Beginning
पलिश्ती युद्ध की तैयारी करते हैं:
28 बाद में पलिश्तियों ने अपनी सेना को इस्राएल के विरुद्ध लड़ने के लिये इकट्ठा किया। आकीश ने दाऊद से कहा, “क्या तुम समझते हो कि तुम्हें और तुम्हारे व्यक्तियों को इस्राएलियों के विरुद्ध मेरे साथ लड़ने जाना चाहिये?”
2 दाऊद ने उत्तर दिया, “निश्चय ही! तब आप स्वयं ही देखें कि मैं क्या कर सकता हूँ!”
आकीश ने कहा, “बहुत अच्छा, मैं तुम्हें अपना अंगरक्षक बनाऊँगा। तुम सदा मेरी रक्षा करोगे।”
शाऊल और स्त्री एन्दोर में
3 शमूएल मर गया था। सभी इस्राएलियों ने शमूएल की मृत्यु पर शोक मनाया था। उन्होंने शमूएल के निवास स्थान रामा में उसे दफनाया था।
इसके पहले शाऊल ने ओझाओं और भाग्यफल बताने वालों को इस्राएल छोड़ने को विवश किया था।
4 पलिश्तियों ने युद्ध की तैयारी की। वे शूनेम आए और उस स्थान पर उन्होंने अपना डेरा डाला। शाऊल ने सभी इस्राएलियों को इकट्ठा किया और अपना डेरा गिलबो में डाला। 5 शाऊल ने पलिश्ती सेना को देखा और वह भयभीत हो गया। उसका हृदय भय से धड़कने लगा। 6 शाऊल ने यहोवा से प्रार्थना की, किन्तु यहोवा ने उसे उत्तर नहीं दिया। परमेश्वर ने शाऊल से स्वप्न में बातें नहीं की। परमेश्वर ने उसे उत्तर देने के लिये ऊरीम का उपयोग भी नहीं किया और परमेश्वर ने शाऊल से बात करने के लिये भविष्यवक्ताओं का उपयोग नहीं किया। 7 अन्त में शाऊल ने अपने अधिकारियों से कहा, “मेरे लिये ऐसी स्त्री का पता लगाओ जो ओझा हो। तब मैं उससे पूछने जा सकता हूँ कि इस युद्ध में क्या होगा।”
उसके अधिकारियों ने उत्तर दिया, “एन्दोर में एक ओझा है।”
8 शाऊल ने भिन्न प्रकार के वस्त्र पहने। शाऊल ने यह इसलिये किया कि कोई व्यक्ति यह न जान सके कि वह कौन है। रात को वह अपने दो व्यक्तियों के साथ उस स्त्री से मिलने गया। शाऊल ने उस स्त्री से कहा, “प्रेत के द्वारा मुझे मेरा भविष्य बताओ। उस व्यक्ति को बुलाओ जिसका मैं नाम लूँ।”
9 किन्तु उस स्त्री ने शाऊल से कहा, “तुम जानते ही हो कि शाउल ने क्या किया है! उसने ओझाओं और भाग्यफल बताने वालों को इस्राएल देश छोड्ने को विवश किया है। तुम मुझे जाल में फँसाना और मार डालना चाहते हो।”
10 शाऊल ने यहोवा का नाम लिया और उस स्त्री से प्रतिज्ञा की, “निश्चय ही यहोवा शाश्वत है, अत: तुमको यह करने के लिये दण्ड नहीं मिलेगा।”
11 स्त्री ने पूछा, “तुम किसे चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिये यहाँ बुलाऊँ?”
शाऊल ने उत्तर दिया, “शमूएल को बुलाओ।”
12 और यह हुआ! स्त्री ने शमूएल को देखा और जोर से चीख उठी। उसने शाऊल से कहा “तुमने मुझे धोखा दिया! तुम शाऊल हो!”
13 राजा ने स्त्री से कहा, “तुम डरो नहीं! तुम क्या देख रही हो?”
उस स्त्री ने कहा, “मैं एक आत्मा को जमीन[a] से निकल कर आती देख रही हूँ।”
14 शाऊल ने पूछा, “वह कैसा दिखाई पड़ता है?”
स्त्री ने उत्तर दिया, “वह लबादा पहने एक बूढ़े की तरह दिखाई पड़ता है।”
शाऊल ने समझ लिया कि वह शमूएल था। शाऊल ने प्रणाम किया। उसका माथा जमीन से जा लगा। 15 शमूएल ने शाऊल से कहा, “तुमने मुझे क्यों परेशान किया? तुमने मुझे ऊपर क्यों बुलाया?”
शाऊल ने उत्तर दिया, “मैं मुसीबत में हूँ! पलिश्ती मेरे विरुद्ध लड़ने आए हैं और परमेश्वर ने मुझे छोड़ दिया है। परमेश्वर अब मुझको उत्तर नहीं देगा। वह मुझे उत्तर देने के लिये नबी या स्वप्न का उपयोग नहीं करेगा। यही कारण है कि मैंने तुमको बुलाया। मैं चाहता हूँ कि तुम बताओ कि मैं क्या करूँ!”
16 शमूएल ने कहा, “यहोवा ने तुमको छोड़ दिया। अब वह तुम्हारे पड़ोसी (दाऊद) के साथ है। इसलिये तुम मुझको तंग क्यों करते हो? 17 यहोवा ने वही किया जो उसने करने को कहा था। उसने मेरा उपयोग तुम्हें इन चीजों को बताने के लिये किया। यहोवा तुम से राज्य छीन रहा है और उसने वह तुम्हारा राज्य तुम्हारे पड़ोसियों को दे रहा है। वह पड़ोसी दाऊद है। 18 तुमने यहोवा की आज्ञा का पालन नहीं किया। तुमने अमालेकियों को नष्ट नहीं किया और उन्हें नहीं दिखाया कि यहोवा उन पर कितना क्रोधित है। यही कारण है कि यहोवा ने तुम्हारे साथ आज यह किया है। 19 यहोवा तुम्हें और इस्राएल को पलिश्तियों को देगा। यहोवा इस्राएल की सेना को पलिश्तियों से पराजित करायेगा और कल तुम और तुम्हारे पुत्र यहाँ मेरे साथ होंगे!”
20 शाऊल तेजी से भूमि पर गिर पड़ा और वहाँ पड़ा रहा। शाऊल शमूएल द्वारा कही गई बातों से डरा हुआ था। शाऊल बहुत कमजोर भी था क्योंकि उसने उस पूरे दिन रात भोजन नहीं किया था।
21 स्त्री शाऊल के पास आई। उसने देखा कि शाऊल सचमुच भयभीत था। उसने कहा, “देखो, मैं आपकी दासी हूँ। मैंने आपकी आज्ञा का पालन किया है। मैंने अपने जीवन को ख़तरे में डाला और जो आपने कहा, किया। 22 अब कृपया मेरी सुनें। मुझे आपको कुछ भोजन देने दें। आपको अवश्य खाना चाहिये। तब आप में इतनी शक्ति आयेगी कि आप अपने रास्ते जा सकें।”
23 लेकिन शाऊल ने इन्कार किया। उसने कहा, “मैं खाऊँगा नहीं।”
शाऊल के अधिकारियों ने उस स्त्री का साथ दिया और उससे खाने के लिये प्रार्थना की। शाऊल ने उनकी बात सुनी। वह भूमि से उठा और बिस्तर पर बैठ गया। 24 उस स्त्री के घर में एक मोटा बछड़ा था। उसने शीघ्रता से बछड़े को मारा। उसने कुछ आटा लिया और उसे अपने हाथों से गूँदा। तब उसने बिना खमीर की कुछ रोटियाँ बनाईं। 25 स्त्री ने भोजन शाऊल और उसके अधिकारियों के सामने रखा। शाऊल और उसके अधिकारियों ने खाया। तब वे उसी रात को उठे और चल पड़े।
“दाऊद हमारे साथ नहीं आ सकता है!”
29 पलिश्तियों ने अपने सभी सैनिकों को आपे में इकट्ठा किया। इस्राएलियों ने चश्मे के पास यिज्रेल में डेरा डाला। 2 पलिश्ती शासक अपनी सौ एवं हजार पुरुषों की टुकड़ियों के साथ कदम बढ़ा रहे थे। दाऊद और उसके लोग आकीश के साथ कदम बढ़ाते हुए चल रहे थे।
3 पलिश्ती अधिकारियों ने पूछा, “ये हिब्रू यहाँ क्या कर रहे हैं?”
आकीश ने पलिश्ती अधिकारियों से कहा, “यह दाऊद है। दाऊद शाऊल के अधिकारियों में से एक था। दाऊद मेरे पास बहुत समय से है। मैं दाऊद में कोई दोष तब से नहीं देखता जब से इसने शाऊल को छोड़ा और मेरे पास आया।”
4 किन्तु पलिश्ती अधिकारी आकीश पर क्रोधित हुए। उन्होंने कहा, “दाऊद को वापस भेजो! दाऊद को उस नगर में वापस जाना चाहिये जिसे तुमने उसको दिया है। वह हम लोगों के साथ युद्ध में नहीं जा सकता। यदि वह यहाँ है तो हम अपने डेरे में अपने एक शत्रु को रखे हुए हैं। वह हमारे अपने आदमियों को मार कर अपने राजा (शाऊल) को प्रसन्न करेगा। 5 दाऊद वही व्यक्ति है जिसके लिये इस गाने में इस्राएली गाते और नाचते हैं:
“शाऊल ने हजारों शत्रुओं को मारा।
किन्तु दाऊद ने दसियों हजार शत्रुओं को मार!”
6 इसलिये आकीश ने दाऊद को बुलाया। आकीश ने कहा, “यहोवा शाश्वत है, तुम हमारे भक्त हो। मैं प्रसन्न होता कि तुम मेरी सेना में सेवा करते। जिस दिन से तुम मेरे पास आए हो, मैंने तुममें कोई दोष नहीं पाया है। पलिश्ती शासक भी समझते हैं कि तुम अच्छे व्यक्ति हो 7 शान्ति से लौट जाओ। पलिश्ती शासकों के विरुद्ध कुछ न करो।”
8 दाऊद ने पुछा, “मैंने क्या गलती की है? तुमने मेरे भीतर जब से मैं तुम्हारे पास आया तब से आज तक कौन सी बुराई देखी? मेरे प्रभु, राजा के शत्रुओं के विरुद्ध तुम मुझे क्यों नहीं लड़ने देते?”
9 आकीश ने उत्तर दिया, “मैं जानता हूँ कि मैं तुम्हें पसन्द करता हूँ। तुम परमेश्वर के यहाँ से स्वर्गदूत के समान हो। किन्तु पलिश्ती अधिकारी अब भी कहते हैं, ‘दाऊद हम लोगों के साथ युद्ध में नहीं जा सकता।’ 10 सवेरे भोर होते ही तुम और तुम्हारे लोग वापस जायेंगे। उस नगर को लौट जाओ जिसे मैंने तुम्हें दिया है। उन पर ध्यान न दो जो बुरी बातें अधिकारी लोग तुम्हारे बारे में कहते हैं। अत: ज्योंही सूर्य निकले तुम चल पड़ो।”
11 इसलिए दाऊद और उसके लोग सवेरे तड़के उठे। वे पलिश्तियों के देश में लौट गए और पलिश्ती यिज्रेल को गये।
अमालेकी सिकलग पर आक्रमण करते हैं
30 तीसरे दिन, दाऊद और उसके लोग सिकलग पहुँच गए। उन्होंने देखा कि अमालेकियों ने सिकलग पर आक्रमण कर रखा है। अमालेकियों ने नेगव क्षेत्र पर आक्रमण कर रखा था। उन्होंने सिकलग पर आक्रमण किया था और नगर को जला दिया था। 2 वे सिकलग की स्त्रियों को बन्दी बना कर ले गए थे। वे जवान और बूढ़े सभी लोगों को ले गए थे। उन्होंने किसी व्यक्ति को मारा नहीं। वे केवल उनको लेकर चले गए थे।
3 दाऊद और उसके लोग सिकलग आए और उन्होंने नगर को जलते पाया। उनकी पत्नियाँ, पुत्र और पुत्रियाँ जा चुके थे। अमालेकी उन्हें ले गए थे। 4 दाऊद और उसकी सेना के अन्य लोग जोर से तब तक रोते रहे जब तक वे कमजोरी के कारण रोने के लायक नहीं रह गये। 5 आमालेकी दाऊद की दो पत्नियाँ यिज्रेल की अहीनोअम तथा कर्मेल के नाबाल की विधवा अबीगैल को ले गए थे।
6 सेना के सभी लोग दु:खी और क्रोधित थे क्योंकी उनकि पुत्र—पुत्रियाँ बन्दी बना ली गई थीं। वे पुरुष दाऊद को पत्थरों से मार डालने की बात कर रहे थे। इससे दाऊद बहुत घबरा गया। किन्तु दाऊद ने अपने यहोवा परमश्वर में शक्ति पाई। 7 दाऊद ने याजक एब्यातार से कहा, “एपोद लाओ।”
8 तब दाऊद ने यहोवा से प्रार्थना की, “क्या मुझे उन लोगों का पीछा करना चाहिए जो हमारे परिवारों को ले गये हैं? क्या मैं उन्हें पकड़ लूँगा।”
यहोवा ने अत्तर दिया, “उनका पीछा करो। तुम उन्हें पकड़ लोगे। तुम अपने परिवारों को बचा लोगे।”
दाऊद और उसके व्यक्ति मिस्री दासों को पकड़ते हैं
9 दाऊद ने अपने छ: सौ व्यक्तियों को साथ लिया और बसोर की घाटियों में गया। उनमें से कुछ लोग उसी स्थान पर ठहर गये। 10 लगभग दो सौ व्यक्ति ठहर गये क्योंकि वे अत्याधिक थके और कमजोर होने से जा नहीं सकते थे। इसलिए दाऊद और चार सौ व्यक्तियों ने अमालेकी का पीछा किया।
11 दाऊद के व्यक्तियों ने एक मिस्री को खेत में देखा। वे मिस्री को दाऊद के पास ले गये। उन्होंने पीने के लिये थोड़ा पानी और खाने के लिये भोजन दिया। 12 उन्होंने मिस्री को अंजीर की टिकिया और सूखे अगूँर के दो गुच्छे दिये। भोजन के बाद वह कुछ स्वस्थ हुआ। उसने तीन दिन और तीन रात से न कुछ खाया था, न ही पानी पीया था।
13 दाऊद ने मिस्री से पूछा, “तुम्हारा स्वामी कौन है? तुम कहाँ से आये हो?”
मिस्री ने उत्तर दिया, “मैं मिस्री हूँ। मैं एक अमालेकी का दास हूँ। तीन दिन पहले मैं बीमार पड़ गया और मेरे स्वामी ने मुझे छोड़ दिया। 14 हम लोगों ने नेगव पर आक्रमण किया जहाँ करेती[b] रहते हैं। हम लोगों ने यहूदा प्रदेश पर आक्रमण किया और नेगव क्षेत्र पर भी जहाँ कालेब लोग रहते हैं। हम लोगों ने सिकलग को भी जलाया।”
15 दाऊद ने मिस्री से पूछा, “क्या तुम उन लोगों के पास हमें पहुँचाओगे जो हमारे परिवारों को ले गए हैं?”
मिस्री ने उत्तर दिया, “तुम परमेश्वर के सामने प्रतिज्ञा करो कि तुम मुझे न मारोगे, न ही मुझे मेरे स्वामी को दोगे। यदि तुम ऐसा करोगे तो मैं उनको पकड़वाने में तुम्हारी सहायता करूँगा।”
दाऊद अमालेकी को हराता है
16 मिस्री ने दाऊद को अमालेकियों के यहाँ पहुँचाया। वे चारों ओर जमीन पर मदिरा पीते और भोजन करते हुए पड़े थे। वे पलिश्तियों और यहूदा के प्रदेश से जो बहुत सी चीजें लाए थे, उसी से उत्सव मना रहे थे। 17 दाऊद ने उन्हें हराया और उनको मार डाला। वे सूरज निकलने के अगले दिन की शाम तक लड़े। अमालेकियों में से चार सौ युवकों के अतिरिक्त जो ऊँटों पर चढ कर भाग निकले, कोई बच न सका।
18 दाऊद को अपनी दोनों पत्नियाँ वापस मिल गईं। दाऊद ने वे सभी चीज़ें वापस पाईं जिन्हें अमालेकी ले आए थे। 19 कोई चीज नहीं खोई। उन्होंने सभी बच्चे और बूढ़ों को पा लिया। उन्होंने अपने सभी पुत्रों और पुत्रियों को प्राप्त किया। उन्हें अपनी कीमती चीज़ें भी मिल गईं। उन्होंने अपनी हर एक चीज वापस पाई जो अमालेकी ले गए थे। दाऊद हर चीज लौटा लाया। 20 दाऊद ने सारी भेड़ें और पशु ले लिये। दाऊद के व्यक्तियों ने इन जानवरों को आगे चलाया। दाऊद के लोगो ने कहा, “ये दाऊद के पुरस्कार हैं।”
सभी लोगों का भाग बराबर होगा
21 दाऊद वहाँ आया जहाँ दो सौ व्यक्ति बसोर की घाटियों में ठहरे थे। ये वे व्यक्ति थे जो अत्याधिक थके और कमजोर थे। अत: दाऊद के साथ नहीं जा सके थे। वे लोग दाऊद और उन सैनिकों का स्वागत: करने बाहर आये जो उसके साथ गये थे। बसोर की घाटियों में ठहरे व्यक्तियों ने दाऊद और उसकी सेना को बधाई दी जैसे ही वे निकट आए। 22 किन्तु जो टुकड़ी दाऊद के साथ गई थी उसमें कुछ बुरे और परेशानी उत्पन्न करने वाले व्यक्ति भी थे। उन परेशानी उत्पन्न करने वालों ने कहा, “ये दो सौ व्यक्ति हम लोगों के साथ नहीं गये। इसलिये जो चीजें हम लाये हैं उनमें से कुछ भी हम इन्हें नहीं देंगे। ये व्यक्ति केवल अपनी पत्नियाँ और बच्चों को ले सकते हैं।”
23 दाऊद ने उत्तर दिया, “नहीं, मेरे भाईयो ऐसा मत करो! इस विषय में सोचो कि यहोवा ने हमें क्या दिया है! यहोवा ने हम लोगों को उस शत्रु को पराजित करने दिया है जिसने हम पर आक्रमण किया। 24 जो तुम कहते हो उसे कोई नहीं सुनेगा। उन व्यक्तियों का हिस्सा भी, जो वितरण सामग्री के साथ ठहरे, उतना ही होगा जितना उनका जो युद्ध में गए। सभी का हिस्सा एक समान होगा।” 25 दाऊद ने इसे इस्राएल के लिये आदेश और नियम बना दिया। यह नियम अब तक लागू है और चला आ रहा है।
26 दाऊद सिकलग में आया। तब उसने उन चीजों में से, जो अमालेकियों से ली थीं, कुछ को अपने मित्रों यहूदा नगर के प्रमुखों के लिये भेजा। दाऊद ने कहा, “ये भेटें आप लोगों के लिये उन चीज़ों में से हैं जिन्हें हम लोगों ने यहोवा के शत्रुओं से प्राप्त कीं।”
27 दाऊद ने उन चीजों में से जो अमालेकियों से प्राप्त हुई थीं। कुछ को बेतेल के प्रमुखों, नेगेव के रामोत यत्तीर, 28 अरोएर, सिपमोत, एश्तमो, 29 राकाल, यरहमेलियों और केनियों के नगरों, 30 होर्मा, बोराशान, अताक, 31 और हेब्रोन को भेजा। दाऊद ने उन चीज़ों में से कुछ को उन सभी स्थानों के प्रमुखों को भेजा जहाँ दाऊद और उसके लोग रहे थे।
शाऊल की मृत्यु
31 पलिश्ती इस्राएल के विरुद्ध लड़े, और इस्राएली पलिश्तियों के सामने से भाग खड़े हुए। बहुत से इस्राएली गिलबो पर्वत पर मारे गये। 2 पलिश्ती शाऊल और उसके पुत्रों से बड़ी वीरता से लड़े। पलिश्तियों ने शाऊल के पुत्रों योनातान, अबीनादाब और मल्कीश को मार डाला।
3 युद्ध शाऊल के विरुद्ध बहुत बुरा रहा। धनुर्धारियों ने शाऊल पर बाण बरसाये और शाऊल बुरी तरह घायल हो गया। 4 शाऊल ने अपने उस नौकर से, जो कवच ले कर चल रहा था, कहा, “अपनी तलवार निकालो और मुझे मार डालो। तब वे विदेशी मुझे चोट पहुँचाने और मेरा मजाक उड़ाने नहीं आएंगे।” किन्तु शाऊल के कवचवाहक ने ऐसा करना अस्वीकार कर दिया। शाऊल का सहायक बहुत भयभित था। इसलिये शाऊल ने अपनी तलवार ली और अपने को मार डाला।
5 कवचवाहक ने देखा कि शाऊल मर गया। इसलिये उसने भी अपनी तलवार से अपने को मार डाला। वह वहीं शाऊल के साथ मर गया। 6 इस प्रकार शाऊल, उसके तीन पुत्र और उसका कवचवाहक सभी एक साथ उस दिन मरे।
पलिश्ती शाऊल की मृत्यु से प्रसन्न हैं
7 इस्राएलियों ने जो घाटी की दूसरी ओर रहते थे, देखा, कि इस्राएली सेना भाग रही थी। उन्होंने देखा कि शाऊल और उसके पुत्र मर गए हैं। इसलिये उन इस्राएलियों ने अपने नगर छोड़े और भाग निकले। तब पलिश्ती आए और उन्होंने उन नगरों को ले लिया।
8 अगले दिन, पलिश्ती शवों से चीज़ें लेने आए। उन्होंने शाऊल और उसके तीनों पुत्रों को गिलबो पर्वत पर मरा पाया। 9 पलिश्तियों ने शाऊल का सिर काट लिया और उसका कवच ले लिया। वे इस समाचार को पलिश्ती लोगों और अपनी देवमूर्तियों के पूजास्थल तक ले गये। 10 उन्होंने शाऊल के कवच को आश्तोरेत के पूजास्थल में रखा। पलिश्तियों ने शाऊल का शव बेतशान की दीवार पर लटका दिया।
11 याबेश गिलाद के लोगों ने उन सभी कारनामों को सुना जो पलिश्तियों ने शाऊल के साथ किये। 12 इसलिये याबेश के सभी सैनिक बेतशान पहुँचे। वे सारी रात चलते रहे! तब उन्होंने शाऊल के शव को बेतशान की दीवार से उतारा। उन्होंने शाऊल के पुत्रों के शवों को भी उतारा। तब वे इन शवों को याबेश ले आए। वहाँ याबेश के लोगों ने शाऊल और उसके तीनों पुत्रों के शवों को जलाया। 13 तब इन लोगों ने शाऊल और उसके पुत्रों की अस्थियाँ लीं और याबेश में पेड़ के नीचे दफनायीं। तब याबेश के लोगों ने शोक मनाया। याबेश के लोगों ने सात दिन तक खाना नहीं खाया।
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