Beginning
अश्शूर का यहूदा पर आक्रमण
36 हिजकिय्याह यहूदा का राजा था और सन्हेरीब अश्शूर का राजा था। हिजकिय्याह के शासन के चौदहवें वर्ष में सन्हेरीब ने यहूदा के किलाबन्द नगरों से युद्ध किया और उसने उन नगरों को हरा दिया। 2 सन्हेरीब ने अपने सेनापति को यरूशलेम से लड़ने को भेजा। वह सेनापति लाकीश को छोड़कर यरूशलेम में राजा हिजकिय्याह के पास गया। वह अपने साथ एक शक्तिशाली सेना को भी ले गया था। वह सेनापति अपनी सेना के साथ नहर के पास वाली सड़क पर गया। (यह सड़क उस नहर के पास है जो ऊपर वाले पोखर से आती है।)
3 यरूशलेम के तीन व्यक्ति सेनापति से बात करने के लिये बाहर निकल कर गये। ये लोग थे हिल्किय्याह का पुत्र एल्याकीम, आसाप का पुत्र योआह और शेब्ना। एल्याकीम महल का सेवक था। योआह कागज़ात को संभाल कर रखने का काम करता था और शेब्ना राजा का सचिव था।
4 सेनापति ने उनसे कहा, “तुम लोग, राजा हिजकिय्याह से जाकर ये बातें कहो: महान राजा, अश्शूर का राजा कहता है:
“तुम अपनी सहायता के लिये किस पर भरोसा रखते हो 5 मैं तुम्हें, बताता हूँ कि यदि युद्ध में तुम्हारा विश्वास शक्ति और कुशल योजनाओं पर है तो वह व्यर्थ है। वे कोरे शब्दों के अतिरिक्त कुछ नहीं हैं। इसलिए तुम मुझ से युद्ध क्यों कर रहे हो 6 अब मैं तुमसे पूछता हूँ, तुम सहायता पाने के लिये किस पर भरोसा करते हो क्या तुम सहायता के लिये मिस्र पर निर्भर हो मिस्र तो एक टूटी हुई लाठी के समान है। यदि तुम सहारा पाने को उस पर टिकोगे तो वह तुम्हें बस हानि ही पहुँचायेगी और तुम्हारे हाथ में एक छेद बना देगी। मिस्र के राजा फिरौन पर किसी भी व्यक्ति के द्वारा सहायता पाने के लिये भरोसा नहीं किया जा सकता।
7 “किन्तु हो सकता है तुम कहो, ‘हम सहायता पाने के लिये अपने यहोवा परमेश्वर पर भरोसा रखते हैं।’ किन्तु मेरा कहना है कि हिजकिय्याह ने यहोवा की वेदियों को और पूजा के ऊँचे स्थानों को नष्ट कर दिया है। यह सत्य है, सही है यह सत्य है कि यहूदा और यरूशलेम से हिजकिय्याह ने ये बातें कही थीं: ‘तुम यहाँ यरूशलेम में बस एक इसी वेदी पर उपासना किया करोगे।’
8 “यदि तुम अब भी मेरे स्वामी से युद्ध करना चाहते हो तो अश्शूर का राजा तुमसे यह सौदा करना चाहेगा: राजा का कहना है, ‘यदि युद्ध में तुम्हारे पास घुड़सवार पूरे हैं तो मैं तुम्हें दो हजार घोड़े दे दूँगा।’ 9 किन्तु इतना होने पर भी तुम मेरे स्वामी के ऐक सेवक तक को नहीं हरा पाओगे। उसके किसी छोटे से छोटे अधिकारी तक को तुम नहीं हरा पाओगे। इसलिए तुम मिस्र के घुड़सवार और रथों पर अपना भरोसा क्यों बनाये रखते हो।
10 “और अब देखो जब मैं इस देश में आया था और मैंने युद्ध किया था, यहोवा मेरे साथ था। जब मैंने नगरों को उजाड़ा, यहोवा मेरे साथ था। यहोवा मुझसे कहा करता था, ‘खड़ा हो। इस नगरी में जा और इसे ध्वस्त कर दे।’”
11 यरूशलेम के तीनों व्यक्तियों, एल्याकीम, शेब्ना और योआह ने सेनापति से कहा, “कृपा करके हमारे साथ अरामी भाषा में ही बात कर। क्योंकि इसे हम समझ सकते हैं। तू यहूदी भाषा में हमसे मत बोल। यदि तू यहूदी भाषा का प्रयोग करेगा तो नगर परकोटे पर के सभी लोग तुझे समझ जायेंगे।”
12 इस पर सेनापति ने कहा, “मेरे स्वामी ने मुझे ये बातें बस तुम्हें और तुम्हारे स्वामी हिजकिय्याह को ही सुनाने के लिए नहीं भेजा है। मेरे स्वामी ने मुझे इन बातों को उन्हें बताने के लिए भेजा है जो लोग नगर परकोटे पर बैठे हैं। उन लोगों को न तो पूरा खाना मिलता है और न पानी। सो उन्हें अपने मलमूत्र को तुम्हारी ही तरह खाना—पीना होगा।”
13 फिर सेनापति ने खड़े हो कर ऊँचे स्वर में कहा। वह यहूदी भाषा में बोला। 14 सेनापति ने कहा, “महासम्राट अश्शूर के राजा के शब्दों को सुनो:
“‘तुम अपने आप को हिजकिय्याह के द्वारा मूर्ख मत बनने दो, वह तुम्हें बचा नहीं पायेगा। 15 हिजकिय्याह जब यह कहता है, “यहोवा में विश्वास रखो! यहोवा अश्शूर के राजा से हमारी रक्षा करेगा। यहोवा अश्शूर के राजा को हमारे नगर को हराने नहीं देगा तो उस पर विश्वास मत करो।”
16 “‘हिजकिय्याह के इन शब्दों की अनसुनी करो। अश्शूर के राजा की सुनो! अश्शूर के राजा का कहना है, “हमे एक सन्धि करनी चाहिये। तुम लोग नगर से बाहर निकल कर मेरे पास आओ। फिर हर व्यक्ति अपने घर जाने को स्वतन्त्र होगा। हर व्यक्ति अपने अँगूर की बेलों से अँगूर खाने को स्वतन्त्र होगा और हर व्यक्ति अपने अंजीर के पेंड़ों के फल खाने को स्वतन्त्र होगा। स्वयं अपने कुँए का पानी पीने को हर व्यक्ति स्वतन्त्र होगा। 17 जब तक मैं आकर तुम्हें तुम्हारे ही जैसे एक देश में न ले जाऊँ, तब तक तुम ऐसा करते रह सकते हो। उस नये देश में तुम अच्छा अनाज और नया दाखमधु पाओगे। उस धरती पर तुम्हें रोटी और अँगूर के खेत मिलेंगे।”
18 “‘हिजकिय्याह को तुम अपने को मूर्ख मत बनाने दो। वह कहता है, “यहोवा हमारी रक्षा करेगा।” किन्तु मैं तुमसे पूछता हूँ क्या किसी दूसरे देश का कोई भी देवता वहाँ के लोगों को अश्शूर के राजा की शक्ति से बचा पाया नहीं! हमने वहाँ के हर व्यक्ति को हरा दिया। 19 हमात और अर्पाद के देवता आज कहाँ हैं उन्हें हरा दिया गया है। सपर्वेम के देवता कहाँ हैं वे हरा दिये गये हैं और क्या शोमरोन के देवता वहाँ के लोगों को मेरी शक्ति से बचा पाये नहीं। 20 किसी भी देश अथवा जाति के ऐसे किसी भी एक देवता का नाम मुझे बताओ जिसने वहाँ के लोगों को मेरी शक्ति से बचाया है। मैंने उन सब को हरा दिया। इसलिए देखो मेरी शक्ति से यरूशलेम को यहोवा नहीं बचा पायेगा।’”
21 यरूशलेम के लोग एक दम चुप रहे। उन्होंने सेनापति को कोई उतर नहीं दिया। हिजकिय्याह ने लोगों को आदेश दिया था कि वे सेनापति को कोई उत्तर न दें।
22 इसके बाद महल के सेवक (हिल्किय्याह के पुत्र एल्याकीम) राजा के सचिव (शेब्ना) और दफतरी (आसाप के पुत्र योआह) ने अपने वस्त्र फाड़ डाले। इससे यह प्रकट होता है कि वे बहुत दु:खी थे वे तीनों व्यक्ति हिजकिय्याह के पास गये और सेनापति ने जो कुछ उनसे कहा था, वह सब उसे कह सुनाया।
हिजकिय्याह की परमेश्वर से प्रार्थना
37 हिजकियाह ने जब सेनापति का सन्देश सुना तो उसने अपने वस्त्र फाड़ लिये। फिर विशेष शोक वस्त्र धारण करके वह यहोवा के मन्दिर में गया।
2 हिजकिय्याह ने महल के सेवक एल्याकीम को राजा के सचिव शेब्ना को और याजकों के अग्रजों को आमोस के पुत्र यशायाह नबी के पास भेजा। इन तीनों ही लोगों ने विशेष शोक—वस्त्र पहने हुए थे। 3 इन लोगों ने यशायाह से कहा, “राजा हिजकिय्याह ने कहा है कि आज का दिन शोक और दु:ख का एक विशेष दिन होगा। यह दिन एक ऐसा दिन होगा जैसे जब एक बच्चा जन्म लेता है। किन्तु बच्चे को जन्म देने वाली माँ में जितनी शक्ति होनी चाहिये उसमें उतनी ताकत नहीं होती। 4 सम्भव है तुम्हारा परमेश्वर यहोवा, सेनापति द्वारा कही बातों को सुन ले। अश्शूर के राजा ने सेनापति को साक्षात परमेश्वर को अपमानित करने भेजा है। हो सकता है तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने उन बुरी अपमानपूर्ण बातों को सुन लिया है और वह उन्हें इसका दण्ड देगा। कृपा करके इस्राएल के उन थोड़े से लोगों के लिये प्रार्थना करो जो बचे हुए हैं।”
5 हिजकिय्याह के सेवक यशायाह के पास गये। 6 यशायाह ने उनसे कहा, “अपने मालिक को यह बता देना: यहोवा कहता है, ‘तुमने सेनापति से जो सुना है, उन बातों से मत डरना। अश्शूर के राजा के “लड़कों” ने मेरा अपमान करने के लिये जो बुरी बातें कही हैं, उन से मत डरना। 7 देखो अश्शूर के राजा को मैं एक अफवाह सुनावाऊँगा। अश्शूर के राजा को एक ऐसी रपट मिलेगी जो उसके देश पर आने वाले खतरे के बारे मे होगी। इससे वह अपने देश वापस लौट जायेगा। उस समय मैं उसे, उसके अपने ही देश में तलवार से मौत के घाट उतार दूँगा।’”
अश्शूर की सेना का यरूशलेम को छोड़ना
8 अश्शूर के राजा को एक सूचना मिली, सूचना में कहा गया था, “कूश का राजा तिर्हाका तुझसे युद्ध करने आ रहा है।” 9 सो अश्शूर का राजा लाकीश को छोड़ कर लिबना चला गया। सेनापति ने यह सुना और वह लिबना नगर को चला गया जहाँ अश्शूर का राजा युद्ध कर रहा था।
फिर अश्शूर के राजा ने हिजकिय्याह के पास दूत भेजे। 10 राजा ने उन दूतों से कहा, “यहूदा के राजा हिजकिय्याह से तुम ये बातें कहना:
‘जिस देवता पर तुम्हारा विश्वास है, उससे तुम मूर्ख मत बनो। ऐसा मत कहो, “अश्शूर के राजा से परमेश्वर यरूशलेम को पराजित नहीं होने देगा।” 11 देखो, तुम अश्शूर के राजाओं के बारे में सुन ही चुके हो। उन्होंने हर किसी देश में लोगों के साथ क्या कुछ किया है। उन्हें उन्होंने बुरी तरह हराया है। क्या तुम उनसे बच पाओगे नहीं, कदापि नहीं! 12 क्या उन लोगों के देवताओं ने उनकी रक्षा की थी नहीं! मेरे पूर्वजों ने उन्हें नष्ट कर दिया था। मेरे लोगों ने गोजान, हारान और रेसेप के नगरों को हरा दिया था और उन्होंने एदेन के लोगों जो तलस्सार में रहा करते थे, उन्हें भी हरा दिया था। 13 हमात और अर्पाद के राजा कहाँ गये सपर्वैम का राजा आज कहाँ है हेना और इव्वा के राजा अब कहाँ हैं उनका अंत कर दिया गया! वे सभी नष्ट कर दिये गये!’”
हिजकिय्याह की परमेश्वर से प्रार्थना
14 हिजकिय्याह ने उन लोगों से वह सन्देश ले लिया और उसे पढ़ा। फिर हिजकिय्याह यहोवा के मन्दिर में चला गाय। हिजकिय्याह ने उस सन्देश को खोला और यहोवा के सामने रख दिया। 15 फिर हिजकिय्याह यहोवा से प्रार्थना करने लगा। हिजकिय्याह बोला: 16 “इस्राएल के परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा, तू राजा के समान करुब (स्वर्गदूतों) पर विराजता है। तू और बस केवल तू ही परमेश्वर है, जिसका धरती के सभी राज्यों पर शासन है। तूने स्वर्गों और धरती की रचना की है। 17 मेरी सुन! अपनी आँखें खोल और देख, कान लगाकर सुन इस सन्देश के शब्दों को, जिसे सन्हेरीब ने मुझे भेजा है। इसमें तुझ साक्षात परमेश्वर के बारे में अपमानपूर्ण बुरी—बुरी बातें कही हैं। 18 हे यहोवा, अश्शूर के राजाओं ने वास्तव में सभी देशों और वहाँ की धरती को तबाह कर दिया है। 19 अश्शूर के राजाओं ने उन देशों के देवताओं को जला डाला है किन्तु वे सच्चे देवता नहीं थे। वे तो केवल ऐसे मूर्ती थे जिन्हें लोगों ने बनाया था। वे तो कोरी लकड़ी थे, कोरे पत्थर थे। इसलिये वे समाप्त हो गये। वे नष्ट हो गये। 20 सो अब हे हमारे परमेश्वर यहोवा। अब कृपा करके अश्शूर के राजा की शक्ति से हमारी रक्षा कर। ताकि धरती के सभी राज्यों को भी पता चल जाये कि तू यहोवा है और तू ही हमारा एकमात्र परमेश्वर है!”
हिजकिय्याह को परमेश्वर का उत्तर
21 फिर आमोस के पुत्र यशायाह ने हिजकिय्याह के पास यह सन्देश भेजा, “यह वह है जिसे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने कहा, ‘अश्शूर के राजा सन्हेरीब के बारे में तूने मुझसे प्रार्थना की है।’
22 “सो मुझे यहोवा ने जो सन्हेरीब के विरोध में कहा, वह यह है:
‘सिय्योन की कुवाँरी पुत्री (यरूशलेम के लोग)
तुझे तुच्छ जानती है।
वह तेरी हँसी उड़ाती है।
यरूशलेम की पुत्री तेरी हँसी उड़ाती है।
23 तूने मेरे लिये मेरे विरोध में बुरी बातें कही।
तू बोलता रहा।
तू अपनी आवाज मेरे विरोध में उठायी थी!
तूने मुझ इस्राएल के पवित्र (परमेश्वर) को अभिमान भी आँखों से घूरा था।
24 मेरे स्वामी यहोवा के विषय में तूने बुरी बातें कहलवाने के लिये तूने अपने सेवकों का प्रयोग किया।
तूने कहा, “मैं बहुत शक्तिशाली हूँ! मेरे पास बहुत से रथ हैं।
मैंने अपनी शक्ति से लबानोन को हराया जब मैं अपने रथों को लबानोन के महान पर्वत के ऊँचे शिखरों के ऊपर ले आया।
मैंने लबानोन के सभी महान पेड़ काट डाले।
मैं उच्चतम शिखर से लेकर
गहरे जंगलों तक प्रवेश कर चुका हूँ।
25 मैंने विदेशी धरती पर कुँए खोदे और पानी पिया।
मैंने मिस्र की नदियाँ सुखा दी और उस देश पर चल कर गया है!”
26 ‘ये वह जो तूने कहा।
क्या तूने यह नहीं सुना कि परमेश्वर ने क्या कहा
मैंने (परमेश्वर ने) बहुत बहुत पहले ही यह योजना बना ली थी।
बहुत—बहुत पहले ही मैंने इसे तैयार कर लिया था
अब इसे मैंने घटित किया है।
मैंने ही तुम्हें उन नगरों को नष्ट करने दिया
और मैंने ही तुम्हें उन नगरों को पत्थरों के ढेर में बदलने दिया।
27 उन नगरों के निवासी कमजोर थे।
वे लोग भयभीत और लज्जित थे।
वे खेत के पौधे के जैसे थे,
वे नई घास के जैसे थे।
वे उस घास के समान थे जो मकानों की छतों पर उगा करती है।
वह घास लम्बी होने से पहले ही रेगिस्तान की गर्म हवा से झुलसा दी जाती है।
28 तेरी सेना और तेरे युद्धों के बारे में मैं सब कुछ जानता हूँ।
मुझे पता है जब तूने विश्राम किया था।
जब तू युद्ध के लिये गया था, मुझे तब का भी पता है।
तू युद्ध से घर कब लौटा, मैं यह भी जानता हूँ।
मुझे इसका भी ज्ञान है कि तू मुझ पर क्रोधित है।
29 तू मुझसे खुश नहीं है
और मैंने तेरे अहंकारपूर्ण अपमानों को सुना है।
सो मैं तुझे दण्ड दूँगा।
मैं तेरी नाक मे नकेल डालूँगा।
मैं तेरे मुँह पर लगाम लगाऊँगा और तब मैं तुझे विवश करुँगा कि तू जिस मार्ग से आया था,
उसी मार्ग से मेरे देश को छोड़ कर वापस चला जा!’”
30 इस पर यहोवा ने हिजकिय्याह से कहा, “हिजकिय्याह, तुझे यह दिखाने के लिये कि ये शब्द सच्चे हैं, मैं तुझे एक संकेत दूँगा। इस वर्ष तू खाने के लिए कोई अनाज नहीं बोयेगा। सो इस वर्ष तू पिछले वर्ष की फसल से यूँ ही उग आये अनाज को खायेगा। अगले वर्ष भी ऐसी ही होगा किन्तु तीसरे वर्ष तू उस अनाज को खायेगा जिसे तूने उगाया होगा। तू अपनी फसलों को काटेगा। तेरे पास खाने को भरपूर होगा। तू अँगूर की बेलें रोपेगा और उनके फल खायेगा।
31 “यहूदा के परिवार के कुछ लोग बच जायेंगे। वे ही लोग बढ़ते हुए एक बहुत बड़ी जाति का रुप ले लेंगे। वे लोग उन वृक्षों के समान होंगे जिनकी जड़ें धरती में बहुत गहरी जाती हैं और जो बहुत तगड़े हो जाते हैं और बहुत से फल (संतानें) देते हैं। 32 यरूशलेम से कुछ ही लोग जीवित बचकर बाहर जा पाएँगे। सिय्योन पर्वत से बचे हुए लोगों का एक समूह ही बाहर जा जाएगा।” सर्वशक्तिमान यहोवा का सुदृढ़ प्रेम ही ऐसा करेगा।
33 सो यहोवा ने अश्शूर के राजा के बारे में यह कहा,
“वह इस नगर में नहीं आ पायेगा,
वह इस नगर पर एक भी बाण नहीं छोड़ेगा,
वह अपनी ढालों का मुहँ इस नगर की ओर नहीं करेगा।
इस नगर के परकोटे पर हमला करने के लिए वह मिट्टी का टीला खड़ा नहीं करेगा।
34 उसी रास्ते से जिससे वह आया था, वह वापस अपने नगर को लौट जायेगा।
इस नगर में वह प्रवेश नहीं करेगा।
यह सन्देश यहोवा की ओर से है।
35 यहोवा कहता है, मैं बचाऊँगा और इस नगर की रक्षा करुँगा।
मैं ऐसा स्वयं अपने लिये और अपने सेवक दाऊद के लिए करुँगा।”
36 सो यहोवा के दूत ने अश्शूर की छावनी में जा कर एक लाख पचासी हज़ार सैनिकों को मार डाला। अगली सुबह जब लोग उठे, तो उन्होंने देखा कि उनके चारों ओर मरे हुए सैनिकों की लाशें बिखरी हैं। 37 इस पर अश्शूर का राजा सन्हेरीब वापस लौट कर अपने घर नीनवे चला गया और वहीं रहने लगा।
38 एक दिन, जब सन्हेरीब अपने देवता निस्रोक के मन्दिर में उसकी पूजा कर रहा था, उसी समय उसके पुत्र अद्रम्मेलेक और शरेसेर ने तलवार से उसकी हत्या कर दी और फिर वे अरारात को भाग खड़े हुए। इस प्रकार सन्हेरीब का पुत्र एसर्हद्देन अश्शूर का नया राजा बन गया।
हिजकिय्याह की बीमारी
38 उस समय के आसपास हिजकिय्याह बहुत बीमार पड़ा। इतना बीमार कि जैसे वह मर ही गया हो। सो आमोस का पुत्र यशायाह उससे मिलने गया। यशायाह ने राजा से कहा, “यहोवा ने तुम्हें ये बातें बताने के लिये कहा है: ‘शीघ्र ही तू मर जायेगा। सो जब तू मरे, परिवार वाले क्या करें, यह तुझे उन्हें बता देना चाहिये। अब तू फिर कभी अच्छा नहीं होगा।’”
2 हिजकिय्याह ने उस दीवार की तरफ करवट ली जिसका मुँह मन्दिर की तरफ था। उसने यहोवा की प्रार्थना की, उसने कहा, 3 “हे यहोवा, कृपा कर, याद कर कि मैंने सदा तेरे सामने विश्वासपूर्ण और सच्चे हृदय के साथ जीवन जिया है। मैंने वे बातें की हैं जिन्हें तू उत्तम कहता है।” इसके बाद हिजकिय्याह ने ऊँचे स्वर में रोना शुरु कर दिया।
4 यशायाह को यहोवा से यह सन्देश मिळा: 5 “हिजकिय्याह के पास जा और उससे कह दे: ये बातें वे हैं जिन्हें तुम्हारे पिता दाऊद का परमेश्वर यहोवा कहता है, ‘मैंने तेरी प्रार्थना सुनी है और तेरे दु:ख भरे आँसू देखे हैं। तेरे जीवन में मैं पन्द्रह वर्ष और जोड़ रहा हूँ। 6 अश्शूर के राजा के हाथों से मैं तुझे छुड़ा डालूँगा और इस नगर की रक्षा करुँगा।’”
21 [a] फिर इस पर यशायाह ने कहा, “अंजीरों को आपस में मसलवा कर उसके फोड़ों पर बाँध। इससे वह अच्छा हो जायेगा।”
22 [b] किन्तु हिजकिय्याह ने यशायाह से पूछा, “यहोवा की ओर से ऐसा कौन सा संकेत है जो प्रमाणित करता है कि मैं अच्छा हो जाऊँगा कौन सा ऐसा संकेत है जो प्रमाणित करता है कि मैं यहोवा के मन्दिर में जाने योग्य हो जाऊँगा”
7 तुझे यह बताने के लिए कि जिन बातों को वह कहता है, उन्हें वह पूरा करेगा। यहोवा की ओर से यह संकेत है: 8 “देख, आहाज़ की धूप घड़ी की वह छाया जो अंशों पर पड़ी हैं, मैं उसे दस अंश पीछे हटा दूँगा। सूर्य की वह छाया दस अंश तक पीछे चली जायेगी।”
9 यह हिजकिय्याह का वह पत्र है जो उसने बीमारी से अच्छा होने के बाद लिखा था:
10 मैंने अपने मन में कहा कि मैं तब तक जीऊँगा जब तक बूढ़ा होऊँगा।
किन्तु मेरा काल आ गया था कि मैं मृत्यु के द्वार से गुजरुँ।
अब मैं अपना समय यहीं पर बिताऊँगा।
11 इसलिए मैंने कहा, “मैं यहोवा याह को फिर कभी जीवितों की धरती पर नहीं देखूँगा।
धरती पर जीते हुए लोगों को मैं नहीं देखूँगा।
12 मेरा घर, चरवाहे के अस्थिर तम्बू सा उखाड़ कर गिराया जा रहा है और मुझसे छीना जा रहा है।
अब मेरा वैसा ही अन्त हो गया है जैसे करघे से कपड़ा लपेट कर काट लिया जाता है।
क्षणभर में तूने मुझ को इस अंत तक पहुँचा दिया!
13 मैं भोर तक अपने को शान्त करता रहा।
वह सिंह की नाई मेरी हड्डियों को तोड़ता है।
एक ही दिन में तू मेरा अन्त कर डालता है!
14 मैं कबूतर सा रोता रहा। मैं एक पक्षी जैसा रोता रहा।
मेरी आँखें थक गयी तो भी मैं लगातर आकाश की तरफ निहारता रहा।
मेरे स्वामी, मैं विपत्ति में हूँ मुझको उबारने का वचन दे।”
15 मैं और क्या कह सकता हूँ मेरे स्वामी ने मुझ को बताया है जो कुछ भी घटेगा,
और मेरा स्वामी ही उस घटना को घटित करेगा।
मैंने इन विपत्तियों को अपनी आत्मा में झेला है इसलिए मैं जीवन भर विनम्र रहूँगा।
16 हे मेरे स्वामी, इस कष्ट के समय का उपयोग फिर से मेरी चेतना को सशक्त बनाने में कर।
मेरे मन को सशक्त और स्वस्थ होने में मेरी सहायता कर!
मुझको सहारा दे कि मैं अच्छा हो जाऊँ! मेरी सहायता कर कि मैं फिर से जी उठूँ!
17 देखो! मेरी विपत्तियाँ समाप्त हुई! अब मेरे पास शांति है।
तू मुझ से बहुत अधिक प्रेम करता है! तूने मुझे कब्र में सड़ने नहीं दिया।
तूने मेरे सब पाप क्षमा किये! तूने मेरे सब पाप दूर फेंक दिये।
18 तेरी स्तुति मरे व्यक्ति नहीं गाते!
मृत्यु के देश में पड़े लोग तेरे यशगीत नहीं गाते।
वे मरे हुए व्यक्ति जो कब्र में समायें हैं, सहायता पाने को तुझ पर भरोसा नहीं रखते।
19 वे लोग जो जीवित हैं जेसा आज मैं हूँ तेरा यश गाते हैं।
एक पिता को अपनी सन्तानों को बताना चाहिए कि तुझ पर भरोसा किया जा सकता है।
20 इसलिए मैं कहता हूँ:
“यहोवा ने मुझ को बचाया है सो हम अपने जीवन भर यहोवा के मन्दिर में गीत गायेंगे और बाजे बजायेंगे।”
बाबुल के सन्देश वाहक
39 उस समय, बलदान का पुत्र मरोदक बलदान बाबुल का राजा हुआ करता था। मरोदक ने हिजकिय्याह के पास पत्र और उपहार भेजे। मरोदक ने उसके पास इसलिये उपहार भेजे थे कि उसने सुना था कि हिजकिय्याह बीमार था और फिर अच्छा हो गया था। 2 इन उपहारों को पाकर हिजकिय्याह बहुत प्रसन्न हुआ। इसलिये हिजकिय्याह ने मरोदक के लोगों को अपने खज़ाने की मूल्यवान वस्तुएँ दिखाई। हिजकिय्याह ने उन लोगों को अपनी सारी सम्पत्ति दिखाई। चाँदी, सोना, मूल्यवान तेल और इत्र उन्हें दिखाये। हिजकिय्याह ने उन्हें युद्ध में काम आने वाली तलवारें और ढालें भी दिखाई। हिजकिय्याह ने उन्हें वे सभी वस्तुएँ दिखाई जो उसने जमा कर रखी थीं। हिजकिय्याह ने अपने घर की और अपने राज्य की हर वस्तु उन्हें दिखायी।
3 यशायाह नबी राजा हिजकिय्याह के पास गया और उससे बोला, “ये लोग क्या कह रहे हैं ये लोग कहाँ से आये हैं”
हिजकिय्याह ने कहा, “ये लोग दूर देश से मेरे पास आये हैं। ये लोग बाबुल से आये हैं।”
4 इस पर यशायाह ने उससे पूछा, “उन्होंने तेरे महल में क्या देखा”
हिजकिय्याह ने कहा, “मेरे महल की हर वस्तु उन्होंने देखी। मैंने अपनी सारी सम्पत्ति उन्हें दिखाई थी।”
5 यशायाह ने हिजकिय्याह से यह कहा: “सर्वशक्तिमान यहोवा के शब्दों को सुनो। 6 ‘भविष्य में जो कुछ तेरे घर में हैं, वह सब कुछ बाबुल ले जाया जायेगा। और तेरे बुजुर्गों की वह सारी धन दौलत जो अचानक उन्होंने एकत्र की है, ले ली जायेगी। तेरे पास कुछ नहीं छोड़ा जायेगा। सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह कहा है। 7 बाबुल का राजा तेरे पुत्रों को ले जायेगा। वे पुत्र जो तुझसे पैदा होंगे। तेरे पुत्र बाबुल के राजा के महल में हाकिम बनेंगे।’”
8 हिजकिय्याह ने यशायाह से कहा, “यहोवा के इन वचनों का सुनना मेरे लिये बहुत उत्तम होगा।” (हिजकिय्याह ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि उसका विचार था, “जब मैं राजा होऊँगा, तब शांति रहेगी और कोई उत्पात नहीं होगा।”)
इस्राएल के दण्ड का अंत
40 तुम्हारा परमेश्वर कहता है,
“चैन दे, चैन दे मेरे लोगों को!
2 तू दया से बातें कर यरूशलेम से!
यरूशलेम को बता दे,
‘तेरी दासता का समय अब पूरा हो चुका है।
तूने अपने अपराधों की कीमत दे दी है।’
यहोवा ने यरूशलेम के किये हुए पापों का दुगना दण्ड उसे दिया है!”
3 सुनो! एक व्यक्ति का जोर से पुकारता हुआ स्वर:
“यहोवा के लिये बियाबान में एक राह बनाओ!
हमारे परमेश्वर के लिये बियाबान में एक रास्ता चौरस करो!
4 हर घाटी को भर दो।
हर एक पर्वत और पहाड़ी को समतल करो।
टेढ़ी—मेढ़ी राहों को सीधा करो।
उबड़—खाबड़ को चौरस बना दो।
5 तब यहोवा की महिमा प्रगट होगी।
सब लोग इकट्ठे यहोवा के तेज को देखेंगे।
हाँ, यहोवा ने स्वयं ये सब कहा है।”
6 एक वाणी मुखरित हुई, उसने कहा, “बोलो!”
सो व्यक्ति ने पूछा, “मैं क्या कहूँ” वाणी ने कहा, “लोग सर्वदा जीवित नहीं रहेंगे।
वे सभी रेगिस्तान के घास के समान है।
उनकी धार्मिकता जंगली फूल के समान है।
7 एक शक्तिशाली आँधी यहोवा की ओर से उस घास पर चलती है,
और घास सूख जाती है, जंगली फूल नष्ट हो जाता है। हाँ सभी लोग घास के समान हैं।
8 घास मर जाती है और जंगली फूल नष्ट हो जाता है।
किन्तु हमारे परमेश्वर के वचन सदा बने रहते हैं।”
मुक्ति: परमेश्वर का सुसन्देश
9 हे, सिय्योन, तेरे पास सुसन्देश कहने को है,
तू पहाड़ पर चढ़ जा और ऊँचे स्वर से उसे चिल्ला!
यरूशलेम, तेरे पास एक सुसन्देश कहने को है।
भयभीत मत हो, तू ऊँचे स्वर में बोल!
यहूदा के सारे नगरों को तू ये बातें बता दे: “देखो, ये रहा तुम्हारा परमेश्वर!”
10 मेरा स्वामी यहोवा शक्ति के साथ आ रहा है।
वह अपनी शक्ति का उपयोग लोगों पर शासन करने में लगायेगा।
यहोवा अपने लोगों को प्रतिफल देगा।
उसके पास देने को उनकी मजदूरी होगी।
11 यहोवा अपने लोगों की वैसे ही अगुवाई करेगा जैसे कोई गड़ेरिया अपने भेड़ों की अगुवाई करता है।
यहोवा अपने बाहु को काम में लायेगा और अपनी भेड़ों को इकट्ठा करेगा।
यहोवा छोटी भेड़ों को उठाकर गोद में थामेगा, और उनकी माताऐं उसके साथ—साथ चलेंगी।
संसार परमेश्वर ने रचा: वह इसका शासक है।
12 किसने अँजली में भर कर समुद्र को नाप दिया किसने हाथ से आकाश को नाप दिया
किसने कटोरे में भर कर धरती की सारी धूल को नाप दिया
किसने नापने के धागे से पर्वतों
और चोटियों को नाप दिया यह यहोवा ने किया था!
13 यहोवा की आत्मा को किसी व्यक्ति ने यह नहीं बताया कि उसे क्या करना था।
यहोवा को किसी ने यह नहीं बताया कि उसे जो उसने किया है, कैसे करना था।
14 क्या यहोवा ने किसी से सहायता माँगी?
क्या यहोवा को किसी ने निष्पक्षता का पाठ पढ़ाया है?
क्या किसी व्यक्ति ने यहोवा को ज्ञान सिखाया है?
क्या किसी व्यक्ति ने यहोवा को बुद्धि से काम लेना सिखाया है? नहीं!
इन सभी बातों का यहोवा को पहले ही से ज्ञान है!
15 देखो, जगत के सारे देश घड़े में एक छोटी बूंद जैसे हैं।
यदि यहोवा सुदूरवर्ती देशों तक को लेकर अपनी तराजू पर धर दे, तो वे छोटे से रजकण जैसे लगेंगे।
16 लबानोन के सारे वृक्ष भी काफी नहीं है कि उन्हें यहोवा के लिये जलाया जाये।
लबानोन के सारे पशु काफी नहीं हैं कि उनको उसकी एक बलि के लिये मारा जाये।
17 परमेश्वर की तुलना में विश्व के सभी राष्ट्र कुछ भी नहीं हैं।
परमेश्वर की तुलना में विश्व के सभी राष्ट्र बिल्कुल मूल्यहीन हैं।
परमेश्वर क्या है लोग कल्पना भी नहीं कर सकते
18 क्या तुम परमेश्वर की तुलना किसी भी वस्तु से कर सकते हो नहीं! क्या तुम परमेश्वर का चित्र बना सकते हो नहीं!
19 कुन्तु कुछ लोग ऐसे हैं जो पत्थर और लकड़ी की मूर्तियाँ बनाते हैं और उन्हें देवता कहते हैं।
एक कारीगर मूर्ति को बनाता है।
फिर दूसरा कारीगर उस पर सोना मढ़ देता है और उसके लिये चाँदी की जंजीरे बनता है!
20 सो वह व्यक्ति आधार के लिये एक विशेष प्रकार की लकड़ी चुनता है जो सड़ती नहीं है।
तब वह एक अच्छे लकड़ी चुनता है जो सड़ती नहीं है।
तब वह एक अच्छे लकड़ी के कारीगर को ढूँढता है।
वह कारीगर एक ऐसा “देवता” बनाता है जो ढुलकता नहीं है!
21 निश्चय ही, तुम सच्चाई जानते हो, बोलो निश्चय ही तुमने सुना है!
निश्चय ही बहुत पहले किसी ने तुम्हें बताया है! निश्चय ही तुम जानते हो कि धरती को किसने बनाया है!
22 यहोवा ही सच्चा परमेश्वर है!
वही धरती के चक्र के ऊपर बैठता है!
उसकी तुलना में लोग टिड्डी से लगते हैं।
उसने आकाशों को किसी कपड़े के टुकड़े की भाँति खोल दिया।
उसने आकाश को उसके नीचे बैठने को एक तम्बू की भाँति तान दिया।
23 सच्चा परमेश्वर शासकों को महत्त्वहीन बना देता है।
वह इस जगत के न्यायकर्ताओं को पूरी तरह व्यर्थ बना देता है!
24 वे शासक ऐसे हैं जेसे वे पौधे जिन्हें धरती में रोपा गया हो,
किन्तु इससे पहले की वे अपनी जड़े धरती में जमा पाये,
परमेश्वर उन को बहा देता है
और वे सूख कर मर जाते हैं।
आँधी उन्हें तिनके सा उड़ा कर ले जाती है।
25 “क्या तुम किसी से भी मेरी तुलना कर सकते हो नहीं!
कोई भी मेरे बराबर का नहीं है।”
26 ऊपर आकाशों को देखो।
किसने इन सभी तारों को बनाया
किसने वे सभी आकाश की सेना बनाई
किसको सभी तारे नाम—बनाम मालूस हैं
सच्चा परमेश्वर बहुत ही सुदृढ़ और शक्तिशाली है
इसलिए कोई तारा कभी निज मार्ग नहीं भूला।
27 हे याकूब, यह सच है!
हे इस्राएल, तुझको इसका विश्वास करना चाहिए!
सो तू क्यों ऐसा कहता है कि “जैसा जीवन मैं जीता हूँ उसे यहोवा नहीं देख सकता!
परमेश्वर मुझको पकड़ नहीं पायेगा और न दण्ड दे पायेगा।”
28 सचमुच तूने सुना है और जानता है कि यहोवा परमेश्वर बुद्धिमान है।
जो कुछ वह जानता है उन सभी बातों को मनुष्य नहीं सीख सकता।
यहोवा कभी थकता नहीं,
उसको कभी विश्राम की आवश्यकता नहीं होती।
यहोवा ने ही सभी दूरदराज के स्थान धरती पर बनाये।
यहोवा सदा जीवित है।
29 यहोवा शक्तिहीनों को शक्तिशाली बनने में सहायता देता है।
वह ऐसे उन लोगों को जिनके पास शक्ति नहीं है, प्रेरित करता है कि वह शक्तिशाली बने।
30 युवक थकते हैं और उन्हें विश्राम की जरुरत पड़ जाती है।
यहाँ तक कि किशोर भी ठोकर खाते हैं और गिरते हैं।
31 किन्तु वे लोग जो यहोवा के भरोसे हैं फिर से शक्तिशाली बन जाते हैं।
जैसे किसी गरुड़ के फिर से पंख उग आते हैं।
ये लोग बिना विश्राम चाहे निरंतर दौड़ते रहते हैं।
ये लोग बिना थके चलते रहते हैं।
यहोवा सृजनहार है: वह अमर है
41 यहोवा कहा करता है,
“सुदूरवर्ती देशों, चुप रहो और मेरे पास आओ!
जातियों, फिर से सुदृढ़ बनों।
मेरे पास आओ और मुझसे बातें करो।
आपस में मिल कर हम
निश्चय करें कि उचित क्या है।
2 किसने उस विजेता को जगाया है, जो पूर्व से आयेगा
कौन उससे दूसरे देशों को हरवाता और राजाओं को अधीन कर देता
कौन उसकी तलवारों को इतना बढ़ा देता है
कि वे इतनी असंख्य हो जाती जितनी रेत—कण होते हैं
कौन उसके धनुषों को इतना असंख्य कर देता जितना भूसे के छिलके होते हैं
3 यह व्यक्ति पीछा करेगा और उन राष्ट्रों का पीछा बिना हानि उठाये करता रहेगा
और ऐसे उन स्थानों तक जायेगा जहाँ वह पहले कभी गया ही नहीं।
4 कौन ये सब घटित करता है किसने यह किया
किसने आदि से सब लोगों को बुलाया मैं यहोवा ने इन सब बातों को किया!
मैं यहोवा ही सबसे पहला हूँ।
आदि के भी पहले से मेरा अस्तित्व रहा है,
और जब सब कुछ चला जायेगा तो भी मैं यहाँ रहूँगा।
5 सुदूरवर्ती देश इसको देखें
और भयभीत हों।
दूर धरती के छोर के लोग
फिर आपस में एक जुट होकर
भय से काँप उठें!
6 “एक दूसरे की सहायता करेंगें। देखो! अब वे अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए एक दूसरे की हिम्मत बढ़ा रहे हैं। 7 मूर्ति बनानें के लिए एक कारीगर लकड़ी काट रहा है। फिर वह व्यक्ति सुनार को उत्साहित कर रहा है। एक कारीगर हथौड़ें से धातु का पतरा बना रहा है। फिर वह कारीगर निहायी पर काम करनेवाले व्यक्ति को प्रेरित कर रहा है। यह अखिरी कारीगर कह रहा है, काम अच्छा है किन्तु यह धातु पिंड कहीं उखड़ न जाये। इसलिए इस मूर्ति को आधार पर कील से जड़ दों! उससे मूर्ति गिरेगी नहीं, वह कभी हिलडुल तक नहीं पायेगो।”
यहोवा ही हमारी रक्षा कर सकता है
8 यहोवा कहता है: “किन्तु तू इस्राएल, मेरा सेवक है।
याकूब, मैंने तुझ को चुना है
तू मेरे मित्र इब्राहीम का वंशज है।
9 मैंने तुझे धरती के दूर देशों से उठाया।
मैंने तुम्हें उस दूर देश से बुलाया।
मैंने कहा, ‘तू मेरा सेवक है।’
मैंने तुझे चुना है
और मैंने तुझे कभी नहीं तजा है।
10 तू चिंता मत कर, मैं तेरे साथ हूँ।
तू भयभीत मत हो, मैं तेरा परमेश्वर हूँ।
मैं तुझे सुदृढ़ करुँगा।
मैं तुझे अपने नेकी के दाहिने हाथ से सहारा दूँगा।
11 देख, कुछ लोग तुझ से नाराज हैं किन्तु वे लजायेंगे।
जो तेरे शत्रु हैं वे नहीं रहेंगे, वे सब खो जायेंगे।
12 तू ऐसे उन लोगों की खोज करेगा जो तेरे विरुद्ध थे।
किन्तु तू उनको नहीं पायेगा।
वे लोग जो तुझ से लड़े थे, पूरी तरह लुप्त हो जायेंगे।
13 मैं तेरा परमेश्वर यहोवा हूँ।
मैंने तेरा सीधा हाथ थाम रखा है।
मैं तुझ से कहता हूँ कि मत डर! मैं तुझे सहारा दूँगा।
14 मूल्यवान यहूदा, तू निर्भय रह! हे मेरे प्रिय इस्राएल के लोगों।
भयभीत मत रहो।”
सचमुच मैं तुझको सहायता दूँगा।
स्वयं यहोवा ही ने यें बातें कहीं थी।
इस्राएल के पवित्र (परमेश्वर) ने
जो तुम्हारी रक्षा करता है, कहा था:
15 देख, मैंने तुझे एक नये दाँवने के यन्त्र सा बनाया है।
इस यन्त्र में बहुत से दाँते हैं जो बहुत तीखे हैं।
किसान इसको अनाज के छिलके उतारने के काम में लाते है।
तू पर्वतों को पैरों तले मसलेगा और उनको धूल में मिला देगा।
तू पर्वतों को ऐसा कर देगा जैसे भूसा होता है।
16 तू उनको हवा में उछालेगा और हवा उनको उड़ा कर दूर ले जायेगी और उन्हें कहीं छितरा देगी।
तब तू यहोवा में स्थित हो कर आनन्दित होगा।
तुझको इस्राएल के पवित्र (परमेश्वर) पर पहुत गर्व होगा।
17 “गरीब जन, और जरुरत मंद जल ढूँढ़ते हैं किन्तु उन्हें जल नहीं मिलता है।
वे प्यासे हैं और उनकी जीभ सूखी है। मैं उनकी विनतियों का उत्तर दूँगा।
मैं उनको न ही तजूँगा और न ही मरने दूँगा।
18 मैं सूखे पहाड़ों पर नदियाँ बहा दूँगा।
घाटियों में से मैं जलस्रोत बहा दूँगा।
मैं रेगिस्तान को जल से भरी झील में बदल दूँगा।
उस सूखी धरती पर पानी के सोते मिलेंगे।
19 मरुभूमि में देवदार के, कीकार के, जैतून के, सनावर के, तिघारे के, चीड़ के पेड़ उगेंगे!
20 लोग ऐसा होते हुए देखेंगे और वे जानेंगे कि
यहोवा की शक्ति ने यह सब किया है।
लोग इनको देखेंगे और समझना शुरु करेंगे कि
इस्राएल के पवित्र (परमेश्वर) ने यह बातें की हैं।”
यहोवा की झूठे देवताओं को चेतावनी
21 याकूब का राजा यहोवा कहता है, “आ, और मुझे अपनी युक्तियाँ दे। अपना प्रमाण मुझे दिखा और फिर हम यह निश्चय करेंगे कि उचित बातें क्या हैं 22 तुम्हारे मूर्तियों को हमारे पास आकर, जो घट रहा है, वह बताना चाहिये। प्रारम्भ में क्या कुछ घटा था और भविष्य में क्या घटने वाला है। हमें बताओं हम बड़े ध्यान से सुनेंगे। जिससे हम यह जान जायें कि आगे क्या होने वाला है। 23 हमें उन बातों को बताओ जो घटनेवाली हैं। जिन्हें जानने का हमें इन्तज़ार है ताकि हम विश्वास करें कि सममुच तुम देवता हो। कुछ करो! कुछ भी करो। चाहे भला चाहे बुरा ताकि हम देख सकें और जान सके कि तुम जीवित हो और तुम्हारा अनुसरण करें।
24 “देखो झूठे देवताओं, तुम बेकार से भी ज्यादा बेकार हो! तुम कुछ भी तो नहीं कर सकते। केवल बेकार के भ्रष्ट लोग ही तुम्हें पूजना चाहते हैं!”
बस यहोवा ही परमेश्वर है
25 “उत्तर में मैंने एक व्यक्ति को उठाया है।
वह पूर्व से जहाँ सूर्य उगा करता है, आ रहा है।
वह मेरे नाम की उपासना किया करता है।
जैसे कुम्हार मिट्टी रौंदा करता है वैसे ही वह विशेष व्यक्ति राजाओं को रौंदेगा।”
26 “यह सब घटने से पहले ही हमें जिसने बताया है, हमें उसे परमेश्वर कहना चाहिए।
क्या हमें ये बातें तुम्हारे किसी मूर्ति ने बतायी नहीं!
किसी भी मूर्ति ने कुछ भी हमको नहीं बताया था।
वे मूर्ति तो एक भी शब्द नहीं बोल पाते हैं।
वे झूठे देवता एक भी शब्द जो तुम बोला करते हो नहीं सुन पाते हैं।
27 मैं यहोवा सिय्योन को इन बातों के विषय में बताने वाला पहला था।
मैंने एक दूत को इस सन्देश के साथ यरूशलेम भेजा था कि: ‘देखो, तुम्हारे लोग वापस आ रहे हैं!’”
28 मैंने उन झूठे देवों को देखा था, उनमें से कोई भी इतना बुद्धिमान नहीं था जो कुछ कह सके।
मैंने उनसे प्रश्न पूछे थे वे एक भी शब्द नहीं बोल पाये थे।
29 वे सभी देवता बिल्कुल ही व्यर्थ हैं!
वे कुछ नहीं कर पाते वे पूरी तरह मूल्यहीन हैं!
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