Print Page Options
Previous Prev Day Next DayNext

Beginning

Read the Bible from start to finish, from Genesis to Revelation.
Duration: 365 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
एज्रा 4-7

मन्दिर के पुनः निर्माण के विरुद्ध शत्रु

1-2 उस क्षेत्र में रहने वाले वहुत से लोग यहूदा और बिन्यामीन के लोगों के विरूद्ध थे। उन शत्रुओं ने सुना कि वे लोग जो बन्धुवाई से आये हैं वे, इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के लिये एक मन्दिर बना रहे हैं। इसलिये वे शत्रु जरुब्बाबेल तथा परिवार प्रमुखों के पास आए और उन्होंने कहा, “मन्दिर बनाने में हमें तुमको सहायता करने दो। हम लोग वही हैं जो तुम हो, हम तुम्हारे परमेश्वर से सहायता माँगते हैं। हम लोगों ने तुम्हारे परमेश्वर को तब से बलि चढ़ाई है जब से अश्शूर का राजा एसर्हद्दोन हम लोगों को यहाँ लाया।”

किन्तु जरुब्बाबेल, येशू और इस्राएल के अन्य परिवार प्रमुखों ने उत्तर दिया, “नहीं, तुम जैसे लोग हमारे परमेश्वर के लिये मन्दिर बनाने में हमें सहायता नहीं कर सकते। केवल हम लोग ही यहोवा के लिये मन्दिर बना सकते हैं। वह इस्राएल का परमेश्वर है। फारस के राजा कुस्रू ने जो करने का आदेश दिया है, वह यही है।”

इससे वे लोग क्रोधित हो उठे। अत: उन लोगों ने यहूदियों को परेशान करना आरम्भ किया। उन्होंने उनको हतोत्साह और मन्दिर को बनाने से रोकने का प्रयत्न किया। उन शत्रुओं ने सरकारी अधिकारियों को यहूदा के लोगों के विरुद्ध काम करने के लिए खरीद लिया। उन अधिकारियों ने यहूदियों द्वारा मन्दिर को बनाने की योजना को रोकने के लिए लगातार काम किया। यह उस दौरान तब तक लगातार चलता रहा जब तक कुस्रू फारस का राजा रहा और बाद में जब तक दारा फारस का राजा नहीं हो गया।

उन शत्रुओं ने यहूदियों को रोकने के लिये प्रयत्न करते हुए फारस के राजा को पत्र भी लिखा। उन्होंने यह पत्र तब लिखा था जब क्षयर्ष[a] फारस का राजा बना।

यरूशलेम के पुनः निर्माण के विरुद्ध शत्रु

बाद में, जब अर्तक्षत्र[b] फारस का नया राजा हुआ, इन लोगों में से कुछ ने यहूदियों के विरुद्ध शिकायत करते हुए एक और पत्र लिखा। जिन लोगों ने वह पत्र लिखा, वे ये थे: बिशलाम, मिथदात, ताबेल और उसके दल के अन्य लोग। उन्होंने पत्र राजा अर्तक्षत्र को अरामी में अरामी लिपि का उपयोग करते हुए लिखा।

[c] तब शासनाधिकारी रहूम और सचिव शिलशै ने यरूशलेम के लोगों के विरुद्ध पत्र लिखा। उन्होंने राजा अर्तक्षत्र को पत्र लिखा। उन्होंने जो लिखा वह यह था:

शासनाधिकारी रहूम, सचिव शिमशै, तथा तर्पली, अफ़ारसी, एरेकी, बाबेली और शूशनी के एलामी लोगों के न्यायाधीश और महत्वपूर्ण अधिकारियों की ओर से, 10 तथा वे अन्य लोग जिन्हें महान और शक्तिशाली ओस्नप्पर ने शोमरोन के नगरों एवं परात नदी के पश्चिमी प्रदेश के अन्य स्थानों पर बसाय था।

11 यह उस पत्र की प्रतिलिपि है जिसे उन लोगों ने अर्तक्षत्र को भेजा था।

राजा अर्तक्षत्र को, परात नदी के पश्चिमी क्षेत्र में रहने वाले आप के सेवकों की ओर से है।

12 राजा अर्तक्षत्र हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि जिन यहूदियों को आपने—अपने पास से भेजा है, वे यहाँ आ गये हैं। वे यहूदी उस नगर को फिर से बनाना चाहते हैं। यरूशलेम एक बुरा नगर है। उस नगर के लोगों ने अन्य राजाओं के विरूद्ध सदैव विद्रोह किया है। अब वे यहूदी परकोटे की नींवों को पक्का कर रहे हैं और दीवारें खड़ी कर रहे हैं।[d]

13 राजा अर्तक्षत्र आपको यह भी जान लेना चाहिये कि यदि यरूशलेम और इसके परकोटे फिर बन गए तो यरूशलेम के लोग कर देना बन्द कर देंगे। वे आपका सम्मान करने के लिये धन भेजना बन्द कर देंगे। वे सेवा कर देना भी रोक देंगे और राजा को उस सारे धन से हाथ धोना पड़ेगा।

14 हम लोग राजा के प्रति उत्तरदायी हैं। हम लोग यह सब घटित होना नहीं देखना चाहते। यही कारण है कि हम लोग यह पत्र राजा को सूचना के लिये भेज रहे हैं।

15 राजा अर्तक्षत्र हम चाहते हैं कि आप उन राजाओं के लेखों का पता लगायें जिन्होंने आपके पहले शासन किये। आप उन लेखों में देखेंगे कि यरूशलेम ने सदैव अन्य राजाओं के प्रति विद्रोह किया। इसने अन्य राजाओं और राष्द्रों के लिये बहुत कठिनाईयाँ उत्पन्न की हैं। प्राचीन काल से इस नगर में बहुत से विद्रोह का आरम्भ हुआ है! यही कारण है कि यरूशलेम नष्ट हुआ था!

16 राजा अर्तक्षत्र हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि यदि यह नगर और इसके परकोटे फिर से बन गई तो फरात नदी के पश्चिम के क्षेत्र आप के हाथ से निकल जाएँगे।

17 तब अर्तक्षत्र ने यह उत्तर भेजा:

शासनाधिकारी रहूम और सचिव शिमशै और उन के सभी साथियों को जो शोमरोन और परात नदी के अन्य पश्चिमी प्रदेश में रहते हैं, को अपना उत्तर भेजा।

अभिवादन,

18 तुम लोगों ने जो हमारे पास पत्र भेजा उसका अनुवाद हुआ और मुझे सुनाया गया। 19 मैंने आदेश दिया कि मेरे पहले के राजाओं के लेखों की खोज की जाये। लेख पढ़े गये और हम लोगों को ज्ञात हुआ कि यरूशलेम द्वारा राजाओं के विरूद्ध विद्रोह करने का एक लम्बा इतिहास है। यरूशलेम ऐसा स्थान रहा है जहाँ प्राय: विद्रोह और क्रान्तियाँ होती रही हैं। 20 यरूशलेम और फरात नदी के पश्चिम के पूरे क्षेत्र पर शक्तिशाली राजा राज्य करते रहे हैं। राज्य कर और राजा के सम्मान के लिये धन और विविध प्रकार के कर उन राजाओं को दिये गए हैं।

21 अब तुम्हें उन लोगों को काम बन्द करने के लिये एक आदेश देना चाहिए। यह आदेश यरूशलेम के पुन: निर्माण को रोकने के लिये तब तक है, जब तक कि मैं वैसा करने की आज्ञा न दूँ। 22 इस आज्ञा की उपेक्षा न हो, इसके लिये सावधान रहना। हमें यरूशलेम के निर्माण कार्य को जारी नहीं रहने देना चाहिए। यदि काम चलता रहा तो मुझे यरूशलेम से आगे कुछ भी धन नहीं मिलेगा।

23 सो उस पत्र की प्रतिलिपि, जिसे राजा अर्तक्षत्र ने भेजा रहुम, सचिव शिमशै और उनके साथ के लोगों को पढ़कर सुनाई गई। तब वे लोग बड़ी तेज़ी से यरूशलेम में यहूदियों के पास गए। उन्होंने यहुदियों को निर्माण कार्य बन्द करने को विवश कर दिया।

मन्दिर का कार्य रुका

24 इस प्रकार यरूशलेम में परमेश्वर के मन्दिर का काम रुक गया। फारस के राजा दारा के शासनकाल के दूसरे वर्ष तक यह कार्य नहीं चला।

तब हाग्गै[e] नबी और इद्दो के पुत्र जकर्याह[f] ने इस्राएल के परमेश्वर के नाम पर भविष्यवाणी करनी आरम्भ की। उन्होंने यहूदा और यरूशलेम में यहूदियों को प्रोत्साहित किया। अतःशालतीएल का पुत्र जरूब्बाबेल और योसादाक का पुत्र येशु ने फिर यरूशलेम में मन्दिर का निर्माण करना आरम्भ कर दिया। सभी परमेश्वर के नबी उनके साथ थे और कार्य में सहायता कर रहे थे। उस समय फरात नदी के पश्चिम के क्षेत्र का राज्यपाल तत्तनै था। तत्तनै, शतर्बोजनै और उनके साथ के लोग जरूब्बाबेल और येशु ताथ निर्माण करने वालों के पास गए। तत्तनै और उसके साथ के लोगों ने जरूब्बाबेल और उसके साथ के लोगों से पूछा, “तुम्हें इस मन्दिर को फिर से बनाने और इस की छत का काम पूरा करने का आदेश किसने दिया?” उन्होंने जरूब्बाबेल से यह भी पुछा, “जो लोग इस इमारत को बनाने का काम रहे हैं उनके नाम क्या हैं?”

किन्तु परमेश्वर यहूदी प्रमुखों पर दृष्टि रख रहा था। निर्माण करने वालों को तब तक काम नहीं रोकना पड़ा जब तक उसका विवरण राजा दारा को न भेज दिया गया। वे तब तक काम करते रहे जब तक राजा दारा ने अपना उत्तर वापस नहीं भेजा।

फ़रात के पश्चिम के क्षेत्रों के शासनाधिकारी तत्तनै, शतर्बोजनै और उनके साथ के महत्वपूर्ण व्यक्तियों ने राजा दारा के पास पत्र भेजा। यह उस पत्र की प्रतिलिपि है:

राजा दारा को अभिवादन

राजा दारा, आपको ज्ञात होना चाहिए कि हम लोग यहूदा प्रदेश में गए। हम लोग महान परमेश्वर के मन्दिर को गए। यहूदा के लोग उस मन्दिर को बड़े पत्थरों से बना रहे हैं। वे दीवरों में लकड़ी की बड़ी—बड़ी शहतीरें डाल रहे हैं। काम बड़ी सावधानी से किया जा रहा है, और यहूदा के लोग बहुत परिश्रम कर रहे हैं। वे बड़ी तेज़ी से निर्माण कार्य कर रहे हैं और यह शीघ्र ही पूरा हो जाएगा।

हम लोगों ने उनके प्रमुखों से कुछ प्रश्न उनके निर्माण कार्य के बारे में पूछा। हम लोगों ने उनसे पूछा, “तुम्हें इस मन्दिर को फिर से बनाने और इस की छत का काम पूरा करने की स्वीकृति किसने दी है?” 10 हम लोगों नें उनके नाम भी पूछे। हम लोगों ने उन लोगों के प्रमुखों के नाम लिखना चाहा जिससे आप जान सकें कि वे कौन लोग हैं।

11 उन्होंने हमें यह उत्तर दिया:

“हम लोग स्वर्ग और पृथ्वी के परमेश्वर के सेवक हैं। हम लोग उसी मन्दिर को बना रहे हैं जिसे बहुत वर्ष पहले इस्राएल के एक महान राजा ने बनाया और पूरा किया था। 12 किन्तु हमारे पूर्वजों ने स्वर्ग के परमेश्वर को क्रोधित किया। इसलिये परमेश्वर ने हमारे पूर्वजों को बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर को दिया। नबूकदनेस्सर ने इस मन्दिर को नष्ट किया और उसने लोगों को बन्दी के रूप में बाबेल जाने को विवश किया। 13 किन्तु बाबेल पर कुस्रू के राजा होने के प्रथम वर्ष में राजा कुस्रू ने परमेश्वर के मन्दिर को फिर से बनाने के लिए विशेष आदेश दिया। 14 कुस्रू ने बाबेल में अपने असत्य देवता के मन्दिर से उन सोने चाँदी की चीज़ों को निकाला जो भूतकाल में परमेश्वर के मन्दिर से लूट कर ले जाई गइ थीं। नबूकदनेस्सर ने उन चीज़ों को यरूशलेम के मन्दिर से लूटा और उन्हें बाबेल में अपने असत्य देवताओं के मन्दिर में ले आया। तब राजा कुस्रू ने उन सोने चाँदी की चीजों को शेशबस्सर (जरूब्बाबेल) को दे दिया।” कुस्रू ने शेशबस्सर को प्रशासक चुना था।

15 कुस्रू ने तब शेशबस्सर (जरूब्बाबेल) से कहा था, “इन सोने चाँदी की चीज़ों को लो और उन्हें यरूशलेम के मन्दिर में वापस रखो। उसी स्थान पर परमेश्वर के मन्दिर को बनाओ जहाँ वह पहले था।”

16 अत: शेशबस्सर (जरूब्बाबेल) आया और उसने यरूशलेम में परमेश्वर के मन्दिर की नींव का काम पूरा किया। उस दिन से आज तक मन्दिर के निर्माण का काम चलता आ रहा है। किन्तु यह अभी तक पूरा नहीं हुआ है।

17 अब यदि राजा चाहते हैं तो कृपया वे राजाओं के लेखों को खोजें। यह देखने के लिए खोज करें कि क्या राजा कुस्रू द्वारा यरूशलेम में परमेश्वर के मन्दिर को फिर से बनाने का दिया गया आदेश सत्य है और तब, महामहिम, कृपया आप हम लोगों को पत्र भेजें जिससे हम जान सकें कि आपने इस विषय में क्या करने का निर्णय लिया है।

दारा का आदेश

अत: राजा दारा ने अपने पूर्व के राजाओं के लेखों की जाँच करने का आदेश दिया। वे लेख बाबेल में वहीं रखे थे जहाँ खज़ाना रखा गया था। अहमत्ता के किले में एक दण्ड में लिपटा गोल पत्रक मिला। (एकवतन मादे प्रान्त में है।) उस दण्ड में लिपटे गोल पत्रक पर जो लिखा था, वह यह है:

सरकारी टिप्पणी: कुस्रू के राजा होने के प्रथम वर्ष में कुस्रू ने यरूशलेम में परमेश्वर के मन्दिर के लिये एक आदेश दिया। आदेश यह था:

परमेश्वर का मन्दिर फिर से बनने दो। यह बलि भेंट करने का स्थान होगा। इसकी नींव को बनने दो। मन्दिर साठ हाथ ऊँचा और साठ हाथ चौड़ा होना चाहिए। इसके परकोटे में विशाल पत्थरों की तीन कतारें और विशाल लकड़ी के शहतीरों की एक कतार होनी चाहिए। मन्दिर को बनाने का व्यय राजा के खज़ाने से किया जाना चाहिये। साथ ही साथ, परमेशवर के मन्दिर की सोने और चाँदी की चीज़ें उनके स्थान पर वापस रखी जानी चाहिए। नबूकदनेस्सर ने उन चीज़ों को यरूशलेम के मन्दिर से लिया था और उन्हें बाबेल लाया था। वे परमेश्वर के मन्दिर में वापस रख दिये जाने चाहिये।

इसलिये अब, मैं दारा,

फरात नदी के पश्चिम के प्रदेशों के शासनाधिकारी तत्तनै और शतर्बोजनै और उस प्रान्त के रहने वाले सभी अधिकारियों, तुम्हें आदेश देता हूँ कि तुम लोग यरूशलेम से दूर रहो। श्रमिकों को परेशान न करो। परमेश्वर के उस मन्दिर के काम को बन्द करने का प्रयत्न मत करो। यहूदी प्रशासक और यहूदी प्रमुखों को इन्हें फिर से बनाने दो। उन्हें परमेश्वर के मन्दिर को उसी स्थान पर फिर से बनाने दो जहाँ यह पहले था।

अब मैं यह आदेश देता हूँ, तुम्हें परमेश्वर के मन्दिर को बनाने वाले यहूदी प्रमुखों के लिये यह करना चाहिये: इमारत की लागत का भुगतान राजा के खज़ाने से होना चाहिये। यह धन फ़रात नदी के पश्चिम के क्षेत्र के प्रान्तों से इकट्ठा किये गये राज्य कर से आयेगा। ये काम शीघ्रता से करो, जिससे काम रूके नहीं। उन लोगों को वह सब दो जिसकी उन्हें आवश्यकता हो। यदि उन्हें स्वर्ग के परमेश्वर को बलि के लिये युवा बैलों, मेढ़ों या मेमनों की जरूरत पड़े तो उन्हें वह सब कुछ दो। यदि यरूशलेम के याजक गेहूँ, नमक, दाखमधु और तेल माँगें तो बिना भूल चूक के प्रतिदिन ये चीज़ें उन्हें दो। 10 उन चीज़ों को यहूदी याजकों को दो जिससे वे ऐसी बलि भेंट करें कि जिससे स्वर्ग का परमेश्वर प्रसन्न हो। उन चीज़ों को दो जिससे याजक मेरे और मेरे पुत्रों के लिये प्रार्थना करें।

11 मैं यह आदेश भी देता हूँ कि यदि कोई व्यक्ति इस आदेश को बदलता है तो उस व्यक्ति के मकान से एक लकड़ी की कड़ी निकाल लेनी चाहिए और उस लकड़ी की कड़ी को उस व्यक्ति के शरीर पर धँसा देना चाहिये और उसके घर को तब तक नष्ट किया जाना चाहिये जब तक कि वह पत्थरों का ढेर न बन जाये।

12 परमेश्वर यरूशलेम पर अपना नाम अंकित करे और मुझे आशा है कि परमेश्वर किसी भी उस राजा या व्यक्ति को पराजित करेगा जो इस आदेश को बदलने का प्रयत्न करता है। यदि कोई यरूशलेम में इस मन्दिर को नष्ट करना चाहता है तो मुझे आशा है कि परमेश्वर उसे नष्ट कर देगा।

मैं (दारा) ने, यह आदेश दिया है। इस आदेश का पालन शीघ्र और पूर्ण रूप से होना चाहिए!

मन्दिर का पूर्ण और समर्पित होना

13 अत: फ़रात नदी के पश्चिम क्षेत्र के प्रशासक तत्तनै, शतर्बोजनै और उसके साथ के लोगों ने राजा दारा के आदेश का पालन किया। उन लोगों ने आज्ञा का पालन शीघ्र और पूर्ण रूप से किया। 14 अत: यहूदी अग्रजों (प्रमुखों) ने निर्माण कार्य जारी रखा और वे सफल हुए क्योंकि हाग्गै नबी और इद्दो के पुत्र जकर्याह ने उन्हें प्रोत्साहित किया। उन लोगों ने मन्दिर का निर्माण कार्य पूरा कर लिया। यह इस्राएल के परमेश्वर के आदेश का पालन करने के लिये किया गया। यह फारस के राजाओं, कुस्रू, दारा और अर्तक्षत्र ने जो आदेश दिये थे उनका पालन करने के लिये किया गया। 15 मन्दिर का निर्माण अदर महीने के तीसरे दिन पूरा हुआ।[g] यह राजा दारा के शासन के छठें वर्ष में हुआ।[h]

16 तब इस्राएल के लोगों ने अत्यन्त उल्लास के साथ परमेश्वर के मन्दिर का समर्पण उत्सव मनाया। याजक, लेवीवंशी, और बन्धुवाई से वापस आए अन्य सभी लोग इस उत्सव में सम्मिलित हुये।

17 उन्होंने परमेश्वर के मन्दिर को इस प्रकार समर्पित किया: उन्होंने एक सौ बैल, दो सौ मेंढ़े और चार सौ मेमने भेंट किये और उन्होंने पूरे इस्राएल के लिये पाप भेंट के रूप में बारह बकरे भेंट किये अर्थात् इस्राएल के बारह परिवार समूह में से हर एक के लिए एक बकरा भेंट किया। 18 तब उन्होंने यरूशलेम में मन्दिर में सेवा करने के लिये याजकों और लेवीवंशियों के समूह बनाये। यह सब उन्होंने उसी प्रकार किया जिस प्रकार मूसा की पुस्तक में बताया गया है।

फसह पर्व

19 [i] पहले महीने के चौदहवें दिन उन यहूदियों ने फसह पर्व मनाया जो बन्धुवाई से वापस लौटे थे। 20 याजकों और लेविवंशियों ने अपने को शुद्ध किया। उन सभी ने फसह पर्व मनाने के लिये अपने को स्वच्छ और तैयार किया। लेविवंशियों ने बन्धुवाई से लौट ने वाले सभी यहूदियों के लिये फसह पर्व के मेमने को मारा। उन्होंने यह अपने लिये और अपने याजक बंधुओं के लिये किया। 21 इसलिये बन्धुवाई से लौटे इस्राएल के सभी लोगों ने फसह पर्व का भोजन किया। अन्य लोगों ने स्नान किया और अपने आपको उन अशुद्ध चीज़ों से अलग हट कर शुद्ध किया जो उस प्रदेश में रहने वाले लोगों की थीं। उन शुद्ध लोगों ने भी फसह पर्व के भोजन में हिस्सा लिया। उन लोगों ने यह इसलिये किया, कि वे यहोव इस्राएल के परमेश्वर के पास सहायता के लिये जा सकें। 22 उन्होंने अखमीरी रोटी का उत्सव सात दिन तक बहुत अधिक प्रसन्नता से मनाया। यहोवा ने उन्हें बहुत प्रसन्न किया क्योंकि उसने अश्शूर के राजा के व्यवहार को बदल दिया था। अत: अश्शूर के राजा ने परमेश्वर के मन्दिर को बनाने में उनकी सहायता की थी।

एज्रा यरूशलेम आता है

फारस के राजा अर्तक्षत्र के शासनकाल में इन सब बातों के हो जाने के बाद[j] एज्रा बाबेल से यरूशलेम आया। एज्रा सरायाह का पुत्र था। सरायाह अजर्याह का पुत्र था। अजर्याह हिलिकय्याह का पुत्र था। हिल्किय्याह शल्लूम का पुत्र था। शल्लूम सादोक का पुत्र था। सादोक अहीतूब का पुत्र था। अहीतूब अमर्याह का पुत्र था। अमर्याह अजर्याह का पुत्र था। अजर्याह मरायोत का पुत्र था। मरायोत जरह्याह का पुत्र था। जरह्याह उज्जी का पुत्र था। उज्जी बुक्की का पुत्र था। बुक्की अबीशू का पुत्र था। अबीशू पीनहास का पुत्र था। पीनहास एलीआज़र का पुत्र था। एलीआज़र महायाजक हारून का पुत्र था।

एज्रा बाबेल से यरूशलेम आया। एज्रा का शिक्षक था। वह मूसा के नियमों को अच्छी तरह जानता था। मूसा का नियम यहोवा इस्राएल के परमेश्वर द्वारा दिया गया था। राजा अर्तक्षत्र ने एज्रा को वह हर चीज़ दी जिसे उसने माँगा क्योंकि यहावा परमेशवर एज्रा के साथ था। इस्राएल के बहुत से लोग एज्रा के साथ आए। वे याजक लेवीवंशी, गायक, द्वारपाल और मन्दिर के सेवक थे। इस्राएल के वे लोग अर्तक्षत्र के शासनकाल के सातवें वर्ष यरूशलेम आए। एज्रा यरूशलेम में राजा अर्तक्षत्र के राज्यकाल के सातवें वर्ष के पाँचवें महीन में आया। एज्रा और उसके समूह ने बाबेल को पहले महीने के पहले दिन छोड़ा। वह पाँचवें महीने के पहले दिन यरूशलेम पहुँचा। यहोव परमेशवर एज्रा के साथ था। 10 एज्रा ने अपना पूरा समय और ध्यान यहोवा के नियमों को पढ़ने और उनके पालन करने में दिय। एज्रा इस्राएल के लोगों को यहोवा के नियमों और आदेशों की शिक्षा देना चाहता था और वह इस्राएल में लोगों को उन नियमों का अनुसरण करने में सहायता देना चाहता था।

राजा अर्तक्षत्र का एज्रा को पत्र

11 एज्रा एक याजक और शिक्षक था। इस्राएल को यहोवा द्वारा दिये गए आदेशों और नियमों के बारे में वह पर्याप्त ज्ञान रखता था। यह उस पत्र की प्रतिलिपि है जिसे राजा अर्तक्षत्र ने उपदेशक एज्रा को दिया था।

12 [k] राजा अर्तक्षत्र की ओर से,

याजक एज्रा को जो स्वर्ग के परमेशवर के नियमों का शिक्षक है:

अभिवादन!

13 मैं यह आदेश देता हूँ: कोई व्यक्ति, याजक या इस्राएल का लेवीवंशी जो मेरे राज्य में रहता है और एज्रा के साथ यरूशलेम जाना चाहता है, जा सकता है।

14 एज्रा, मैं और मेरे सात सलाहकार तुम्हें भेजते हैं। तुम्हें यहूदा और यरूशलेम को जाना चाहिये। यह देखो कि तुम्हारे लोग तुम्हारे परमेश्वर के नियमों का पालन कैसे कर रहे हैं। तुम्हारे पास वह नियम है।

15 मैं और मेरे सलाहकार इस्राएल के परमेशवर को सोना—चाँदी दे रहे हैं। परमेश्वर का निवास यरूशलेम में है। तुम्हें यह सोना चाँदी अपने साथ ले जाना चाहिये। 16 तुम्हें बाबेल के सभी प्रान्तों से होकर जाना चाहिये। अपने लोगों, याजकों और लेवीवंशियों से भी भेटें इकट्ठी करो। ये भेटें उनके यरूशलेम में परमेश्वर के मन्दिर के लिये हैं।

17 इस धन का उपयोग बैल, मेंढ़े और नर मेमने खरीदने में करो। उन बलियों के साथ जो अन्न भेंट और पेय भेंट चढ़ाई जानी है, उन्हें खरीदो। तब उन्हें यरूशलेम में अपने परमेश्वर के मन्दिर की वेदी पर बलि चढ़ाओ। 18 उसके बाद तुम और अन्य यहूदी बचे हुये सोने चाँदी को जैसे भी चाहो, खच कर सकते हो। इसका उपयोग वैसे ही करो जो तुम्हारे परमेश्वर को प्रसन्न करने वाला हो। 19 उन सभी चीज़ों को यरूशलेम के परमेश्वर के पास ले जाओ। वे चीज़ें तुम्हारी परमेश्वर के मन्दिर में उपासना के लिये हैं। 20 तुम कोई भी अन्य चीज़ों ले सकते हो जिन्हें तुम अपने परमेश्वर के मन्दिर के लिये आवश्यक समझते हो। राजा के खज़ाने के धन का उपयोग जो कुछ तुम चाहते हो उसके खरीदने के लिये कर सकते हो।

21 अब मैं, राजा अर्तक्षत्र यह आदेश देता हूँ: मैं उन सभी लोगों को जो फरात नदी के पश्चिमी क्षेत्र में राजा के कोषपाल हैं, आदेश देता हूँ कि वे एज्रा को जो कुछ भी वह माँगे दें। एज्रा स्वर्ग के परमेश्वर के नियमों का शिक्षक और याजक है। इस आदेश का शीघ्र और पूर्ण रूप से पालन करो। 22 एज्रा को इतना तक दे दो: पौने चार टन चाँदी, छ: सौ बुशल गेहूँ, छ: सौ गैलन दाखमधु, छ: सौ गैलन जैतून का तेल और उतना नमक जितना एज्रा चाहे। 23 स्वर्ग का परमेश्वर, एज्रा को जिस चीज़ को पाने के लिये आदेश दे उसे तुम्हें शीघ्र और पूर्ण रूप से एज्रा को देना चाहिये। स्वर्ग के परमेश्वर के मन्दिर के लिये ये सब चीज़ें करो। हम नहीं चाहते कि परमेश्वर मेरे राज्य या मेरे पुत्रों पर क्रोधित हो।

24 मैं चाहता हूँ कि तुम लोगों को ज्ञात हो कि याजकों, लेवियों, गायकों, द्वारपालों और परमेश्वर के मन्दिर के अन्य कर्मचारियों ताथ सेवकों को किसी भी प्रकार का कर देने के लिये बाध्य करना, नियम के विरोध है। 25 एज्रा मैं तुम्हें तुम्हारे परमेश्वर द्वारा प्राप्त बुद्धि के उपयोग तथा सरकारी और धार्मिक न्यायाधीशों को चुनने का अधिकार देता हूँ। ये लोग फरात नदी के पश्चिम में रहने वाले सभी लोगों के लिये न्यायाधीश होंगे। वे उन सभी लोगों का न्याय करेंगे जो तुम्हारे परमेश्वर के नियमों को जानते हैं। यदि कोई व्यक्ति उन नियमों को नहीं जानता तो वे न्यायाधीश उसे उन नियमों को बताएंगे। 26 यदि कोई ऐसा व्यक्ति हो जो तुम्हारे परमेश्वर के नियमों या राजा के नियमों का पालन नाहीं करता हो, तो उसे अवश्य दण्डित किया जाना चाहिये। अपराध के अनुसार उसे मृत्यु दण्ड, देश निकाला, उसकी सम्पत्ति को जब्त करना या बन्दीगृह में डालने का दण्ड दिया जाना चाहिए।

एज्रा परमेश्वर की स्तुति करता है

27 [l] हमारे पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा की स्तुति करो। उस ने राजा के मन में ये विचार डाला कि वह यरूशलेम में यहोवा के मन्दिर का सम्मान करे। 28 यहोवा ने राजा, उसके सलाहकारों और बड़े अधिकारियों के सामने मुझ पर अपना सच्चा प्रेम प्रकट किया। यहोवा मेरा परमेश्वर मेरे साथ था, अत: मैं साहसी रहा और मैंने इस्राएल के प्रमुखों को अपने साथ यरूशलेम जाने के लिये इकट्ठा किया।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International