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Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)
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सभोपदेसक 5-8

वाचा मानइ मँ सावधानी

जब परमेस्सर क उपासना बरे जा तउ बहोत जियादा होसियार रहा। अग्यानियन क नाई बलियन चढ़ावइ क अपेच्छा परमेस्सर क आग्या मानब जियादा उत्तिम अहइ। अज्ञानी लोग अक्सर बुरे करम किया करत हीं अउर ओका जानत तलक नाहीं ही। परमेस्सर क वाचा मानत समय होसियार रहा। परमेस्सर स जउन कछू कहा ओन बातन बरे होसियार रहा। भावना क आवेस मँ, जल्दी मँ कछू जिन कहा। परमेस्सर सरग मँ अहइ, अउर तू धरती पइ अहा। एह बरे तोहका परमेस्सर स बहोत तनिक बोलइ क जरूरत अहइ। इ कहतूत फुरइ अहइ

अति चिंता स बुरे सपना आवा करत हीं।
    अउर जियादा बोलइ स मूरखता उपजत ही।

अगर तू परमेस्सर स कउनो वाचा माँगत ह तउ ओका पूरा करा। जउने बाते क तू वाचा मान्या ह ओका पूरा करइ मँ देर जिन करा। परमेस्सर मूरख मनइयन स खुस नाहीं रहत। तू परमेस्सर क जउन कछू अर्पित करइ क बचन दिहा ह ओका अर्पित करा। इ नीक बा कि तू कउनो वाचा माना ही नाहीं बजाय एकरे कि कउनो मनौती माना अउर ओका पूरा न कइ पावा। एका नाहीं होइ देइ कि तोहार सब्द तोहार पापे क कारण बनी। याजक स अइसा जिन बोला कि, “जउन कछू मइँ कहे रहेउँ ओकर इ अरथ नाहीं बाटइ।” जदि तू अइसा करब्या तउ परमेस्सर तोहरे सब्दन स रिसियाइके जउन वस्तुअन बरे तू करम किहा ह, ओन सबन्क उ बर्बाद कइ देइ। आपन बेकार क सपनन अउर डींग मारइ स मुसीबतन मँ जिन पड़ा। तोहका परमेस्सर क सम्मान करइ चाही।

हर एक अधिकारी क ऊपर एक अधिकारी अहइ

कछू देसन मँ तू अइसे दीन-हीन लोगन क लखब्या जेनका कड़ी मेहनत करइ क मजबूर कीन्ह जात ह। तू लखि सकत ह कि निर्धन लोगन क संग इ बेउहार उचित नाहीं अहइ। इ गरीब लोगन क अधिकारन क खिलाफ अहइ। मुला अचरज जिन करा। जउन अधिकारी ओन मनइयन क कारज करइ बरे मजबूर करत ह, अउर उ पचे दुइनउँ अधिकारी कउनो दूसर अधिकारी क जरिये मजबूर कीन्ह जात हीं। ऍतना होइ पइ भी कउनो खेती क जोग्ग भुइँया पइ एक राजा क होब देस बरे फायदेमंद अहइ।

धने स खुसी नाहीं बेसही जाइ सकत

10 उ मनई जउन धने स पिरेम करत ह उ उ धने स जउन ओकरे लगे अहइ कबहुँ संतुट्ठ नाहीं होइ। उ मनई जउन धन स पिरेम करत ह, जब जियादा स जियादा धन पाइ जात ह तब भी ओकर मन नाहीं भरत। तउ उ भी बियर्थ अहइ।

11 कउनो मनई क लगे जेतना जियादा धन होइ ओका खरच करइ बरे ओकरे लगे ओतना ही जियादा “मीत” होइहीं। तउ उ धनी मनई क असल मँ प्राप्त कछू नाहीं होत ह। उ आपन धन क बस लखत भर रहि सकत ह।

12 एक ठु अइसा मनई जउन सारे दिन कड़ी मेहनत करत ह, आपन घर लउटइ पइ चइन क संग सोवत ह। इ महत्व नाहीं रखत ह कि ओकरे लगे खाइ क कमती अहइ या जियादा अहइ। एक धनी मनई आपन धने क चिंता म बूड़ रहत ह अउर सोइ तलक नाहीं पावत।

13 बहोत बड़के दुःखे क बात अहइ कि एक ठु जेका मइँ इ जिन्नगी मँ घटत लखेउँ ह। लखा एक मनई भविस्स बरे आपन धन बचाइके रखत ह। 14 अउर फुन कउनो बुरी बात घटि जात ह अउर ओकर सब कछू जात रहत ह अउर मनई क लगे आपन पूत क देइ बरे कछू भी नाहीं रहत। हम खाली हाथ आइत ह अउर खाली हाथ चला जाइत ह

15 एक मनई संसार मँ अपनी महतारी क गरभ स आवत ह अउर जब उ मनई क मउत होत ह तउ उ बगैर कछू अपने संग लिए सब हिअँइ छोड़िके चला जात ह। वस्तुअन क पावइ बरे उ कठिन मेहनत करत ह। किन्तु जब उ मरत ह तउ आपन संग कछू नाहीं लइ जात पावत। 16 इ बड़े दुःखे क बात अहइ। इ संसार ओका उहइ तरह तजइ क होत ह जउने तरह उ आवा रहा। एह बरे “हवा क धरइ क कोसिस” स कउनो मनई क हाथे क लगत ह 17 ओका अगर कछू मिलत ह तउ उ अहइ दुःख अउर सोक स भरे हुआ दिन। तउ आखिरकार उ हतास, रोगी अउ चिड़चिड़ा होइ जात ह।

आपन जिन्नगी क करम क रस ल्या

18 मइँ तउ इ लखेउँ ह कि मनई जउन कइ सकत ह ओहमाँ सब स उत्तिम इ अहइ-एक मनई क चाही कि उ खाइ-पिअइ अउर जउने कामे क उ इ धरती पइ आपन छोटी स जिन्नगी क दौरान करत ह ओकर आनन्द लेइ। परमेस्सर इ सबइ तनिक क दिन स दिहेस ह अउर बस इहइ तउ ओकरे लगे अहइ।

19 अगर परमेस्सर कउनो क धन, सम्पत्ति अउर ओन वस्तुअन का आनन्द लेइ क सक्ति देत ह तउ उ मनई क ओनकर आनन्द लेइ चाही। उ मनई क जउन कछू ओकरे लगे अहइ ओका कबूल करइ चाही अउर आपन कामे क जउन परमेस्सर कइँती स एक उपहार अहइ ओकर रस लेइ चाही। 20 तउ अइसा मनई कबहुँ इ सोचत ही नाहीं कि जिन्नगी केतॅनी छोट स बाटइ। काहेकि परमेस्सर ओहका दिमाग क आनन्द स भरी ही राखी हीं।

धने स खुसी नाहीं मिलत

मइँ जिन्नगी मँ एक अउर बुरी बात लखेउँ ह अउर इ बहोत समान्य अहइ। परमेस्सर कउनो मनई क बहोत स धन देत ह, सम्पत्तियन देत ह अउर आदर देत ह। उ मनई क लगे ओकर जरूरत की चीज होत ह अउर जउन कछू भी उ चाह सकत ह उ भी होत ह। किन्तु परमेस्सर उ मनई क ओन वस्तुअन क भोग नाहीं करइ देत। तबहिं कउनो अजनबी आवत ह अउर ओन सबहिं वस्तुअन क छोरि लेत ह। इ एक बहोत बुरी अउर बियर्थ बात अहइ।

कउनो मनई बहोत दिनन तलक जिअत ह अउर होइ सकत ह ओकर सौ बच्चन होइ जाइँ। किन्तु अगर उ मनई ओन अच्छी वस्तुअन स सन्तुट्ठ नाहीं होत अउर अगर ओकर मउत क बाद कउनो ओका सुमिरत नाहीं तउ मइँ कहत हउँ कि उ मनई स तउ उ बच्चा ही अच्छा अहइ जउन जन्मत ही मरि जात ह। उ बच्चा क कउनो नाउँ नाहीं दीन जात अउर फउरन ही ओका एक अँधेरी कब्र मँ दफनाइ दीन्ह जात ह। उ बच्चा तउ कबहुँ सूरज तउ लखेस ही नाहीं। उ बच्चा कबहुँ कछू नाहीं जानेस किन्तु उ मनई क भाग्ग जउन परमेस्सर क दीन्ह गइ वस्तुअन क कबहुँ आनन्द नाहीं लिहेस, उ बच्चा क जियादा चइन मिलत ह। अगर कउनो मनई दुइ हजार बरिस जिअत ह किन्तु जिन्नगी क आनन्द नाहीं उठावत, तउ का दुइनउँ क अन्त एक समान नाहीं अहइ।

एक मनई लगातार काहे काम करत रहत ह? काहेकि ओका आपन सबइ इच्छा पूरी करइ क अहइँ। मुला उ संतुट्ठ तउ कबहुँ नाहीं होत। इ तरह स एक बुद्धिमान मनई भी एक मूरख मनई स कउनो तरह उत्तिम नाहीं अहइ। एक दीनहीन मनई क बेहतर व्यवहार करइ जान लेइ मँ ओकर का भलाइ अहइ। उ सबइ वस्तुअन जउन तोहरे पास अहइँ, ओनमाँ संतोस करब नीक अहइ बजाय एकरे कि अउर लगन लगी रहइ। सदा जियादा क कामना करत रहब बेकार अहइ। इ वइसे ही अहइ जइसे हवा क धरइ क जतन करब।

10 जउन कछू घटत अहइ ओकर योजना बहोत पहिले बन चुकी होत ह। एक मनई वइसा ही होत ह जइसा होइ बरे ओका बनावा गवा अहइ। हर कउनो जानत ह कि लोग कइसे होत हीं। 11 तउ इ बारे मँ परमेस्सर स तर्क करब बेकार अहइ जउन कि कउनो भी मनई स जियादा सक्तीसाली अहइ। बहोत सी अइसी बातन अहइ जेकर बरे हम कउनो अन्त क तर्क कइ सकत हीं, किन्तु इ कउनो लाभ नाहीं देत ह।

12 कउन जानत ह कि इ धरती पइ मनई क छोटी स जिन्नगी मँ ओकरे बरे सबस अच्छा का अहइ? ओकर जिन्नगी तउ छाया क नाई ढलि जात ह। बाद मँ का होइ कउनो नाहीं बताइ सकत।

सूक्ति संग्रह

सुजस, अच्छी सुगन्धि स उत्तिम अहइ।
    अउर उ दिन जब मनई मरी, इ दिन उ दिन स उत्तिम होइ जब उ पइदा होइ।
उत्सव मँ जाइ स जाब, सदा उत्तिम हुआ करत ह।
    काहेकि सबहिं लोगन क मउत तउ निहचित अहइ। हर जिअत मनई क सोचइ चाही एका।
हँसी क ठहाके स सोक उत्तिम अहइ।
    काहेकि जब हमारे मुखे पइ उदासी क वास होत ह, तउ हमार हिरदय सुद्ध होत हीं।
विवेकी मनई तउ सोचत ह मउत क
    किन्तु मूरख जन तउ बस सोचत रहत हीं कि गुजरइ समय नीक।
विवेकी स निन्दित होब उत्तिम होत ह,
    बनिस्बत एकरे कि मूरख स तारीफ कीन्ह जाइ।
मूरख क ठहाका तउ बेकार होत ह।
    इ वइसे ही होत ह जइसे बर्तन क नीचे काँटे दरदराई।
अत्याचार विवेकी क भी मूरख बनाइ देत ह,
    अउर घूस मँ मिला धन ओकर मति क हर लेत ह।
बात क सुरू करइ स अच्छा ओकर अन्त करब अहइ।
    नम्रता अउर धीरज, गुस्सा दिखावइ अउर अहंकार स उत्तिम अहइ।
किरोध मँ हाली स जिन आवा।
    काहेकि किरोध मँ आउब मूर्खता अहइ।
10 जिन कहा, “अच्छे दिनन क का भएन, तब सबकछू ‘ठीक-ठाक रहेन।’
    इ सवाल बुद्धि स नाहीं आवत हीं।”

11 जइसे वसीयतनामा मँ सम्पत्ति क पाउब अच्छा अहइ वइसे ही बुद्धि क पाउब भी उत्तिम अहइ। जिन्नगी बरे इ लाभदायक अहइ। 12 धने क समान बुद्धि भी रच्छा करत ह। बुद्धि क गियान मनई क जिन्नगी क रच्छा करत ही।

13 परमेस्सर क रचना क लखा। जेका परमेस्सर टेढ़ा कइ देइहीं ओका तू सीधा कर सकत्या। 14 जब जिन्नगी उत्तिम अहइ तउ ओकर रस ल्या मुला जब जिन्नगी कठिन अहइ तउ याद राखा कि परमेस्सर हमका कठिन समय देत अहइ अउर अच्छा समय भी देत अहइ इसलिए भियान का होइ इ तउ कउनो नाहीं जानत।

लोग फुरइ नीक नाहीं होइ सकतेन

15 आपन छोटी स जिन्नगी मँ मइँ सब कछू लखेउँ ह। मइँ लखेउँ ह अच्छे लोग जवानी मँ ही मरि जात हीं। मइँ लखेउँ ह कि बुरे लोग लम्बी आयु तलक जिअत रहत हीं। 16-17 तउ अपने क हलाकान काहे करत अहा? न तउ बहोत जियादा धर्मी बना अउर न ही बुद्धिमान इ तोहका नास करब। न तउ बहोत जियादा दुट्ठ बना अउर न ही मूरख अन्यथा समय स पहिले तू मरि जाब्या।

18 तनिक इ बना अउर तनिक उ। हिआँ तलक कि परमेस्सर क मनवइयन भी कछू अच्छा करिहीं तउ पाप भी। 19-20 निहचय ही इ धरती पइ कउनो अइसा नीक मनई नाहीं अहइ जउन सदा अच्छा ही अच्छा करत ह अउर बुरा कबहुँ नाहीं करत। बुद्धि मनई क सक्ति देत ह। कउनो सहर क दस मूरख सासकन स एक साधारण बुद्धिमान मनई जियादा सक्तीसाली होत ह।

21 लोग जउन बातन कहत रहत हीं ओन सब पइ कान जिन द्या। होइ सकत ह तू आपन सेवक क ही तोहरे बारे मँ बुरी बातन कहत सुना। 22 अउर तू जानत अहा कि तू भी अनेक अवसरन पइ दूसर लोगन क बारे मँ बुरी बातन कहया ह।

23 एन सब बातन क बारे मँ मइँ आपन बुद्धि अउर विचारन क प्रयोग किहा ह। मइँ फुरइ बुद्धिमान बनइ चाहेउँ ह मुला इ तउ असंभव रहा। 24 मइँ समुझ नाहीं पावत कि बातन वइसी काहे अहइँ जइसी उ सबइ अहइँ। कउनो क बरे इ समुझब बड़ा मुस्किल अहइ। 25 मइँ अध्ययन किहेउँ अउर सच्ची बुद्धि क पावइ बरे बहुत कठिन मेहनत किहेउँ। मइँ हर चीज क कउनो कारण हेरइ क प्रयास किहेउँ किन्तु मइँ जानेउँ का?

मइँ जानेउँ कि बुरा होब बेवकूफी बाटइ मूरखपन पागलपन अहइ। 26 मइँ इ भी पाएउँ कि कछू मेहररूअन एक फन्दा क नाई खतरनाक होत हीं। ओनकर हिरदय जाल जइसे होत हीं अउर ओनकर बाहन जंजीरन क तरह होत हीं। जउन लोग परमेस्सर क खुस करत हीं, अइसी मेहररूअन स बच निकरत हीं मुला उ सबइ लोग जउन परमेस्सर क नाखुस करत हीं ओनके जरिये फाँस लीन्ह जात हीं।

27 उपदेसक कहत ह, “इ सब कछू एकत्र कइके इहइ अहइ जउन मइँ पाएस। 28 मोर पूरा खोज बिचार क पाछा इहइ मइँ पाएउँ। हजारन मँ एक ठु मनई रहा जेका एकर छूट रही, कउनो मेहरारु क नाहीं।

29 “इहइ अहइ जउन मइँ पाएन, परमेस्सर लोगन क इमान्दार अउर सीधा बनावत ह, किन्तु लोग जल्द ही आपन राह पावइ बरे जोजना बनावत ह।”

बुद्धि अउर सक्ति

वस्तुअन क जउने तरह एक बुद्धिमान मनई समुझ सकत ह अउर ओनकर बियाख्या कइ सकत ह, वइसे कउनो भी नाहीं कइ सकत ह। बुद्धि एक दुःखी मुँह क खुस मुँहे मँ बदल देत ह।

मइँ तू पचन्स कहत हउँ कि तू पचन्क सदा ही राजा क आग्या मानइ चाही। अइसा एह बरे करा काहेकि तू पचे परमेस्सर क बचन दिहे रह्या। राजा क उपस्थिति स हटि मँ हाली जिन करा अउर बुरा जोजनन मँ सामिल जिन हो। जदि हालात प्रतिकुल होइँ तउ ओकरे इर्द-गिर्द जिन रहा काहेकि उ तउ उहइ करी जउन ओका नीक लागी। आग्यन देइ क राजा क अधिकार अहइ, कउनो नाहीं पूछ सकत कि उ का करत अहइ। जदि हुकुम क पालन करत ह तउ उ सुरच्छित रही। एक बुद्धिमान मनई जानत अहइ कि का उचित ह अउर कब अहइ।

काहेकि सबइ कार्य के लिए उचित समइ अउर रास्ता अहइ, मुला लोग उ प बदकिस्मती स काफी झूठ बोलइही। अगर अगवा अनिहचित होइ। काहेकि भविस्स मँ का होइ इ तउ ओका कउनो भी बताइ नाहीं सकत।

कउनो मँ इ सक्ती नाहीं कि उ हवा क रोक सकत। इहइ तहर स कउनो मनई मँ अइसी सक्ती नाहीं अहइ कि उ आपन मउत क रोकि देइ। जब जुद्ध चलत रहत होइ तउ कउनो भी फउजी क इ अजादी नाहीं अहइ कि उ जहाँ चाहइ चला जाइ। इहइ तरह जदि कउनो मनई बुरा करत ह तउ उ बुराई उ मनई क अजाद नाहीं रहइ देत।

मइँ इ सबइ बातन लखेउँ ह। इ जगत मँ जउन कछू घटत ह ओन बातन क बारे मँ मइँ बड़ी हलबुली मँ सोचेउँ ह उ समइ जब दूसर सासन करइ हीं ओका नोक्सान पहोंचात अहइ। 10 मइँ ओन बुरे मनइयन क बहोत बिसाल सुन्दर ल्हास-जात्रन लखेउँ ह। अउर ल्हास जात्रन क पाछे लोग जब घरे लउटत हीं तउ उ पचे जउन बुरा मनई मरि चुका अहइ ओकरे बारे मँ नीक नीक बातन करत हीं। अइसा उहइ नगर मँ हुआ करत ह जहाँ उ बुरा मनई बहोत स बुरा काम किहेस ह। इ बगैर अरथ क अहइ।

निआव प्रतिदान अउर दण्ड

11 कबहुँ कबहुँ लोग जउन बुरे काम किहेन ह, ओनके बरे ओनका तुरंत दण्ड नाहीं मिलत। एकरे कारण दूसर लोग भी बुरे करम करइ चाहइ लागत हीं।

12 कउनो पापी चाहे सैकड़न पाप करइ ओकर उमिर केतनी ही लम्बी होइ। मुला मइँ इ जानत हउँ कि जे परमेस्सर क सम्मान करब ओकर साथ उत्तिम होब। 13 बुरे लोग परमेस्सर क सम्मान नाहीं करतेन। तउ अइसे लोग अच्छा नाहीं करतेन। उ सबइ बुरे लोग अधिक समइ तलक जिअत नाहीं रइहीं। ओनकर जिन्नगी बूड़त सूरज मँ लम्बी स लम्बी होत जात छाया क नाई बड़ी नाहीं होइहीं।

14 इ धरती पइ एक बात अउर होत ह जउन मोका निआव क लायक नाहीं लागत। बुरे लोगन क संग बुरी बातन घटइ चाही अउर नीक लोगन क संग नीक बातन। मुला कबहुँ कबहुँ नीक लोगन क संग बुरा बातन घटत हीं अउर बुरे लोगन क संग नीक बातन। इ तउ निआव नाहीं अहइ। 15 तउ मइँ निहचय किहेउँ कि जिन्नगी क आनन्द लेब सबसे अच्छा अहइ। काहेकि इ जिन्नगी मँ एक मनई जउन सबसे नीक बात कइ सकत ह उ बाटइ खाब, पिअब अउर जिन्नगी क रस लेब। एहसे कम स कम मनई क इ धरती पइ ओकरे जिन्नगी क दौरान परमेस्सर करइ बरे जउन कठिन काम दिहेस ह ओकर आनन्द लेइ मँ मदद मिली।

16 इ जिन्नगी मँ लोग जउन कठिन काम करत हीं ओकर मइँ बड़े धियान क साथ अध्ययन किहेउँ ह। मइँ लखेउँ ह कि लोग केतना व्यस्त अहइँ। उ पचे अक्सर बगैर सोए राति दिन कामे मँ लगा रहत हीं। 17 परमेस्सर जउन करत ह ओन बहोत स बातन क भी मइँ लखेउँ ह कि धरती पइ परमेस्सर जउन कछू करत ह, लोग ओका समुझ नाहीं सकतेन। ओका समुझइ बरे मनई बार बार जतन करत ह। मुला फुन भी समुझ नाहीं पावत। अगर कउनो बुद्धिमान मनई इ भी कहइ कि उ परमेस्सर क कामन क समुझत ह तउ इ भी फुरइ नाहीं बाटइ। ओन सब बातन क तउ कउनो भी समुझ हीं सकत।

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Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.