपन कठोर सब्दन स तोहरे बरे बुरी बात बोलिहीं,
    तब परमेस्सर तोहर रच्छा करी।
    विपत्तियन क समइ तोहका डेराइ क जरुरत नाहीं होइ।
22 तू विनास अउ भुखमरी स समइ मँ भी खुस रहब्य़ा।
    अउर तोहका जगंली जनावरन स भी कबहुँ नाहीं डेराइ चाहीं।
23 मैदानन क चट्टानन तोहार साथी क होइ।
    जंगली जनावरन भी तोहरे संग सान्ति रखत हीं।
24 तू सान्ति स रहब्या काहेकि तोहार तम्बू सुरच्छित अहइ।
    तू पचे आपन भेड़न क बाड़ा भी लखब्या, अउर ओहमाँ एक भी भेड़ हेराइ नाहीं।
25 तोहर बहोत सन्तानन होइहीं।
    उ सबइ एँतना होइहीं जेतना घासे क पाती भुइयाँ पइ अहइँ।
26 तू उ पका भवा गोहूँ जइसा होब्या जउन कटनी क समइ तलक पकत ह।
    हाँ, तू पूरी उमर तलक जिअत रहब्या।

27 “अय्यूब, हम पचे इ सबइ बातन जाँचित ह अउर हम पचे जानित ह कि इ सबइ फुर अहइँ।
    एह बरे अय्यूब मोर सुना अउर तू इ सबन्क खुद आपन समुझ ल्या।”

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