Beginning
बलियों के लिए जानवर निर्दोष होने चाहिए
17 “तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर को कोई ऐसी गाय, भेड़, बलि में नहीं चढ़ानी चाहिए जिसमें कोई दोष या बुराई हो। क्यों? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर इससे घृणा करता है!
मूर्ति पूजक को दण्ड
2 “तुम उन नगरों में कोई बुरी बात होने की सूचना पा सकते हो जिन्हें यहोवा परमेश्वर तुम्हें दे रहा है। तुम यह सुन सकते हो कि तुम में से किसी स्त्री या पुरुष ने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है। तुम यह सुन सकते हो कि उन्होंने यहोवा से वाचा तोड़ी है 3 अर्थात् उन्होंने दूसरे देवताओं की पूजा की है। या यह हो सकता है कि उन्होंने सूर्य, चन्द्रमा या तारों की पूजा की हो। यह यहोवा के आदेश के विरुद्ध है जिसे मैंने तुम्हें दिया है। 4 यदि तुम ऐसी बुरी खबर सुनते हो तो तुम्हें उसकी जाँच सावधानी से करनी चाहिए। तुम्हें यह जान लेना चाहिए कि क्या यह सत्य है कि यह भयंकर काम सचमुच इस्राएल में हो चुका है। यदि तुम इसे प्रमाणित कर सको कि यह सत्य है, 5 तब तुम्हें उस व्यक्ति को अवश्य दण्ड देना चाहिए जिसने यह बुरा काम किया है। तुम्हें उस पुरुष या स्त्री को नगर के द्वार के पास सार्वजनिक स्थान पर ले जाना चाहिए और उसे पत्थरों से मार डालना चाहिए। 6 किन्तु यदि एक ही गवाह यह कहता है कि उसने बुरा काम किया है तो उसे मृत्यु दण्ड नहीं दिया जाएगा। किन्तु यदि दो या तीन गवाह यह कहते हैं की यह सत्य है तो उस व्यक्ति को मार डालना चाहिए। 7 गवाह को पहला पत्थर उस व्यक्ति को मारने के लिए फेंकना चाहिए। तब अन्य लोगों को उसकी मृत्यु पूरी करने के लिए पत्थर फेंकना चाहिए। इस प्रकार तुम्हें उस बुराई को अपने मध्य से दूर करना चाहिए।
जटिल मुकदमें
8 “कभी ऐसी समस्या आ सकती है जो तुम्हारे न्यायालयों के लिए निर्णय देने में इतनी कठिन हो कि वे निर्णय ही न दे सकें। यह हत्या का मुकदमा या दो लोगों के बीच का विवाद हो सकता है अथवा यह झगड़ा हो सकता है जिसमें किसी को चोट आई हो। जब इन मुकदमों पर तुम्हारे नगरों में बहस होती है तो तुम्हारे न्यायाधीश सम्भव है, निर्णय न कर सकें कि ठीक क्या है? तब तुम्हें उस विशेष स्थान पर जाना चाहिए जो यहोवा तुम्हारे परमेश्वर द्वारा चुना गया हो। 9 तुम्हें लेवी परिवार समूह के याजकों और उस समय के न्यायाधीश के पास जाना चाहिए। वे लोग उस मुकदमें का फैसला करेंगे। 10 यहोवा के विशेष स्थान पर वे अपना निर्णय तुम्हें सुनाएंगे। जो भी वे कहें उसे तुम्हें करना चाहिए। 11 तुम्हें उनके फैसले स्वीकार करने चाहिए और उनके निर्देश का ठीक—ठीक पालन करना चाहिए। तुम्हें उससे भिन्न कुछ भी नहीं करना चाहिए जो वे तुम्हें करने को कहते हैं।
12 “तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर की सेवा करने वाले उस समय के याजक और न्यायाधीश की आज्ञा का पालन करने से इन्कार करने वाले किसी व्यक्ति को भी दण्ड देना चाहिए। उस व्यक्ति को मरना चाहिए। तुम्हें इस्राएल से इस बुरे व्यक्ति को हटाना चाहिए। 13 सभी लोग इस दण्ड के विषय में सुनेंगे और डरेंगे और वे इस कुकर्म को नहीं करेंगे।
राजा कैसे चुनें
14 “तुम उस प्रदेश में जाओगे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें दे रहा है। तुम उस देश पर अधिकार करोगे और उसमें रहोगे। तब तुम कहोगे, ‘हम लोग अपने ऊपर एक राजा वैसा ही प्रतिष्ठित करेंगे जैसा हमारे चारों ओर के राष्ट्रों में है।’ 15 जब ऐसा हो तब तुम्हें यह पक्का निश्चय होना चाहिए कि तुमने उसे ही राजा चुना है जिसे यहोवा चुनता है। तुम्हरा राजा तुम्हीं लोगों में से होना चाहिए। तुम्हें विदेशी को अपना राजा नहीं बनाना चाहिए। 16 राजा को अत्यधिक घोड़े अपने लिए नहीं रखने चाहिए और उसे लोगों को अधिक घोड़े लाने के लिए मिस्र नहीं भेजना चाहिए। क्यों? क्योंकि तुमसे यहोवा ने कहा है, ‘तुम्हें उस रास्ते पर कभी नहीं लौटना है।’ 17 राजा को बहुत पत्नियाँ भी नहीं रखनी चाहिए। क्यों? क्योंकि यह काम उसे यहोवा से दूर हटायेगा और राजा को सोने, चाँदी से अपने को सम्पन्न नहीं बनाना चाहिए।
18 “और जब राजा शासन करने लगे तो उसे एक पुस्तक में अपने लिए नियमों की नकल कर लेनी चाहिए। उसे याजकों और लेवीवंशियों की पुस्तकों से नकल करनी चाहिए। 19 राजा को उस पुस्तक को अपने साथ रखना चाहिए। उस पुस्तक को जीवन भर पढ़ना चाहिए। क्योंकि तब राजा यहोवा अपने परमेश्वर का सम्मान करना सीखेगा और वह नियम के आदेशों का पूरा पालन करना सीखेगा। 20 तब राजा यह नहीं सोचेगा कि वह अपने लोगों में से किसी से भी अधिक अच्छा है। वह नियम के विरुद्ध नहीं जाएगा बल्कि इसका ठीक—ठीक पालन करेगा। तब वह राजा और उसके वंशज इस्राएल के राज्य पर लम्बे समय तक शासन करेंगे।
याजकों तथा लेवीवंशियों की सहायता
18 “लेवी का परिवार समूह इस्राएल में कोई भूमि का भाग नहीं पाएगा। वे लोग याजक के रूप में सेवा करेंगे। वे अपना जीवन यापन उस भेंट को खाकर करेंगे जो आग पर पकेगी और यहोवा को चढ़ाई जाएगी। लेवी के परिवार समूह के हिस्से में वही है। 2 वे लेवीवंशी लोग भूमि का कोई हिस्सा अन्य परिवार समूहों की तरह नहीं पाएंगे। लेवीवंशियों के हिस्से में स्वयं यहोवा है। यहोवा ने इसके लिए उनको वचन दिया है।
3 “जब तुम कोई बैल, या भेड़ बली के लिए मारो तो तुम्हें याजकों को ये भाग देने चाहिएः कंधा, दोनों गाल और पेट। 4 तुन्हें याजकों को अपना अन्न, अपनी नयी दाखमधु और अपनी पहली फसल का तेल देना चाहिए। तुम्हें लेवीवंशियों को अपनी भेड़ों का पहला कटा ऊन देना चाहिए। 5 क्यो? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारे सभी परिवार समूहों की देखभाल करता था और उसने लेवी और उनके वंशजों को सदा के लिए याजक के रूप में सेवा करने के लिये चुना है।
6 “लेवीवंशी जो इस्राएल में तुम्हारे नगरों में से किसी में रहता है, अपना घर छोड़ सकता है और यहोवा के विशेष स्थान पर जा सकता है। 7 तब यह लेवीवंशी यहोवा अपने परमेश्वर के नाम पर सेवा कर सकता है। उसे परमेश्वर के विशेष स्थान में वैसे ही सेवा करनी चाहिए जैसे उसके भाई अन्य लेवीवंशी करते हैं। 8 वह लेवीवंशी, अपने परिवार को सामान्य रूप से मिलने वाले हिस्से के अतिरिक्त अन्य लेवीवंशियों के साथ बराबर का हिस्सेदार होगा।
इस्राएलियों को अन्य राष्ट्रों की नकल नहीं करनी चाहिए
9 “जब तुम उस राष्ट्र में पहुँचो, जो यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुमको दे रहा है, तब उस राष्ट्र के लोग जो भयंकर काम वहाँ कर रहें हों उन्हें मत सीखो। 10 अपने पुत्रों और पुत्रियों की बलि अपनी वेदी पर आग में न दो। किसी ज्योतिषी से बात करके या किसी जादूगर, डायन या सयाने के पास जाकर यह न सीखो कि भविष्य में क्या होगा? 11 किसी भी व्यक्ति को किसी पर जादू—टोना चलाने का प्रयत्न न करने दो और तुम में से कोई व्यक्ति ओझा या भूतसिद्धक नहीं बनेगा। और कोई व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति से बात करने का प्रयत्न न करेगा जो मर चुका है। 12 यहोवा तुम्हारा परमेश्वर उन लोगों से घृणा करता है जो ऐसा करते हैं। यही कारण है कि वह तुम्हारे सामने इन लोगों को देश छोड़ने को विवश करेगा। 13 तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर पर पूर्ण विश्वास करना चाहिए और उसके प्रति निष्ठावान होना चाहिए।
यहोवा का विशेष नबी:
14 “तुम्हें उन राष्ट्रों के लोगों को बलपूर्वक अपने देश से हटा देना चाहिए। उन राष्ट्रों के लोग ज्योतिषियों और जादूगरों की बात मानते हैं। किन्तु यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें वैसा नहीं करने देगा। 15 यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारे पास अपना नबी भेजेगा। यह नबी तुम्हारे अपने ही लोगों में से आएगा। वह मेरी तरह ही होगा। तुम्हें इस नबी की बात माननी चाहिए। 16 यहोवा तुम्हारे पास इस नबी को भेजेगा क्योंकि तुमने ऐसा करने के लिए उससे कहा है। उस समय जब तुम होरेब (सीनै) पर्वत के चारों ओर इकट्ठे हुए थे, तुम यहोवा की आवाज और पहाड़ पर भीषण आग को देखकर भयभीत थे। इसलिए तुमने कहा था, हम लोग यहोवा अपने परमेश्वर की आवाज फिर न सुनें। ‘हम लोग उस भीषण आग को फिर न देखें। हम मर जाएंगे!’
17 “यहोवा ने मुझसे कहा, ‘वे जो चाहते हैं, वह ठीक है। 18 मैं तुम्हारी तरह का एक नबी उनके लिए भेज दूँगा। यह नबी उन्हीं लोगों में से कोई एक होगा। मैं उसे वह सब बताऊँगा जो उसे कहना होगा और वह लोगों से वही कहेगा जो मेरा आदेश होगा। 19 यह नबी मेरे नाम पर बोलेगा और जब वह कुछ कहेगा तब यदि कोई व्यक्ति मेरे आदेशों को सुनने से इन्कार करेगा तो मैं उस व्यक्ति को दण्ड दूँगा।’
झूठे नबियों को कैसे जाना जाये
20 “किन्तु कोई नबी कुछ ऐसा कह सकता है जिसे करने के लिए मैंने उसे नहीं कहा है और वह लोगों से कह सकता है कि वह मेरे स्थान पर बोल रहा है। यदि ऐसा होता है तो उस नबी को मार डालना चाहिए या कोई ऐसा नबी हो सकता है जो दूसरे देवताओं के नाम पर बोलता है। उस नबी को भी मार डालना चाहिए। 21 तुम सोच सकते हो, ‘हम कैसे जान सकते हैं कि नबी का कथन, यहोवा का नहीं है?’ 22 यदि कोई नबी कहता है कि वह यहोवा की ओर से कुछ कह रहा है, किन्तु उसका कथन सत्य घटित नहीं होता, तो तुम्हें जान लेना चाहिए कि यहोवा ने वैसा नहीं कहा। तुम समझ जाओगे कि यह नबी अपने ही विचार प्रकट कर रहा था। तुम्हें उससे डरने की आवश्यकता नहीं।
सुरक्षा के लिए तीन नगर
19 “यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुमको वह देश दे रहा है जो दूसरे राष्ट्रों का है। यहोवा उन राष्ट्रों को नष्ट करेगा। तुम वहाँ रहोगे जहाँ वे लोग रहते हैं। तुम उनके नगर और घरों को लोगे। जब ऐसा हो, 2-3 तब तुम्हें भूमि को तीन भागों में बाँटना चाहिए। तब तुम्हें हर एक भाग में सभी लोगों के समीप पड़ने वाला नगर उस क्षेत्र में चुनना चाहिए और तुम्हें उन नगरों तक सड़कें बनानी चाहिए तब कोई भी व्यक्ति जो किसी दूसरे व्यक्ति को मारता है वहाँ भागकर जा सकता है।
4 “जो व्यक्ति किसी को मारता है और सुरक्षा के लिए इन तीन नगरों में से कहीं भागकर पहुँचता है उस व्यक्ति के लिए नियम यह हैः यह व्यक्ति वही हो जो संयोगवश किसी व्यक्ति को मार डाले। यह वही व्यक्ति हो जो मारे गए व्यक्ति से घृणा न करता हो। 5 एक उदाहरण हैः कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति के साथ जंगल में लकड़ी काटने जाता है। उस में से एक व्यक्ति लकड़ी काटने के लिए कुल्हाड़ी को एक पेड़ पर चलाता है, किन्तु कुल्हाड़ी दस्ते से निकल जाती है। कुल्हाड़ी दूसरे व्यक्ति को लग जाती है और उसे मार डालती है। वह व्यक्ति, जिसने कुल्हाड़ी चलाई, उन नगरों में भाग सकता है और अपने को सुरक्षित कर सकता है। 6 किन्तु यदि नगर बहुत दूर होगा तो वह काफी तेज भाग नहीं सकेगा। मारे गए व्यक्ति का कोई सम्बन्धी उसका पीछा कर सकता है और नगर में उसके पहुँचने से पहले ही उसे पकड़ सकता है। सम्बन्धी बहुत क्रोधित हो सकता है और उस व्यक्ति की हत्या कर सकता है। किन्तु उस व्यक्ति को प्राण—दण्ड उचित नहीं है। वह उस व्यक्ति से घृणा नहीं करता था जो उसके हाथों मारा गया। 7 इसलिए मैं आदेश देता हूँ कि तीन विशेष नगरों को चुनो। यह नगर सबके लिए बन्द रहेंगे।
8 “यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हारे पूर्वजों को यह वचन दिया कि मैं तुम लोगों की सीमा का विस्तार करूँगा। वह तुम लोगों को सारा देश देगा जिसे देने का वचन उसने तुम्हारे पूर्वजों को दिया। 9 वह यह करेगा, यदि तुम उन आदेशों का पालन पूरी तरह करोगे, जिन्हें मैं तुम्हें आज दे रहा हूँ अर्थात् यदि तुम यहोवा अपने परमेश्वर से प्रेम करोगे और उसके मार्ग पर चलते रहोगे। तब यदि यहोवा तुम्हारे देश को बड़ा बनाता है तो तुम्हें तीन अन्य नगर सुरक्षा के लिए चुनने चाहिए। वे प्रथम तीन नगरों के साथ जोड़े जाने चाहिए। 10 तब निर्दोष लोग उस देश में नहीं मारे जाएंगे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें अपना बनाने के लिये दे रहा है और तुम किसी भी मृत्यु के लिये अपराधी नहीं होगे।
11 “किन्तु एक व्यक्ति किसी व्यक्ति से घृणा कर सकता है। वह व्यक्ति उस व्यक्ति को मारने के लिए प्रतीक्षा में छिपा रह सकता है जिसे वह घृणा करता है। वह उस व्यक्ति को मार सकता है और सुरक्षा के लिए चुने इन नगरों में भागकर पहुँच सकता है। 12 यदि ऐसा होता है तो उस व्यक्ति के नगर के बुजुर्ग किसी को उसे पकड़ने और सुरक्षा के नगर से बाहर लाने के लिए भेज सकते हैं। नगर के मुखिया तथा वरिष्ठ व्यक्ति उसे उस सम्बन्धी को देंगे जिसका कर्तव्य उसको दण्ड देना है। हत्यारा अवश्य मारा जाना चाहिए। 13 उसके लिए तुम्हें दुःखी नहीं होना चाहिए। तुम्हें निर्दोष लोगों को मारने के अपराध से इस्राएल को स्वच्छ रखना चाहिए। तब सब कुछ तुम्हारे लिए अच्छा रहेगा।
सीमा चिन्ह
14 “तुम्हें अपने पड़ोसी के सीमा—चिन्हों को नहीं हटाना चाहिए। बीते समय में लोग यह सीमा—चिन्ह उस भूमि पर बनाते थे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें रहने के लिए देगा और जो तुम्हारी होगी।
गवाह
15 “यदि किसी व्यक्ति पर नियम के खिलाफ कुछ करने का मुकदमा हो तो एक गवाह इसे प्रमाण करने के लिए काफी नहीं होगा कि वह दोषी है। उसने निश्चय ही बुरा किया है इसे प्रमाणित करने के लिए दो या तीन गवाह होने चाहिए।
16 “कोई गवाह किसी व्यक्ति को झूठ बोलकर और यह कहकर कि उसने अपराध किया है उसे हानि पहुँचाने की कोशिश कर सकता है। 17 यदि ऐसा होता है तो आपस में वाद करने वाले व्यक्तियों को यहोवा के आवास पर जाना चाहिए और उनके मुकदमे का निर्णय याजकों एवं उस समय के मुख्य न्यायाधीशों द्वारा होना चाहिए। 18 न्यायाधीशों को सावधानी के साथ प्रश्न पूछने चाहिए। वे पता लगा सकते हैं कि गवाह ने दूसरे व्यक्ति के खिलाफ झूठ बोला है। यदि गवाह ने झूठ बोला है तो, 19 तुम्हें उसे दण्ड देना चाहिए। तुम्हें उसे वही हानि पहुँचानी चाहिए जो वह दूसरे व्यक्ति को पहुँचाना चाहता था। इस प्रकार तुम अपने बीच से कोई भी बुरी बात निकाल बाहर कर सकते हो। 20 दूसरे सभी लोग इसे सुनेंगे और भयभीत होंगे और कोई भी फिर वैसी बुरी बात नहीं करेगा।
21 “तुम उस पर दया—दृष्टि न करना जिसे बुराई के लिए तुम दण्ड देते हो। जीवन के लिये जीवन, आँख के लिये आँख, दाँत के लिये दाँत, हाथ के लिये हाथ और पैर के लिये पैर लिया जाना चाहिए।
युद्ध के लिये नियम
20 “जब तुम अपने शत्रुओं के विरुद्ध युद्ध में जाओ, और अपनी सेना से अधिक घोड़े, रथ, व्यक्तियों को देखो, तो तुम्हें भयभीत नहीं होना चाहिए। क्यों? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारे साथ है और वही एक है जो तुम्हें मिस्र से बाहर निकाल लाया।
2 “जब तुम युद्ध के निकट पहुँचो, तब याजक को सैनिकों के पास जाना चाहिए और उनसे बात करनी चाहिए। 3 याजक कहेगा, ‘इस्राएल के लोगो, मेरी बात सुनो! आज तुम लोग अपने शत्रुओं के विरुद्ध युद्ध में जा रहे हो। अपना साहस न छोड़ो! परेशान न हो या घबराहट में न पड़ो! शत्रु से डरो नहीं! 4 क्यों? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर शत्रुओं के विरुद्ध लड़ने के लिये तुम्हारे साथ जा रहा है। यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारी रक्षा करेगा!’
5 “वे लेवीवंशी अधिकारी सैनिकों से यह कहेंगे, ‘क्या यहाँ कोई ऐसा व्यक्ति है जिसने अपना नया घर बना लिया है, किन्तु अब तक उसे अर्पित नहीं किया है? उस व्यक्ति को अपने घर लौट जाना चाहिए। वह युद्ध में मारा जा सकता है और तब दूसरा व्यक्ति उसके घर को अर्पित करेगा। 6 क्या कोई व्यक्ति यहाँ ऐसा है जिसने अंगूर के बाग लगाये हैं, किन्तु अभी तक उससे कोई अंगूर नहीं लिया है? उस व्यक्ति को घर लौट जाना चाहिए। यदि वह व्यक्ति युद्ध में मारा जाता है तो दूसरा व्यक्ति उसके बाग के फल का भोग करेगा। 7 क्या यहाँ कोई ऐसा व्यक्ति है जिसके विवाह की बात पक्की हो चुकी है। उस व्यक्ति को घर लौट जाना चाहिए। यदि वह युद्ध में मारा जाता है तो दूसरा व्यक्ति उस स्त्री से विवाह करेगा जिसके साथ उसके विवाह की बात पक्की हो चुकी है।’
8 “वे लेवीवंशी अधिकारी, लोगों से यह भी कहेंगे, ‘क्या यहाँ कोई ऐसा व्यक्ति है जो साहस खो चुका है और भयभीत है। उसे घर लौट जाना चाहिए। तब वह दूसरे सैनिकों को भी साहस खोने में सहायक नहीं होगा।’ 9 जब अधिकारी सैनिकों से बात करना समाप्त कर ले तब वे सैनिकों को युद्ध में ले जाने वाले नायकों को चुनें।
10 “जब तुम नगर पर आक्रमण करने जाओ तो वहाँ के लोगों के सामने शान्ति का प्रस्ताव रखो। 11 यदि वे तुम्हारा प्रस्ताव स्वीकार करते हैं और अपने फाटक खोल देते हैं तब उस नगर में रहने वाले सभी लोग तुम्हारे दास हो जाएँगे और तुम्हारा काम करने के लिए विवश किये जाएँगे। 12 किन्तु यदि नगर शान्ति प्रस्ताव स्वीकार करने से इन्कार करता और तुमसे लड़ता है तो तुम्हें नगर को घेर लेना चाहिए 13 और जब यहोवा तुम्हारा परमेश्वर नगर पर तुम्हारा अधिकार कराता है तब तुम्हें सभी पुरुषों को मार डालना चाहिए। 14 तुम अपने लिए स्त्रियाँ, बच्चे, पशु तथा नगर की हर एक चीज ले सकते हो। तुम इन सभी चीजों का उपयोग कर सकते हो। यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने ये चीज़ें तुमको दी हैं। 15 जो नगर तुम्हारे प्रदेश में नहीं हैं और बहुत दूर हैं, उन सभी के साथ तुम ऐसा व्यवहार करोगे।
16 “किन्तु जब तुम वह नगर उस प्रदेश में लेते हो जिसे योहवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें दे रहा है तब तुम्हें हर एक को मार डालना चाहिए। 17 तुम्हें हित्ती, एमोरी, कनानी, परिज्जी, हिब्बी और यबूसी सभी लोगों को पूरी तरह नष्ट कर देना चाहिए। यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने, यह करने का तुम्हें आदेश दिया है। 18 क्यों? क्योंकि तब वे तुम्हें यहोवा तुम्हारे परमेश्वर के विरुद्ध पाप करने की शिक्षा नहीं दे सकते। वे उन भयंकर बातों में से किसी की शिक्षा तुमको नहीं दे सकते जो वे अपने देवाताओं की पूजा के समय करते हैं।
19 “जब तुम किसी नगर के विरुद्ध युद्ध कर रहे होगे तो तुम लम्बे समय तक उसका घेरा डाले रह सकते हो। तुम्हें नगर के चारों ओर के फलदार पेड़ों को नहीं काटना चाहिए। तुम्हें इनसे फल खाना चाहिए किन्तु काटकर गिराना नहीं चाहिए। ये पेड़ शत्रु नहीं हैं अत: उनके विरुद्ध युद्ध मत छेड़ो! 20 किन्तु उन पेड़ों को काट सकते हो जिन्हें तुम जानते हो कि ये फलदार नहीं हैं। तुम इनका उपयोग उस नगर के विरुद्ध घेराबन्दी में कर सकते हो, जब तक कि उसका पतन न हो जाए।
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