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Bible in 90 Days

An intensive Bible reading plan that walks through the entire Bible in 90 days.
Duration: 88 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
1 शमूएल 28:20 - 2 शमूएल 12:10

20 शाऊल तेजी से भूमि पर गिर पड़ा और वहाँ पड़ा रहा। शाऊल शमूएल द्वारा कही गई बातों से डरा हुआ था। शाऊल बहुत कमजोर भी था क्योंकि उसने उस पूरे दिन रात भोजन नहीं किया था।

21 स्त्री शाऊल के पास आई। उसने देखा कि शाऊल सचमुच भयभीत था। उसने कहा, “देखो, मैं आपकी दासी हूँ। मैंने आपकी आज्ञा का पालन किया है। मैंने अपने जीवन को ख़तरे में डाला और जो आपने कहा, किया। 22 अब कृपया मेरी सुनें। मुझे आपको कुछ भोजन देने दें। आपको अवश्य खाना चाहिये। तब आप में इतनी शक्ति आयेगी कि आप अपने रास्ते जा सकें।”

23 लेकिन शाऊल ने इन्कार किया। उसने कहा, “मैं खाऊँगा नहीं।”

शाऊल के अधिकारियों ने उस स्त्री का साथ दिया और उससे खाने के लिये प्रार्थना की। शाऊल ने उनकी बात सुनी। वह भूमि से उठा और बिस्तर पर बैठ गया। 24 उस स्त्री के घर में एक मोटा बछड़ा था। उसने शीघ्रता से बछड़े को मारा। उसने कुछ आटा लिया और उसे अपने हाथों से गूँदा। तब उसने बिना खमीर की कुछ रोटियाँ बनाईं। 25 स्त्री ने भोजन शाऊल और उसके अधिकारियों के सामने रखा। शाऊल और उसके अधिकारियों ने खाया। तब वे उसी रात को उठे और चल पड़े।

“दाऊद हमारे साथ नहीं आ सकता है!”

29 पलिश्तियों ने अपने सभी सैनिकों को आपे में इकट्ठा किया। इस्राएलियों ने चश्मे के पास यिज्रेल में डेरा डाला। पलिश्ती शासक अपनी सौ एवं हजार पुरुषों की टुकड़ियों के साथ कदम बढ़ा रहे थे। दाऊद और उसके लोग आकीश के साथ कदम बढ़ाते हुए चल रहे थे।

पलिश्ती अधिकारियों ने पूछा, “ये हिब्रू यहाँ क्या कर रहे हैं?”

आकीश ने पलिश्ती अधिकारियों से कहा, “यह दाऊद है। दाऊद शाऊल के अधिकारियों में से एक था। दाऊद मेरे पास बहुत समय से है। मैं दाऊद में कोई दोष तब से नहीं देखता जब से इसने शाऊल को छोड़ा और मेरे पास आया।”

किन्तु पलिश्ती अधिकारी आकीश पर क्रोधित हुए। उन्होंने कहा, “दाऊद को वापस भेजो! दाऊद को उस नगर में वापस जाना चाहिये जिसे तुमने उसको दिया है। वह हम लोगों के साथ युद्ध में नहीं जा सकता। यदि वह यहाँ है तो हम अपने डेरे में अपने एक शत्रु को रखे हुए हैं। वह हमारे अपने आदमियों को मार कर अपने राजा (शाऊल) को प्रसन्न करेगा। दाऊद वही व्यक्ति है जिसके लिये इस गाने में इस्राएली गाते और नाचते हैं:

“शाऊल ने हजारों शत्रुओं को मारा।
    किन्तु दाऊद ने दसियों हजार शत्रुओं को मार!”

इसलिये आकीश ने दाऊद को बुलाया। आकीश ने कहा, “यहोवा शाश्वत है, तुम हमारे भक्त हो। मैं प्रसन्न होता कि तुम मेरी सेना में सेवा करते। जिस दिन से तुम मेरे पास आए हो, मैंने तुममें कोई दोष नहीं पाया है। पलिश्ती शासक भी समझते हैं कि तुम अच्छे व्यक्ति हो शान्ति से लौट जाओ। पलिश्ती शासकों के विरुद्ध कुछ न करो।”

दाऊद ने पुछा, “मैंने क्या गलती की है? तुमने मेरे भीतर जब से मैं तुम्हारे पास आया तब से आज तक कौन सी बुराई देखी? मेरे प्रभु, राजा के शत्रुओं के विरुद्ध तुम मुझे क्यों नहीं लड़ने देते?”

आकीश ने उत्तर दिया, “मैं जानता हूँ कि मैं तुम्हें पसन्द करता हूँ। तुम परमेश्वर के यहाँ से स्वर्गदूत के समान हो। किन्तु पलिश्ती अधिकारी अब भी कहते हैं, ‘दाऊद हम लोगों के साथ युद्ध में नहीं जा सकता।’ 10 सवेरे भोर होते ही तुम और तुम्हारे लोग वापस जायेंगे। उस नगर को लौट जाओ जिसे मैंने तुम्हें दिया है। उन पर ध्यान न दो जो बुरी बातें अधिकारी लोग तुम्हारे बारे में कहते हैं। अत: ज्योंही सूर्य निकले तुम चल पड़ो।”

11 इसलिए दाऊद और उसके लोग सवेरे तड़के उठे। वे पलिश्तियों के देश में लौट गए और पलिश्ती यिज्रेल को गये।

अमालेकी सिकलग पर आक्रमण करते हैं

30 तीसरे दिन, दाऊद और उसके लोग सिकलग पहुँच गए। उन्होंने देखा कि अमालेकियों ने सिकलग पर आक्रमण कर रखा है। अमालेकियों ने नेगव क्षेत्र पर आक्रमण कर रखा था। उन्होंने सिकलग पर आक्रमण किया था और नगर को जला दिया था। वे सिकलग की स्त्रियों को बन्दी बना कर ले गए थे। वे जवान और बूढ़े सभी लोगों को ले गए थे। उन्होंने किसी व्यक्ति को मारा नहीं। वे केवल उनको लेकर चले गए थे।

दाऊद और उसके लोग सिकलग आए और उन्होंने नगर को जलते पाया। उनकी पत्नियाँ, पुत्र और पुत्रियाँ जा चुके थे। अमालेकी उन्हें ले गए थे। दाऊद और उसकी सेना के अन्य लोग जोर से तब तक रोते रहे जब तक वे कमजोरी के कारण रोने के लायक नहीं रह गये। आमालेकी दाऊद की दो पत्नियाँ यिज्रेल की अहीनोअम तथा कर्मेल के नाबाल की विधवा अबीगैल को ले गए थे।

सेना के सभी लोग दु:खी और क्रोधित थे क्योंकी उनकि पुत्र—पुत्रियाँ बन्दी बना ली गई थीं। वे पुरुष दाऊद को पत्थरों से मार डालने की बात कर रहे थे। इससे दाऊद बहुत घबरा गया। किन्तु दाऊद ने अपने यहोवा परमश्वर में शक्ति पाई। दाऊद ने याजक एब्यातार से कहा, “एपोद लाओ।”

तब दाऊद ने यहोवा से प्रार्थना की, “क्या मुझे उन लोगों का पीछा करना चाहिए जो हमारे परिवारों को ले गये हैं? क्या मैं उन्हें पकड़ लूँगा।”

यहोवा ने अत्तर दिया, “उनका पीछा करो। तुम उन्हें पकड़ लोगे। तुम अपने परिवारों को बचा लोगे।”

दाऊद और उसके व्यक्ति मिस्री दासों को पकड़ते हैं

दाऊद ने अपने छ: सौ व्यक्तियों को साथ लिया और बसोर की घाटियों में गया। उनमें से कुछ लोग उसी स्थान पर ठहर गये। 10 लगभग दो सौ व्यक्ति ठहर गये क्योंकि वे अत्याधिक थके और कमजोर होने से जा नहीं सकते थे। इसलिए दाऊद और चार सौ व्यक्तियों ने अमालेकी का पीछा किया।

11 दाऊद के व्यक्तियों ने एक मिस्री को खेत में देखा। वे मिस्री को दाऊद के पास ले गये। उन्होंने पीने के लिये थोड़ा पानी और खाने के लिये भोजन दिया। 12 उन्होंने मिस्री को अंजीर की टिकिया और सूखे अगूँर के दो गुच्छे दिये। भोजन के बाद वह कुछ स्वस्थ हुआ। उसने तीन दिन और तीन रात से न कुछ खाया था, न ही पानी पीया था।

13 दाऊद ने मिस्री से पूछा, “तुम्हारा स्वामी कौन है? तुम कहाँ से आये हो?”

मिस्री ने उत्तर दिया, “मैं मिस्री हूँ। मैं एक अमालेकी का दास हूँ। तीन दिन पहले मैं बीमार पड़ गया और मेरे स्वामी ने मुझे छोड़ दिया। 14 हम लोगों ने नेगव पर आक्रमण किया जहाँ करेती[a] रहते हैं। हम लोगों ने यहूदा प्रदेश पर आक्रमण किया और नेगव क्षेत्र पर भी जहाँ कालेब लोग रहते हैं। हम लोगों ने सिकलग को भी जलाया।”

15 दाऊद ने मिस्री से पूछा, “क्या तुम उन लोगों के पास हमें पहुँचाओगे जो हमारे परिवारों को ले गए हैं?”

मिस्री ने उत्तर दिया, “तुम परमेश्वर के सामने प्रतिज्ञा करो कि तुम मुझे न मारोगे, न ही मुझे मेरे स्वामी को दोगे। यदि तुम ऐसा करोगे तो मैं उनको पकड़वाने में तुम्हारी सहायता करूँगा।”

दाऊद अमालेकी को हराता है

16 मिस्री ने दाऊद को अमालेकियों के यहाँ पहुँचाया। वे चारों ओर जमीन पर मदिरा पीते और भोजन करते हुए पड़े थे। वे पलिश्तियों और यहूदा के प्रदेश से जो बहुत सी चीजें लाए थे, उसी से उत्सव मना रहे थे। 17 दाऊद ने उन्हें हराया और उनको मार डाला। वे सूरज निकलने के अगले दिन की शाम तक लड़े। अमालेकियों में से चार सौ युवकों के अतिरिक्त जो ऊँटों पर चढ कर भाग निकले, कोई बच न सका।

18 दाऊद को अपनी दोनों पत्नियाँ वापस मिल गईं। दाऊद ने वे सभी चीज़ें वापस पाईं जिन्हें अमालेकी ले आए थे। 19 कोई चीज नहीं खोई। उन्होंने सभी बच्चे और बूढ़ों को पा लिया। उन्होंने अपने सभी पुत्रों और पुत्रियों को प्राप्त किया। उन्हें अपनी कीमती चीज़ें भी मिल गईं। उन्होंने अपनी हर एक चीज वापस पाई जो अमालेकी ले गए थे। दाऊद हर चीज लौटा लाया। 20 दाऊद ने सारी भेड़ें और पशु ले लिये। दाऊद के व्यक्तियों ने इन जानवरों को आगे चलाया। दाऊद के लोगो ने कहा, “ये दाऊद के पुरस्कार हैं।”

सभी लोगों का भाग बराबर होगा

21 दाऊद वहाँ आया जहाँ दो सौ व्यक्ति बसोर की घाटियों में ठहरे थे। ये वे व्यक्ति थे जो अत्याधिक थके और कमजोर थे। अत: दाऊद के साथ नहीं जा सके थे। वे लोग दाऊद और उन सैनिकों का स्वागत: करने बाहर आये जो उसके साथ गये थे। बसोर की घाटियों में ठहरे व्यक्तियों ने दाऊद और उसकी सेना को बधाई दी जैसे ही वे निकट आए। 22 किन्तु जो टुकड़ी दाऊद के साथ गई थी उसमें कुछ बुरे और परेशानी उत्पन्न करने वाले व्यक्ति भी थे। उन परेशानी उत्पन्न करने वालों ने कहा, “ये दो सौ व्यक्ति हम लोगों के साथ नहीं गये। इसलिये जो चीजें हम लाये हैं उनमें से कुछ भी हम इन्हें नहीं देंगे। ये व्यक्ति केवल अपनी पत्नियाँ और बच्चों को ले सकते हैं।”

23 दाऊद ने उत्तर दिया, “नहीं, मेरे भाईयो ऐसा मत करो! इस विषय में सोचो कि यहोवा ने हमें क्या दिया है! यहोवा ने हम लोगों को उस शत्रु को पराजित करने दिया है जिसने हम पर आक्रमण किया। 24 जो तुम कहते हो उसे कोई नहीं सुनेगा। उन व्यक्तियों का हिस्सा भी, जो वितरण सामग्री के साथ ठहरे, उतना ही होगा जितना उनका जो युद्ध में गए। सभी का हिस्सा एक समान होगा।” 25 दाऊद ने इसे इस्राएल के लिये आदेश और नियम बना दिया। यह नियम अब तक लागू है और चला आ रहा है।

26 दाऊद सिकलग में आया। तब उसने उन चीजों में से, जो अमालेकियों से ली थीं, कुछ को अपने मित्रों यहूदा नगर के प्रमुखों के लिये भेजा। दाऊद ने कहा, “ये भेटें आप लोगों के लिये उन चीज़ों में से हैं जिन्हें हम लोगों ने यहोवा के शत्रुओं से प्राप्त कीं।”

27 दाऊद ने उन चीजों में से जो अमालेकियों से प्राप्त हुई थीं। कुछ को बेतेल के प्रमुखों, नेगेव के रामोत यत्तीर, 28 अरोएर, सिपमोत, एश्तमो, 29 राकाल, यरहमेलियों और केनियों के नगरों, 30 होर्मा, बोराशान, अताक, 31 और हेब्रोन को भेजा। दाऊद ने उन चीज़ों में से कुछ को उन सभी स्थानों के प्रमुखों को भेजा जहाँ दाऊद और उसके लोग रहे थे।

शाऊल की मृत्यु

31 पलिश्ती इस्राएल के विरुद्ध लड़े, और इस्राएली पलिश्तियों के सामने से भाग खड़े हुए। बहुत से इस्राएली गिलबो पर्वत पर मारे गये। पलिश्ती शाऊल और उसके पुत्रों से बड़ी वीरता से लड़े। पलिश्तियों ने शाऊल के पुत्रों योनातान, अबीनादाब और मल्कीश को मार डाला।

युद्ध शाऊल के विरुद्ध बहुत बुरा रहा। धनुर्धारियों ने शाऊल पर बाण बरसाये और शाऊल बुरी तरह घायल हो गया। शाऊल ने अपने उस नौकर से, जो कवच ले कर चल रहा था, कहा, “अपनी तलवार निकालो और मुझे मार डालो। तब वे विदेशी मुझे चोट पहुँचाने और मेरा मजाक उड़ाने नहीं आएंगे।” किन्तु शाऊल के कवचवाहक ने ऐसा करना अस्वीकार कर दिया। शाऊल का सहायक बहुत भयभित था। इसलिये शाऊल ने अपनी तलवार ली और अपने को मार डाला।

कवचवाहक ने देखा कि शाऊल मर गया। इसलिये उसने भी अपनी तलवार से अपने को मार डाला। वह वहीं शाऊल के साथ मर गया। इस प्रकार शाऊल, उसके तीन पुत्र और उसका कवचवाहक सभी एक साथ उस दिन मरे।

पलिश्ती शाऊल की मृत्यु से प्रसन्न हैं

इस्राएलियों ने जो घाटी की दूसरी ओर रहते थे, देखा, कि इस्राएली सेना भाग रही थी। उन्होंने देखा कि शाऊल और उसके पुत्र मर गए हैं। इसलिये उन इस्राएलियों ने अपने नगर छोड़े और भाग निकले। तब पलिश्ती आए और उन्होंने उन नगरों को ले लिया।

अगले दिन, पलिश्ती शवों से चीज़ें लेने आए। उन्होंने शाऊल और उसके तीनों पुत्रों को गिलबो पर्वत पर मरा पाया। पलिश्तियों ने शाऊल का सिर काट लिया और उसका कवच ले लिया। वे इस समाचार को पलिश्ती लोगों और अपनी देवमूर्तियों के पूजास्थल तक ले गये। 10 उन्होंने शाऊल के कवच को आश्तोरेत के पूजास्थल में रखा। पलिश्तियों ने शाऊल का शव बेतशान की दीवार पर लटका दिया।

11 याबेश गिलाद के लोगों ने उन सभी कारनामों को सुना जो पलिश्तियों ने शाऊल के साथ किये। 12 इसलिये याबेश के सभी सैनिक बेतशान पहुँचे। वे सारी रात चलते रहे! तब उन्होंने शाऊल के शव को बेतशान की दीवार से उतारा। उन्होंने शाऊल के पुत्रों के शवों को भी उतारा। तब वे इन शवों को याबेश ले आए। वहाँ याबेश के लोगों ने शाऊल और उसके तीनों पुत्रों के शवों को जलाया। 13 तब इन लोगों ने शाऊल और उसके पुत्रों की अस्थियाँ लीं और याबेश में पेड़ के नीचे दफनायीं। तब याबेश के लोगों ने शोक मनाया। याबेश के लोगों ने सात दिन तक खाना नहीं खाया।

दाऊद को शाऊल की मृत्यु का पता चलता है

अमालेकियों को पराजित करने के बाद दाऊद सिकलग लौटा और वहाँ दो दिन ठहरा। यह शाऊल की मृत्यु के बाद हुआ। तीसरे दिन एक युवक सिकलग आया। वह व्यक्ति उस डेरे से आया जहाँ शाऊल था। उस व्यक्ति के वस्त्र फटे थे और उसके सिर पर धूलि थी। वह व्यक्ति दाऊद के पास आया। उसने दाऊद के सामने मूहँ के बल गिरकर दण्डवत् किया।

दाऊद ने उस व्यक्ति से पूछा, “तुम कहाँ से आये हो?”

उस व्यक्ति ने दाऊद को उत्तर दिया, “मैं इस्राएलियों के डेरे से बच निकला हूँ।”

दाऊद ने उस से कहा, “कृपया मुझे यह बताओ कि युद्ध किसने जीता?”

उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, “हमारे लोग युद्ध से भाग गए। युद्ध में अनेकों लोग गिरे और मर गये हैं। शाऊल और उसका पुत्र योनातन दोनों मर गये हैं।”

दाऊद ने युवक से पूछा, “तूम कैसे जानते हो कि शाऊल और उसका पुत्र योनातन दोनों मर गए हैं?”

युवक ने दाऊद से कहा, “मैं गिलबो पर्वत पर था। वहाँ मैंने शाऊल को अपने भाले पर झुकते देखा। पलिश्ती रथ और घुड़सवार उसके निकट से निकट आते जा रहे थे। शाऊल पीछे मुड़ा और उसने मुझे देखा। उसने मुझे पुकारा। मैंने उत्तर दिया, मैं यहाँ हूँ। तब शाऊल ने मुझसे पूछा, ‘तुम कौन हो?’ मैंने उत्तर दिया, मैं अमालेकी हूँ। शाऊल ने कहा, ‘कृपया मुझे मार डालो मैं बुरी तरह घायल हूँ और मैं पहले से ही लगभग मर चुका हूँ।’ 10 इसलिये मैं रूका और उसे मार डाला। वह इतनी बुरी तरह घायल था कि मैं समझ गया कि वह जीवित नहीं रह सकता। तब मैंने उसके सिर से मुकुट और भुजा से बाजूबन्द उतारा और मेरे स्वामी, मैं मुकुट और बाजूबन्द यहाँ आपके लिये लाया हूँ।”

11 तब दाऊद ने अपने वस्त्रों को यह प्रकट करने के लिये फाड़ डाला कि वह बहुत शोक में डूबा है। दाऊद के साथ सभी लोगों ने यही किया। 12 वे बहुत दुःखी थे और रोये। उन्होंने शाम तक कुछ खाया नहीं। वे रोये क्योंकि शाऊल और उसका पुत्र योनातन मर गए थे। दाऊद और उसके लोग यहोवा से उन लोगों के लिये रोये जो मर गये थे, और वे इस्राएल के लिये रोये। वे इसलिये रोये कि शाऊल, उसका पुत्र योनातान और बहुत से इस्राएली युद्ध में मारे गये थे।

दाऊद अमालेकी युवक को मार डालने का आदेश देता है

13 दाऊद ने उस युवक से बातचीत की जिसने शाऊल की मृत्यु की सूचना दी। दाऊद ने पूछा, “तुम कहाँ के निवासी हो?”

युवक ने उत्तर दिया, “मैं एक विदेशी का पुत्र हूँ। मैं अमालेकी हूँ।”

14 दाऊद ने युवक से पूछा, “तुम यहोवा के चुने राजा को मारने से भयभीत क्यों नहीं हुए?”

15-16 तब दाऊद ने अमालेकी युवक से कहा, “तुम स्वयं अपनी मृत्यु के लिये जिम्मेदार हो। तुमने कहा कि तुमने यहोवा के चुने हुये राजा को मार डाला। इसलिये तुम्हारे स्वयं के शब्दों ने तुम्हें अपराधी सिद्ध किया है।” तब दाऊद ने अपने सेवक युवकों में से एक युवक को बुलाया और अमालेकी को मार डालने को कहा! इस्राएली युवक ने अमालेकी को मार डाला।

शाऊल और योनातन के बारे में दाऊद का शोकगीत

17 दाऊद ने शाऊल और उसके पुत्र योनातन के बारे में एक शोकगीत गाय। 18 दाऊद ने अपने व्यक्तियों से इस गीत को यहूदा के लोगों को सिखाने को कहा, “इस शोकगीत को ‘धनुष’ कहा गया है।” यह गीत याशार की पुस्तक में लिखा है।

19 “ओह इस्राएल तुम्हारा सौन्दर्य तुम्हारे पहाड़ों में नष्ट हुआ।
    ओह कैसे शक्तिशाली पुरुष धराशायी हो गए!
20 इसे गत में न कहो।
    इसे अश्कलोन की गलियों में घोषित न करो।
इससे पलिश्तियों के नगर प्रसन्न होंगे!
    खतनारहित[b] उत्सव मनायेंगे।

21 “गिलबो के पर्वत पर
    ओस और वर्षा न हो,
उन खेतों से आने वाली
    बलि—भेंटें न हों।
शक्तिशाली पुरुषों की ढाल वहाँ गन्दी हुई,
    शाऊल की ढाल तेल से चमकाई नहीं गई थी।[c]
22 योनातन के धनुष ने अपने हिस्से के शत्रुओं को मारा,
    और शाऊल की तलवार ने अपने हिस्से के शत्रुओं को मारा!
उन्होंने उन व्यक्तियों के खून को छिड़का जो अब मर चुके हैं,
उन्होंने शक्तिशाली व्यक्तियों की चर्बी को नष्ट किया है।

23 “शाऊल और योनातन, एक दूसरे से प्रेम करते थे।
    वे एक दूसरे से सुखी रहे जब तक वे जीवित रहे,
    शाऊल योनातन मृत्यु में भी साथ रहे!
वे उकाब से तेज भी जाते थे,
    वे सिंह से अधिक शक्तिशाली थे।
24 इस्राएल की पुत्रियो, शाऊल के लिये रोओ!
    शाऊल ने तुम्हें लाल पहनावे दिये,
    शाऊल ने तुम्हारे वस्त्रों पर स्वर्ण आभूषण सजाए हैं।

25 “शक्तिशाली पुरुष युद्ध में काम आए।
    योनातन गिल-बो पर्वत पर मरा।
26 मेरे भाई योनातन, मैं तुम्हारे लिये रोता हूँ!
    मैंने तुम्हारी मित्रता का सुख इतना पाया,
तुम्हारा प्रेम मेरे प्रति उससे भी अधिक गहरा था,
    जितना एक स्त्री का प्रेम होता है।
27 शक्तिशाली पुरुष युद्ध में काम आए,
    युद्ध के शस्त्र चले गये हैं।”

दाऊद और उसके लोग हेब्रोन जाते हैं

बाद में दाऊद ने यहोवा से प्रार्थना की। दाऊद ने कहा, “क्या मुझे यहूदा के किसी नगर में जाना चाहिये?”

यहोवा ने दाऊद से कहा, “जाओ।”

दाऊद ने पूछा, “मुझे, कहाँ जाना चाहिये?”

यहोवा ने उत्तर दिया, “हेब्रोन को।”

इसलिये दाऊद वहाँ गया। उसकी दोनों पत्नियाँ उसके साथ गईं। (वे यिज्रेली की अहीनोअम और कर्मेल के नाबाल की विधवा अबीगैल थीं।) दाऊद अपने लोगों और उनके परिवारों को भी लाया। वे हेब्रोन तथा पास के नगर में बस गये।

यहूदा के लोग हेब्रोन आये और उन्होंने दाऊद का अभिषेक यहूदा के राजा के रूप में किया। तब उन्होंने दाऊद से कहा, “याबेश गिलाद के लोग ही थे जिन्होंने साऊल को दफनाया।”

दाऊद ने याबेश गिलाद के लोगों के पास दूत भेजे। इन दूतों ने याबेश के लोगों को दाऊद का सन्देश दिया “यहोवा तुमको आशीर्वाद दे, क्योंकि तुम लोगों ने अपने स्वामी शाऊल के प्रति, उसकी दग्ध अस्थियों[d] को दफनाकर, दया दिखाई है। यहोवा अब तुम्हारे प्रति दयालु और सच्चा रहेगा। मैं भी तुम्हारे प्रति दयालु रहूँगा क्योंकि तुम लोगों ने शाऊल की दग्ध अस्थियाँ दफनाई हैं। अब शक्तिशाली और वीर बनो, तुम्हारे स्वामी शाऊल मर चुके हैं और यहूदा के परिवार समूह ने अपने राजा के रूप में मेरा अभिषेक किया है।”

ईशबोशेत राजा होता है

नेर का पुत्र अब्नेर शाऊल की सेना का सेनापति था। अब्नेर शाऊल के पुत्र ईशबोशेत को महनैम ले गया। उस स्थान पर अब्नेर ने ईशबोशेत को गिलाद, आशेर, यिज्रेल, एप्रैम और बिन्यामीन का राजा बनाया। ईशबोशेत सारे इस्राएल का राजा बन गया।

10 ईशबोशेत शाऊल का पुत्र था। ईशबोशेत चालीस वर्ष का था जब उसने इस्राएल पर शासन करना आरम्भ किया। उसने दो वर्ष तक शासन किया। किन्तु यहूदा का परिवार समूह दाऊद का अनुसरण करता था। 11 दाऊद हेब्रोन में यहूदा के परिवार समूह का राजा सात वर्ष छ: महीने तक रहा।

प्राणघातक मुकाबला

12 नेर का पुत्र अब्नेर और शाऊल के पुत्र ईशबोशेत के सेवकों ने महनैम को छोड़ा। वे गिबोन को गए। 13 सरूयाह का पुत्र योआब और दाऊद के सेवकगण भी गिबोन गए। वे अब्नेर और ईशबोशेत के सेवकों से, गिबोन के चश्मे पर मिले। अब्नेर की टोली हौज के एक ओर बैठी थी। योआब की टोली हौज के दूसरी ओर बैठी थी।

14 अब्नेर ने योआब से कहा, “हम लोग युवकों को खड़े होने दें और यहाँ एक मुकाबला हो जाने दो।”

योआब ने कहा, “हाँ, उनमें मुकाबला हो जाने दो।”

15 तब युवक उठे। दोनों टोलियों ने मुकाबले के लिए अपने युवकों को गिना। दाऊद के सैनिकों में से बारह युवक चुने गये। 16 हर एक युवक ने अपने शत्रु के सिर को पकड़ा और अपनी तलवार अन्दर भोंक दी। अत: युवक एक ही साथ गिर पड़े। यही कारण है कि वह स्थान “तेज चाकुओं का खेत” कहा जाता है। यह स्थान गिबोन में है। 17 उस दिन मुकाबला भयंकर युद्ध में बदल गया। दाऊद के सेवकों ने अब्नेर और इस्राएलियों को हरा दिया।

अब्नेर असाहेल को मार डालता है

18 सरूयाह के तीन पुत्र थे, योआब, अबीश और असाहेल। असाहेल तेज दौड़ने वाला था। वह जंगली हिरन की तरह तेज दौड़ता था। 19 असाहेल ने अब्नेर का पीछा किया। असाहेल सीधे अब्नेर की ओर दौड़ गया। 20 अब्नेर ने मुड़कर देखा और पूछा, “क्या तुम असाहेल हो?”

असाहेल ने कहा, “मैं हूँ।”

21 अब्नेर असाहेल को चोट नहीं पहुँचाना चाहता था। तब अब्नेर ने असाहेल से कहा, “मेरा पीछा करना छोड़ो अपनी दायीं या बाईं ओर मुड़ो और युवकों में से किसी एक की क्वच अपने लिये ले लो।” किन्तु असाहेल ने अब्नेर का पीछा करना छोड़ने से इन्कार कर दिया।

22 अब्नेर ने असाहेल से फिर कहा, “मेरा पीछा करना छोड़ो। यदि तुम पीछा करना नहीं छोड़ते तो मैं तुमको मार डालूँगा। यदि मैं तुम्हें मार डालूँगा तो मैं फिर तुम्हारे भाई योआब का मुख नहीं देख सकूँगा।”

23 किन्तु असाहेल ने अब्नेर का पीछा करना नहीं छोड़ा। इसलिये अब्नेर ने अपने भाले के पिछले भाग का उपयोग किया और असाहेल के पेट में उसे घुसेड़ दिया। भाला असाहेल के पेट में इतना गहरा धँसा कि वह उसकी पीठ से बाहर निकल आया। असाहेल वहीं तुरन्त मर गया।

योआब और अबीश अब्नेर का पीछा करते हैं

असाहेल का शरीर जमीन पर गिर पड़ा। लोग उस के पास दौड़कर गये, और रुक गए। 24 किन्तु योआब और अबीश ने अब्नेर का पीछा करना जारी रखा। जिस समय वे अम्मा पहाड़ी पर पहुँचे सूर्य डूब रहा था। (अम्मा पहाड़ी गीह के सामने गिबोन मरुभूमि के रास्ते पर थी।) 25 बिन्यामीन परिवार समूह के लोग अब्नेर के पास आए। वे सभी एक साथ पहाड़ी की चोटी पर खड़े हो गए।

26 अब्नेर ने चिल्लाकर योआब को पुकारा। अब्नेर ने कहा, “क्या हमें लड़ जाना चाहिये और सदा के लिये एक दूसरे को मार डालना चाहिये? निश्चय ही तुम जानते हो कि इसका अन्त केवल शोक होगा। लोगों से कहो कि अपने ही भाईयों का पीछा करना बन्द करें।”

27 तब योआब ने कहा, “यह तुमने जो कहा वह ठीक है। यहोवा शाश्वत है, यदि तुमने कुछ कहा नहीं होता तो लोग अपने भाइयों का पीछा सवेरे तक भी करते रहते।” 28 तब योआब ने एक तुरही बजाई और उसके लोगों ने इस्राएलियों का पीछा करना बन्द किया। उन्होंने और आगे इस्राएलियों से लड़ने का प्रयत्न नहीं किया।

29 अब्नेर और उसके लोग यरदन घाटी से होकर रात भर चले। उन्होंने यरदन घाटी को पार किया। वे पूरे दिन चलते रहे और महनैम पहुँचे।

30 योआब अब्नेर का पीछा करना बन्द करने के बाद अपनी सेना मे वापस लौट गया। जब योआब ने लोगों को इकट्ठा किया, दाऊद के उन्नीस सेवक लापता थे। असाहेल भी लापता था। 31 किन्तु दाऊद के सेवकों ने बिन्यामीन परिवार समूह के तीन सौ साठ सदस्यों को, जो अब्नेर का अनुसरण कर रहे थे, मार डाला था। 32 दाऊद के सेवकों ने असाहेल को लिया और उसे बेतलेहेम में उसके पिता के कब्रिस्तान में दफनाया।

योआब और उसके व्यक्ति रात भर चलते रहे। जब वे हेब्रोन पहुँचे तो सूरज निकला।

इस्राएल और यहूदा के बीच युद्ध

शाऊल के परिवार और दाऊद के परिवार में लम्बे समय तक युद्ध चलता रहा।[e] दाऊद अधिकाधिक शक्तिशाली होता गया। और शाऊल का परिवार कमजोर पर कमजोर होता गाय।

दाऊद के छ: पुत्र हेब्रोन में उत्पन्न हुए

दाऊद के ये छ: पुत्र हेब्रोन में उत्पन्न हुए थे:

प्रथम पुत्र अम्नोन था। अम्नोन की माँ यिज्रेल की अहीनोअम थी।

दूसरा पुत्र किलाब था। किलाब की माँ कर्मेल के नाबाल की विधवा अबीगैल थी।

तीसरा पुत्र अबशालोम था। अबशालोम की माँ गशूर के राजा तल्मैं की पुत्री माका थी।

चौथा पुत्र अदोनिय्याह था। अदोनिय्याह की माँ हग्गीत थी।

पाँचवा पुत्र शपत्याह था। शपत्याह की माँ अबीतल थी।

छठा पुत्र यित्राम था। यित्राम की माँ दाऊद की पत्नी एग्ला थी।

दाऊद के ये छ: पुत्र हेब्रोन में उत्पन्न हुए।

अब्नेर दाऊद से मिल जाने का निर्णय करता है

जिस समय शाऊल परिवार तथा दाऊद परिवार में युद्ध चल रहा था, अब्नेर ने अपने को शाऊल की सेना में शक्तिशाली बना लिया। शाऊल की दासी रिस्पा नाम की थी। रिस्पा अय्या की पुत्री थी। ईशबोशेत ने अब्नेर से कहा, “तुम मेरे पिता की दासी के साथ शारीरिक सम्बन्ध क्यों करते हो?”

अब्नेर, ईशबोशेत ने जो कुछ कहा, उस से बहुत क्रोधित हुआ। अब्नेर ने कहा, “मैं शाऊल और उसके परिवार का भक्त रहा हूँ। मैंने तुम को दाऊद को नहीं दिया, मैंने तुमको उसे हराने नहीं दिया। मैं यहूदा के लिये काम करने वाला देशद्रोही नहीं हूँ।[f] किन्तु अब तुम कह रहे हो कि मैंने यह बुराई की। 9-10 मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि अब परमेश्वर ने जो कहा है वही होगा। यहोवा ने कहा कि वह शाऊल के परिवार के राज्य को ले लेगा और इसे दाऊद को देगा। यहोवा दाऊद को यहूदा और इस्राएल का राजा बनायेगा। वह दान से लेकर बेर्शेबा तक शासन करेगा। परमश्वर मेरे साथ बुरा करे यदि मैं वैसा होने में सहायता नहीं करता।” 11 ईशबोशेत अब्नेर से कुछ भी नहीं कह सका। ईशबोशेत उससे बहुत अधिक भयभीत था।

12 अब्नेर ने दाऊद के पास दूत भेजे। अब्नेर ने कहा, “तुम इस देश पर शासन करो। मेरे साथ एक शन्धि करो और मैं तुमको पूरे इस्राएल के लोगों का शासक बनने में सहायता करूँगा।”

13 दाऊद ने उत्तर दिया, “ठीक है! मैं तुम्हारे साथ सन्धि करुँगा। किन्तु तुमसे मैं केवल एक बात कहता हूँ कि जब तुम मुझसे मिलने आओ तब शाऊल की पुत्री मीकल को अवश्य लाना।”

14 दाऊद ने शाऊल के पुत्र ईशबोशेत के पास दूत भेजे। दाऊद ने कहा, “मेरी पत्नी मीकल को मुझे वापस करो। मैंने उसे पाने के लिये सौ पलिश्तियों को मारा था।”[g]

15 तब ईशबोशेत ने उन लोगों से कहा कि वह लैश के पुत्र पलतीएल नामक व्यक्ति के पास से मीकल को ले आए। 16 मीकल का पति पलतीएल मीकल के साथ गया। वह बहूरीम नगर तक मीकल के पीछे—पीछे रोता हुआ गया। किन्तु अब्नेर ने पलितीएल से कहा, “घर लौट जाओ।” इसलिये पलतीएल घर लौट गया।

17 अब्नेर ने इस्राएल के प्रमुखों को यह सन्देश भेजा। उसने कहा, “आप लोग दाऊद को अपना राजा बनाने के इच्छुक थे। 18 अब इसे करें! यहोवा दाऊद के बारे में कह रहा था जब उसने कहा था, ‘मैं अपने इस्राएली लोगों को पलिश्तियों और उनके अन्य सभी शत्रुओं से बचाऊँगा। मैं यह अपने सेवक दाऊद द्वारा करूँगा।’”

19 अब्नेर ने ये बातें बिन्यामीन के परिवार समूह के लोगों से कहीं। अब्नेर ने जो कुछ कहा वह बिन्यामीन परिवार के लोगों तथा इस्राएल के सभी लोगों को अच्छा लगा। अत: अब्नेर ने हेब्रोन में दाऊद से वे सभी बातें बतायीं, जिसे करने में इस्राएल के लोग तथा बिन्यामीन परिवार के लोग सहमत थे।

20 जब अब्नेर दाऊद के पास हेब्रोन आया। वह अपने साथ बीस लोगों को लाया। दाऊद ने अब्नेर को और उसके साथ आए सभी लोगों को दावत दी।

21 अब्नेर ने दाऊद से कहा, “स्वामी, मेरे राजा, मैं जाऊँगा और सभी इस्राएलियों को आपके पास लाऊँगा। तब वे आपके साथ सन्धि करेंगे, और आप पूरे इस्राएल पर शासन करेंगे जैसा आप चाहते हैं।”

तब दाऊद ने अब्नेर को विदा किया और अब्नेर शान्तिपूर्वक गया।

अब्नेर की मृत्यु

22 योआब और दाऊद के अधिकारी युद्ध से लौटकर आए। उनके पास बहुत कीमती सामान थे जो वे शत्रु से लाए थे। दाऊद ने अब्नेर को शान्तिपूर्वक जाने दिया था। इसलिए अब्नेर दाऊद के साथ हेब्रोन में नहीं था। 23 योआब और उसकी सारी सेना हेब्रोन पहुँची। सेना ने योआब से कहा कि, “नेर का पुत्र अब्नेर राजा दाऊद के पास आया था और दाऊद ने उसे शान्तिपूर्वक जाने दिया।”

24 योआब राजा के पास आया और कहा, “यह आपने क्या किया? अब्नेर आपके पास आया और आपने उसे बिना चोट पहुँचाये जाने दिया। क्यों? 25 आप नेर के पुत्र अब्नेर को जानते हैं। वह आपके साथ चाल चलने आया। वह उन सभी बातों का पता करने आया था जो आप कर रहे हैं।”

26 योआब ने दाऊद को छोड़ा और सीरा के कुँए पर अब्नेर के पास दूत भेजे। दूत अब्नेर को वापस लाये। किन्तु दाऊद को इसका पता न चला। 27 जब अब्नेर हेब्रोन आया तो योआब, प्रवेशद्वार के एक किनारे उसे ले गया और तब योआब ने अब्नेन के पेट में प्रहार किया और अब्नेर मर गया। पिछले दिनों में अब्नेर ने योआब के भाई असाहेल को मारा था। अत: अब योआब ने अब्नेर को मार डाला।

दाऊद अब्नेर के लिये रोता है

28 बाद में दाऊद यह समाचार सुना। दाऊद ने कहा, “मैं और मेरा राज्य नेर के पुत्र अब्नेर की मृत्यु के लिये निरपराध है। यहोवा इसे जानता है। 29 योआब और उसका परिवार इसके लिये उत्तरदायी है और उसका पूरा परिवार इसके लिए दोषी है। मुझे आशंका है कि योआब के परिवार पर बहुत विपत्तियाँ आएंगी। मुझे यह आशा है कि उसके परिवार में सदा कोई न कोई जख्म से अथवा भयानक चर्मरोग से पीड़ित होगा, और कोई बैसाखी उपयोग में लाएगा, और कोई युद्ध में मारा जाएगा और कोई बिना भोजन रहेगा!”

30 योआब और उसके भाई अबीशै ने अब्नेर को मार डाला क्योंकि अब्नेर ने उसके भाई असाहेल को गिबोन की लड़ाई में मारा था।

31-32 दाऊद ने योआब के साथ के सभी व्यक्तियों से कहा, “अपने वस्त्रों को फाड़ो और शोक वस्त्रों को पहनो। अब्नेर के लिये रोओ।” उन्होंने अब्नेर को हेब्रोन में दफनाया। दाऊद अंत्येष्टि में दाऊद अर्थी के पीछे गया। राजा दाऊद और सभी लोग अब्नेर की कब्र पर रोए।

33 दाऊद ने अब्नेर के लिये अपना शोक—गीत गाया:

“क्या अब्नेर को किसी मूर्ख की तरह मरता था?
34     अब्नेर, तुम्हारे हाथ बंधे नहीं थे।
    तुम्हारे पैर जंजीरों में कसे नहीं थे।
नहीं अब्नेर, तुम्हें दुष्टों ने मारा!”

तब सभी लोग फिर अब्नेर के लिये रोये। 35 सभी लोग दाऊद को दिन रहते भोजन करने के लिये प्रेरित करने आए। किन्तु दाऊद ने विशेष प्रतिज्ञा की। उसने कहा, “परमेश्वर मुझे दण्ड दे और मेरे कष्टों को बढ़ाए यदि मैं सूरज डूबने के पहले रोटी या कोई अन्य भोजन करुँ।” 36 जो कुछ हुआ सभी लोगों ने देखा और वे उन सभी कामों से सहमत हुए जो राजा दाऊद कर रहा था। 37 उस दिन यहूदा के लोगों और सभी इस्राएलियों ने समझ लिया कि राजा दाऊद वह व्यक्ति नहीं जिसने नेर के पुत्र अब्नेर को मारा।

38 राजा दाऊद ने अपने सेवकों से कहा, “तुम लोग जानते हो की आज इस्राएल में एक बहुत महत्वपूर्ण व्यक्ति मर गया है। 39 ये उसी दिन हुआ जिस दिन मेरा अभिषेक राजा के रूप में हुआ था किन्तु सरूयाह के पुत्र मुझसे अधिक उग्र हैं। यहोवा इन व्यक्तियों को अवश्य दण्ड दे।”

शाऊल के परिवार में परेशानियाँ आती हैं

शाऊल के पुत्र (ईशबोशेत) ने सुना कि अब्नेर की मृत्यु हेब्रोन में हो गई। ईशबोशेत और उसके सभी लोग बहुत अधिक भयभीत हो गये। दो आदमी शाऊल के पुत्र (ईशबोशेत) को देखने गये। ये दोनों आदमी सेना के सेनापति थे। एक व्यक्ति का नाम बाना था और दूसरे का नाम रेकाब था। बाना और रेकाब बेरोत के रिम्मोन के पुत्र थे। (वे बिन्यामीन परिवार समूह के थे। बेरोत नगर बिन्यामीन परिवार समूह का था। बेरोत के लोग गितैम को भाग गए और वे आज तक वहाँ रहते हैं।)

शाऊल के पुत्र योनातन का एक पुत्र मपीबोशेत था जो लंगड़ा था। योनातन का पुत्र उस समय पाँच वर्ष का था, जब यह सूचना मिली थी कि शाऊल और योनातन यिज्रेल में मारे गए। इस पुत्र की धायी ने इस बच्चे को उठाया और वह भाग गई। किन्तु जब धायी ने भागने में जल्दी की तो योनातन का पुत्र उसकी बाँहों से गिर पड़ा। यही कारण था कि योनातन का पुत्र लंगड़ा हो गया था। इस पुत्र का नाम मपीबोशेत है।

बेरोत के रिम्मोन के पुत्र रेकाब और बाना दोपहर को ईशबोशेत के महल में घुसे। ईशबोशेत गर्मी के कारण आराम कर रहा था। 6-7 रेकाब और बाना महल के बीच में इस प्रकार आये मानों वे कुछ गेहूँ लेने जा रहे हों। ईशबोशेत अपने बिस्तर में अपने शयनकक्ष में लेटा हुआ था। रेकाब और बाना ने आघात किया और ईशबोशेत को मार डाला। तब उन्होंने उसका सिर काटा और उसे अपने साथ ले गये। वे यरदन घाटी से होकर रात भर चलते रहे। वे हेब्रोन पहुँचे, और उन्होंने ईशबोशेत का सिर दाऊद को दिया।

रेकाब और बाना ने राजा दाऊद से कहा, “यह आपके शत्रु शाऊल के पुत्र ईशबोशेत का सिर है। उसने आपको मारने का प्रयत्न किया। यहोवा ने शाऊल और उसके परिवार को आपके लिये आज दण्ड दिया है।”

दाऊद ने रेकाब और उसके भाई बाना को उत्तर दिया, दाऊद ने कहा, “निश्चय ही, यहोवा शाश्वत है, उसने मुझे सभी आपत्तियों से बचाया है। 10 किन्तु एक व्यक्ति ने यह सोचा था कि वह मेरे लिये अच्छी खबर लायेगा। उसने मुझसे कहा, ‘देखो! शाऊल मर गया।’ उसने सोचा था कि मैं उसे इस खबर को लाने के कारण पुरस्कार दूँगा। किन्तु मैंने उस व्यक्ति को पकड़ा और सिकलग में मार डाला। 11 इसलिये मैं तुम लोगों को मारना चाहूँगा और तुमको धरती से हटाऊँगा क्योंकि दुष्ट व्यक्तियों ने एक अच्छे व्यक्ति को अपने घर के शयनकक्ष में बिस्तर पर आराम करते समय मार डाला।”

12 दाऊद ने युवकों को आदेश दिया कि वे रेकाब और बाना को मार डालें। तब युवकों ने रेकाब और बाना के हाथ—पैर काट डाले और हेब्रोन के चश्मे के सहारे लटका कर मार डाला। तब उन्होंने ईशबोशेत के सिर को लिया और उसी स्थान पर उसे दफनाया जिस स्थान पर हेब्रोन में अब्नेर को दफनाया गया था।

इस्राएली दाऊद को राजा बनाते हैं

तब इस्राएल के सारे परिवार समूहों के लोग दाऊद के पास हेब्रोन में आए। उन्होंने दाऊद से कहा, “देखो हम सब एक परिवार[h] के हैं! बीते समय में जब शाऊल हमारा राजा था तो वे आप ही थे जो इस्राएल के लिये युद्ध में हमारा नेतृत्व करते थे और आप इस्राएल को युद्धों से वापस लाये। यहोवा ने आपसे कहा, ‘तुम मेरे लोग अर्थात् इस्राएलियों के गड़ेंरिया होगे। तुम इस्राएल के शासक होगे।’”

इस्राएल के सभी प्रमुख, राजा दाऊद के पास, हेब्रोन में आए। राजा दाऊद ने यहोवा के सामने, हेब्रोन में, इन प्रमुखों के साथ एक सन्धि की। तब प्रमुखों ने इस्राएल के राजा के रूप में दाऊद का अभिषेक किया।

दाऊद उस समय तीस वर्ष का था जब उसने शासन करना आरम्भ किया। उसने चालीस वर्ष शासन किया। उसने हेब्रोन में यहूदा पर सात वर्ष छ: महीने तक शासन किया और उसने, सारे इस्राएल और यहूदा पर यरूशलेम में तैंतीस वर्ष तक शासन किया।

दाऊद यरूशलेम नगर को जीतता है

राजा और उसके लोग यरूशलेम में यबूसियों के विरुद्ध गए। यबूसी वे लोग थे जो उस प्रदेश में रहते थे। यबूसियों ने दाऊद से कहा, “तुम हमारे नगर में नहीं आ सकते।[i] यहाँ तक कि अन्धे और लंगड़े भी तुमको रोक सकते हैं।” (वे ऐसा इसलिये कह रहे थे क्योंकि वे सोचते थे कि दाऊद उनके नगर में प्रवेश करने की क्षमता नहीं रखता। किन्तु दाऊद ने सिय्योन का किला ले लिया। यह किला दाऊद—नगर बना।)

उस दिन दाऊद ने अपने लोगों से कहा, “यदि तुम लोग यबूसियों को हराना चाहते हो तो जलसुरंग[j] से जाओ, और उन ‘अन्धे तथा अपाहिज’ शत्रुओं पर हमला करो।” यही कारण है कि लोग कहते हैं “अन्धे और विकलांग उपासना गृह में नहीं आ सकते।”

दाऊद किले में रहता था और इसे “दाऊद का नगर” कहता था। दाऊद ने उस क्षेत्र को बनाया और मिल्लो नाम दिया। उसने नगर के भीतर अन्य भवन भी बनाये। 10 दाऊद अधिकाधिक शक्तिशाली होता गया क्योंकि सर्वशक्तिमान यहोवा उसके साथ था।

11 सोर के राजा हीराम ने दाऊद के पास दूतों को भेजा। हीराम ने देवदारू के पेड़, बढ़ई और राजमिस्त्री लोगों को भी भेजा। उन्होंने दाऊद के लिये एक महल बनाया। 12 उस समय दाऊद जानता था कि यहोवा ने उसे सचमुच इस्राएल का राजा बनाया है, और दाऊद यह भी जानता था कि यहोवा ने उसके राज्य को परमेश्वर के लोगों, अर्थात् इस्राएलियों के लिये बहुत महत्वपूर्ण बनाया है।

13 दाऊद हेब्रोन से यरूशलेम चला गया। यरूशलेम में दाऊद ने और अधिक दासियों तथा पत्नियों को प्राप्त किया। दाऊद के कुछ दूसरे बच्चे भी यरूशलेम में हुए। 14 यरूशलेम में उत्पन्न हुए दाऊद के पुत्रों के नाम ये हैं: शम्मू, शोबाब, नातान, सुलैमान, 15 यिभार, एलोशू, नेपेग, यापी, 16 एलीशामा, एल्यादा तथा एलीपेलेत।

दाऊद पलिश्तियों के विरुद्ध युद्ध में जाता है

17 पलिश्तियों ने यह सुना कि इस्राएलियों ने दाऊद का अभिषेक इस्राएल के राजा के रूप में किया है तब सभी पलिश्ती दाऊद को मार डालने के लिये उसकी खोज करने निकले। किन्तु दाऊद को यह सूचना मिल गई। वह एक किले में चला गया। 18 पलिश्ती आए और रपाईम की घाटी में उन्होंने अपना डेरा डाला।

19 दाऊद ने बात करके यहोवा से पूछा, “क्या मुझे पलिश्तियों के विरुद्ध युद्ध में जाना चाहिये? क्या तू मुझे पलिश्तियों को हराने देगा?”

यहोवा ने दाऊद से कहा, “जाओ, क्योंकि मैं निश्चय ही, पलिश्तियों को हराने में तुम्हारी सहायता करूँगा।”

20 तब दाऊद बालपरासीम आया। वहाँ उसने पलिश्तियों को हराया। दाऊद ने कहा, “यहोवा ने मेरे सामने मेरे शत्रुओं की सेना को इस प्रकार दौड़ भगाया जैसे जल बांध को तोड़ कर बहता है।” यही कारण है कि दाऊद ने उस स्थान का नाम “बालपरासीम” रखा। 21 पलिश्तियों ने बालपरासीम में अपनी देवमूर्तियों को पीछे छोड़ दिया। दाऊद और उसके लोगों ने उन देवमूर्तियों को वहाँ से हटा दिया।

22 पलिश्ती फिर आये और रपाईम की घाटी में उन्होंने डेरा डाला।

23 दाऊद ने यहोवा से प्रार्थना की। इस समय यहोवा ने कहा, “वहाँ मत जाओ। उनके चारों ओर उनकी सेना के पीछे से जाओ। तूत वृक्षों के पास उन पर आक्रमण करो। 24 तूत वृक्षों की चोटी से तुम पलिश्तियों के सामरिक प्रमाण की ध्वनि को सुनोगे। तब तुम्हें शीघ्रता करनी चाहिये, क्योंकि उस समय यहोवा जायेगा और तुम्हारे लिये पलिश्तियों को हरा देगा।”

25 दाऊद ने वही किया जो करने के लिये यहोवा ने आदेश दिया था। उसने पलिश्तियों को हराया। उसने उनका पीछा लगातार गेबा से गेजेर तक किया।

परमेश्वर का पवित्र सन्दूक यरूशलेम लाया गया

दाऊद ने फिर इस्राएल के सभी चुने तीस हजार लोगों को इकट्ठा किया। तब दाऊद और उसके सभी लोग यहूदा के बाले[k] में गये और परमेश्वर के पवित्र सन्दूक को यहूदा के बाले से लेकर उसे यरूशलेम में ले आए। लोग पवित्र सन्दूक के पास यहोवा की उपासना करने के लिये जाते हैं। पवित्र सन्दूक यहोवा के सिंहासन की तरह है। पवित्र सन्दूक के ऊपर करूब की मूर्तियाँ हैं, और यहोवा इन स्वर्गदूतों पर राजा की तरह बैठता है। उन्होंने परमेश्वर के पवित्र सन्दूक को एक नई गाड़ी में रखा। वे गिबियाह में स्थित अबीनादाब के घर से पवित्र सन्दूक को ले जा रहे थे। उज्जा और अहह्यो नई गाड़ी चला रहे थे।

जब वे गिबियाह में अबीनादाब के घर से पवित्र सन्दूक ले जा रहे थे, तब उज्जा परमेश्वर के पवित्र सन्दूक सहित गाड़ी में बैठा था। अहह्यो पवित्र सन्दूक वाली गाड़ी के आगे आगे चल कर संचालन कर रहा था। दाऊद और सभी इस्राएली यहोवा के सामने पूरे उत्साह के साथ नाच और गा रहे थे। ये संगीत वाद्य सनौवर लकड़ी के बने थे। वे वीणा, सितार, ढोल झांझ, और मंजीरा बजा रहे थे। जब दाऊद के लोग नकोन खलिहान में आये तो बैल लड़खड़ा पड़े। परमेश्वर का पवित्र सन्दूक बन्द गाड़ी से गिरने लगा। उज्जा ने पवित्र सन्दूक को पकड़ लिया। यहोवा उज्जा पर क्रोधित हुआ और उसे मार डाला।[l] उज्जा ने पवित्र सन्दूक को छूकर परमेश्वर के प्रति अश्रद्धा दिखाई। उज्जा वहाँ परमेश्वर के पवित्र सन्दूक के बगल में मरा। दाऊद निराश हो गया क्योंकि यहोवा ने उज्जा को मार डाला था। दाऊद ने उस स्थान को “पेरेसुज्जा” कहा।

दाऊद उस दिन यहोवा से डर गया। दाऊद ने कहा, “अब मैं यहोवा का पवित्र सन्दूक यहाँ कैसे ला सकता हूँ?” 10 इसलिये दाऊद यहोवा के पवित्र सन्दूक को दाऊद नगर में नहीं ले जाना चाहता था। दाऊद ने पवित्र सन्दूक को गत से आये हुये ओबेद—एदोम के घर में रखा। दाऊद पवित्र सन्दूक को सड़क से गत के ओबेद—एदोम के घर ले गया। 11 यहोवा का सन्दूक ओबेद—एदोम के घर में तीन महीने तक रहा। यहोवा ने ओबेद—एदोम और उसके सारे परिवार को आशीर्वाद दिया।

12 लोगों ने दाऊद से कहा, “यहोवा ने ओबेद—एदोम के परिवार और उसकी सारी चीजों को आशीर्वाद दिया क्योंकि परमेश्वर का पवित्र सन्दूक वहाँ है।” इसलिये दाऊद गया और ओबेद—एदोम के घर से परमेश्वर के पवित्र सन्दूक को दाऊद नगर से ले आया। दाऊद ने इसे प्रसन्नता से किया। 13 जब यहोवा के पवित्र सन्दूक को ले चलने वाले छः कदम चले तो वे रूक गये और दाऊद ने एक बैल तथा एक मोटे बछड़े की बलि भेंट की। 14 तब दाऊद ने यहोवा के सामने पूरे उत्साह के साथ नृत्य किया। दाऊद ने एपोद पहन रखा था।

15 दाऊद और सभी इस्राएली यहोवा के पवित्र सन्दूक को नगर लाते समय उल्लास से उद्घोष करने और तुरही बजाने लगे। 16 शाऊल की पुत्री मीकल खिड़की से देख रही थी। जब यहोवा का पवित्र सन्दूक नगर में आया तो दाऊद यहोवा के सामने नाच—कूद कर रहा था। मीकल ने यह देखा और वह दाऊद पर गुस्सा हो गई। उसने सोचा कि वह अपने आप को मूर्ख सिद्ध कर रहा है।

17 दाऊद ने पवित्र सन्दूक के लिये एक तम्बू लगाया। इस्राएलियों ने यहोवा के सन्दूक को तम्बू में उसकी जगह पर रखा। तब दाऊद ने होमबलि और मेलबलि यहोवा को चढ़ाई।

18 जब दाऊद ने होमबलि और मेलबलि चढ़ाना पूरा किया तब उसने सर्वशक्तिमान यहोवा के नाम पर लोगों को आशीर्वाद दिया। 19 दाऊद ने रोटी, किशमिश का टुकड़ा, और खजूर की रोटी का हिस्सा इस्राएल के हर एक स्त्री—पुरुष को दिया। तब सभी लोग अपने घर गये।

मीकल दाऊद को डाँटती है

20 दाऊद अपने घर में आशीर्वाद देने गया। किन्तु शाऊल की पुत्री मीकल उससे मिलने निकल आई। मीकल ने कहा, “आज इस्राएल के राजा ने अपना ही सम्मान नहीं किया। तुमने अपनी प्रजा की दासियों के सामने अपने वस्त्र उतार दिये। तुम उस मूर्ख की तरह थे जो बिना लज्जा के अपने वस्त्र उतारता है!”

21 तब दाऊद ने मीकल से कहा, “यहोवा ने मुझे चुना है, न कि तुम्हारे पिता और उसके परिवार के किसी व्यक्ति ने। यहोवा ने मुझे इस्राएल के अपने लोगों का मार्ग दर्शक बनने के लिये चुना। यही कारण है कि मैं यहोवा के सामने उत्सव मनाऊँगा और नृत्य करूँगा। 22 संभव है, मैं तुम्हारी दृष्टि में अपना सम्मान खो दूँ। संभव है मैं तुम्हारी निगाह में ही कुछ गिर जाऊँ। किन्तु जिन लड़कियों के बारे में तुम बात करती हो वे मेरा सम्मान करती हैं।”

23 शाऊल की पुत्री को कभी सन्तान न हुई। वह बिना सन्तान के मरी।

दाऊद एक उपासना गृह बनाना चाहता है

जब राजा दाऊद अपने नये घर गया। यहोवा ने उसके चारों ओर के शत्रुओं से उसे शान्ति दी। राजा दाऊद ने नातान नबी से कहा, “देखो, मैं देवदारू की लकड़ी से बने महल में रह रहा हूँ। किन्तु परमेश्वर का पवित्र सन्दूक अब भी तम्बू में रखा हुआ है।”

नातान ने राजा दाऊद से कहा, “जाओ, और जो कुछ तुम करना चाहते हो, करो। यहोवा तुम्हारे साथ होगा।”

किन्तु उसी रात नातान को यहोवा का सन्देश मिला। यहोवा ने कहा,

“जाओ, और मेरे सेवक दाऊद से कहो, ‘यहोवा यह कहता है: तुम वह व्यक्ति नहीं हो जो मेरे रहने के लिये एक गृह बनाये। मैं उस समय गृह में नहीं रहता था जब मैं इस्राएलियों को मिस्र से बाहर लाया। नहीं, मैं उस समय से चारों ओर तम्बू में यात्रा करता रहा। मैंने इस्राएल के किसी भी परिवार समूह से देवदारू की लकड़ी का सुन्दर घर अपने लिए बनाने के लिए नहीं कहा।’

“तुम्हें मेरे सेवक दाऊद से यह कहना चाहिये: सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है, ‘मैं तुम्हें चरागाह से लाया। मैंने तुम्हें तब अपनाया जब तुम भेंड़े चरा रहे थे। मैंने तुमको अपने लोग इस्राएलियों का मार्ग दर्शक चुना। मैं तुम्हारे साथ तुम जहाँ कहीं गए रह। मैंने तुम्हारे शत्रुओं को तुम्हारे लिए पराजित किया। मैं तुम्हें पृथ्वी महान व्यक्तियों में से एक बनाऊँगा। 10-11 और मैं अपने लोग इस्राएलियों के लिये एक स्थान चुनूँगा। मैं इस्राएलियों को इस प्रकार जमाऊँगा कि वे अपनी भूमि पर रह सकें। तब वे फिर कभी हटाये नहीं जा सकेंगे। अतीत में मैंने अपने इस्राएल के लोगों को मार्गदर्शन के लिये न्यायाधीशों को भेजा था और पापी व्यक्तियों ने उन्हें परेशान किया। अब वैसा नहीं होगा। मैं तुम्हें तुम्हारे सभी शत्रुओं से शान्ति दूँगा। मैं तुमसे यह भी कहता हूँ कि मैं तुम्हारे परिवार को राजाओं का परिवार बनाऊँगा।[m]

12 “‘तुम्हारी उम्र समाप्त होगी और तुम अपने पूर्वजों के साथ दफनाये जाओगे। उस समय मैं तुम्हारे पुत्रों में से एक को राजा बनाऊँगा। 13 वह मेरे नाम पर मेरा एक गृह (मन्दिर) बनवायेगा। मैं उसके राज्य को सदा के लिये शक्तिशाली बनाऊँगा। 14 मैं उसका पिता बनूँगा और वह मेरा पुत्र होगा। जब वह पाप करेगा, मैं उसे दण्ड देने के लिये अन्य लोगों का उपयोग करूँगा। उसे दंडित करने के लिये वे मेरे सचेतक होंगे। 15 किन्तु मैं उससे प्रेम करना बन्द नहीं करूँगा। मैं उस पर कृपालु बना रहूँगा। मैंने अपने प्रेम और अपनी कृपा शाऊल से हटा ली। मैंने शाऊल को हटा दिया, जब मैं तुम्हारी ओर मुड़ा। मैं तुम्हारे परिवार के साथ वही नहीं करूँगा। 16 तुम्हारे राजाओं का परिवार सदा चलता रहेगा तुम उस पर निर्भर रह सकते हो तुम्हारा राज्य तुम्हारे लिये सदा चलता रहेगा। तुम्हारा सिहांसन (राज्य) सदैव बना रहेगा।’”

17 नातान ने दाऊद को हर एक बात बताई। उसने दाऊद से हर एक बात कही जो उसने दर्शन में सुनी।

दाऊद परमेश्वर से प्रार्थना करता है

18 तब राजा दाऊद भीतर गया और यहोवा के सामने बैठ गया। दाऊद ने कहा,

“यहोवा, मेरे स्वामी, मैं तेरे लिये इतना महत्वपूर्ण क्यों हूँ? मेरा परिवार महत्वपूर्ण क्यों है? तूने मुझे महत्वपूर्ण क्यों बना दिया। 19 मैं तेरे सेवक के अतिरिक्त और कुछ नहीं हूँ, और तू मुझ पर इतना अधिक कृपालु रहा है। किन्तु तूने ये कृपायें मेरे भविष्य के पिरवार के लिये भी करने को कहा है। यहोवा मेरे स्वामी, तू सदा लोगों के लिये ऐसी ही बातें नहीं कहता, क्या तू कहता है? 20 मैं तुझसे और अधिक, क्या कह सकता हूँ? यहोवा, मेरे स्वामी, तू जानता है कि मैं केवल तेरा सेवक हूँ। 21 तूने ये अद्भुत कार्य इसलिये किया है क्योंकि तूने कहा है कि तू इनको करेगा और क्योंकि यह कुछ ऐसा है जिसे तू करना चाहता है, और तूने निश्चय किया है कि मैं इन बड़े कार्यों को जानूँ। 22 हे यहोवा! मेरे स्वामी यही कारण है कि तू महान है! तेरे समान कोई नहीं है। तेरी तरह कोई देवता नहीं है। हम यह जानते हैं क्योंकि हम लोगों ने स्वयं यह सब सुना है। उन कार्यों के बारे में जो तूने किये।

23 “तेरे इस्राएल के लोगों की तरह पृथ्वी पर कोई राष्ट्र नहीं है। ये विशेष लोग हैं। वे दास थे। किन्तु तूने उन्हें मिस्र से निकाला और उन्हें स्वतन्त्र किया। तूने उन्हें अपने लोग बनाया। तूने इस्राएलियों के लिये महान और अद्भुत काम किये। तूने अपने देश के लिये आश्चर्यजनक काम किये। 24 तूने इस्राएल के लोगों को सदा के लिये अपने लोग बनाया, और यहोवा तू उनका परमेश्वर हुआ।

25 “यहोवा परमेश्वर, तूने अभी, मेरे बारे में बातें कीं। मैं तेरा सेवक हूँ। तूने मेरे परिवार के बारे में भी बातें कीं। अपने वचनों को सदा सत्य कर जो तूने करने की प्रतिज्ञा की है। मेरे परिवार को राजाओं का परिवार हमेशा के लिये बना। 26 तब तेरा नाम सदा सम्मानित रहेगा, और लोग कहेंगे, ‘सर्वशक्तिमान यहोवा परमेश्वर इस्राएल पर शासन करता है और होने दे कि तेरे सेवक दाऊद का परिवार तेरे सामने सदा चलता रहे।’

27 “सर्वशक्तिमान यहोवा, इस्राएल के परमेश्वर, तूने मुझे बहुत कुछ दिखाया है। तूने कहा, ‘मैं तुम्हारे परिवार को महान बनाऊँगा।’ यही कारण है कि मैं तेरे सेवक ने, तेरे प्रति यह प्रार्थना करने का निश्चय किया। 28 यहोवा मेरे स्वामी, तू परमेश्वर है और तेरे कथन सत्य होते हैं और तूने इस अपने सेवक के लिये, यह अच्छी चीज का वचन दिया है। 29 कृपया मेरे परिवार को आशीष दे। हे यहोवा! हे स्वामी! जससे वह तेरे सम्मुख सदैव बना रहे। तूने ये ही वचन दिया था। अपने आशीर्वाद से मेरे परिवार को सदा के लिये आशीष दे।”

दाऊद अनेक युद्ध जीतता है

बाद में दाऊद ने पलिश्तियों को हराया। उसने उनकी राजधानी पर अधिकार कर लिया। दाऊद ने मोआब के लोगों को भी हराया। उसने उन्हें भूमि पर लेटने को विवश किया। तब उसने एक रस्सी का उपयोग उन्हें नापने के लिये किया। जब दो व्यक्ति नाप लिये तब दाऊद ने उनको आदेश दिया कि वे मारे जायेंगे। किन्तु हर एक तीसरा व्यक्ति जीवित रहने दिया गया। मोआब के लोग दाऊद के सेवक बन गए। उन्होंने उसे राजस्व दिया।

रहोब का पुत्र हददेजेर, सोबा का राजा था। दाऊद ने हददेजेर को उस समय पराजित किया जब उसने महानद के पास के क्षेत्र पर अधिकार करने का प्रयत्न किया। दाऊद ने हददेजेर से सत्रह सौ घुड़सवार सैनिक लिये। उसने बीस हजार पैदल सैनिक भी लिये। दाऊद ने एक सौ के अतिरिक्त, सभी रथ के अश्वों को लंगड़ा कर दिया। उसने इन सौ अश्व रथों को बचा लिया।

दमिश्क से अरामी लोग सोबा के राजा हददेजेर की सहायता के लिये आए। किन्तु दाऊद ने उन बाईस हजार अरामियों को पराजित किया। तब दाऊद ने दमिश्क के अराम में सेना की टुकड़ियाँ रखीं। अरामी दाऊद के सेवक बन गए और राजस्व लाए। यहोवा ने दाऊद को, जहाँ कहीं वह गया विजय दी।

दाऊद ने उन सोने की ढालों को लिया जो हददेजेर के सैनिकों की थीं। दाऊद ने इन ढालों को लिया और उनको यरूशलेम लाया। दाऊद ने तांबे की बनी बहुत सी चीजें बेतह और बरौते से भी लीं। (बेतह और बरौते दोनों नगर हददेजेर के थे।)

हमात के राजा तोई ने सुना कि दाऊद ने हददेजेर की पूरी सेना को पराजित कर दिया। 10 तब तोई ने अपने पुत्र योराम को दाऊद के पस भेजा। योराम ने दाऊद का अभिवादन किया और आशीर्वाद दिया क्योंकि दाऊद ने हददेजेर के विरुद्ध युद्ध किया और उसे पराजित किया था। (हददेजेर ने, तोई से पहले, युद्ध किये थे।) योराम चाँदी, सोने और ताँबे की बनी चीजें लाया। 11 दाऊद ने इन चीजों को लिया और यहोवा को समर्पित कर दिया। उसने उसे अन्य सोने—चाँदी के साथ रखा जिसे उसने पराजित राष्ट्रों से लेकर यहोवा को समर्पित किया था। 12 ये राष्ट्र अराम, मोआब, अम्मोन, पलिश्ती और अमालेक थे। दाऊद ने सोबा के राजा रेहोब के पुत्र हददेजेर को भी पराजित किया। 13 दाऊद ने अट्ठारह हजार अरामियों को नमक की घाटी में पराजित किया। वह उस समय प्रसिद्ध था जब वह घर लौटा। 14 दाऊद ने एदोम में सेना की टुकड़ियाँ रखीं। उसने इन सैनिकों की टुकड़ियों को एदोम के पूरे देश में रखा। एदोम के सभी लोग दाऊद के सेवक हो गए। जहाँ कहीं दाऊद गया यहोवा ने उसे विजय दी।

दाऊद का शासन

15 दाऊद ने सारे इस्राएल पर शासन किया। दाऊद के निर्णय सभी लोगों के लिये महत्वपूर्ण और उचित होते थे। 16 सरूयाह का पुत्र योआब सेना का सेनापति था। अहीलूद का पुत्र इतिहासकार था। 17 अहीतूब का पुत्र सादोक और एब्यातर का पुत्र अहीमेलेक दोनों याजक थे। सरायाह सचिव था। 18 यहोयादा का पुत्र बनायाह करेतियों और पलेतियों[n] का शासक था, और दाऊद के पुत्र महत्वपूर्ण प्रमुख थे।

दाऊद शाऊल के परिवार पर कृपालु है

दाऊद ने पूछा, “क्या शाऊल के परिवार में अब तक कोई बचा है? मैं योनातन के कारण उस व्यक्ति पर दया करना चाहता हूँ।”

शाऊल के परिवार से एक सेवक सीबा नाम का था। दाऊद के सेवकों ने सीबा को दाऊद के पास बुलाया। राजा दाऊद ने पूछा, “क्या तुम सीबा हो?”

सीबा ने कहा, “हाँ मैं सीबा, आपका सेवक हूँ।”

राजा ने पूछा, “क्या शाऊल के परिवार में कोई बचा है? मैं उस व्यक्ति पर परमेश्वर की कृपा दिखाना चाहता हूँ।”

सीबा ने राजा दाऊद से कहा, “योनातन का एक पुत्र अभी तक जीवित है? वह दोनों पैरों से लंगड़ा है।”

राजा ने सीबा से कहा, “यह पुत्र कहाँ है?”

सीबा ने राजा से कहा, “वह लो दोबार में अम्मीएल के पुत्र माकीर के घरन में है।”

दाऊद ने अपने सेवकों को लो—दोबार के अम्मीएल के पुत्र माकीर के घर से योनातन के पुत्र को लाने को कहा। योनातन का पुत्र मेपीबोशेत दाऊद के पास आया और अपना सिर भूमि तक झुकाया।

दाऊद ने कहा, “मेपीबोशेत।”

मेपीबोशेत ने कहा, “मैं आपका सेवक हूँ।”

दाऊद ने मेपीबोशेत से कहा, “डरो नहीं। मैं तुम्हारे प्रति दयालु रहूँगा। मैं यह तुम्हारे पिता योनातन के लिये करूँगा। मैं तुम्हारे पितामह शाऊल की सारी भूमि तुमको दूँगा, और तुम सदा मेरी मेज पर भोजन कर सकोगे।”

मेपीबोशेत दाऊद के सामने फिर झुका। मेपीबोशेत ने कहा, “आप अपने सेवक पर बहुत कृपालु रहे हैं और मैं एक मृत कुत्ते से अधिक अच्छा नहीं हूँ।”

तब राजा दाऊद ने शाऊल के सेवक सीबा को बुलाया। दाऊद ने सीबा से कहा, “मैंने शाऊल के परिवार और जो कुछ उसका है उसे तुम्हारे स्वामी के पौत्र (मेपीबोशेत) को दे दिया है। 10 तुम मेपीबोशेत के लिये भूमि पर खेती करोगे। तुम्हारे पुत्र और सेवक मेपीबोशेत के लिये यह करेंगे। तुम फसल काटोगे। तब तुम्हारे स्वामी का पौत्र (मेपीबोशेत) खाने के लिये भोजन पाएगा। किन्तु मेपीबोशेत तुम्हारे स्वामी का पौत्र मेरी मेज पर खाने का सदा अधिकारी होगा।”

सीबा के पन्द्रह पुत्र और बीस सेवक थे। 11 सीबा ने राजा दाऊद से कहा, “मैं आपका सेवक हूँ। मैं वह सब कुछ करूँगा, जो मेरे स्वामी, मेरे राजा आदेश देंगे।”

अत: मेपीबोशेत ने दाऊद की मेज पर राजा के पुत्रों में से एक की तरह भोजन किया। 12 मेपीबोशेत का एक छोटा पुत्र मीका नाम का था। सीबा परिवार के सभी लोग मेपीबोशेत के सेवक हो गए। 13 मेपीबोशेत दोनों पैरों से लंगड़ा था। मेपीबोशेत यरूशलेम में रहता था। हर एक दिन मेपीबोशेत राजा की मेज पर भोजन करता था।

हानून दाऊद के व्यक्तियों को लज्जित करता है

10 बाद में, अम्मोनियों का राजा नाहाश मरा। उसके बाद उसका पुत्र हानून राजा हुआ। दाऊद ने कहा, “नाहाश मेरे प्रति कृपालु रहा। इसलिये मैं उसके पुत्र हानून के प्रति कृपालु रहूँगा।” इसलिये दाऊद ने हानून को उसके पिता की मृत्यु पर सांत्वना देने के लिये अपने अधिकारियों को भेजा। अत:

दाऊद के सेवक अम्मोनियों के देश में गये। किन्तु अम्मोनी प्रमुखों ने अपने स्वामी हानून से कहा, “क्या आप समझते हैं कि दाऊद कुछ व्यक्तियों को आपके पास सांत्वना देने के लिये भेजकर आपके पिता को सम्मान देने का प्रयत्न कर रहा है? नहीं! दाऊद ने इन व्यक्तियों को आपके नगर के बारे में गुप्त रूप से जानने और समझने के लिये भेजा है। वे आपके विरुद्ध युद्ध की योजना बना रहे हैं।”

इसलिये हानून ने दाऊद के सेवकों को पकड़ा और उनकी आधी दाढ़ी कटवा दी। उसने उनके वस्त्रों को बीच से कमर के नीचे तक कटवा दिया। तब उसने उन्हें भेज दिया।

जब लोगों ने दाऊद से कहा, तो उसने अपने अधिकारियों से मिलने के लिये दूतों को भेजा। उसने यह इसलिये किया क्योंकि ये लोग बहुत लज्जित थे। राजा दाऊद ने कहा, “जब तक तुम्हारी दाढ़ियाँ फिर से न बढ़ें तब तक यरीहो में ठहरो। तब यरूशलेम लौट आओ।”

अम्मोनियों के विरुद्ध युद्ध

अम्मोनियों ने समझ लिया कि वे दाऊद के शत्रु हो गये। इसलिये उन्होंने अरामी को बेत्रहोब और सोबा से पारिश्रमिक पर बुलाया। वहाँ बीस हजार अरामी पैदल—सैनिक आए थे। अम्मोनियों ने तोब से बारह हजार सैनिकों और माका के राजा को एक हजार सैनिकों के साथ पारिश्रमिक पर बुलाया।

दाऊद ने इस विषय में सुना। इसलिये उसने योआब और शक्तिशाली व्यक्तियों की सारी सेना भेजी। अम्मोनी बाहर निकले और युद्ध के लिये तैयार हुए। वे नगर द्वार पर खड़े हुए। योआब और रहोब के अरामी तथा तोब और माका के व्यक्ति स्वयं खुले मैदान में नहीं खड़े हुये।

योआब ने देखा कि अम्मोनी उसके विरुद्ध सामने और पीछे दोनों ओर खड़े हैं। इसलिये उसने इस्राएलियों में से कुछ उत्तम योद्धाओं को चुना। योआब ने इन उत्तम सैनिकों को अरामियों के विरुद्ध लड़ने को तैयार किया। 10 तब योआब ने अन्य लोगों को अपने भाई अबीशै के नेतृत्व में अम्मोनी के विरुद्ध भेजा। 11 योआब ने अबीशै से कहा, “यदि अरामी हमसे अधिक शक्तिशाली हों तो तुम मेरी सहायता करना। यदि अम्मोनी तुमसे अधिक शक्तिशाली होंगे तो मैं आकर तुम्हें सहायता दूँगा। 12 वीर बनो, और हम अपने लोगों और अपने परमेश्वर के नगर के लिये वीरता से युद्ध करेंगे। यहोवा वही करेगा जिसे वह ठीक मानता है।”

13 तब योआब और उसके सैनिकों ने अरामियों पर आक्रमण किया। अरामी योआब और उसके सैनिकों के सामने भाग खड़े हुए। 14 अम्मोनियों ने देखा कि अरामी भाग रहे हैं, इसलिये वे अबीशै के सामने से भाग खड़े हुए और अपने नगर में लौट गए।

इस प्रकार योआब अम्मोनियों के साथ युद्ध से लौटा और यरूशलेम वापस आया।

अरामी फिर लड़ने का निश्चय करते हैं

15 अरामियों ने देखा कि इस्राएलियों ने उन्हें हरा दिया। इसलिये वे एक विशाल सेना के रूप में इकट्ठे हुए। 16 हददेजेर ने परात नदी की दूसरी ओर रहने वाले अरामियों को लाने के लिये दूत भेजे। ये अरामी हेलाम पहुँचे। उनका संचालक शोबक था, जो हददेजेर की सेना का सेनापति था।

17 दाऊद को इसका पता लगा। इसलिये उसने सारे इस्राएलियों को एक साथ इकट्ठा किया उन्होंने यरदन नदी को पार किया और वे हेलाम पहुँचे।

वहाँ अरामियों ने आक्रमण की तैयारी की और धावा बोल दिया। 18 किन्तु दाऊद ने अरामियों को पराजित किया और वे इस्राएलियों के सामने भाग खड़े हुए। दाऊद ने बहुत से अरामियों को मार डाला। सात सौ सारथी तथा चालिस हजार घुड़सवार दाऊद ने अरामी सेना के सेनापति शोबक को भी मार डाला।

19 जो राजा, हददेजेर की सेवा कर रहे थे उन्होंने देखा कि इस्राएलियों ने उनको हरा दिया। इसलिये उन्होंने इस्राएलियों से सन्धि की और उनकी सेवा करने लगे। अरामी अम्मोनियों को फिर सहायता देने से भयभीत रहने लगे।

दाऊद बतशेबा से मिलता है

11 बसन्त में, जब राजा युद्ध पर निकलते हैं, दाऊद ने योआब उसके अधिकारियों और सभी इस्राएलियों को अम्मोनियों को नष्ट करने के लिये भेजा। योआब की सेना ने रब्बा (राजधानी) पर भी आक्रमण किया।

किन्तु दाऊद यरूशलेम में रुका। शाम को वह अपने बिस्तर से उठा। वह राजमहल की छत पर चारों ओर घूमा। जब दाऊद छत पर था, उसने एक स्त्री को नहाते देखा। स्त्री बहुत सुन्दर थी। इसलिये दाऊद ने अपने सेवकों को बुलाया और उनसे पूछा कि वह स्त्री कौन थी? एक सेवक ने उत्तर दिया, “वह स्त्री एलीआम की पुत्री बतशेबा है। वह हित्ती ऊरिय्याह की पत्नी है।”

दाऊद ने बतशेबा को अपने पास बुलाने के लिये दूत भेजे। जब वह दाऊद के पास आई तो उसने उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध किया। उसने स्नान किया और वह अपने घर चली गई। किन्तु बतशेबा गर्भवती हो गई। उसने दाऊद को सूचना भेजी। उसने उससे कहा, “मैं गर्भवती हूँ।”

दाऊद अपने पाप को छिपाना चाहता है

दाऊद ने योआब को सन्देश भेजा, “हित्ती ऊरिय्याह को मेरे पास भेजो।”

इसलिये योआब ने ऊरिय्याह को दाऊद के पास भेजा। ऊरिय्याह दाऊद के पास आया। दाऊद ने ऊरिय्याह से बात की। दाऊद ने ऊरिय्याह से पूछा कि योआब कैसा है, सैनिक कैसे हैं और युद्ध कैसे चल रहा है। तब दाऊद ने ऊरिय्याह से कहा, “घर जाओ और आराम करो।”

ऊरिय्याह ने राजा का महल छोड़ा। राजा ने ऊरिय्याह को एक भेंट भी भेजी। किन्तु ऊरिय्याह अपने घर नहीं गया। ऊरिय्याह राजा के महल के बाहर द्वारा पर सोया। वह उसी प्रकार सोया जैसे राजा के अन्य सेवक सोये। 10 सेवकों ने दाऊद से कहा, “उरिय्याह अपने घर नहीं गया।”

तब दाऊद ने ऊरिय्याह से कहा, “तुम लम्बी यात्रा से आए। तुम घर क्यों नहीं गए?”

11 ऊरिय्याह ने दाऊद से कहा, “पवित्र सन्दूक तथा इस्राएल और यहूदा के सैनिक डेरों में ठहरे हैं। मेरे स्वामी योआब और मेरे स्वामी (दाऊद) के सेवक बाहर मैदानों में खेमा डाले पड़े हैं। इसलिये यह अच्छा नहीं कि मैं घर जाऊँ, खाऊँ, पीऊँ, और अपनी पत्नी के साथ सोऊँ।”

12 दाऊद ने ऊरिय्याह से कहा, “आज यहीं ठहरो। कल मैं तुम्हें युद्ध में वापस भेजूँगा।”

ऊरिय्याह उस दिन यरूशलेम में ठहरा। वह अगली सुबह तक रुका। 13 तब दाऊद ने उसे आने और खाने के लिये बुलाया। ऊरिय्याह ने दाऊद के साथ पीया और खाया। दाऊद ने ऊरिय्याह को नशे में कर दिया। किन्तु ऊरिय्याह, फिर भी घर नहीं गया। उस शाम को ऊरिय्याह राजा के सेवकों के साथ राजा के द्वार के बाहर सोया।

दाऊद ऊरिय्याह की मृत्यु की योजना बनाता है

14 अगले प्रातःकाल, दाऊद ने योआब के लिये एक पत्र लिखा। दाऊद ने ऊरिय्याह को वह पत्र ले जाने को दिया। 15 पत्र में दाऊद ने लिखा: “ऊरिय्याह को अग्रिम पंक्ति में रखो जहाँ युद्ध भयंकर हो। तब उसे अकेले छोड़ दो और उसे युद्ध में मारे जाने दो।”

16 योआब ने नगर के घेरे बन्दी के समय यह देखा कि सबसे अधिक वीर अम्मोनी योद्धा कहाँ है। उसने ऊरिय्याह को उस स्थान पर जाने के लिये चुना। 17 नगर (रब्बा) के आदमी योआब के विरुद्ध लड़ने को आये। दाऊद के कुछ सैनिक मारे गये। हित्ती ऊरिय्याह उन लोगों में से एक था।

18 तब योआब ने दाऊद को युद्ध में जो हुआ, उसकी सूचना भेजी। 19 योआब ने दूत से कहा कि वह राजा दाऊद से कहे कि युद्ध में क्या हुआ। 20 “सम्भव है कि राजा क्रुद्ध हो। संभव है कि राजा पूछे, ‘योआब की सेना नगर के पास लड़ने क्यों गई? क्या तुम्हें मालूम नहीं कि लोग नगर के प्राचीर से भी बाण चला सकते हैं? 21 क्या तुम नहीं जानते कि यरूब्बेशेत के पुत्र अबीमेलेक को किसने मारा? वहाँ एक स्त्री नगर—दीवार पर थी जिसने अबीमेलेक के ऊपर चक्की का ऊपरी पाट फेंका। उस स्त्री ने उसे तेबेस में मार डाला। तुम दीवार के निकट क्यों गये?’ यदि राजा दाऊद यह पूछता है तो तुम्हें उत्तर देना चाहिये, ‘आपका सेवक हित्ती ऊरिय्याह भी मर गया।’”

22 दूत गया और उसने दाऊद को वह सब बताया जो उसे योआब ने कहने को कहा था। 23 दूत ने दाऊद से कहा, “अम्मोन के लोग जीत रहे थे बाहर आये तथा उन्होंने खुले मैदान में हम पर आक्रमण किया। किन्तु हम लोग उनसे नगर—द्वार पर लड़े। 24 नगर दीवार के सैनिकों ने आपके सेवकों पर बाण चलाये। आपके कुछ सेवक मारे गए। आपका सेवक हित्ती ऊरिय्याह भी मारा गया।”

25 दाऊद ने दूत से कहा, “तुम्हें योआब से यह कहना है: ‘इस परिणाम से परेशान न हो। हर युद्ध में कुछ लोग मारे जाते हैं यह किसी को नहीं मालूम कि कौन मारा जायेगा। रब्बा नगर पर भीषण आक्रमण करो। तब तुम उस नगर को नष्ट करोगे।’ योआब को इन शब्दों से प्रोत्साहित करो।”

दाऊद बतशेबा से विवाह करता है

26 बतशेबा ने सुना कि उसका पति ऊरिय्याह मर गया। तब वह अपने पति के लिये रोई। 27 जब उसने शोक का समय पूरा कर लिया, तब दाऊद ने उसे अपने घर में लाने के लिये सेवकों को भेजा। वह दाऊद की पत्नी हो गई, और उसने दाऊद के लिये एक पुत्र उत्पन्न किया। दाऊद ने जो बुरा काम किया यहोवा ने उसे पसन्द नहीं किया।

नातान दाऊद से बात करता है

12 यहोवा ने नातान को दाऊद के पास भेजा। नातान दाऊद के पास गया। नातान ने कहा, “नगर में दो व्यक्ति थे। एक व्यक्ति धनी था। किन्तु दूसरा गरीब था। धनी आदमी के पास बहुत अधिक भेड़ें और पशु थे। किन्तु गरीब आदमी के पास, एक छोटे मादा मेमने के अतिरिक्त जिसे उसने खरीदा था, कुछ न था। गरीब आदमी उस मेमने को खिलाता था। यह मेमना उस गरीब आदमी के भोजन में से खाता था और उसके प्याले में से पानी पीता था। मेमना गरीब आदमी की छाती से लग कर सोता था। मेमना उस व्यक्ति की पुत्री के समान था।

“तब एक यात्री धनी व्यक्ति से मिलने के लिये वहाँ आया। धनी व्यक्ति यात्री को भोजन देना चाहता था। किन्तु धनी व्यक्ति अपनी भेड़ या अपने पशुओं में से किसी को यात्री को खिलाने के लिये नहीं लेना चाहता था। उस धनी व्यक्ति ने उस गरीब से उसका मेमना ले लिया। धनी व्यक्ति ने उसके मेमने को मार डाला और अपने अतिथि के लिये उसे पकाया।”

दाऊद धनी आदमी पर बहुत क्रोधित हुआ। उसने नातान से कहा, “यहोवा शाश्वत है, निश्चय जिस व्यक्ति ने यह किया वह मरेगा। उसे मेमने की चौगुनी कीमत चुकानी पड़ेगी क्योंकि उसने यह भयानक कार्य किया और उसमें दया नहीं थी।”

नातान, दाऊद को उसके पाप के बारे में बताता है

तब नातान ने दाऊद से कहा, “तुम वो धनी पुरुष हो! यहोवा इस्राएल का परमेश्वर यह कहता है: ‘मैंने तुम्हारा अभिषेक इस्राएल के राजा के रूप में किया। मैंने तुम्हे शाऊल से बचाया। मैंने उसका परिवार और उसकी पत्नियाँ तुम्हें लेने दीं, और मैंने तुम्हें इस्राएल और यहूदा का राजा बनाया। जैसे वह पर्याप्त नहीं हो, मैंने तुम्हें अधिक से अधिक दिया। फिर तुमने यहोवा के आदेश की उपेक्षा क्यों की? तुमने वह क्यों किया जिसे वह पाप कहता है। तुमने हित्ती ऊरिय्याह को तलवार से मारा और तुमने उसकी पत्नी को अपनी पत्नी बनाने के लिये लिया। हाँ, तुमने ऊरिय्याह को अम्मोनियों की तलवार से मार डाला। 10 इसलिये सदैव तुम्हारे परिवार में कुछ लोग ऐसे होगें जो तलवार से मारे जायेंगे। तुमने ऊरिय्याह हित्ती की पत्नी ली। इस प्रकार तुमने यह प्रकट किया कि तुम मेरी परवाह नहीं करते।’

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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