Beginning
यिर्मयाह हौज में फेंक दिया जाता है
38 कुछ राजकीय अधिकारियों ने यिर्मयाह द्वारा दिये जा रहे उपदेश को सुनो। वे मत्तान के पुत्र शपन्याह, पशहूर के पुत्र गदल्याह, शेलेम्याह का पुत्र यहूकल, और मल्किय्याह का पुत्र पशहूर थे। यिर्मयाह सभी लोगों को यह सन्देश दे रहा था। 2 “जो यहोवा कहता है, वह यह है: ‘जो कोई भी यरूशलेम में रहेंगे वे सभी तलवार, भूख, भयंकर बीमारी से मरेंगे। किन्तु जो भी बाबुल की सेना को आत्मसमर्पण करेगा, जीवित रहेगा। वे लोग जीवित बचा जाये।’ 3 और यहोवा यही कहता है, ‘यह यरूशलेम नगर बाबुल के राजा की सेना को, निश्चय ही, दिया जाएगा। वह इस नगर पर अधिकार करेगा।’”
4 तब जिन राजकीय अधिकारियों ने यिर्मयाह के उस कथन को सुना जिसे वह लोगों से कह रहा था, वे राजा सिदकिय्याह के पास गए। उन्होंने राजा से कहा, “यिर्मयाह को अवश्य मार डालना चाहिये। वह उन सैनिकों को भी हतोत्साहित कर रहा है जो अब तक नगर में हैं। यिर्मयाह जो कुछ कह रहा है उससे वह हर एक का साहस तोड़ रहा है। यिर्मयाह हम लोगों का भला होता नहीं देखना चाहता। वह यरूशलेम के लोगों को बरबाद करना चाहता है।”
5 अत: राजा सिदकिय्याह ने उन अधिकारियों से कहा, “यिर्मयाह तुम लोगों के हाथ में है। मैं तुम्हें रोकने के लिये कुछ नहीं कर सकता।”
6 अत: उन अधिकारियों ने यिर्मयाह को लिया और उसे मल्किय्याह के हौज में डाल दिया। (मल्किय्याह राजा का पुत्र था।) वह हौज मन्दिर के आँगन में था जहाँ राजा के रक्षक ठहरते थे। उन अधिकारियों ने यिर्मयाह को हौज में उतारने के लिये रस्सी का उपयोग किया। हौज में पानी बिल्कुल नहीं था, उसमें केवल कीचड़ थी और यिर्मयाह कीचड़ में धंस गया।
7 किन्तु एबेदमेलेक नामक एक व्यक्ति ने सुना कि अधिकारियों ने यिर्मयाह को हौज में रखा है। एबेदमेलेक कूश का निवासी थी और वह राजा के महल में खोजा था। राजा सिदकिय्याह बिन्यामीन द्वार पर बैठा था। अत: एबेदमेलेक राजमहल से निकला और राजा से बातें करने उस द्वार पर पहुँचा। 8-9 एबेदमेलेक ने कहा, “मेरे स्वामी राजा उन अधिकारियों ने दुष्टता का काम किया है। उन्होंने यिर्मयाह नबी के साथ दुष्टता की है। उन्होंने उसे हौज में डाल दिया है। उन्होंने उसे वहाँ मरने को छोड़ दिया है।”
10 तब राजा सिदकिय्याह ने कूशी एबेदमेलेक को आदेश दिया। आदेश यह था: “एबेदमेलेक राजमहल से तुम तीन व्यक्ति अपने साथ लो। जाओ और मरने से पहले यिर्मयाह को हौज से निकालो।”
11 अत: एबेदमेलेक ने अपने साथ व्यक्तियों को लिया। किन्तु पहले वह राजमहल के भंडारगृह के एक कमरे में गया। उसने कुछ पुराने कम्बल और फटे पुराने कपड़े उस कमरे से लिये। तब उसने उन कम्बलों को रस्सी के सहारे हौज में यिर्मयाह के पास पहुँचाया। 12 कूशी एबेदमेलेक ने यिर्मयाह से कहा, “इन पुराने कम्बलों और चिथड़ों को अपनी बगल के नीचे लगाओ। जब हम लोग तुम्हें खींचेंगे तो ये तुम्हारी बाँहों के नीचे गदेले बनेंगे। तब रस्सियाँ तुम्हें चुभेंगी नहीं।” अत: यिर्मयाह ने वही किया जो एबेदमेलेक ने कहा। 13 उन लोगों ने यिर्मयाह को रस्सियों से ऊपर खींचा और हौज के बाहर निकाल लिया और यिर्मयाह मन्दिर के आँगन में रक्षकों के संरक्षण में रहा।
सिदकिय्याह यिर्मयाह से फिर प्रश्न पूछता है।
14 तब राजा सिदकिय्याह ने किसी को यिर्मयाह नबी को लाने के लिये भेजा। उसने यहोवा के मन्दिर के तीसरे द्वार पर यिर्मयाह की मंगवाया। तब राजा ने कहा, “यिर्मयाह, मैं तुमसे कुछ पूछ रहा हूँ। मुझसे कुछ भी न छिपाओ, मुझे सब ईमानदारी से बताओ।”
15 यिर्मयाह ने सिदकिय्याह से कहा, “यदि मैं आपको उत्तर दूँगा तो संभव है आप मुझे मार डालें और यदि मैं आपको सलाह भी दूँ तो आप उसे नहीं मानेंगे।”
16 किन्तु राजा सिदकिय्याह ने यिर्मयाह से शपथ खाई। सिदकिय्याह ने यह गुप्त रूप से किया। यह वह है जो सिदकिय्याह ने शपथ ली, “यिर्मयाह जैसा कि यहोवा शाश्वत है, जिसने हमें प्राण और जीवन दिया है यिर्मयाह। मैं तुम्हें मारूँगा नहीं और मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं तुम्हें उन अधिकारियों को नहीं दूँगा जो तुम्हें मार डालना चाहते हैं।”
17 तब यिर्मयाह ने राजा सिदकिय्याह से कहा, “यह वह है जिसे सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा इस्राएल के लोगों का परमेश्वर कहता है, ‘यदि तुम बाबुल के राजा के अधिकारियों को आत्मसमर्पण करोगे तो तुम्हारा जीवन बच जाएगा और यरूशलेम जलाकर राख नहीं किया जाएगा, तुम और तुम्हारा परिवार जीवित रहेगा। 18 किन्तु यदि तुम बाबुल के राजा के अधिकारियों को आत्मसमर्पण करने से इन्कार करोगे तो यरूशलेम बाबुल सेना को दे दिया जाएगा। वे यरूशलेम को जलाकर राख कर देंगे और तुम स्वयं उनसे बचकर नहीं निकल पाओगे।’”
19 तब राजा सिदकिय्याह ने यिर्मयाह से कहा, “किन्तु मैं यहूदा के उन लोगों से डरता हूँ जो पहले ही बाबुल सेना से जा मिले हैं। मुझे भय है कि सैनिक मुझे यहूदा के उन लोगों को दे देंगे और वे मेरे साथ बुरा व्यवहार करेंगे और चोट पहुँचायेंगे।”
20 किन्तु यिर्मयाह ने उत्तर दिया, “सैनिक तुम्हें यहूदा के उन लोगों को नहीं देंगे। राजा सिदकिय्याह, जो मैं कह रहा हूँ उसे करके, यहोवा की आज्ञा का पालन करो। तब सभी कुछ तुम्हारे भले के लिये होगा और तुम्हारा जीवन बच जाएगा। 21 किन्तु यदि तुम बाबुल की सेना के सामने आत्मसमर्पण करने से इन्कार करते हो तो यहोवा ने मुझे दिखा दिया है कि क्या होगा। यह वह है जो यहोवा ने मुझसे कहा है: 22 वे सभी स्त्रियाँ जो यहूदा के राजमहल में रह गई हैं बाहर लाई जाएंगी। वे बाबुल के राजा के बड़े अधिकारियों के सामने लाई जायेंगी। तुम्हारी स्त्रियाँ एक गीत द्वारा तुम्हारी खिल्ली उड़ाएंगी। जो कुछ स्त्रियाँ कहेंगी वह यह है:
“तुम्हारे अच्छे मित्र तुम्हें गलत राह ले गए
और वे तुमसे अधिक शक्तिशाली थे।
वे ऐसे मित्र थे जिन पर तुम्हारा विश्वास था।
तुम्हारे पाँव कीचड़ में फँसे हैं।
तुम्हारे मित्रों ने तुम्हें छोड़ दिया है।”
23 “तुम्हारी सभी पत्नियाँ और तुम्हारे बच्चे बाहर लाये जाएंगे। वे बाबुल सेना को दे दिये जाएंगे। तुम स्वयं बाबुल की सेना से बचकर नहीं निकल पाओगे। तुम बाबुल के राजा द्वारा पकड़े जाओगे और यरूशलेम जलाकर राख कर दिया जाएगा।”
24 तब सिदकिय्याह ने यिर्मयाह से कहा, “किसी व्यक्ति से यह मत कहना कि मैं तुमसे बातें करता रहा। यदि तुम कहोगे तो तुम मारे जाओगे। 25 वे अधिकारी पता लगा सकते हैं कि मैंने तुमसे बातें कीं। तब वे तुम्हारे पास आएंगे और तुमसे कहेंगे, ‘यिर्मयाह, यह बताओ कि तुमने राजा सिदकिय्याह से क्या कहा और हमें यह बताओ कि राजा सिदकिय्याह ने तुमसे क्या कहा हम लोगों के प्रति ईमानदार रहो और हमें सब कुछ बता दो, नहीं तो हम तुम्हें मार डालेंगे।’ 26 यदि वे तुमसे ऐसा कहें तो उनसे कहना, ‘मैं राजा से प्रार्थना कर रहा था कि वे मुझे योनातान के घर के नीचे कूप—गृह में वापस न भेजें। यदि मुझे वहाँ वापस जाना पड़ा तो मैं मर जाऊँगा।’”
27 ऐसा हुआ कि राजा के वे राजकीय अधिकारी यिर्मयाह से पूछने उसके पास आ गए। अत: यिर्मयाह ने वह सब कहा जिसे कहने का आदेश राजा ने दिया था। तब उन अधिकारियों ने यिर्मयाह को अकेले छोड़ दिया। किसी व्यक्ति को पता न चला कि यिर्मयाह और राजा ने क्या बातें कीं।
28 इस प्रकार यिर्मयाह रक्षकों के संरक्षण में मन्दिर के आँगन में उस दिन तक रहा जिस दिन यरूशलेम पर अधिकार कर लिया गया।
यरूशलेम का पतन
39 यरूशलेम पर जिस तरह अधिकार हुआ वह यह है: यहूदा के राजा सिदकिय्याह के राज्यकाल के नवें वर्ष के दसवें महीने में बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने अपनी पूरी सेना के साथ यरूशलेम के विरुद्ध कूच किया। उसने हराने के लिये नगर का घेरा डाला 2 और सिदकिय्याह के ग्यारहवें वर्ष के चौथे महीने के नौवें दिन यरूशलेम की चहारदीवारी टूटी। 3 तब बाबुल के राजा के सभी राजकीय अधिकारी यरूशलेम नगर में घुस आए। वे अन्दर आए और बीच वाले द्वार पर बैठ गए। उन अधिकारियों के नाम ये हैं: समगर जिले का प्रशासक नेर्गलसरेसेर एक बहुत उच्च अधिकारी नेबो—सर्सकीम अन्य उच्च अधिकारी और बहुत से अन्य बड़े अधिकारी भी वहाँ थे।
4 यहूदा के राजा सिदकिय्याह ने बाबुल के उन पदाधिकारियों को देखा, अत: वह और उसके सैनिक वहाँ से भाग गये। उन्होंने रात में यरूशलेम को छोड़ा और राजा के बाग से होकर बाहर निकले। वे उस द्वार से गए जो दो दीवारों के बीच था। तब वे मरुभूमि की ओर बढ़े। 5 किन्तु बाबुल की सेना ने सिदकिय्याह और उसके साथ की सेना का पीछा किया। कसदियों की सेना ने यरीहो के मैदान में सिदकिय्याह को जा पकड़ा उन्होंने सिदकिय्याह को पकड़ा और उसे बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर के पास ले गए। नबूकदनेस्सर हमात प्रदेश के शिब्ला नगर में था। उस स्थान पर नबूकदनेस्सर ने सिदकिय्याह के लिये निर्णय सुनाया। 6 वहाँ रिबला नगर में बाबुल के राजा ने सिदकिय्याह के पुत्रों को उसके सामने मार डाला और सिदकिय्याह के सामने ही नबूकदनेस्सर ने यहूदा के सभी राजकीय अधिकारियों को मार डाला। 7 तब नबूकदनेस्सर ने सिदकिय्याह की आँखे निकाल लीं। उसने सिदकिय्याह को काँसे की जंजीर से बाँधा और उसे बाबुल ले गया।
8 बाबुल की सेना ने राजमहल और यरूशलेम के लोगों के घरों में आग लगा दी और उन्होंने यरूशलेम की दीवारें गिरा दीं। 9 नबूजरदान नामक एक व्यक्ति बाबुल के राजा के विशेष रक्षकों का अधिनायक था। उसने उन लोगों को लिया जो यरूशलेम में बच गए थे और उन्हें बन्दी बना लिया। वह उन्हें बाबुल ले गया। नबूजरदान ने यरूशलेम के उन लोगों को भी बन्दी बनाया जो पहले ही उसे आत्मसमर्पण कर चुके थे। उसने यरूशलेम के अन्य सभी लोगों को बन्दी बनाया और उन्हें बाबुल ले गया। 10 किन्तु विशेष रक्षकों के अधिनायक नबूजरदान ने यहूदा के कुछ गरीब लोगों को अपने पीछे छोड़ दिया। वे ऐसे लोग थे जिनके पास कुछ नहीं था। इस प्रकार उस दिन नबूजरदान ने उन यहूदा के गरीब लोगों को अंगूर के बाग और खेत दिये।
11 किन्तु नबूकदनेस्सर ने नबूजरदान को यिर्मयाह के बारे में कुछ आदेश दिये। नबूजरदान, नबूकदनेस्सर के विशेष रक्षकों का अधिनायक था। आदेश ये थे: 12 “यिर्मयाह को ढूँढों और उसकी देख—रेख करो। उसे चोट न पहुँचाओ। उसे वह सब दो, जो वह माँगे।”
13 अत: राजा के विशेष रक्षकों के अधिनायक नबूजरदान बाबुल की सेना का एक मुख्य पदाधिकारी नबूसजबान एक उच्च अधिकारी नेर्गलसरेसेर और बाबुल की सेना के अन्य सभी अधिकारी यिर्मयाह की खोज में भेजे गए। 14 न लोगों ने यिर्मयाह को मन्दिर के आँगन से निकाला जहाँ वह यहूदा के राजा के रक्षकों के संरक्षण में पड़ा था। कसदी सेना के उन अधिकारियों ने यिर्मयाह को गदल्याह के सुपुर्द किया। गदल्याह अहीकाम का पुत्र था। अहीकाम शापान का पुत्र था। गदल्याह को आदेश था कि वह यिर्मयाह को उसके घर वापस ले जाये। अत: यिर्मयाह अपने घर पहुँचा दिया गया और वह अपने लोगों में रहने लगा।
एबेदमेलेक को यहोवा से सन्देश
15 जिस समय यिर्मयाह रक्षकों के संरक्षण में मन्दिर के आँगन में था, उसे यहोवा का एक सन्देश मिला। सन्देश यह था, 16 “यिर्मयाह, जाओ और कूश के एबेदमेलेक को यह सन्देश दो: यह वह सन्देश है, जिसे सर्वशक्तिमान यहोवा इस्राएल के लोगों का परमेश्वर देता है: ‘बहुत शीघ्र ही मैं इस यरूशलेम नगर सम्बन्धी अपने सन्देशों को सत्य घटित करूँगा। मेरा सन्देश विनाश लाकर सत्य होगा। अच्छी बातों को लाकर नहीं। तुम सभी इस सत्य को घटित होता हुआ अपनी आँखों से देखोगे। 17 किन्तु एबेदमेलेक उस दिन मैं तुम्हें बचाऊँगा।’ यह यहोवा का सन्देश है। ‘तुम उन लोगों को नहीं दिये जाओगे जिनसे तुम्हें भय है। 18 एबेदमेलेक मैं तुझे बचाऊँगा। तुम तलवार के घाट नहीं उतारे जाओगे, अपितु बच निकलोगे और जीवित रहोगे। ऐसा होगा, क्योंकि तुमने मुझ पर विश्वास किया है।’” यह सन्देश यहोवा का है।
यिर्मयाह स्वतन्त्र किया जाता है
40 रामा नगर में स्वतन्त्र किये जाने के बाद यिर्मयाह को यहोवा का सन्देश मिला। बाबुल के राजा के विशेष रक्षकों के अधिनायक नबूजरदान को यिर्मयाह रामा में मिला। यिर्मयाह जंजीरों में बंधा था। वह यरूशलेम और यहूदा के सभी बन्दियों के साथ था। वे बन्दी बाबुल को बन्धुवाई में ले जाए जा रहे थे। 2 जब अधिनायक नबूजरदान को यिर्मयाह मिला तो उसने उससे बातें कीं। उसने कहा, “यिर्मयाह तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने यह घोषित किया था कि यह विपत्ति इस स्थान पर आएगी 3 और अब यहोवा ने सब कुछ वह कर दिया है जिसे उसने करने को कहा था। यह विपत्ति इसलिये आई कि यहूदा के लोगों, तुमने यहोवा के विरुद्ध पाप किये। तुम लोगों ने यहोवा की आज्ञा नहीं मानी। 4 किन्तु यिर्मयाह, अब मैं तुम्हें स्वतन्त्र करता हूँ। मैं तुम्हारी कलाइयों से जंजीर उतार रहा हूँ। यदि तुम चाहो तो मेरे साथ बाबुल चलो और मैं तुम्हारी अच्छी देखभाल करूँगा। किन्तु यदि तुम मेरे साथ चलना नहीं चाहते तो न चलो। देखो पूरा देश तुम्हारे लिये खुला है। तुम जहाँ चाहो जाओ। 5 अथवा शापान के पुत्र अहीकाम के पुत्र गदल्याह के पास लौट जाओ। बाबुल के राजा ने यहूदा के नगरों का प्रशासक गदल्याह को चुना है। जाओ और गदल्याह के साथ लोगों के बीच रहो या तुम जहाँ चाहो जा सकते हो।”
तब नबूजरदान ने यिर्मयाह को कुछ भोजन और भेंट दिया तथा उसे विदा किया। 6 इस प्रकार यिर्मयाह अहीकाम के पुत्र गदल्याह के पास मिस्पा गया। यिर्मयाह गदल्याह के साथ उन लोगों के बीच रहा जो यहूदा देश में छोड़ दिये गए थे।
गदल्याह का अल्पकालीन शासन
7 यहूदा की सेना के कुछ सैनिक, अधिकारी और उनके लोग, जब यरूशलेम नष्ट हो रहा था, खुले मैदान में थे। उन सैनिकों ने सुना कि अहीकाम के पुत्र गदल्याह को बाबुल के राजा ने प्रदेश में बचे लोगों का प्रशासक नियुक्त किया है। बचे हुए लोगों में वे सभी स्त्री, पुरुष और बच्चे थे जो बहुत अधिक गरीब थे और बन्दी बनाकर बाबुल नहीं पहुँचाये गए थे। 8 अत: वे सैनिक गदल्याह के पास मिस्पा में आए। वे सैनिक नतन्याह का पुत्र इश्माएल, योहानान और उसका भाई योनातान, कारेह के पुत्र तन्हूसेत का पुत्र सरायाह, नतोपावासी एपै के पुत्र माकावासी का पुत्र याजन्याह और उनके साथ के पुरुष थे।
9 शापान के पुत्र अहीकाम के पुत्र गदल्याह ने उन सैनिकों और उनके लोगों को अधिक सुरक्षित अनुभव कराने की शपथ खाई। गदल्याह ने जो कहा, वह यह है: “सैनिकों तुम लोग कसदी लोगों की सेवा करने से भयभीत न हो। इस प्रदेश में बस जाओ और बाबुल के राजा की सेवा करो। यदि तुम ऐसा करोगे तो तुम्हारा सब कुछ भला होगा। 10 मैं स्वयं मिस्पा में रहूँगा। मैं उन कसदी लोगों से तुम्हारे लिये बातें करूँगा जो यहाँ आएंगे। तुम लोग यह काम मुझ पर छोड़ो। तुम्हें दाखमधु ग्रीष्म के फल और तेल पैदा करना चाहिये। जो तुम पैदा करो उसे अपने इकट्ठा करने के घड़ों में भरो। उन नगरों में रहो जिस पर तुमने अधिकार कर लिया है।”
11 यहूदा के सभी लोगों ने, जो मोआब, अम्मोन, एदोम और अन्य सभी प्रदेशों में थे, सुना कि बाबुल के राजा ने यहूदा के कुछ लोगों को उस देश में छोड़ दिया है और उन्होंने यह सुना कि बाबुल के राजा ने शापान के पौत्र एवं अहीकाम के पुत्र गदल्याह को उनका प्रशासक नियुक्त किया है। 12 जब यहूदा के लोगों ने यह खबर पाई, तो वे यहूदा प्रदेश में लौट आए। वे गदल्याह के पास उन सभी देशों से मिस्पा लौटे, जिनमें वे बिखर गए थे। अत: वे लौटे और उन्होंने दाखमधु और ग्रीष्म फलों की बड़ी फसल काटी।
13 कारेह का पुत्र योहानान और यहूदा की सेना के सभी अधिकारी, जो अभी तक खुले प्रदेशों में थे, गदल्याह के पास आए। गदल्याह मिस्पा नगर में था। 14 योहानान और उसके साथ के अधिकारियों ने गदल्याह से सहा, “क्या तुम्हें मालूम है कि अम्मोनी लोगों का राजा बालीस तुम्हें मार डालना चाहता है उसने नतन्याह के पुत्र इश्माएल को तुम्हें मार डालने के लिये भेजा है।” किन्तु अहीकाम के पुत्र गदल्याह ने उन पर विश्वास नहीं किया।
15 तब कारेह के पुत्र योहानान ने मिस्पा में गदल्याह से गुप्त वार्ता की। योहानान ने गदल्याह से कहा, “मुझे जाने दो और नतन्याह के पुत्र इश्माएल को मार डालने दो। कोई भी व्यक्ति इस बारे में नहीं जानेगा। हम लोग इश्माएल को तुम्हें मारने नहीं देंगे। वह यहूदा के उन सभी लोगों को जो तुम्हारे पास इकट्ठे हुए हैं, विभिन्न देशों में फिर से बिखेर देगा और इसका यह अर्थ होगा कि यहूदा के थोड़े से बचे—खुचे लोग भी नष्ट हो जायेंगे।”
16 किन्तु अहीकाम के पुत्र गदल्याह ने कारेह के पुत्र योहानान से कहा, “इश्माएल को न मारो। इश्माएल के बारे में जो तुम कह रहे हो, वह सत्य नहीं है।”
41 सातवें महीने में नतन्याह (एलीशामा का पुत्र) का पुत्र इश्माएल, अहीकाम के पुत्र गदल्याह के पास आया। इश्माएल अपने दस व्यक्तियों के साथ आया। वे लोग मिस्पा नगर में आए थे। इश्माएल राजा के परिवार का सदस्य था। वह यहूदा के राजा के अधिकारियों में से एक था। इश्माएल और उसके लोगों ने गदल्याह के साथ खाना खाया। 2 जब वे साथ भोजन कर रहे थे तभी इश्माएल और उसके दस व्यक्ति उठे और अहीकाम के पुत्र गदल्याह को तलवार से मार दिया। गदल्याह वह व्यक्ति था जिसे बाबुल के राजा ने यहूदा का प्रशासक चुना था। 3 इश्माएल ने यहूदा के उन सभी लोगों को भी मार डाला जो मिस्पा में गदल्याह के साथ थे। इश्माएल ने उन कसदी सैनिकों को भी मार डाला जो गदल्याह के साथ थे।
4-5 गदल्याह की हत्या के एक दिन बाद अस्सी व्यक्ति मिस्पा आए। वे अन्नबलि और सुगन्धि यहोवा के मन्दिर के लिये ला रहे थे। उन अस्सी व्यक्तियों ने अपनी दाढ़ी मुड़ा रखी थी, अपने वस्त्र फाड़ डाले थे और अपने को काट रखा था। वे शकेम, शीलो और शोमरोन से आए थे। इनमें से कोई भी यह नहीं जानता था कि गदल्याह की हत्या कर दी गई है। 6 इश्माएल मिस्पा नगर से उन अस्सी व्यक्तियों से मिलने गया। उनसे मिलने जाते समय वह रोता रहा। इश्माएल उन अस्सी व्यक्तियों से मिला और उसने कहा, “अहीकाम के पुत्र गदल्याह से मिलने मेरे साथ चलो।”
7 वे अस्सी व्यक्ति मिस्पा नगर में गए। तब इश्माएल और उसके व्यक्तियों ने उनमें से सत्तर लोगों को मार डाला। इश्माएल और उसके व्यक्तियों ने उन सत्तर व्यक्तियों के शवों को एक गहरे हौज में डाल दिया।
8 किन्तु बचे हुए दस व्यक्तियों ने इश्माएल से कहा, “हमें मत मारो। हमारे पास गेहूँ और जौ है और हमारे पास तेल और शहद है। हम लोगों ने उन चीज़ों को एक खेत में छिपा रखा है।” अत: इश्माएल ने उन व्यक्तियों को छोड़ दिया। उसने अन्य लोगों के साथ उनको नहीं मारा। 9 (वह हौज बहुत बड़ा था। यह यहूदा के आसा नामक राजा द्वारा बनवाया गया था। राजा आसा ने उसे इसलिये बनाया था कि युद्ध के दिनों में नगर को उससे पानी मिलता रहे। आसा ने यह काम इस्राएल के राजा बाशा से नगर की रक्षा के लिये किया था। इश्माएल ने उस हौज में इतने शव डाले कि वह भर गया।)
10 इश्माएल ने मिस्पा नगर के अन्य सभी लोगों को भी पकड़ा। (उन लोगों में राजा की पुत्रियाँ और वे अन्य सभी लोग थे जो वहाँ बच गए थे। वे ऐसे लोग थे जिन्हें नबूजरदान ने गदल्याह पर नजर रखने के लिये चुना था। नबूजरदान बाबुल के राजा के विशेष रक्षकों का अधिनायक था। अत: इश्माएल ने उन लोगों को पकड़ा और अम्मोनी लोगों के देश में जाने के लिये बढ़ना आरम्भ किया।)
11 कारेह का पुत्र योहानान और उसके साथ के सभी सैनिक अधिकारियों ने उन सभी दुराचारों को सुना जो इश्माएल ने किये। 12 इसलिये योहानान और उसके साथ के सैनिक अधिकारियों ने अपने व्यक्तियों को लिया और नतन्याह के पुत्र इश्माएल से लड़ने गए। उन्होंने इश्माएल को उस बड़े पानी के हौज के पास पकड़ा जो गिबोन नगर में है। 13 उन बन्दियों ने जिन्हें इश्माएल ने बन्दी बनाया था, योहानान और सैनिक अधिकारियों को देखा। वे लोग अति प्रसन्न हुए। 14 तब वे सभी लोग जिन्हें इश्माएल ने मिस्पा में बन्दी बनाया था, कारेह के पुत्र योहानान के पास दौड़ पड़े। 15 किन्तु इश्माएल और उसके आठ व्यक्ति जोहानान से बच निकले। वे अम्मोनी लोगों के पास भाग गये।
16 अत: कारेह के पुत्र योहानान और उसके सभी सैनिक अधिकारियों ने बन्दियों को बचा लिया। इश्माएल ने गदल्याह की हत्या की थी और उन लोगों को मिस्पा से पकड़ लिया था। बचे हुए लोगों में सैनिक, स्त्रियाँ, बच्चे और अदालत के अधिकारी थे। योहानान उन्हें गिबोन नगर से वापस लाया।
मिस्र को बच निकलना
17-18 योहानान तथा अन्य सैनिक अधिकारी कसदियों से भयभीत थे। बाबुल के राजा ने गदल्याह को यहूदा का प्रशासक चुना था। किन्तु इश्माएल ने गदल्याह की हत्या कर दी थी और योहानान को भय था कि कसदी क्रोधित होंगे। अत: उन्होंने मिस्र को भाग निकलने का निश्चय किया। मिस्र के रास्ते में वे गेरथ किम्हाम में रुके। गेरथ किम्हाम बेतलेहेम नगर के पास है।
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