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Chronological

Read the Bible in the chronological order in which its stories and events occurred.
Duration: 365 days
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)
Version
1 कुरिन्थियन 12-14

पवित्तर आतिमा क बरदान

12 भाइयो तथा बहिनियो, अब मइँ चाहत हउँ कि तू आतिमा क बरदान क बारे मँ जाना। तू जानत अहा कि जब तू विधर्मी रह्या तब तोहे गूगी जड़ मूर्तियन कइँती जइसेन भटकावा जात रहा, तू वइसेन ही भटकत रह्य। तउन मइँ तोहे बतावत हउँ कि परमेस्सर क आतिमा क बोलइ वाला कउनउ इ नाही कहत, “ईसू क स्राप लगइ” अउर पवित्तर आतिमा क बगैर मदद द्वारा कहइवालन क न केउ इ कहि सकई, “ईसू पर्भू अहइ।”

हर एक क आतिमा क अलग-अलग बरदान मिला बा। मुला ओनका देइवाली आतिमा तउ एक्कइ बा। सेवा कइउ तरह क निस्चित कीन्ह गइ बाटिन मुला हम सब जेकर सेवा करत अही उ पर्भू तउ एक ही अहइ। काम-काज बहुत स बतावा गवा बाटेन मुला सबहिं क बीच सब कामन क करइवाला उ परमेस्सर तउ एक ही अहइ।

सब कउनो मँ आतिमा केउ न केउ रूपे मँ परगट होत ह जउन हर एक क भलाइ क बरे होत ह। कउनो क आतिमा क जरिये परमेस्सर क गियान स युक्त भइ बोलइ क योग्यता दीन्ह गइ बा। तउ केउ क उही आतिमा क जरिये दिव्य गियान क प्रबचन क योग्यता। अउर केउ क उही आतिमा द्वारा बिसवास क बरदान दीहा गवा बा तउ केउ क चंगा करइ क छमता ऊही आतिमा क जरिये दीन्ह गइ बा। 10 अउर केउ दुसरे मनई क अद्भुत कारजन करइ क सक्ती दीन्ह गइ बा तउ केउ दूसरे क परमेस्सर कइँती स बोलइ क सामर्थ्य दीन्ह गवा बा। अउर केउ क मिली बा भली बुरी आतिमा क अन्तर क पहिचानइ क सक्ती कउनो क अलग-अलग भाखा बोलइ क सक्ती मिली भइ बा: तउ केउ क भाखा क बियाखिया कईके ओकर मतलब निकालइ क सक्ती। 11 मुला इ उहई एक आतिमा बा जउन जेह-जेह क जइसेन-जइसेन ठीक समझत ह, देत भए इन सब बातन क पूरा कइ सकत ह।

मसीह क देह

12 जइसेन हममें स हर एक क सरीर तउ एक्कइ बा, पर ओहमाँ अंग कइयउ बाटेन। अउर यद्यपि अंगन क कइयउ रहत भए ओनसे देह एकइ बनत ह वइसेन ही मसीह अहइ। 13 काहेकि चाहे हम यहूदी रहा अही, चाहे गैर यहूदी, सेवक होइ य स्वतन्त्र एकइ सरीर क विभिन्न अंग बनी जाइ क बरे हम सब क एकइ आतिमा द्वारा बपतिस्मा दीन्ह गवा अउर पियास बुझावइ क हम सब क एकइ आतिमा दीन्ह गइ बा।

14 अब देखा, मनई सरीर कउनो एक अंग स ही तउ बना नाहीं होत, बल्कि ओहमाँ बहुत स अंग होत हीं। 15 अगर गोड़ कहई, “काहेकि मइँ हाथ नाहीं हउँ, इही बरे मोर सरीर स कउनउ सम्बन्ध नाहीं।” तउ इही बरे क उ सरीर क अंग न रही। 16 इही तरह अगर कान कहइ, “काहेकि मइँ आँख नाहीं हउँ, एह बरे मइँ सरीर क नाहीं हउँ।” तउ का इही कारण स उ सरीर क अंग न रही? 17 अगर एक आँख ही सब सरीर होत तउ सुना कहाँ स जात? अगर कान ही सब सरीर होत तउ सूँघा कहाँ स जात? 18 मुला परमेस्सर जइसा ठीक समझेस उ सही मँ सरीर मँ वइसेन ही स्थान दिहेस। 19 तउ सरीर क सब अंग एक जइसा ही होइ जात तउ सरीर ही कहाँ होत। 20 मुला स्थिति इ बा कि अंग त कइयउ होत हीं मुला सरीर एक्कइ रहत ह।

21 आँख हाथे स इ नाहीं कहि सकत, “मोका तोहार जरूरत नाहीं बाटइ!” या अइसे ही सिर, गोड़न स इ नाहीं कहि सकत, “हमका तोहार जरूरत नाहीं!” 22 एकरे बिलकूल उल्टा सरीर क अंगन क हम कमजोर समझित ह, उ सबइ बहुत जरूरी होत हीं। 23 अउर सरीर क जउने अंगन क हम कम आदरणीय समझित ह, ओनकर हम जियादा धियान रखित ह। अउर हमार गुप्त अगं अउर जियादा सालीनता पाइ लेत हीं। 24 जब कि हमरे प्रदर्सनीय अंगन क एह तरह क उपचार क जरूरत नाहीं होत। मुला परमेस्सर तउ हमरे सरीर क रचना एह ढंग स किहेस ह जेहसे ओन अंगन क जउन कम सुन्दर बा अउर जियादा आदर मिलइ। 25 ताकि देहे मँ कहूँ कउनउ फूट न पड़इ बल्कि देहे क अंग परस्पर एक दुसरे क समान रूप स धियान रखइँ। 26 अगर सरीर क कउनउ एक अंग दुख पावत ह तउ ओकरे साथे सरीर क अउर सभन अंग दुखी होत हीं। अगर कउनउ एक अंग क मान बढ़वत ह त ओकर खुसी मँ सभन अगं हिस्सा बटाव थीं।

27 एह तरह तू सभन लोग मसीह क देह अहा अउर अलग-अलग रूप मँ ओकर अंग अहा। 28 ऍतना ही नाहीं परमेस्सर तउ कलीसिया मँ पहिले प्रेरितन क, दूसरे नबियन क, तीसरे उपदेसकन क फिन अद्भुत कारजन करइ वालन क, चंगा करइ क सक्ती स युक्त मनइयन क, फिन ओनकर जउन दुसरन क सहायता करत हीं, स्थापित किहे अहइ, फिन अगुवाई करइवालन क अउर फिन ओन्हन लोगन क जउन विभिन्न भाखा बोल सकत हीं। 29 का इ सब लोग प्रेरित अहइँ? का इ सब लोग नबी अहइँ? का इ सब लोग उपदेसक अहइँ? का इ सब लोग अचरज काम करत हीं? 30 का इ सब लोगन क लगे चंगा करइ क सक्ती बाटइ? का इ सब लोग दूसर भाखा बोलत हीं? 31 हाँ, मुला आतिमा क अउर बड़ा बरदान पावइ क बरे यत्न करत रहा। अउर इ सबन क बरे अच्छा रस्ता तू पचन क अब मइँ देखउब।

पिरेम महान बा

13 अगर मइँ मनइयन अउर सरगदूत क भाखा बोल सकउँ मुला मोहेमाँ पिरेम न होइ, तउ मइँ एक बाजत भआ सिरिफ घड़ियाल या झंकारत भइ झाँझ अहउँ। अगर मइँ परमेस्सर कइँती स बोलइ क सक्ती क बरदान प्रप्त करउँ अउर जदि मइँ परमेस्सर क सबइ रहस्यन क जानत होउँ अउर समूचा दिव्य गियान मोरे लगे होइ अउर ऍतना बिसवास उ मोका होइ कि पर्वतन क अपने स्थान स सरकाइ सकउँ, मुला मोहेमाँ पिरेम न होइ तउ मइँ कछू नाहीं अहउँ। अगर मइँ आपन सारी सम्पत्ति थोड़-थोड़ कइके जरूरत मन्द क बरे दान कइ देउँ अउर अब चाहे अपने सरीर तक क जलाइ डालइ क बरे सौंप देउँ मुला अगर मइँ पिरेम नाहीं करित तउ।

एहसे मोर भला होइवाला नाहीं बा। पिरेम धीरजपूर्ण बा, पिरेम दयामय बा, पिरेम मँ ईर्सा नाहीं होत, पिरेम आपन प्रसंसा आप नाहीं करत। उ अभिमानी नाहीं होत। उ अनुचित व्यवहार कबहुँ नाहीं करत, उ सुवार्थी नाहीं बा, पिरेम कबहुँ झुँझलात नाहीं, उ बुराइयन क कउनउ लेखा-जोखा नाहीं रखत। बुराइ पर कबहुँ ओका खुस नाहीं होतइ। उ तउ दुसरन क साथे सत्य पर आनंदित होत ह। उ हमेसा रच्छा करत ह, उ हमेसा बिसवास करत ह। पिरेम हमेसा आसा स भरा रहत ह। उ सहनसील बा।

पिरेम अमर बा। जब कि भविस्सबाणी करइ क सामर्थ तउ समाप्त होइ जाइ, दूसर भाखा क बोलइ क छमता स जुरी भइ जीभ एक दिन चुप होइ जइहीं, दिव्य गियान क उपहार जात रही, काहेकि हमार गियान तउ अधूरा बा। हमार सब भविस्सबाणी अपूर्ण बाटिन। 10 मुला जब पूर्णता आई तउ उ अधूरापन चला जाई।

11 जब मइँ गदेला रहे तउ एक गदेला क तरह ही बोला करत रहे, वइसेन ही सोचत रहे अउर उही तरह सोच विचार करत रहे, मुला अब जब मइँ बाढ़िके मनई बनि गवा हउँ, तउ उ बचपने क बात जात रही बाटइ। 12 काहेकि अबहिं तउ दरपन मँ हमका एक धुँधली सी छाया देखॉय पड़त रही बा मुला पूरी तरह मिलि जाए पइ हम पूरी तरह आमने-सामने देखब। अबहिं तउ मोर गियान तनिक बा मुला समइ आवइ पर उ पूरा होये। वइसे ही जइसे परमेस्सर मोका पूरी तरह जानत ह। 13 इही बीच बिसवास, आसा अउर पिरेम तउ बना ही रहइँ अउर इन तीनऊ मँ सबसे महान बाटइ पिरेम।

आत्मिक बरदानन क कलीसिया क सेवा मँ लगावा

14 पिरेम क रस्ता पर कोसिस करत रहा। अउर आध्यात्मिक बरदानन क निष्ठा क साथे अभिलास करआ। बिसेस रूप स परमेस्सर क तरफ स बोलइ क। काहेकि जेका दुसरन क भाखा मँ बोलइ क बरदान मिला ब, उ तउ सही मँ लोगन स नाहीं, बल्कि परमेस्सर स बात करत बाटइ। काहेकि ओका केउ समझ नाहीं पावत, उ त आतिमा क सक्ति स रहस्यमय होइके बानी बोलत बा। मुला उ जेका परमेस्सर कइँती स बोलइ क बरदान मिला बा, उ लोगन स ओन्हे आतिमा मँ मजबूत प्रोत्साहन अउर चैन पहुँचावइ बरे बोलत बा। जेका विभिन्न भाखन मँ बोलइ क बरदान मिला बा उ तउ बस आपन आतिमा क ही मजबूत करत ह मुला जेका परमेस्सर कइँती स बोलइ क सामर्थ मिला बा उ समूची कलीसिया क आध्यात्मिक रूप स मजबूत बनावत ह।

अब मइँ चाहत हउँ कि तू सबइ दूसर कइयउ भाखा बोला। मुला एहसे जियादा मइँ इ चाहित हउँ कि तू परमेस्सर कइँती स बोल सका काहेकि कलीसिया क आध्यात्मिक मजबूती क बरे अपने कहे क बियाखिया करइवाले क छोड़िके, दूसरी भाखा बोलइवालन स परमेस्सर कइँती स बोलइवाला बड़ा बा।

तउन भाइयो तथा बहिनियो, अगर दूसरी भाखन मँ बोलत भआ मइँ तोहरे लगे आवउँ तउ हसे तोहार का भला होइ, जब तलक कि तोहरे बरे मइँ कउनउ रहस्य उद्घाटन, दिव्य गियान, परमेस्सर क सन्देस या कउनउ उपदेस न देउँ। इ बोलब त अइसेन ही होइ जइसे कउनो बाँसुरी या सांरगी जइसेन निर्जीव बाजा क आवाज। अगर कउनो बाजा क स्वरन मँ परस्पर साफ अन्तर न होइ तउ कउनउ कइसे पता लगाइ पाई कि बाँसुरी या सांरगी पर कउन स धुन बजाइ जात बा। अउर अगर बिगुल स अस्पस्ट आवाज निकलइ लागइ तउ फिन युद्ध क बरे तइयार के होई?

इही तरह कउनो दूसरे क भाखा मँ जब तक कि तू साफ-साफ न बोला, तब तलक केऊॅ कइसेन समझ पाई कि तू का कहे रह्या। काहेकि अइसेन मँ तू बस हवा मँ बोलाइवाला ही रही जाब्या। 10 एहमाँ कउनउ संदेह नाहीं बा कि संसार मँ भाँति-भाँति क बोली अहइँ अउर ओहमाँ स कउनउ खराब नाहीं अहइ। 11 तउन अब तलक मइँ ओह भाखा क जानकार नाहीं हउँ, तब तलक बोलइवालन क बरे मइँ एक अजनबी ही रहबइ। अउर उ बोलइवाला मोरे बरे एक ठु अजनबी ही ठहरी। 12 तोह पइ इ बात लागू होत ह काहेकि तू आध्यात्मिक बरदानन क पावइ बरे उत्सुक अहा। इही बरे ओहमाँ भरपूर होइ क प्रयास करा। जेहसे कलीसिया क आध्यात्मिक मजबूति मिली जाइ।

13 परिणामसरूप जउन दूसर भाखा मँ बोलत ह, ओका पराथना करई चाही कि उ आपन कहे क मतलब भी बताइ सकइ। 14 काहेकि अगर मइँ किहींउ अउर भाखा मँ पराथना करउँ तउ मोर आतिमा त पराथना करत रही होत ह मुला मोरे बुद्धि बेकार रहत ह। 15 तउ फिन का करइ चाही? मइँ आपन आतिमा स तउ पराथना करबइ। मुला ओकरे साथ आपन बुद्धि स भी पराथना करबइ। आपन आतिमा स त ओकर स्तुति करबइ ही मुला आपन बुद्धि स भी ओकर स्तुति करबइ। 16 काहेकि अगर तू केवल आपन आतिमा स ही कउनउ आसीर्बाद द्या तउ हुवाँ बइठा कउनउ मनई जउन बस सुनत अहइ, तोहरे धन्यबाद पर “आमीन” कइसे कहि देई काहेकि तू जउन कहत अहा, ओका उ जनबइ नाहीं करत। 17 अब देखा तू तउ चाहे भली-भाँति धन्यबाद देत अहा मुला दूसर मनई क तउ ओसे कउनउ आध्यात्मिक मजबूति नाहीं होत।

18 मइँ परमेस्सर क धन्यबाद देत हउँ कि मइँ तोसे बढ़कर क विभिन्न भाखा बोलि सकित हउँ। 19 मुला कलीसिया सभा क बीच कउनो दूसरी भाखा मँ दसहु हजार सब्द बोलइ क अपेच्छा आपन बुद्धि क उपयोग करत हुए पाँच सब्द बोलब अच्छा समझत अहउँ ताकि दूसरे क भी उपदेस दइ सकउँ।

20 भाइयो तथा बहिनियो, अपने बिचारन मँ गदेलन क नाई रहा बल्कि बुराइयन क बारे मँ अबोध गदेला जइसेन बना रहा। मुला आपन चिन्तन मँ समझदार बना। 21 व्यवस्था मँ लिखा बा:

“उपयोग ओनकर करत भए अउर बोली बोलत जउन,
    ओनके ही मुँहन क, उपयोग करत
भए जउन क पराया मइँ करबइ बात
    एनसे पर न इ हमार सुनिहीं बात तब भी।” (A)

पर्भू अइसेन ही कहत ह।

22 तउन दूसर भाखा बोलइ क बरदान अबिसवासियन क बरे संकेत अहइ न कि बिसवासियन क बरे अहइ। जब कि भविसबाणी करब अबिसवासियन बरे नाहीं बल्कि बिसवासियन बरे अहइ। 23 तउन अगर समूचा कलीसिया एकट्ठ होइ अउर हर केऊॅ दूसर-दूसर भाखा मँ बोलत होइ तब भी बाहर क लोग या अबिसबासी भित्तर आइ जाइँ तउ का उ पचे तोहे पागल न कइहीं। 24 मुला अगर हर केउ परमेस्सर कइँती स बोलत होइँ अउर तब तलक कछू अबिसवासी या बाहर क आइ जाइँ त का सब लोग ओका ओकर पाप क बोध न कराइ देइहीं। सब लोग जे कहत हीं, ऊही पइ ओकर निआव होई। 25 जब ओकरे मने क भित्तर छिपा भेद खुली जाइ तब तलक उ इ कहत भआ, “सचमुच तोहरे बीच परमेस्सर अहइ।” दण्डवत प्रणाम कइके परमेस्सर क आराधना करिहीं।

तोहार सभा अउर कलीसिया

26 भाइयो तथा बहिनियो! तउ फिन का करइ चाही? तू जब एकट्ठा होत ह तोहमाँ स कउनउ भजन, कउनउ उपदेस अउर कउनउ आध्यात्मिक रहस्य क उद्घाटन करत ह। कउनउ केउ अउर भाखा मँ बोलत ह त कउनउ ओकर बियाखिया करत ह। इ सब बात कलीसिया क आध्यात्मिक मजबूती क बरे कीन्ह जाइ चाही। 27 अगर केउ अउर भाखा मँ बोलत बाटइ तउन जियादा स जियादा दुइ या तीन क ही बोलइ चाही अउर बारी बारी, एक-एक कइके अउर जउन कछू कहा गवा बा, एक-एक क ओकर बियाखिया करइ चाही। 28 अगर उहाँ बियाखिया करइवाला केउ न होइ तउ बोलइवाले क चाही कि उ सभा मँ चुपइ रहइ अउर फिन ओका अपने आप स अउर परमेस्सर स ही बात करइ चाही।

29 परमेस्सर कइँती स ओकर दूत क रूप मँ बोलइ क जेनका बरदान मिला बा, अइसेन दुइ या तीन नबियन क ही बोलइ चाही अउर दूसरन क चाही कि जउन कछू उ कहे अहइ, उ ओका परखत रहइँ। 30 अगर हुवाँ केउ बइठा भआ पर कउने क बात रहस्य उद्घाटन होत ह जउन परमेस्सर कइँती स बोलत अहइ पहिला वक्ता क चुप होइ जाइ चाही। 31 काहेकि तू एक-एक कइके भविस्सबाणी कइ सकत ह्या ताकि सबहिं लोग सीखइँ अउर प्रोत्साहित होइँ। 32 नबियन क आतिमन नबियन क बस मँ रहत हीं। 33 काहेकि परमेस्सर अव्यवस्था नाहीं देत, उ सान्ति देत ह। जइसेन कि सन्तन क सभन कलीसियन मँ होत ह।

34 स्त्रियन क चाही क उ कलीसियन मँ चुप रहइँ काहेकि ओन्हे सान्त रहइ चाही, बल्कि जइसेन कि व्यवस्था मँ कहा गवा बा, ओनका दबिके रहइ चाही। 35 अगर उ कछू जानइ चाहत ह तउ ओन्हे घरे पे आपन-आपन पति स पूछइ चाही काहेकि एक स्त्री क बरे सर्मनाक अहइ कि उ सभा मँ बोलइ।

36 का परमेस्सर क बचन तोहसे पैदा भवा बा? या उ मात्र तोहे तलक पहुँचा? निस्चित नाहीं बा। 37 अगर केउ सोचत ह कि उ नबी अहइ अउर ओका कछू आध्यात्मिक बरदान मिला बा तउ ओका पहिचान लेइ चाही कि मइँ तोहे जउन कछू लिखत हउँ, उ पर्भू क आदेस बा। 38 तउन अगर केउ ऍका नहीं पहिचान पावत तउ ओका उ परमेस्सर द्वारा भी नाहीं जाना चाई।

39 एह बरे मोर भाइयो तथा बहिनियो, परमेस्सर कइँती स बोलइ क तत्पर रहा अउर दूसरा भाखा मँ बोलइ वालन क भी न रोका। 40 मुला इ सभन बातन सही ढंग स अउर व्यवस्थानुसार कइ जाइ चाही।

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