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Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
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न्यायियों 10-12

न्यायाधीश तोला

10 अबीमेलेक के मरने के बाद इस्राएल के लोगों की रक्षा के लिये परमेश्वर द्वारा दूसरा न्यायाधीश भेजा गया। उस व्यक्ति का नाम तोला था। तोला पुआ नामक व्यक्ति का पुत्र था। पुआ दोदो नामक व्यक्ति का पुत्र था। तोला इस्साकार के परिवार समूह का था। तोला शामीर नगर में रहता था। शामीर नगर एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश में था। तोला इस्राएल के लोगों के लिये तेईस वर्ष तक न्यायाधीश रहा। तब तोला मर गया और शामीर नगर में दफनाया गया।

न्यायाधीश याईर

तोला के मरने के बाद, परमेश्वर द्वारा एक और न्यायाधीश भेजा गया। उस व्यक्ति का नाम याईर था। याईर गिलाद के क्षेत्र में रहता था। याईर इस्राएल के लोगों के लिये बाईस वर्ष तक न्यायाधीश रहा। याईर के तीस पुत्र थे। वे तीस गधों पर सवार होते थे। वे तीस पुत्र गिलाद क्षेत्र के तीस नगरों की व्यवस्था करते थे। वे नगर “याईर के ग्राम” आज तक कहे जाते हैं। याईर मरा और कामोन नगर मे दफनाया गया।

अम्मोनी लोग इस्राएल के लोगों के विरुद्ध लड़ते हैं

यहोवा ने इस्राएल के लोगों को फिर पाप करते हुए देखा। वे बाल एवं अश्तोरेत की मूर्तियों की पूजा करते थे। वे आराम, सीदोन, मोआब, अम्मोन और पलिश्तियों के देवताओं की पूजा करते थे। इस्राएल के लोगों ने यहोवा को छोड़ दिया और उसकी सेवा बन्द कर दी।

इसलिए यहोवा इस्राएल के लोगों पर क्रोधित हुआ। यहोवा ने पलिश्तियों और अम्मोनियों को उन्हें पराजित करने दिया। उसी वर्ष उन लोगों ने इस्राएल के उन लोगों को नष्ट किया जो गिलाद क्षेत्र में यरदन नदी के पूर्व रहते थे। यह वही प्रदेश है जहाँ अम्मोनी लोग रह चुके थे। इस्राएल के वे लोग अट्ठारह वर्ष तक कष्ट भोगते रहे। तब अम्मोनी लोग यरदन नदी के पार गए। वे लोग यहूदा, बिन्यामीन और एप्रैम लोगों के विरुद्ध लड़ने गए। अम्मोनी लोगों ने इस्राएल के लोगों पर अनेक विपत्तियाँ ढाईं।

10 इसलिए इस्राएल के लोगों ने यहोवा को रोकर पुकारा, “हम लोगों ने, परमेश्वर, तेरे विरुद्ध पाप किया है। हम लोगों ने अपने परमेश्वर को छोड़ा और बाल की मूर्तियों की पूजा की।”

11 यहोवा ने इस्राएल के लोगों को उत्तर दिया, “तुम लोगों ने मुझे तब रोकर पुकारा जब मिस्री, एमोरी, अम्मोनी तथा पलिश्ती लोगों ने तुम पर प्रहार किये। मैंने तुम्हें इन लोगों से बचाया। 12 तुम लोग तब चिल्लाए जब सीदोन के लोगों, अमालेकियों और मिद्यानियों ने तुम पर प्रहार किया। मैंने उन लोगों से भी तुम्हें बचाया। 13 किन्तु तुमने मुझको छोड़ा है। तुमने अन्य देवताओं की उपासना की है। इसलिए मैंने तुम्हें फिर बचाने से इन्कार किया है। 14 तुम उन देवताओं की पूजा करना पसन्द करते हो। इसलिए उनके पास सहायता के लिये पुकारने जाओ। विपत्ति में पड़ने पर उन देवताओं को रक्षा करने दो।”

15 किन्तु इस्राएल के लोगों ने यहोवा से कहा, “हम लोगों ने पाप किया है। तू हम लोगों के साथ जो चाहता है, कर। किन्तु आज हमारी रक्षा कर।” 16 तब इस्राएल के लोगों ने अपने पास के विदेशी देवताओं को फेंक दिया। उन्होंने फिर से यहोवा की उपासना आरम्भ की। इसलिए जब यहोवा ने उन्हें कष्ट उठाते देखा, तब वह उनके लिए दुःखी हुआ।

यिप्तह प्रमुख चुना गया

17 अम्मोनी लोग युद्ध करने के लिये एक साथ इकट्ठे हुए, उनका डेरा गिलाद क्षेत्र में था। इस्राएल के लोग एक साथ इकट्ठे हुए, उनका डेरा मिस्पा नगर में था। 18 गिलाद क्षेत्र में रहने वाले लोगों के प्रमुखों ने कहा, “अम्मोन के लोगों पर आक्रमण करने में जो व्यक्ति हमारा नेतृत्व करेगा, वही व्यक्ति, उन सभी लोगों का प्रमुख हो जाएगा जो गिलाद क्षेत्र में रहते हैं।”

11 यिप्तह गिलाद के परिवार समूह से था। वह एक शक्तिशाली योद्धा था। किन्तु यिप्तह एक वेश्या का पुत्र था। उसका पिता गिलाद नाम का व्यक्ति था। गिलाद की पत्नी के अनेक पुत्र थे। जब वे पुत्र बड़े हुए तो उन्होंने यिप्तह को पसन्द नहीं किया। उन पुत्रों ने यिप्तह को अपने जन्म के नगर को छोड़ने के लिये विवश किया। उन्होंने उससे कहा, “तुम हमारे पिता की सम्पत्ति में से कुछ भी नहीं पा सकते। तुम दूसरी स्त्री के पुत्र हो।” इसलिये यिप्तह अपने भाईयों के कारण दूर चला गया। वह तोब प्रदेश में रहता था। तोब प्रदेश में कुछ उपद्रवी लोग यिप्तह का अनुसरण करने लगे।

कुछ समय बाद अम्मोनी लोग इस्राएल के लोगों से लड़े। अम्मोनी लोग इस्राएल के लोगों के विरूद्ध लड़ रहे थे। इसलिये गिलाद प्रदेश के अग्रज (प्रमुख) यिप्तह के पास आए। वे चाहते थे कि यिप्तह तोब प्रदेश को छोड़ दे और गिलाद प्रदेश में लौट आए।

प्रमुखों ने यिप्तह से कहा, “आओ, हमारे प्रमुख बनो, जिससे हम लोग अम्मोनियों के साथ लड़ सकें।”

किन्तु यिप्तह ने गिलाद प्रदेश के अग्रजों (प्रमुखों) से कहा, “क्या यह सत्य नहीं कि तुम लोग मुझसे घृणा करते हो? तुम लोगों ने मुझे अपने पिता का घर छोड़ने के लिये विवश किया। अत: जब तुम विपत्ति में हो तो मेरे पास क्यों आ रहे हो।?”

गिलाद प्रदेश के अग्रजों ने यिप्तह से कहा, “यही कारण है जिससे हम अब तुम्हारे पास आए हैं। कृपया हम लोगों के साथ आओ और अम्मोनी लोगों के विरुद्ध लड़ो। तुम उन सभी लोगों के सेनापति होगे जो गिलाद प्रदेश में रहते हैं।”

तब यिप्तह ने गिलाद प्रदेश के अग्रजों से कहा, “यदि तुम लोग चाहते हो कि मैं गिलाद को लौटूँ और अम्मोनी लोगों के विरूद्ध लड़ूँ तो यह बहुत अच्छी बात है। किन्तु यदि यहोवा मुझे विजय पाने में सहायता करे तो मैं तुम्हारा नया प्रमुख बनूँगा।”

10 गिलाद प्रदेश के अग्रजों ने यिप्तह से कहा, “हम लोग जो बातें कर रहे हैं, यहोवा वह सब सुन रहा है। हम लोग यह सब करने की प्रतिज्ञा कर रहे हैं जो तुम हमें करने को कह रहे हो।”

11 अत: यिप्तह गिलाद के अग्रजों के साथ गया। उन लोगों ने यिप्तह को अपना प्रमुख तथा सेनापति बनाया। यिप्तह ने मिस्पा नगर में यहोवा के सामने अपनी सभी बातें दुहरायीं।

यिप्तह अम्मोनी राजा के पास सन्देश भेजता है

12 यिप्तह ने अम्मोनी राजा के पास दूत भेजा। दूत ने राजा को यह सन्देश दिया: “अम्मोनी और इस्राएल के लोगों के बीच समस्या क्या है? तुम हमारे प्रदेश में लड़ने क्यों आए हो?”

13 अम्मोनी लोगों के राजा ने यिप्तह के दूत से कहा, “हम लोग इस्राएल के लोगों से इसलिए लड़ रहे हैं क्योंकि इस्राएल के लोगों ने हमारी भूमि तब ले ली जब वे मिस्र से आए थे। उन्होंने हमारी भूमि अर्नोन नदी से यब्बोक नदी और वहाँ से यरदन नदी तक ले ली और अब इस्राएल के लोगों से कहो कि वे हमारी भूमि हमें शान्तिपूर्वक वापस दे दें।”

14 अत: यिप्तह का दूत यह सन्देश यिप्तह के पास वापस ले गया।[a] तब यिप्तह ने अम्मोनी लोगों के राजा के पास फिर दूत भेजे। 15 वे यह सन्देश ले गएः

“यप्तह यह कह रहा है। इस्राएल ने मोआब के लोगों या अम्मोन के लोगों की भूमि नहीं ली। 16 जब इस्राएल के लोग मिस्र देश से बाहर आए तो इस्राएल के लोग मरुभूमि में गए थे। इस्राएल के लोग लाल सागर को गए। तब वे उस स्थान पर गए जिसे कादेश कहा जाता है। 17 इस्राएल के लोगों ने एदोम प्रदेश के राजा के पास दूत भेजे थे। दूतों ने कृपा की याचना की थी। उन्होंने कहा था, ‘इस्राएल के लोगों को अपने प्रदेश से गुजर जाने दो।’ किन्तु एदोम के राजा ने अपने देश से हमें नहीं जाने दिया। हम लोगों ने वही सन्देश मोआब के राजा के पास भेजा। किन्तु मोआब के राजा ने भी अपने प्रदेश से होकर नहीं जाने दिया। इसलिए इस्राएल के लोग कादेश में ठहरे रहे।

18 “तब इस्राएल के लोग मरूभूमि में गए और एदोम प्रदेश तथा मोआब प्रदेश की छोरों के चारों ओर चक्कर काटते रहे। इस्राएल के लोगों ने मोआब प्रदेश के पूर्व की तरफ से यात्रा की। उन्होंने अपना डेरा अर्नोन नदी की दूसरी ओर डाला। उन्होंने मोआब की सीमा को पार नहीं किया। (अर्नोन नदी मोआब के प्रदेश की सीमा थी।)

19 “तब इस्राएल के लोगों ने एमोरी लोगों के राजा सीहोन के पास दूत भेजे। सीहोन हेश्बोन नगर का राजा था। दूतों ने सीहोन से माँग की, ‘इस्राएल के लोगों को अपने प्रदेश से गुजर जाने दो। हम लोग अपने प्रदेश में जाना चाहते हैं।’ 20 किन्तु एमोरी लोगों के राजा सीहोन ने इस्राएल के लोगों को अपनी सीमा पार नहीं करने दी। सीहोन ने अपने सभी लोगों को इकट्ठा किया और यहस पर अपना डेरा डाला। तब एमोरी लोग इस्राएल के लोगों के साथ लड़े। 21 किन्तु यहोवा इस्राएल के लोगों का परमेश्वर ने, इस्राएल के लोगों की सहायता, सीहोन और उसकी सेना को हराने में की। एमोरी लोगों की सारी भूमि इस्राएल के लोगों की सम्पत्ति बन गई। 22 इस प्रकार इस्राएल के लोगों ने एमोरी लोगों का सारा प्रदेश पाया। यह प्रदेश अर्नोन नदी से यब्बोक नदी तक था। यह प्रदेश मरुभूमि से यरदन नदी तक था।

23 “यह यहोवा, इस्राएल का परमेश्वर था जिसने एमोरी लोगों को अपना देश छोड़ने के लिये बलपूर्वक विवश किया और यहोवा ने वह प्रदेश इस्राएल के लोगों को दिया। क्या तुम सोचते हो कि तुम इस्राएल के लोगों से यह छुड़वा दोगे? 24 निश्चय ही, तुम उस प्रदेश में रह सकते हो जिसे तुम्हारे देवता कमोश ने तुम्हें दिया है। इसलिए हम लोग उस प्रदेश में रहेंगे, जिसे यहोवा, हमारे परमेश्वर ने हमें दिया है। 25 क्या तुम सिप्पोर नामक व्यक्ति के पुत्र बालाक से अधिक अच्छे हो? वह मोआब प्रदेश का राजा था। क्या उसने इस्राएल के लोगों से बहस की? क्या वह सचमुच इस्राएल के लोगों से लड़ा? 26 इस्राएल के लोग हेश्बोन और उसके चारों ओर के नगरों में तीन सौ वर्ष तक रह चुके हैं। इस्राएल के लोग अरोएर नगर और उसके चारों ओर के नगर में तीन सौ वर्ष तक रह चुके हैं। इस्राएल के लोग अर्नोन नदी के किनारे के सभी नगरों में तीन सौ वर्ष तक रह चुके हैं। तुमने इस समय में, इन नगरों को वापस लेने का प्रयत्न क्यों नहीं किया? 27 इस्राएल के लोगों ने किसी के विरुद्ध कोई पाप नहीं किया है। किन्तु तुम इस्राएल के लोगों के विरुद्ध बहुत बड़ी बुराई कर रहे हो। यहोवा को, जो सच्चा न्यायाधीश है, निश्चय करने दो कि इस्राएल के लोग ठीक रास्ते पर हैं या अम्मोनी लोग।”

28 अम्मोनी लोगों के राजा ने यिप्तह के इस सन्देश को अनसुना किया।

यिप्तह की प्रतिज्ञा

29 तब यहोवा की आत्मा यिप्तह पर उतरी। यिप्तह गिलाद प्रदेश और मनश्शे के प्रदेश से गुज़रा। वह गिलाद प्रदेश में मिस्पे नगर को गया। गिलाद प्रदेश के मिस्पे नगर को पार करता हुआ यिप्तह, अम्मोनी लोगों के प्रदेश में गया।

30 यिप्तह ने यहोवा को वचन दिया। उसने कहा, “यदि तू एमोरी लोगों को मुझे हराने देता है। 31 तो मैं उस पहली चीज़ को तुझे भेंट करूँगा जो मेरी विजय से लौटने के समय मेरे घर से बाहर आएगी। मैं इसे यहोवा को होमबलि के रूप में दूँगा।”

32 तब यिप्तह अम्मोनी लोगों के प्रदेश में गया। यिप्तह अम्मोनी लोगों से लड़ा। यहोवा ने अम्मोनी लोगों को हराने में उसकी सहायता की। 33 उसने उनहें अरोएर नगर से मिन्नीत के क्षेत्र की छोर तक हराया। यिप्तह ने बीस नगरों पर अधिकार किया। उसने अम्मोनी लोगों से आबेलकरामीम नगर तक युद्ध किया। यह अम्मोनी लोगों के लिये बड़ी हार थी। अम्मोनी लोग इस्राएल के लोगों द्वारा हरा दिये गए।

34 यिप्तह मिस्पा को लौटा और अपने घर गया। उसकी पुत्री उससे घर से बाहर मिलने आई। वह एक तम्बूरा बजा रही थी और नाच रही थी। वह उसकी एकलौती पुत्री थी। यिप्तह उस बहुत प्यार करता था। यिप्तह के पास कोई अन्य पुत्री या पुत्र नहीं थे। 35 जब यिप्तह ने देखा कि पहली चीज़ उसकी पुत्री ही थी, जो उसके घर से बाहर आई तब उसने दुःख को अभिव्यक्त करने के लिये अपने वस्त्र फाड़ डाले और यह कहा, “आह! मेरी बेटी तूने मुझे बरबाद कर दिया। तूने मुझे बहुत दुःखी कर दिया! मैंने यहोवा को वचन दिया था, मैं उसे वापस नहीं ले सकता।”

36 तब उसकी पुत्री ने यिप्तह से कहा, “पिता, आपने यहोवा से प्रतिज्ञा की है। अत: वही करें जो आपने करने की प्रतिज्ञा की है। अन्त में यहोवा ने आपके शत्रुओं अम्मोनी लोगों को हराने में सहायता की।”

37 तब उसकी पुत्री ने अपने पिता यिप्तह से कहा, “किन्तु मेरे लिये पहले एक काम करो। दो महीने तक मुझे अकेली रहने दो। मुझे पहाड़ों पर जाने दो। मैं विवाह नहीं करूँगी, मेरा कोई बच्चा नहीं होगा। अत: मुझे और मेरी सहेलियों को एक साथ रोने चिल्लाने दो।”

38 यित्पह ने कहा, “जाओ और वैसा ही करो,” यिप्तह ने उस दो महीने के लिये भेज दिया। यिप्तह की पुत्री और उसकी सहेलियाँ पहाड़ों में रहे। वे उसके लिए रोये—चिल्लाये, क्योंकि वह न तो विवाह करेगी और न ही बच्चे उत्पन्न करेगी।

39 दो महीने के बाद यिप्तह की पुत्री अपने पिता के पास लौटी। यिप्तह ने वही किया जो उसने यहोवा से प्रतिज्ञा की थी। यिप्तह की पुत्री का कभी किसी के साथ कोई शारीरिक सम्बन्ध नहीं रहा। इसलिए इस्राएल में यह रिवाज बन गया। 40 इस्राएल की स्त्रियाँ हर वर्ष गिलाद के यिप्तह की पुत्री को याद करती थीं। स्त्रियाँ यिप्तह की पुत्री के लिये हर एक वर्ष चार दिन तक रोती थीं।

यिप्तह और एप्रैम

12 एप्रैम के परिवार समूह के लोगों ने अपने सैनिकों को इकट्ठा किया। तब वे नदी पार करके सापोन नगर गए। उन्होंने यिप्तह से कहा, “तुमने अम्मोनी लोगों से लड़ने में सहायता के लिये हमें क्यों नहीं बुलाया? हम लोग तुमको और तुम्हारे घर को जला देंगे।”

यिप्तह ने उन्हें उत्तर दिया, “अम्मोनी लोग हम लोगों के लिये अनेक समस्यायें उत्पन्न कर रहे थे। इसलिए मैं और हमारे लोग उनके विरुद्ध लड़े। मैंने तुम लोगों को बुलाया, किन्तु तुम लोग हम लोगों की सहायता करने नहीं आए। मैंने देखा कि तुम लोग सहायता नहीं करोगे। इसलिए मैंने अपना जीवन खतरे में डाला। मैं अम्मोनी लोगों से लड़ने के लिये नदी के पार गया। यहोवा ने उन्हें हराने में मेरी सहायता की। अब आज तुम मेरे विरुद्ध लड़ने क्यों आए हो?”

तब यिप्तह ने गिलाद के लोगों को एक साथ बुलाया। वे एप्रैम के परिवार समूह के लोगों के साथ लड़े। वे एप्रैम के लोगों के विरुद्ध इसलिए लड़े, क्योंकि उन लोगों ने गिलाद के लोगों का अपमान किया था। उन्होंने कहा था, “गिलाद के लोगो, तुम लोग एप्रैम के बचे हुए लोगों के अतिरिक्त अन्य कुछ नहीं हो। तुम लोगों के पास अपना प्रदेश भी नहीं है। तुम लोगों का एक भाग एप्रैम में से है तथा दूसरा भाग मनश्शे में से है।” गिलाद के लोगों ने एप्रैम के लोगों को हराया।

गिलाद के लोगों ने यरदन नदी के घाटों पर अधिकार कर लिया। वे घाट एप्रैम प्रदेश तक ले जाते थे। एप्रैम में से बचा हुआ जो कोई भी नदी पर आता, वह कहता, “मुझे पार करने दो” तो गिलाद के लोग उससे पूछते, “क्या तुम एप्रैम में से हो?” यदि वह “नहीं” कहता तो, वे कहते, “‘शिब्बोलेत’ शब्द का उच्चारण करो।” एप्रैम के लोग उस शब्द का शुद्ध उच्चारण नहीं कर सकते थे। वे उसे “सिब्बोलेत” शब्द उच्चारण करते थे। यदि एप्रैम में से बचा व्यक्ति “सिब्बोलेत” शब्द का उच्चारण करता तो गिलाद के लोग उसे घाट पर मार देते थे। इस प्रकार उस समय एप्रैम में से बयालीस हजार व्यक्ति मारे गए थे।

यिप्तह इस्राएल के लोगों का न्यायाधीश छ: वर्ष तक रहा। तब गिलाद का निवासी यिप्तह मर गया। उसे गिलाद में उसके अपने नगर में दफनाया गया।

न्यायाधीश इबसान

यिप्तह के मरने के बाद इस्राएल के लोगों का न्यायाधीश इबसान नामक व्यक्ति हुआ। इबसान बेतलेहेम नगर का निवासी था। इबसान के तीस पुत्र और तीस पुत्रियाँ थीं। उसने अपनी पुत्रियों को उन लोगों के साथ विवाह करने दिया, जो उसके रिश्तेदार नहीं थे। वह ऐसी तीस स्त्रियों को अपने पुत्रों की पत्नियों के रूप में लाया जो उसकी रिश्तेदार नहीं थीं। इबसान इस्राएल के लोगों का न्यायाधीश सात वर्ष तक रहा। 10 तब इबसान मर गया। वह बेतलेहेम नगर में दफनाया गया।

न्यायाधीश एलोन

11 इबसान के मरने के बाद इस्राएल के लोगों का न्यायाधीश एलोन नामक व्यक्ति हुआ। एलोन जबूलून के परिवार समूह से था। वह इस्राएल के लोगों का न्यायाधीश दस वर्ष तक रहा। 12 तब जबूलून के परिवार समूह का व्यक्ति एलोन मर गया। वह जबूलून के प्रदेश में अय्यालोन नगर में दफनाया गया।

न्यायाधीश अब्दोन

13 एलोन के मरने के बाद इस्राएल के लोगों का न्यायाधीश अब्दोन नामक व्यक्ति हुआ। अब्दोन हिल्लेल नामक व्यक्ति का पुत्र था। अब्दोन पिरातोन नगर का निवासी था। 14 अब्दोन के चालीस पुत्र और तीस पौत्र थे। वे सत्तर गधों पर सवार होते थे। अब्दोन इस्राएल के लोगों का न्यायाधीश आठ वर्ष तक रहा। 15 तब हिल्लेल का पुत्र अब्दोन मर गया। वह पिरातोन नगर में दफनाया गया। पिरातोन एप्रैम प्रदेश में है। यह वह पहाड़ी प्रदेश है जहाँ अमालेकी लोग रहते हैं।

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