Beginning
दुष्ट लोगों को अपना जीवन बदलना चाहिये
59 देखो, तुम्हारी रक्षा के लिये यहोवा की शक्ति पर्याप्त है। जब तुम सहायता के लिये उसे पुकारते हो तो वह तुम्हारी सुन सकता है। 2 किन्तु तुम्हारे पाप तुम्हें तुम्हारे परमेश्वर से अलग करते हैं और इसीलिए वह तुम्हारी तरफ से कान बन्द कर लेता है। 3 तुम्हारे हाथ गन्दे हैं, वे खून से सने हुए हैं। तुम्हारी उँगलियाँ अपराधों से भरी हैं। अपने मुँह से तुम झूठ बोलते हो। तुम्हारी जीभ बुरी बातें करती है। 4 दूसरे व्यक्ति के बारे में कोई व्यक्ति सच नहीं बोलता। लोग अदालत में एक दूसरे के खिलाफ़ मुकद्दमा करते हैं। अपने मुकद्दमे जीतने के लिये वे झूठे तकर् पर निर्भर करते हैं। वे एक दूसरे के बारे में परस्पर झूठ बोलते हैं। वे कष्ट को गर्भ में धारण करते हैं और बुराईयों को जन्म देते हैं। 5 वे साँप के विष भरे अण्डों के समान बुराई को सेते हैं। यदि उनमें से तुम एक अण्डा भी खा लो तो तुम्हारी मृत्यु हो जाये और यदि तुम उनमें से किसी अण्डे को फोड़ दो तो एक ज़हरीला नाग बाहर निकल पड़े।
लोग झूठ बोलते हैं। यह झूठ मकड़ी के जालों जैसी कपड़े नहीं बन सकते। 6 उन जालों से तुम अपने को ढक नहीं सकते।
कुछ लोग बदी करते हैं और अपने हाथों से दूसरों को हानि पहुँचाते हैं। 7 ऐसे लोग अपने पैरों का प्रयोग बदी के पास पहुँचने के लिए करते हैं। ये लोग निर्दोष व्यक्तियों को मार डालने की जल्दी में रहते हैं। वे बुरे विचारों में पड़े रहते हैं। वे जहाँ भी जाते हैं विनाश और विध्वंस फैलाते हैं। 8 ऐसे लोग शांति का मार्ग नहीं जानते। उनके जीवन में नेकी तो होती ही नहीं। उनके रास्ते ईमानदारी के नहीं होते। कोई भी व्यक्ति जो उनके जैसा जीवन जीता है, अपने जीवन में कभी शांति नहीं पायेगा।
इस्राएल के पापों से विपत्ति का आना
9 इसलिए परमेश्वर का न्याय और मुक्ति हमसे बहुत दूर है।
हम प्रकाश की बाट जोहते हैं।
पर बस केवल अन्धकार फैला है।
हमको चमकते प्रकाश की आशा है
किन्तु हम अन्धेरे में चल रहे हैं।
10 हम ऐसे लोग हैं जिनके पास आँखें नहीं है।
नेत्रहीन लोगों के समान हम दीवारों को टटोलते चलते हैं।
हम ठोकर खाते हैं और गिर जाते हैं जैसे यह रात हो।
दिन के प्रकाश में भी हम मुर्दों की भाँति गिर पड़ते हैं।
11 हम सब बहुत दु:खी हैं।
हम सब ऐसे कराहते हैं जैसे कोई रीछ और कोई कपोत कराहता हैं।
हम ऐसे उस समय की बाट जोह रहे हैं जब लोग निष्पक्ष होंगे किन्तु अभी तक तो कहीं भी नेकी नहीं है।
हम उद्धार की बाट जोह रहे हैं किन्तु उद्धार बहुत—बहुत दूर है।
12 क्यों क्योंकि हमने अपने परमेश्वर के विरोध में बहुत पाप किये हैं।
हमारे पाप बताते हैं कि हम बहुत बुरे हैं।
हमें इसका पता है कि हम इन बुरे कर्मों को करने के अपराधी हैं।
13 हमने पाप किये थे और हमने अपने यहोवा से मुख मोड़ लिया था।
यहोवा से हम विमुख हुए और उसे त्याग दिया। हमने बुरे कर्मों की योजना बनाई थी।
हमने ऐसी उन बातों की योजना बनाई थी जो हमारे परमेश्वर के विरोध में थी।
हमने वे बातें सोची थी और दूसरों को सताने की योजना बनाई थी।
14 हमसे नेकी को पीछे ढकेला गया।
निष्पक्षता दूर ही खड़ी रही।
गलियों में सत्य गिर पड़ा था
मानों नगर में अच्छाई का प्रवेश नहीं हुआ।
15 सच्चाई चली गई और वे लोग लूटे गये जो भला करना चाहते थे।
यहोवा ने ढूँढा था किन्तु कोई भी, कहीं भी अच्छाई न मिल पायी।
16 यहोवा ने खोज देखा किन्तु उसे कोई व्यक्ति नहीं मिला
जो लोगों के साथ खड़ा हो और उनको सहारा दे।
इसलिये यहोवा ने स्वयं अपनी शक्ति का और स्वयं अपनी नेकी का प्रयोग किया
और यहोवा ने लोगों को बचा लिया।
17 यहोवा ने नेकी का कवच पहना।
यहोवा ने उद्धार का शिरस्त्राण धारण किया।
यहोवा ने दण्ड के बने वस्त्र पहने थे।
यहोवा ने तीव्र भावनाओं का चोगा पहना था
18 यहोवा अपने शत्रु पर क्रोधित है सो यहोवा उन्हें ऐसा दण्ड देगा जैसा उन्हें मिलना चाहिये।
यहोवा अपने शत्रुओं से कुपित है सो यहोवा सभी दूर—दूर के देशों के लोगों को दण्ड देगा।
यहोवा उन्हें वैसा दण्ड देगा जैसा उन्हें मिलना चाहिये।
19 फिर पश्चिम के लोग यहोवा के नाम को आदर देंगे
और पूर्व के लोग यहोवा की महिमा से भय विस्मित हो जायेंगे।
यहोवा ऐसे ही शीघ्र आ जायेगा जैसे तीव्र नदी बहती हुई आ जाती है।
यह उस तीव्र वायु वेग सा होगा जिसे यहोवा उस नदी को तूफान बहाने के लिये भेजता है।
20 फिर सिय्योन पर्वत पर एक उद्धार कर्ता आयेगा।
वह याकूब के उन लोगों के पास आयेगा जिन्होंने पाप तो किये थे किन्तु जो परमेश्वर की ओर लौट आए थे।
21 यहोवा कहता है: “मैं उन लोगों के साथ एक वाचा करूँगा। मैं वचन देता हूँ मेरी आत्मा और मेरे शब्द जिन्हें मैं तेरे मुख में रख रहा हूँ तुझे कभी नहीं छोड़ेंगे। वे तेरी संतानों और तेरे बच्चों के बच्चों के साथ रहेंगे। वे आज तेरे साथ रहेंगे और सदा—सदा तेरे साथ रहेंगे।”
परमेश्वर आ रहा है
60 “हे यरूशलेम, हे मेरे प्रकाश, तू उठ जाग!
तेरा प्रकाश (परमेश्वर) आ रहा है!
यहोवा की महिमा तेरे ऊपर चमकेगी।
2 आज अन्धेरे ने सारा जग
और उसके लोगों को ढक रखा है।
किन्तु यहोवा का तेज प्रकट होगा और तेरे ऊपर चमकेगा।
उसका तेज तेरे ऊपर दिखाई देगा।
3 उस समय सभी देश तेरे प्रकाश (परमेश्वर) के पास आयेंगे।
राजा तेरे भव्य तेज के पास आयेंगे।
4 अपने चारों ओर देख! देख, तेरे चारों ओर लोग इकट्ठे हो रहे हैं और तेरी शरण में आ रहे हैं।
ये सभी लोग तेरे पुत्र हैं जो दूर अति दूर से आ रहे हैं और उनके साथ तेरी पुत्रियाँ आ रही हैं।
5 “ऐसा भविष्य में होगा और ऐसे समय में जब तुम अपने लोगों को देखोगे
तब तुम्हारे मुख खुशी से चमक उठेंगे।
पहले तुम उत्तेजित होगे
किन्तु फिर आनन्दित होवोगे।
समुद्र पार देशों की सारी धन दौलत तेरे सामने धरी होगी।
तेरे पास देशों की सम्पत्तियाँ आयेंगी।
6 मिद्यान और एपा देशों के ऊँटों के झुण्ड तेरी धरती को ढक लेंगे।
शिबा के देश से ऊँटों की लम्बी पंक्तियाँ तेरे यहाँ आयेंगी।
वे सोना और सुगन्ध लायेंगे।
लोग यहोवा के प्रशंसा के गीत गायेंगे।
7 केदार की भेड़ें इकट्ठी की जायेंगी
और तुझको दे दी जायेंगी।
नबायोत के मेढ़े तेरे लिये लाये जायेंगे।
वे मेरी वेदी पर स्वीकर करने के लायक बलियाँ बनेंगे
और मैं अपने अद्भुत मन्दिर
और अधिक सुन्दर बनाऊँगा।
8 इन लोगों को देखो!
ये तेरे पास ऐसी जल्दी में आ रहे हैं जैसे मेघ नभ को जल्दी पार करते हैं।
ये ऐसे दिख रहे हैं जैसे अपने घोंसलों की ओर उड़ते हुए कपोत हों।
9 सुदूर देश मेरी प्रतिक्षा में हैं।
तर्शीश के बड़े—बड़े जलयान जाने को तत्पर है।
ये जलयान तेरे वंशजों को दूर—दूर देशों से लाने को तत्पर हैं
और इन जहाजों पर उनका स्वर्ण उनके साथ आयेगा और उनकी चाँदी भी ये जहाज लायेंगे।
ऐसा इसलिये होगा कि तेरे परमेश्वर यहोवा का आदर हो।
ऐसा इसलिये होगा कि इस्राएल का पवित्र अद्भुत काम करता है।
10 दूसरे देशों की सन्तानें तेरी दीवारें फिर उठायेंगी
और उनके शासक तेरी सेवा करेंगे।
“ब मैं तुझसे क्रोधित हुआ था, मैंने तुझको दु:ख दिया
किन्तु अब मेरी इच्छा है कि तुझ पर कृपालु बनूँ।
इसलिये तुझको मैं चैन दूँगा।
11 तेरे द्वार सदा ही खुले रहेंगे।
वे दिन अथवा रात में कभी बन्द नहीं होंगे।
देश और राजा तेरे पास धन लायेंगे।
12 कुछ जाति और कुछ राज्य तेरी सेवा नहीं करेंगे किन्तु वे जातियाँ
और राज्य नष्ट हो जायेंगे।
13 लबानोन की सभी महावस्तुएं तुझको अर्पित की जायेंगी।
लोग तेरे पास देवदार, तालीशपत्र और सरों के पेड़ लायेंगे।
यह स्थान मेरे सिहांसन के सामने एक चौकी सा होगा
और मैं इसको बहुत मान दूँगा।
14 वे ही लोग जो पहले तुझको दु:ख दिया करते थे, तेरे सामने झुकेंगे।
वे ही लोग जो तुझसे घृणा करते थे, तेरे चरणों में झुक जायेंगे।
वे ही लोग तुझको कहेंगे, ‘यहोवा का नगर,’ ‘सिय्योन नगर इस्राएल के पवित्र का है।’
15 “फिर तुझको अकेला नहीं छोड़ा जायेगा।
फिर कभी तुझसे घृणा नहीं होगी।
तू फिर से कभी भी उजड़ेगी नहीं।
तू महान रहेगी, तू सदा और सर्वदा आनन्दित रहेगी।
16 तेरी जरूरत की वस्तुएँ तुझको जातियाँ प्रदान करेंगी।
यह इतना ही सहज होगा जैसे दूध मुँह बच्चे को माँ का दूध मिलता है।
वैसे ही तू शासकों की सम्पत्तियाँ पियेगी।
तब तुझको पता चलेगा कि यह मैं यहोवा हूँ जो तेरी रक्षा करता है।
तुझको पता चल जायेगा कि वह याकूब का महामहिम तुझको बचाता है।
17 “फिलहाल तेरे पास ताँबा है
परन्तु इसकी जगह मैं तुझको सोना दूँगा।
अभी तो तेरे पास लोहा है,
पर उसकी जगह तुझे चाँदी दूँगा।
तेरी लकड़ी की जगह मैं तुझको ताँबा दूँगा।
तेरे पत्थरों की जगह तुझे लोहा दूँगा और तुझे दण्ड देने की जगह मैं तुझे सुख चैन दूँगा।
जो लोग अभी तुझको दु:ख देते हैं
वे ही लोग तेरे लिये ऐसे काम करेंगे जो तुझे सुख देंगे।
18 तेरे देश में हिंसा और तेरी सीमाओं में तबाही और बरबादी कभी नहीं सुनाई पड़ेगी।
तेरे देश में लोग फिर कभी तेरी वस्तुएँ नहीं चुरायेंगे।
तू अपने परकोटों का नाम ‘उद्धार’ रखेगा
और तू अपने द्वारों का नाम ‘स्तुति’ रखेगा।
19 “दिन के समय में तेरे लिये सूर्य का प्रकाश नहीं होगा
और रात के समय में चाँद का प्रकाश तेरी रोशनी नहीं होगी।
क्यों क्योंकि यहोवा ही सदैव तेरे लिये प्रकाश होगा।
तेरा परमेश्वर तेरी महिमा बनेगा।
20 तेरा ‘सूरज’ फिर कभी भी नहीं छिपेगा।
तेरा ‘चाँद’ कभी भी काला नहीं पड़ेगा।
क्यों क्योंकि यहोवा का प्रकाश सदा सर्वदा तेरे लिये होगा
और तेरा दु:ख का समय समाप्त हो जायेगा।
21 “तेरे सभी लोग उत्तम बनेंगे।
उनको सदा के लिये धरती मिल जायेगी।
मैंने उन लोगों को रचा है।
वे अद्भुत पौधे मेरे अपने ही हाथों से लगाये हुए हैं।
22 छोटे से छोटा भी विशाल घराना बन जायेगा।
छोटे से छोटा भी एक शक्तिशाली राष्ट्र बन जायेगा।
जब उचित समय आयेगा,
मैं यहोवा शीघ्र ही आ जाऊँगा
और मैं ये सभी बातें घटित कर दूँगा।”
यहोवा का मुक्ति सन्देश
61 यहोवा का सेवक कहता है, “मेरे स्वामी यहोवा ने मुझमें अपनी आत्मा स्थापित की है। यहोवा मेरे साथ है, क्योंकि कुछ विशेष काम करने के लिये उसने मुझे चुना है। यहोवा ने मुझे इन कामों को करने के लिए चुना है: दीन दु:खी लोगों के लिए सुसमाचार की घोषणा करना; दु:खी लोगों को सुख देना; जो लोग बंधन में पड़े हैं, उनके लिये मुक्ति की घोषणा करना; बन्दी लोगों को उनके छुटकारे की सूचना देना; 2 उस समय की घोषणा करना जब यहोवा अपनी करूणा प्रकट करेगा; उस समय की घोषणा करना जब हमारा परमेश्वर दुष्टों को दण्ड देगा; दु:खी लोगों को पुचकारना; 3 सिय्योन के दु:खी लोगों को आदर देना (अभी तो उनके पास बस राख हैं); सिय्योन के लोगों को प्रसन्नता का स्नेह प्रदान करना; (अभी तो उनके पास बस दु:ख हैं) सिय्योन के लोगों को परमेश्वर की स्तुति के गीत प्रदान करना (अभी तो उनके पास बस उनके दर्द हैं); सिय्योन के लोगों को उत्सव के वस्त्र देना (अभी तो उनके पास बस उनके दु:ख ही हैं।) उन लोगों को ‘उत्तमता के वृक्ष’ का नाम देना; उन लोगों को यहोवा के अद्भुत वृक्ष की संज्ञा देना।”
4 उस समय, उन पुराने नगरों को जिन्हें उजाड़ दिया गया था, फिर से बसाया जायेगा। उन नगरों को वैसे ही नया बना दिया जायेगा जैसे वे आरम्भ में थे। वे नगर जिन्हें वर्षों पहले हटा दिया गया था, नये जैसे बना दिये जायेंगे।
5 फिर तुम्हारे शत्रु तुम्हारे पास आयेंगे और तुम्हारी भेड़ें चराया करेंगे। तुम्हारे शत्रुओं की संतानें तुम्हारे खेतों और तुम्हारे बगीचों में काम किया करेंगी। 6 तुम “यहोवा के याजक” हलाओगे। तुम “हमारे परमेश्वर के सहायक” कहलाओगे। धरती के सभी देशों से आई हुई सम्पत्ति को तुम प्राप्त करोगे और तुम्हें इस बात का गर्व होगा कि वह सम्पत्ति तुम्हारी है।
7 बीते समय में लोग तुम्हें लज्जित करते थे और तुम्हारे बारे में बुरी बुरी बातें बनाया करते थे। तुम इतने लज्जित थे जितना और कोई दूसरा व्यक्ति नहीं था। इसलिए तुम्हें अपनी धरती में दूसरे लोगों से दुगुना हिस्सा प्राप्त होगा। तुम ऐसी प्रसन्नता पाओगे जिसका कभी अंत नहीं होगा। 8 ऐसा क्यों घटित होगा क्योंकि मैं यहोवा हूँ और मुझे नेकी से प्रेम है। मुझे चोरी से और हर उस बात से, जो अनुचित है, घृणा है। इसलिये लोगों को, जो उन्हें मिलना चाहिये, वह भुगतान मैं दूँगा। अपने लोगों के साथ सदा सदा के लिए मैं यह वाचा कर रहा हूँ कि 9 सभी देशों का हर कोई व्यक्ति मेरे लोगों को जान जायेगा। मेरी जाति के वंशजों को हर कोई जान जायेगा। हर कोई व्यक्ति जो उन्हें देखेगा, जान जायेगा कि यहोवा उन्हें आशीर्वाद देता है।
यहोवा का सेवक उद्धार और उत्तमता लाता है
10 यहोवा मुझको अति प्रसन्न करता है।
मेरा सम्पूर्ण व्यक्तित्व परमेश्वर में स्थिर है और प्रसन्नता में मगन है।
यहोवा ने उद्धार के वस्त्र से मुझको ढक लिया।
वे वस्त्र ऐसे ही भव्य हैं जैसे भव्य वस्त्र कोई पुरूष अपने विवाह के अवसर पर पहनता है।
यहोवा ने मुझे नेकी के चोगे से ढक लिया है।
यह चोगा वैसा ही सुन्दर है जैसा सुन्दर किसी नारी का विवाह वस्त्र होता है।
11 धरती पौधे उगाती है।
लोग बगीचों में बीज डालते हैं और वह बगीचा उन बीजों को उगाता है।
वैसे ही यहोवा नेकी को उगायेगा।
इस तरह मेरा स्वामी सभी जातियों के बीच स्तुति को बढ़ायेगा।
नया यरूशलेम: नेकी का एक नगर
62 मुझको सिय्योन से प्रेम है
अत: मैं उसके लिये बोलता रहूँगा।
मुझको यरूशलेम से प्रेम है
अत: मैं चुप न होऊँगा।
मैं उस समय तक बोलता रहूँगा जब तक नेकी चमकती हुई ज्योति सी नहीं चमकेगी।
मैं उस समय तक बोलता रहूँगा जब तक उद्धार आग की लपट सा भव्य बन कर नहीं धधकेगा।
2 फिर सभी देश तेरी नेकी को देखेंगे।
तेरे सम्मान को सब राजा देखेंगे।
तभी तू एक नया नाम पायेगा।
स्वयं यहोवा तुम लोगों के लिये वह नया नाम पायेगा।
3 यहोवा को तुम लोगों पर बहुत गर्व होगा।
तुम यहोवा के हाथों में सुन्दर मुकुट के समान होगे।
4 फिर तुम कभी ऐसे जन नहीं कहलाओगे, “परमेश्वर के त्यागे हुए लोग।”
तुम्हारी धरती कभी ऐसी धरती नहीं कहलायेगी जिसे “परमेश्वर ने उजाड़ा।”
तुम लोग “परमेश्वर के प्रिय जन” कहलाओगे।
तुम्हारी धरती “परमेश्वर की दुल्हिन” कहलायेगी।
क्यों क्योंकि यहोवा तुमसे प्रेम करता है
और तुम्हारी धरती उसकी हो जायेगी।
5 जैसे एक युवक कुँवारी को ब्याहता है।
वैसे ही तेरे पुत्र तुझे ब्याह लेंगे।
और जैसे दुल्हा अपनी दल्हिन के संग आनन्दित होता है
वैसे ही तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारे संग प्रसन्न होगा।
6 यरूशलेम की चारदीवारी मैंने रखवाले (नबी) बैठा दिये हैं कि उसका ध्यान रखें।
ये रखवाले मूक नहीं रहेंगे।
यह रखवाले यहोवा को तुम्हारी जरूरतों की याद दिलाते हैं।
हे रखवालों, तुम्हें चुप नहीं होना चाहिये।
तुमको यहोवा से प्रार्थना करना बन्द नहीं करना चाहिये।
तुमको सदा उसकी प्रार्थना करते ही रहना चाहिये।
7 जब तक वह फिर से यरूशलेम का निर्माण न कर दे, तब तक तुम उसकी प्रार्थना करते रहो।
यरूशलेम एक ऐसा नगर है जिसका धरती के सभी लोग यश गायेंगे।
8 यहोवा ने स्वयं अपनी शक्ति को प्रमाण बनाते हुए वाचा की
और यहोवा अपनी शक्ति के प्रयोग से ही उस वाचा को पालेगा।
यहोवा ने कहा था, “मैं तुम्हें वचन देता हूँ कि मैं तुम्हारे भोजन को कभी तुम्हारे शत्रु को न दूँगा।
मैं तुम्हें वचन देता हूँ कि तुम्हारी बनायी दाखमधु तुम्हारा शत्रु कभी नहीं ले पायेगा।
9 जो व्यक्ति खाना जुटाता है, वही उसे खायेगा और वह व्यक्ति यहोवा के गुण गायेगा।
वह व्यक्ति जो अंगूर बीनता है, वही उन अंगूरों की बनी दाखमधु पियेगा।
मेरी पवित्र धरती पर ऐसी बातें हुआ करेंगी।”
10 द्वार से होते हुए आओ!
लोगों के लिये राहें साफ करो!
मार्ग को तैयार करो!
राह पर के पत्थर हटा दो!
लोगों के लिये संकेत के रूप में झण्डा उठा दो!
11 यहोवा सभी दूर देशों के लिये बोल रहा है:
“सिय्योन के लोगों से कह दो:
देखो, तुम्हारा उद्धारकर्ता आ रहा है।
वह तुम्हारा प्रतिफल ला रहा है।
वह अपने साथ तुम्हारे लिये प्रतिफल ला रहा है।”
12 उसके लोग कहलायेंगे:
“पवित्र जन,” “यहोवा के उद्धार पाये लोग।”
यरूशलेम कहलायेगा: “वह नगर जिसको यहोवा चाहता है,”
“वह नगर जिसके साथ परमेश्वर है।”
यहोवा अपने लोगों का न्याय करता है
63 यह कौन है जो एदोम से आ रहा है,
यह बोस्रा की नगरी से लाल धब्बों से युक्त कपड़े पहने आ रहा है।
वह अपने वस्त्रों में अति भव्य दिखता है।
वह लम्बे डग बढ़ाता हुआ अपनी महाशक्ति के साथ आ रहा है।
और मैं सच्चाई से बोलता हूँ।
2 “तू ऐसे वस्त्र जो लाल धब्बों से युक्त हैं?
क्यों पहनता है तेरे वस्त्र ऐसे लाल क्यों हैं जैसे उस व्यक्ति के जो अंगूर से दाखमधु बनाता है”
3 वह उत्तर देता है, “दाखमधु के कुंडे में मैंने अकेले ही दाख रौंदी।
किसी ने भी मुझको सहायता नहीं दी।
मैं क्रोधित था और मैंने लोगों को रौंदा जैसे अंगूर दाखमधु बनाने के लिये रौंदे जाते हैं।
रस छिटकर मेरे वस्त्रों में लगा।
4 मैंने राष्ट्रों को दण्ड देने के लिये एक समय चुना।
मेरा वह समय आ गया कि मैं अपने लोगों को बचाऊँ और उनकी रक्षा करूँ।
5 मैं चकित हुआ कि किसी भी व्यक्ति ने मेरा समर्थन नहीं किया।
इसलिये मैंने अपनी शक्ति का प्रयोग अपने लोगों को बचाने के लिये किया।
स्वयं मेरे अपने क्रोध ने ही मेरा समर्थन किया।
6 जब मैं क्रोधित था, मैंने लोगों को रौंद दिया था।
जब मैं क्रोध में पागल था, मैंने उनको दण्ड दिया।
मैंने उनका लहू धरती पर उंडेल दिया।”
यहोवा अपने लोगों पर दयालु रहा
7 यह मैं याद रखूँगा कि यहोवा दयालु है
और मैं यहोवा की स्तुति करना याद रखूँगा।
यहोवा ने इस्राएल के घराने को बहुत सी वस्तुएँ प्रदान की।
यहोवा हमारे प्रति बहुत ही कृपालु रहा।
यहोवा ने हमारे प्रति दया दिखाई।
8 यहोवा ने कहा था “ये मेरे लोग हैं।
ये बच्चें कभी झूठ नहीं कहते हैं” इसलिये यहोवा ने उन लोगों को बचा लिया।
9 उनको उनके सब संकटो से किसी भी स्वर्गदूत ने नहीं बचाया था।
उसने स्वयं ही अपने प्रेम और अपनी दया से उनको छुटकारा दिलाया था।
10 किन्तु वे लोग यहोवा से मुख मोड़ चले।
उन्होंने उसकी पवित्र आत्मा को बहुत दु:खी किया।
सो यहोवा उनका शत्रु बन गया।
यहोवा ने उन लोगों के विरोध में युद्ध किया।
11 किन्तु यहोवा अब भी पहले का समय याद करता है।
यहोवा मूसा के और उसके लोगों को याद करता हैं।
यहोवा वही था जो लोगों को सागर के बीच से निकाल कर लाया।
यहोवा ने अपनी भेंड़ों (लोगों) की अगुवाई के लिये अपने चरवाहों (नबियों) का प्रयोग किया।
किन्तु अब वह यहोवा कहाँ है जिसने अपनी आत्मा को मूसा में रख दिया था
12 यहोवा ने अपने दाहिने हाथ से मूसा की अगुवाई की।
यहोवा ने अपनी अद्भुत शक्ति से मूसा को राह दिखाई।
यहोवा ने जल को चीर दिया था।
जिससे लोग सागर को पैदल पार कर सके थे।
इस अद्भुत कार्य को करके यहोवा ने अपना नाम प्रसिद्ध किया था
13 यहोवा ने लोगों को राह दिखाई।
वे लोग गहरे सागर के बीच से बिना गिरे ही पार हो गये थे।
वे ऐसे चले थे जैसे मरूस्थल के बीच से घोड़ा चला जाता है।
14 जैसे मवेशी घाटियों से उतरते और विश्राम का ठौर पाते हैं
वैसे ही यहोवा के प्राण ने हमें विश्राम की जगह दी है।
हे यहोवा, इस ढंग से तूने अपने लोगों को राह दिखाई
और तूने अपना नाम अद्भुत कर दिया।
उसके लोगों की सहायता के लिए यहोवा से प्रार्थना
15 हे यहोवा, तू आकाश से नीचे देख।
उन बातों को देख जो घट रही हैं!
तू हमें अपने महान पवित्र घर से जो आकाश मैं है, नीचे देख।
तेरा सुदृढ़ प्रेम हमारे लिये कहाँ है तेरे शक्तिशाली कार्य कहाँ है
तेरे हृदय का प्रेम कहाँ है मेरे लिये तेरी कृपा कहाँ है
तूने अपना करूण प्रेम मुझसे कहाँ छिपा रखा है
16 देख, तू ही हमारा पिता है!
इब्राहीम को यह पता नहीं है कि हम उसकी सन्तानें हैं।
इस्राएल (याकूब) हमको पहचानता नहीं है।
यहोवा तू ही हमारा पिता है।
तू वही यहोवा है जिसने हमको सदा बचाया है।
17 हे यहोवा, तू हमको अपने से दूर क्यों ढकेल रहा है
तू हमारे लिये अपना अनुसरण करने को क्यों कठिन बनाता है यहोवा तू हमारे पास लौट आ।
हम तो तेरे दास हैं।
हमारे पास आ और हमको सहारा दे।
हमारे परिवार तेरे हैं।
18 थोड़े समय के लिये हमारे शत्रुओं ने तेरे पवित्र लोगों पर कब्जा कर लिया था।
हमारे शत्रुओं ने तेरे मन्दिर को कुचल दिया था।
19 कुछ लोग तेरा अनुसरण नहीं करते हैं।
वे तेरे नाम को धारण नहीं करते हैं।
जैसे वे लोग हम भी वैसे हुआ करते थे।
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