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Beginning

Read the Bible from start to finish, from Genesis to Revelation.
Duration: 365 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
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अय्यूब 17-20

17 “मेरा मन टूट चुका है।
    मेरा मन निराश है।
मेरा प्राण लगभग जा चुका है।
    कब्र मेरी बाट जोह रही है।
लोग मुझे घेरते हैं और मुझ पर हँसते हैं।
    जब लोग मुझे सताते हैं और मेरा अपमान करते है, मैं उन्हें देखता हूँ।

“परमेश्वर, मेरे निरपराध होने का शपथ—पत्र मेरा स्वीकार कर।
    मेरी निर्दोषता की साक्षी देने के लिये कोई तैयार नहीं होगा।
मेरे मित्रों का मन तूने मूँदा अत:
    वे मुझे कुछ नहीं समझते हैं।
    कृपा कर उन को मत जीतने दे।
लोगों की कहावत को तू जानता है।
    मनुष्य जो ईनाम पाने को मित्र के विषय में गलत सूचना देते हैं,
    उनके बच्चे अन्धे हो जाया करते हैं।
परमेश्वर ने मेरा नाम हर किसी के लिये अपशब्द बनाया है
    और लोग मेरे मुँह पर थूका करते हैं।
मेरी आँख लगभग अन्धी हो चुकी है क्योंकि मैं बहुत दु:खी और बहुत पीड़ा में हूँ।
    मेरी देह एक छाया की भाँति दुर्बल हो चुकी है।
मेरी इस दुर्दशा से सज्जन बहुत व्याकुल हैं।
    निरपराधी लोग भी उन लोगों से परेशान हैं जिनको परमेश्वर की चिन्ता नहीं है।
किन्तु सज्जन नेकी का जीवन जीते रहेंगे।
    निरपराधी लोग शक्तिशाली हो जायेंगे।

10 “किन्तु तुम सभी आओ और फिर मुझ को दिखाने का यत्न करो कि सब दोष मेरा है।
    तुममें से कोई भी विवेकी नहीं।
11 मेरा जीवन यूँ ही बात रहा है।
    मेरी याजनाऐं टूट गई है और आशा चली गई है।
12 किन्तु मेरे मित्र रात को दिन सोचा करते हैं।
    जब अन्धेरा होता है, वे लोग कहा करते हैं, ‘प्रकाश पास ही है।’

13 “यदि मैं आशा करूँ कि अन्धकारपूर्ण कब्र
    मेरा घर और बिस्तर होगा।
14 यदि मैं कब्र से कहूँ ‘तू मेरा पिता है’
    और कीड़े से ‘तू मेरी माता है अथवा तू मेरी बहन है।’
15 किन्तु यदि वह मेरी एकमात्र आशा है तब तो कोई आशा मुझे नहीं हैं
    और कोई भी व्यक्ति मेरे लिये कोई आशा नहीं देख सकता है।
16 क्या मेरी आशा भी मेरे साथ मृत्यु के द्वार तक जायेगी?
    क्या मैं और मेरी आशा एक साथ धूल में मिलेंगे?”

अय्यूब को बिल्दद का उत्तर

18 फिर शूही प्रदेश के बिल्दद ने उत्तर देते हूए कहा:

“अय्यूब, इस तरह की बातें करना तू कब छोड़ेगा
    तुझे चुप होना चाहिये और फिर सुनना चाहिये।
    तब हम बातें कर सकते हैं।
तू क्यों यह सोचता हैं कि हम उतने मूर्ख हैं जितनी मूर्ख गायें।
अय्यूब, तू अपने क्रोध से अपनी ही हानि कर रहा है।
    क्या लोग धरती बस तेरे लिये छोड़ दे? क्या तू यह सोचता है कि
    बस तुझे तृप्त करने को परमेश्वर धरती को हिला देगा?

“हाँ, बुरे जन का प्रकाश बुझेगा
    और उसकी आग जलना छोड़ेगी।
उस के तम्बू का प्रकाश काला पड़ जायेगा
    और जो दीपक उसके पास है वह बुझ जायेगा।
उस मनुष्य के कदम फिर कभी मजबूत और तेज नहीं होंगे।
    किन्तु वह धीरे चलेगा और दुर्बल हो जायेगा।
    अपने ही कुचक्रों से उसका पतन होगा।
उसके अपने ही कदम उसे एक जाल के फन्दे में गिरा देंगे।
    वह चल कर जाल में जायेगा और फंस जायेगा।
कोई जाल उसकी एड़ी को पकड़ लेगा।
    एक जाल उसको कसकर जकड़ लेगा।
10 एक रस्सा उसके लिये धरती में छिपा होगा।
    कोई जाल राह में उसकी प्रतीक्षा में है।
11 उसके तरफ आतंक उसकी टोह में हैं।
    उसके हर कदम का भय पीछा करता रहेगा।
12 भयानक विपत्तियाँ उसके लिये भूखी हैं।
    जब वह गिरेगा, विनाश और विध्वंस उसके लिये तत्पर रहेंगे।
13 महाव्याधि उसके चर्म के भागों को निगल जायेगी।
    वह उसकी बाहों और उसकी टाँगों को सड़ा देगी।
14 अपने घर की सुरक्षा से दुर्जन को दूर किया जायेगा
    और आतंक के राजा से मिलाने के लिये उसको चलाकर ले जाया जायेगा।
15 उसके घर में कुछ भी न बचेगा
    क्योंकि उसके समूचे घर में धधकती हुई गन्धक बिखेरी जायेगी।
16 नीचे गई जड़ें उसकी सूख जायेंगी
    और उसके ऊपर की शाखाएं मुरझा जायेंगी।
17 धरती के लोग उसको याद नहीं करेंगे।
    बस अब कोई भी उसको याद नहीं करेगा।
18 प्रकाश से उसको हटा दिया जायेगा और वह अंधकार में धकेला जायेगा।
    वे उसको दुनियां से दूर भाग देंगे।
19 उसकी कोई सन्तान नहीं होगी अथवा उसके लोगों के कोई वंशज नहीं होंगे।
    उसके घर में कोई भी जीवित नहीं बचेगा।
20 पश्चिम के लोग सहमें रह जायेंगे जब वे सुनेंगे कि उस दुर्जन के साथ क्या घटी।
    लोग पूर्व के आतंकित हो सुन्न रह जायेंगे।
21 सचमुच दुर्जन के घर के साथ ऐसा ही घटेगा।
    ऐसी ही घटेगा उस व्यक्ति के साथ जो परमेश्वर की परवाह नहीं करते।”

अय्यूब का उत्तर

19 तब अय्यूब ने उत्तर देते हुए कहा:

“कब तक तुम मुझे सताते रहोगे
    और शब्दों से मुझको तोड़ते रहोगे?
अब देखों, तुमने दसियों बार मुझे अपमानित किया है।
    मुझ पर वार करते तुम्हें शर्म नहीं आती है।
यदि मैंने पाप किया तो यह मेरी समस्या है।
    यह तुम्हें हानि नहीं पहुँचाता।
तुम बस यह चाहते हो कि तुम मुझसे उत्तम दिखो।
    तुम कहते हो कि मेरे कष्ट मुझ को दोषी प्रमाणित करते हैं।
किन्तु वह तो परमेश्वर है जिसने मेरे साथ बुरा किया है
    और जिसने मेरे चारों तरफ अपना फंदा फैलाया है।
मैं पुकारा करता हूँ, ‘मेरे संग बुरा किया है।’
    लेकिन मुझे कोई उत्तर नहीं मिलता हूँ।
    चाहे मैं न्याय की पुकार पुकारा करुँ मेरी कोई नहीं सुनता है।
मेरा मार्ग परमेश्वर ने रोका है, इसलिये उसको मैं पार नहीं कर सकता।
    उसने अंधकार में मेरा मार्ग छुपा दिया है।
मेरा सम्मान परमेश्वर ने छीना है।
    उसने मेरे सिर से मुकुट छीन लिया है।
10 जब तक मेरा प्राण नहीं निकल जाता, परमेश्वर मुझ को करवट दर करवट पटकियाँ देता है।
    वह मेरी आशा को ऐसे उखाड़ता है
    जैसे कोई जड़ से वृक्ष को उखाड़ दे।
11 मेरे विरुद्ध परमेश्वर का क्रोध भड़क रहा है।
    वह मुझे अपना शत्रु कहता है।
12 परमेश्वर अपनी सेना मुझ पर प्रहार करने को भेजता है।
    वे मेरे चारों और बुर्जियाँ बनाते हैं।
    मेरे तम्बू के चारों ओर वे आक्रमण करने के लिये छावनी बनाते हैं।

13 “मेरे बन्धुओं को परमेश्वर ने बैरी बनाया।
    अपने मित्रों के लिये मैं पराया हो गया।
14 मेरे सम्बन्धियों ने मुझको त्याग दिया।
    मेरे मित्रों ने मुझको भुला दिया।
15 मेरे घर के अतिथि और मेरी दासियाँ
    मुझे ऐसे दिखते हैं मानों अन्जाना या परदेशी हूँ।
16 मैं अपने दास को बुलाता हूँ पर वह मेरी नहीं सुनता है।
    यहाँ तक कि यदि मैं सहायता माँगू तो मेरा दास मुझको उत्तर नहीं देता।
17 मेरी ही पत्नी मेरे श्वास की गंध से घृणा करती है।
    मेरे अपनी ही भाई मुझ से घृणा करते हैं।
18 छोटे बच्चे तक मेरी हँसी उड़ाते है।
    जब मैं उनके पास जाता हूँ तो वे मेरे विरुद्ध बातें करते हैं।
19 मेरे अपने मित्र मुझ से घृणा करते हैं।
    यहाँ तक कि ऐसे लोग जो मेरे प्रिय हैं, मेरे विरोधी बन गये हैं।

20 “मैं इतना दुर्बल हूँ कि मेरी खाल मेरी हड्डियों पर लटक गई।
    अब मुझ में कुछ भी प्राण नहीं बचा है।

21 “हे मेरे मित्रों मुझ पर दया करो, दया करो मुझ पर
    क्योंकि परमेश्वर का हाथ मुझ को छू गया है।
22 क्यों मुझे तुम भी सताते हो जैसे मुझको परमेश्वर ने सताया है?
    क्यों मुझ को तुम दु:ख देते और कभी तृप्त नहीं होते हो?

23 “मेरी यह कामना है, कि जो मैं कहता हूँ उसे कोई याद रखे और किसी पुस्तक में लिखे।
    मेरी यह कामना है, कि काश! मेरे शब्द किसी गोल पत्रक पर लिखी जाती।
24 मेरी यह कामना है काश! मैं जिन बातों को कहता उन्हें किसी लोहे की टाँकी से सीसे पर लिखा जाता,
    अथवा उनको चट्टान पर खोद दिया जाता, ताकि वे सदा के लिये अमर हो जाती।
25 मुझको यह पता है कि कोई एक ऐसा है, जो मुझको बचाता है।
    मैं जानता हूँ अंत में वह धरती पर खड़ा होगा और मुझे बचायेगा।
26 यहाँ तक कि मेरी चमड़ी नष्ट हो जाये, किन्तु काश,
    मैं अपने जीते जी परमेश्वर को देख सकूँ।
27 अपने लिये मैं परमेश्वर को स्वयं देखना चाहता हूँ।
    मैं चाहता हूँ कि स्वयं उसको अपनी आँखों से देखूँ न कि किसी दूसरे की आँखों से।
    मेरा मन मुझ में ही उतावला हो रहा है।

28 “सम्भव है तुम कहो, ‘हम अय्यूब को तंग करेंगे।
    उस पर दोष मढ़ने का हम को कोई कारण मिल जायेगा।’
29 किन्तु तुम्हें स्वयं तलवार से डरना चाहिये क्योंकि पापी के विरुद्ध परमेश्वर का क्रोध दण्ड लायेगा।
    तुम्हें दण्ड देने को परमेश्वर तलवार काम में लायेगा
    तभी तुम समझोगे कि वहाँ न्याय का एक समय है।”

20 इस पर नामात प्रदेश के सोपर ने उत्तर दिया:

“अय्यूब, तेरे विचार विकल है, सो मैं तुझे निश्चय ही उत्तर दूँगा।
    मुझे निश्चय ही जल्दी करनी चाहिये तुझको बताने को कि मैं क्या सोच रहा हूँ।
तेरे सुधान भरे उत्तर हमारा अपमान करते हैं।
    किन्तु मैं विवेकी हूँ और जानता हूँ कि तुझे कैसे उत्तर दिया जाना चाहिये।

4-5 “इसे तू तब से जानता है जब बहुत पहले आदम को धरती पर भेजा गया था, दुष्ट जन का आनन्द बहुत दिनों नहीं टिकता हैं।
    ऐसा व्यक्ति जिसे परमेश्वर की चिन्ता नहीं है
    वह थोड़े समय के लिये आनन्दित होता है।
चाहे दुष्ट व्यक्ति का अभिमान नभ छू जाये,
    और उसका सिर बादलों को छू जाये,
किन्तु वह सदा के लिये नष्ट हो जायेगा जैसे स्वयं उसका देहमल नष्ट होगा।
    वे लोग जो उसको जानते हैं कहेंगे, ‘वह कहाँ है’
वह ऐसे विलुप्त होगा जैसे स्वप्न शीघ्र ही कहीं उड़ जाता है। फिर कभी कोई उसको देख नहीं सकेगा,
    वह नष्ट हो जायेगा, उसे रात के स्वप्न की तरह हाँक दिया जायेगा।
वे व्यक्ति जिन्होंने उसे देखा था फिर कभी नहीं देखेंगे।
    उसका परिवार फिर कभी उसको नहीं देख पायेगा।
10 जो कुछ भी उसने (दुष्ट) गरीबों से लिया था उसकी संताने चुकायेंगी।
    उनको अपने ही हाथों से अपना धन लौटाना होगा।
11 जब वह जवान था, उसकी काया मजबूत थी,
    किन्तु वह शीघ्र ही मिट्टी हो जायेगी।

12 “दुष्ट के मुख को दुष्टता बड़ी मीठी लगती है,
    वह उसको अपनी जीभ के नीचे छुपा लेगा।
13 बुरा व्यक्ति उस बुराई को थामे हुये रहेगा,
    उसका दूर हो जाना उसको कभी नहीं भायेगा,
    सो वह उसे अपने मुँह में ही थामे रहेगा।
14 किन्तु उसके पेट में उसका भोजन जहर बन जायेगा,
    वह उसके भीतर ऐसे बन जायेगा जैसे किसी नाग के विष सा कड़वा जहर।
15 दुष्ट सम्पत्तियों को निगल जाता है किन्तु वह उन्हें बाहर ही उगलेगा।
    परमेश्वर दुष्ट के पेट से उनको उगलवायेगा।
16 दुष्ट जन साँपों के विष को चूस लेगा
    किन्तु साँपों के विषैले दाँत उसे मार डालेंगे।
17 फिर दुष्ट जन देखने का आनन्द नहीं लेंगे
    ऐसी उन नदियों का जो शहद और मलाई लिये बहा करती हैं।
18 दुष्ट को उसका लाभ वापस करने को दबाया जायेगा।
    उसको उन वस्तुओं का आनन्द नहीं लेने दिया जायेगा जिनके लिये उसने परिश्रम किया है।
19 क्योंकि उस दुष्ट जन ने दीन जन से उचित व्यवहार नहीं किया।
    उसने उनकी परवाह नहीं की और उसने उनकी वस्तुऐं छीन ली थी,
    जो घर किसी और ने बनाये थे उसने वे हथियाये थे।

20 “दुष्ट जन कभी भी तृप्त नहीं होता है,
    उसका धन उसको नहीं बचा सकता है।
21 जब वह खाता है तो कुछ नहीं छोड़ता है,
    सो उसकी सफलता बनी नहीं रहेगी।
22 जब दुष्ट जन के पास भरपूर होगा
    तभी दु:खों का पहाड़ उस पर टूटेगा।
23 दुष्ट जन वह सब कुछ खा चुकेगा जिसे वह खाना चाहता है।
    परमेश्वर अपना धधकता क्रोध उस पर डालेगा।
    उस दुष्ट व्यक्ति पर परमेश्वर दण्ड बरसायेगा।
24 सम्भव है कि वह दुष्ट लोहे की तलवार से बच निकले,
    किन्तु कहीं से काँसे का बाण उसको मार गिरायेगा।
25 वह काँसे का बाण उसके शरीर के आर पार होगा और उसकी पीठ भेद कर निकल जायेगा।
    उस बाण की चमचमाती हुई नोंक उसके जिगर को भेद जायेगी
    और वह भय से आतंकित हो जायेगा।
26 उसके सब खजाने नष्ट हो जायेंगे,
    एक ऐसी आग जिसे किसी ने नहीं जलाया उसको नष्ट करेगी,
    वह आग उनको जो उसके घर में बचे हैं नष्ट कर डालेगी।
27 स्वर्ग प्रमाणित करेगा कि वह दुष्ट अपराधी है,
    यह गवाही धरती उसके विरुद्ध देगी।
28 जो कुछ भी उसके घर में है,
    वह परमेश्वर के क्रोध की बाढ़ में बह जायेगा।
29 यह वही है जिसे परमेश्वर दुष्टों के साथ करने की योजना रचता है।
    यह वही है जैसा परमेश्वर उन्हें देने की योजना रचता है।”

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