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Read the Bible from start to finish, from Genesis to Revelation.
Duration: 365 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
व्यवस्था विवरण 11-13

यहोवा का स्मरण रखो

11 “इसलिए तुम्हें अपने परमेश्वर यहोवा से प्यार करना चाहिए। तुम्हें वही करना चाहिए जो वह करने के लिए तुमसे कहता है। तुम्हें उसके विधियों, नियमों और आदेशों का सदैव पालन करना चाहिए। उन बड़े चमत्कारों को आज तुम याद करो जिन्हें यहोवा ने तुम्हें शिक्षा देने के लिए दिखाया। वे तुम लोग थे तुम्हारे बच्चे नहीं, जिन्होंने उन घटनाओं को होते देखा और उनके बीच जीवन बिताया। तुमने देखा है कि यहोवा कितना महान है। तुमने देखा है कि वह कितना शक्तिशाली है और तुमने उसके पराक्रमपूर्ण किये गए कार्यों को देखा है। तुम्हारे बच्चों ने नहीं, तुमने उसके चमत्कार देखे हैं। तुमने वह सब देखा जो उसने मिस्र के सम्राट फिरौन और उसके पूरे देश के साथ किया। तुम्हारे बच्चों ने नहीं, तुमने मिस्र की सेना, उनके घोड़ों और रथों के साथ यहोवा ने जो किया, देखा। वे तुम्हारा पीछा कर रहे थे, किन्तु तुमने देखा यहोवा ने उन्हें लालसागर के जल में डुबा दिया। तुमने देखा कि यहोवा ने उन्हें पूरी तरह नष्ट कर दिया। वे तुम थे, तुम्हारे बच्चे नहीं, जिन्होंने यहोवा अपने परमेश्वर को अपने लिए मरुभूमि में सब कुछ तब तक करते देखा जब तक तुम इस स्थान पर आ न गए। तुमने देखा कि यहोवा ने रूबेन के परिवार के एलिआब के पुत्रों दातान और अबीराम के साथ क्या किया। इस्राएल के सभी लोगों ने पृथ्वी को मुँह की तरह खुलते और उन आदमियों को निगलते देखा और पृथ्वी ने उनके परिवार, खेमे, सारे सेवकों और उनके सभी जानवरों को निगल लिया। वे तुम थे तुम्हारे बच्चे नहीं, जिन्होंने यहोवा द्वारा किये गए इन बड़े चम्तकारों को देखा।

“इसलिए तुम्हें आज जो आदेश मैं दे रहा हूँ, उन सबका पालन करना चाहिए। तब तुम शक्तिशाली बनोगे और तुम नदी को पार करने योग्य होगे और उस देश को लोगे जिसमें प्रवेश करने के लिए तुम तैयार हो। उस देश में तुम्हारी उम्र लम्बी होगी। यह वही देश है जिसे यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों और उनके वंशजों को देने का वचन दिया था। इस देश में दूध तथा शहद बहता है। 10 जो देश तुम पाओगे वह मिस्र की तरह नहीं है जहाँ से तुम आए। मिस्र में तुम बीज बोते थे और अपने पौधों को सींचने के लिए नहरों से अपने पैरों का उपयोग कर पानी निकालते थे। तुम अपने खेतों को वैसे ही सींचते थे जैसे तुम सब्जियों के बागों की सिंचाई करते थे। 11 लेकिन जो प्रदेश तुम शीघ्र ही पाओगे, वैसा नहीं है। इस्राएल में पर्वत और घाटियाँ हैं। यहाँ की भूमि वर्षा से जल प्राप्त करती है जो आकाश से गिरती है। 12 यहोवा तुम्हारा परमेश्वर उस देश की देख—रेख करता है! यहोवा तुम्हारा परमेश्वर वर्ष के आरम्भ से अन्त तक उसकी गेख—रेख करता है।

13 “तुम्हें जो आदेश मैं आज दे रहा हूँ, उसे तुम्हें सावधानी से सुनना चाहिएः यहोवा से प्रेम और उसकी सेवा पूरे हृदय और आत्मा से करनी चाहिए। यदि तुम वैसा करोगे 14 तो मैं ठीक समय पर तुम्हारी भूमि के लिए वर्षा भेजूँगा। मैं पतझड़ और बसंत के समय की भी वर्षा भेजूँगा। तब तुम अपना अन्न, नया दाखमधु और तेल इकट्ठा करोगे 15 और मैं तुम्हारे खेतों में तुम्हारे मवेशियों के लिए घास उगाऊंगा। तुम्हारे भोजन के लिए बहुत अधिक होगा।”

16 “किन्तु सावधान रहो कि मूर्ख न बनाए जाओ! दूसरे देवताओं की पूजा और सेवा के लिए उनकी ओर न मुड़ो। 17 यदि तुम ऐसा करोगे तो यहोवा तुम पर बहुत क्रोधित होगा। वह आकाश को बन्द कर देगा और वर्षा नहीं होगी। भूमि से फसल नहीं उगेगी और तुम उस अच्छे देश में शीघ्र मर जाओगे जिसे यहोवा तुम्हें दे रहा है।

18 “जिन आदेशों को मैं दे रहा हूँ, याद रखो, उन्हें हृदय और आत्मा में धारण करो। इन आदेशों को लिखो और याद दिलाने वाले चिन्ह के रूप में इन्हें अपने हाथों पर बांधों तथा ललाट पर धारण करो। 19 इन नियमों की शिक्षा अपने बच्चों को दो। इनके बारे में अपने घर में बैठे, सड़क पर टहलते, लेटते और जागते हुए बताया करो। 20 इन आदेशों को अपने घर के द्वार स्तम्भों और फाटकों पर लिखो। 21 तब तुम और तुम्हारे बच्चे उस देश में लम्बे समय तक रहेंगे जिसे यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों को देने का वचन दिया है। तुम तब तक रहोगे जब तक धरती के ऊपर आकाश रहेगा।

22 “सावधान रहो कि तुम उस हर एक आदेश का पालन करते रहो जिसे पालन करने के लिए मैने तुमसे कहा है: अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम करो, उसके बताये सभी मार्गों पर चलो और उसके ऊपर विश्वास रखने वाले बनो। 23 जब, तुम उस देश में जाओगे तब यहोवा उन सभी दूसरे राष्ट्रों को बलपूर्वक बाहर करेगा। तुम उन राष्ट्रों से भूमि लोगे जो तुम से बड़े और शक्तिशाली हैं। 24 वह सारा प्रदेश जिस पर तुम चलोगे, तुम्हारा होगा। तुम्हारा देश दक्षिण में मरुभूमि से लेकर लगातार उत्तर में लबानोन तक होगा। यह पूर्व में फरात नदी से लेकर लगातार भूमध्य सागर तक होगा। 25 कोई व्यक्ति तुम्हारे विरुद्ध खड़ा नहीं होगा। यहोवा तुम्हारा परमेश्वर उन लोगों को तुमसे भयभीत करेगा जहाँ कहीं तुम उस देश में जाओगे। यह वही है जिसके लिए यहोवा ने पहले तुमको वचन दिया था।

इस्राएलियों के लिए चुनावः आशीर्वाद या अभिशाप

26 “आज मैं तुम्हें आशीर्वाद या अभिशाप में से एक को चुनने दे रहा हूँ। 27 तुम आशीर्वाद पाओगे, यदि तुम योहवा अपने परमेश्वर के उन आदेशों पर ध्यान दोगे और उनका पालन करोगे। 28 किन्तु तुम उस समय अभिशाप पाओगे जब तुम यहोवा अपने परमेश्वर के आदेशों के पालन से इन्कार करोगे, अर्थात् जिस मार्ग पर चलने का आदेश मैं आज तुम्हें दे रहा हूँ, उससे मुड़ोगे और उन देवताओं का अनुसरण करोगे जिन्हें तुम जानते नहीं।

29 “जब यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें उस देश में पहुँचा देगा जहाँ तुम रहोगे, तब तुम्हें गरीज्जीम पर्वत की चोटी पर जाना चाहिए और वहाँ से आशीर्वादों को पढ़कर लोगों को सुनाना चाहिए। तुम्हें एबाल पर्वत की चोटी पर भी जाना चाहिए और वहाँ से अभिशापों को लोगों को सुनाना चाहिए। 30 ये पर्वत यरदन नदी की दूसरी ओर कनानी लोगों के प्रदेश में है जो यरदन घाटी में रहते हैं। ये पर्वत गिल्गाल नगर के समीप मोरे के बांज के पेड़ों के निकट पश्चिम की ओर है। 31 तुम यरदन नदी को पार करके जाओगे। तुम उस प्रदेश को लोगे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुमको दे रहा है, यह देश तुम्हारा होगा। जब तुम इस देश में रहने लगो तो 32 उन सभी विधियों और नियमों का पालन सावधानी से करो जिन्हें आज मैं तुम्हें दे रहा हूँ।

परमेश्वर की उपासना का स्थान

12 “ये विधियाँ और नियम हैं जिनका जीवन भर पालन करने के लिए तुम्हें सावधान रहना चाहिए। तुम्हें इन नियमों का पालन तब तक करना चाहिए जब तक तुम उस देश में रहो जिसे यहोवा तुम्हारे पूर्वजों का परमेश्वर, तुमको दे रहा है। तुम उस प्रदेश को उन राष्ट्रों से लोगे जो अब वहाँ रह रहे हैं। तुम्हें उन सभी जगहों को पूरी तरह नष्ट कर देना चाहिए जहाँ ये राष्ट्र अपने देवताओं की पूजा करते हैं। ये स्थान ऊँचे पहाड़ों, पहाड़ियों और हरे वृक्षों के नीचे हैं। तुम्हें उनकी वेदियों को नष्ट करना चाहिए और उनके विशेष पत्थरों को टुकड़े—टुकड़े कर देना चाहिए। तुन्हें उनके अशेरा स्तम्भों को जलाना चाहिए। उनके देवताओं की मूर्तियों को काट डालना चाहिए और उनके नाम वहाँ से मिटा देना चाहिये।

“किन्तु तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर की उपासना उस प्रकार नहीं करनी चाहिए जिस प्रकार वे लोग अपने देवताओं की पूजा करते हैं। यहोवा तुम्हारा परमेश्वर अपने मन्दिर के लिए तुम्हारे परिवार समूह से विशेष स्थान चुनेगा। वह वहाँ अपना नाम प्रतिष्ठिट करेगा। तुम्हें उसकी उपासना करने के लिए उस स्थान पर जाना चाहिए। वहाँ तुम्हें अपनी होमबलि, अपनी बलियाँ, दशमांश, अपनी विशेष भेंट, यहोवा को वचन दी गई कोई भेंट, अपनी स्वेच्छा भेंट और अपने मवेशियों के झुण्ड एवं रेवड़ के पहलौठे बच्चे लाने चाहिए। तुम और तुम्हारे परिवार वहाँ भोजन करेंगे और यहोवा तुम्हारा परमेश्वर वहाँ तुम्हारे साथ होगा। जिन अच्छी चीजों के लिये तुमने काम किया है उसका भोग तुम करोगे, क्योंकि यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुमको आशीर्वाद दिया है।

“उस समय तुम्हें उसी प्रकार उपासना करते नहीं रहना चाहिए जिस प्रकार हम उपासना करते आ रहे हैं। अभी तक हममें से हर एक जैसा चाहे परमेश्वर की उपासना कर रहा था। क्यों? क्योंकि अभी तक हम उस शान्त देश में नहीं पहुँचे थे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें दे रहा है। 10 लेकिन तुम यरदन नदी को पार करोगे और उस देश में रहोगे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें दे रहा है। वहाँ यहोवा तुम्हें सभी शत्रुओं से चैन से रहने देगा और तुम सुरक्षित रहोगे। 11 तब यहोवा अपने लिये विशेष स्थान चुनेगा वह वहाँ अपना नाम प्रतिष्ठित करेगा और तुम उन सभी चीजों को वहीं लाओगे जिनके लिए मैं आदेश दे रहा हूँ। वहीं तुम अपनी होमबलि, अपनी बलियाँ, दशमांश, अपनी विशेष भेंट, यहोवा को वचन दी गई भेंट, अपनी स्वेच्छा भेंट और अपने मवेशियों के झुण्ड एवं रेवड़ का पहलौठा बच्चा लाओ। 12 उस स्थान पर तुम अपने सभी लोगों, अपने बच्चों, सभी सेवकों और अपने नगर में रहने वाले सभी लेवीवंशियों के साथ इकट्ठे होओ। (ये लेवीवंशी अपने लिए भूमि का कोई भाग नहीं पाएंगे।) यहोवा अपने परमेश्वर के साथ वहाँ आनन्द मनाओ। 13 सावधानी बरतो कि तुम अपनी होमबलियों को जहाँ देखो वहाँ न चढ़ा दो। 14 तुम्हारे परिवार समूहों में से किसी एक के क्षेत्र में यहोवा अपना विशेष स्थान चुनेगा। वहाँ अपनी होमबलि चढ़ाओ और तुम्हें बताए गए सभी अन्य काम वहीं करो।

15 “जिस किसी जगह तुम रहो तुम नीलगाय या हिरन जैसे अच्छे जानवरों को मारकर खा सकते हो। तुम उतना माँस खा सकते हो जितना तुम चाहो, जितना यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तम्हें दे। कोई भी व्यक्ति इस माँस को खा सकता है, चाहे वह पवित्र हो या अपवित्र। 16 लेकिन तुम्हें खून नहीं खाना चाहिए। तुम्हें खून को पानी की तरह जमीन पर बहा देना चाहिए।

17 “कुछ ऐसी चीजें है जिन्हें तुम्हें उन जगहों पर नहीं खाना चाहिए जहाँ तुम रहते हो। वे चीजें ये हैः परमेश्वर के हिस्से के तुम्हारे अन्न का कोई भाग, उसके हिस्से की नई दाखमधु और तेल का कोई भाग, तुम्हारे मवेशियों के झुण्ड या रेवड़ का पहलौठा बच्चा, परमेश्वर को वचन दी गई कोई भेंट, कोई स्वेच्छा भेंट या कोई भी परमेश्वर की अन्य भेंट। 18 तुम्हें उन भेंटों को केवल उसी स्थान पर खाना चाहिए जहाँ यहोवा तुम्हारा पमेश्वर तुम्हारे साथ हो। अर्थात् यहोवा तुम्हारा परमेश्वर जिस स्थान को चुने। तुम्हें वहीं जाना चाहिए और अपने पुत्रों, पुत्रियों, सभी सेवकों और तुम्हारे नगर में रहने वाले लेवीवंशियों के साथ मिलकर खाना चाहिए। यहोवा अपने परमेश्वर के साथ वहाँ आनन्द मनाओ। जिन चीज़ों के लिए काम किया है उनका आनन्द लो। 19 ध्यान रखो कि इन भोजनों को लेवीवंशियों के साथ बाँटकर खाओ। यह तब तक करो जब तक अपने देश में रहो।

20-21 “यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने यह वचन दिया है कि वह तुम्हारे देश की सीमा को और बढ़ाएगा। जब यहोवा ऐसा करेगा तो तुम उसके चुने हुए विशेष निवास से दूर रह सकते हो। यदि यह अत्यधिक दूर हो और तुम्हें माँस की भूख है तो तुम किसी भी प्रकार के माँस को, जो तुम्हारे पास है खा सकते हो। तुम यहोवा के दिये झुण्ड और रेवड़ में से किसी भी जानवर को मार सकते हो। यह वैसे ही करो जैसा करने का आदेश मैने दिया है। यह माँस, तुम जब चाहो जहाँ भी रहो, खा सकते हौ। 22 तुम इस माँस को वैसे ही खा सकते हो जैसे नीलगाय और हिरन का माँस खाते हो। कोई भी व्यक्ति यह कर सकता है चाहे वे लोग पवित्र हों या अपवित्र हों। 23 किन्तु निश्चय ही खून न खाओ। क्यों? क्योंकि खून में जीवन है और तुम्हें वह माँस नहीं खाना चाहिए जिसमें अभी जीवन हो। 24 खून मत खाओ। तुम्हें खून को पानी की तरह जमीन पर डाल देना चाहिए। 25 तुम्हें वह सब कुछ करना चाहिए जिसे परमेश्वर उचित ठहराता है। इसलिए खून मत खाओ। तब तुम्हारा और तुम्हारे वंशजों का भला होगा।

26 “जिन चीज़ों को तुमने अर्पित किया है और जो तुम्हारी वचन दी गई भेंटें हैं उन्हें उस विशेष स्थान पर ले जाना जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर चुनेगा। 27 तुम्हें अपनी होमबलि वहीं चढ़ानी चाहिए। अपनी होमबलि का मांस और रक्त यहोवा अपने परमेश्वर की वेदी पर चढ़ाओ। तब तुम माँस खा सकते हो। 28 जो आदेश मैं दे रहा हूँ उनके पालन में सावधान रहो। जब तुम वह सब कुछ करते हो जो अच्छा है और ठीक है, जो यहोवा तुम्हारे परमेश्वर को प्रसन्न करता है तब हर चीज तुम्हारे लिए तथा तुम्हारे वंशजों के लिए सदा भली रहेगी।

29 “जब तुम दूसरे राष्ट्रों के पास अपनी धरती को लेने जाओगे तो, यहोवा उन्हें हटने के लिए विवश करेगा तथा उन्हें नष्ट करेगा। तुम वहाँ जाओगे और उनसे भूमि लोगे। तुम उनकी भूमि पर रहोगे। 30 किन्तु ऐसा हो जाने के बाद सावधान रहो! वे राष्ट्र जिन देवताओं की पूजा करते हैं उन देवताओं के पास सहायता के लिए मत जाओ! यह सीखने की कोशिश न करो कि वे अपने देवताओं की पूजा कैसे करते हैं? वे जैसे पूजा करते हैं वैसे पूजा करने के बारे में न सोचो। 31 तुम यहोवा अपने परमेश्वर की वैसे उपासना नहीं करोगे जैसे वे अपने देवताओं की करते हैं। क्यों? क्योंकि वे अपनी पूजा में सब तरह की बुरी चीजें करते हैं जिनसे यहोवा घृणा करता है। वे अपने देवताओं की बलि के लिए अपने बच्चों को भी जला देते हैं।

32 “तुम्हें उन सभी कामों को करने के लिए सावधान रहना चाहिए जिनके लिए मैं आदेश देता हूँ। जो मैं तुमसे कह रहा हूँ उसमें न तो कुछ जोड़ो, न ही उसमें से कुछ कम करो।

झूठे नबियों का क्या किया जाए

13 “कोई नबी या स्वप्न फल ज्ञाता तुम्हारे पास आ सकता है। वह यह कह सकता है कि वह कोई दैवी चिन्ह या आश्चर्यकर्म दिखाएगा। वह दैवी चिन्ह या आश्चर्यकर्म, जिसके बारे में उसने तुम्हें बताया है, वह सही हो सकता है। तब वह तुमसे कह सकता है कि तुम उन देवताओं का अनुसरण करो (जिन्हें तुम नहीं जानते।) वह तुमसे कह सकता है, ‘आओ हम उन देवताओं की सेवा करें!’ उस व्यक्ति की बातों पर ध्यान मत दो। क्यों? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारी परीक्षा ले रहा है। वह यह जानना चाहता है कि तुम पूरे हृदय और आत्मा से उस से प्रेम करते हो अथवा नहीं। तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर का अनुसरण करना चाहिए। तुम्हें उसका सम्मान करना चाहिए। यहोवा के आदेशों का पालन करो और वह करो जो वह कहता है। यहोवा की सेवा करो और उसे कभी न छोड़ो! वह नबी या स्वप्न फल ज्ञाता मार दिया जाना चाहिए। क्यों? क्योंकि वह ही है जो तुमसे यहोवा तुम्हारे परमेश्वर की आज्ञा मानने से रोक रहा है। यहोवा एक ही है जो तुमको मिस्र से बाहर लाया। उसने तुमको वहाँ की दासता के जीवन से स्वतन्त्र किया। वह व्यक्ति यह कोशिश कर रहा है कि तुम यहोवा अपने परमेश्वर के आदेश के अनुसार जीवन मत बिताओ। इसलिए अपने लोगों से बुराई को दूर करने के लिए उस व्यक्ति को अवश्य मार डालना चाहिए।

“कोई तुम्हारे निकट का व्यक्ति गुप्त रूप से दूसरे देवताओं की पूजा के लिए तुम्हें सहमत कर सकता है। यह तुम्हारा अपना भाई, पुत्र, पुत्री, तुम्हारी प्रिय पत्नी या तुम्हारा प्रिय दोस्त हो सकता है। वह व्यक्ति कह सकता है, ‘आओ चलें, दूसरे देवताओं की सेवा करें।’ (ये वैसे देवता हैं जिन्हें तुमने और तुम्हारे पूर्वजों ने कभी नहीं जाना। वे उन लोगों के देवता हैं जो तुम्हारे चारों ओर अन्य देशों में रहते हैं, कुछ समीप और कुछ बहुत दूर।) तुम्हें उस व्यक्ति के साथ सहमत नहीं होना चाहिए। उसकी बात मत सुनो। उस पर दया न दिखाओ। उसे छोड़ना नहीं। उसकी रक्षा मत करो। 9-10 तुम्हें उसे मार डालना चाहिए। तुम्हें उसे पत्थरों से मार डालना चाहिए! पत्थर उठाने वालों में तुम्हें पहला होना चाहिए और उसे मारना चाहिए। तब सभी लोगों को उसे मार देने के लिए उस पर पत्थर फेंकना चाहिए। क्यों? क्योंकि उस व्यक्ति ने तुम्हें यहोवा तुम्हारे परमेश्वर से दूर हटाने का प्रयास किया। यहोवा केवल एक है जो तुम्हें मिस्र से लाया, जहाँ तुम दास थे। 11 तब इस्राएल के सभी लोग सुनेंगे और भयभीत होंगे और वे तुम्हारे बीच और अधिक इस प्रकार के बुरे काम नहीं करेंगे।

12 “यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुमको रहने के लिए नगर दिये हैं। कभी—कभी तुम नगरों में से किसी के बारे में बुरी खबर सुन सकते हो। तुम सुन सकते हो कि 13 तुम्हारे अपने राष्ट्रों में ही कुछ बुरे लोग अपने नगर के लोगों को बुरी बातों के लिए तैयार कर रहे हैं। वे अपने नगर के लोगों से कह सकते हैं, ‘आओ चलें, दूसरे देवताओं की सेवा करें।’ (ये ऐसे देवता होंगे जिन्हें तुमने पहले नहीं जाना होगा।) 14 यदि तुम ऐसी सूचना सुनो तो तुम्हें जहाँ तक हो सके यह जानने का प्रयत्न करना चाहिए कि यह सत्य है अथवा नहीं। यदि तुम्हें मालूम होता है कि यह सत्य है, यदि प्रमाणित कर सको कि सचमुच ऐसी भयंकर बात हुई, 15 तब तुम्हें उस नगर के लोगों को अवश्य दण्ड देना चाहिए वे सभी जान से मार डाले जाने चाहिए और उनके सभी मवेशियों को भी मार डालो। तुम्हें उस नगर के लोगों को पूरी तरह नष्ट कर देना चाहिए। 16 तब तुम्हें सभी कीमती चिजों को इकट्ठा करना चाहिए और उसे नगर के बीच ले जाना चाहिए और सब चीजों को नगर के साथ जला देना चाहिए। यह तुम्हारे परमेश्वर यहोवा के लिए होमबलि होगी। नगर को सदा के लिए राख का ढेर हो जाना चाहिए यह दुबारा नहीं बनाया जाना चाहिए। 17 उस नगर की हर एक चीज़ परमेश्वर को, नष्ट करने के लिए दी जानी चाहिए। इसलिए तुम्हें कोई चीज अपने लिए नहीं रखनी चाहिए। यदि तुम इस आदेश का पालन करते हो तो यहोवा तुम पर उतना अधिक क्रोधित होने से अपने को रोक लेगा। यहोवा तुम पर दया करेगा और तरस खायेगा। वह तुम्हारे राष्ट्र को वैसा बड़ा बनाएगा जैसा उसने तुम्हारे पूर्वजों को वचन दिया था। 18 यह तब होगा जब तुम यहोवा अपने परमेश्वर की बात सुनोगे अर्थात् यदि तुम उन आदेशों का पालन करोगे जिन्हें मैं तुम्हें आज दे रहा हूँ। तुम्हें वही करना चाहिए जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर उचित बताता है।

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